TAKING VICTIM TO THE HOSPITAL ON A STRETCHER
अक्सर जब कोई व्यक्ति किसी दुर्घटना आदि में घायल हो जाता है तो घायल व्यक्ति को दुर्घटना स्थल से ले जाने के लिए सबसे पहले एक स्ट्रेचर की जरूरत पड़ती है। स्ट्रेचर पर ही घायल व्यक्ति को सीधा या आरामदायक स्थिति में लिटाकर अस्पताल ले जाया जा सकता है। अस्पताल आदि में तो स्ट्रेचर हर समय उपलब्ध ही होती है लेकिन दुर्घटना स्थल पर स्ट्रेचर मिलना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसके लिए आसपास पड़े हुए सामान का प्रयोग करके ही स्ट्रेचर तैयार की जा सकती है।
स्ट्रेचर बनाने की विधि-
•सबसे पहले लगभग दो या ढाई मीटर लंबे, गोल और मजबूत दो डंडे ले लें।
•फिर उन डंडों पर लपेटने के लिए ढाई से डेढ़ मीटर मजबूत कैनवस के टुकड़ों को ले लें।
•कैनवस के दोनों लंबे किनारों को इस प्रकार सिल लें कि डंडों को उनमें पिरोया जा सके।
•कैनवस को तना हुआ रखने के लिए उसके चौड़े किनारों पर एक-एक आड़ा करके डंडा लगा दिया जाता है।
•स्ट्रेचर बनाते समय उसके डंडों के किनारों को घिस लिया जाता है ताकि उन्हे पकड़ने वाले व्यक्तियों के हाथ में वह चुभे नहीं।
•कैनवस के एक चौड़े किनारे पर तकिया रख सकते हैं लेकिन यह तकिया भूसा, तिनकों या छोटे-छोटे कपड़ों के टुकड़ों से भरा हुआ होना चाहिए, रूई से नहीं।
•इस तकिए का एक सिरा खुला रखना चाहिए ताकि पीड़ित व्यक्ति के सिर को आरामदायक स्थिति में रखने के लिए उसमें से भूसा, तिनके या छोटे-छोटे कपड़ों को निकाला या डाला जा सके।
कामचलाऊ स्ट्रेचर-
•इस प्रकार की स्ट्रेचर तैयार करने के लिए सबसे पहले दो मोटे और लगभग ढाई मीटर लंबे डंडे या बांस और एक मजबूत कंबल ले लें।
•फिर कंबल को फोल्ड करके उसके अंदर लंबाई की ओर एक डंडा घुसेड़ दें।
•इसके बाद दूसरे डंडे पर कंबल के दोनों सिरों को लपेट दें।
•अगर कंबल ज्यादा चौड़ा हो तो उसके एक सिरे को पहले डंडे की ओर ले आएं और उस पर लपेट दें।
•इस स्ट्रेचर पर पीड़ित व्यक्ति को आराम से लिटाकर अस्पताल ले जाया जा सकता है।
•एमरजैंसी पड़ने पर मोटा कंबल आदि न मिलने पर 2-3 कोटों या बास्केटों का प्रयोग करके भी कामचलाऊ स्ट्रेचर तैयार की जा सकती है।
•इसके लिए कोटों की बांहों को अंदर की ओर उल्ट लिया जाता है।
•फिर कोटों को बटन बंद करके उसकी बांहों में डंडे फंसा दिये जाते हैं।
नोट-
•बास्केट में बांहें नहीं होती इसलिए उसके बटन बंद करके उसकी बांहों के छेद में डंडे फंसाए जा सकते हैं।
•दो डंडों पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर चौड़ी पट्टियां बांधकर भी कामचलाऊ स्ट्रेचर तैयार की जा सकती है।
•यदि स्ट्रेचर बनाने के लिए कंबल तो मिल जाए लेकिन डंडों का इंतजाम न हो पाए तो ऐसी स्थिति में पीड़ित को उठाकर अस्पताल ले जाया जा सकता है।
