लू लग जाए तो क्या करें?
यह रुकता नहीं और स्वाभाविक गति से चलता रहता है। ऐसे में ‘लू’ से भी घबराने की जरूरत नहीं है। ऐहतियात के तौर पर प्रयत्न करें कि कड़ी धूप में बाहर न निकलें और अगर निकालना ही पड़े तो कुछ सावधानियां जरूर रखें।
‘लू’ से बचाव के लिये परिधान
लू के संपर्क में न आ सकें, इसके लिये जरूरी है कि ऐसे कपड़े पहनें, जिससे कोई भी अंग सूर्य की किरणों के संपर्क में न आये। हल्के रंग के या सफेद कपड़े ढीले-ढाले हों। इससे सूर्य की किरणें शरीर में प्रवेश नहीं करतीं और त्वचा पर इनका दुष्प्रभाव नहीं होता। सूती कपड़े पसीना सोख लेते हैं, इसलिये अधिक गर्मी नहीं लगती। सिर पर टोपी, आंखों पर चश्मा एवं पांव में हवादार चप्पल पहनना लाभकारी रहता है।
क्या खाएं, क्या पिएं?
गर्मी के मौसम में संतुलित भोजन लें। भूख से थोड़ा कम भोजन करें और वह भी अधिक गर्म न हो। शराब, काफी का प्रयोग न करें। भोजन में प्याज, पोदीना, सलाद एवं कच्चे आम की फांक अधिक लें। खीरा, ककड़ी, तरबूज शीतल प्रकृति के होने से शीतलता प्रदान करते हैं। नींबू पानी प्रचुर मात्रा में लें। नमक, चीनी एवं विटामिन- सी (नींबू का रस) का जीवन रक्षक घोल लें। सायंकाल तले हुए पदार्थ या मिर्च मसालेदार पदार्थों का सेवन न करें। हल्का भोजन लें, मगर उपवास अधिक न करें। अगर किसी कारणवश रात्रि में जागना पड़े तो कुछ घंटों के अंतराल के बाद पानी पीते रहें।
इसका भी ध्यान रखें
अगर आप ए.सी. या कूलर के आगे बैठे हैं तो कभी भी एक दम धूप या हवा में न जायें। किसी भी प्रकार की क्रीम लगाकर धूप में न निकलें। क्रीम तैलीय पदार्थ होने से इसके लगाने पर त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं, जिससे पसीना न आने से तापाम असंतुलित हो जाता है। गर्मी के मौसम में कभी-कभी सिर, पैर एवं हाथों में मेहंदी के लगाने से ‘लू’ का असर कम होता है। गर्मी के मौसम में कम से कम दो बार नहाना लाभकारी होता है। इससे शरीर चुस्त रहता है। बाहर से जब घर आएं तो पानी तभी पियें, जब पसीना सूख जाए तथा शरीर ठंडा हो जाए। धूप के संपर्क में रहने से कभी-कभी चेहरा तथा आंखें लाल हो जाती हैं। ऐसे में बाहर से आने के बाद अपना चेहरा ठंडे जल से खूब धोएं। आंखों में शीतल जल के छींटे लगाएं। पैरों को भी शीतल जल में डुबोएं। उपरोक्त बताई सावधानियों के बाद भी अगर ‘लू’ लग जाए तो चिकित्सक को बताएं, वह ‘लू’ का तुरंत इलाज शुरू कर देगा, जो जरूरी है। ‘लू’ का सर्वश्रेष्ठ एवं प्रथम उपचार शरीर के तापमान को कम करना होता है। ‘लू’ से पीड़ित व्यक्ति को ऐसी जगह लिटा दें, जहां ठंडक हो, स्वच्छ वायु मिले तथा वातावरण शीतल हो। ‘लू’ लगने पर पहले कपड़ों को गीले कर लें। शरीर का तापमान अगर एक सौ चार डिग्री से ऊपर हो जाये तो रोगी को पानी से भरे टब में तब तक लिटाएं रखें, जब तक तापमान कम न हो जाए और अगर ‘लू’ लगने पर पीड़ित व्यक्ति होश खो बैठे तो उसे चिकित्सक की देख-रेख में रहने दें। अगर वह होश में हो तो उसे जीवन रक्षक घोल (नमक, शक्कर, नींबू के रस का घोल) पिलाएं। मौसंबी का जूस भी लाभकारी रहता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें