रविवार, 21 अगस्त 2011

एक कप इलायची की चाय कर देगी जादू!

भारत प्राचीन काल से ही विश्वभर में मसालों के लिए जाना जाता है। हमारे यहां पाई जाने वाली केसर के बाद इलायची ही सबसे कीमती मसाला है। इन मसालों का उपयोग सिर्फ खाने-पीने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि रोगों के उपचार के लिए भी उपयोग में लाए जाते हैं।स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के गुणों का कारण इलायची में जाने वाला एंटीऑक्सिडेंट है।

इसके अलावा इलायची में फली नियासिन और विटामिन सी सहित कई महत्वपूर्ण विटामिन पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं अमीर हैं इलायची एक बहुत ही आकर्षक गंध है जो तंत्रिकाओं को शांत करना कर सकते है। जब एक व्यक्ति को उदास है, उस में इलायची डाल द्वारा बनाई गई चाय लगभग चमत्कारी प्रभाव हो सकता है।इलायची में एंटीआक्सीडेंट होता है। इसीलिए इससे रोगप्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है। साथ ही चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़ती व चेहरे की चमक भी बढ़ती है। इलायची डालने से एक कप चाय का गुण कई गुना बढ़ जाता है। इलायची के कुछ अन्य उपयोग भी इस प्रकार है।

- इलायची को मोटे तौर पर दांतों में संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

- यह गैस में राहत पहुंचाने के साथ कलेजे की जलन को कम करती है।

-   इलायची का पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं। सिरदर्द में तुरंत आराम मिलेगा।

-  धूप में जाते समय मुंह में इलायची जरूर डालें।

-  मुंह से दुर्गन्ध आती हो, इसका इस्तेमाल करें।

- सफर में मुंह में इलायची रखें। उल्टी नहीं आएगी।

-  सांस लेने में तकलीफ हो तो, मुंह में एक इलायची डालें, आराम मिलेगा।

- अस्थमा और कफ  के रोगी इलायची के पाउडर को शहद के साथ चाटें। फायदा मिलेगा।

कई बीमारियों की एक दवा है यह, आजमा कर तो देखो!


हमारा शरीर एक मशीन क़ी तरह जन्म से लेकर मृत्यु तक कार्य करता है। हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली मशीनरीयों की तो हम समय- समय पर सर्विसिंग करवाते रहते हैं, साथ ही उसका बीमा लेने से भी नहीं चूकते।



लेकिन जब शरीर क़ी बात आती है तो हमने कभी उसकी सर्विसिंग के बारे में शायद ही सोचा हो। बात छोटी लगती हो, पर है बड़ी गंभीर। जिस प्रकार मशीनी यन्त्र को सही ढंग से लम्बी अवधि तक चलाने के लिए तेल,पानी एवं ग्रीसिंग कि आवश्यकता पड़ती है, ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर रूपी कलपुर्जों को बगैर घिसे लम्बी अवधि तक चलाने के लिए चिकनाई क़ी आवश्यकता होती है।


चिकनाई को लेकर हमारे मन में कई शंकाएं होती है, जैसे कहीं कोलेस्ट्रोल न बढ़ जाय। पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए क़ी बिना चिकनाई के हमारे जोड़ों क़ी गति कैसे होगी? वात नाडिय़ों को पोषण कैसे मिलेगा? क्या गठिया जैसे रोग हमें अपना शिकार नहीं बना लेंगे? इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, हमें अपने शरीर का खय़ाल रखते हुए सम्यक मात्रा में घी एवं तेलों का प्रयोग करना चाहिए।




शरीर क़ी मालिश हेतु पंचकर्म चिकित्सक अभ्यंग का प्रयोग पूर्वकर्म के रूप में कराते हैं ,जो अपने आप में रोगों की चिकित्सा है। तेलों में तिल के तेल को सबसे अच्छा माना गया है, यह शरीर में शीघ्रता से फैलता है। तेलों का सबसे अच्छा गुण, इनका स्निग्ध होते हुए भी शरीर में कफ  दोष को नहीं बढ़ाना है ,तेल मे एक  विशेष  गुण होता है - यह दुबले व्यक्ति का दुबलापन दूर करता है ,साथ ही मोटे का मोटापा भी है न खासबात।





तेल अपने गुणों से संकुचित स्रोतों को खोलता है, रूखी त्वचा तेल से कोमल बन जाती है। तेल का सबसे अच्छा गुण इसका अन्य दवाओं से संस्कारित करने पर उनके गुणों को भी अपने अन्दर लेकर रोगों में लाभ पहुंचाना है। रोजाना बालों क़ी जड़ों में तेल क़ी मालिश करने पर सिरदर्द,गंजापन एवं समय से पूर्व बाल सफ़ेद होने जैसे लक्षणों छुटकारा पाया जा सकता है। तेल पका हो या कच्चा,जितना पुराना हो उतना ही गुणकारी होता है।