•इसके लिए पीड़ित व्यक्ति को कंबल के बीच में लिटा दें।
•फिर कंबल के लंबे किनारों को गोल करके पीड़ित व्यक्ति के पास तक ले जाएं।
•अब पीड़ित व्यक्ति के दोनों ओर 2-2 व्यक्ति खड़े हो जाए और झुककर कंबल के मुड़े हुए किनारों को उठा लें।
•स्ट्रेचर या कंबल आदि न मिलने पर पीड़ित व्यक्ति को लकड़ी के चौड़े पटरे, लकड़ी के दरवाजे या कार आदि की सीट पर लिटाकर ले जाया जा सकता है। पटरे या लकड़ी के दरवाजे पर पीड़ित व्यक्ति को लिटाने से पहले उस पर भूसा या घास आदि बिछा देने चाहिए।
•ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से बेहोशी की अवस्था में हो या रीढ़, छाती, सिर आदि पर लगी गहरी चोट के कारण वह न तो उठ सकता हो और न ही बैठ सकता हो या न ही करवट ही ले सकता हो, उसके अस्पताल तक ले जाने के लिए प्राथमिक उपचारकर्ता को सही तरीका इस्तेमाल करना चाहिए, अन्यथा पीड़ित व्यक्ति को हानि हो सकती है। इस काम के लिए प्राथमिक उपचारकर्त्ता को अपने साथ और भी तीन व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है। इसके लिए उन व्यक्तियों को पीड़ित को उठाने का तरीका अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए और प्राथमिक उपचारकर्त्ता के आदेशानुसार ही काम करना चाहिए।
•इसके लिए तीन व्यक्ति पीड़ित के उस ओर खड़े हो जाएं जिस ओर उसके चोट आदि न लगी हो।
•फिर वे पीड़ित व्यक्ति के पैरों के पास अपने घुटनों पर झुकें और एक साथ उसे धीरे से, थोड़ा सा दूसरी ओर खिसका दें।
•तीनों व्यक्ति पीड़ित व्यक्ति के शरीर के नीचे अपने-अपने हाथ डालकर उसे थोड़ा सा ऊपर उठा लें।
•इसी दौरान चौथा व्यक्ति पीड़ित व्यक्ति के नीचे स्ट्रेचर सरका दें।
•अब तीनों व्यक्ति पीड़ित व्यक्ति को आराम से स्ट्रेचर पर लिटा दें।
•अस्पताल पहुंचने पर पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रेचर पर से उतारने के समय इसी तरीके को उल्टे क्रम में दोहराया जा सकता है।
•पहले स्ट्रेचर को बहुत ही सावधानी से नीचे रखें।
•फिर तीन आदमी रोगी के एक ओर खड़े होकर उसको एकसाथ अपने घुटनों तक उठा लें।
•इसके बाद रोगी को छाती की ऊंचाई तक उठाकर एंबुलैंस या बिस्तर पर लिटा सकते हैं।
स्ट्रेचर पर हमेशा 1-2 कंबल रहते ही हैं और हर कंबल को इस प्रकार रखा जाता है कि उसकी दो तहें स्ट्रेचर पर बिछी रहती है और उसका मुक्त सिरा नीचे की ओर लटका रहता है। रोगी को स्ट्रेचर पर लिटाते समय दोनों कंबलों की दो-दो तहें नीचे लटकी रहती है। इन लटकते सिरों से बाद में रोगी को ढका भी जा सकता है। ज्यादा हालातों में रोगी को गरम रखना जरूरी होता है। कंबलों को दो तहें उसे गरम रखने के लिए काफी होती है।
अगर स्ट्रेचर पर कंबल न बिछे हो तो रोगी को स्ट्रेचर पर ऐसे ही लिटाया जा सकता है। रोगी को ढकने के लिए तौलिए आदि किसी भी कपड़े का प्रयोग किया जा सकता है।
