शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

इच्छापूर्ति हेतु पुष्पदंत देव का यंत्र

 देखिये सबसे पहले हम जान लेते हैं कि पुष्पदंत जी कौन हैं , इनका कार्य क्या है ... क्योंकि कई लोग हो सकता है जैन मुनि पुष्पदंत महाराज जी से इसे जोड़ कर देखें , जबकि यह ऐसे नही है । पुष्पदंत देव शिव जी और विष्णु जी के सहायक हैं । शिव जी व विष्णु जी को कोई भी कार्य या इच्छा पूरी करवाना होता है तो वे इनको बोलते हैं । पुष्पदंत जी मुख्यतः इच्छापूर्ति के देवता हैं , यह आपकी इच्छाओं को जो भी हैं जैसी भी हैं को पूरा करने में सहायता करते हैं । चित्र में दिया यंत्र इनका यंत्र है । यह तीन रंगों के समावेश से बनता है सफेद, पीला व नीला ... इसमें एक 4 अंकों का इच्छापूर्ति कोड है जो नीले सियाही से लिखा जाता है । यह कोड आपकी इच्छा को संबंधित देवता तक पहुंचाने का कार्य करता है । सबसे पहले इस यंत्र को बनाने की विधि जान लेते हैं जो बेहद सरल है :- 

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सबसे पहले आपको एक सफेद कागज पर स्केच पेन से चित्र में दिखाये अनुसार एक मोटी पट्टी द्वारा सर्कल बनाना है । चित्र में जहां संख्या 1176 लिखी हैं , वहां नीली स्याही /बॉल पेन/स्केच पेन की मदद से उसी जगह संख्या लिखनी है । अब पीले सर्कल के बाहरी एक्स्ट्रा सफेद आवरण को कैंची के माध्यम से हटा देना है , तत्पश्चात सर्कल के अंदर व लिखी हुई संख्या के ऊपर खाली स्थान पर नीली ही स्याही से अपनी इच्छा को लिखेंगे । ध्यान रहे आपको इच्छा मांगने के हिसाब से नही लिखनी है बल्कि इच्छा पूरी हो गयी है इस हिसाब से लिखनी है । उदाहरण के लिये जैसे आपको शादी की इच्छा है तो आप इसमें लिखेंगे की फलानी तारीख तक मेरी शादी हो गयी है । जैसे आपने लिखा कि 31/12/2022 तक मेरी शादी हो गयी है । तो आप देखेंगे कि उस तारीख तक आपका काम बन जायेगा । इसी तरह आप अपने अन्य कार्यों को भी इसी हिसाब से लिखेंगे ।  अब कुछ महानुभाव यह उपहास करेंगे कि हम कल की या दो दिन की बाद तारीख लिख देंगे तो क्या 2 दिन में कार्य हो जाएंगे ? देखिये ... इसमें बुद्धि और विवेक भी जरूरी है । 

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इस यंत्र को कहां लगाना है ? 

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पुष्पदंत देव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं , उसमें भी विशेष 260° से 270° का स्थान .... आपके घर की पश्चिम दिशा की दीवार पर कंपास की मदद से 260° से 270° का स्थान ढूँढिये , मिलने पर इस यंत्र को उस स्थान पर लगा देना है । यह बेहद असरदार व आजमाया उपाय है । करके देखिये निश्चित रूप से आपको शीघ्र सफलता मिलेगी ।


धन व शीघ्र विवाह और सुखी वैवाहिक जीवन के लिये अनुभूत उपाय

 शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुक्र की होरा में अपनी अनामिका उंगली की नाप का छल्ला खरीद कर लायें । इसे गंगाजल, दूध , शहद से पवित्र करके...केले के पेड़ में चाकू से चीरा लगा कर अंदर फंसा देवें, छल्ले को तने में इतना फंसा देवें की बाहर से दिखाई न देवे । इस कटे भाग पर हल्दी से स्वास्तिक बना कर केले के पेड़ में जल देवें और धूप दीप जला कर केले के पेड़ की पूजा करें । यह पूजा नित्य पूर्णिमा तक करें व केले के पेड़ को जल नित्य देवें । पूर्णिमा को पूजा करने के बाद छल्ले को तने से निकाल कर घर ले आयें और विधिवत पूजा करके चन्द्र की होरा में उंगली में धारण कर लेवें ।

