शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

पितृ दोष निवारण बेहद सरल हैं और प्रभावी उपाय

 हर व्यक्ति अपने अनुसार या श्रद्धा के हिसाब से पितरों की संतुष्टि के लिये भोग लगता है दान-पुण्य करता है , ब्राह्मणों को भोजन करवाता है । जिसकी जैसी श्रद्धा और जेब होती है वो वैसा ही करता है । मुझे हैरानी होती है पितरों से संबंधित या अन्य ज्योतिषीय उपाय बताने पर लोग बोलते हैं कि कब तक करना है ? सोचने की बात तो ये है कि अगर इससे आपको लाभ मिलता है तो निरंतर करने में क्या हर्ज है ? क्यों लोगों को लगता है कि बस काम निकल गया अब करने की क्या जरूरत है ? इसी तय मानसिकता को लेकर जब लोग उपाय करते हैं तो उनको उपाय फलित नही होते उसका दोष भी लोग ज्योतिष व ज्योतिषी को देते हैं । ये सर्व विदित है कि हम अपनी परेशानियों से मुक्ति के लिये अपने स्वार्थ वश ही ये उपाय करते हैं .. देवताओं व पितरों को भोग लगाते हैं उनके निमित दान करते हैं अन्यथा तो हम ये सब करें नही न हम माने इन सब को ..फिर भी भगवान की व्यवस्था में इतनी छूट मनुष्य को दी है कि ये सब जानते हुए भी सब कुछ ग्रहण करते हैं और इच्छा स्वरूप फल देते हैं । बहराल ये तो इंसान की प्रकृति की बात हो गई अब बात करते हैं कि इन सब का उपाय क्या है ? हम कैसे जानें कि पितरों से संबंधित उपाय फलित हो रहे हैं या नही ? इसकी बहुत आसान पद्वति आपको बताता हूँ ।

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ये आप किसी भी दिन आजमा के देख सकते हैं विशेष अमावस्या के दिन ... आपको सफेद बर्फी या कोई भी फल इत्यादि या हरा चारा या एक पालक की गड्डी जो भी उपलब्ध हो आसानी से उसे लेकर किसी पत्तल पर रख कर गाय को ये बोलकर खिलाइये कि अपने पितरों के निमित भोग अर्पण कर रहे हैं भोग ग्रहण कीजिये और देखिये कि अगर गाय पहली बार में खा लेती है भले ही एक ग्रास खाये तो समझ लीजिये आपके पितृ आपसे खुश हैं और आपसे भोग ले रहे हैं , और फिर तुरंत वहां से हट जाइये । अगर गाय सूंघ कर छोड़ दे तो समझिये की नाराज़ हैं भोग नही ले रहे । कोई अन्य जानवर आकर मुँह मार दे तो समझ लीजिये आपके पितरों का भोग कोई और ले रहा है । अगर कोई अन्य गाय आकर भी उसमें मुँह मार देवे तो समझिये कोई अन्य अतृप्त आत्मा आपके परिवार की भोग छह रही है तब पूर्ण शांति करवाइये । ये भोग आवारा खुली घूमती गायों को ही लगाएं न कि बंधी हुई गायों को और कोशिश कीजिये कि अकेली कोई गाय इस तरह से दिख जाये उसको ही इस तरह भोग अर्पण करें । ध्यान रखें जिस दिन आप इस मंशा से भोग देंगे या तो आपको गाय उस दिन मिलेगी नही या अकेली नही मिलेगी .. यह भी एक परीक्षा होती है । अगर गाय भोग नही लेती या अन्य जानवर आकर मुँह लगा देता है तब मानिये वो हफ्ता या महीना थोड़ा कष्टप्रद बीतेगा ।
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एक उपाय है जो बेहद सरल हैं और प्रभावी हैं जो आप अपने पितरों की शांति के लिये उनके आशीर्वाद पाने के लिये कर सकते हैं ।
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अमावस्या पर एक स्टील अथवा मिट्टी के लोटे में जौ, काले तिल, सफेद तिल मिश्रित दूध पीपल की जड़ में चढ़ाएं और चढ़ाते हुए मन में प्रार्थना करें कि मेरे सभी पूर्वजों व मेरे कुल की सभी तृप्त व अतृप्त पितृ भोग ग्रहण करें , इसके साथ एक दोने में 2 पीस सफेद बर्फी 4-5 सिक्के उस दोने में डाल कर पीपल की जड़ में रखें , तिल या घी का दिया प्रज्वलित कर पितृ स्तोत्र का पाठ करें । व उसके बाद "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का 7 बार उच्चारण करके त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश से प्रार्थना करें कि कुल के सभी पितरों व मृत आत्माओं को मुक्ति प्रदान कर श्रीचरणों में स्थान देवें । यह हर अमावस्या करें । अब कई लोगों के मन में शंका उठेगी कि कोई अमावस्या रविवार को पड़ जाये तब क्या करें ? क्योंकि रविवार को पीपल पूजा व स्पर्श निषेध है .. तो वह जान लेवें की स्पर्श आपको करना नही है और ये आप पूजा नही कर रहे हो सिर्फ भोग अर्पण कर रहे हो अतः बिना आशंका के रविवार अमावस्या पर भी इस उपाय को करें कोई टोके या ज्ञान दे तब भी आपको शांत मन से करना है । निश्चित तौर पर आपको पितरों का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होगी ।

