हमारे शरीर में रक्त संचार सामान्य रहना बहुत जरूरी है। रक्त संचार कम या ज्यादा होना दोनों ही परिस्थितियां हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ऐसे में हमेशा बीमारी को दूर रखने के लिए सही आहार के साथ-साथ योगा भी काफी अहम भूमिका निभाता है।
आसन की विधि: इस आसन की पूर्ण अवस्था प्राप्त करने में नियमित अभ्यास बहुत जरूरी। इसके लिए किसी समतल स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के मध्य लगभग एक मीटर की दूरी रखें। लंबी सांस लेकर अंदर ही रोकें। इसमें दाएं हाथ से बाएं पैर का पंजा स्पर्श करें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए झुकें और बाएं हाथ से दाएं पैर के पंजे का स्पर्श करें और फिर दाएं हाथ से बाएं पैर के पंजे का स्पर्श करें। आपको अपनी नजर हाथ के आगे भाग पर टिकाए रखें। इस बात का भी ध्यान रखें कि झुककर पांव को छूते समय पैर जरा भी झुकें नहीं। वह बिल्कुल सीधी और तनी हुई रखें। इस आसन से कमर का जितना अधिक झुकाव होगा, उतना ही अधिक लाभ प्राप्त होगा। एक बात और छाती को विशेष रूप से पांव की ओर घुमाना चाहिए। इस क्रिया से छाती व फेंफड़े भी मजबूत होंगे।
आसन के लिए सावधानी: यह आसन गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए।
आसन के लाभ: इसके नियमित अभ्यास से हृदय और सांस संबंधी रोगों में बेहद फायदा मिलता है। इससे पेट की आंतें स्वस्थ रहती हैं। कमर दर्द से छुटकारा मिलता है। इस योग से पूरे शरीर का व्यायाम होता है जिससे शरीर का रक्त संचार ठीक रहता है। शरीर को बल मिलता है। कमर, गर्दन, हाथों के लिए यह आसन बेहद लाभदायक है।
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