शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

स्‍पाइसी बनाता है ऑयल

किसी कारण आपका सेक्‍स डिजायर कम हो गया है तो इसका उपाय पिल्‍स नहीं है बल्कि कुछ प्राकृतिक ऑयल हैं जो आपके सेक्‍स लाइफ को फिर से सक्रिय बना सकते हैं। ये ऑयल आपको क्रियाशील बनाने के साथ साथ रिलैक्‍स करते है और मन को शांति प्रदान करते हैं।
• चन्दन ऑयल चंदन की सुगंध भौतिक अंतरंगता बढ़ाने में मदद करता है । यौन समस्याओं से गुजर रहे हैं तो इस तेल की मालिश सोने से पहले जरूर करें। यह नसों को आराम देने के साथ साथ क्रियाशील भी बनाता है।
• लैवेंडर ऑयल जिन महिलाओं का यौन जीवन समस्याओं से घिरा होता है उनके लिए लैवेंडर ऑयल बेहतर विकल्‍प हो सकता है। यह संवेदनशीलता बढ़ाने के साथ सुखद एहसास कराता है।
• जैस्मीन ऑयल पुरुषों में शीघ्र स्‍खलन की समस्‍या आम होती है। ऐसे पुरुषों के लिए जैस्‍मीन ऑयल बहुत उपयोगी है। साथ ही एनर्जी लेवल को भी बढ़ाता है।
• गुलाब ऑयल गुलाब के फूल के साथ महिलाओं का गहरा नाता है। यह महिलाओं के सेक्‍स डिजायर को बढ़ाने का काम करता है। इसके साथ जो महिलाएं हार्मोंस संबंधी समस्‍या से गुजर रही है उनके लिए इसका तेल काफी फायदेमंद है। इसका उपयोग कैसे करें इन ऑयल के कुछ बूंदों को अपने नहाने के पानी मिलाएं। बेडरूम में कुछ बूंदे सोने के पहले बिस्‍तर पर छिड़क दें। चाहें तो रात में इसे परफ्यूम की तरह भी इस्‍तेमाल कर सकती है।

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

फल और सब्जी से करें उपचार

मूली : इसका रस 1-1 चम्मच दिन में 3-4 बार पीने से आँतों के विकार दूर होते हैं और बवासीर रोग ठीक होता है। मूली स्वयं हजम नहीं होती, लेकिन अन्य भोज्य पदार्थों को पचा देती है।
अमरूद : अमरूद के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ले करने से मुँह के छालों और मसूड़ों के कष्ट में आराम मिलता है। जामफल में विटामिन सी की अधिकता होने के कारण यह त्वचा से संबंधित बीमारियों को कम करता है।
अँगूर : अँगूर की पत्तियाँ सुखाकर पीसकर रख लें। एक चम्मच चूर्ण एक गिलास पानी में उबालकर काढ़ा करें और इस कुनकुने गर्म काढ़े से गरारे करने से मुँह के छाले, दाँत दर्द और टॉंसिल्स के कष्ट में बहुत लाभ होता है।
पत्तागोभी : इसके पत्तों के रस में समभाग पानी मिलकर गरारे करने से टॉंसिलाइटिस, फेरिजाइटिस और लेरिजाइटिस आदि व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं। प्रतिदिन पत्तागोभी के पत्ते बारीक काटकर सेवन करने से नेत्र ज्योति तेज होती है।
खूबानी : इसकी गिरियों का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने और ऊपर से गर्म दूध पीने से सर्दी-खाँसी, श्वास कष्ट, सिर दर्द, वात प्रकोप, गैस ट्रबल और पेट दर्द आदि व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं।
गाजर : प्रतिदिन दोपहर में एक गिलास गाजर का रस पीने से शरीर में रक्त बढ़ता है। शरीर पुष्ट और सुडौल होता है तथा आँखों की ज्योति बढ़ती है। गाजर का रस पीने से चेहरे पर लालिमा आ जाती है।

