गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

आम नहीं बहुत खास है ''आम '' इसमें छुपे इन गुणों को जानेंगे तो मानेंगे

आम को फलों का राजा माना जाता है। खाने में तो ये फल खट्टा-मीठा और स्वाद से भरा होता है। लेकिन आम के अंदर छुपे असली गुणों को बहुत कम लोग जानते हैं आम पर कही गई कहावत आम तो आम और गुठलियों के दाम एकदम सही है क्योंकि इस फल का छिलका और गुठलिया भी बहुत उपयोगी होते है आइए जानते हैं आम के कुछ ऐसे ही गुणों के बारे में....

100 ग्राम आम में पोषकता

पोषण     पका आम             हरा आम

ऊर्जा        74  किलोकैलोरी     44 किलोकैलोरी

रेशा        0.7   ग्राम             1.2 ग्राम

कैल्शियम   14   मि.ग्रा            10 मि.ग्रा

लौह         1.3   मि.ग्रा           5.4 मि.ग्रा

कैरोटीन     2743  माइक्रोग्राम    90 माइक्रोग्राम

विटामिन सी   16   मि.ग्रा          3 मि.ग्रा

- गर्मियों के मौसम में पका हुआ फल खाने से थकान और प्यास का अनुभव नहीं होता।

- ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट, फ्रक्टोज, सुक्रोज विटामिन सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

- आम की छाल का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से पुराना से पुराना घाव भी भर जाता है।

- आम के ताजे पत्ते चबाने से मजबूत होते हैं और दांत के बहुत सारे रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं।

-  पका आम आलस्य को दूर करता है तथा मूत्र संबंधी रोगों का सफाया करता है।

- आम के छिलके को ताजे पानी में पीसकर पिलाने से हैजा ठीक हो जाता है।

-  प्राकृतिक रूप से पका हुआ आम क्षयरोग यानी टीबी को मिटाता है।

-  जिन लोगों को शुक्रप्रमेह शारीरिक विकारों और वातादि यानी वायु संबंधी दोषों के कारण संतानोत्पत्ति न होती हो उनके लिए पका आम किसी      वरदान से कम नहीं है। मतलब कि संतान सुख से वंचित दंपत्ती के लिये आम बेहद लाभदायक  होता है। 

-  प्राकृतिक रूप से पके हुए ताजे आम के सेवन से पुरूषों में शुक्राणुओं की कमी,  नपुंसकता, दिमागी कमजोरी आदि रोग दूर होते हैं।

गिरते बालों का हर्बल इलाज: आसानी से मिलने वाली इस जड़ीबूटी से ऐसे करें शैम्पू

भृंगराज आस्टेरेसी कुल का पौधा है। यह प्राय: नम स्थानों में उगता है। यह लगभग पूरे संसार में पाया जाता है। आयुर्वेद में इसका तेल बालों के लिये बहुत उपयोगी माना जाता है। बालों को घने, काले और सुंदर बनाने के लिए भृंगराज का उपयोग कई तरह से किया जाता है। हम बताने जा रहे हैं आपको भृंगराज के कुछ ऐसे ही उपयोगी प्रयोग....  

- भृंगराज के पत्तों का रस निकालकर बराबर का नारियल तेल लें और धीमी आंच पर रखें। जब केवल तेल रह जाए, तो बन जाता है भृंगराज केश तेल। अगर धीमी आंच पर रखने से पहले आंवले का रस मिला लिया जाए तो और भी अच्छा तेल बनेगा। बालों में रूसी हो या फिर बाल झड़ते हों, तो इसके पत्तों का रस 15-20 ग्राम लें। 

- थोडा सुहागे की खील, भृंगराज और दही मिलाकर बालों की जड़ में लगाकर एक घंटे के लिए छोड़ दें। बाद में धो लें  नियमित रूप से ऐसा करने पर बाल सुंदर घने और मजबूत हो जाते हैं। 

- एसिडिटी होने पर भृंगराज के पौधे को सुखाकर चूर्ण बना लिया जाए और हर्रा के फलों के चूर्ण के साथ समान मात्रा में लेकर गुड के साथ सेवन कर लिया जाए तो एसिडिटी की समस्या से निजात मिल सकती है।

- त्रिफला, नील और भृंगराज तीनों एक एक चम्मच लेकर 50 मिली पानी में मिलाकर रात को लोहे की कड़ाही में रख देते है। प्रात: इसे बालों में लगाकर, इसके सूख जाने के बाद नहाना चाहिए। बाल नेचुरली काले हो जाएंगे।

- माईग्रेन या आधा सीसी दर्द होने पर भृंगराज की पत्तियों को बकरी के दूध में उबाला जाए व इस दूध की कुछ बूँदें नाक में डाली जाए तो आराम मिलता है। हाथी पाँव हो गया हो तो इसके पत्ते पीसकर सरसों का तेल मिलाकर लगाएं। 

-भृंगराज एवं आंवले लें के ताजे पत्तों को पीस कर बालों की जड़ों में लगायें ,साथ ही नीम,शिकाकाई ,आंवला, कालातिल, रीठा इन सब को साथ मिलाकर एक पेस्ट बना लें, यह आपके लिए एक हर्बल शैम्पू का काम करेगा जो बालों को कंडिशनिंग के साथ ही जड़ों को मजबूत बनाएगा। पेट साफ  रखने के लिए केवल त्रिफला के चूर्ण का प्रयोग करें ,यह आपके बालों के जड़ों को भी मजबूती प्रदान करेगा।

कुछ नेचुरल फेसपेक: इन्हें आजमा कर देखें, चेहरा एकदम चिकना हो जाएगा

चेहरे को चिकना और दाग-धब्बे रहित बनाने के लिए लोग कई तरह के कास्मेटिक्स का प्रयोग करते हैं। लेकिन कास्मेटिक्स के अधिक उपयोग से चेहरा अपनी नेचुरल शाइन खो देता है। इसीलिए अपनी स्कीन को हमेशा जवां बनाएं रखने के लिए घरेलू फेसपेक व स्क्रब से अच्छा कोई दूसरा उपाय नहीं है। मुल्तानी मिट्टी वाले फेसपेक को सबसे असरदार माना जाता है। कहा जाता है कि मुल्तानी मिट्टी सौन्दर्य का खजाना है। ये नेचुरल कंडीशनर भी है और ब्लीच भी। ये सौन्दर्य निखारने का सबसे सस्ता और आयुर्वेदिक नुस्खा है।



- आधा चम्मच संतरे का रस लेकर उसमें 4-5 बूंद नींबू का रस, आधा चम्मच मुल्तानी मिट्टी, आधा चम्मच चंदन पाउडर और कुछ बूंदें गुलाब जल की। इन सबको मिलाकर कर थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रख दें। इसे लगा कर 15-20 मिनट तक रखें। इसके बाद पानी से इसे धो दें। यह तैलीय त्वचा का सबसे अच्छा उपाय है।

- तैलीय त्वचा के लिए मुल्तानी मिट्टी में दही और पुदीने की पत्तियों का पाउडर मिला कर उसे आधे घंटे तक रखा रहने दें, फिर अच्छे से मिलाकर चेहरे और गर्दन पर लगाएं। सूखने पर हल्के गर्म पानी से धो दें। ये तैलीय त्वचा को चिकनाई रहित रखने का कारगर नुस्खा है



- अगर आपकी त्वचा ड्राई है, तो काजू को रात भर दूध में भिगो दें और सुबह बारीक पीसकर इसमें मुल्तानी मिट्टी और शहद की कुछ बूंदें मिलाकर स्क्रब करें।



- मुहांसों की समस्या से परेशान लोगों के लिए तो मुल्तानी मिट्टी सबसे कारगर इलाज है, क्योंकि मुल्तानी मिट्टी चेहरे का तेल सोख लेती है, जिससे मुहांसे सूख जाते हैं।



- मुल्तानी मिट्टी को एक कटोरे पानी में भिगो दें। दो घन्टे बाद जब मुल्तानी मिट्टी पूरी तरह घुल जाए तो इस घोल को सूखे बालों में लगा कर हल्के हाथ से बालों को रगड़े। पाँच मिनट तक ऐसा ही करें। गुनगुने पानी से सिर को धो लें। अगर बालों मे ज्यादा गंदगी मौजूद है इसलिए यह काम दोबारा न करें।

मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

कुछ ऐसी बातें जो हर पुरुष को मालूम होनी चाहिए

कहते हैं सुखद वैवाहिक जीवन के लिए पति व पत्नी का हर तरह से स्वस्थ होना जरूरी है। स्वप्न दोष भी पुरुषों में होने वाली एक ऐसी समस्या है जो चेतन मन का नियंत्रण खो देने पर होती है तथा इस समस्या के कारण शरीर मन के किसी कोने में दबी पड़ी वासना के अनुसार प्रतिक्रिया करने लगता है। स्पप्नदोष की स्थिति के पीछे कई बार गलत खान-पान भी अहम् कारण होता है। आइये जाने उन प्रमुख कारणों को जिसके कारण किसी को स्पप्नदोष की स्थिति का सामना करना पड़ता है...



- गलत आहार-विहार करना यानी कि गलत समय पर, गलत चीजें, गलत तरीके से गलत मात्रा खाना और गलत व  अप्राकृतिक तरीके से अपनी दिनचर्या रखना।



- मन में भोग-विलास के वासनात्मक खयाल लाना या मन में काम-वासना के विचार करना।



- अधिक घी-दूध, मेवे-मिठाई, पौष्टिक चीजें... आदि का सेवन करना।



- खाने के तुरंत बाद सो जाना।



- सोने के बिल्कुल पहले गर्म दूध पीना।



- शरीर की आवश्यकता से अधिक भोजन करना।



- सोने से पहले कोई अश्लील साहित्य पढऩा, फिल्म देखना, या कामुकता के विचार करते हुए सोना।



- चंचल स्वभाव की स्त्रियों के साथ समय बिताना।



ये प्रमुख कारण हैं जिनके कारण किसी को स्पप्नदोष जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। इनके अतिरिक्त भी कुछ बायोलॉजिकल कारण हो सकते हैं लेकिन प्रमुख कारण यही हैं। इसीलिए सुखद वैवाहिक जीवन और स्वप्न दोष से बचने का ये सबसे अच्छा तरीका है।

रविवार, 1 अप्रैल 2012

मुंह के छालों का मीठा इलाज: नारियल को ऐसे खाएं फिर देखें कमाल

भारतीय संस्कृति में नारियल को शुभता का प्रतीक माना गया है। किसी कार्य का शुभारंभ नारियल फोड़कर किया जाता है। पूजा के प्रसाद में इसका प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग काड लिवर आइल के स्थान पर सेवन में किया जा सकता है। यह कच्चा और पका हुआ दो अवस्थाओं में मिलता है। नारियल का पानी पिया जाता है। इसका पानी मूत्र, प्यास व जलन शांत करने वाला होता है। नारियल में कई गुणों से भरपूर है इसलिए यह कुछ बीमारियों में दवा की तरह भी काम करता है आइए जाने नारियल के ऐसे ही कुछ मीठे प्रयोग....



 मुंह के छाले- मुंह के छाले होने पर नारियल की सफेद गिरी का टुकड़ा और एक चम्मच भर चिरोंजी मुंह में डालकर धीरे-धीरे चबाना व चूसना चाहिए।



 आधा सीसी- आधा सीसी वाला दर्द हो तो नारियल का पानी ड्रापर से नाक के दोनों तरफ दो-दो बूंद टपकाने से आधा सीसी का दर्द दूर होता है। 

 

पेट के कीड़े- बड़ी उम्र के व्यक्ति को अगर पेट में कृमि की समस्या है तो सूखे गोले का ताजा बूरा 10 ग्राम मात्रा में लेकर खूब चबा-चबाकर खा लें। इसके तीन घंटे बार सोते समय दो चम्मच केस्टर आइल, आधा कप गुनगुने गर्म दूध में डालकर तीन दिन तक पीएं। पेट के कीड़े मल के साथ निकल जाएंगे।

घाव कैसा भी हो, ये आयुर्वेदिक नुस्खे ऐसे हैं जो हर घाव को जल्दी से भर देंगे

रोजमर्रा के जीवन में छोटी-मोटी लापरवाहियों के चलते चोट लगना एक आम बात है। लेकिन कई बार ये छोटे-मोटे एक्सीडेंट्स बड़ी परेशानी का का कारण बन सकते हैं। कुछ घाव ऐसे होते हैं जो जल्द भर जाते हैं और कुछ को भरने में वक्त लगता है। ऐसे ही घावों को जल्दी भरने के लिए हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ आयुर्वेदिक उपाय।

