शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

विवाह में देरी व बाधा, सुखी गृहस्थ जीवन का शुद्ध सात्विक उपाय

 लेखक- पी. ए. बाला

आज के समय में विवाह में देरी होने भी एक विकट समस्या है। कई जातक स्वयं की शादी न होने के कारण परेशान रहते हैं । कई के माता-पिता अपने बच्चों की शादी को लेकर चिंतित रहते हैं ।इसके कई कारण है जैसे मांगलिक दोष या अन्य दोष.. इसके अतिरिक्त एक समस्या ये भी है कि शादी होने के बाद परिवार अच्छा मिले, जीवनसाथी अच्छा हो .. दाम्पत्य जीवन सुख से बीते व जिनकी शादी तो हो गई है पर दाम्पत्य जीवन में सुख नही है , पति-पत्नी में अनबन व क्लेश रहता है .. लड़ाई झगड़े बहुत रहते हैं । इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिये एक सुंदर सात्विक प्रयोग बता रहा हूँ , करके देखिये लाभ होगा । ये उपाय श्रद्धा के ऊपर हैं आप श्रद्धा रखते हैं और मानते हैं तो सब कुछ है अन्यथा तो कुछ नही है । जिनको लगता है बहुत कुछ करके देख लिया कुछ फायदा नही है तो उनसे कहना है बहुत कुछ में एक ये भी करके देख लीजिये , इसमें खर्चा भी कुछ खास नही है .. करके देखिये प्रार्थना कभी व्यर्थ नही जाती । उपाय इस प्रकार है :-


शुक्ल पक्ष के किसी भी बृहस्पतिवार को अपने नजदीक के किसी मंदिर में जहां लक्ष्मीनारायण जी का विग्रह हो उनको पीले फूलों का युगल हार पहनावें । युगल हार का मतलब है कि एक ही माला जो लक्ष्मीनारायण भगवान को एक साथ पहनाई जाये । इसके साथ ही आपको सवा किलो केले व पंडित जी को श्रद्धानुसार दक्षिणा देनी है । मंदिर और विग्रह ऐसा हो जहां आप पंडित जी की मदद से प्रभु को हार अपने हाथों से पहना सकें । जहां ऐसी व्यवस्था न हो तो फिर पंडित जी को कहकर अपने सामने ही पहनवाईये । प्रभु से प्रार्थना कीजिये निश्चित ही पूरी होगी । जो लोग प्रेम विवाह करना चाहते हैं वह भी यह प्रयोग कर सकते हैं । इस प्रयोग से गुरु और शुक्र दोनों के शुभ फल प्राप्त होंगे ।
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ध्यान देने योग्य बातें :-
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1. हार एक ही धागे में बना हो , क्योंकि अक्सर माला तैयार करने वाले लोग दो माला या तीन माला को तोड़कर गांठ बांधकर दे देते हैं अतः उनसे कहियेगा की एक ही माला बनायें ।
2. जिनका यह प्रश्न हो कि घर में तस्वीर पर यह उपाय कर सकते हैं क्योंकि आस पास कोई लक्ष्मीनारायण जी का मंदिर नही या मंदिर में विग्रह नही है । उनसे कहना है कि ऐसा मंदिर ढूँढिये जरूर मिलेगा । घर पर करना चाहें तो कर सकते हैं क्योंकि श्रद्धा ही सब कुछ है , पर मंदिर में करें तो श्रेष्ठ है ।
3. जिस भी मंदिर में आप ये करें उससे एक दिन पहले पुजारी जी से बात कर लेवें व माला का माप आदि ले लेवें , क्योंकि कई बार माला छोटी पड़ जाती है या बड़ी पड़ जाती है । व आपको भटकना न पड़े इसके लिये पहले से तैयारी कर लीजियेगा ।

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