मंगलवार, 10 मई 2011

दांतों का दर्द अब भूल जाओ... दांत टिकेंगे पूरे 100 साल

कुछ दिनों पहले छपी एक खबर ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा था। वह खबर यह थी कि किसी लड़की ने पिछले 9-10 सालों से टूथ ब्रश यानी मंजन नहीं किया और हैरत में डालने वाली बात यह रही कि ऐसा होने के बावजूद उसे दांतों से संबंधित कोई समस्या नहीं है। इस तथ्य से एक बात तो जाहिर है कि बाजार में उपलब्ध तरह-तरह के टूथ पेस्ट अपनेबड़े-बड़े वादों पर खरे नहीं उतरे हैं।

असल में दांतों से जुड़ी हर समस्या के पीछे हमारी गलत खानपान और रहन-सहन की आधुनिक जीवन शैली है। चाय-कॉफी जैसे बेहद गर्म पेय तथा कोलड्रिक्स दोनों ही दांतों की जड़ों को कमजोर और खोखला कर देते हैं। सात्विक, ताजा तथा प्राकृतिक खानपान और सफाई के प्रति जागरूकता ही हमें दातों की समस्या से स्थाई छुटकार दिला सककी है। तो आइये हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे ही आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचार के तरीके जो यकीनन आपको दांतों से जुड़ी हर दिक्कत से मुक्ति दिलाएंगे....

आजकल गलत खान-पान और ठीक से देखरेख न करने के कारण लोगों में दांत के दर्द की समस्या आम हो गई है। छोटे छोटे बच्चों को अक्सर दांत में दर्द होने की शिकायत होती है। आयुर्वेद में दांतों में दर्द की समस्या का बहुत आसान उपाय बताया है।

आयुर्वेद में एक कहावत है-

नमक महीन लीजिए, अरु सरसों का तेल।

नित्य मले रीसन मिटे, छूट जाए सब मैल।

सैंधा नमक को कपड़े से छान लें। नमक को हाथ पर रखकर उसमें सरसों का तेल मिला लें। इस मिश्रण से दातों पर हल्के-हल्के मसाज करें बाद में साफ पानी से कुल्ला कर लें। इस विधि को अपनाने से आपको दातों की कई समस्याओं से निजात मिल जाएगी। इससे दातों में दांतों में पीलापन नहीं आता, दांत साफ और मजबूत होते हैं, कीड़े नहीं लगते, दर्द, मसूड़ों की सूजन, इनसे खून निकलना बन्द हो जाता है।

अन्य टिप्स- रोजाना सोने से पहले थोड़े से पानी में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ला करने से दांतों की समस्या खत्म हो जाती है।

रविवार, 8 मई 2011

क्या खायें, क्या न खायें

हम और आप कैलोरी किस तरह खर्च करें, कौन-सा भोजन ग्रहण करें, कौन-सा भोजन न करें और किस तरह के व्यायाम करने से फायदा होगा, यह सब हमारे ब्लड ग्रुप से निर्धारित होता है, आइए जानें-’ईट, राइट फार योर टाइप’, में बताए गये कुछ नुस्खे-
ब्लड ग्रुप ‘ओ’ – जिनका ब्लड ग्रुप ‘ओ’ है उन्हें प्रोटीन की उच्च मात्रा वाला आहार लेना चाहिए। जिसमें लाल मांस भी शामिल है। ऐसे व्यक्तियों के लिए फल-सब्जी का सेवन उचित होगा। दूध तथा दूध से बने उत्पाद से भी ऐसे व्यक्तियों को बचना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों के लिए भारी व्यायाम करना लाजिमी है।
ब्लड ग्रुप ‘ए’ – जिन व्यक्तियों का ब्लड ग्रुप ‘ए’ है, उन्हें शाकाहार बनना चाहिए। ऐसे व्यक्ति के लिए कार्बोहाईडेट से भरपूर परन्तु वसा की कम यात्रा वाला भोजन करना चाहिए। इस ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति का रक्त अपेक्षाकृत गाढ़ा होता है और इनकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली बहुत संवेदनशील होती है। इन्हें दूध उत्पाद तथा मांस आदि नहीं खाना चाहिए। इनके लिए हल्का-फुल्का व्यायाम उचित है।
ब्लड ग्रुप ‘बी’ – जिन व्यक्तियों का ब्लड ग्रुप ‘बी’ है। वे कई किस्म का भोजन अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को फल सब्जी से भरपूर संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें अनाज, मछली तथा दूध उत्पाद की समुचित मात्रा शामिल हो। इन व्यक्तियों के लिए तैरने या टहलने जैसा व्यायाम उचित है।
ब्लड ग्रुप ‘ए बी’ – ‘ए बी’ ग्रुप वाले व्यक्ति को ‘ए’ और ‘बी’ ब्लड ग्रुप का सीधा फायदा होता है और साथ ही उसकी सीमाएं भी हैं। इन्हें शांति और आराम पहुंचाने वाले योगाभ्यास करने चाहिए।

गर्मी में ताजगी लाते तरल पदार्थ

मौसम अनुसार हमें अपनी त्वचा की कैसे देखभाल करनी है, उन उपायों को तो हम ध्यान में रख लेते हैं पर मौसम अनुसार अपने शरीर को स्वस्थ कैसे रखना है, इस पर ध्यान नहीं देते जबकि यह अति आवश्यक है। इसी प्रकार गर्मी आने पर हम तेज धूप से अपने आपको कैसे बचा कर रखें, इसका ध्यान करते हुए शरीर में आने वाली कमजोरी को दूर कैसे करें। इस पर भी पूरा ध्यान देना चाहिये। गर्मियों में पसीना अधिक आने से शरीर में ऊर्जा कम होती है।
इस ऊर्जा को बनाए रखने के लिये हमें तरह पेयों पर विशेष ध्यान देना होगा ताकि शरीर में पानी भी कमी न हो। शरीर को अंदर तक ठंडा रखने के लिये हमें दिनभर में पानी का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना चाहिये। अगर अधिक पानी नहीं पी पाते हैं तो रूहअफजा पानी में डालकर लें। नींबू पानी भी ले सकते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक्स, रेडीमेड, जूस शरीर को ऊर्जा तो देते हैं और ठंडक भी पर सेहत के लिहाज से इनका अधिक सेवन नुकासनदेह होता है।
पानी का करें सेवन
दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी तो अवश्य पीना चाहिये। पानी से शरीर को कई लाभ होते हैं। शरीर में नमी बनी रहती है। शरीर से विषैले पदार्थ पसीने और मलमूत्र के द्वारा निकलते हैं। वैसे रूम टेम्परेचर वाला पानी पीने के लिये उत्तम होता है जो स्वास्थ्य हेतु अच्छा माना जाता है। दिन में चाहें तो एक दो बार गुनगुना पानी भी पी सकते है। इस सबसे पाचन शक्ति ठीक रहती है। कमजोर पाचन शक्ति वालों को ठंडा पानी नुकसान पहुंचाता है। पानी के अलावा नींबू पानी, नारियल पानी का सेवन भी कर सकते हैं। झटपट एनर्जी हेतु जूस, पानी में शहद, मीठी लस्सी भी ले सकते हैं पर इनका नियममित सेवन ठीक नहीं।
फ्रूट और वेजिेटबल जूस
फ्रेश फ्रूट जूस शरीर को इंस्टेंट एनर्जी देता है क्योंकि फ्रूट्स में नेचुरल शुगर की मात्रा अधिक होती है जो जूस के रूप में खून में जल्दी धुल जाता है और शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है। अधिक जूस भी शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
जूस बच्चों, रोगियों और वृध्द लोगों के लिये अधिक लाभप्रद होता है। निरोगी लोगों को फ्रूट्स का सेवन अधिक करना चाहिये ताकि शरीर को उपयुक्त मात्रा में रेशा प्राप्त हो सके। वेजिटेबल जूस से शरीर को सब्जियों की मात्रा तरल रूप से मिल जाती है जिससे शरीर को लाभ मिलता है।
जूस बाजार से रेहड़ियों से न पीकर घर पर अच्छी तरह से फ्रूटस, वेजिटेबल्स को धोकर जूस निकालें और पियें तो लाभ पूरा मिलेगा।
हर्बल टी
हर्बल टी मैं कैफीन की मात्रा न होने से शरीर के लिये यह सर्वोत्तम है। नियमित सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याओं में लाभ मिलता है। हर्बल टी में कई फ्लेवर्स उपलब्ध हैं। अपनी पसंद अनुसार हर्बल टी पीने की आदत स्वास्थ्य हेतु लाभप्रद होती है।
लस्सी का सेवन करें
डबल टोंड दूध के दही से बनी लस्सी शरीर को अंदर तक ठंडा करती है। गर्मियों में इसका नियमित सेवन लाभप्रद है। लस्सी आप फीकी, हल्के नमक, जीरे वाली ले सकते हैं।
डी कैफिनेटेड काफी
डी कैफिनेटेड काफी में कैफीन की मात्रा बहुत कम होती है। काफी के शौकीन लोगों को इसका सेवन गर्मियों में करना चाहिये पर ध्यान रखें इसमें ाीम और दूध की मात्रा कम रखें। चीनी भी कम और पानी साफ होना चाहिये।
स्मुदीज
गर्मियों में फ्रेश फ्रूट्स को काटकर मिक्सी में अच्छी तरह मिक्स कर लें। आधी कटोरी दही भी उसमें मिला लें।
फिर उसे कुछ देर के लिये फ्रीजर में रख कर सेवन करें। अगर आपने उसी समय उसका सेवन करना है तो उसमें घर में बनी बर्फ के एक दोपीस चूरा कर मिलाकर सेवन करें। स्मूदीज पीने से शरीर को काफी ऊर्जा महसूस होगी।