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धन की कामना करने वालों के लिये व जिन बच्चों के विवाह में देरी हो रही है उनके शीघ्र विवाह के लिये और सुखद वैवाहिक जीवन के लिये सर्वश्रेष्ठ व अत्यंत लाभकारी है ।

बहुत कठिन सघन विपत्ति आ गयी हो

 बहुत कठिन सघन विपत्ति आ गयी हो , बात एक दम गले तक आ गई हो , जान पर बन आयी हो तब यह उपाय करें , आप निश्चित ही उस समस्या से निकल जाएंगे । यह प्रयोग उनके लिये खास है जो सघन बीमारी झेल रहे हों , अचानक कोई दुर्घटना हो गयी हो, पुलिस कोर्ट-कचहरी का मामला हो गया हो । किसी का विवाह या अन्य कोई शुभ कार्य होना है उसमें धन या अन्य वजह से रुकावट आ रही हो , कर्ज से गला घुट रहा हो , कर्जदार बहुत परेशान कर रहें हो, शत्रु परेशान कर रहा हो..नौकरी नही लग रही हो या कोई भी मनोकामना सिद्धि के लिए यह एक उपाय विधि कीजिये तुरंत समाधान व राहत मिल जायेगी । यह प्रयोग विधि 3 दिन मंगलवार-शनिवार-मंगलवार की है । विधि इस प्रकार है :-

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मंगलवार को आपको एक दौने में 2 इमरती एक पान का बीड़ा जिसमें सिर्फ कत्था, सुपारी, इलायची हो और ऊपर दो लौंग लगी हो , उसे हनुमान जी को शाम को अर्पित करना है । इमरती हनुमानजी को बेहद पसंद है । अगर किसी शहर कस्बे में इमरती नही मिलती तब दो बूंदी के लड्डू चढ़ायें । यह प्रयोग मंदिर में ही करना है । वहीं खड़े होकर 7 बार हनुमान चालीसा पढ़नी है । प्रसाद घर नही लाना है । बीड़े का महत्व है जिस तरह हम कहते हैं कि काम का बीड़ा उठाना उसी तरह यह बीड़ा है जो आपको हनुमानजी को बोलना है कि मेरे कार्य सिद्धि का बीड़ा आपके ऊपर है । अपनी मनोकामना सिद्धि के लिये बोलें व घर आ जाएं ।
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शनिवार को आपको 2 जटा वाला नारियल लेना है , उसकी जटा हटा दीजिये , फिर नारियल को हल्दी पेस्ट से पूरा पीले रंग में रंग लेवें , उसपर कुमकुम से एक तरफ तिलक करें और दूसरी तरफ कुमकुम से त्रिशूल बनावें । अब थोड़े अखरोट, बादाम, काजू, मूंगफली, मखाने, चने लेकर मिक्सी में बारीक कूट लेवें , गुड़ को पीस कर अच्छे से इस सामग्री में मिला लेवें । 4 गेहूं की मोटी रोटी बना लेवें , उसे ठंडी करके उसका चूरा कर लेवें व उपरोक्त सामग्री व घी की मदद से 7 लड्डू बनावें । लड्डू आपको शनिवार सुबह बनाने हैं व 3 लड्डू पत्तल या कागज़ पर रख कर गाय को सुबह ही खिलाने हैं व शाम को 2 लड्डू पान के पत्ते पर रख कर और एक नारियल हनुमानजी को अर्पित करें । 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें व दो लड्डू पान के पत्ते पर रख कर पीपल की जड़ में रख देवें व एक नारियल पीपल पर चढ़ा देवें । तिल्ली के तेल/ देसी घी के दीपक को जला कर 7 बार वहीं खड़े होकर हनुमान चालीसा पढ़नी है । अपनी मनोकामना सिद्धि के लिये प्रार्थना करें व घर आ जायें ।
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मंगलवार को पिछले मंगलवार की तरह जो कार्यविधि की थी उसी तरह करें ।
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*नोट:- मंगलवार से मंगलवार तक ब्रह्चर्य का पालन करें , भले ही बीच के दिनों में आप कोई प्रयोग या विधि नही कर रहे हों तब भी । यह प्रयोग विधि संध्या समय मंदिर में जा कर ही करनी है , घर पर नही । शनिवार को सुबह पहले लड्डू बनाने हैं और गाय को खिलाने हैं उसके पश्चात ही घर का खाना बनाना है व खाना है ।

कालसर्प योग/दोष व इसका सटीक उपाय

 ये उपाय आप वैसे तो किसी भी दिन कर सकते हैं पर सोमवार हो या मास शिवरात्रि हो या मुख्य शिवरात्रि हो या नागपंचमी को करें तो सबसे बढ़िया है । इसके लिये आपको चाहिये बालू मिट्टी ... मिट्टी कहीं खुदाई में नीचे के मिल जाये तो अति उत्तम वरना सही जगह से ज़मीन खोद के मिट्टी लेवें , नदी किनारे की हो या समुद्र किनारे की हो तो भी कोई हर्ज नही । उस मिट्टी को छान कर घर ले आएं जो लोग किसी पोखर, तालाब, नदी या समंदर के किनारे पूजा करना चाहते हैं तो कोई नही बल्कि सर्वश्रेष्ठ है । इस मिट्टी में थोड़ा दूध, गंगाजल, गौमूत्र का छांटा दे देवें और एक शिवलिंग का निर्माण करें ।सभी धातुओं, पदार्थों में मिट्टी का शिवलिंग सर्वश्रेष्ठ होता है । स्वयं श्रीराम जी ने मिट्टी की शिवलिंग की स्थापना की थी जो अब रामेश्वरम के नाम से प्रसिद्ध है । ऐसी शिवलिंग की विधिवत पूजा करें । बिल्कुल थोड़ा दूध या जल ही चढ़ाएं । पूजा करने के बाद जब शाम को या अगले दिन वह शिवलिंग की मिट्टी सूख कर मिट्टी के ढेर में बदल जायेगी , अब आप चाहें तो इस मिट्टी को एक गमले में डाल कर कोई भी पौधा लगा सकते हैं या तुलसी के पौधे को छोड़कर अन्य पौधों में डाल सकते हैं ।

अब आप सोचेंगे कि इतने छोटे से कार्य से कालसर्पयोग हट जायेगा । तो बताना चाहूंगा कि भले देखन में छोटे लगे, पर घाव करे गंभीर है ये प्रयोग .... सबसे पहली बात तो मिट्टी का शिवलिंग सब धातुओं और पदार्थों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है । जैसा मैं पहले बता चुका हूं ।दूसरा ये कि शिवलिंग का निर्माण अपने हाथों। से करना ही बहुत बड़ी बात है , आपके हाथों की लकीरों में जो अशुभता है उसको शुभता में बदलने का साहस है इस प्रयोग में ... इसे आप हर साल भी कर सकते हैं । इससे भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होती है । भोलेनाथ का निवास घर में बना रहता है । करके देखिये ये प्रयोग आपको असीम कृपा की प्राप्ति होगी ।
जिन व्यक्तियों ने हजारों लाखों रुपये कालसर्प योग/दोष की शांति में खर्च कर दिये हैं फिर भी उनको लाभ नही मिला व जो भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए ये प्रयोग करते हैं, उनको हज़ार शिवलिंग की हज़ार पूजा करने का पुण्य इस एक बार की पूजा में मिलेगा । वैसे भी मैं तो व्यक्तिगत रूप से कालसर्प योग/दोष को नही मानता मैंने ये उपाय सिर्फ भोलेनाथ की कृपा प्राप्ति के लिये बताया है पर अगर जो लोग कालसर्प योग/दोष को मानते हैं या इसको लेकर असमंजस में हैं या जो लोगों को लगता है हम महंगी पूजा afford नही कर सकते , वो एक बार ये प्रयोग कर के देखें ।
अंत मे मेरा अनुरोध उन विद्वानों से है जो कसलसर्प योग/दोष के पक्ष में हैं वो वाद-विवाद न करें । हर किसी के तथ्य व विचार अलग हैं , तो किसी तरह का विवाद न करते हुए भोलेनाथ जी की जय बोलें ।