इच्छापूर्ति हेतु पुष्पदंत देव का यंत्र

 देखिये सबसे पहले हम जान लेते हैं कि पुष्पदंत जी कौन हैं , इनका कार्य क्या है ... क्योंकि कई लोग हो सकता है जैन मुनि पुष्पदंत महाराज जी से इसे जोड़ कर देखें , जबकि यह ऐसे नही है । पुष्पदंत देव शिव जी और विष्णु जी के सहायक हैं । शिव जी व विष्णु जी को कोई भी कार्य या इच्छा पूरी करवाना होता है तो वे इनको बोलते हैं । पुष्पदंत जी मुख्यतः इच्छापूर्ति के देवता हैं , यह आपकी इच्छाओं को जो भी हैं जैसी भी हैं को पूरा करने में सहायता करते हैं । चित्र में दिया यंत्र इनका यंत्र है । यह तीन रंगों के समावेश से बनता है सफेद, पीला व नीला ... इसमें एक 4 अंकों का इच्छापूर्ति कोड है जो नीले सियाही से लिखा जाता है । यह कोड आपकी इच्छा को संबंधित देवता तक पहुंचाने का कार्य करता है । सबसे पहले इस यंत्र को बनाने की विधि जान लेते हैं जो बेहद सरल है :- 

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सबसे पहले आपको एक सफेद कागज पर स्केच पेन से चित्र में दिखाये अनुसार एक मोटी पट्टी द्वारा सर्कल बनाना है । चित्र में जहां संख्या 1176 लिखी हैं , वहां नीली स्याही /बॉल पेन/स्केच पेन की मदद से उसी जगह संख्या लिखनी है । अब पीले सर्कल के बाहरी एक्स्ट्रा सफेद आवरण को कैंची के माध्यम से हटा देना है , तत्पश्चात सर्कल के अंदर व लिखी हुई संख्या के ऊपर खाली स्थान पर नीली ही स्याही से अपनी इच्छा को लिखेंगे । ध्यान रहे आपको इच्छा मांगने के हिसाब से नही लिखनी है बल्कि इच्छा पूरी हो गयी है इस हिसाब से लिखनी है । उदाहरण के लिये जैसे आपको शादी की इच्छा है तो आप इसमें लिखेंगे की फलानी तारीख तक मेरी शादी हो गयी है । जैसे आपने लिखा कि 31/12/2022 तक मेरी शादी हो गयी है । तो आप देखेंगे कि उस तारीख तक आपका काम बन जायेगा । इसी तरह आप अपने अन्य कार्यों को भी इसी हिसाब से लिखेंगे ।  अब कुछ महानुभाव यह उपहास करेंगे कि हम कल की या दो दिन की बाद तारीख लिख देंगे तो क्या 2 दिन में कार्य हो जाएंगे ? देखिये ... इसमें बुद्धि और विवेक भी जरूरी है । 

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इस यंत्र को कहां लगाना है ? 

