मंगलवार, 26 जुलाई 2011

दुबलेपन व कमजोरी को जड़ से उखाड़ेगा 'छुहारा', यह है फंडा!

शक्ति और सौन्दर्य अनादि समय ये आकर्षण का केन्द्र रहे हैं। इसके विपरीत कमजोरी और बदसूरती हमेशा से ही उपेक्षा और घृणा का शिकार बनते हैं। कमजोर को हर कोई सताना और अपना आसान शिकार बनाना चाहता है, जबकि शक्तिशाली की सभी तारीफ भी करते हैं और हर संभव मदद देकर उससे मित्रता रखना चाहते हैं।

धर्म शास्त्रों में कमजोरी को पाप के समान निंदनीय तक बताया गया है, और यहां तक कहा गया है-

'सबहिं सहायक सबल के, निबल सहाय न कोय।'
अगर आप अपनी कमजोरी और दुबलेपन से सदा के लिये मुक्ति चाहते हैं और लोगों की उपेक्षा और घृणा से निजात पाना चाहते हैं तो नीचे दिये जा रहे छुहारे के प्रयोग को पूरे विश्वास के साथ एक बार अवश्य आजमाएं...

प्रयोग:
4 छुहारे एक गिलास दूध में उबाल कर ठण्डा कर लें। प्रात: काल या रात को सोते समय, गुठली अलग कर दें और छुहारें को खूब चबा-चबाकर खाएं और दूध पी जाएं। लगातार 3-4 माह सेवन करने से शरीर का दुबलापन दूर होता है, चेहरा भर जाता है। सुन्दरता बढ़ती है, बाल लम्बे व घने होते हैं और बलवीर्य की वृद्धि होती है। यह प्रयोग नवयुवा, प्रौढ़ और वृद्ध आयु के स्त्री-पुरुष, सबके लिए उपयोगी और लाभकारी है। दुबलेपन व कमजोरी को जड़ से उखाड़ेगा छुहारा!

दमा:
दमा यानी सांस के रोगी को प्रतिदिन सुबह-शाम 2-2 छुहारे खूब चबाकर खाना चाहिए। इससे फेफड़ों को शक्ति मिलती है और कफ  व सर्दी का प्रकोप कम होता है।

मुंह के छालों को चुटकियों में खत्म कर देगा यह नुस्खा!

आंखें, कान, नाक और मुंह ये शरीर के ऐसे अंग हैं जो इंसान की कार्यक्षमता को गहराई से प्रभावित करते हैं। इन चारों में जरा सी भी गड़बड़ होते ही व्यक्ति का सारा काम ही रुक जाता है। मुंह सिर्फ बोलने और खाने के ही काम में नहीं आता बल्कि यह पूरे शरीर से बड़े गहराई से जुड़ा होता है।

मुंह में अगर छाले हो जाएं तो व्यक्ति बहुत परेशान हो जाता है। उसका किसी काम में मन नहीं लगता और वह खाने-पीने और बोलने में ही नहीं बल्कि दूसरे अन्य कार्यों में भी कठिनाई और असुविधा महसूस करता है।

यहां हम आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े कुछ ऐसे सरल नुस्खे दे रहे हैं, जो मुंह के छालों में बड़े कारगर और तुरंत राहत पहुंचाने वाले हैं...

सरल प्रयोग:
1. चमेली के पत्ते चबाएं और मुंह में बनने वाली लार थूकते जाएं, छालों में तत्काल आराम मिलेगा।

2. छोटी हरड़ को बारीक पीसकर छालों पर लगाने से तुरंत लाभ होता है। रात के खाने के बाद हरड़ चूसें।

3. दो ग्राम भुने सुहागे का चूर्ण 15 ग्राम ग्लिसरीन में मिलाएं। दिन में तीन बार छालों पर लगाएं। फायदा होगा।

4. मिश्री को बारीक पीस लें। इसमें कपूर मिलाकर जुबान पर बुरकें। इसमें मिश्री आठ भाग एवं कपूर एक भाग रखें।

5. फि टकरी का कुल्ला करें।

6. तुलसी के पत्ते चबाने से भी छाले ठीक होते हैं।

यह भी ध्यान रखें:
 टमाटर अधिक खाने से कभी छाले नहीं होते।

 कब्ज को कतई न रहने दें, पेट को साफ रखें।

 मसालेदार भोजन से दूर रहें।

विशेष: किसी भी आयुर्वेदिक क्रिया या औषधि को अपनाने से पहले स्वविवेक से काम लें, तथा किसी आयुर्वेद के जानकार चिकित्सक से सलाह लेना सदैव निरापद रहता है। किसी भी असुविधा के लिये वेबसाइट जिम्मेदार नहीं होगी।

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

कड़वा करेला: लाजवाब खूबियों का खजाना


आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में करेले को काफी गुणकारी और फायदेमंद बताया जाता है। लेकिन इसकी खूबियों पर वैज्ञानिक विश्लेषणों से प्राप्त नतीजों ने भी प्रामाणिकता की मुहर लगा दी है। आइये जानते हैं कि कड़वा करेला अपने किन दुर्लभ गुणों के कारण इतना फायदेमंद बताया जाता है...

