सोमवार, 2 मई 2011

आत्रवरोध


परिचय :

आंत के अंदर मल की गांठ या किसी ठोस खाद्य-पदार्थ के अटकने या फंसने को आत्रवरोध कहते हैं।

लक्षण :

आंत का एक हिस्सा दूसरी आंत के अंदर चले जाने से आंतों में गुलझट पड़ जाने के कारण आत्रनली में सूजन आ जाती है अथवा आंतों में मल या दूसरी चीज फंस जाने से आंतों पर दबाव पड़ने के कारण यह रोग पैदा होता है।

पेट में तेज दर्द होता है, दस्त बंद हो जाते हैं। कभी-कभी उल्टी भी होने लगती है और पेट फूल जाता है।

चिकित्सा :

1. त्रिफला : मल के रुकने की विकृति में कब्ज ज्यादा होती है। इसलिए कब्ज को खत्म करने के लिए त्रिफला का पाउडर 5 ग्राम रात में हल्के गर्म दूध के साथ खायें। इससे आंत्रावरोध ठीक हो जाता है।

2. प्याज : आत्रवरोध में प्याज का काढ़ा पीने से लाभ होता है।

3. एरंडी का तेल : एरंडी के तेल को दूध में मिलाकर पीने से मलावरोध खत्म होता है।

4. कलौंजी : तीन चम्मच करेले का रस, आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह भूखे पेट और रात को सोते समय नियमित सेवन करना चाहिए।

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