शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

सर्व मनोकामना सिद्धि के लिये त्रिधातु का अचूक रामबाण प्रयोग

 लेखक: पी. ए. बाला

आज किसी भी प्रकार का ज्ञान न देते हुए आप सभी को ऐसे उपाय या प्रयोग के बारे में बताता हूँ जो कि सिद्ध है, आजमाया हुआ है । मैंने पेज पर कई लोगों को परेशान होते देखा है , कई प्रकार की परेशानियों से त्रस्त हैं । किसी न किसी पोस्ट पर अधिकतर अपने किसी ग्रह के कारण पूछताछ करते मिल जाते हैं। आज के समय में हर व्यक्ति किसी न किसी परेशानी से दुखी है .. चाहे वो कर्ज़ , बीमारी, ग्रह दशा, कुंडली के बहुत सारे बुरे योग, पित्र दोष, संतान प्राप्ति, विवाह, तलाक, लड़ाई झगड़े, नौकरी, तरक्की, ज़मीन जायदाद, कोर्ट कचहरी इत्यादि समस्याओं से जूझ रहा है । अब ऐसे में किस किस ग्रह का या क्या क्या उपाय करें कि सब सुचारू रूप से चल सके , वो भी तब जब आजकल के समय न तो किसी के पास पैसा है बार बार लगातार उपाय करने का , न समय है । हर किसी व्यक्ति को किसी न किसी रूप में त्वरित सुकून चाहिये ही ,ऐसे में आपको ऐसे सिद्ध उपाय के बारे में बताने जा रहा हूँ जो हल्का खर्चीला तो है परंतु अगर एक बार दुख सुख पाकर ये उपाय कर लिया तो फिर आपको वापिस पीछे मुड़ कर देखने की जरूरत नही पड़ेगी । उपाय इस प्रकार है :-

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गुरुपुष्य नक्षत्र के दिन अपने किसी जानकार सुनार से अपने सामने बैठ कर एक त्रिधातु का छल्ला जिसमें तांबा 65% सोना 20% चांदी 15% हो , आप चाहे तो तीनों धातु के तारों को समान रूप से मुड़वा कर भी छल्ला तैयार कर सकते हैं , परन्तु मैं ठोस छल्ले को श्रेष्ठ मानता हूं । ये आपकी सीधे हाथ की रिंग फिंगर के नाप से बनेगा । ये आपके ऊपर है कि आप कितने वजन का बनवा रहे हो ... आप जितना भी वजन का बनवाएं पर ध्यान रखें कि उसमें मात्रा ऊपर बतायी मात्रा के अनुसार हो, इसको अपने सामने बैठ के बनवाएं । छल्ले को आप को उसी दिन किसी भी मंदिर के अंदर पीपल के पेड़ पर तने पर छुपा देना है अथवा बांध देना है, ध्यान रहे कि छल्ला तने से स्पर्श करता हुआ हो । उसको इस तरह से छुपाएं की न वो किसी को नज़र नही आये, ताकि कोई निकाल न सके । ठीक 5 दिन बाद उस छल्ले को त्रिदेवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश व पीपल की आज्ञा लेकर अपने साथ ले आएं और शिवलिंग के ऊपर रख कर गंगाजल व दूध से अभिषेक करें, ध्यान रहे अभिषेक करते समय छल्ला शिवलिंग पर स्पर्श करता रहे । शिवजी की आज्ञा लेकर छल्ले को हाथ में रख कर 108 बार "ॐ नमः शिवाय" का जप करें और घर ले आएं । एक कटोरी में गंगाजल लेकर उसमें छल्ले को डुबोकर सूर्यदेव के सामने 15 मिनट रखें और उसके बाद उसको ले आएं और पूर्व या उत्तर मुखी होकर अपने सामने एक पाटे अथवा चौकी पर पीला रुमाल बिछा कर छल्ले को उसमें रख देवें , छल्ले को केसर का इत्र लगावें । एक दिया प्रज्ज्वलित करें उसकी तिलक, फूल , धूप-दीप आदि देकर पूजा करें , उसमें एक हल्दी की साबुत गांठ , निम्बू व 11 लौंग रखें । उसके पश्चात 3 माला "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करें । इसके पश्चात 108 साबुत गुलाब की पंखुरी एक प्लेट में रखें और निम्न मंत्र का जप करते हुए एक-एक पंखुरी उस छल्ले रुमाल में चढ़ाते जायें , इस तरह आपको 108 बार मंत्र बोलना है और 108 गुलाब की पंखुरी उसपर चढ़ानी है ।
मंत्र इस प्रकार है :-
"देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥"
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इसके बाद इस रुमाल को समस्त सामग्री समेत बांध कर अपने पूजा घर में अगले शुक्लपक्ष के पहले बृहस्पतिवार तक रोज धूप दीप दिखाते हुए रखना है । अगले शुक्लपक्ष के पहले बृहस्पतिवार को सूर्योदय के समय इस रुमाल को खोल कर छल्ला अपनी रिंग फिंगर में "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करते हुए धारण कर लेवें । उसी दिन छल्ले के निमित यथाशक्ति दान करें, बाकी सामग्री को उसी रुमाल में बांध कर नदी, तालाब, कुएं में डाल देवें ध्यान रहे आपको सामग्री पीपल पर नही चढ़ानी । उसके बाद आप अपने जीवन में होने वाले चमत्कार और बदलाव को महसूस करें । आप पाएंगे कि कुछ ही दिनों में आपकी समस्त परेशानियां दूर होती जा रहीं हैं , बहुत सुकून आपके जीवन में होगा जिसे आप खुद महसूस कर पाएंगे ।
*नोट :- रोज स्नान के बाद उस छल्ले पर केसर का इत्र जरूर लगाएं इससे उसकी ऊर्जा जागृत रहेगी ।
हर पूर्णिमा पर छल्ले को गंगाजल में एक कटोरी में डूबा कर सूर्यदेव के सामने 15 मिनट रख कर फिर निकाल कर वापिस धारण कर लेवें , इससे छल्ला एक्टिवेट रहता है ।*

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