बाजार में उपलब्ध कुछ ऐसे तेल जिनका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक रोगों क़ी चिकित्सा में करते हैं निम्न हैं: तिल का तेल ,जैतून का तेल ,अलसी का तेल ,भृंगराज तेल ,बादाम तेल,चन्दन का तेल,लौंग का तेल,एरंड का तेल,सरसों का तेल आदि। अत: हम यह कह सकते हैं तेल का प्रयोग अनेक रोगों में एक रामबाण चिकित्सा है।

रविवार, 7 अगस्त 2011

जानिए संतान और शक्ति पाने के आयुर्वेदिक नुस्खे


निसंतान होना हमारे समाज में आज भी अभिशाप माना जाता रहा है। नपुंसकता के कारण निःसंतान होना भी एक सामान्य कारण होता है। कुछ एलोपैथिक दवाएं भी नपुंसकता उत्पन्न कर संतान उत्पन्न करने में व्याधा उत्पन्न कर सकती हैं।

इनमें उच्चरक्तचाप की  औषधियां एवं मधुमेह जैसे रोग शामिल हैं। कई बार नपुंसकता का कारण शारीरिक न होकर मानसिक होता है, ऐसे में केवल चिकित्सकीय काऊंसीलिंग ही काफी होती है। ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे स्त्री एवं पुरुषों में नपुंसकताजन्य निःसंतानता के साथ ही शुक्राणुजन्य समस्याओं को दूर करने में कारगर सिद्ध होती हैं, जो निम्न हैं :
- श्वेत कंटकारी के पंचांग को सुखाकर पाउडर बना लें तथा स्त्री में मासिक धर्म के ५ वें दिन से लगातार तीन दिन प्रातः एक बार दूध से दें एवं पुरुष को : अश्वगंधा  10 ग्राम, शतावरी 10 ग्राम, विधारा 10 ग्राम, तालमखाना 5 ग्राम, तालमिश्री 5 ग्राम सब मिलकर 2 चम्मच दूध के साथ प्रातः सायं लेने पर निश्चित लाभ होता है।
 - स्त्री में "फलघृत" नामक आयुर्वेदिक औषधि भी इनफरटीलीटी को दूर करता है।
 - पलाश के पेड़ की एक लम्बी जड़ में लगभग 250 एम.एल. की एक शीशी लगाकर, इसे जमीन में दबा दें, एक सप्ताह बाद इसे निकाल लें, अब इसमें इकठ्ठा होने वाला निर्यास द्रव प्रातः पुरुष को एक चम्मच शहद से दें। यह शुक्रानुजनित कमजोरी (ओलिगोस्पर्मीया)  को दूर करने में मददगार होता है। 
- अश्वगंधा 1.5 ग्राम. शतावरी 1.5 ग्राम, सफ़ेद मुसली 1.5 ग्राम एवं कौंच बीज चूर्ण को 75 मिलीग्राम की मात्रा में गाय के दूध से सेवन करने से भी नपुंसकता दूर होकर कामशक्ति बढ़ जाती है। 
- शिलाजीत का 250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम की मात्रा में दूध के साथ नियमित सेवन भी मधुमेह आदि के कारण आयी नपुंसकता को दूर करता है। अतः नपुंसकता को दूर करने के लिए उचित चिकित्सकीय परामर्श एवं समय पर कुछ आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग कर इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है।

चोट-मोच, दर्द या सूजन, देहाती नुस्खा कर देगा सबको आउट!


कैंसर की रोकथाम, दूषित खून की सफाई, डिमेंशिया से छुटकारा, गठिया, हानिकारक बेक्टीरिया और वायरस का सफाया, रोगों से लडऩे की क्षमता में इजाफा ....जैसे कई नायाब गुणों के साथ ही हल्दी में एक अन्य विशेष खूबी भी पाई जाती है। यदि कभी किसी को कोई चोट-मोच या जर्क लग जाए तथा दर्द, जकडऩ और सूजन की तकलीफ हो रही हो तो ऐसे में हल्दी का यह प्रयोग अवश्य करना चाहिये।




प्रयोग: चार चम्मच संरसों के तेल में 1चम्मच पिसी हल्दी लेकर धीमी आंच पर पका लें, इसमें 4-5 कलियां लहसुन की भी डाल दी जाएं तो लाभ और भी जल्दी होता है। थोड़ा ठंडा या गुनगना रहने पर किसी साफ कॉटन के साथ इस तेल में पकी हुई हल्दी को चोट के स्थान पर लगाकर बांध लें। कुछ ही घंटों में चोट और सूजन में काफी लाभ होगा।