करेले में विटामिन-सी के अलावा इसमें गंधयुक्त वाष्पशील तेल, केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन, एल्केलाइड एवं बिटर्स पाए जाते हैं। इन सभी पौषक तत्वों के कारण करेला केवल सब्जी न होकर औषधि का काम भी करता है। इसके औषधीय गुण इस प्रकार हैं।

- करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का कार्य करता है, छाया में सुखाए हुए करेला का एक चम्मच पावडर प्रतिदिन सेवन

  करने से डायबिटीज में चमत्कारिक लाभ मिलता है। क्योंकि करेला पेंक्रियाज को उत्तेजित कर इंसुलिन के स्रावण को

  बढ़ाता है।

- बिटर्स एवं एल्केलाइड की उपस्थिति के कारण इसमें रक्तशोधक गुण पाए जाते हैं। इसका प्रयोग करने से फ ोड़े-फुं सी एवं

  चर्मरोग नहीं होते।

- करेले के बीज में विरेचक-तेल पाया जाता है। जिसके कारण करेले की सब्जी खाने से कब्ज नहीं होता।

- इसके सेवन से एसिडिटी, खट्टी डकारों में आराम मिलता है।

- विटामिन ए की उपस्थिति के कारण इसकी सब्जी खाने से रतौंधी रोग नहीं होता है।

- जोड़ों के दर्द में करेले की सब्जी का सेवन व जोड़ों पर करेले के पत्तों का रस लगाने से आराम मिलता है।

बुधवार, 20 जुलाई 2011

पांच बातों का ध्यान जिंदगी भर रखें

मेडीकल सांइस के क्षेत्र में चाहे कितनी ही तरक्की हो गई हो, लेकिन कुछ रोग आज भी जानलेवा बने हुए हैं। ऐसी ही  

ला-इलाज बीमारियों में केंसर भी एक है। यह बात अवश्य है कि केंसर की जानकारी समय रहते लगने पर इसको संभाला और समाप्त किया जा सकता है किन्तु अधिकांस दुखद घटनाओं में होता यह है कि जब तक पता चलता है बात हाथ से निकल चुकी होती है।

शरीर को लेकर बरती गई जरा सी लापरवाही कई बार भयानक दु:ख का कारण बन जाती है। इसलिये समझदारी इसी में है कि हर अपने तन-मन को लेकर हमेशा जागरूक और जिम्मेदार रहें। तो आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही बेहद आसान और कारगर उपाय, जिन्हें अपने डेली रुटीन में शामिल करके आप केंसर जैसी भयानक बीमारी से काफी हद तक सुरक्षित हो जाते हैं। ये पांचों उपााय योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का सम्मिलित रूप हैं......

-प्रतिदिन सुबह खाली पेट पांच पत्तियां तुलसी की मुंह में रखकर जब तक चूंसते रहें, जब तक कि ये समाप्त न हो जाएं।

-प्रतिदिन सोने से पूर्व गुनगुने पानी के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।

-प्रतिदिन सूर्योदय की पहली किरणों का सेवन करते हुए कम से कम 2 से 3 मील तक मॉर्निग वाक करें।

-चुनिंदा आसन और प्राणायाम को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें, यह काम किसी कुशल योग मार्गदर्शक की

 देखरेख में करना सुरक्षित रहता है।

-नशीले पदार्थों- चाय, कॉफी, तंबाकू, अधिक टीवी देखना, तेज म्यूजिक सुनना ......आदि से जितना हो सकें बच कर रहें।

सोमवार, 18 जुलाई 2011

सांवली सूरत: कमजोरी को खूबी में बदलें इस रामबाण उपाय से...

सच्चाई यही है कि दुनिया की कोई भी क्रीम आपको गोरा नहीं बना सकती। इसलिये जो त्वचा प्राकृतिक रूप से मिली है उसे स्वस्थ और आकर्षक अवश्य बनाया जा सकता है। मंहगी और कभी-कभी हानिकारक परिणाम देने वाली कास्मेटिक क्रीम की बजाय नीचे बताए जा रहे आसान घरेलू प्रयोग को आजमा कर आप अवश्य ही अपने चेहरे की खूबसूरती को कई 

गुना बढ़ा सकते हैं। 

आसान घरेलू प्रयोग:

