मंगलवार, 12 जून 2012

अगर वैवाहिक जीवन से संतुष्ट नहीं हैं तो ये करके


वर्तमान समय में  भागदौड़ भरी जीवनशैली के कारण वैवाहिक जीवन औपचारिकता भर रह गया है। इन्ही कारणों से यौन संबंधों को लेकर असंतुष्ट युगलों की संख्या में इजाफा हो रहा है, परिणाम झगड़े , तनाव अन्य कई तरह की शारीरिक व मानसिक व्याधियां। ऐसी स्थिति में आयुर्वेद एवं आयुर्वेदिक औषधियां मददगार हो सकती है तो आइए जानते हैं घर पर बनी कुछ ऐसी आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में जो आपका वैवाहिक जीवन खुशियों से भर देंगी...

- असगंध ,विधारा,शतावर ,सफेद मूसली ,तालमखाना के बीज ,कौंच बीज प्रत्येक 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर दरदरा कर कपड़े से छान लें तथा 350 ग्राम मिश्री मिला लें, इस नुस्खे को 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम ठन्डे दूध से लें ,लगातार एक माह तक लेने से यौन सामथ्र्य में वृद्धि अवश्य होगी।
- दालचीनी ,अकरकरा ,मुनक्का और श्वेतगुंजा को एक साथ पीसकर इन्द्रिय पर लेप करें तथा सम्भोग के समय कपडे से पोछ डालें ,यह योग इन्द्रियों में रक्त के संचरण को बढाता है।

- शुद्ध शिलाजीत 500 मिलीग्राम की मात्रा में ठन्डे  दूध में घोलकर सुबह शाम पीने से भी लाभ मिलता है।

- शीघ्रपतन की शिकायत हो तो धाय के फूल ,मुलेठी ,नागकेशर ,बबूलफली इनको बराबर मात्रा में लेकर इसमें आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर ,इस योग को 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन लगातार एक माह तक करें ,इससे शीघ्रपतन में लाभ मिलता है

।- कामोत्तेजना का बढाने के लिए कौंचबीज चूर्ण ,सफेद मूसली ,तालमखाना ,अस्वगंधा चूर्ण को बराबर मात्रा में तैयार कर 10-10 ग्राम की मात्रा में ठन्डे दूध से सेवन  करें निश्चित लाभ मिलेगा।ये चंद नुस्खें हैं, जिनका प्रयोग यौनशक्ति,यौनऊर्जा एवं पुरुषार्थ को बढाने में मददगार है। 

थोड़ी सी कालीमिर्च कर देगी इन सारे रोगों को ठीक

- कालीमिर्च का चूर्ण नाक में डालने से बेहोशी दूर होती है।

- सूजन पर कालीमिर्च का लेप करने से वह ठीक हो जाती है।

- काली मिर्च व तुलसी के पत्ते का काढ़ा बनाकर छानकर उसमें बताशा मिलाकर पीने से जुकाम ठीक होता है।

- कालीमिर्च व काला नमक अंदाज से लेकर दही  में मिलाकर पीने से खाना न पचने की समस्या दूर होती है।  

- कालीमिर्च को पीसकर पुराने गुड़ के साथ देने से नाक से गिरने वाला खून बंद हो जाता है। 

- कालीमिर्च को घी में मिलाकर या मिश्री के साथ सुबह उठते ही खाने से अनेक प्रकार के नेत्र रोग मिटते हैं।

- कालीमिर्च को पीसकर तेल में मिलाकर लकवे के रोगी को लेप करने से लाभ होता है। 

- त्वचा पर कहीं भी फुंसी होने पर, काली मिर्च को पानी के साथ पत्थर पर घिस कर अनामिका अंगुली से सिर्फ फुंसी पर लगाने से फुंसी खत्म जाती है। 

- काली मिर्च को सुई से छेद कर दिये की लौ से जलाएं। जब धुआं उठे तो इस धुएं को नाक से अंदर खीच लें। इस प्रयोग से सिर दर्द ठीक हो जाता है। हिचकी आना भी  भी बंद हो जाती है। 

- काली मिर्च 20 ग्राम, जीरा 10 ग्राम और शक्कर या मिश्री 15 ग्राम कूट पीस कर मिला लें। इसे सुबह-शाम पानी के साथ फांक लें। बवासीर रोग में लाभ होता है। 

- शहद में पिसी काली मिर्च मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से खांसी बंद हो जाती है। 

- आधा चम्मच पिसी काली मिर्च थोड़े से घी के साथ मिला कर रोजाना सुबह-शाम नियमित खाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है। 

