लेखक - पी. ए. बाला
आज कल सभी माता-पिता अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए परेशान हैं । कुंडली जनित दोष, पूर्व जन्म के दोष इत्यादि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य में बाधक तो बनते ही हैं, इसके अलावा बच्चा किसी गलत संगत में पड़ जाए, तो माता-पिता के लिए दुविधा और हो जाती है । इसके लिए आपको एक सरल उपाय बताता हूँ, जिससे आपका बच्चा भगवान के रक्षा कवच में रहेगा, मैं यह नही कहता कि बच्चे के ऊपर संकट नही आएंगे या उसके जीवन में संघर्ष नही होगा, यह सब होगा पर किसी भी तरह किसी भी हाल में आपका बच्चा उन समस्याओं से निकल जायेगा, वह चाहे गंभीर बीमारी हो दुर्घटना हो या अन्य कोई भी समस्या से उसकी रक्षा होगी । भगवान वैसे तो हर तरह और तरीके से अपने बच्चों की रक्षा करता ही है, पर यह एक साधारण परन्तु असरकारी प्रक्रिया है, कुछ लोग कहेंगे कि भगवान को सच्चे मन श्रद्धा से मानो ऐसा वैसा ... अरे भाई मानते तो सभी हैं फिर भी एक प्रक्रिया अलग चीज़ होती है । उदाहरण के तौर पर आप खुले में कुल्ला कर रहे हैं , तो किसी दिशा किसी एंगल से वह जल सूर्य को दिखता ही है, पर इसका मतलब यह नही की आप सूर्य के ऊपर कुल्ला कर रहे हैं, क्योंकि जब तक आप दिशा और भाव से ऐसा नही करेंगे तब तक वह सूर्य को चढ़ाया हुआ नही मान सकते .... इसी तरह भाव से आप अपने बच्चे को भगवान को समर्पित कर दीजिए, आपके बच्चे के जीवन में कोई दुर्घटना नही होगी , कोई बड़ी बीमारी , कोई दुःख तकलीफ नही होगी , ग्रह और कुंडली जनित पीड़ा बिल्कुल ही सामान्य होगी । इसकी सरल प्रक्रिया ये है :

आप कभी भी किसी तीर्थ स्थान जहाँ आपकी मान्यता ज्यादा हो वहां जब भी जाएं तो एक मुट्ठी चावल या एक नारियल या कोई भी अनाज एक मुट्ठी ले जाएं और वहां जाकर उनसे प्रार्थना करें कि मेरे बच्चे को आपकी शरण आपकी गोद दे रही हूँ, अब आप ही इसके पालनहार हैं, इसकी समस्त जिम्मेदारी आपकी है , इसे अपनी शरण में रखियेगा । यह प्रक्रिया आप गोवर्धन, बिहारी जी, खाटूश्यामजी, तिरुपति, किसी भी शक्ति पीठ, ज्योतिर्लिंग, किसी भी धाम में कर सकते हैं, विशेष वहां जहां आपकी आस्था ज्यादा हो, यह ध्यान रखिये कि एक बार एक जगह गोद देने के पश्चात किसी दूसरी जगह गोद न देवें । यह एक बार एक ही जगह करें , और फिर यह भी ध्यान रखें कि जब जहाँ गोद दे दिया हो तो साल-छः महीने में एक बार वहाँ ढोक जरूर लगावें, शुभ कार्यों के पहले न्योतने जाएं, उसके बाद आशीर्वाद लेने जाएं, बच्चे के जन्म पर उसको भी लेके जाएं , ऐसा न हो कि एक बार गोद दे देवें तो बच्चा फिर कभी वहाँ जाए ही नही या कोई 5-10 साल में एक बार जाए, इससे उल्टा असर पड़ेगा , क्योंकि अब बच्चे के माता-पिता वही हैं, और बच्चा अपने माता-पिता को मिले नही पूछे नही तो माता-पिता नाराज़ तो होते ही हैं, इसीलिए गोद दी हुई जगह ढोक देते रहें , और प्रतिपल उनका स्मरण करते रहें ।
जिनके बच्चे गलत संगत में हैं , कहना नही मानते, विद्रोही स्वभाव के हैं उनके लिए आप विशेष यह प्रक्रिया कर सकते हैं । आप बच्चे के अनुरूप उसके पसंद और आस्था के देवस्थान पर भी यह कार्य कर सकते हैं ।
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