बुधवार, 7 सितंबर 2011

ये हैं तेज और धारदार याददाश्त पाने का घरेलू नुस्खा


आजकल अच्छा खान पान न होने की वजह से याददाश्त का कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है। हर आदमी अपनी भूलने की आदत से परेशान है लेकिन अब आपको परेशान हो की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आयुर्वेद में इस बीमारी को दूर करने के सरलतम उपाय बताए हैं।

- भोजन में कम शर्करा वाले पदार्थ उपयोगी होते हैं। पेय पदार्थों में भी कम चीनी का प्रयोग करना चाहिये। इन्सुलिन  हमारे दिमाग को तेज और धारदार बनाये रखने में महती भूमिका रखता है। इसके लिये मछली बहुत अच्छा भोजन है।

- दालचीनी का पावडर बनालें। 10 ग्राम पावडर शहद में मिलाकर चाटलें। कमजोर दिमाग की अच्छी दवा है।

- धनिये का पावडर दो चम्मच शहद में मिलाकर लेने से स्मरण शक्ति बढतीहै।

- सात दाने बादाम के रात को भिगोकर सुबह छिलका उतार कर बारीक पीस लें । इस पेस्ट को करीब 250 ग्राम दूध में डालकर तीन उबाल लगाऐं। इसके बाद इसे नीचे उतार कर एक चम्मच घी और दो चम्मच शक्कर मिलाकर ठंडाकर पीऐं। 15 से 20 दिन तक इस विधि को करने से याददाश्त तेज होती है।

- भीगे हुए बादाम को काली मिर्च के साथ पीस लें या ऐसे ही खूब चबा-चबाकर खाऐं और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें।

- एक चाय का चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण दूध या मिश्री के साथ रोजाना तीन से चार हफ्ते तक लें।

-  अखरोट  जिसे अंग्रेजी में वालनट कहते हैं स्मरण शक्ति बढाने में सहायक है। नियमित उपयोग हितकर है। 20 ग्राम वालनट और साथ में 10 ग्राम किशमिस लेना चाहिये।

- रोज एक सेवफल खाएं।

मंगलवार, 6 सितंबर 2011

तन की दुर्गंध अब नहीं करेगी परेशान अपनाएं ये तरीका

हमारे शरीर यानी बाहरी व्यक्तित्व को कमजोर बनाने या बुरा प्रभाव डालने में कुछ बातों का अहम् स्थान होता है। पसीने की बदबू भी एक ऐसी ही समस्या है जो आपके दूसरे तमाम गुणों पर पानी फेर कर लोगों की नजरों में आपकी गलत छबि प्रस्तुत करती है। यदि आप या आपका कोई अपना पसीने दुर्गंध की समस्या से परेशान है तो उसे नीचे दिये जा रहे कुछ बेहद आसान उपायों को एक बार ही सही पर अवश्य ही आजमाना चाहिये...



कुछ व्यक्तियों के पसीने में बदबू होती है।



-  पेट हर हाल में साफ  रखें यानी कब्जियत या दूसरी पेट संबंधी कोई समस्यान होने दें।



-  लहसुन, प्याज जैसी तीव्र गंध वाली चीजों से यथा संभव दूरी बनाकर रखें या अधिक सेवन न करें।



-  नियमित व्यायाम अवश्य ही करें, इससे शरीर में बनने वाला दूषित जल पहले ही निकल जाएगा। इसके बाद ही नहाएं ताकि दिनभर अधिक पसीना निकलने की संभावना ही न रहे।





-  पानी ज्यादा से ज्यादा पीयें, दिन भर में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी एक वयस्क व्यक्ति को अवश्य ही पीना चाहिये।



- बगल के बाल साफ  रखें, शरीर की त्वचा को अधिक से अधिक साफ-सुथरा रखें, हो सके तो नहाते समय मुल्तानी मिट्टी या उससे बने साबुन का ही इस्तेमाल करें।



- अपने शरीर की प्रकृति और मौसम की अनुसार कपड़े पहनें, भारतीय मौसम में कॉटन के कपड़े ही ज्यादा अनुकूल रहते हैं। कपड़े ऐसे हों जो आपके शरीर को प्राकृतिक वायु से जोड़े रखें।

