मंगलवार, 17 मार्च 2015

मसूड़ों की जलन जल्दी होती है दूर, इसकी छाल, बीजों में है कई बीमारियों का इलाज


 गले की खराश, गले में दर्द, मसूड़ों में जलन, अगर आपको ऐसी दिक्कतों का बार-बार सामना करना पड़ रहा है, तो इस पेड़ की छाल, बीज़ों, पत्तों आदि के कई फायदे हो सकते हैं।

लसोड़ा के बारे में:
लसोड़ा को हिन्दी में 'गोंदी' और 'निसोरा' भी कहते हैं। इसके फल सुपारी के बराबर होते हैं। कच्चे लसोड़ा का साग और आचार भी बनाया जाता है। पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं और इसके अंदर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है। लसोड़ा मध्यभारत के वनों में पाया जाता है। यह एक विशाल पेड़ होता है जिसके पत्ते चिकने होते हैं। आदिवासी अक्सर इसके पत्तों को पान की तरह चबाते हैं। इसकी लकड़ी का इमारतों में उपयोग किया जाता है। इसे रेठु के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम कार्डिया डाइकोटोमा है। आदिवासी लसोड़ा का इस्तेमाल अनेक रोग निवारणों के लिए करते हैं। चलिए आज जानते हैं लसोड़ा के बारे में।
मसूड़ों की सूजन में आराम
इसकी छाल की लगभग 200 ग्राम मात्रा लेकर इतनी ही मात्रा पानी के साथ उबाला जाए और जब यह एक चौथाई शेष रहे तो इससे कुल्ला किया जाए, तो मसूड़ों की सूजन, दांतों का दर्द और मुंह के छालों में आराम मिल जाता है।
गले की तमाम समस्याएं होती हैं दूर

छाल के रस को अधिक मात्रा में लेकर इसे उबाला जाए और काढ़ा बनाकर पिया जाए, तो गले की तमाम समस्याएं खत्म हो जाती हैं। लसोड़े की छाल को पानी में उबालकर छान लें। इस पानी से गरारे करने से गले की आवाज़ खुल जाती है।

तोरी के इस तरह सेवन से बाल होते हैं काले, झड़ते हैं मस्से


: उम्र से पहले बालों का सफेद होना आजकल आम बात हो गई है। इसकी वजह है लाइफस्टाइल। समय पर ठीक से ना खाना-पीना, सही से नहीं सोना, जंक फूड खाना। आजकल हम आपको बाल काले करने का ऐसा उपाय बता रहे हैं, जो घर पर आसानी से किया जा सकता है। जी हां, तोरी को ऐसे ऐसे उपचारों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ये दर्द देने वाले मस्से भी ठीक करती है।
तोरी के बारे में:
तुरई या तोरी एक सब्जी है जिसे लगभग संपूर्ण भारत में उगाया जाता है। तुरई का वानस्पतिक नाम लुफ़्फ़ा एक्युटेंगुला है। तुरई को आदिवासी विभिन्न रोगों के उपचार के लिए उपयोग में लाते हैं। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तमाल भी करते हैं। चलिए आज जानते हैं ऐसे ही कुछ रोचक हर्बल नुस्खों के बारे में।
1- बाल काले करने के लिए
पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार तुरई के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर छांव में सूखा लें। फिर इन सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रख लें। बाद में इसे गर्म कर लें। इस तेल को छानकर प्रतिदिन बालों पर लगाएं और मालिश करें, इससे बाल काले हो जाते हैं।
2- मस्से झड़ते हैं
आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबालकर, इसे छान लें। फिर प्राप्त पानी में बैंगन को पका लें। बैंगन पक जाने के बाद इसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से बवासीर में बने दर्द और पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं।

अदरक का लेप इस तरह लगाने से 2 दिन में खत्म होता है मोच का असर


 अदरक को कौन नहीं जानता? आम घरों की किचन में पाई जाने वाली अदरक औषधीय गुणों से भरपूर है। यह बहुत जल्द मोच का दर्द खत्म कर देती है, दांतों के दर्द में भी आराम दिलाती है और कब्ज़ जैसी दिक्कत भी भगाती है। सदियों से पारंपरिक तौर पर अदरक को अनेक रोगों के उपचार के लिए अपनाया जाता रहा है। आयुर्वेद में भी अदरक का खूब जिक्र है। अब तक आपने महज़ सर्दी-खांसी के लिए अदरक के कारगर होने की बात सुनी होगी, लेकिन आज हम आपको अदरक के कुछ और अनोखे गुणों के बारे में बताएंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि कैसे आदिवासी हर्बल जानकार अदरक का उपयोग तमाम देसी नुस्खों के लिए करते हैं।