बीमारियों को दूर करते हैं फूल

प्रकृति की बेहद खूबसूरत सौगात रंग-बिरंगे, महकते फूल सिर्फ आँखों को ही शीतलता नहीं देते बल्कि सेहत की दृष्टि से भी लाजवाब होते हैं। फूलों की हजारों प्रजातियों में से कई ऐसी हैं, जिनमें घाव को भरने से लेकर त्वचा संबंधी बीमारियों को दूर करने का भी उपचार है। फूलों की अलग-अलग प्रजातियाँ अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक होती हैं और इसलिए इनका उपयोग करने के पहले विशेषज्ञ का परामर्श आवश्यक होता है।
गेंदे का फूल
जिनके घरों में बच्चे हों, उन्हें अपने घरों में गेंदे का फूल जरूर लगाना चाहिए। गेंदे के फूल को घाव भरने के लिए सर्वश्रेष्ठ मरहम माना जाता है। पुराने समय में बच्चों को चोट लगने पर गेंदे के फूलों को पीस कर घाव के स्थान पर लगा दिया जाता था। गेंदे के फूलों को तुलसी के पत्तों के साथ पीस कर उसका मलहम बना कर भी घाव के उपर रखा जा सकता है। इसके अलावा गेंदे की एक विशेष प्रजाति से त्वचा संबंधी रोगों का भी उपचार किया जा सकता है। इन दिनों लोकप्रिय अरोमाथेरेपी में भी एग्जिमा, जलन और त्वचा के दाग-धब्बों के उपचार संबंधी दवाइयों में गेंदा मुख्य घटक होता है।
फूलों के राजा गुलाब का भी चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान है। आयुर्वेद में गुलाब का उपयोग स्कर्वी के उपचार और गुर्दे संबंधी समस्याओं में होता है। फूलों से उपचार के क्षेत्र में शोध कर रहे आयुर्वेद चिकित्सक डॉ। नितिन शर्मा ने बताया कि गुलाब का फूल शरीर में विटामिन सी की कमी को दूर करने में सहायक होता है।
गुलाब
गुलाब की कलियाँ विटामिन सी से समृद्ध होती हैं। इन कलियों को स्कर्वी दूर करने के एक प्रमुख तत्व के तौर पर शामिल किया जाता है। गुलाब की कलियाँ का अर्क गुर्दे की बीमारियों की दवाइयाँ बनाने में भी इस्तेमाल होता है। यह मूत्र संबंधी विकारों को दूर करती हैं। इसके अलावा गुलाब की पँखुड़ियाँ गर्मी के कारण आए बुखार को दूर करने, शरीर को ठंडा करने और त्वचा की झाइयाँ दूर करने में उपयोग की जाती हैं।
कमल
कीचड़ में खिलने वाला कमल भी डायरिया को दूर करने और गर्मी के कारण झुलसी त्वचा को निखारने में मददगार साबित होता है।
डायरिया के उपचार के लिए कमल के बीजों को गर्म पानी में डाल कर उसमें काला नमक मिलाया जाता है। अब इसमें चाय की पत्ती डालकर उबाल कर पीने से डायरिया का उपचार किया जा सकता है।कमल की पत्तियों को पीस कर उसे झुलसी त्वचा पर लगाने से त्वचा की गर्मी दूर हो जाती है और झुलसने का निशान भी चला जाता है। शरीर से अतिरिक्त वसा कम करने की दवाइयों में भी कमल की पत्तियों का उपयोग होता है।

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

भोजन : क्या खायें, कब खायें?

 

* प्रात: सूर्य उदय होने से पूर्व उठें। आवश्यक सैर, प्राणायाम, व्यायाम के लिए जरूर समय निकालें।
* रात देर तक जागने की आदत को सदा के लिए त्याग दें।
* यदि आप को खाते रहने की आदत है और उपवास नहीं रखते, तो प्लीज पूरे महीने में दो से तीन बार उपवास करें।
* उपवास तोड़ते समय सामान्य खुराक लें। आम दिनों से दो गुना खाकर उपवास के प्रभाव को खत्म न कर दें।
* जब भी भोजन करने बैठें, सारी चिंताएं दूर भगाकर मन चित्त लगाकर, चबा-चबा कर भोजन करें।
* भोजन खाते समय प्रसन्नचित रहें तथा मौन रहें तो बहुत ही अच्छा।
* अनाज, दालें आदि शरीर के लिए आवश्यक हैं। मोटा आटा, मोटा अनाज छिलकेदार दालें बेहतर हैं।
* यदि आप की आयु पचास से ऊपर है तो दिन में एक बार दालें, एक ही बार अनाज लेना चाहिए।
* कितनी भी जल्दी हो, भोजन सदैव खूब चबाकर खाएं। यदि समय कम है तो कम भोजन खा लें, मगर बिना चबाए नहीं।
* प्रात: तथा सायं के समय कुछ देर खुली हवा में घूमना, लम्बे-लम्बे सांस लेना आप के स्वास्थ्य के लिए उत्तम होगा।
* दोपहर के भोजन के बाद थोड़ा विश्राम, रात्रि के भोजन के बाद थोड़ी वाक करने की आदत अच्छी रहती है।

