लेखक - नजूमी जी
यह प्रयोग हमारे भारत में प्राचीन काल से है लेकिन हमें इसकी जानकारी नहीं है जानकारी के अभाव में जो भी महिलाएं या पुरुष अधिक रोम वाले स्थान को रोमरहित करना चाहते हैं इनका प्रयोग करते हैं और यह प्रयोग भी बहुत ही पीड़ा दायक तथा दर्दनाक भी होता है और बहुत महंगे भी हैं। लेकिन फिर भी आधुनिकता के चक्कर में दर्द सहने को भी तैयार हैं और पैसे खर्च करने को भी तैयार है। भारत के पुरातन समय में कुछ सन्यासी के संप्रदायों में पूरी तरह से सर के बल तथा दाढ़ी का मुंडन यानी की सर और दाढ़ी के बाल रखने की परंपरा नहीं है, किसके साथ ही जैन धर्म में भी सर और दाढ़ी के बाल को नोच कर निकाल देने की परंपरा है। आयुर्वेद में शरीर से स्थाई तौर पर रोम रहित स्थान पानी की कई विधियां हैं परंतु जानकारी का अभाव है।
पुराने समय में जो साधु संत पूरी तरह से सिर के बाल मुड़वा देते थे उनमें से कुछ जो स्थाई रूप से ही गंजा होना चाहते थे निम्नलिखित औषधीय प्रयोग करते थे। हालांकि यह विधियां बहुत ही कम आयुर्वेद जानकारी तक सीमित है जिन औषधीय का प्रयोग करते थे वह निम्नलिखित तौर पर है -:(2) हरताल एक भाग, जवाखार 1 भाग , पोस्त छिलका की राख एक भाग, चूना 1 भाग पानी में घोट कर जिस स्थान पर लगाया जाए वह स्थान सदा के लिए रोम रहित हो जाता है।
(3) चुना तथा हरताल सेब का सिरका या फिर गुड़ के सिरके में घोट कर जिस स्थान पर लगाया जाए वह स्थान सदा के लिए रोम रहित हो जाता है।
(4) 70 ग्राम चूना व 10 ग्राम हरताल वर्किया अच्छी तरह से मिलाकर अगर सिर पर लेप किया जाए या जिस स्थान पर रोम हो रोम स्थायी तौर गिर जाते है।
हालांकि ब्यूटी पार्लर या फिर त्वचा से संबंधित संस्थानों में केमिकल युक्त प्लास्टिक के दाने को गर्म करके जो हॉट वैक्सिंग की जाती है उस दर्दनाक पीड़ा भी होती है और रोम क्षिद्र को हानि होती है जिसकी वजह से गर्मी में पसीना ना आने की वजह से शरीर में त्वचा में अनेकों प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं या त्वचा में लाल लाल दाने हो जाते हैं और जो बाद में की काले रंग के पड़ जाते हैं त्वचा को नुकसान होता है प्रकृति ने हमें रोम छिद्र तथा रोम हमारी त्वचा की सुरक्षा के लिए दिए हैं।
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