रविवार, 12 दिसंबर 2021

RAHU or KETU and date राहु और केतु की तारीख का प्रभाव

 


आपकी कुंडली में राहु और केतुकी डिग्री देख लो । और गोचर का सूर्य उस डिग्रीके ऊपर पर कौन सी तारीख को आता है वह डेट नोट कर लो ।  मान लो की राहु आपकी कुंडली में मेष राशि में 6 डिग्री का है और केतु तुला राशि में 6 डिग्री का है तो सूर्य हर साल 20 अप्रैल के आसपास मेष में राहु की 6 डिग्री पर आता है  और 23 अक्टूबर के आसपास तुलामें केतु की  6 डिग्री के ऊपर  आता है । 

तो उदाहरण कुंडली में  राहु वाली डेट  20 अप्रैल के आसपास मतलब 15 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच जिसका भी जन्म हो ऐसा इंसान अगर आपकी जिंदगी में आता है तो.....  फिर  चाहे वह पुरुष हो या स्त्री हो । बॉयफ्रेंड हो या गर्लफ्रेंड हो । पति हो या पत्नी हो । बेटा हो या बेटी हो ।  दोस्त हो या बिजनेस में पाटनर हो .... तो आने वाले  इंसान का आपके  पिछले जन्म से कोई न कोई लेन-देन जरूर होता है । वह अपना ऋण चुकाने आपकी  जिंदगी में आया है ।   

आपके जीवन में उसके आने के बाद आपका भाग्य खुलता है । तरक्की होती है आमदनी बढ़ती है स्वास्थ्य में सुधार होता है । कार्यों में सफलता मिलती है और आपके जीवन में खुशियां आती है ।

उसी प्रकार उदाहरण कुंडलीमें  केतु वाली तारीख   23 अक्टूबर के आसपास  मतलब 18 अक्टूबर से 28 अक्टूबर के बीच  जिसका जन्म हो ऐसा कोई इंसान अगर आपकी जिंदगी में आता है तो समझ लो कि उसके साथ आपका पिछले जन्म का कोई ना कोई नेगेटिव  नाता है और वह पिछले जन्म के आपके  कर्मों का  बदला लेने और अपना  हिसाब चूकते करने और आपसे कुछ ना कुछ  लेने आया है । इसीलिए उसके आने के बाद  आपको नुकसान हो सकता है  । भाग्य हानि भी हो सकती है । उसके आने के बाद आपकी आमदनी कम होती है । जीवन में तनाव बढ़ता है । वह आपसे लेने के लिए ही आया है । बेटा बनकर आ सकता है या बीवी बनकर भी आ सकता है । बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड बन कर भी आ सकता है । 

कुंडली मैचिंग में या पार्टनर की पसंदगी में यह बात हमेशा याद रखें । बड़ी बड़ी कंपनी वाले अपना स्टाफ सिलेक्शन करने के लिए भी यह सिद्धांत का उपयोग कर सकते हैं ।

आपकी कुंडली में राहु की डिग्री और केतु की डिग्री को पकड़ो और उस डिग्री के ऊपर  कौन सी तारीख को सूर्य आता है वह तारीख को  पकड़ के चलो  । 5 दिन आगे 5 दिन पीछे चल सकते हैं ।

राहु और केतु की डिग्री बहुत ही सेंसिटिव होती है और उस डिग्री पर जब भी सूर्य आता है उस दिन आपको बहुत संभालना पड़ता है । एक्सीडेंट भी हो सकता है । कोई बुरी खबर भी आ सकती है । कोर्ट की नोटिस भी आ सकती है । किसी से झगड़ा भी हो सकता है । 

बहुत रिसर्च के बाद यह पोस्ट मैंने लिखी है । आप भी खुद अनुभव करें । 

अश्विन रावल                  25.11.2021

Death yog in kundli 8 -12 का कनेक्शन और अचानक मृत्यु

 



कभी-कभी हम देखते हैं कि इंसान 5 10 मिनट में ही दुनिया छोड़के हमेशाके लिए चला जाता है । कोई कहता है अभी आधे घंटे पहले तो मुझे मिला था या उसके साथ बात की थी । एकदम तंदुरुस्त था फिर अचानक ये क्या हो गया ? 