कई बार प्राथमिक उपचारकर्ता को, दुर्घटनास्थल पर मदद के लिए तीन-चार व्यक्ति नहीं मिल पाते। ऐसी स्थिति में एक ही व्यक्ति की मदद से पीड़ित को आसानी से कंबल पर लिटाया और उठाकर अस्पताल तक ले जाया जा सकता है। पहले कंबल के लंबे सिरे को रोल करके एकदम रोगी के पास तक ले जाया जाता है। फिर रोगी को थोड़ा सा खिसकाकर कंबल को उसके नीचे से निकालकर उसे उल्टी ओर कंबल पर करवट दिला दी जाती है।
अगर ऐसा लगता है कि पीड़ित व्यक्ति की रीढ़ पर चोट आई है तो ऐसी स्थिति में उसे छाती के बल उल्टा अर्थात चेहरा नीचे की ओर करके लिटाएं।
ज्यादातर रोगियों को चित्त अर्थात पीठ के बल सीधा लिटाया जाता है और इसी स्थिति में स्ट्रेचर पर लिटाकर अस्पताल ले जाया जाता है। स्ट्रेचर पर ले जाते समय रोगी की स्थिति इस बात पर निर्भर करती है कि चोट उसके शरीर के किस अंग में लगी है।
जिन रोगियों के केवल ऊपरी अंगों जैसे- सिर, छाती, पेट, भुजा इत्यादि में चोट लगी हो उन्हें लिटाने की बजाय बैठाना अधिक आरामदेह रहता है। जिन रोगियों की टांग टूट गई हो, स्ट्रेचर पर ले जाते समय उनकी टांग पर तकिया बांधना अच्छा रहता है। तकिया, तौलिया इत्यादि उपलब्ध न होने पर टूटी टांग को स्वस्थ टांग से बांध दिया जाता है।
गरदन पर चोट लगी होने पर पीड़ित को कठोर सतह पर, पीठ के बल सीधा लिटाकर उसकी गरदन के पीछे छोटा-सा तकिया लगा दें और दोनों ओर रेते के बोरे रख दें।
बेहोश व्यक्तियों को स्ट्रेचर पर अधलेटी अवस्था में लिटाएं। इससे उनकी नाक या मुंह से निकलने वाला रक्त या उल्टी बराबर बाहर निकलती रहेगी; सांस नली में फंसेगी नहीं। बेहोश व्यक्ति की स्थिति उसे लगी दूसरी चोटों पर भी निर्भर होती है।
जिस पीड़ित व्यक्ति को छाती में चोट लगी हो उसे उसी स्थिति में स्ट्रेचर पर लिटाना चाहिए, जिसमें वह दुर्घटनास्थल पर पड़ा हुआ था। दुर्घटना के बाद अगर वह पीठ के बल लेटा हुआ हो, तो उसे पीठ के बल लिटाकर ही अस्पताल ले जाएं।
जिस व्यक्ति की रीढ़ में चोट आई हो अथवा रीढ़ की हड्डी टूट गई हो उसे अस्पताल ले जाते समय कम से कम हिलाएं-डुलाएं और झटके बिल्कुल न लगने दें।
पीड़ित को ले जाते समय स्ट्रेचर के उस भाग को आगे रखें जिस ओर पीड़ित के पैर हैं। ऊंचाई या ढलान पर स्ट्रेचर को घुमाया जा सकता है। सामान्य नियम के अनुसार पीड़ित के निचले अंगों में चोट लगने पर, स्ट्रेचर को ढलान पर ले जाते समय पीड़ित का सिर आगे की ओर रखा जाता है। ऊंचाई पर चढ़ते समय पीड़ित का सिर वाला भाग आगे रखते हैं। एंबुलेंस पर लादते समय भी पीड़ित के सिरवाले सिरे को पहले चढ़ाया जाता है।
यदि पीड़ित व्यक्ति किसी खान, गड्ढ़े या संकरी जगह पर पड़ा हुआ हो, तो उसे उठाकर बाहर निकालने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग किया जा सकता है।
