शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

कालसर्प योग/दोष व इसका सटीक उपाय

 ये उपाय आप वैसे तो किसी भी दिन कर सकते हैं पर सोमवार हो या मास शिवरात्रि हो या मुख्य शिवरात्रि हो या नागपंचमी को करें तो सबसे बढ़िया है । इसके लिये आपको चाहिये बालू मिट्टी ... मिट्टी कहीं खुदाई में नीचे के मिल जाये तो अति उत्तम वरना सही जगह से ज़मीन खोद के मिट्टी लेवें , नदी किनारे की हो या समुद्र किनारे की हो तो भी कोई हर्ज नही । उस मिट्टी को छान कर घर ले आएं जो लोग किसी पोखर, तालाब, नदी या समंदर के किनारे पूजा करना चाहते हैं तो कोई नही बल्कि सर्वश्रेष्ठ है । इस मिट्टी में थोड़ा दूध, गंगाजल, गौमूत्र का छांटा दे देवें और एक शिवलिंग का निर्माण करें ।सभी धातुओं, पदार्थों में मिट्टी का शिवलिंग सर्वश्रेष्ठ होता है । स्वयं श्रीराम जी ने मिट्टी की शिवलिंग की स्थापना की थी जो अब रामेश्वरम के नाम से प्रसिद्ध है । ऐसी शिवलिंग की विधिवत पूजा करें । बिल्कुल थोड़ा दूध या जल ही चढ़ाएं । पूजा करने के बाद जब शाम को या अगले दिन वह शिवलिंग की मिट्टी सूख कर मिट्टी के ढेर में बदल जायेगी , अब आप चाहें तो इस मिट्टी को एक गमले में डाल कर कोई भी पौधा लगा सकते हैं या तुलसी के पौधे को छोड़कर अन्य पौधों में डाल सकते हैं ।

अब आप सोचेंगे कि इतने छोटे से कार्य से कालसर्पयोग हट जायेगा । तो बताना चाहूंगा कि भले देखन में छोटे लगे, पर घाव करे गंभीर है ये प्रयोग .... सबसे पहली बात तो मिट्टी का शिवलिंग सब धातुओं और पदार्थों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है । जैसा मैं पहले बता चुका हूं ।दूसरा ये कि शिवलिंग का निर्माण अपने हाथों। से करना ही बहुत बड़ी बात है , आपके हाथों की लकीरों में जो अशुभता है उसको शुभता में बदलने का साहस है इस प्रयोग में ... इसे आप हर साल भी कर सकते हैं । इससे भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होती है । भोलेनाथ का निवास घर में बना रहता है । करके देखिये ये प्रयोग आपको असीम कृपा की प्राप्ति होगी ।
जिन व्यक्तियों ने हजारों लाखों रुपये कालसर्प योग/दोष की शांति में खर्च कर दिये हैं फिर भी उनको लाभ नही मिला व जो भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए ये प्रयोग करते हैं, उनको हज़ार शिवलिंग की हज़ार पूजा करने का पुण्य इस एक बार की पूजा में मिलेगा । वैसे भी मैं तो व्यक्तिगत रूप से कालसर्प योग/दोष को नही मानता मैंने ये उपाय सिर्फ भोलेनाथ की कृपा प्राप्ति के लिये बताया है पर अगर जो लोग कालसर्प योग/दोष को मानते हैं या इसको लेकर असमंजस में हैं या जो लोगों को लगता है हम महंगी पूजा afford नही कर सकते , वो एक बार ये प्रयोग कर के देखें ।
अंत मे मेरा अनुरोध उन विद्वानों से है जो कसलसर्प योग/दोष के पक्ष में हैं वो वाद-विवाद न करें । हर किसी के तथ्य व विचार अलग हैं , तो किसी तरह का विवाद न करते हुए भोलेनाथ जी की जय बोलें ।

