बुधवार, 20 जून 2012

स्वस्थ्य रहने के लिए क्रियाशील रहे

जो व्यक्ति सदा क्रियाशील रहता है, रोग उसके पास नहीं फटकते। आरामदायक जीवन जीने वाला ही बीमार होता है। स्वस्थ रहने के लिए सदा क्रियाशील बने रहें।
* जो व्यक्ति स्वस्थ है, वह सुख-सुविधाओं का आनंद ले सकता है। उपलब्ध पदार्थों का सेवन कर सकता है। रोगी व्यक्ति के सभी साधन भी बेकार समझें।
* स्वस्थ व्यक्ति ही आयोजनों में, विवाह-शादियों में शामिल हो सकता है। लोगों से मिलकर बातचीत का आनंद ले सकता है। रोगी कभी नहीं।
* क्रियाशील रहें। बिस्तर नहीं पकड़ें। अपने कार्य अपने हाथों से करें दूसरों पर निर्भर न रहें।
* लक्ष्य निश्चित करें। परिणाम पाने के लिए प्रयत्न करें।
* दिनभर कार्यों में व्यस्त रहेंगे तो रात को अच्छी नींद आएगी। दिन में भोजन भी उचित पा लेंगे।
* यदि आपके पास अपार धन है मगर स्वास्थ्य अच्छा नहीं तो सब बेकार। स्वस्थ रहने के लिए हरसंभव प्रयत्न करें। तभी मकान, धन सब ठीक लगेंगे।
* निरोग नहीं होंगे तो पकवान भी बेकार। खाने-पीने तथा एंजॉय करने के साधनों का लाभ तभी होगा, जब आप रोगों से बचे रहेंगे। पूर्ण स्वस्थ होना चाहिए।
* उपलब्ध साधनों का लाभ नहीं उठा सकता है, जो इसके लिए शारीरिक रूप से तैयार हो।
* धनोपार्जन के लिए अपने कारोबार को बढ़ाते हैं। अपनी पैठ बनाते हैं। प्रतिष्ठा पाते हैं, मगर यह सब तभी संभव होगा, जब स्वास्थ्य अच्छा होगा। रोगों से छुटकारा रहेगा, तभी ठीक वरना बेकार।
* यह सत्य है कि हमारा शरीर, ईश्वर का मंदिर है। यदि यह स्वच्छ होगा, स्वस्थ होगा, पवित्र होगा, क्रियाशील बना रहेगा तो इस मंदिर के आराध्य देव भी इसमें स्थापित होंगे अन्यथा छोड़ जाएंगे। अत: स्वस्थ रहकर इन्हीं दिशाओं में आगे बढ़ें।

मंगलवार, 19 जून 2012

मधुमेह को घरेलू इलाज से करें कंट्रोल

जब रक्‍त में ग्‍लूकोज़ की मात्रा अधिक हो जाती है और वह पेशाब के दा्रान बाहर निकलने लगता है तो उसे मधुमेह कहा जाता है। अभी तक इसका कोई स्‍थाई इलाज सामने निकल कर नहीं आया है इसलिए आपको इस बीमारी में विशेष ध्‍यान देनी की जरुरत है। डायबीटीज को अगर कंट्रोल करना है तो अच्‍छा पौष्टिक आहार और अपने लाइफस्‍टाइल में कई परिवर्तन लाने होगें। यह बीमारी को घरेलू उपचारों से भी काफी कम की जा सकती है। आइये देखते हैं कि हम इसको कैसे कंट्रोल कर सकते हैं। 

अपनाएं यह घरेलू उपचार- 

1.मेथी- मधुमेह को ट्रीट करने में मेथी बहुत बडा रोज प्‍ले करती है। अगर आप रोज़ 50 ग्राम मेथी नियमित रुप से खाएगें तो निश्‍चित ही आपका ग्‍लूकोज़ लेवल नीचे चला जाएगा और आपको इस बीमारी से राहत मिल जाएगी। 