- काली मिर्च 20 ग्राम, सोंठ, पीपल, जीरा व सेंधा नमक सब 10-10 ग्राम मात्रा में पीस कर मिला लें। भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से जल के साथ फांकने से मंदाग्रि (खाना न पचना) दूर हो जाती है। 

- चार-पांच दाने कालीमिर्च के साथ 15 दाने किशमिश चबाने से खांसी में लाभ होता है।

- कालीमिर्च सभी प्रकार के संक्रमण में लाभ देती है। 

- यदि आपका ब्लड प्रेशर लो रहता है, तो दिन में दो-तीन बार पांच दाने कालीमिर्च के साथ 21 दाने किशमिश का सेवन करे। 

- बुखार में तुलसी, कालीमिर्च तथा गिलोय का काढ़ा लाभ करता है। 

रोज पीना चाहेंगे टमाटर सूप जब जान लेंगे इसका ये अनोखा गुण.


यूं तो हर फल एवं सब्जियों में कुछ न कुछ औषधीय गुण होते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों की माने तो, अब टमाटर दर्द निवारक दवा एस्पिरिन का विकल्प हो सकता है। एस्पिरिन को दर्द निवारक के साथ-साथ खून पतला करने वाली दवा के रूप में जाना जाता है, अब ऐसे ही कुछ गुणों को टमाटर में भी देखा गया है।

टमाटर के बीजों से बनाए गए प्राकृतिक जेल, शरीर में खून के प्रवाह को बढ़ाने वाले तथा रक्त के थक्कों के बनने से रोकने वाले पाए गए हैं, यह बात हम नहीं रोवेट संस्थान के प्रोफेसर असीम दत्त रॉय के शोध के परिणाम कह रहे हैं। यूरोपीयन यूनियन के स्वास्थ्य अधिकारी तो पहले ही इस बात को मान चुके हैं। यह बात उन करोड़ों लोगों के लिए एक सुखद एहसास है ,जो अपने खून को पतला रखने के लिए एस्पिरिन का सेवन कर अल्सर जैसे दुष्प्रभाव को झेलने को मजबूर हैं।

प्रो. असीम दत्त रॉय के अनुसार आज तक इस जेल के  कोई भी साइड इफेक्ट नहीं देखे गए हैं, इस अध्ययन के अनुसार टमाटर के बीजों से बने जेल के सेवन के तीन घंटे के अन्दर ही यह रक्त के प्रवाह को बढ़ा देता है, तथा इसका अपना प्रभाव 18 घंटे तक बना रहता है। तो है न कमाल का टमाटर। पीएं टमाटर का सूप या टमाटर के बीजों का जेल और कर लें खुद को एस्पिरिन लेने की टेंशन से फ्री।

घरेलू नुस्खे: जीरे से करें इलाज ये है घर का वैद्य


- जीरा, अजवाइन, सोंठ, कालीमिर्च, और काला नमक अंदाज से लेकर चूर्ण कर लें। इसमें थोड़ी सी घी में भूनी हींग मिलाकर खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

- जीरा, अजवाइन और काला नमक का चूर्ण रोजाना एक चम्मच खाने से तेज भूख लगती है और पेट की गैस शांत होती है।

 - 3 ग्राम जीरा और 125 मि.ग्रा. फिटकरी पोटली में बांधकर गुलाब जल में या उबाल कर ठंडा किए हुए 10 ग्राम जल में भिगो दें। आंख में दर्द होने पर या लाल होने पर इस रस को टपकाने से आराम मिलता है।

- दही में भूरे जीरे का चूर्ण मिलाकर खाने से डायरिया मिटता है।

-  जीरे को नींबू के रस में भिगोकर नमक मिलाकर गर्भवती स्त्री को देने उसका जी मचलाना बंद हो जाता है।

- सिरके के साथ जीरा देने से हिचकी बंद हो जाती है। 

- जीरे को गुड़ के साथ खाने से मलेरिया में लाभ पहुंचता है।

-  जीरा आयरन का सबसे अच्छा स्त्रोत है, जिसे नियमित रूप से खाने से खून की कमी दूर होती है। 

- एसीडिटी से तुरंत राहत पाने के लिए,  एक चुटकी कच्चा जीरा खाने से फायदा मिलता है।

- ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए छोटा चम्मच पिसा जीरा दिन में दो बार पानी के साथ लें। 