दूध के साथ प्रयोग: दो-तीन दिन लगातार दूध मे 1-चम्मच हल्दी पावडर डालकर पीने से भी चोट-मोच, दर्द और सूजन में तत्काल राहत मिलती है।

शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

कब्ज़, ब्लड प्रेशर, कैंसर...सबको उखाड़ फेंकेगा यह अचूक फंडा


चुकन्दर को अपनी डेली डाइट में शामिल करना तंदरुस्ती के लिये किसी वरदान से कम नहीं है। इसका नियमित सेवन सम्पूर्ण शरीर को निरोग रखने में बेहद सहायक है। हालांकि हमारे दैनिक आहार में चुकन्दर को अभी भी उचित स्थान प्राप्त नहीं है। लेकिन इसे नियमित खाने से अन्य रोगों में लाभ होता है।

चुकंदर अपने अद्भुत सेहतमंद गुणों की बदोलत तो लाजवाब है ही लेकिन उससे भी बढ़कर इसकी खाशियत यह है कि यह कई बेहद गंभीर रोगों को नष्ट करने में भी बेहद कारगर है। आइये जाने की कीमती खूबियों का खजाना यह चुकन्दर किन-किन बीमारियों को मिटाता है...

1.एसीडोसिस: चुकन्दर में क्षारीयता की विशेष खूबी पाई जाती है जो शरीर में एसीडोसिस को रोकने में बेहद सहायक होता है। 


2.खून की कमी(एनीमिया): चुकन्दर से प्राप्त उच्च गुणवत्ता का लोह तत्व रक्त में हीमोग्लोबीन का निर्माण व लाल रक्तकणों की सक्रियता के लिए बेहद प्रभावशाली है।

3.ब्लड प्रेशर: विशेषज्ञों का मानना है कि चुकन्दर के रस का नियमित सेवन रक्तचाप को नियन्त्रित रखता है। उच्च रक्तचाप में कमी लाने में भी चुकन्दर गुणकारी है।






4.कब्ज: चुकन्दर का मुलायम रेशा आँतों की गति बनाए रखता है। इसको नियमित रूप से खाने से लम्बे समय से चली आ रही कब्ज अ से भी मुक्ति  मिल जाती है।

5.रक्त कणिकाओं की सिकुडऩ:  चुकन्दर के रस का नियमित सेवन रक्त नलिकाओं में कैल्शियम के जमाव को हटाकर उनका लचीलापन बनाए रखता है, जिससे रक्त संचरण सुगमता से होता है।



6.कैंसर से बचाव: चुकन्दर में पाए जाने वाले अमीनो एसिड में कैंसररोधी तत्व पाए जाते हैं। शोध अध्ययनों से पता चला है कि चुकन्दर के रस के नियमित सेवन से कैंसरकारक तत्वों का निर्माण बाधित होकर पाचन तन्त्र की कार्यक्षमता को बढ़ावा मिलता है।
7.विषैले तत्वों को बाहर निकालना: चुकन्दर के रस का नियमित सेवन न केवल यकृत , बल्कि सम्पूर्ण पाचन तन्त्र के हानिकारक तत्वों को शरीर से बाहर निकालकर आरोग्य प्रदान करता है। चुकन्दर के साथ यदि गाजर मिलाकर इसके रस का सेवन किया जाए तो यह पित्ताशय व वृक्क से हानिकारक तत्वों को हटाकर इन अंगों की कार्यक्षमता बढ़ाता है।
विशेष:
खाने के लिए पत्तीदार चुकन्दर का ही उपयोग करें। पत्ती सहित चुकन्दर को 3-4 दिन रेफ ्रीजरेटर में संग्रह करने पर इनकी पत्तियों की नमी बनी रहती है, जबकि  पत्तियों के बिना चुकन्दर को लगभग दो सप्ताह तक संग्रह किया जा सकता है। जिन चुकन्दर का तल गोलाई लिए होता है, वे दूसरों से अधिक स्वादिष्ट होता हैं। ताजे व कच्चे चुकन्दर में एक विशेष खुशबू होती है, जो इसके स्वाद को बढ़ाती है।

भूलने की बीमारी को मिटाएं घर बैठे....उपाय सरल है

आमतौर पर हम सभी के घरों में किचन में पाई जाने वाली हल्दी अपने आप में किसी डॉक्टर से कम नहीं है। तभी तो आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित ग्रंथों में घरेलू हल्दी को चमत्कारी औषधि का दर्जा दिया गया है। जिस बात को आयुर्वेद में हजारों साल पहले कह दिया