1- मोच का असर खत्म

मोच आ जाए, तो अदरक का लेप लगाकर रख लें। जब लेप सूख जाए, तो इसे साफ करके गुनगुने सरसों के तेल से मालिश करनी चाहिए। दिन में दो बार दो दिनों तक किया जाए, तो मोच का असर खत्म हो जाता है।

2- वज़न बढ़ाने के लिए

जिन लोगों का वज़न कम है और जिन्हें मोटा होने की चाहत है, उन्हें भोजन से 15 मिनट पहले अदरक का एक टुकडा ज़रूर चबाना चाहिए। आदिवासियों के अनुसार अदरक खाने से भूख बढ़ती है।
3- सूजन और दर्द कम
4- दस्त में आराम
5- दातों में दर्द छू-मंतर
6- गैस और कब्ज़ लाभदायक
7- जोड़ दर्द गायब
8- इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए

समय से पहले महिलाओं के बाल झड़ने की ये हैं 10 वजहें



: बालों का असमय गिरना एक बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है जिसके लिए आजकल की तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी को जिम्मेदार ठहराना गलत नहीं होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खाने-पीने और सोने में थोड़ी सी भी लापरवाही से बाल झड़ने लग जाते हैं। बड़ी हैरानी की बात है कि आजकल ये सिर्फ पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाओं में भी देखा जा रहा है। महिलाओं पर बढ़ती जिम्मेदारी, हार्मोन चेंज भी इसकी वजहें हो सकती हैं। वैसे तो कई बार मौसम में बदलाव भी बालों के गिरने का कारण होता है, लेकिन अगर मौसम जाने के बाद भी इनका गिरना जारी है तो ध्यान देने वाली बात है। आज हम आपको बताएंगे 10 ऐसे कारण जिनके चलते महिलाओं के बाल भी ज़रूरत से ज़्यादा झड़ने लग गए हैं।
स्टाइलिंग- बालों के स्टाइल से आपका लुक तो चेंज होता ही है, लेकिन क्या आपको पता है कि बालों में बार- बार स्टाइलिंग करने से भी आपका लुक बिगड़ सकता है। बालों को नेचुरल घना और लंबा रखना है तो इस पर जैल, स्प्रे, कलर, मूस जैसे केमिकल्स लगाने से बचें। दरअसल, ज्यादा केमिकल सिर की त्वचा पर असर डालते हैं, जिससे बाल कमज़ोर होते हैं और फिर गिरना शुरू हो जाते हैं।गलत तरीके से कंघी करना, टाइट चोटी बांधना, बालों को एक ही स्टाइल में रखना भी इसकी एक खास वजह है।
हार्मोन्स में बदलाव- गर्भावस्था के पहले और बाद में महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते है। ये बदलाव भी बालों के झड़ने का कारण हो सकते हैं। इसके अलावा थायरॉइड, मासिक धर्म में अनियमितता भी वजहें हैं।

प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले बदलाव
खून की कमी- महिलाओं के शरीर में फोलिक एसिड की कमी और मासिक धर्म के चलते खून की कमी बन जाती है। खून की कमी से शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता। जब तक ऑक्सीजन हेयर फॉलिकल्स तक नहीं पहुंचेगा, तब तक उसे पोषण नहीं मिलेगा। इस पोषण की कमी से ही बाल असमय गिरने लगते हैं।
मासिक धर्म का बंद होना- जैसे ही महिलाएं इस स्टेज पर पहुंचती हैं, उनके बाल एकदम से गिरने शुरू हो जाते हैं। दरअसल, अब उनके शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा बहुत कम हो जाती है। इससे बाल रूखे और बेजान होकर टूटने लगते हैं। इसे रोकने के लिए माइल्ड शैंपू और खानपान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
डिलीवरी- ज्यादातर महिलाओं में डिलीवरी के बाद बालों के गिरने की समस्या को देखा गया है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल बहुत बढ़ जाता है और बच्चा पैदा होने के बाद ये फिर से अपने लेवल पर आ जाता है। ये उतार-चढ़ाव ही बालों के लिए नुकसानदायक साबित होता है। इस स्थिति में खाने-पीने पर ध्यान देकर आप इस समस्या से छुटकारा पा सकती हैं।
खान-पान पर ध्यान न देना
प्रोटीन- बालों को स्वस्थ्य और मजबूत बनाने के लिए आंतरिक और बाहरी दोनों तरफ से प्रोटीन बहुत जरूरी होता है। चना, स्प्राउट्स, मेथी, तिल, आंवला जैसी चीजों में नेचुरल प्रोटीन होता है, जो पचने के बाद अमीनो एसिड में टूटकर एंजाइम और हार्मोन बनाते हैं। ये बालों की जड़ों को मजबूत बनाकर उन्हें टूटने से रोकते हैं। इसके लिए आप प्रोटीन युक्त शैंपू और कंडीशनर का चुनाव भी कर सकते हैं।