किसी भी प्रकार का घाव हुआ हो, टांके लगवाये हों या  ऑपरेशन का घाव हो, अंदरूनी घाव हो या बाहरी हो, घाव पका हो या न पका हो लेकिन आपको प्रतिजैविक लेकर जठरा, आंतों, यकृत एवं गुर्दों को साइड इफेक्ट द्वारा बिगाडऩे की कोई जरूरत नहीं है बल्कि नीचे दिये जा रहे आसान घरेलू उपायों को अपनाकर किसी भी तरह के गहरे से गहरे घाव को जड़ से मिटाया जा सकता है-



- घाव को साफ  करने के लिए ताजे गोमूत्र का उपयोग करें। बाद में घाव पर हल्दी का लेप करें।



- एक से तीन दिन तक उपवास रखें। ध्यान रखें कि उपवास के दौरान केवल उबालकर ठंडा किया हुआ या गुनगुना गर्म पानी ही पीना है, अन्य कोई भी वस्तु खानी-पीनी नहीं है। दूध भी नहीं लेना है।



- उपवास के बाद जितने दिन उपवास किया हो उतने दिन केवल मूंग को उबाल कर जो पानी बचता है वही पानी पीना है। मूंग का पानी धीरे-धीरे गाढ़ा करके लिया जा सकता है।



- मूंग के पानी के बाद धीरे-धीरे मूंग, खिचड़ी, दाल-चावल, रोटी-सब्जी इस प्रकार सामान्य खुराक पर आना चाहिये। 



- कब्ज की शिकायत हो तो रोज 1 चम्मच हरड़ का चूर्ण सुबह अथवा रात को पानी के साथ लें।



- जिनके शरीर की प्रकृति ऐसी हो कि घाव होने पर तुरंत पक जाता हो, उन्हें त्रिफ ल गूगल नामक 3-3 गोलीदिन में 3 बार पानी के साथ लेनी चाहिए।



- सुबह 50 ग्राम गोमूत्र तथा दिन में 2 बार 3-3 ग्राम हल्दी के चूर्ण का सेवन करने से बहुत जल्दी लाभ होता है। 



- पुराने घाव में चन्द्रप्रभा वटी की 2-2 गोलियां दिन में 2 बार लें। 



- जात्यादि तेल अथवा मलहम घाव पर लगाएं इससे घाव जल्दी से भरने लगेगा।

कील-मुंहासे दूर करने के 8 उपाय, चेहरा हो जाएगा बेदाग

क्रोध को दुश्मन कहा जाता है। गुस्से से कई बार हमारे कार्य बिगड़ जाते हैं, रिश्तों में दरार पड़ जाती है। इसके साथ ही ज्यादा गुस्सा करने पर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी बढ़ जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार गुस्सा करने से कील-मुंहासों में बढ़ोतरी होती है।

कील-मुंहासें सुंदरता के लिए दाग की तरह ही हैं। इसी वजह से सभी इनसे बचने के लिए कई प्रकार के जतन करते हैं। इस संबंध में आयुर्वेद में कई टिप्स बताई गई हैं। इन टिप्स को अपनाने से त्वचा बेदाग और चमकदार हो जाती है।

- हर रोज 2-3 लीटर पानी अवश्य पीएं।

- अपने चेहरे को ग्लिसरीनयुक्त साबुन से धोएं। ध्यान रहे यदि कोई साबुन त्वचा को नुकसान पहुंचता है तो उसे लगाना तुरंत बंद कर दें।

- संतुलित खाना खाएं। जंक फूड से बचें।

- तेल, घी जैसे अत्यधिक वसा वाले खाने कम से कम खाएं।

 - कील-मुंहासे का एक बड़ा कारण है पेट का साफ न होना। इसलिए कब्ज की समस्या हो तो उसका इलाज करवाएं।

- बालों में रूसी हो तो उसे दूर करें।

- नींबू भी मुंहासे दूर करता है।

- गुस्से पर काबू रखें। इससे शरीर में कई ऐसे पदार्थ निर्मित हो जाते हैं जिनसे कील-मुंहासें की समस्या पैदा होती है।

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