शतावरी के अचूक रामबाण: आजमाकर देखें ये है लाख दुखों की एक दवा

शतावरी एक चमत्कारी औषधि है जिसका उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है। यह पौधा झाड़ीनुमा होता है, जिसमें फूल व मंजरियां एक से दो इंच लम्बे एक या गुच्छे में लगे होते हैं और मटर के समान फल पकने पर लाल रंग के होते हैं। आयुर्वेद के आचार्यों के अनुसार, शतावर पुराने से पुराने रोगी के शरीर को रोगों से लडऩे की क्षमता प्रदान करता है। इसे शुक्रजनन,शीतल ,मधुर एवं दिव्य रसायन माना गया है। महर्षि चरक ने भी शतावरी को चिर यौवन को बरकार रखने वाला माना है। आधुनिक शोध भी शतावरी की जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मान चुके हैं। अब हम आपको शतावरी के कुछ आयुर्वेदिक योग की जानकारी देंगे, जिनका औषधीय प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में करना अत्यंत लाभकारी होगा।

 - यदि आप नींद न आने की समस्या से परेशान हैं तो बस शतावरी की जड़ को खीर के रूप में पका लें उसमें थोड़ा गाय का घी डालें और ग्रहण करें। इससे आप तनाव से मुक्त होकर अच्छी नींद ले पाएंगे।

-शतावरी की ताजी जड़ को मोटा-मोटा कुट लें, इसका स्वरस निकालें और इसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर पका लें। इस तेल को माइग्रेन जैसे सिरदर्द में लगाएं और लाभ देखें।

-यदि रोगी खांसते-खांसते परेशान हो तो शतावरी चूर्ण - 1.5 ग्राम, वसा के पत्ते का स्वरस  2.5 मिली, मिश्री के साथ लें और लाभ देखें।

-प्रसूता स्त्रियों में दूध न आने की समस्या होने पर शतावरी का चूर्ण -पांच ग्राम गाय के दूध के साथ देने से लाभ मिलता है।

-पुरुष यौन शिथिलता से परेशान हो तो शतावरी पाक या केवल इसके चूर्ण को दूध के साथ लेने से लाभ मिलता है।

-यदि रोगी को मूत्र से सम्बंधित विकृति हो तो शतावरी को गोखरू के साथ लेने से लाभ मिलता है।

- शतावरी मूल का चूर्ण -2.5 ग्राम, मिश्री -2.5 ग्राम को एक साथ मिलाकर पांच ग्राम क़ी मात्रा में रोगी को सुबह शाम गाय के दूध के साथ देने से प्रमेह, प्री -मैच्योर इजेकुलेशन (स्वप्न-दोष ) में लाभ मिलता है।

-शतावरी के जड़  के चूर्ण को पांच से दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ नियमित रूप से सेवन करने से धातु वृद्धि होती है।

-वातज ज्वर में शतावरी के रस एवं गिलोय के रस का सेवन करने से ज्वर (बुखार) से मुक्ति मिलती है।

-शतावरी के रस को शहद के साथ लेने से जलन, दर्द एवं अन्य पित्त से सम्बंधित बीमारियों में लाभ मिलता है।

बार-बार डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा

कमजोर इम्युनिटी पावर के कारण कुछ लोगों बार-बार बीमार हो जाते हैँ। ऐसे में  कई तरह की ऐलोपैथिक दवाई लेना भी शरीर के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए बार-बार  क्लिनिक के चक्कर लगाने से अच्छा है कि आप एक बार इन समस्याओं को जड़ से मिटाने के लिए नीचे लिखा नुस्खा जरूर आजमाएं। 

सामग्री- गुलाब के फूल, तुलसी के पत्ते, ब्राह्मी बूटी, खसखस, और शंखपुष्पी 300-300ग्राम। बनफशा, मुलहठी, सौंफ, तेजपान, 100-100ग्राम। लाल चंदन, बड़ी इलाइची, दालचीनी, लौंग, सौंठ, बदयान, काली मिर्च और असली केसर 10-10 ग्राम सबको अच्छी तरह पीसकर, छानकर बारीक चूर्ण कर लें।

 सेवन विधि- एक चम्मच चूर्ण एक लीटर पानी में डाल कर उबालें। उचित मात्रा में चीनी और दूध डालकर सुबह खाली पेट एक गिलास  पीएं। यह मात्रा चार व्यक्ति के लिए है। 

लाभ- इसके सेवन से शरीर के आंतरिक दोष दूर होते हैं। मानसिक  व शारीरिक थकावट  व निर्बलता दूर होती है। सिरदर्द, खांसी, गैस ज्वर, और उदर रोगों से छुटकारा मिलता है। स्मरण शक्ति और दिमागी ताकत बढ़ती हैं। स्नायुदौर्बल्य दूर होता है। दरअसल यह संजीवनी बूटी की तरह लाभकारी है।