हनुमान चालीसा व उसको करने का असरकारी तरीका

 हनुमान चालीसा एक ऐसा पाठ है जो अधिकांश व्यक्ति अपनी नित्य पूजा में करते ही हैं। पर अधिकांश व्यक्तियों को इसका समुचित लाभ नही मिल पा रहा है ,उसका कारण है कि हम हनुमान चालीसा को गलत तरीके से पढ़ रहे हैं । इसकी एक छोटी सी विधि है जिसको करने से हनुमान चालीसा का लाभ आपको मिलेगा वरन इसकी शक्ति का भी आभास होने लगेगा ।यह विधि इस प्रकार है कि जब भी आप हनुमान चालीसा का पाठ करें उससे पूर्व 108 बार श्रीराम नाम का उच्चारण करें फिर हनुमान चालीसा व उसके बाद फिर 108 बार श्रीराम नाम का उच्चारण करें । इस तरह से ये कवच का कार्य करता है । कहा जाता है कि सीधे हनुमान चालीसा का पाठ करने से इसकी शक्ति भटक जाती है , इधर उधर फैल जाती है । इसको एकत्र करने के लिये हनुमान चालीसा के आगे व पीछे 108-108 बार श्रीराम नाम लगाना चाहिये । ये एक कैप्सूल की तरह काम करता है । एक कवच एक ताबीज़ की तरह ..इससे चालीसा की शक्ति ऊर्जा आपके शरीर में ही समाने लगती हैं । करके देखें अवश्य लाभ मिलेगा ।

गुरु की महादशा प्रयोग

 वे सभी व्यक्ति जिनकी गुरु की महादशा अच्छी नही चल रही है , और जिनका गुरु नीच का हो, पीड़ित हो अथवा पापी हो वह सभी व्यक्ति गुरु की दशा सुधारने के लिये प्रयोग कर सकते हैं । एक पीतल के लोटे में दूध लेवें उसमें केसर की कुछ पत्तियां डाल देवें , एक चुटकी बेसन, थोड़ा बूरा मिला लेवें और बृहस्पतिवार के दिन शिवलिंग पर चढ़ा आएं । ध्यान रहे शिवलिंग के अलावा किसी और पर यह न चढ़ावें , चढ़ाने के बाद मंदिर में न रुकें न प्रार्थना करें न चढ़ाते हुए किसी मंत्र का जप करें । सीधे शब्दों में कहूँ तो ये आपको शिवलिंग पर ढोल के आ जाना है । बृहस्पतिवार के अलावा ये प्रयोग न करें ।

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दुर्गा बीसा यंत्र : एक चमत्कारी यंत्र उसके महत्व और लाभ

 हिंदू धर्म शास्त्रों में बड़े पैमाने पर यंत्र विद्या का जिक्र मिलता है। ग्रंथों में तंत्र, मंत्र और यंत्र, इन तीनों मार्गों को जीवन सुखमय बनाने का मार्ग बताया गया है। इनमें से आम लोग तंत्र से दूर ही रहना पसंद करते हैं और मंत्र सिद्ध करना आसान नहीं है। ऐसे में तीसरा मार्ग बचता है यंत्र। यंत्र कुछ विशेष प्रकार की ज्यामितिय आकृतियों का संयोजन होता है, जिसे किसी देवी या देवता विशेष के लिए बनाया जाता है। शास्त्रों में यंत्रों को साक्षात देवी-देवता का स्वरूप कहा गया है। शास्त्रों में मंत्र को देवी-देवताओं की आत्मा कहा गया है तो यंत्र को उनका शरीर। यह बात इस मंत्र से सिद्ध हो जाती है 'यंत्र देवानां गृहम्" अर्थात यंत्र देवताओं का निवास स्थान है।

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दुर्गा बीसा यंत्र
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यंत्र की पूजा करने से समस्त प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में अनेक प्रकार के यंत्र बताए गए हैं, जो विभिन्न् कामनाओं की पूर्ति के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। उन्हीं में से एक यंत्र है दुर्गा बीसा यंत्र। यह एक ऐसा चमत्कारिक यंत्र है जिसमें स्वयं देवी दुर्गा निवास करती है। शास्त्रों का कथन है कि सिद्ध किया हुआ दुर्गा बीसा यंत्र अपने पास रखने या धारण करने से धन की हानि नहीं होती है। दुर्घटना से बचाव होता है। शत्रुओं का नाश होता है और समस्त प्रकार के बुरे दिनों से रक्षा होती है। नवरात्रि में इस यंत्र की पूजा का विशेष महत्व है। इसे सिद्ध करने के लिए नवरात्रि सबसे अच्छा समय माना गया है।
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क्या होता है दुर्गा बीसा यंत्र
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दुर्गा बीसा यंत्र एक त्रिकोण की तरह होता है जिसमें एक केंद्र और उसके आसपास नौ त्रिकोण खाने होते हैं। इनकी जमावट इस तरह होती है कि यह एक त्रिकोण की तरह नजर आता है। इससे अलग-अलग खानों में 1 से 9 तक के अंक लिखे होते हैं , मार्केट में यह तांबे, अष्टधातु, चांदी, सोना, क्रिस्टल आदि धातुओं से बना हुआ मिलता है। घर में इसे बनाने के लिए भोजपत्र पर अनार की कलम और अष्टगंध की स्याही से लिखा जाता है। इसके बाद इसका षोडशोपचार पूजन करके दुर्गा सप्तशती के श्लोकों से सिद्ध किया जाता है। 'ऊं दुं दुं दुं दुर्गायै नम:" मंत्र की एक माला से सिद्ध किया जाता है। सिद्ध होने के बाद इसे चांदी के ताबीज में भरकर अपनी दाहिनी भुजा में बांधें या गले में पहनें। इसे चांदी की डिबिया में रखकर तिजोरी में भी रखा जा सकता है।
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दुर्गा बीसा यंत्र के लाभ
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यह सिद्ध यंत्र जिसके पास होता है, स्वयं मां दुर्गा समस्त संकटों से उसकी रक्षा करती है। इस यंत्र के प्रभाव से कभी धन हानि नहीं होती। दुर्गा बीसा यंत्र को धन प्रदायक माना गया है। इससे लक्ष्मी की अनुकूलता प्राप्त होती है। दुर्गा बीसा यंत्र साथ में होने से शत्रु हावी नहीं हो पाते। शत्रु शांत होते हैं। उनसे रक्षा होती है। दुर्घटना में रक्षा होती है। दुर्गा बीसा यंत्र को अपने वाहन में लगाने से दुर्घटना में मृत्यु नहीं होती। बुरी नजर, जादूटोना, काला जादू आदि का प्रभाव शून्य हो जाता है। सभी नवग्रह दोष, कुंडली के अन्य दोषों का शमन होता है ।
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बीसा यंत्र कैसे प्राप्त करें ?
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बाजार में तांबे, चांदी अथवा सोने के भी यंत्र पूजा योग्य बनाये जाते हैं , जिसे आप अपने मंदिर में स्थापित करके लाभ ले सकते हैं अथवा ये गले के पेन्डेन्ट रूप में उपलब्ध है । इसकी सबसे खास बात ये है कि बहुत कम दाम में ये उपलब्ध है । आज बाजार में हज़ारों लाखों के रत्न या अन्य वस्तुएं लोग खरीदते हैं जबकि ये बेहद कम कीमत में उपलब्ध हो जाता है , और अन्य वस्तुओं से अति शीघ्र असर दिखाता है । मैंने खुद पर व अन्य लोगों पर इसके अभूत प्रयोग किये हैं , सभी ने सकारात्मक होना बताया है । हमारे द्वारा दुर्गा बीसा यंत्र संक्रांति, होली-दीवाली, ग्रहण, नवरात्रों में विशेष पूजा पद्वति से इस यंत्र को तैयार किया जाता है । इच्छुक व्यक्ति संपर्क कर सकते हैं ।

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