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पुष्पदंत देव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं , उसमें भी विशेष 260° से 270° का स्थान .... आपके घर की पश्चिम दिशा की दीवार पर कंपास की मदद से 260° से 270° का स्थान ढूँढिये , मिलने पर इस यंत्र को उस स्थान पर लगा देना है । यह बेहद असरदार व आजमाया उपाय है । करके देखिये निश्चित रूप से आपको शीघ्र सफलता मिलेगी ।


धन व शीघ्र विवाह और सुखी वैवाहिक जीवन के लिये अनुभूत उपाय

 शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुक्र की होरा में अपनी अनामिका उंगली की नाप का छल्ला खरीद कर लायें । इसे गंगाजल, दूध , शहद से पवित्र करके...केले के पेड़ में चाकू से चीरा लगा कर अंदर फंसा देवें, छल्ले को तने में इतना फंसा देवें की बाहर से दिखाई न देवे । इस कटे भाग पर हल्दी से स्वास्तिक बना कर केले के पेड़ में जल देवें और धूप दीप जला कर केले के पेड़ की पूजा करें । यह पूजा नित्य पूर्णिमा तक करें व केले के पेड़ को जल नित्य देवें । पूर्णिमा को पूजा करने के बाद छल्ले को तने से निकाल कर घर ले आयें और विधिवत पूजा करके चन्द्र की होरा में उंगली में धारण कर लेवें ।

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धन की कामना करने वालों के लिये व जिन बच्चों के विवाह में देरी हो रही है उनके शीघ्र विवाह के लिये और सुखद वैवाहिक जीवन के लिये सर्वश्रेष्ठ व अत्यंत लाभकारी है ।

बहुत कठिन सघन विपत्ति आ गयी हो

 बहुत कठिन सघन विपत्ति आ गयी हो , बात एक दम गले तक आ गई हो , जान पर बन आयी हो तब यह उपाय करें , आप निश्चित ही उस समस्या से निकल जाएंगे । यह प्रयोग उनके लिये खास है जो सघन बीमारी झेल रहे हों , अचानक कोई दुर्घटना हो गयी हो, पुलिस कोर्ट-कचहरी का मामला हो गया हो । किसी का विवाह या अन्य कोई शुभ कार्य होना है उसमें धन या अन्य वजह से रुकावट आ रही हो , कर्ज से गला घुट रहा हो , कर्जदार बहुत परेशान कर रहें हो, शत्रु परेशान कर रहा हो..नौकरी नही लग रही हो या कोई भी मनोकामना सिद्धि के लिए यह एक उपाय विधि कीजिये तुरंत समाधान व राहत मिल जायेगी । यह प्रयोग विधि 3 दिन मंगलवार-शनिवार-मंगलवार की है । विधि इस प्रकार है :-

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मंगलवार को आपको एक दौने में 2 इमरती एक पान का बीड़ा जिसमें सिर्फ कत्था, सुपारी, इलायची हो और ऊपर दो लौंग लगी हो , उसे हनुमान जी को शाम को अर्पित करना है । इमरती हनुमानजी को बेहद पसंद है । अगर किसी शहर कस्बे में इमरती नही मिलती तब दो बूंदी के लड्डू चढ़ायें । यह प्रयोग मंदिर में ही करना है । वहीं खड़े होकर 7 बार हनुमान चालीसा पढ़नी है । प्रसाद घर नही लाना है । बीड़े का महत्व है जिस तरह हम कहते हैं कि काम का बीड़ा उठाना उसी तरह यह बीड़ा है जो आपको हनुमानजी को बोलना है कि मेरे कार्य सिद्धि का बीड़ा आपके ऊपर है । अपनी मनोकामना सिद्धि के लिये बोलें व घर आ जाएं ।
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शनिवार को आपको 2 जटा वाला नारियल लेना है , उसकी जटा हटा दीजिये , फिर नारियल को हल्दी पेस्ट से पूरा पीले रंग में रंग लेवें , उसपर कुमकुम से एक तरफ तिलक करें और दूसरी तरफ कुमकुम से त्रिशूल बनावें । अब थोड़े अखरोट, बादाम, काजू, मूंगफली, मखाने, चने लेकर मिक्सी में बारीक कूट लेवें , गुड़ को पीस कर अच्छे से इस सामग्री में मिला लेवें । 4 गेहूं की मोटी रोटी बना लेवें , उसे ठंडी करके उसका चूरा कर लेवें व उपरोक्त सामग्री व घी की मदद से 7 लड्डू बनावें । लड्डू आपको शनिवार सुबह बनाने हैं व 3 लड्डू पत्तल या कागज़ पर रख कर गाय को सुबह ही खिलाने हैं व शाम को 2 लड्डू पान के पत्ते पर रख कर और एक नारियल हनुमानजी को अर्पित करें । 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें व दो लड्डू पान के पत्ते पर रख कर पीपल की जड़ में रख देवें व एक नारियल पीपल पर चढ़ा देवें । तिल्ली के तेल/ देसी घी के दीपक को जला कर 7 बार वहीं खड़े होकर हनुमान चालीसा पढ़नी है । अपनी मनोकामना सिद्धि के लिये प्रार्थना करें व घर आ जायें ।
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मंगलवार को पिछले मंगलवार की तरह जो कार्यविधि की थी उसी तरह करें ।
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*नोट:- मंगलवार से मंगलवार तक ब्रह्चर्य का पालन करें , भले ही बीच के दिनों में आप कोई प्रयोग या विधि नही कर रहे हों तब भी । यह प्रयोग विधि संध्या समय मंदिर में जा कर ही करनी है , घर पर नही । शनिवार को सुबह पहले लड्डू बनाने हैं और गाय को खिलाने हैं उसके पश्चात ही घर का खाना बनाना है व खाना है ।

कालसर्प योग/दोष व इसका सटीक उपाय

 ये उपाय आप वैसे तो किसी भी दिन कर सकते हैं पर सोमवार हो या मास शिवरात्रि हो या मुख्य शिवरात्रि हो या नागपंचमी को करें तो सबसे बढ़िया है । इसके लिये आपको चाहिये बालू मिट्टी ... मिट्टी कहीं खुदाई में नीचे के मिल जाये तो अति उत्तम वरना सही जगह से ज़मीन खोद के मिट्टी लेवें , नदी किनारे की हो या समुद्र किनारे की हो तो भी कोई हर्ज नही । उस मिट्टी को छान कर घर ले आएं जो लोग किसी पोखर, तालाब, नदी या समंदर के किनारे पूजा करना चाहते हैं तो कोई नही बल्कि सर्वश्रेष्ठ है । इस मिट्टी में थोड़ा दूध, गंगाजल, गौमूत्र का छांटा दे देवें और एक शिवलिंग का निर्माण करें ।सभी धातुओं, पदार्थों में मिट्टी का शिवलिंग सर्वश्रेष्ठ होता है । स्वयं श्रीराम जी ने मिट्टी की शिवलिंग की स्थापना की थी जो अब रामेश्वरम के नाम से प्रसिद्ध है । ऐसी शिवलिंग की विधिवत पूजा करें । बिल्कुल थोड़ा दूध या जल ही चढ़ाएं । पूजा करने के बाद जब शाम को या अगले दिन वह शिवलिंग की मिट्टी सूख कर मिट्टी के ढेर में बदल जायेगी , अब आप चाहें तो इस मिट्टी को एक गमले में डाल कर कोई भी पौधा लगा सकते हैं या तुलसी के पौधे को छोड़कर अन्य पौधों में डाल सकते हैं ।