था, उसकी सच्चाई और प्रामाणिकता पर आज विज्ञान जगत भी मुहर लगा रहा है।

हल्दी के औषधीय गुणों पर किये जा रहे शोध बताते हैं कि हल्दी में कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है। भारतीय लोग तो हल्दी के फायदों से परिचित हैं ही लेकिन अब वैज्ञानिकों ने भी साबित कर दिया है कि हल्दी में न केवल कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है, बल्कि डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी जिसमें रोगी को मतिभ्रम हो जाता है और वह जरूरी बातें भी भूल जाता है, को भी नियंत्रित करने की क्षमता होती है।

डिमेंशिया में भी अचूक:

हल्दी में पाए जाने वाले रसायन 'करक्यूमिन' में रोगहारी शक्ति होती है, जो गठिया और मनोभ्रंश या डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी जैसी बीमारियों के इलाज में प्रभावी सिद्ध हो चुकी है।

कैंसर की रोकथाम:

ब्रिटेन के कॉर्क कैंसर रिसर्च सेंटर में किए गए परीक्षण दिखाते हैं कि प्रयोगशाला में जब करक्यूमिन का प्रयोग किया गया तो उसने गले की कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर दिया।

डॉ शैरन मैक्केना और उनके दल ने पाया कि करक्यूमिन ने 24 घंटों के भीतर कैंसर की कोशिकाओं को मारना शुरु कर दिया। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रिटिश जरनल ऑफ़  कैंसर में प्रकाशित यह खोज कैंसर के नए इलाज विकसित करने में सहायक हो सकती है।

गुरुवार, 4 अगस्त 2011

कहीं सांप काट लें तो.... सबसे पहले यह करें !

वर्तमान में चल रहे बारिश के सीजन में जहरीले कीड़ों खाशकर सांप-बिच्छू के काटने का डर बना ही रहता है। घरों में बगीचों या पैड़-पौधों के बीच अचानक ये बेहद जहरीले कीड़े सांप या बिच्छू कभी-कभी घातक रूप से जानलेवा सिद्ध हो जाते हैं। कई बार अंधेरे के कारण हम देख और पहचान भी नहीं पाते कि जिसने हमें काटा है वह सांप जैसा कोई बेहद खतरनाक जानवर भी हो सकता है।

इसलिये यदि पता हो या नहीं हो सांप काटने या काटने की शंका होने पर सबसे पहले व्यक्ति को क्या करना चाहिये यह बहुत महत्वपूर्ण बात होती है। काटने के बाद अगर आपको किसी विषैले सांप के काटने का संदेह हो तो तत्काल यह कार्य करें...

1. उस जगह को तुंरत साबुन पानी से धो कर एंटीसेप्टिक का इस्तेमाल करें।

2. पीडि़त को चलने से रोकें और शरीर में किसी प्रकार की हलचल का न होना शुनिश्चित करें।

3. अगर हाथ अथवा पैर में सांप ने कटा हो तो उसे कपडे के तकिये या अख़बार के सहयोग से स्थिर कर दें, और काटे हुए स्थान से 3-4 इंच उपर एक किसी चीज से बांध दे। ध्यान रहे ज्यादा कस कर न बांधे वरना, वह अंग पूरी तरह बेकार हो सकता है। एक अंगुली आ-जा सके इतनी जगह होनी चाहिए।

4. ऐसी कोई बात न करें जिससे रोगी में भय उत्पन्न हो क्योंकि इससे ब्लड सकुर्लेशन तेज़ हो जाता है और जहर तेजी से फैलता है।

5. यह ध्यान रहे की सांप काटे हुए अंग को ह्रदय से निचे ही रखें।

पुराने ज़माने में जब सांप के जहर को काटने वाले विषरोधी यानी एंटी वेनम की दवाईयां उपलब्ध नहीं थी तब किसी तेज धारदार हथियार से सांप के काटे हुए स्थान पर तत्काल चीरा लगा कर जहर और जहरीला रक्त निकालने का प्रयास किया जाता था। लेकिन इस विधि से संक्रमण  होने का खतरा होता है, तथा आज विषरोधी यानी एंटीवेनम दवाईयां भी बाजार में उपलब्ध हैं।

विशेष: ऊपर बताए गए सारे उपाय प्राथमिक उपचार के हैं, जो कि डॉक्टर उपलब्ध होने से पहले के हैं। चिकित्सा उपलब्ध हो जाने पर चिकित्सक की सलाह से ही कार्य करना चाहिये।

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