ज्योतिष में कोई भी घटनाके पीछे ग्रहों की कोई ना कोई वजह तो होती ही है । दुनियाकी कोई भी घटना ऐसे नहीं घटती । आज हम "अचानक मृत्यु योग "  के बारे में थोड़ी चर्चा करेंगे । 

अगर 12वे स्थान का अधिपति 8वे स्थान में बैठा हो  या 8वे स्थान का अधिपति 12वे स्थान में बैठा हो या फिर 8वे  स्थानका अधिपति और 12वे स्थानका अधिपति कहीं भी एक साथ बैठे हो तो उम्र चाहे कोई भी हो लेकर मृत्यु अचानक 2 मिनट में हो जाता है । फिर वह एक्सीडेंट हो  आत्महत्या हो या फिर मासिव हार्टअटैक । 

यहां डिग्रीको हमेशा ध्यानमें रखो ।  कभी-कभी क्या होता है की 8वे स्थानका अधिपति और 12वे स्थानका अधिपति एक साथ तो होते हैं लेकिन दोनों की डिग्रीमें बहुत अंतर होता है । ऐसे में ऐसी घटना नहीं होती । 5 7 डिग्री के अंतर में अगर यह युति होती है या प्रतियुति  होती है तो ही ऐसी आकस्मिक घटना बनती है । 

एक ग्रह 5 डिग्रीका हो और दूसरा 22 डिग्री का हो तो फिर एक दूसरेकी ऑर्बिट में  नहीं होते है ।  तो ऐसी अवस्थामें घटनाको अंजाम नहीं दे सकते । कुछ उदाहरण आपके सामने में दे रहा हूं

धनु लगन ।  मंगल और चंद्र अष्टम स्थान में 5 डिग्री के अंतर में । 77 वर्ष की आयुमें चाय पीते पीते और पत्नी के साथ बातें करते करते ही सर झुका दिया और अंतिम सांस ले ली । पत्नीको तो पता ही नहीं चला कि वह मर गए ।

मेष लगन ।  गुरु मंगल और सूर्य अष्टम स्थान में । 12वे स्थानमें केतु । गुरु और मंगल के बीच 5 डिग्री का फासला । 12वे स्थानका मालिक गुरु खुद 8वे स्थान के मालिक मंगल के साथ अष्टम स्थान में ही है ।  साथ में सूर्य है  और ऊपर से केतु की दृष्टि भी है। गुरु केतु का डिस्पोजिटर भी है ।  गैस फटने से आग लग गई और दो पांच मिनट में इस औरतकी मृत्यु । 

तुला लगन ।  बुध और शुक्र बारहवें स्थान में 2 डिग्री के अंतर में  पास पास । 40 साल की उम्र में नींद में ही अंतिम सांस ले ली । रात को 11:00 बजे तक तो परिवार के साथ बातें की थी । कर्क राशि का मंगल था इसलिए मासीव हार्ट अटैक आ गया । 

राजीव गांधी सिंह लगन । 8वे स्थान का अधिपति गुरु और 12वे स्थान का अधिपति चंद्र दोनों लग्न में अग्नि तत्व की राशिमें 6 डिग्री के अंतर में पास पास बैठे हैं । उनके साथ लग्नेश सूर्य खुद बैठा है । लग्न राहु और मंगल के बीच में पाप कर्तरी योग में है । Exploison  से 1 मिनट में डेथ हो गई । 

कन्या लगन । 8वे स्थानका अधिपति मंगल और 12वे स्थानका अधिपति सूर्य दोनो 12वे स्थानमें सिंह राशि में 28 डिग्री के है । दोनों एक ही डिग्री पर बैठे हैं । लगन पाप कर्तरी योग में है ।  21 नवंबर 2021 को 17 साल का ये लड़का मोबाइलमें शूटिंग करने के लिए  मालगाड़ी के डिब्बे के ऊपर चढ़ गया और डांस करने लगा । अचानक हाथ ऊपर के इलेक्ट्रिक वायर को टच हो गया ।  धड़ाके के साथ उस की डेड बॉडी नीचे गिर गई । अग्नि तत्व मैं बैठे हैं इसलिए इलेक्ट्रिक धड़ाके से एक ही मिनिटमें  मृत्यु । 

सिद्धांत को समझाने के लिए इतने उदाहरण काफी है । ऐसे टोटल 22 केस मैंने आज तक देखे हैं जहां 2 मिनट में मृत्यु हो गई है । और सभी 22  कुंडलीमें 8 और 12 के मालिकोंका डिग्रीकल कनेक्शन है । 

अगर यह संबंध या युति अग्नि तत्वमें है तो अग्निसे, इलेक्ट्रिसिटीसे या बिजली गिरनेसे  । पृथ्वी तत्व होता है तो मार्ग अकस्मात की संभावना बढ़ जाती है । वायु तत्व में आत्महत्या की या कहीं दब जाने की संभावना होती है । जल तत्व है तो पानीमें डूब जानेसे मृत्यु होता है । कर्क राशि में अगर मंगल या केतु है तो मासीव हार्टअटैक की संभावना बढ़ जाती है । ज्यादा संभावना अष्टम स्थान के मालिक की या 12वे स्थानके मालिककी दशा या अंतर्दशा चलती हो तब बढ़ जाती है । 

लेकिन हमेशा याद रखें की डिग्री का बहुत महत्व है । यह संबंध 5 7  डिग्री के अंदर होता है तो ही इतना आकस्मिक मृत्यु होता है ।

अश्विन रावल       24.11.2021

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

Vastu shastra : कलर करवाते समय दिशा के हिसाब से चुने सही रंग

 भवन में कलर करवाते समय दिशा के हिसाब से चुने सही रंग ...