उठाने वाले व्यक्ति दो होने पर- दोनों व्यक्ति, पीड़ित व्यक्ति की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं। एक उसकी बाईं ओर, दूसरा दाहिनी ओर। पहला व्यक्ति पीड़ित व्यक्ति के सिर के पास झुककर अपनी अग्रभुजाएं उसके कंधों के नीचे रखे और दूसरा झुककर अपनी बाईं बांह उसकी जांघों के नीचे और दाहिनी बांह उसके घुटनों के नीचे रखे। फिर दोनों व्यक्ति झुके रहकर ही एक साथ आगे बढ़े। बढ़ते समय दोनों व्यक्ति एक साथ अपने-अपने बाएं पैर आगे बढ़ाएं और छोटे-छोटे कदम बढ़ाएं। पीड़ित व्यक्ति को जमीन से ज्यादा ऊपर नहीं उठाएं। स्ट्रेचर के पास आने पर दोनों व्यक्ति अपने एक-एक पैर स्ट्रेचर के एक-एक ओर कर लें। पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रेचर के बिल्कुल ऊपर लाकर धीरे से, सावधानीपूर्वक, स्ट्रेचर पर रख दें।
उठाने वाले व्यक्ति तीन होने पर- स्ट्रेचर को पीड़ित के पास सिर की ओर रख दें। एक व्यक्ति पीड़ित के एक ओर खड़ा हो जाए और दूसरा दूसरी ओर। उनके मुंह आमने-सामने होने चाहिए। पहला व्यक्ति पीड़ित के पैरों के पास अपने बाएं घुटने को जमीन पर टेककर और दाहिने घुटने को मोड़कर बैठ जाए। वह अपने दोनों हाथ पीड़ित के घुटनों के नीचे रख दें।
दूसरा और तीसरा व्यक्ति पीड़ित के सिर के पास पहले व्यक्ति की तरह ही, अपने बाएं घुटने को टेककर और दाहिने घुटनों को मोड़कर बैठ जाएं। वे अपने हाथों को पीड़ित के सिर और नितंबों के नीचे से निकालकर अपने हाथों को आपस में पकड़ लें।
फिर तीनों धीरे से एक साथ उठ खड़े हों। वे एक साथ स्ट्रेचर की ओर धीरे-धीरे चलें। उस समय यह ध्यान रखें कि पीड़ित ज्यादा हिले-डुले नहीं और उसकी स्थिति लगातार वैसी ही बनी रहे। स्ट्रेचर के पास पहुंचने पर पीड़ित को धीरे से उस पर लिटा दें।
जब दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति किसी ऊंचें स्थान या ऊपरी मंजिल पर हो तो उसे प्राथमिक उपचार के बाद नीचे उतारतना कठिन कार्य होता है। यह कार्य उस समय और भी कठिन हो जाता है जब पीड़ित व्यक्ति बेहोश होता है।
बेहोश व्यक्ति को ऊपरी मंजिल से उतारने के लिए चारपाई को उल्टा करके (पाए ऊपर करके) भी इस्तेमाल किया जा सकता है। चारपाई पर कंबल आदि बिछाकर बेहोश व्यक्ति को लिटा दें। उसे 6- 7 स्थानों पर चौड़ी पट्टियों से चारपाई के साथ बांध दें। चारपाई के दोनों लंबे किनारों को दोनों सिरों के पास मजबूत रस्सी से बांध दें और चारों रस्सियों को ऊपर की ओर इकट्ठा करके बांध दें। इससे यह पूरी व्यवस्था रस्सियों के झूले जैसी बन जाएगी। अब पीड़ित को रस्सी की मदद से आसानी से नीचे उतारा जा सकता है।
गहरे गढ्ढे में पड़े बेहोश व्यक्ति को भी इसी तरीके से ऊपर लाया जा सकता है। इसके लिए बेहोश व्यक्ति को ऊपर की ओर खींचना होता है।
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