हनुमान चालीसा व उसको करने का असरकारी तरीका

 हनुमान चालीसा एक ऐसा पाठ है जो अधिकांश व्यक्ति अपनी नित्य पूजा में करते ही हैं। पर अधिकांश व्यक्तियों को इसका समुचित लाभ नही मिल पा रहा है ,उसका कारण है कि हम हनुमान चालीसा को गलत तरीके से पढ़ रहे हैं । इसकी एक छोटी सी विधि है जिसको करने से हनुमान चालीसा का लाभ आपको मिलेगा वरन इसकी शक्ति का भी आभास होने लगेगा ।यह विधि इस प्रकार है कि जब भी आप हनुमान चालीसा का पाठ करें उससे पूर्व 108 बार श्रीराम नाम का उच्चारण करें फिर हनुमान चालीसा व उसके बाद फिर 108 बार श्रीराम नाम का उच्चारण करें । इस तरह से ये कवच का कार्य करता है । कहा जाता है कि सीधे हनुमान चालीसा का पाठ करने से इसकी शक्ति भटक जाती है , इधर उधर फैल जाती है । इसको एकत्र करने के लिये हनुमान चालीसा के आगे व पीछे 108-108 बार श्रीराम नाम लगाना चाहिये । ये एक कैप्सूल की तरह काम करता है । एक कवच एक ताबीज़ की तरह ..इससे चालीसा की शक्ति ऊर्जा आपके शरीर में ही समाने लगती हैं । करके देखें अवश्य लाभ मिलेगा ।

गुरु की महादशा प्रयोग

 वे सभी व्यक्ति जिनकी गुरु की महादशा अच्छी नही चल रही है , और जिनका गुरु नीच का हो, पीड़ित हो अथवा पापी हो वह सभी व्यक्ति गुरु की दशा सुधारने के लिये प्रयोग कर सकते हैं । एक पीतल के लोटे में दूध लेवें उसमें केसर की कुछ पत्तियां डाल देवें , एक चुटकी बेसन, थोड़ा बूरा मिला लेवें और बृहस्पतिवार के दिन शिवलिंग पर चढ़ा आएं । ध्यान रहे शिवलिंग के अलावा किसी और पर यह न चढ़ावें , चढ़ाने के बाद मंदिर में न रुकें न प्रार्थना करें न चढ़ाते हुए किसी मंत्र का जप करें । सीधे शब्दों में कहूँ तो ये आपको शिवलिंग पर ढोल के आ जाना है । बृहस्पतिवार के अलावा ये प्रयोग न करें ।

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दुर्गा बीसा यंत्र : एक चमत्कारी यंत्र उसके महत्व और लाभ

 हिंदू धर्म शास्त्रों में बड़े पैमाने पर यंत्र विद्या का जिक्र मिलता है। ग्रंथों में तंत्र, मंत्र और यंत्र, इन तीनों मार्गों को जीवन सुखमय बनाने का मार्ग बताया गया है। इनमें से आम लोग तंत्र से दूर ही रहना पसंद करते हैं और मंत्र सिद्ध करना आसान नहीं है। ऐसे में तीसरा मार्ग बचता है यंत्र। यंत्र कुछ विशेष प्रकार की ज्यामितिय आकृतियों का संयोजन होता है, जिसे किसी देवी या देवता विशेष के लिए बनाया जाता है। शास्त्रों में यंत्रों को साक्षात देवी-देवता का स्वरूप कहा गया है। शास्त्रों में मंत्र को देवी-देवताओं की आत्मा कहा गया है तो यंत्र को उनका शरीर। यह बात इस मंत्र से सिद्ध हो जाती है 'यंत्र देवानां गृहम्" अर्थात यंत्र देवताओं का निवास स्थान है।

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दुर्गा बीसा यंत्र
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यंत्र की पूजा करने से समस्त प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में अनेक प्रकार के यंत्र बताए गए हैं, जो विभिन्न् कामनाओं की पूर्ति के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। उन्हीं में से एक यंत्र है दुर्गा बीसा यंत्र। यह एक ऐसा चमत्कारिक यंत्र है जिसमें स्वयं देवी दुर्गा निवास करती है। शास्त्रों का कथन है कि सिद्ध किया हुआ दुर्गा बीसा यंत्र अपने पास रखने या धारण करने से धन की हानि नहीं होती है। दुर्घटना से बचाव होता है। शत्रुओं का नाश होता है और समस्त प्रकार के बुरे दिनों से रक्षा होती है। नवरात्रि में इस यंत्र की पूजा का विशेष महत्व है। इसे सिद्ध करने के लिए नवरात्रि सबसे अच्छा समय माना गया है।
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क्या होता है दुर्गा बीसा यंत्र
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दुर्गा बीसा यंत्र एक त्रिकोण की तरह होता है जिसमें एक केंद्र और उसके आसपास नौ त्रिकोण खाने होते हैं। इनकी जमावट इस तरह होती है कि यह एक त्रिकोण की तरह नजर आता है। इससे अलग-अलग खानों में 1 से 9 तक के अंक लिखे होते हैं , मार्केट में यह तांबे, अष्टधातु, चांदी, सोना, क्रिस्टल आदि धातुओं से बना हुआ मिलता है। घर में इसे बनाने के लिए भोजपत्र पर अनार की कलम और अष्टगंध की स्याही से लिखा जाता है। इसके बाद इसका षोडशोपचार पूजन करके दुर्गा सप्तशती के श्लोकों से सिद्ध किया जाता है। 'ऊं दुं दुं दुं दुर्गायै नम:" मंत्र की एक माला से सिद्ध किया जाता है। सिद्ध होने के बाद इसे चांदी के ताबीज में भरकर अपनी दाहिनी भुजा में बांधें या गले में पहनें। इसे चांदी की डिबिया में रखकर तिजोरी में भी रखा जा सकता है।
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दुर्गा बीसा यंत्र के लाभ
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यह सिद्ध यंत्र जिसके पास होता है, स्वयं मां दुर्गा समस्त संकटों से उसकी रक्षा करती है। इस यंत्र के प्रभाव से कभी धन हानि नहीं होती। दुर्गा बीसा यंत्र को धन प्रदायक माना गया है। इससे लक्ष्मी की अनुकूलता प्राप्त होती है। दुर्गा बीसा यंत्र साथ में होने से शत्रु हावी नहीं हो पाते। शत्रु शांत होते हैं। उनसे रक्षा होती है। दुर्घटना में रक्षा होती है। दुर्गा बीसा यंत्र को अपने वाहन में लगाने से दुर्घटना में मृत्यु नहीं होती। बुरी नजर, जादूटोना, काला जादू आदि का प्रभाव शून्य हो जाता है। सभी नवग्रह दोष, कुंडली के अन्य दोषों का शमन होता है ।
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बीसा यंत्र कैसे प्राप्त करें ?
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बाजार में तांबे, चांदी अथवा सोने के भी यंत्र पूजा योग्य बनाये जाते हैं , जिसे आप अपने मंदिर में स्थापित करके लाभ ले सकते हैं अथवा ये गले के पेन्डेन्ट रूप में उपलब्ध है । इसकी सबसे खास बात ये है कि बहुत कम दाम में ये उपलब्ध है । आज बाजार में हज़ारों लाखों के रत्न या अन्य वस्तुएं लोग खरीदते हैं जबकि ये बेहद कम कीमत में उपलब्ध हो जाता है , और अन्य वस्तुओं से अति शीघ्र असर दिखाता है । मैंने खुद पर व अन्य लोगों पर इसके अभूत प्रयोग किये हैं , सभी ने सकारात्मक होना बताया है । हमारे द्वारा दुर्गा बीसा यंत्र संक्रांति, होली-दीवाली, ग्रहण, नवरात्रों में विशेष पूजा पद्वति से इस यंत्र को तैयार किया जाता है । इच्छुक व्यक्ति संपर्क कर सकते हैं ।

धन संबंधी और कर्ज़ संबंधी परेशानी का सरल उपाय

लेखक - पी. ए. बाला

जो भी व्यक्ति धन संबंधी , कर्ज़ संबंधी परेशानियों से गुज़र रहे हैं । वह व्यक्ति नित्य प्रातः 3:00-3:30 बजे उठ कर अपने पलंग पर ही "वेंकटेश सुप्रभातम" सुनें । जो पढ़ सकते हैं वह पढ़ें , अन्यथा सुनें । एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी जी की आवाज़ में बेहद दिव्य है । इसके पश्चात आप वापिस सो सकते हैं । सुप्रभातम श्रीहरि को उठाने के लिये किया जाता है , कई विद्वान ये भी मत रखेंगे कि आप विष्णु जी को जगा कर खुद वापिस कैसे सो सकते हैं .. सच मानिये जब आप इस प्रयोग को करेंगे तो पाएंगे थोड़े दिन में आपकी दिनचर्या बदल गई है , आप स्वयं स्वेच्छा से ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाया करेंगे ।