सांवली त्वचा को सलोनी रंगत देने के लिए मजीठ, हल्दी, चिरौंजी 50-50 ग्रा. लेकर पाउडर बना लें। एक-एक चम्मच सब चीजों को मिलाकर इसमें 6 चम्मच शहद मिलाएं और नींबू का रस तथा गुलाब जल डालकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बांहों पर लगाएं और एक घंटे के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो दें। इस प्रयोग को सप्ताह में दो सिर्फ दो बार करने से चेहरे का सांवलापन दूर होकर रंग निखर आएगा। 

प्रयोग 2:

नींबू व संतरे के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें। इस पाउडर को हफ्ते में एक बार बिना मलाई के दूध में मिलाकर लगाएं, त्वचा में आकर्षक चमक आएगी। जाड़े के दिनों में दूध में केसर या एक चम्मच हल्दी का सेवन करने से भी रक्त साफ होता है, और रक्त के साफ होने पर निश्चित रूप से त्वचा क रंग में भी निखार आता है।

नाजुक पत्तियों में छुपा है अनोखे गुणों का खजाना!

खाने में प्रयोग होने वाला हरा और सूखा धनिया खरीदने में भले ही सस्ता हो लेकिन गुणों के मामले में यह बहुत कीमती है। यह आपके खाने का स्वाद और सुगंध तो बढ़ाता ही है, पर आपके जाने-अनजाने ही आपको कई बीमारियों से निजात भी दिलाता है। आइये जानें कि धनिया किन-किन बीमारियों या परेशानियों में मददगार हो सकता है...

आंखों के रोग:
आंखों के लिए धनिया बड़ा गुणकारी होता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें। इसकी दो बूंद आंखों में टपकाने से आंखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं। नकसीर:

हरा धनिया 20 ग्राम व चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें। सारा रस निचोड़ लें। इस रस की दो बूंद नाक में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर मलने से खून तुरंत बंद हो जाता है।

गर्भावस्था में जी घबराना:
गर्भ धारण करने के दो-तीन महीने तक गर्भवती महिला को उल्टियां आती है। ऐसे में धनिया का काढ़ा बना कर एक कप काढ़े में एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पीने से जी घबराना बंद होता है।

पित्ती:
शरीर में पित्ती की तकलीफ  हो तो हरे धनिये के पत्तों का रस, शहद और रोगन गुल तीनों को मिला कर लेप करने से पित्ती की खुजली में तुरंत आराम होता है।

 

खूब पीएं ऐसी चाय... नुकसान नहीं, फायदा होगा!!

अभी तक आपने यही सुना होगा कि चाय सेहत के लिये बहुत हानिकारक होती है, लेकिन यह सिक्के का सिर्फ एक पहलू है। हानिकारक समझे जाने वाली यही चाय आपके लिये बेहद लाभदायक भी हो सकती है। तरीके बदलने से परिणाम भी बदल जाते हैं। सही तरीके से बनी चाय आपके लिये काफी फायदेमंद हो सकती है। आइये जाने कि गुणों से भरपूर ऐसी लाभदायक चाय किस तरह बनती है....

आवश्यक सामग्री:

तुलसी के सुखाए हुए पत्ते (जिन्हें छाया में रखकर सुखाया गया हो) 500 ग्राम, दालचीनी 50 ग्राम, तेजपात 100 ग्राम,

ब्राह्मी बूटी 100 ग्राम, बनफ शा 25 ग्राम, सौंफ 250 ग्राम, छोटी इलायची के दाने 150 ग्राम, लाल चन्दन 250 ग्राम और काली मिर्च 25 ग्राम। सब पदार्थों को एक-एक करके इमाम दस्ते (खल बत्ते) में डालें और मोटा-मोटा कूटकर सबको मिलाकर किसी बर्नी में भरकर रख लें। बस, तुलसी की चाय तैयार है। 

बनाने की विधि : 

आठ प्याले चाय के लिए यह 'तुलसी चाय' का मिश्रण (चूर्ण) एक बड़ा चम्मच भर लेना काफ ी है। आठ प्याला पानी एक तपेली में डालकर गरम होने के लिए आग पर रख दें। जब पानी उबलने लगे तब तपेली नीचे उतार कर एक चम्मच मिश्रण डालकर फौरन  ढक्कन से ढक दें। थोड़ी देर तक सीझने दें फिर छानकर कप में डाल लें। इसमें दूध नहीं डाला जाता। मीठा करना चाहें तो उबलने के लिए आग पर तपेली रखते समय ही उचित मात्रा में शकर डाल दें और गरम होने के लिए रख दें।

फायदे:

ऊपर बताए गए प्रयोग से बनी चाय आपको ताजगी और स्फूर्ति के साथ ही तंदरुस्ती का अतिरिक्त लाभ भी दे सकती है। तुलसी की चाय प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर रोगों से बचाने वाली, स्फू र्तिदायक, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाली होती है।

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