शुक्रवार, 11 मई 2012

गर्मी में इन 8 आयुर्वेदिक हेल्दी आदतों को अपनाएं और देखें कमाल

आयुर्वेद में ऋतुओं को काल के अनुसार आदान काल एवं विसर्ग काल में बांटा गया है। आदान काल में वर्षा ,शरद एवं हेमंत ऋतुएं आती हैं तथा विसर्ग काल में शिशिर ,वसंत एवं ग्रीष्म ऋतु का समावेश होता है। आदानकाल में सूर्यबल क्षीण एवं चन्द्रबल पूर्ण होता है, जबकि इसके  विपरीत विसर्ग काल में सूर्यबल पूर्ण एवं चन्द्रबल क्षीण होता है। ध्यान रहे , ऋतुओं का यह वर्गीकरण भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम के हिसाब है। प्रत्येक ऋतु में रहने-खाने के बारे में कुछ नियमों को बतानेवाला विज्ञान मात्र आयुर्वेद है आइये आज हम आपको गर्मी के दिनों में स्वस्थ  रहने के टिप्स बताते हैं 

- गर्मी के मौसम में सूर्य जगत के स्नेहों का आदान यानी अवशोषित कर लेता है। इसलिए इस मौसम में क्षमता से अधिक व्यायाम,धूप एवं कटु,अम्ल  ,लवण रसयुक्त भोजन के सेवन का सर्वथा परित्याग कर देना चाहिए।

-  शराब का सेवन नहीं करें तो बेहतर है, शक्कर मिली हुई ठंडी पानक ,शरबत या सत्तू के घोल का सेवन करना चाहिए।

- मिट्टी के बर्तन में रखे गए जल का सेवन शरीर में शीतलता को बनाए रखते हैं। 

- द्राक्षा (अंगूर ),नारियल का पानी,प्राकृतिक हवा का सेवन उत्तम है।

- स्नान में चन्दन एवं कपूर का प्रयोग गर्मी से राहत देता है।

- मैथुन को भी प्रतिदिन वज्र्य माना गया है।

- हल्के पतले कपडे पहनना ही इस ऋतु में शरीर को सुख देता है।

- पूल ,तालाब या नदी में तैरना भी उचित माना गया है। ये सभी रहने के नियम आयुर्वेद में ऋतुचर्या की नाम से ग्रथों में बताये गए हैं जिनके सयंमित      प्रयोग से आप स्वस्थ रह सकते हैं।

1 टिप्पणी:

Featured post

इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं

महिलाएँ ...इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं।   तो ये है इस फ़ार्मूले का राज... 👇 जन्म वर्ष के केवल आख़री दो अंकों क...