इलाज- जो महिलाएं गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन करती हैं, किसी भी प्रकार की हार्मोनल बैलेंस वाली दवाइयां लेती हैं या इलाज करा रही हैं, उनके साथ भी ये समस्या हो सकती है। कैंसर के मरीजों के बाल तुरंत झड़ जाते हैं। इसकी मुख्य वजह कीमोथेरेपी है।

वजन घटाना- बहुत ज्यादा डाइटिंग करना, एकदम से वजन घटाना भी बालों के ग्रोथ में समस्या पैदा कर सकता है। डाइटिंग के दौरान आप उन सभी खाने-पीने की चीज़ों को लेना बंद कर देते हैं जिनकी शरीर को आवश्यकता होती है और जो शरीर के साथ-साथ बालों को भी पोषण प्रदान होता है।

 अन्य वजहें

थायरॉइड - थायरॉइड की प्रॉब्लम से ट्रीडोथायरॉनीन और थायरॉक्सीन हार्मोन्स का निकलना बंद हो जाता है जो शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी है। हाइपरथॉयरडिज्म से जूझ रहे व्यक्ति के अंदर इसकी मात्रा ना के बराबर हो जाती है जिससे जरूरी तत्व बालों तक नहीं पहुंच पाते। लेकिन थायरॉइड के उपचार से इसे खत्म भी किया जा सकता है। हमारे शरीर में कई प्रकार की एंटीबॉडीज बनती हैं जो अनेक प्रकार के सेल्स और टिश्यूज़ से लड़ने में मददगार होती हैं। कई बार ये भी बालों के झड़ने की वजह बन जाती है।

कई प्रकार की बीमारियां- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस(तनाव) भी बालों के झड़ने के कारण हैं। डायबिटीज से हमारे सर्कुलेटरी सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे शरीर में जरूरी पोषण और ऑक्सीजन बराबर मात्रा में नहीं पहुंच पाता। ब्लड सर्कुलेशन ठीक नहीं होने से बाल रूखे हो जाते हैं और असमय गिरने लगते हैं। इसके अलावा सिर की त्वचा पर फंगल संक्रमण के कारण भी बाल गिरने लगते हैं।

डैंड्रफ से छुटकारा दिलाता है तिल का तेल, कब्ज़ खत्म करता है गिलोय


: औषधीय पौधे हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं। सदियों से हम विभिन्न विकारों के इलाज के लिए औषधीय पौधों का उपयोग करते आ रहे हैं। गिलोय और तिल में कई बीमारियों का इलाज छिपा है। ये बिना किसी साइड इफेक्ट के हमारी कई समस्याएं हल करते हैं, जैसे सफेद बाल, कब्ज़, डायबिटीज़, वज़न बढ़ना। यह बात अलग है कि 21वीं सदी में आर्टिफिशल और केमिकल्स वाली दवाओं ( एलोपैथिक ड्रग्स) ने बहुत हद तक आम जनों का घरेलू और पारंपरिक उपचार पद्धतियों से विश्वास कम कर दिया। खैर, वजहें जो भी हैं, लेकिन सच यही है कि इस भागती-दौड़ती ज़िंदगी में हर व्यक्ति रफ्तार से चुस्त- दुरुस्त होना चाहता है। एलोपैथिक ड्रग्स कुछ समय के लिए ऐसा संभव भी कर देती हैं, लेकिन इन ड्रग्स के साइड इफेक्ट्स का भुगतान शरीर को किस हद तक करना पड़ सकता है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। खैर, आज हम आपको कुछ ऐसे नुस्खे सुझा रहे हैं जो कि पूर्ण प्राकृतिक होने के अलावा आपकी सेहत दुरुस्त करने में भी महत्वपूर्ण हैं।

तिल के बारे में
तिल अपने बीजों की वजह से प्रचलित पौधा है। इसके बीजों से खाद्य तेल प्राप्त होता है। काले तिल का उपयोग औषधि के रूप में गुणकारी माना गया है। इसके तेल में प्रोटीन, सिसेमोलिन, लाइपेज, पामिटिक, लिनोलीक एसिड और कई प्रकार के ग्लिसराइडस पाए जाते हैं।
काले बालों और रूसी मिटाने के लिए