पथरी के दर्द से तुरंत निजात दिलाएगा यह रामबाण नुस्खा


आमतौर पर हम जो भी खातें या पीतें हैं उससे काम के तत्व  शरीर में अवशोषित  हो जाते हैं तथा बेकार के तत्व मळ या मूत्र के रूप में बाहर उत्सर्जित होते हैं I ऐसे ही हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है गुर्दा (किडनी) , यह दिन -रात खून को छानने में  लगा रहता है और बेकार के तत्व  को मूत्र के रूप में बाहर निकालता रहता  है जबकि  यह काम के तत्व को अवशोषित कर लेता है I

अब आप ज़रा सोचिये की जैसे चाय को छानते -छानते छन्नी में कई बार अवरोध आता है और कई बार छन्नी बेकार भी हो जाती है, ठीक इसी प्रकार हमारे शरीर के  रक्त की छन्नी 'किडनी या गुर्दा' है क्या निरंतर कार्य करने से  खराब नहीं होती होगी? ऐसा नहीं है, सयंमित खान- पान करने पर किडनी रूपी रक्त छन्नी आजीवन निर्बाध रूप से काम करती रहती है ,हाँ यदि खान -पान में कैलशियम,पोटाशियम  के आक्स़लेट,यूरेट आदि अधिक  मात्रा में खून के माध्यम से गुर्दे में छनने  को जा रहे हों तो इनका जमा होना तो तय है और इसके लगातार जमा होने से एक टूकडे का निर्माण होता है।


जिसे बोलचाल की भाषा में 'पथरी' या 'स्टोन' कहते हैं। जिन क्षेत्रों के  पानी में चूने आदि तत्व मात्रा  से अधिक पाए जाते हैं वहां 'पथरी या केलकुलस' के रोगी अधिक मिलते हैं।  ऐसे रोगियों में छोटी पथरी का तो पता ही नहीं चलता,जब पथरी बड़ी या संख्या में अधिक हो जाती है तब रोगी को पेट के नीचे  एंठन लिए असहनीय दर्द बताता है, कई बार तो रोगी दर्द से बैचैन हो उठाता है, इस दशा में चिकित्सक अल्ट्रासाउंड द्वारा पथरी के आकार को मापते हैं और आगे की सलाह देते हैं।

आयुर्वेद में पथरी के लिए 'अश्मरी' शब्द का प्रयोग हुआ है I छोटी गुर्दे की 'पथरी' को मूत्र मार्ग से बाहर  निकालने में आयुर्वेदिक नुस्खे बड़े कामयाब हैं I ऐसे ही कुछ नुस्खे निम्न हैं ,हाँ इनका प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से ही करें तो बेहतर होगा I

-गोक्षुर चूर्ण :1.5 ग्राम,खीरा बीज चूर्ण-1.5 ग्राम,ककडीबीज चूर्ण- ग्राम एवं कुलथीबीज चूर्ण -1.5ग्राम का प्रयोग रोगी की आयु के अनुसार कराने से पथरी में काफी  लाभ मिलता है।-पथरी के रोगियों में रात में कुल्थी की दाल को भिगों कर छोड़कर प्रातः उसका पानी पीने से भी लाभ मिलता है।-लगभग दो किलो नींबू का रस निकालकर,इसे एक लीटर की मात्रा  में छानकर बोतल में भर कर रख लें,अब  इसमें एक मुट्ठी कौडियाँ डाल दें,तथा बोतल को थोड़ा हिला लें, यह थोड़ा दूधिया हो जाएगा,अब इसे रोज आधा कप तबतक पीयें जबतक रस समाप्त न हो जाय,यह पथरी को निकालने का अनुभूत नुस्खा है।-कुछ आयुर्वेदिक योग भी पथरी की चिकित्सा में कारगर होते हैं जैसे  : चन्द्रप्रभावटी,श्वेतपर्पटी, चन्दनासव,गोक्षुरादीगुगुल्लू ,वरुणादीक्वाथ,त्रंणपंचमूलक्वाथ आदि, इनका प्रयोग एवं मात्रा का निर्धारण चिकित्सकीय परामर्श से ही होना चाहिए।पथ्य एवं अपथ्य : पथरी  के रोगीयों को टमाटर,पालक आदि के सेवन में संयम बरतना चाहिए। हाँ अगर पथरी काफी बड़ी हो तो फ़ौरन आधुनिक चिकित्सा  में सर्जरी या लीथोट्रीप्सी बेहतर विकल्प हो सकता है।

बिना कॉस्मेटिक्स के गुलाब सी स्कीन पाएं बस कुछ मिनट देकर....

सुंदर दिखने की पहली शर्त है स्वस्थ-सुंदर त्वचा। चाहे आप कामकाजी हों या घरेलू, आप की त्वचा को वातावरण के प्रदूषण, धूल-मिट्टी इत्यादि का सामना करना ही पड़ता है। उनके कारण त्वचा मुरझाई-सी दिखने लगती है।  अगर आप भी अपनी त्वचा को गुलाब के फूल की तरह तरोताजा रखना चाहती हैं तो योग से अच्छा कोई उपाय नहीं है। वरूण मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जिसे रोज सिर्फ पंद्रह मिनट कर कोई भी अपनी स्किन कोमल और मृदु बना सकता है।

कैसे बनाएं वरूण मुद्रा- सबसे छोटी अंगुली तथा अंगूठे के पोर को मिलाकर शेष अंगुलियों को यदि अपनी सीध में राखी जाय तो वरुण मुद्रा बनती है। लाभ - यह मुद्रा रक्त संचार संतुलित करने,चर्मरोग से मुक्ति दिलाने, रक्त की न्यूनता (एनीमिया) दूर करने में परम सहायक है। वरुण मुद्रा के नियमित अभ्यास से शरीर में जल तत्व की कमी से होने वाले अनेक विकार समाप्त हो जाते हैं। जल की कमी से ही शरीर में रक्त विकार होते हैं।यह मुद्रा त्वचा को स्निग्ध तथा सुन्दर बनता है।

रविवार, 4 सितंबर 2011

बालों से जुड़ी हर प्रॉब्लम को धो डालेंगे नानी के ये नुस्खे

वर्तमान समय में बढ़ती प्रदूषण, तनाव और अनियमित आहार के चलते बालों की समस्या सताने लगती हैं। इसके कारण बाल रूखे और बेजान हो जाते है। ऐसे में अगर आप अपने बालों को लेकर चिन्तित है तो आप ये उपाय आजमा कर देखिए

- बालों में चमक प्रदान करने के लिए एक अंडे को खूब अच्छी तरह फेंट लें, इसमें एक चम्मच नारियल का तेल, एक चम्मच अरंडी का तेल, एक चम्मच ग्लिसरीन, एक चम्मच सिरका तथा थोड़ा सा शहद मिलाकर बालों को अच्छी तरह लगा लें, दो घंटे बाद कुनकुने पानी से धो लें। बाल इतने चमदार हो जाएंगे जितने किसी भी कंडीशनर से नहीं हो सकते।

- दही में बेसन घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद सिर धो लें। इससे बालों की चमक लौट आएगी और बालों की रूसी की समस्या से भी आपको निजात मिलेगी।

- रूसी की शिकायत वाले बालों के लिए दही में कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सिर धोए। यह हफ्ते में दो बार अवश्य करें। इससे जहाँ बालों की रूसी खत्म होगी, वहीं बाल मुलायम, काले, लंबे व घने होंगे जो आपकी सुंदरता में चार चाँद लगाएँगे।

- पिसी हुई मेहंदी एक कप, थोड़ा सा कॉफी पाउडर, 1 चम्मचए दही, 1 चम्मचए नीबू का रस, 1 चम्मचए पिसा कत्था, 1 चम्मच आंवला चूर्ण, 1 चम्मच सूखे पुदीने का चूर्ण। फिर इन सभी को मिलाकर करीब दो घंटे रखें। बालों पर घंटा भर लगाकर धो लें। इसे बाल मुलायम व काले होंगे।

