हमारा शरीर एक मशीन क़ी तरह जन्म से लेकर मृत्यु तक कार्य करता है। हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली मशीनरीयों की तो हम समय- समय पर सर्विसिंग करवाते रहते हैं, साथ ही उसका बीमा लेने से भी नहीं चूकते।
लेकिन जब शरीर क़ी बात आती है तो हमने कभी उसकी सर्विसिंग के बारे में शायद ही सोचा हो। बात छोटी लगती हो, पर है बड़ी गंभीर। जिस प्रकार मशीनी यन्त्र को सही ढंग से लम्बी अवधि तक चलाने के लिए तेल,पानी एवं ग्रीसिंग कि आवश्यकता पड़ती है, ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर रूपी कलपुर्जों को बगैर घिसे लम्बी अवधि तक चलाने के लिए चिकनाई क़ी आवश्यकता होती है।
लेकिन जब शरीर क़ी बात आती है तो हमने कभी उसकी सर्विसिंग के बारे में शायद ही सोचा हो। बात छोटी लगती हो, पर है बड़ी गंभीर। जिस प्रकार मशीनी यन्त्र को सही ढंग से लम्बी अवधि तक चलाने के लिए तेल,पानी एवं ग्रीसिंग कि आवश्यकता पड़ती है, ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर रूपी कलपुर्जों को बगैर घिसे लम्बी अवधि तक चलाने के लिए चिकनाई क़ी आवश्यकता होती है।
चिकनाई को लेकर हमारे मन में कई शंकाएं होती है, जैसे कहीं कोलेस्ट्रोल न बढ़ जाय। पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए क़ी बिना चिकनाई के हमारे जोड़ों क़ी गति कैसे होगी? वात नाडिय़ों को पोषण कैसे मिलेगा? क्या गठिया जैसे रोग हमें अपना शिकार नहीं बना लेंगे? इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, हमें अपने शरीर का खय़ाल रखते हुए सम्यक मात्रा में घी एवं तेलों का प्रयोग करना चाहिए।
शरीर क़ी मालिश हेतु पंचकर्म चिकित्सक अभ्यंग का प्रयोग पूर्वकर्म के रूप में कराते हैं ,जो अपने आप में रोगों की चिकित्सा है। तेलों में तिल के तेल को सबसे अच्छा माना गया है, यह शरीर में शीघ्रता से फैलता है। तेलों का सबसे अच्छा गुण, इनका स्निग्ध होते हुए भी शरीर में कफ दोष को नहीं बढ़ाना है ,तेल मे एक विशेष गुण होता है - यह दुबले व्यक्ति का दुबलापन दूर करता है ,साथ ही मोटे का मोटापा भी है न खासबात।
तेल अपने गुणों से संकुचित स्रोतों को खोलता है, रूखी त्वचा तेल से कोमल बन जाती है। तेल का सबसे अच्छा गुण इसका अन्य दवाओं से संस्कारित करने पर उनके गुणों को भी अपने अन्दर लेकर रोगों में लाभ पहुंचाना है। रोजाना बालों क़ी जड़ों में तेल क़ी मालिश करने पर सिरदर्द,गंजापन एवं समय से पूर्व बाल सफ़ेद होने जैसे लक्षणों छुटकारा पाया जा सकता है। तेल पका हो या कच्चा,जितना पुराना हो उतना ही गुणकारी होता है।
बाजार में उपलब्ध कुछ ऐसे तेल जिनका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक रोगों क़ी चिकित्सा में करते हैं निम्न हैं: तिल का तेल ,जैतून का तेल ,अलसी का तेल ,भृंगराज तेल ,बादाम तेल,चन्दन का तेल,लौंग का तेल,एरंड का तेल,सरसों का तेल आदि। अत: हम यह कह सकते हैं तेल का प्रयोग अनेक रोगों में एक रामबाण चिकित्सा है।
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