आदिवासियों के अनुसार तिल की जड़ और पत्तों का काढ़ा बना लिया जाए और इससे बालों को धोया जाए, तो बालों का रंग काला हो जाता है। डांगी आदिवासियों की मानी जाए, तो तिल के तेल को प्रतिदिन बालों में लगाने से बाल काले हो जाते हैं और इनका झड़ने का क्रम रुक जाता है। साथ ही रूसी से भी छुटकारा मिलता है।
गिलोय के बारे में

गिलोय एक बेल है जो अन्य पेड़ों पर चढ़ती है और इसे संपूर्ण भारत में उगता हुआ देखा जा सकता है। आयुर्वेद में इस पौधे का जिक्र अक्सर देखा जा सकता है। गिलोय को गुडूची के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रमुख रसायनों में गिलोइन नामक कड़वा ग्लूकोसाइड, वसा अल्कोहल ग्लिस्टेराल, बर्बेरिन एल्केलाइड, वसा अम्ल एवं उड़नशील तेल पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और तने में स्टार्च भी मिलता है।
कब्ज़ की समस्या दूर
गुड़ के साथ गिलोय का सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि गिलोय के तने और बबूल की फल्लियों के चूर्ण की समान मात्रा सुबह-शाम मंजन की तरह उपयोग में लाई जाए, तो दांतों को ठंड या झुनझुनी लगना बंद हो जाता है।

इन पत्तियों के सेवन से नाक और मुंह से बदबू आनी बंद हो जाती है, ये हैं 8 फायदे


 पेट की मरोड़, सूजन, सांस और नाक की बदबू की समस्या हो या चर्म और गठिया जैसे रोग, सभी प्रकार की समस्याओं का अचूक इलाज है जोंकमारी (एक प्रकार का पौधा) में। इसकी पत्तियों में छिपे हैं कई प्रकार के औषधीय तत्व, जो ना सिर्फ बीमारियों से लड़ते हैं, बल्कि सांप और कुत्ते के काटने पर ज़हर का असर मिटा देते हैं।
जोंकमारी के बारे में
अक्सर पैरों से कुचला जाने वाला जोंकमारी छोटा-सा मैदानी पौधा खूब औषधीय महत्व वाला है। कई आदिवासी अंचलों में इसे जिंगनी और धब्बर भी कहा जाता है। भारत वर्ष के अनेक इलाकों में इसे कृष्ण नील भी कहा जाता है। आदिवासियों के अनुसार, यह पौधा तीखा और कड़वा होता है। इसका वानस्पतिक नाम एनागेलिस आरवेंसिस है। चलिए आज जानते है जोंकमारी से जुड़े देसी हर्बल नुस्खों के बारे में..
दूर करे सांसों की बदबू
किसी की नाक और मुंह से ज्यादा बदबू आती हो, तो इस पौधे की कुछ पत्तियों का सेवन करने से और पत्तियों को सूंघने से बदबू आना बंद हो जाती है।
सूजन, मरोड़ मिटाने में कारगर
गैस या अन्य किसी वजह से पेट में सूजन हो या मरोड़ चल रही हो, तो इस पौधे का लेप पेट के ऊपर लगाने से राहत मिलती है।
 बुखार में आराम, गठिया रोग से निजात, चर्म रोगों से छुटाकारा, जहर काटने में सक्षम, संक्रमण से बचाव।
ठीक करे बुखार
अचानक चक्कर खाकर कोई गिर पड़े और दांतो को कस बैठे, तो जोंकमारी की पत्तियों को हथेली में कुचलकर रोगी के नाक पास ले जाएं। अगर यह उसे सुंघाया जाए, तो तबीयत जल्द ही ठीक हो जाती है।
गठिया रोग में फायदेमंद
गठिया रोग में इस पूरे पौधे को कुचलकर दर्द वाले भाग पर लगाया जाए, तो आराम मिलता है। तिल के तेल में इसकी पत्तियों के रस को मिलाकर दर्द वाले हिस्सों पर लगाया जाए तो बहुत जल्दी आराम मिलता है।
मिट्टी के तेल में मिलाने से भी गठिया रोग में फायदा
राजस्थान में ग्रामीण अंचलों मे लोग जोंकमारी के साथ मिट्टी के तेल और कपूर को मिलाकर लगाते हैं। इससे गठिया रोग में काफी फायदा होता है।
चर्म रोग दूर करे
आदिवासी इसकी पत्तियों को कुचलकर नहाने के पानी में मिला देते हैं और उस पानी से स्नान किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं।
जहर काटने में मददगार
पातालकोट के आदिवासी कहते हैं कि यदि कुत्ते ने काट लिया हो, तो तुरंत जोंकमारी की पत्तियों को रगड़कर घाव पर लगाना चाहिए, जबकि डांग-गुजरात के आदिवासी इस फॉर्मूले को सांप के काटने पर उसका ज़हर उतारने के लिए आजमाते हैं। इन आदिवासियों के अनुसार ये पौधा जहर को काटता है।
संक्रमण की समस्या से निजात
इसकी पत्तियों में पाए जाने वाले रसायन बैक्टिरियल इन्फेक्शन को रोकने में बेहद कारगर हैं। त्वचा पर खुजली या संक्रमण होने की दशा में इसकी 3-4 पत्तियों को कुचलकर प्रभावित अंगों पर लगाया जाए, तो आराम मिलता है।