लाभदायक घरेलू इलाज

* चक्कर आने पर तुलसी के रस में चीनी मिलाकर सेवन करने से ठीक हो जाते हैं।
* मिश्री के साथ तुलसी दल लेने से पेट में दर्द ठीक हो जाता है।
* कुष्ठ रोग में प्रतिदिन प्रात: तुलसी का रस पीने से रोग ठीक हो जाता है।
* दाद-खाज जैसे चर्म रोगों में तुलसी और नींबू के रस का लेप करने से लाभ मिलता है।
* स्मरणशक्ति को बढ़ाने के लिए तुलसी के 5 पत्ते सुबह खाने से लाभ होता है।
* तुलसी का पंचांग चूर्ण चार माशा गाय के दूध में सुबह-शाम पीने से गठिया रोग ठीक होता है।
* मुंह के छालों में तुलसी के अर्क का कुल्ला करने से लाभ होता है।
* हैजे में तुलसी के बीज का चूर्ण बनाकर गाय के दूध में सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।
* दस्त आने पर एक माशा जीरा और दस तुलसीदल दिन में तीन बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
* पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए छोटी इलायची अदरक का रस और तुलसी का रस मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
* कान में हो रहे सामान्य दर्द को दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों का रस कपूर में मिलाकर गुनगुना करके कुछ बूंदें डालने से लाभ मिलता है।

सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

कंधो के दर्द-जकडऩ से परेशान है

यदि आप कंधो के दर्द-जकडऩ से परेशान है तो आपके लिए पर्वतासन बहुत अच्छा उपाय है। इस आसन से कंधो की जकडऩ और कंधों के जोड़ों को दर्द दूर होता है। साथ ही साथ रीढ़ के सभी जोड़ों के बीच का तनाव कम होता है।पर्वतासन की विधिसमतल स्थान पर कंबल या अन्य कपड़ा बिछाकर बैठ जाएं। रीढ़ को सीधा रखें, दोनों हाथों की अंगुलियों को इंटरलॉक करें, हथेली को पलट कर सिर के ऊपर लाएं। पर्वतासन करने के लिए हाथों को ऊपर की ओर खींचे, बाजू सीधा कर लें। कंधे, बाज़ू और पीठ की मांसपेशियों में एक साथ खिंचाव को महसूस करें। इस स्थिति में एक से दो मिनट तक रूकें, गहरी सांस लें और निकालें। अंत में हाथों को नीचे कर लें। पैरों की स्थिति बदिलए और एक बार फिर से पर्वतासन का अभ्यास करें। रीढ़ को हमेशा सीधा रखिए।पर्वतासन के लाभपर्वतासन के अभ्यास से कंधो की जकडऩ और कंधों के जोड़ों को दर्द दूर होता है। साथ ही साथ रीढ़ के सभी जोड़ों के बीच का तनाव कम होता है। फलस्वरूप तंत्रिकाओं में एक प्रकार की स्फूर्ति बनी रहती है और मन प्रसन्न रहता है।पर्वतासन करने से ना सिर्फ सांस लेने में अधिक सुविधा होती है, बल्कि फेंफड़ों की क्षमता बढ़ती है. दरअसल जब हाथों को ऊपर की ओर खींचा जाता है तब पेट की मांसपेशियों में हल्का सा खिंचाव बना रहता है और छाती चौड़ी हो जाती है, जिससे फेंफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ जाती है और सांस भरने और निकालने में सुविधा होती है। गर्भवती महिलाएं भी पहले 6 महीने तक इस आसन का अभ्यास कर सकती हैं। इस आसन के अभ्यास से तंत्रिकाओं में चुस्ती स्फूर्ति बनी रहती है।

