FIRST AID AT THE TIME OF ACCIDENTS AND NATURAL DISASTER
आधुनिक युग में औद्योगिक विस्तार तथा शहरीकरण के कारण दुर्घटनाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। गाड़ियों तथा मशीनों के संचालन से दुर्घटनाओं की संख्या में और भी वृद्धि हो गई है। कई बार बड़ी दुर्घटनाओं जैसे- रेल, हवाई जहाज तथा बसों के अलावा प्राकृतिक आपदाएं जैसे- आग लग जाना, भूकंप आ जाना, बाढ़ आ जाना, महामारी का प्रकोप या झगड़े में घायलों की संख्या बहुत बढ़ जाती है।
प्राथमिक सहायता के लिए सुविधाएं जुटाना- इन व्यवस्थाओं के लिए प्राथमिक चिकित्सा के प्रबन्ध बहुत लम्बे चौड़े मापदण्ड पर किए जायेंगे या जिनकी आवश्यकता है जैसा कि-
•स्कूलो, कालेजों तथा सार्वजनिक जगहों पर प्राथमिक सहायता डिब्बा, पट्टियों, खपच्चियों तथा स्ट्रेचरों की जरूरत।
•उपरोक्त जगहों पर सहायता देने के लिए प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षित कर्मचारियों का प्रबन्ध जो व्यक्तियों या घायलों को अस्पताल भेजने से पहले प्राथमिक सहायता दे सकें।
•इन व्यक्तियों का समय-समय पर जीवन बचाने की विधियों, कृत्रिम-श्वास क्रिया तथा सी.पी.आर. का अभ्यास करवाने का प्रबन्ध।
•उपरोक्त जगहों पर नियुक्त व्यक्तियों को नियमानुसार प्रशिक्षण देना।
•अतिरिक्त स्थान बनाने के लिए कमरे या बरामदों को ध्यान में रखना।
•अतिशीघ्र प्रशिक्षित प्राथमिक चिकित्सकों को बुलाना तथा और अधिक व्यक्तियों का प्रबन्ध करना।
•उन व्यक्तियों के लिए भोजन तथा पानी का प्रबन्ध करना।
•कम्बल, चादर, तकिए आदि का इन्तजाम करना।
•गाड़ियों तथा एम्बूलेन्स को इकट्ठा करना।
•खपच्चियों तथा स्ट्रेचर की प्राप्ति तथा साधनकुशलता का प्रयोग करना।
•सम्भव हो तो छोटे-छोटे खानपान का प्रबन्ध।
•घायलों के लिए बिस्तर बनाना तथा उनके कपड़े बदलने का अभ्यास करवाना।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें