मंगलवार, 10 मई 2011

पौरुष बल बढ़ाने और यौन समस्याएं मिटाने का 1 सरल तरीका

उत्तेजक विचार और राजसी व तामसी खान-पान निश्चित रूप से इंसान को असंयमी और रोगी बनाते हैं। सीमा से अधिक खुलापन और अप्राकृतिक जीवनशैली, दोनों ने मिलकर आधुनिक मनुष्य को शरीर तथा मन दोनों से कमजोर और रोगी बना दिया है। अन्न से विचार बनते हैं और विचार ही किसी के व्यक्तित्व को गढऩे का कार्य करते हैं। प्रदूषित आचार, विचार, आहार और विहार ने ही आधुनिक इंसान को स्वप्रदोष, शीघ्रपतन, मधुमेह, बहुमूत्रता....और अंत में नपुंसकता जैसे गंभीर रोग उपहार में दिये हैं। तो चलते हैं एक ऐसे जांचे-परखे हुए एक बेहद आसान योगिक उपाय की तरफ जो अधिकांश यौन रोगों से छुटकारा दिलाकर आपकी पौरुष शक्ति को बढ़ाता व स्थिर रखता है....

ब्रह्मचर्यासन एक ऐसा आसन है जो खाने के बाद और सोने से पहले किया जाए तो स्वप्नदोष होना जैसी समस्या पर विराम लग जाता है। इस आसन से ब्रह्मचर्य का पालन करने में भी मदद मिलती है। इसलिए इसे ब्रह्मचर्यासन कहा जाता है।

साधारणतया योगासन भोजन के बाद नहीं किये जाते परंतु कुछ ऐसे आसन हैं जो भोजन के बाद भी किये जाते हैं। उन्हीं आसनों में से एक है ब्रह्मचर्यासन। यह आसन रात्रि-भोजन के बाद सोने से पहले करने से विशेष लाभ होता है।

ब्रह्मचर्यासन के नियमित अभ्यास से ब्रह्मचर्य-पालन में खूब सहायता मिलती है यानी कि इसके अभ्यास से अखंड ब्रह्मचर्य की सिद्धि होती है। इसलिए योगियों ने इसका नाम ब्रह्मचर्यासन रखा है।

ब्रह्मचर्यासन की विधि-

समतल स्थान पर कंबल बिछाकर घुटनों के बल बैठ जायें। तत्पश्चात् दोनों पैरों को अपनी-अपनी दिशा में इस तरह फैला दें कि नितम्ब और गुदा का भाग जमीन से लगा रहे। हाथों को घुटनों पर रख के शांत चित्त से बैठे रहें।

ब्रह्मचर्यासन के लाभ-

इस आसन के अभ्यास से वीर्यवाहिनी नाड़ी का प्रवाह शीघ्र ही ऊध्र्वगामी हो जाता है और सिवनी नाड़ी की उष्णता कम हो जाती है, जिससे यह आसन स्वप्नदोषादि बीमारियों को दूर करने में परम लाभकारी सिद्ध हुआ है।

जिन व्यक्तियों को बार-बार स्वप्नदोष होता है, उन्हें सोने से पहले पांच से दस मिनट तक इस आसन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। इससे उपस्थ इन्द्रिय में काफी शक्ति आती है और एकाग्रता में वृद्धि होती है।

सावधानियां-

इस आसन को करते समय शरीर के साथ किसी प्रकार की जोर-जबरदस्ती न करें। प्रारंम्भिक दिनों में इसे कम समय के लिये ही करें। किसी भी प्रकार के अधिक दवाब या तनाव से बचें। आसनों का अभ्यास किसी जानकार मार्गदर्शक की देख-रेख में करना ही ज्यादा सुरक्षित होता है।

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