नहीं पड़ेगा दिल का दौरा

हमारे शरीर में रक्त संचार सामान्य रहना बहुत जरूरी है। रक्त संचार कम या ज्यादा होना दोनों ही परिस्थितियां हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ऐसे में हमेशा बीमारी को दूर रखने के लिए सही आहार के साथ-साथ योगा भी काफी अहम भूमिका निभाता है।
आसन की विधि: इस आसन की पूर्ण अवस्था प्राप्त करने में नियमित अभ्यास बहुत जरूरी। इसके लिए किसी समतल स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के मध्य लगभग एक मीटर की दूरी रखें। लंबी सांस लेकर अंदर ही रोकें। इसमें दाएं हाथ से बाएं पैर का पंजा स्पर्श करें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए झुकें और बाएं हाथ से दाएं पैर के पंजे का स्पर्श करें और फिर दाएं हाथ से बाएं पैर के पंजे का स्पर्श करें। आपको अपनी नजर हाथ के आगे भाग पर टिकाए रखें। इस बात का भी ध्यान रखें कि झुककर पांव को छूते समय पैर जरा भी झुकें नहीं। वह बिल्कुल सीधी और तनी हुई रखें। इस आसन से कमर का जितना अधिक झुकाव होगा, उतना ही अधिक लाभ प्राप्त होगा। एक बात और छाती को विशेष रूप से पांव की ओर घुमाना चाहिए। इस क्रिया से छाती व फेंफड़े भी मजबूत होंगे।
आसन के लिए सावधानी: यह आसन गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए।
आसन के लाभ: इसके नियमित अभ्यास से हृदय और सांस संबंधी रोगों में बेहद फायदा मिलता है। इससे पेट की आंतें स्वस्थ रहती हैं। कमर दर्द से छुटकारा मिलता है। इस योग से पूरे शरीर का व्यायाम होता है जिससे शरीर का रक्त संचार ठीक रहता है। शरीर को बल मिलता है। कमर, गर्दन, हाथों के लिए यह आसन बेहद लाभदायक है।

किसी भी व्यायाम में ऐसी व्यवस्था नहीं है कि पेट के सभी तंत्रों को कुछ क्षण के लिए आराम दिया जा सके। पेट की सारी पेशियों की मालिश भी प्राकृत रूप से हो जाती है। जिनको कब्ज की परेशानी रहती है, उनके लिए यह उड्डीयन बन्ध सबसे अधिक फायदेमंद है।उड्डीयन बंध की विधि: सबसे पहले कंबल या दरी बिछाकर पद्मासन में बैठ जाएं। पेट के अंदर की सारी वायु निकाल दें और पेट को अंदर की ओर खलाएं। जब पेट अंदर चला जाए, तो नाभि के नीचे के के भाग को सिकोड़ें। इसप्रकार महाप्राचीरा ऊपर को उठेगी और नाभि के अंग पेडू और गुप्तांग के आसपास की पेशियों का शिथलीकरण हो जाए। घुटनों को थोड़ा मोड़ें और दोनों घुटनों पर रखें। सांस बाहर निकाल दें। अब घुटनों पर जोर देते हुए पेट को अंदर खलाएं जिससे पेट में गड्ढा सा बन जाए। इस स्थिति के बाद नाभि के नीचे के भाग पेडू और गुप्तांग के चारों ओर की पेशियों को ऊपर की ओर तानें। इस प्रकार उदर, पेडू और नीचे की पेशियों का शिथलिकरण हो जाएगा। इसी स्थिति में रहकर पेट का तनाव कम कर दें और धीरे-धीरे सांस अंदर जाने दें। यह पूर्ण उड्डीयन की स्थिति होगी। जबतक सांस सरलता से रोक सके, उतनी ही देर खलाने की क्रिया जारी रखें। जब यह महसूस होने लगे की अब सांस नहीं रुकेगी तो धीरे-धीरे अंदर की ओर सांस भरना शुरू करें।सावधानी: हाई ब्लड प्रेशर के रोगी इस बंध को ना करें।उड्डीयन बंध के फायदे: इस बंध से पेट के सभी तंत्रों की मालिश हो जाती है। पाचन शक्ति बढ़ती है। कुण्डलिनी जागरण में यह बंध महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि किसी व्यक्ति को कब्ज की समस्या है तो उसे यह बंध नियमित करना चाहिए। साथ ही इस बंध से भूख बढ़ती है एवं पेट संबंधी कई रोग दूर होते हैं।