लू लग जाए तो क्या करें?

यह रुकता नहीं और स्वाभाविक गति से चलता रहता है। ऐसे में ‘लू’ से भी घबराने की जरूरत नहीं है। ऐहतियात के तौर पर प्रयत्न करें कि कड़ी धूप में बाहर न निकलें और अगर निकालना ही पड़े तो कुछ सावधानियां जरूर रखें।
‘लू’ से बचाव के लिये परिधान
लू के संपर्क में न आ सकें, इसके लिये जरूरी है कि ऐसे कपड़े पहनें, जिससे कोई भी अंग सूर्य की किरणों के संपर्क में न आये। हल्के रंग के या सफेद कपड़े ढीले-ढाले हों। इससे सूर्य की किरणें शरीर में प्रवेश नहीं करतीं और त्वचा पर इनका दुष्प्रभाव नहीं होता। सूती कपड़े पसीना सोख लेते हैं, इसलिये अधिक गर्मी नहीं लगती। सिर पर टोपी, आंखों पर चश्मा एवं पांव में हवादार चप्पल पहनना लाभकारी रहता है।
क्या खाएं, क्या पिएं?
गर्मी के मौसम में संतुलित भोजन लें। भूख से थोड़ा कम भोजन करें और वह भी अधिक गर्म न हो। शराब, काफी का प्रयोग न करें। भोजन में प्याज, पोदीना, सलाद एवं कच्चे आम की फांक अधिक लें। खीरा, ककड़ी, तरबूज शीतल प्रकृति के होने से शीतलता प्रदान करते हैं। नींबू पानी प्रचुर मात्रा में लें। नमक, चीनी एवं विटामिन- सी (नींबू का रस) का जीवन रक्षक घोल लें। सायंकाल तले हुए पदार्थ या मिर्च मसालेदार पदार्थों का सेवन न करें। हल्का भोजन लें, मगर उपवास अधिक न करें। अगर किसी कारणवश रात्रि में जागना पड़े तो कुछ घंटों के अंतराल के बाद पानी पीते रहें।
इसका भी ध्यान रखें
अगर आप ए.सी. या कूलर के आगे बैठे हैं तो कभी भी एक दम धूप या हवा में न जायें। किसी भी प्रकार की क्रीम लगाकर धूप में न निकलें। क्रीम तैलीय पदार्थ होने से इसके लगाने पर त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं, जिससे पसीना न आने से तापाम असंतुलित हो जाता है। गर्मी के मौसम में कभी-कभी सिर, पैर एवं हाथों में मेहंदी के लगाने से ‘लू’ का असर कम होता है। गर्मी के मौसम में कम से कम दो बार नहाना लाभकारी होता है। इससे शरीर चुस्त रहता है। बाहर से जब घर आएं तो पानी तभी पियें, जब पसीना सूख जाए तथा शरीर ठंडा हो जाए। धूप के संपर्क में रहने से कभी-कभी चेहरा तथा आंखें लाल हो जाती हैं। ऐसे में बाहर से आने के बाद अपना चेहरा ठंडे जल से खूब धोएं। आंखों में शीतल जल के छींटे लगाएं। पैरों को भी शीतल जल में डुबोएं। उपरोक्त बताई सावधानियों के बाद भी अगर ‘लू’ लग जाए तो चिकित्सक को बताएं, वह ‘लू’ का तुरंत इलाज शुरू कर देगा, जो जरूरी है। ‘लू’ का सर्वश्रेष्ठ एवं प्रथम उपचार शरीर के तापमान को कम करना होता है। ‘लू’ से पीड़ित व्यक्ति को ऐसी जगह लिटा दें, जहां ठंडक हो, स्वच्छ वायु मिले तथा वातावरण शीतल हो। ‘लू’ लगने पर पहले कपड़ों को गीले कर लें। शरीर का तापमान अगर एक सौ चार डिग्री से ऊपर हो जाये तो रोगी को पानी से भरे टब में तब तक लिटाएं रखें, जब तक तापमान कम न हो जाए और अगर ‘लू’ लगने पर पीड़ित व्यक्ति होश खो बैठे तो उसे चिकित्सक की देख-रेख में रहने दें। अगर वह होश में हो तो उसे जीवन रक्षक घोल (नमक, शक्कर, नींबू के रस का घोल) पिलाएं। मौसंबी का जूस भी लाभकारी रहता है।

