शुक्रवार, 13 मई 2011

विश्राम भी उतना ही जरूरी है जितना काम

माना कि काम हमारे लिए बहुत जरूरी है। काम नहीं करेंगे तो आजीविका भी नहीं कमा पाएंगे। मगर शरीर से काम लेने के लिए विश्राम भी अत्यन्त आवश्यक है ताकि शरीर थकावट दूर कर फिर से काम करने योग्य हो सके। शरीर से लगातार काम नहीं लिया जा सकता। प्रयोग में लाई शक्ति की क्षतिपूर्ति जरूरी है।
* जब भी विश्राम करना हो, निश्चित, एकांत ढूंढ़ें। शोर-शराबे से दूर रहें।
* विश्राम के समय शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें, तनाव रहित। अपनी थकान को ध्यान में रखकर विश्राम का समय तय करें।
* खाली मस्तिष्क होगा तो मानसिक थकान जल्दी दूर कर लेंगे।
* गर्मी में, दोपहर के भोजन के बाद आराम करें। थोड़ी देर सोएं। सर्दी में दोपहर के भोजन के बाद सोन नहीं चाहिए। आलस्य आ जाएगा।
* सोने का पूरा कमरा तथा बिस्तर साफ सुथरे हों। आंखों पर रोशनी तथा कानों में शोर नहीं पड़ना चाहिए। सोना समय मुंह न ढंकें।
* खाना खाने के तुरंत बाद नहीं सोना चाहिए। दो घंटे का गैप रखें।
* किसी एक करवट न सोएं। पीठ या पेट के बल भी नहीं। दांयी करवट से सोना शुरू करें।
* आराम करते समय या विश्राम करते समय अपनी समस्याओं को झटक दें। दिमाग को खाली रखें। वरना थकावट बढ़ जाएगी।
* जब कार्यों के कारण विशेष हालात हों और खूब थक जाएं तो ऐसे में देश, काल, समय, स्थान, किसी भी बात, परवाह न करें, शरीर को विश्राम दें।
* सोते समय विशेषकर ध्यान रखेंकि वस्त्र ढीले हो। तंग न हो। नहीं तो विश्राम नहीं कर पाएंगे। अच्छी नींद नहीं ले सकेंगे।
* सिंगल पलंग पर एख ही को या उबल बैंड पर दो को ही सोन चाहिए। नहीं तो बेआरामी बनी रहेगी। शरीर चुस्त नहीं रह पाएगा।

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