पाइल्स की प्राब्लम

आजकल की अति व्यस्त जीवन शैली में मन को एकाग्र रख पाना असंभव सा हो गया है। मन को एकाग्र रखने का मतलब यही है कि मन फालतू बातों की ओर ना भटके तथा किसी भी कार्य को अच्छे मन से कर सके। मन की एकाग्रता बढ़ाने के लिए प्रणवासन करें। जल्द ही लाभ प्राप्त होने लगेगा।आसन की विधि:किसी साफ और स्वच्छ स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। अब दाएं पैर को घुटने से मोड़कर, बाएं हाथ से दाहिने पैर की एड़ी को पकड़ें। इसके बाद दाहिने पैर को कंधे के पीछे से ले जाकर गर्दन के पिछले भाग से एड़ी को छूते हुए सिर के नीचे रखें। इसी तरह अब बाएं पैर को भी गर्दन के पीछे ले जाकर एड़ी को सिर के नीचे रखें। दोनों हाथों की उंगलियां नितंबों में फंसा कर रखें और अपनी दृष्टि को सामने की ओर टिकाएं।सावधानी:यह आसन लड़कियों और महिलाओं को कभी नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसके अभ्यास से संतान नहीं होती है। जो महिलाएं संतान नहीं चाहती वे इस आसन को कर सकती हैं।आसन के लाभ:यह आसन ध्यान और समाधि में सहायक है। इस आसन से मन को शांति प्राप्त होती है और एकाग्रता बढ़ती है। रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है। पेट और गले सुदृढ़ रहते हैं। कमर दर्द दूर होता है। इस आसन से बवासीर के रोग में भी राहत मिलती है।

असंतुलित खान-पान और अव्यवस्थित दिनचर्या के चलते काफी युवाओं का शरीर बेडोल हो जाता है। इसी वजह से अधिकांश समय आलस और सुस्ती में बीतता है। इसे दूर करने के लिए हस्त कटिपादासन करें।

आसन की विधि: कंबल या दरी बिछाकर दोनों पैरों में थोड़ा फासला रखकर खड़े हो जाएं तथा छाती की सीध में फैलाएं। अब गहरी सांस लें और कमर को जितना घुमा सकते हैं, घुमाएं, दाएं-बाएं दोनों तरफ तीस-चालीस सेकंड से प्रारंभ करके दो मिनिट तक का समय बढ़ाएं।आसन
के लाभ:हस्त कटिपादासन के नियमित अभ्यास से कंधे लचीले और पुष्ट होते हैं। बांहें मजबूत बनती हैं। वात रोग दूर होते हैं। छाती और कमर के रोगों से निपटने के लिए यह आसन बेहद फायदेमंद है। रक्त शुद्ध होता है। त्वचा की चमक बढ़ती है, चेहरे का आकर्षण बढ़ता है। इस आसन से मोटे शरीर वाले लोगों को 3-4 महीने में ही फायदा मिलने लगता है। इससे कमर पतली और आकर्षक हो जाती है।

अगर आपका पेट हमेशा खराब रहता है

आजकल लोंगों में पेट खराब होने की समस्या आम हो गई है आज के खान पान से लोगों की पाचन तत्रं प्रक्रिया एकदम गड़बड हो गई है।? यदि आपका पेट अक्सर खराब रहता है या छोटी-बड़ी आंत में की कोई बीमारी है? जरूरत से ज्यादा नींद आती है? तो नौकासन जरूर फायदा पहुंचाएगा।
नौकासन करने की विधि- समतल स्थान पर कुछ बिछाकर उस पर पीठ के बल लेट जाएं। अब दोनों हाथों, पैरों और सिर को ऊपर की ओर उठाएं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। इसी अवस्था को नौकासन कहते हैं। कुछ देर इसी पोजीशन में रहें और फिर पुन: धीरे-धीरे हाथ, पैर और सिर को जमीन पर ले आएं।
लाभ: इस आसन से आपका पाचन तंत्र स्वस्थ रहेगा, हर्निया की समस्या में राहत मिलेगी। अंगूठे से अंगुलियों तक खिंचाव होने के कारण शुद्ध रक्त तीव्र गति से प्रवाहित होता है, जिससे शरीर निरोगी बना रहता है। यदि आपको नींद अधिक आती है तो उसे नियंत्रित करने में ये नौका आसन सहायक है! इस आसन में अपने इष्ट देव के मंत्रों का जप करने से त्वरित लाभ प्राप्त होता है।

नींबू के रोजाना प्रयोग से होता है रंग गोरा

आज की भौतिकतावादी युग में हर कोई सुन्दर दिखना चाहता है। किसी लडके की शादी के लिए उसके मां बाप गोरी लडकी ही चाहते है। लडकियां अपने पति का रंग गोरा ही चाहती हैं ।अगर आप अपने सांवले रंग से परेशान हैं तो घबराइये नहीं कुछ आसान आयुर्वेद नुस्खे ऐसे हैं जिनसे आपका सांवलापन दूर हो सकता है।
1। एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं )
2। आंवला का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है।
3। गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है।रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सांफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।

गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

गुणकारी है सिर की मालिश

दिनभर की भागमभाग, मानसिक थकान, वायु प्रदूषण, खुष्की और सिरदर्द का उत्तम इलाज है, मालिश। प्राचीन काल में सिर की मालिश को विशेष महत्व दिया जाता है। आज भी किन्हीं परिस्थितियों में तेल लगाकर 8-10 बार हाथ सिर में घुमा दिये जाते हैं। आज के दौर में केशों की बढ़ती समस्याओं से कुछ हद तक निजात पाने के लिये सिर की मालिश अवश्य की जानी चाहिये। मालिश के लिये किसी भी अच्छे किस्म के तेल का प्रयोग किया जा सकता है। जैसे नारियल, सरसों, बादाम, तिल, अरंडी, जैतून, आंवले का तेल आदि।
यदि कामकाजी महिलाएं तेल लगे सिर से कार्यालय न जाना चाहें तो भी सप्ताह में एक या दो बार तेल की मालिश करके कुछ घंटों के अंतराल पर सिर धो सकती हैं। यदि चाहें तो ‘वाइब्रेटर’ खरीद सकती हैं। इसकी अलग-अलग अटैचमेंट्स बदलकर केशों की बढ़ने की दिशा में इसे घुमाया जाता है। इसके द्वारा बिजली से मालिश की जाती है।
मालिश के लिये प्रयोग किये जाने वाले तेल को किसी छोटे बरतन में अलग से गुनगुना करके इस्तेमाल किया जाए तो लाभ की संभावना अधिक होती है।
तेल की मालिश से पूर्व केशों में भली प्रकार कंघी करें, केशों को उलझने न दें। अब गुनगुने तेल को केशों की जड़ों में लगाया जाना चाहिये। केशों के छोर तेल रहित भी हों तो भी संपूर्ण सिर में तेल लगाने के बाद कंघी करने पर तेल केशों की जड़ों तक स्वत: ही पहुंच जाता है।
केशों को बेतरतीबी से उलटने-पलटने की अपेक्षा छोटी-छोटी मांगें निकालते हुए रूई के फाहे द्वारा तेल लगाया जाना चाहिये। संपूर्ण सिर में तेल लग जाने के बाद घर के किसी सदस्य की मदद लेकर सिर की मालिश कराई जानी चाहिये।
मालिश के लिये कीटाणुनाशक साबुन से हाथों को साफ किया जाना चाहिये। मालिश हल्के हाथों से की जानी चाहिये, न कि केशों को तोड़ते-खींचते हुए।
ऐसे करें सिर की मालिश
* सर्वप्रथम सामने की ओर माथे के पास से सिर की मालिश की जानी चाहिये।
* दोनों हाथों की मध्यमा व अनामिका को गोल-गोल घुमाकर उंगलियों को कानों के पास केशों की रेखा के पास रखते हुए नीचे से ऊपर सिर के मध्य तक ले जाते हुए मालिश करें।
* अब इसी स्थिति में उंगलियों को केशों की रेखा से 2.5 सेंमी. पीछे टिकाकर पूर्व स्थिति के अनुसार उंगलियां गोल-गोल घुमाएं।
* अब इस स्थान से 2.5 सेंमी पीछे उंगलियां टिकाकर पूर्व स्थिति में मालिश करते हुए उंगलियां सिर के बिल्कुल मध्य तक ऊपर लाएं।
* दोनों हाथों की अनामिका व मध्यमा को सिर के मध्य के हिस्से से धीरे-धीरे खिसकाते हुए कानों के पास लाएं। दोनों हाथों में अंगूठे सिर के मध्य ऊपर टिकाकर रखें।
* अब दोनों हाथों की आठों उंगलियां सिर के मध्य बिल्कुल ऊपर फैलाकर टिकाते हुए दोनों हाथों के अंगूठों को गर्दन के पास केशों की जड़ों के अंतिम सिरे पर रखकर धीरे-धीरे अंगूठों को ऊपर की तरफ फिसलाएं।
* दायां हाथ सिर के सामने की ओर माथे को छूते हुए रखें और बाएं हाथ को सिर के पीछे रखें बाएं हाथ को सिर के पीछे की ओर टिकाएं। अब दोनों हाथों को धीरे-धीरे आगे-पीछे ले जाएं।
ध्यान रखें, सिर की मालिश के दौरान केश हाथों में उलझकर टूटें नहीं। हाथों का दबाव भी सिर पर सामान्य हो, न बहुत अधिक हो और न बहुत कम। मालिश के बाद केशों की जड़ों में भाप दें।
यदि स्टीमर उपलब्ध नहीं है तो एक भगोने में पानी गरम करें। उसमें तौलिया भिगोएं और निचोड़कर गुनगुना तौलिया सिर पर लपेट लें। ऐसा करने से तेल जड़ों के अंदर प्रवेश कर जाएगा।
सिर में भाप लेने से गंदगी के कण बाहर निकल जाते हैं। भाप लेते वक्त तौलिया ठंडा हो जाने पर गरम पानी में दोबारा डुबोकर निचोड़कर लगाएं। भली प्रकार से भाप लेने के कुछ समय बाद शैंपू कर लें। शैंपू के बाद केशों में कंडीशनिंग भी अवश्य करें।
नियमित रूप से सिर की मालिश की जाए और मालिश के उपरांत केशों में भाप दी जाए तो इनसे संबंधित कई रोगों व दुष्परिणामों से बचा जा सकता है। साथ ही काले, चमकदार केशों की स्वामी बना जा सकता है, वाहवाही बटोरने के लिये।

हेल्दी टिप्स

* सब्जियों को हमेशा बड़े-बड़े पीस में काटें। इससे उसके विटामिन ज्यादा से ज्यादा रह पाएंगे और आपको पूरा पोषण मिल पाएगा।
* मौसम कोई भी हो, दिन में बाहर निकलने से पहले एक गिलास पानी अवश्य पिएं।
* आयरन और विटामिन ‘बी’ अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। यह बॉडी को एनर्जी प्रदान करता है। स्टूडेंट्स के लिए यह काफी लाभकारी है।
* मटर में प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा पाई जाती है। इसके अलावा दूध, टोफू, योगहर्ट और सोया भी प्रोटीन के अच्छे सोर्स हैं। इन चीजों का सेवन हेल्थ को फिट रखने में फायदेमंद होता है। बढ़ते बच्चों के लिए ये चीजें बहुत जरूरी हैं।
* अगर आप रोजाना दूध के साथ थोड़ी सी हल्दी लेते हैं तो इससे आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं। यह आस्टियोपोरोसिस से भी बचाता है।
* मूली कई तरह के रोगों में एक अचूक औषधि है। जैसे पीलिया में मूली का रस पीने से यह काफी हद तक ठीक हो जाता है। इसमें गन्ने का रस भी काफी असरदार होता है।
* बादाम खाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह दिल की बीमारी होने के 50 प्रतिशत चांस कम कर देता है। साथ ही बादाम के तेल की मसाज बालों और आपकी बॉडी को भी मजबूत बनाती है।
* छिलके वाले गेहूं, जौ, चावल, मूंग की दाल, खीरा, तोरई, लौकी, बथुआ, मेथी और भुट्टा हल्के और सुपाच्य हैं, इसलिए इन्हें अपने खाने में अधिक से अधिक मात्रा में शामिल करें।
* अगर कोलेस्ट्रोल हो तो अण्डे का पीला भाग न खाएं। यह कोलेस्ट्राल को तेजी से बढ़ाता है।
* एक बार में भरपेट न खाएं। दिन भर में चार या पांच बार खाना खाएं। इससे मोटापा नहीं बढ़ता और आपको दिन भर में कई तरह के पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं।
* सिगरेट का धुंआ अन्दर जाने से कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है। साथ ही ब्रॉन्काइटिस और अस्थमा होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
* मोबाइल फोन से ज्यादा देर बात करने से दिमाग का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही सुनने की क्षमता पर भी इसका फर्क पड़ता है।
* हार्ट को फिट रखने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करें। सही डाइट और पॉजिटिव सोच रखने से भी स्ट्रेस लेवल कंट्रोल में रहेगा और हार्ट पर कम प्रेशर पड़ेगा।
* रोजाना सुबह पार्क या गार्डन में बैठकर डीप ब्रीदिंग करना न भूलें! इससे आपका स्ट्रेस लेवल काफी हद तक कम होगा।
* सर्दियों में पैरों में दरारें न पड़ें, इसके लिए गुनगुने पानी में शैंपू मिलाएं और पैरों को आधा घंटा डुबाएं।
* अगर बॉडी में कहीं इचिंग हो रही है तो ऐलोवेरा आयल को लगाने से राहत मिलती है।
* ओवरवेट लोगों को बादाम, काजू, मूंगफली और अखरोट का कम से कम सेवन करना चाहिए क्योंकि इनमें वसा की मात्रा अधिक होती है।
* अगर आप डिप्रेशन में हैं तो डांस करें। डांस करने से शरीर रिलैक्स करने वाले कैमिकल्स रिलीज करता है, जो तनाव को दूर करते हैं।
* डायबिटिक मरीज को न केवल अपने शुगर लेवल बल्कि हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल का भी ख्याल रखना चाहिए नहीं तो हार्ट अटैक होने की संभावना ज्यादा हो जाती है।
* ब्रेड पर शहद व दाल-चीनी का पाउडर मिलाकर जैम की तरह प्रयोग करके नियमित रूप से खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है और दिल से जुड़ी बीमारियों को रोका जा सकता है।
* पालक फाइबर और पोटेशियम का अच्छा स्रोत है पर इसे आपको खाना पसंद नहीं तो इसकी जगह फूल गोभी, लौकी और परवल ले सकते हैं।

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

छिलकों का चमत्कारी रूप

प्राय: गृहणियां साग-सब्जियों और फलों का उपयोग करते समय उनके छिलकों को बेकार समझकर फेंक देती है। लेकिन वास्तव में वे छिलकें बेकार नहीं उपयोगी भी होते हैं। उन छिलकों में कई चमत्कारिक गुण छिपे होते हैं, जिससे सौंदर्य ही नहीं निखरता, बल्कि कई रोगों को दूर करता है। तो आइए जानते हैं छिलकों में छिपे चमत्कारी रूप को।
अनार का छिलका : जिन महिलाओं को अधिक मासिक स्राव होता है वे अनार के सूखे छिलके को पीसकर एक चम्मच पानी के साथ लें। इससे रक्त स्राव कम होगा और राहत मिलेगी। जिन्हें बवासीर की शिकायत है वे अनार के छिलके का 4 भाग रसौत और 8 भाग गुड़ को कुटकर छान लें और बारीक-बारीक गोलियां बनाकर कुछ दिन तक सेवन करें। बवासीर से जल्दी आराम मिलेगा। अनार के छिलके को मुंह में रखकर चूसने से खांसी का वेग शांत होता है। अनार को बारीक पीसकर उसमें दही मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाकर सिर पर मलें। इससे बाल मुलायम होते हैं।
काजू का छिलका : काजू के छिलके से तेल निकालकर पैर के तलवे और फटे हुए स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।
बादाम का छिलका : बादाम के छिलके व बबुल की फल्लियों के छिलके व बीज को जलाकर पीसकर थोड़ा नमक डालकर मंजन करें। इससे दांतों के कष्ट दूर होते हैं, मसूढ़ें स्वस्थ एवं दांत मजबूत बनता है।
नारियल का छिलका : नारियल का छिलका जलाकर महीन पीसकर दांतों पर घिसने से दांतें साफ होते हैं।
नारंगी का छिलका : दूध में नारंगी का छिलका छानकर दूध के साथ नियमित सेवन करने से खून साफ होता हैं।
पपीते का छिलका : पपीते के छिलके को धूप में सूखाकर, खूब बारीक पीसकर ग्लिसरीन के साथ मिलाकर लेप बनावें व चेहरे पर लगाये, मुंह की खुश्की दूर होती है।
आलू का छिलका : आलू के छिलके मुंह पर रगड़ने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती।
लौकी का छिलका : लौकी के छिलके को बारीक पीसकर पानी के साथ पीने से दस्त में लाभ होता है।
तोरई का छिलका : तोरई का ताजा छिलका त्वचा पर रगड़ने से त्वचा साफ होती है।
इलायची का छिलका : इलायची के छिलके चाय की पत्तियां या शक्कर में डाल दें तो चाय स्वादिष्ट बनेगी।
संतरे का छिलका : संतरे के छिलके को दूध में पीसकर छान लें। इसे कच्चे दूध व हल्दी में मिलाकर चेहरे पर लगाये। इससे जहां चेहरे के दुश्मन मुहांसों-धब्बों का नाश होता है, वहीं त्वचा जमक उठता है।
तरबूज का छिलका- दाद, एकजीमा की शिकायत होने पर तरबूज के छिलकों को सूखाकर, जलाकर राख बना लें। तत्पश्चात् उस राख को कड़ुवे तेल में मिलाकर लगाये।
नींबू का छिलका : नींबू का छिलका दांत पर मलने से दांत चमकदार बनता है और मसूढ़ें भी मजबूत बनता है। नींबू का छिलका जूते पर रगड़े व कुछ देर के लिए धूप में रख दें। फिर जूतों पर मालिश करें। जूतों में चमक आ जायेगी। नींबू व संतरा के छिलकों को सूखाकर, खूब महीन चूर्ण बनाकर दांत पर घिसें। दांत चमकदार बनते हैं।

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