सोने से भी अधिक मंहगा है- ऐसा सोना!!

शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि दिमागी स्वास्थ्य भी पूरी तरह से गहरी नींद पर निर्भर होते हैं। गहरी और सम्पूर्ण नींद तन-मन को इतनी अधिक ऊर्जा और उत्साह से भर देते हैं कि व्यक्ति की कार्यक्षमता कई गुना बढ़ जाती है। यह तो जग-जाहिर है कि जिसकी कार्य करने की क्षमता जितनी अधिक होगी वह जिंदगी में उतना ही अधिक कामयाब होता है। इसीलिये तो जीवन की गहरी समझ रखने वाले अनुभवियों का मानना है कि सोना यानी नींद, सोने यानी गोल्ड से भी ज्यादा कीमती होता है। तो आइये जाने कि किस तरह से गहर नींद पाकर अपनी तन-मन की शक्तियों को कई गुना बढ़ाएं....

-जब तक आप पूरी तरह से थक ना जायें तब तक सोने ना जायें क्योंकि अगर आप लेटे रहें और आपको नींद नहीं आये तो ऐसी स्थिति में आप परेशान हो जायेंगे।

-अच्छी नींद के लिए समय पर सोना और समय पर उठना भी एक अच्छा उपाय है। अगर आप सुबह जल्दी उठ जायेंगे तो

रात को भी सही समय पर आपको नींद आ जायेगी। ऐसी आदत बनाएं और एक स्लीप डायरी मेंटेन करें शायद यह एक

कठिन उपाय है लेकिन ऐसा करके आप अपनी नींद को रिकार्ड करके यह पता लगा सकते हैं कि आपको स्लीप क्लानिक

जाना चाहिए या नहीं। कुछ लोगों ने ऐसा करके अपनी नींद से जुड़ी बीमारियों का समाधान निकाला है।

-रात के खाने में आपने क्या खाया है या खाने के बाद क्या पीया है इस बात से भी आपकी नींद प्रभावित हो सकती है सोने

से पहले अपने दांतों को साफ करें एक बार दरवाजों़ के लाक को चेक करें।

-सुबह व्यायाम करें इससे आपका शरीर और मन आराम का अनुभव करेगा और स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।

-टहलने से भी अच्छी नींद आती है।

-अगर आप टहलना नहीं चाहते तो आप योगा भी कर सकते है। अगर आपके घर के आसपास योगा क्लासेज़ नहीं हैं तो

आप विडियो या सी डी भी ला सकते हैं।

-आप शाम को या सुबह योगा कर सकते हैं, इससे शरीर को तो आराम मिलता ही है साथ ही मानसिक तनाव से भी राहत

मिलती है सोने से पहले थोड़ा सोचें वो सभी परेशानियां जो आपके जीवन में हैं उन्हें लिखें और उनका समाधान निकालने

के तरीके दिन में ढूंढें सोने से पहले ऐसा सोचें कि मैंने अपनी परेशानियों का नोट बना लिया है और इनका समाधान मैं खोजकर रहूंगा।


पाएं ऐसी खूबसूरती....,कि चांदनी हर तरफ फैल जाए

सुबह घर से कितना भी तैयार होकर जाएं पर ऑफिस पहुंचते-पहुंचते या चाय-कॉफी पीने तक मेकअप में थोडी कमी सी आने लगती है। ऐसे में जरूरत होती है, थोडी सी ताजगी की। ताकि आपके सौंदर्य की चांदनी हर तरफ फैल जाए। यहां हम दे रहे हैं कुछ ऐसे घरेलू और बेहद आसान उपाय जिन्हें अपनाकर कोई भी बगैर ज्यादा खर्च किये अपनी खूबसूरती को स्थाई रूप से कायम रखते हुए अपने व्यक्तित्व में चार-चांद लगा सकते है...

