रविवार, 5 फ़रवरी 2012

जीरे और मिश्री को ऐसे खा लेने से पथरी के हो जाएंगे टुकड़े-टुकड़े


पथरी एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी को असहनीय पेट दर्द होता है। कई बार पेशाब होना रुक जाता है। मूत्र मार्ग में संक्रमण और पानी कम पीने से गुर्दे में पथरी बनने के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा होती हैं। इसके साथ ही रोजमर्रा में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं, जिनका सेवन पथरी बनने का कारण हो सकता है।

उन्हीं के अंशों से स्टोन का रूप धारण करते जाते हैं। धीरे-धीरे इन छोटी पथरियों पर क्रिस्टल जमा होते जाते हैं और बड़ी पथरी का रूप धारण कर लेती है।जैसे खाने के चीजो से पथरी हो सकती है ठीक उसी प्रकार खाने की चीजों से ही पथरी का इलाज भी हो सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं पथरी के इलाज के लिए कुछ ऐसी ही टिप्स....



- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।

- एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस-बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, उसके बाद मूली को भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें। सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फायदा मिलेगा।

- जीरे को मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

- यदि मूत्र पिंड में पथरी हो और पेशाब रुक रुक कर आना चालू हो गया है तो एक गाजर को नित्य खाना चालू कर देना चाहिये,इससे मूत्रावरोध दूर होगा,और पेशाब खुलकर साफ होगा,पेशाब के साथ ही पथरी घुल कर निकल जायेगी।

- प्याज पथरी के इलाज के लिए औषधीय गुण पाए जाते हैं। अगर आप सही ढंग से इस घरेलू उपचार का पालन करेंगे तो आपको इसका हैरान कर  देने वाला परिणाम मिलेगा। आपको इसका रस पीना है लेकिन पके हुए प्याज का। इसके लिए आप दो मध्यम आकर के प्याज लेकर उन्हें अच्छी तरह से छिल लें। फिर एक बर्तन में एक ग्लास पानी डालें और दोनों प्याज को मध्यम आंच पर उसमें पका लें। जब वे अच्छी तरह से पक जाये तो उन्हें ठंडा होने दें फिर उन्हें ब्लेंडर में डालकर अच्छी तरह से ब्लेंड कर लें। उसके बाद उनके रस को छान लें एवं इस रस का तीन दिनों तक लगातार सेवन करते रहे। यह घरेलू उपाय रामबाण का काम करता है।
 

शिलाजीत के आयुर्वेदिक टिप्स : मिट जाएगी हर तरह की कमजोरी गारंटीड


आयुर्वेद ने शिलाजीत को बहुत लाभकारी औषधि है।अच्छा स्वास्थ्य हमारी मूल आवश्यकता है और शिलाजीत एक ऐसी ही औषधि जो स्वस्थ रहने में हमारी मदद करती है। यह पत्थर की शिलाओं में ही पैदा होता है इसलिए इसे शिलाजीत कहा जाता है। गर्मी के दिनों में सूर्य की तेज किरणों से पर्वत की शिलाओं से लाख की तरह पिघल कर यह बाहर निकल आता है। यह चार प्रकार का होता है।

रजत, स्वर्ण, लौह तथा ताम्र शिलाजीत। प्रत्येक प्रकार की शिलाजीत के गुण अथवा लाभ अलग-अलग हैं। रजत शिलाजीत का स्वाद चरपरा होता है। यह पित्त तथा कफ के विकारों को दूर करता है। स्वर्ण शिलाजीत मधुर, कसैला और कड़वा होता है जो बात और पित्तजनित व्याधियों का शमन करता है। लौह शिलाजीत कड़वा तथा सौम्य होता है। ताम्र शिलाजीत का स्वाद तीखा होता है। कफ जन्य रोगों के इलाज के लिए यह आदर्श है क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है। 
लाभ- शिलाजीत कफ, चर्बी, मधुमेह, श्वास, मिर्गी, बवासीर उन्माद, सूजन, कोढ़, पथरी, पेट के कीड़े तथा कई अन्य रोगों को नष्ट करने में सहायक होता है। यह जरूरी नहीं है कि शिलाजीत का सेवन तभी किया जाए जब कोई बीमारी हो स्वस्थ मनुष्य भी इसका सेवन कर सकता है। इससे शरीर पुष्ट होता है और बल मिलता है।

प्रयोग- शिलाजीत और बंगभस्म 20-20 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम और अभ्रक भस्म 5 ग्राम, सबको मिलाकर खरल बारिक पीस लें। इसकी छोटी-छोटी 2-2 गोलियां बना लें। सुबह-शाम एक-एक गोली दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष होना बंद होता है और शरीर में बलपुष्टि आती है। यदि शीघ्रपतन के रोगी विवाहित पुरुष इसे सेवन करें तो उनकी यह व्याधि नष्ट होती है।

- शुद्ध शिलाजीत 25 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम, केशर 2 ग्राम, अम्बर 2 ग्राम, सबको मिलाकर खरल में खूब घुटाई करके महीन कर लें और 1-1 रत्ती की गोलियां बना लें। एक गोली सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष होना तो बंद होता ही है, साथ ही पाचनशक्ति, स्मरण शक्ति और शारीरिक शक्ति में भी वृद्धि होती है।

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

घरेलू संजीवनी: ऐसे बनाएं कुछ दिन खाएं कोई मौसमी बीमारी नहीं होगी



बदलते मौसम के साथ अधिकतर लोगों को अक्सर बुखार और सर्दी, खांसी  व स्नायुतंत्र जैसी समस्याएं जल्दी घेर लेती हैं। ऐसे में बार-बार कई तरह की ऐलोपैथिक दवाई लेना भी शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए बार-बार  क्लिनिक के चक्कर लगाने से अच्छा है कि आप एक बार इन समस्याओं को जड़ से मिटाने के लिए नीचे लिखा नुस्खा जरुर आजमाएं। 



सामग्री- गुलाब के फूल, तुलसी के पत्ते, ब्राह्मी बूटी, खसखस, और शंखपुष्पी 300-300ग्राम। बनफशा, मुलहठी, सौंफ, तेजपान, 100-100ग्राम। लाल चंदन, बड़ी इलाइची, दालचीनी, लौंग, सौंठ, बदयान, काली मिर्च और असली केसर 10-10 ग्राम सबको अच्छी तरह पीसकर, छानकर बारीक चूर्ण कर लें।



 सेवन विधि- एक चम्मच चूर्ण एक लीटर पानी में डाल कर उबालें। उचित मात्रा में चीनी और दूध डालकर सुबह खाली पेट एक गिलास  पीएं। यह मात्रा चार व्यक्ति के लिए है। 



लाभ- इसके सेवन से शरीर के आंतरिक दोष दूर होते हैं। मानसिक  व शारीरिक थकावट  व निर्बलता दूर होती है। सिरदर्द, खांसी, गैस ज्वर, और उदर रोगों से छुटकारा मिलता है। स्मरण शक्ति और दिमागी ताकत बढ़ती हैं। स्नायुदौर्बल्य दूर होता है। दरअसल यह संजीवनी बूटी की तरह लाभकारी है।

झटपट प्रयोग: 20 मिनट में बाल चमकने लगेंगे

बालों की खूबसूरती और मजबूती के लिये अधिकतर लोग बाजार के कैमिकल युक्त कंडिशनर का उपयोग करते हैं। लेकिन ये बाजार के कंडिशनर थोड़े समय के लिए भले ही बालों को चमकदार बना दें। परन्तु इसके लगातार प्रयोग से बालों को नुकसान पहुंचता है। ऐसे में समस्या ये है कि बालों को बिना कंडिशनिंग के भी तो नहीं रखा जा सकता। 

अगर आप के साथ भी यही समस्या है तो यहां दी जा रही है डीप कंडीशनर की एक बेहद आसान विधि जिसे कोई भी आसानी से कर सकताहै। आप इस आयुर्वेदिक डीप कंडीशनर का प्रयोग 20 दिन में एक बार करें। आप इस कंडीशनर को स्वयं घर पर झटपट बना सकते हैं तथा 20 मिनट में बालों की डीप कंडीशनिंग कर सकते हैं। 

बनाने और लगाने की आसान विधि- आधा कटोरी हरी मेहंदी पाउडर लेकर इसमें गर्म दूध (गाय का) डालकर पतला लेप बना लें। इसी लेप में एक बड़ा चम्मच आयुर्वेदिक हेयर ऑइल डालें। इसे अच्छी तरह से मिला लें। जब यह लेप ठंडा हो जाए तब बालों की जड़ों में लगाएं। 20मिनट छोड़कर आयुर्वेदिक शैंपू पानी में घोलकर बालों को धो लें। इस डीप कंडीशनर द्वारा आपके बालों को पोषण तो मिलेगा ही साथ ही उनमे बाउंस भी आ जाएगा।

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

छोटे से फूल का रामबाण प्रयोग: डायबिटीज और बालों की समस्या को ठीक कर देगा



गुड़हल की कुछ प्रजातियों को उनके सुन्दर फूलों के लिए उगाया जाता है। ये फूल गणेशजी और देवी के प्रिय माने जाते हैं। दक्षिण भारत के मूल निवासी गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल बालों की देखभाल के लिए करते हैं। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार सफेद गुड़हल की जड़ों को पीस कर कई दवाएं बनाई जाती हैं। मेक्सिको में गुड़हल के सूखे फूलों को उबालकर बनाया गया पेय एगुआ डे जमाईका अपने रंग और तीखे स्वाद के लिये काफी लोकप्रिय है। आयुर्वेद में इस फूल के कई प्रयोग बताएं गए हैं आज हम भी आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही प्रयोग जिन्हें आजमाकर आप भी लाभ उठा सकते हैं।

- गुड़हल का शर्बत हृदय व मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करता है तथा ज्वर व प्रदर में भी लाभकारी होता है। यह शर्बत बनाने के लिए गुड़हल के सौ फूल लेकर कांच के पात्र में डालकर इसमें 20 नीबू का रस डालें व ढक दें। रात भर बंद रखने के बाद प्रात: इसे हाथ से मसलकर कपड़े से इस रस को छान लें। इसमें 80 ग्राम मिश्री, 20 ग्राम गुले गाजबान का अर्क, 20 ग्राम अनार का रस, 20 ग्राम संतरे का रस मिलाकर मंद आंच पर पका लें। चाशनी शर्बत जैसी हो जाए तो उतारकर दो रत्ती कस्तूरी, थोड़ा अम्बर, और केसर व गुलाब का अर्क मिलाएं। 

- मुंह के छाले में गुड़हल के पत्ते चबाने से लाभ होता है।

- मैथीदाना, गुड़हल और बेर की पत्तियां पीसकर पेस्ट बना लें। इसे 15 मिनट तक बालों में लगाएं। इससे आपके बालों की जड़ें मजबूत होंगी और स्वस्थ भी। 

- केश काला करने के लिए भृंगराज के पुष्प व गुड़हल के पुष्प भेड़ के दूध में पीसकर लोहे के पात्र में भरना चाहिए। सात दिन बाद इसे निकालकर भृंगराज के पंचाग के रस में मिलाकर गर्म कर रात को बालों पर लगाकर कपड़ा बांधना चाहिए। प्रात: सिर धोने से बाल काले हो जाते हैं।

- सतावरी के कंद का पावडर बनाकर आधा चम्मच दूध के साथ नियमित लें, इससे कैल्शियम की कमी नहीं होगी।

- गुड़हल के लाल फूल की 25 पत्तियां नियमित खाएं। ये डायबिटीज का पक्का इलाज है।

- 100 ग्राम, सतावरी पावडर- 100 ग्राम, शंखपुष्पी पावडर-100 ग्राम, ब्राह्मी पावडर- 50 ग्राम मिलाकर शहद या दूध के साथ लेने से बच्चों की बुद्धि तीव्र होती है।

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

नानी के नुस्खे: ऐसे करें मौसमी जुकाम को जल्दी ठीक


नानी के नुस्खे: ऐसे करें मौसमी जुकाम को जल्दी ठीक

बदलते मौसम के अनुसार कुछ लोगों का शरीर एडजस्ट नहीं कर पाता है। ऐसे में इम्युनिटी पॉवर कमजोर होने के कारण मौसमी रोगों का शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है। मौसमी रोगों में भी जुकाम एक ऐसा रोग है जो सबसे अधिक लोगों को प्रभावित करता है। इसीलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे घरेलु नुस्खे जिन्हें आजमाकर आप मौसमी जुकाम से जल्द ही छुटकारा पा सकते हैं।

-अधिक तेल घी युक्त पदार्थ, अधिक मसाले, मिर्च नहीं लें।

-ठंडे पदार्थ खाना तथा ठंडे पेय पीना भी रोग बढ़ाते हैं। इनसे बचें।

- नाक बंद है तो दालचीनी, कालीमिर्च, इलायची और जीरे के बीजों को बराबर मात्रा में लेकर एक सूती कपड़े में बांध लें और इन्हें सूंघें जिससे छींक आएगी।

-  दो चम्मच गुनगुना पानी लें। इसमें चुटकी भर नमक डालें। इसे अपने दोनों नथुनों में चढ़ाएं।

- चनों की भाप या नाक को सेंक बहुत फायदा देती है। भुने गरम चने या जैसे भी हों, खाने से भी लाभ मिलता है। 

- 10 ग्राम गेहूं की भूसी, पांच लौंग और कुछ नमक  लेकर पानी में मिलाकर इसे उबाल लें और काढ़ा बनाएं। एक कप काढ़ा पीने से लाभ मिलेगा।

- सरसों के तेल को नाक में लगाने से भी काफी आराम मिलता है।

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