मनोकामना इच्छापूर्ति के लिये हनुमान चालीसा राम बाण उपाय

लेखक - पी. ए. बाला 

आज के युग में हर इंसान किसी न किसी मनोकामना ,इच्छा को लेकर जी ही रह होता है । वो किसी भी प्रकार की हो सकती है , और हर इंसान उस इच्छापूर्ति के लिये भरसक प्रयास भी करता है । चाहे वो ज्योतिष के माध्यम से हो या अन्य फिर भी सफल नही हो पा रहा , ऐसी स्थिति इंसान के लिये बड़ी कष्टदायक होती है, कि चाह कर भी वो कुछ नही कर पाता । ऐसी स्थिति से उबरने के लिये आपको एक राम बाण प्रयोग बताता हूं, जो कि बड़ा तीव्र है तुरंत फायदा देने वाला है चूंकि मैं उसे राम बाण उपाय कह ही रह हूँ तो इसका तात्पर्य यही है कि ये उपाय कभी असफल नही होता । ये उपाय प्रायः सभी जानते हैं पर तरीका क्या है इसका उससे लोग अनभिज्ञ हैं , तो आज हम उसी तरीके के बारे में जानेंगे । उपाय बेहद आसान है परन्तु ये परिश्रम मांगता है , अगर आपने जान लगा कर ये कर लिया तो निश्चित मत है कि आपके कार्य को सफल होने से कोई नही रोक सकता । उपाय इस प्रकार है :-

आपको किसी भी मंगलवार या शनिवार को 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना है । इस विधि से :--- जिस भी दिन आप ये करें कोशिश करें उस दिन प्याज-लहसुन का प्रयोग न करें , अगर करते भी हैं तो इस साधना से 2 घंटे पहले खाना खायें और साधना से पहले नमक के पानी से कुल्ला करके अच्छे से हाथ मुँह धो कर , नहा सके तो और बेहतर है ।लाल आसन लेकर उत्तर या पूर्व की तरफ मुख करके बैठें । साथ में 108 दाने एक कटोरी में चने की दाल ले कर बैठे , एक खाली कटोरी ले कर बैठें । एक चने की दाल हाथ में लेकर सबसे पहले 108 बार श्रीराम नाम का जप करें, फिर हनुमान चालीसा का पाठ करें और ऐसे 108 बार चालीसा का पाठ करें । श्रीराम नाम आपको शुरू में एक बार और अंत में 108 चालीसा पाठ के बाद करना है । साधना के नियम इस प्रकार हैं :-
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1. यह साधना बेहद श्रद्धा और विश्वास की है , इसमें किसी प्रकार की वैसे तो भौतिक चीजों जैसे तस्वीर, चौकी, दीया-बत्ती , प्रसाद, माला की आवश्यकता नही है । फिर भी आप इन सब के साथ करना चाहें तो कर सकते हैं । इसके लिये जरूरी है कि पूरे साधना के समय दीया जलता रहना चाहिये ।
2. उपरोक्त भौतिक चीजों के अलावा करने पर सिर्फ आपको आसन और दिशा का ध्यान रखना है । चने की दाल भी सम्भव न हो तो उंगलियों पर भी गिनती कर सकते हैं ।
3. इस साधना को करने में 3-4 घंटे या उससे ज्यादा का वक़्त भी लग सकता है । इस पूरे साधना काल में आपको आसन नही छोड़ना है बाकी आप हाथ पैर हिला डुला सकते हैं ।
4. इस साधना को ऐसे समय करें जब रात को बीच में 12 अवश्य बजें ।
5. साधना के बाद प्रयोग की गई चने की दाल को लाल कपड़े में छोटी पोटली बना कर या तो अपने जेब में रखें या तिजोरी में रखें ।
6. साधना के दौरान आपका शरीर कई बार आपका साथ छोड़ने लगेगा । आपकी हिम्मत जवाब देने लगेगी, शरीर के कई हिस्सों से दर्द निकलेगा पर आपको हिम्मत रख कर एक बार ये पूरा साधना करनी है । दरअसल वो पीड़ा आपके शरीर को होती है वो आपकी नकारात्मक ऊर्जा आपके शरीर से निकल रही होती है ।
7. जब आप साधना पूरी कर लें तो "जयश्रीराम" बोल के आसन छोड़ देवें व आसन को लपेट के रख देवें और लघुशंका वगैरह कर के सीधा बिना कुछ बोले या किसी से बात किये हुए साधना स्थल पर जमीन पर ही सो जाएं अगर ऐसा संभव न हो तो बिस्तर में जा कर लेट जाएं ।
8. साफ सफाई और पवित्रता का ध्यान रखें ।
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यह साधना विशेष फलदायी है और आजमाई हुई है , इसके कई सफल प्रयोग मैंने स्वयं के जीवन में किये हैं, और जिनको भी यह साधना बताई गई है उनके सभी के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं । यह साधना मैंने कई ऐसे परिवारों को बताई है जिनके परिजन जेल में थे , जो बिना किसी गुनाह के जेल में सज़ा भुगत रहे थे , जिनको बाहर निकलने का कोई अवसर नही मिल रहा था , उन्होंने जेल में रहकर ये साधना सिर्फ श्रद्धा और विश्वास से पूरी की और बाहर निकलने के बाद उनके द्वारा बताया गया कि जेल में बिना किसी सामग्री, सामान , आसन के रात को ये साधना की और परिणामस्वरूप हम बाहर हैं और निश्चित ही कोर्ट केस भी जीतेंगे और वे जीते भी ...कहने का तात्पर्य यह है कि अगर आपकी इच्छा, मनोकामना सही है, आप सही हैं । बस आपको समर्पण भाव से श्रद्धा और विश्वास से ये साधना करनी है , भले आपके पास कोई भौतिक सुविधा न हो तब भी .... प्रभु आपकी जरूर सुनेंगे और आपके कष्टों को हर लेंगे ।
धन्यवाद
।।जय श्री राम।।