गुरुवार, 7 जून 2012

घर में करें रोगों का उपचार



हमें होने वाले कई बीमारियों का इलाज हमारे घर में पायी जाने वाली वस्तुओं से ही हो सकता है। आईये, जाने ऐसी कुछ वस्तुओं के बारे में।
हल्दी :
चोट : कहीं भी चोट, मोच आ गई हो तो हल्दी के साथ पानी मिला हुआ चूना मिलाकर लेप कर देने से चोट-मोच को शीघ्र आराम मिलता है। सूजन भी कम हो जाती है। दर्द भी दूर हो जाता है। लगाने के साथ हल्दी एक चम्मच गर्म दूध से खाना चाहिये, इससे तत्काल दर्द भी लाभ होता है। यह प्रतिरोधक दवा भी है।
घाव :- चोट से घाव हो गया तो उसमें हल्दी का चूर्ण भर दें या हल्दी को घी में गर्म करें तथा इस गर्म-गर्म हल्दी में रूई का फोहा पानी में भिंगोया हुआ डाल दें। फोहा पक जायेगा तथा घी व हल्दी को सोख लेगा। इसे गुनगुना ही रात को घाव पर बांधकर सो जावें तो सुबह तक ही काफी आराम आ जायेगा। पैरों में कांटा चुभ गया हो तो इसे बांध लें कोटा ऊपर आ जायेगा। दर्द शांत हो जायेगा, फोड़ा न फूटता हो तो वह भी इससे फूट जायेगा।
आंख :- हल्दी को नींबू के रस में खरल करें। सूख जाने पर इसे अंजन की तरह आंख में लगाने से आंख का जाला, फूला दूर होता है, हल्दी को पानी में घिसकर आंख के ऊपर लेप करने से आंख की लालिमा दूर होती है।
आमवत :- हल्दी व सोंठ समभाग को सुबह-शाम दूध से लेने से आमवत में लाभ होता है।
खांसी :-हल्दी की गांठ को आग में भून लें, इसे चूसते रहने से खांसी का दौरा रूकता है तथा खांसी ठीक होती है।
प्रमेह :- हल्दी को आंवले के रस व मधु के साथ सेवन करने से प्रमेह एवं स्वप्नदोष में लाभ होता है।
श्वांस :- हल्दी के चूर्ण को गाय के घी के में भून इसे मधु में मिलाकर सुबह-शाम लेने से श्वास रोग तथा ईसनोफीलिया में आराम मिलता है। एलर्जी जन्य श्वास रोग में भी हल्दी अत्यंत लाभदायक है।
सुधा हरिद्रा :-हल्दी तथा चूना 25-25 ग्राम लें एक मिट्टी को हांडी में चूना डालकर एकलीटर पानी डाल दें। पानी से चूना खुदबुदाने लगेगा। तत्काल उसमें हल्दी डाल दें तथा तत्काल ढक्कन लगाकर बंद कर दें। थोड़ा ठंडा हो जाने पर कपड़े से मिट्टी की हांडी को पैक करके रख दें। जब पानी पूरा सूख जाये तो हल्दी को निकालकर धोकर सुखाकर महीन चूर्ण कर लें तथा घी में भूनकर शीशी में रखें।
एलर्जी : सभी प्रकार की एलर्जी में हल्दी लाभप्रद हैं। एलर्जी जन्य श्वास, प्रतिश्यास रोग में भी उत्तम फलप्रद है। एक-एक चम्मच सुबह-शाम मधु से चाटना चाहिये।
कैंसर – हल्दी का सेवन करने से रसौली होने का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है।
हरिद्रा खंड : सुप्रसिध्द औषधि है जो बाजार में मिलती है। 1-1 चम्मच सुबह-शाम पानी से सेवन करना चाहिये। इसके प्रयोग से शीतपित्त, खाज, खुजली, एक्जिमा, सोराईसिस, एलर्जी जैसे भयंकर दु:साध्य चर्म रोग अच्छे होते हैं। विचेरक होने से कोष्ठशुध्दि भी करता है।
मैथी :-
मैथी चूर्ण :- मैथी दाना को पीसकर चूर्ण बना लें, 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी से भोजन के बाद छाछ (मठा से) या केवल सोते समय पानी से लें। मधुमेह में इस प्रकार लेने से मूत्र व रक्त की शर्करा 1 सप्ताह में कम हो जाती है। मधुमेह में मैथी का निरंतर सेवन लाभदायक है। इस प्रकार के रोगी 1 किलो गेहूं के आटे में एक किलो मैथी का आटा पिसवाकर मिक्सी रोटी (चोकर सहित) खाने से भी मधुमेह का नियंत्रण हो जाता है और औषधि सेवन की आवश्यकता नहीं रहती।
मैथी क्वाथ :- मोटी कुटी हुई मैथी 5 ग्राम को एक गिलास पानी में डालकर उबालें, आधा शेष रह जाने पर छानकर चाय की तरह घूंट-घूंट कर गर्म-गर्म पी लें।
मैथी क्वाथ के गरारे :- इस क्वाथ के गरारे करने से गले में दर्द, टांसिल की सूजन, गले के छाले ठीक हो जाते हैं। अमाश्य के अल्सर में मैथी के क्वाथ को दिन 3 बार सुबह खाली पेट, दोपहर को भोजन से आधे घंटे पहले तथा रात्रि को सोते समय कुछ महीने लगातार लेना चाहिये। इससे अल्सर ठीक हो जाता है। क्वाथ में दूध-चीनी मिलाकर चाय की तरह पी सकते हैं।
मैथी का चूर्ण :- भुने जीरे तथा सेंधा नमक मिलाकर मठे (छाछ) के साथ लेने से आमातिसार में लाभ मिलता है। मैथी और सौंठ में गुड़ मिलाकर सुबह-शाम खाने से आमवात में लाभ मिलता है। मैथी के चूर्ण में जौ का आटा मिलाकर गालों पर लेप करने से गलसुआ के दर्द में तत्काल राहत मिलती है।
मैथी के पत्तों का रस :- रूप से पीने से वात दर्द, बवासीर, ज्वर, शोध, आग्नमांद्य आदि में लाभ मिलता है। मैथी के पत्ते का रस, सफेद कत्था तथा मिश्री मिलाकर लेने से बहुमूत्र में लाभ होता है। मैथी, मूंगफली तथा छुहारा रात में भिंगो दें, सुबह नाश्ते में लें, स्वप्नदोष में लाभ मिलता है। श्वेत प्रदर में मैथी का चूर्ण एक चम्मच गुड़ मिलाकर कुछ दिन तक खाना लाभप्रद है।
मैथी मोदक :- मैथी पाक सर्दियों में खाने से वर्ष भर बहुत लोग रोगों से बचे रहते हैं। अत: आमवात व वात रोगियों के लिये मैथी मोदक का सेवन आदि लाभप्रद हैं।
धनिया के घरेलू उपचार :-धनिया की चाय : एक गिलास पानी में एक चम्मच धनिया डालकर उबालकर एक कप शेष रख लें। इसमें दूध-चीनी मिलाकर चाय की तरह पीने से आमदोष का पाचन होकर पाचन शक्ति बढ़ती है। देह में हल्कापन तथा स्फूर्ति का अनुभव होता है।
पित्तज दाह :- धनिया 1 ग्राम, मिश्री 2 ग्राम को एक गिलास पानी में मिट्टी के बर्तन में रातभर भिंगोकर रखें, सुबह मसलकर छानकर पीवें। इससे सिर में चक्कर आना, सारे शरीर में खासकर पैरों की पगदायी में जलन होना, आदि में आराम मिलता है। मूत्र दाह तथा मुख के छाले भी इससे ठीक होते हैं।
दिमागी कमजोरी :- अकस्मात आंखों के सामने अंधेरा छा जाने में इसके सेवन से बड़ा लाभ मिलता है।
अति आर्तवस्त्राव :- यदि मासिक स्राव बहुत अधिक मात्रा में आता हो तो उपरोक्त शर्बत पिलावें तो 3-4 दिन में ही आराम आ जाता है।
रक्तार्श :- बवासीर में रक्त जाने में भी इसके सेवन से लाभ मिलता है।
अतिसार :- भुना हुआ धनिया का चूर्ण एक चम्मच दही में मिलाकर खाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
वमन : गर्भवती स्त्री को प्रात:कालीन वमन में धनिया का वर्णित विधि से तैयार शर्बत पिलाने से लाभ होता है।
अनिद्रा :- हरा धनिया का रस 3 मिली रात में सोते समय पीने से सुख की नींद आती है।
स्वप्नदोष : धनिया चूर्ण के समभाग मिश्री मिलाकर एक चम्मच सोते समय लेना लाभप्रद है।

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