शरीर स्वस्थ बनाये,नुस्खे



1-सुपारी बनाए चमकदार दांत: साफ सुपारी को बारीक पीस लें। इसमें लगभग 5 बूंद नींबू का रस और थोड़ा सा काला या सेंधा नमक मिला लें। प्रतिदिन इस चूर्ण से मंजन किया करेंगे, तो दांत चमक जाएंगे।

2-चींटी भगाने के लिए लौंग: अक्सर शक्कर के डिब्बे और चावल के बोरों या बर्तन में चींटियों को घूमते फिरते देखा जा सकता है, और इससे हम सभी त्रस्त हो जाते हैं। करीब 2-4 लौंग को इन डिब्बों में डाल दीजिए और फिर देखिए चींटियां किस तरह से भागती हैं।
3-अक्सर आदिवासी खाना पकाने बाद आस-पास 1 या 2 लौंग को बर्तनों के पास रख देते हैं। इसके बाद मज़ाल है कि आस- पास कोई भी चींटी भटके।
4-गुड़हल से फूल से लाएं जूतों में चमक: करीब 4-5 ताजे गुड़हल/ जासवंत के फूलों को अपने जूतों पर रगड़ें और फिर देखिए कि
किस तरह से आपके जूतों में रंगत आती है, और जूते चमकदार हो जाते हैं।
5-नाखूनों की चमक और सुंदरता: अरण्डी के तेल को नाखूनों की सतह पर कुछ देर हल्के हाथ से मालिश करें। हर रोज़ सोने से पहले
ऐसा किया जाए, तो नाखूनों में जबरदस्त खूबसूरती और चमक आ जाती है। पाताल -कोट मध्यप्रदेश के आदिवासियों के अनुसार ऐसा करने से नाखूनों पर सफेद निशान या धब्बे (ल्युकोनायसिया) भी मिट जाते हैं।
6-नमक का पसीजना: वातावरण में नमी होने पर अक्सर नमक के पसीज जाने की शिकायत रहती है। नमक के कंटेनर में 10- 15 चावल के कच्चे दाने डाल दिए जाएं, नमक पसीजेगा नहीं।
7-सेब से टुकड़ों से दूर होगी कार के अंदर की गंध: सेब काटकर टुकड़े तैयार कर लें और इन टुकड़ों को कप या छोटी कटोरी में डालकर कार की सीट्स के नीचे फ्लोर पर ही रख दें। एक दो दिन में ये टुकड़े सिकुड़
जाएंगे। यह प्रक्रिया दोहराएं। धीरे-धीरे गंध दूर होती जाएगी।
8-कोलेस्ट्रॉल कम करना: क्या आप जानते हैं कि लहसुन की सिर्फ दो कलियों का प्रतिदिन सेवन आपके शरीर से खतरनाक कोलेस्ट्रॉल
का स्तर कम कर देता है और साथ ही उच्च रक्त चाप को सामान्य करने में मदद करता है? इसके लिए लहसुन की दो कलियों को छीलकर चबाएं। ऐसा प्रतिदिन सुबह खाली पेट किया जाए और एक गिलास पानी का सेवन किया जाए, तो यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करने के साथ-साथ आपके उच्च रक्तचाप को भी सामान्य करने में सहायक होता है। आदिवासियों के अनुसार लगातार तीन महीने तक ऐसा किए जाने से शरीर में ट्यूमर बनने की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं।
9-डायबिटीज़ नियंत्रण के लिए देसी नुस्खा: लगभग एक चम्मच अलसी के बीजों को खूब चबाया जाए और एक गिलास पानी का सेवन
किया जाए, तो ऐसा प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले करने से फायदा पहुंचता है।

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