अब आप सोचेंगे कि इतने छोटे से कार्य से कालसर्पयोग हट जायेगा । तो बताना चाहूंगा कि भले देखन में छोटे लगे, पर घाव करे गंभीर है ये प्रयोग .... सबसे पहली बात तो मिट्टी का शिवलिंग सब धातुओं और पदार्थों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है । जैसा मैं पहले बता चुका हूं ।दूसरा ये कि शिवलिंग का निर्माण अपने हाथों। से करना ही बहुत बड़ी बात है , आपके हाथों की लकीरों में जो अशुभता है उसको शुभता में बदलने का साहस है इस प्रयोग में ... इसे आप हर साल भी कर सकते हैं । इससे भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होती है । भोलेनाथ का निवास घर में बना रहता है । करके देखिये ये प्रयोग आपको असीम कृपा की प्राप्ति होगी ।
जिन व्यक्तियों ने हजारों लाखों रुपये कालसर्प योग/दोष की शांति में खर्च कर दिये हैं फिर भी उनको लाभ नही मिला व जो भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए ये प्रयोग करते हैं, उनको हज़ार शिवलिंग की हज़ार पूजा करने का पुण्य इस एक बार की पूजा में मिलेगा । वैसे भी मैं तो व्यक्तिगत रूप से कालसर्प योग/दोष को नही मानता मैंने ये उपाय सिर्फ भोलेनाथ की कृपा प्राप्ति के लिये बताया है पर अगर जो लोग कालसर्प योग/दोष को मानते हैं या इसको लेकर असमंजस में हैं या जो लोगों को लगता है हम महंगी पूजा afford नही कर सकते , वो एक बार ये प्रयोग कर के देखें ।
अंत मे मेरा अनुरोध उन विद्वानों से है जो कसलसर्प योग/दोष के पक्ष में हैं वो वाद-विवाद न करें । हर किसी के तथ्य व विचार अलग हैं , तो किसी तरह का विवाद न करते हुए भोलेनाथ जी की जय बोलें ।

हनुमान चालीसा व उसको करने का असरकारी तरीका

 हनुमान चालीसा एक ऐसा पाठ है जो अधिकांश व्यक्ति अपनी नित्य पूजा में करते ही हैं। पर अधिकांश व्यक्तियों को इसका समुचित लाभ नही मिल पा रहा है ,उसका कारण है कि हम हनुमान चालीसा को गलत तरीके से पढ़ रहे हैं । इसकी एक छोटी सी विधि है जिसको करने से हनुमान चालीसा का लाभ आपको मिलेगा वरन इसकी शक्ति का भी आभास होने लगेगा ।यह विधि इस प्रकार है कि जब भी आप हनुमान चालीसा का पाठ करें उससे पूर्व 108 बार श्रीराम नाम का उच्चारण करें फिर हनुमान चालीसा व उसके बाद फिर 108 बार श्रीराम नाम का उच्चारण करें । इस तरह से ये कवच का कार्य करता है । कहा जाता है कि सीधे हनुमान चालीसा का पाठ करने से इसकी शक्ति भटक जाती है , इधर उधर फैल जाती है । इसको एकत्र करने के लिये हनुमान चालीसा के आगे व पीछे 108-108 बार श्रीराम नाम लगाना चाहिये । ये एक कैप्सूल की तरह काम करता है । एक कवच एक ताबीज़ की तरह ..इससे चालीसा की शक्ति ऊर्जा आपके शरीर में ही समाने लगती हैं । करके देखें अवश्य लाभ मिलेगा ।

गुरु की महादशा प्रयोग

 वे सभी व्यक्ति जिनकी गुरु की महादशा अच्छी नही चल रही है , और जिनका गुरु नीच का हो, पीड़ित हो अथवा पापी हो वह सभी व्यक्ति गुरु की दशा सुधारने के लिये प्रयोग कर सकते हैं । एक पीतल के लोटे में दूध लेवें उसमें केसर की कुछ पत्तियां डाल देवें , एक चुटकी बेसन, थोड़ा बूरा मिला लेवें और बृहस्पतिवार के दिन शिवलिंग पर चढ़ा आएं । ध्यान रहे शिवलिंग के अलावा किसी और पर यह न चढ़ावें , चढ़ाने के बाद मंदिर में न रुकें न प्रार्थना करें न चढ़ाते हुए किसी मंत्र का जप करें । सीधे शब्दों में कहूँ तो ये आपको शिवलिंग पर ढोल के आ जाना है । बृहस्पतिवार के अलावा ये प्रयोग न करें ।

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