-  काली मिट्टी बालों के बहुत अच्छी मानी जाती है, काली मिट्टी को दो घंटे पहले भिगोकर इससे सिर धोएं, इससे बाल मुलायम होते हैं।

-  नारियल के तेल में नीबू का रस मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से बालों का असमय पकना और झडऩा रुक जाता है।

- आंवले का चूर्ण व पिसी मेहंदी मिलाकर लगाने से बाल काले व घने रहते हैं।

बुधवार, 31 अगस्त 2011

बस थोड़ी सी सौंफ और बीमारियां हो जाएंगी छू-मंतर

सौंफ गुणों का खजाना है। किचन का साथी सौंफ सिर्फ एक मसाला भर नहीं है। आयुर्वेद के अनुसार सौंफ के नियमित सेवन से कई तरह का स्वास्थ्य लाभ होता है।

- बादाम, सौंफ  और मिश्री तीनों बराबर भागों में लेकर पीसकर भर दें और रोज दोनों टाइम भोजन के बाद 1 टी स्पून लें। इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है।

भोजन के बाद रोजाना 30 मिनट बाद सौंफ  लेने से कॉलेस्ट्रोल काबू में रहता है।

 - 5-6 ग्राम सौंफ  लेने से लीवर ठीक रहता है और आंखों की ज्योति बढ़ती है।

- खाने के बाद थोड़ी सौंफ से मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो विकार में भी लाभ होता है।

- तवे पर भुनी हुई सौंफ  के मिक्स्चर से अपच के मामले में बहुत लाभ होता है। दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ  को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ  की समस्या समाप्त होती है। अस्थमा और खांसी में सौंफ  सहायक है। कफ और खांसी के इलाज के लिए सौंफ खाना फायदेमंद है।

- आधी कच्ची सौंफ  का चूर्ण और आधी भुनी सौंफ के चूर्ण में हींग और काला नमक मिलाकर 2 से 6 ग्राम मात्रा में दिन में तीन-चार बार प्रयोग कराएं इससे गैस और अपच दूर हो जाती है।भूनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर दो घंटे बाद ठंडे पानी के साथ फँकी लेने से मरोड़दार दस्त, आँव और पेचिश में लाभ होता है। यह कब्ज को दूर करती है।

डायबिटीज की हो जाएगी छुट्टी हमेशा के लिए बस ये कीजिए

शरीर में जब इंसुलिन हार्मोन की कमी होती है या उसके निर्माण में किसी तरह की अनियमितता होने पर डायबिटीज रोग हो जाता है। वजन में कमी आना।अधिक भूख प्यास लगना, थकान बार-बार संक्रमण होना या देरी से घाव भरना। हाथ पैरो में झुनझुनाहट, सूनापन या जलन रहना ये सभी डायबिटीज के लक्षण है। डाइबीटीज एक अनुवांशिक बीमारी तो है ही साथ ही अनियमित दिनचर्या व खान-पान के कारण भी कई बार यह रोग हो जाता है। वैसे तो डायबिटीज के उपचार के लिए मार्केट में कई दवाएं उपलब्ध हैं। लेकिन डायबिटीज का स्थाई उपचार दवाओं से संभव नहीं है।



डायबिटीज के स्थाई उपचार के लिए योग ही एकमात्र उपाय है। यदि नियमित उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, त्रिकोणासन, धनुरासन,अर्धमत्स्येन्द्रासन, मण्डूकासन, पाद-हस्तासन, कपालबहति, अनुलोम-विलोम, प्रणायाम तथा ध्यान का अभ्यास किया जाए तो तनाव का स्तर तथा मधुमेह जैसी बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है, लेकिन इसका अभ्यास किसी योग टीचर के देखरेख में ही करना चाहिए। योग के दौरान यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि सांस का क्रम क्या है, इसके लिए एक सामान्य सिध्दांत है कि जब आसन में सामने यानी आगे की ओर झुकते हैं तब सांस निकालते हैं और जब पीछे की तरफ झुकते हैं तब सांस लेते हैं।

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