विवाह में देरी व बाधा, सुखी गृहस्थ जीवन का शुद्ध सात्विक उपाय

 लेखक- पी. ए. बाला

आज के समय में विवाह में देरी होने भी एक विकट समस्या है। कई जातक स्वयं की शादी न होने के कारण परेशान रहते हैं । कई के माता-पिता अपने बच्चों की शादी को लेकर चिंतित रहते हैं ।इसके कई कारण है जैसे मांगलिक दोष या अन्य दोष.. इसके अतिरिक्त एक समस्या ये भी है कि शादी होने के बाद परिवार अच्छा मिले, जीवनसाथी अच्छा हो .. दाम्पत्य जीवन सुख से बीते व जिनकी शादी तो हो गई है पर दाम्पत्य जीवन में सुख नही है , पति-पत्नी में अनबन व क्लेश रहता है .. लड़ाई झगड़े बहुत रहते हैं । इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिये एक सुंदर सात्विक प्रयोग बता रहा हूँ , करके देखिये लाभ होगा । ये उपाय श्रद्धा के ऊपर हैं आप श्रद्धा रखते हैं और मानते हैं तो सब कुछ है अन्यथा तो कुछ नही है । जिनको लगता है बहुत कुछ करके देख लिया कुछ फायदा नही है तो उनसे कहना है बहुत कुछ में एक ये भी करके देख लीजिये , इसमें खर्चा भी कुछ खास नही है .. करके देखिये प्रार्थना कभी व्यर्थ नही जाती । उपाय इस प्रकार है :-


शुक्ल पक्ष के किसी भी बृहस्पतिवार को अपने नजदीक के किसी मंदिर में जहां लक्ष्मीनारायण जी का विग्रह हो उनको पीले फूलों का युगल हार पहनावें । युगल हार का मतलब है कि एक ही माला जो लक्ष्मीनारायण भगवान को एक साथ पहनाई जाये । इसके साथ ही आपको सवा किलो केले व पंडित जी को श्रद्धानुसार दक्षिणा देनी है । मंदिर और विग्रह ऐसा हो जहां आप पंडित जी की मदद से प्रभु को हार अपने हाथों से पहना सकें । जहां ऐसी व्यवस्था न हो तो फिर पंडित जी को कहकर अपने सामने ही पहनवाईये । प्रभु से प्रार्थना कीजिये निश्चित ही पूरी होगी । जो लोग प्रेम विवाह करना चाहते हैं वह भी यह प्रयोग कर सकते हैं । इस प्रयोग से गुरु और शुक्र दोनों के शुभ फल प्राप्त होंगे ।
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ध्यान देने योग्य बातें :-
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1. हार एक ही धागे में बना हो , क्योंकि अक्सर माला तैयार करने वाले लोग दो माला या तीन माला को तोड़कर गांठ बांधकर दे देते हैं अतः उनसे कहियेगा की एक ही माला बनायें ।
2. जिनका यह प्रश्न हो कि घर में तस्वीर पर यह उपाय कर सकते हैं क्योंकि आस पास कोई लक्ष्मीनारायण जी का मंदिर नही या मंदिर में विग्रह नही है । उनसे कहना है कि ऐसा मंदिर ढूँढिये जरूर मिलेगा । घर पर करना चाहें तो कर सकते हैं क्योंकि श्रद्धा ही सब कुछ है , पर मंदिर में करें तो श्रेष्ठ है ।
3. जिस भी मंदिर में आप ये करें उससे एक दिन पहले पुजारी जी से बात कर लेवें व माला का माप आदि ले लेवें , क्योंकि कई बार माला छोटी पड़ जाती है या बड़ी पड़ जाती है । व आपको भटकना न पड़े इसके लिये पहले से तैयारी कर लीजियेगा ।

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