ऑयल कंट्रोल

ऑइली फेस वालों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। तैलीय त्वचा का चिप-चिपापन चेहरे की सारी खूबसूरती को बिगाड़ देता है। इस समस्या निजात पाने के लिये अपने साथ या ऑफिस में एक हर्बल सॉप रखें तथा लंच ब्रेक में चेहरे को फिर से ठंडे पानी से हर्बल सॉप लगाकर धो सकें। साथ ही अपने साथ टिश्यू पेपर या ब्लॉट तथा लिटमस पेपर रखें, जिससे आवश्यकता पडने पर इस्तेमाल किया जा सके। खासतौर पर तब जब आपको काफी लंबा समय ऑफिस में बिताना हो। क्योंकि अकसर कुछ घंटों के बाद त्वचा में ऑयल बढने लगता है। जिससे त्वचा की ऊपरी परत पर धूल-मिट्टी जमने लगती है। ऐसे में टिश्यू पेपर या लिटमस पेपर को त्वचा के सबसे तैलीय नजर आने वाले स्थान पर लगा कर हलके से थपथपाएं ताकि अतिरिक्त तेल निकल जाए।

मोहक होंठ

होंठो की नेचुरल खूबसूरती के लिये रात्रि में सोने से पहले दो बूंद नीबू के रस में सहद मिलाकर होंठो की सफाई करें तथा बाद में सुद्ध मलाई लगाकर सो जाएं। ऐसा करने पर आप सुबह तक अपने होंठो को प्राकृतिक सुन्दरता से भरपूर पाएंगे।

सम्मोहक आंखें

लगातार आंखें गढ़ाकर काम करने से आंखें बदरंग और बोझिल हो जाती हैं। इसलिये काम करते समय हर दो-तीन घंटों में आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारें। दोनों हथेलियों को आपस में छोड़ी देर रगड़ कर हथेलियों को हल्के से आंखों से स्पर्श कराएं, ऐसा करने से आंखों की खोई हुई ऊर्जा फिर से प्राप्त हो जाती है। हर दो-तीन घंटों के बीच कुछ मिनिट के लिये आंखों को बंद कर लें और उन्हें तनाव रहित महसूस करें। ऐसा करने से आपकी आंखों चमक तो बनी ही रहेगी साथ ही आंखों की ज्योति भी बढग़ी। सुबह नंगे पैर ताजी घांस पर चलना भी आंखों के लिये बेहद फायदेमेंद होता है।

लहराते बाल

व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने में बालों की भी बेहद अहम् भूमिका होती है। बाजार के केमीकल युक्त शेम्पू की बजाय नेचुरल कंडीशनर जैसे मुल्तानी मिट्टी, दही, शहद, आंवला, शिकाकाई, मेंहदी आदि का ही प्रयोग करें। पेट का सीधा संबंध बालों से होता है, इसलिये अपना हाजमा सदैव दुरुस्त रखें। रात्रि में जल्दी सोने और सूर्योदय के समय ताजी प्राणवायु में घूमने की आदत डालें।

इन सब बातों पर ध्यान देखकर आप कुछ दिनों में अपनी खूबसूरती में निखार आसानी से ला सकते हैं और हर वक्त तरोताजा व जवां-जवां दिख सकती हैं।


शुक्रवार, 6 मई 2011

झड़ते बालों की इससे सस्ती और स्वादिष्ट दवा नहीं हो सकती !!

लहराते हुए बाल किसी की भी खूबसूरती में चार-चांद लगा सकते हैं। लेकिन कई बार इसका उल्टा भी हो सकता है, जिससे कि आपका व्यक्तित्व कमतर नजर आने लगता है। बालों का झडऩा ऐसी ही समस्या है जो किसी को भी हेरान-परेशान कर सकती है।

सामान्यत: सभी के यहां शहद आसानी से मिल जाता है। शहद के औषधीय गुण सभी जानते हैं। शहद की तासीर ठंडी होती है और यह कई बीमारियों को दूर करने में सक्षम है। शहद से बालों का झडऩा भी रोका जा सकता है।

आज छोटी उम्र से ही बालों के झडऩे की समस्या देखी जाती है। इस बीमारी से बचने के लिए शहद और दालचीनी कारगर उपाय है।

बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झडऩे की समस्या दूर हो जाएगी।

दालचीनी और शहद के मिश्रण काफी कारगर रहता है। आयुर्वेद के अनुसार इनके मिश्रण से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। त्वचा और शरीर को चमकदार और स्वस्थ बनाए रखने के लिए इनका उपयोग करना चाहिए।


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