भवन में रंगो का चयन करते समय विभिन्न दिशाओं के तत्व उनके ग्रहों और दिशाऔं के अधिपति देवताओं का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है 

शुभ कलर जहाँ वास्तु के शुभ फल को कई गुणा बढ़ा देते हैं वही अशुभ कलर हमारे जीवन की बहुत सारी समस्याओं के कारण बन सकते हैं। 

पुरे घर के लिए कोनसा कलर शुभ रहेगा और घर के अन्दर अलग अलग कमरों में कोनसे कलर करवाने से लाभ होता है इसे आपको नीचे दिये हुऐ चित्र से ..समझ में आ जायेगा 👇

घर के बाहर कलर करवाते समय ...सबसे पहले ये देखें की आपके घर की फेंसिंग कोनसी है उदाहरण के लिए अगर आपका घर दक्षिण मुखी है तो ...चार्ट में देखें दक्षिण दिशा का कलर लाल है और देवता मंगल है। इस हिसाब से आप अपने घर में लाल शेड के परिवार के कलर जैसे बिलकुल वाइट पिंक से लेकर डार्क रेड तक किसी भी पसंदीदा रंग को चुन सकते हैं। 

और घर के अन्दर किसी कमरे में कलर करवाना हो तो पुरे घर की फेंसिंग के हिसाब से या उस कमरे की अपनी दिशा के हिसाब से आप दोनों आफशन चुन सकते हैं 

अर्थात दक्षिण मुखी घर के अन्दर सभी कमरों में पिंक कलर करवा सकते हैं और अगर यह कमरा उत्तर दिशा का है तो इसमें हरे शेड से सम्बन्धित कोई भी रंग भी किया जा सकता है।  

-आपके घर प्रतिष्ठान या फ़ैक्टरी में पहले से जो रंग किया हुआ है उसको भी इस चार्ट के द्वारा चैक करें की कहीं वो तो ..अशुभ नही है 

नोट - सफ़ेद , क्रीम , और लाइट गोल्डन कलर किसी भी दिशा  में किये जा सकते हैं इनके हमेशा शुभ फल ही प्राप्त होतें हैं।  

Source - एस के मेहता 

Vastu shastra : अपने घर की दिशाएँ कैसे देखें 4

 दिशाओं का ज्ञान .. ... पुर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण इन चार दिशाओं के बारे में तो आप सबको पता ही है ..पर वास्तु शास्त्र के हिसाब से दिशाएँ ..10 होती है .. 



पुर्व व उत्तर के मध्य... ईशान कोण..  

दक्षिण व पुर्व के मध्य ..अग्निकोण 

दक्षिण व पश्चिम के मध्य ...नैऋत्य कोण 

उत्तर व पश्चिम के मध्य ...वायव्य कोण 

एक आकाश और दुसरी ...पाताल।  

इस प्रकार इन दस दिशाओं को ध्यान में रखते हुऐ किसी भवन की प्लानिंग करनी चाहिए 

अपने घर की दिशाएँ कैसे देखें ....

अक्सर लोगों को ये कन्फ़्यूजन रहता है की ...किसी भवन की सही दिशा कोनसी है ..हम जब भवन के बाहर से अन्दर जाते है उस समय हमारा मुँह जिस दिशा मैं होता है उसको माने या किसी घर से बाहर आते समय हमारा मुँह जिस दिशा में होता है उसको सही माने  

तो सबसे पहले ये जान लें की ...भवन अपने आप में एक पुरूष है और जिस दिशा में इस पुरूष का मुख है अर्थात मुख्य द्वार है वही इसकी सही दिशा है मतलब आप जब घर से बाहर निकल रहे हैं और जिस दिशा में आपका मुँह होता है वही उस भवन की दिशा माननी चाहिए।  

जब पुरी भुमि की दिशाएँ देखनी हो तो उसके मध्य मैं कम्पास (दिशा सूचक ) रखे। 

जब निर्माण की देखनी हो तो पुरे निर्माण के मध्य कम्पास रखे 

जब किसी कमरे की दिशाओं का निर्धारण करना हों तो उस कमरे के मध्य में कम्पास रखकर आप बड़ी आसानी से उस कमरे की दिशाओं का पता लगा सकते हैं।  

Source - एस के मेहता 

Vastu shastra : बैक एरिया 3

 किस दिशा में कितनी जगह छोड़कर घर बनाये  ( सेड बैक एरिया ) ... 



किसी भी भवन का निर्माण करते समय ...वास्तु के हिसाब से 

सबसे ज्यादा खुली जगह ...उत्तर दिशा में होनी चाहिए 

उत्तर से कम...पुर्व दिशा में 

पुर्व से कम...पश्चिम दिशा में 

और पश्चिम से कम ...दक्षिण दिशा में हो तो ...ऐसे भवन सर्वश्रेष्ठ होते हैं 

अर्थात सबसे ज्यादा उत्तर दिशा में और सबसे कम दक्षिण दिशा में सेड बैक एरिया छोड़कर घर बनाना ज्यादा शुभ होता है 

परन्तु ये नियम बड़ी जगहों पर या फ़ार्म हाउस में तो लागु किया जा सकता है पर शहरों में जगह की कमी की वजह से संभव नही है क्योंकि यहाँ सरकारी नियमों के हिसाब से सेड बैक एरिया छोड़ना पड़ता है ....ऐसी स्थिति में वास्तु दोष कम करने के लिए ...

उत्तर दिशा का फर्श लेवल सबसे नीचा रखें  

पुर्व दिशा का उत्तर से ऊँचा ... 

पुर्व से ..पश्चिम का फर्श ऊँचा व 

पश्चिम से ...दक्षिण दिशा का फर्श ऊँचा रखने से ...

सेड बैक एरिये से उत्पन्न हुऐ वास्तु दोषों के दुश्प्रभाव को बहुत कम किया जा सकता है।

एस के मेहता 

Vastu shastra : ढलान 2

 ढलान..... 



वास्तु विज्ञान में ढलान का सर्वाधिक महत्व है 

घर,प्रतिष्ठान या फ़ैक्टरी की भूमि या छत का ढलान अगर सही दिशा मे हैं ...तो उसके आधे वास्तु दोष स्वत: ही दुर हो गये ...ऐसा मानना चाहिए 

ढलान चाहे किसी कमरे के फर्श का हो.... 

भूमि का हो...

छत का हो ...

टीन शेड का हो ...

या घर के बाहर.. रोड़ का हो 

सबका वास्तु विज्ञान में एक ही सिम्पल फ़ार्मूला है की ढलान हमेशा ...उत्तर, पुर्व या ईशान कोण में ही होना चाहिए 

सबसे नीचा ...ईशान कोण(NE), 

ईशान से ऊँचा ...वायव्य कोण( NW)

वायव्य से ऊँचा ...अग्निकोण (SE) और 

अग्निकोण से ऊँचा ...नैऋत्य कोण(SW) होना शुभ रहता है अर्थात पुरा ढलान नैऋत्य कोण से ईशान कोण की तरफ़ होना चाहिए 

आप जिस घर में रहते हैं ... या जिस बैडरूम में सोते हैं तुरन्त उसके फर्श का ढलान चैक किजिए अगर यह दक्षिण, पश्चिम, वायव्य या आग्नेय दिशा में हैं तो यह शुभ नही है क्यों की धीरे धीरे आपका स्वास्थ्य और धन इससे नष्ट हो जायेगा और आपको पता भी नही चलेगा।   

नोट - किसी भी चीज़ का आधा ढलान शुभ और आधा अशुभ हो ...यानि आधा पुर्व व आधा पश्चिम या आधा उत्तर व आधा दक्षिण तो ऐसा चल सकता है क्यों की जो भूमि बीच में से ऊँची व चारों तरफ़ से नीची हो उसे वास्तु की द्रष्टि से शुभ माना जाता है। 

 source - एस के मेहता 

Vastu shastra : पंचमहाभूत और वास्तु 1

 पंचमहाभूत...



इस सृष्टि की रचना पंचमहाभूतों जल वायु अग्नि पृथ्वी और आकाश से मिलकर हुई है 

भवन की किस दिशा में कोनसा तत्व होना चाहिए ये ज्ञान हमें वास्तु विज्ञान से मिलता है 

उत्तर पुर्व - ईशान में ...जल , 

दक्षिण पुर्व -अग्निकोण में ...अग्नि ,

 उत्तर पश्चिम - वायव्य में ...वायु 

दक्षिण पश्चिम - नैऋत्य में ...पृथ्वी 

और मध्य में ...आकाश तत्व की स्थापना करनी चाहिए।


श्रोत -  एस के मेहता 

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