2.करेला- डायबिटीज के निदानों में यह भी एक महत्‍वपूर्ण खोजों में से एक है। करेले का प्रयोग एक प्राकृतिक स्टेरॉयड के रुप में किया जाता है क्‍योंकि इसमें कैरेटिन नामक रसायन होता है जिसके दा्रा खून में शुगर लेवल नहीं बढ़ पाता। करेले के 100 मिली. के रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।

3.जामुन- इस फल का रस, पत्‍ती और बीज मधुमेह की बीमारी को जड़ से खतम कर देते हैं। जामुन के सूखे बीजों को पाउडर बना कर एक चम्‍मच दिन में दो बार पानी या दूध के साथ लेने से राहत मिलती है। इससे अग्न्याशय पर काफी अच्‍छा असर पड़ता है। 

4.आमला- अगर एक चम्‍मच आमले का रस करेले के रस में मिला कर रोज पिएगें तो मधुमेह की इस्‍से अच्‍छी दवा और कोई नहीं होगी। 

5.आम की पत्‍ती- 15 ग्राम ताजे आम के पत्‍तों को 250 एमएल पानी में रात भर भिगो कर रख दें। इसके बाद सुबह इस पानी को छान कर पी लें। इसके अलावा सूखे आम के पत्‍तों को पीस कर पाउडर के रूप में खाने से भी लाभ होता है। 

6.शहद- कार्बोहाइर्ड्रेट, कैलोरी और कई तरह के माइक्रो न्‍यूट्रिएंट से भरपूर शहद मधुमेह के लिए लाभकारी है। जिन लोगों को यह बीमारी होती है उन्‍हें चीनी की जगहं पर शहद खाने को कहा जाता है।

हेल्‍दी ड्रिंक, तुरंत शक्ति के लिए

बाजार में मिलने वाले कृत्रिम एनर्जी पेय शरीर के लिए काफी हानिकारक होते हैं। इनमें कैफीन और चीनी की मात्रा बहुत ज्‍यादा पाई जाती है जो हमारे शरीर के लिए काफी नुक्‍सान दायक होता है। अगर आपको सारे दिन ऊर्जा चाहिए तो बाजार में मिलने वाले एनर्जी ड्रिंक्‍स से तौबा करें और घर पर ही बनाएं गए पेय का सेवने करें। 

घर पर बनाएं हेल्‍दी ड्रिंक- 

1. बनाना शेक: केला एक प्रकार का तुरंत शक्ति देने वाला फल है जो जल्‍दी हज़म नहीं होता और इसे खाने से पेट भी भरा रहता है। केले में विटामिन, मिनरल जैसे पोटैशियम और फास्फरस पाए जाते हैं जो शरीर की थकान को मिटा कर ऊर्जा बढ़ाते हें। 

2. एप्‍पल शेक: सेब भी एक प्रकार का एनर्जी फ्रूट है जिसको खाने से आप हमेशा एक्‍टिव बने रहेगें। सेब को अगर दूध के साथ मिला कर पी लें तो आप सारा दिन ऊर्जावान महसूस करेगें। 

3. लेमन और शहद जूस: एमीनो एसिड शरीर की एनर्जी को बढ़ाने में बड़ी जल्‍दी काम करता है। इससे फैट बर्न होने के साथ ही शरीर में पानी की कमी भी दूर होती है। अगर आपकी मासपेशियों में दर्द है तो इस पानी में अदरख डाल कर पिएं जिससे दर्द गायब होगा। 

4. गाजर का रस: गाजर में विटामिन, प्रोटीन और मिनरल सबसे अधिक पाए जाते हैं जिसके प्रयोग से आप अपनी एनर्जी लेवल को अप कर सकते हैं। गाजर का रस प्रणाली को दूर करके शरीर से थकान को मिटाता है। महनत का काम करने के बाद अगर थकान महसूस हो रही हो तो अपने इस जूस में अंडे की जर्दी मिला लें और फिर सेवन करें, थकान दूर हो जाएगी। 

घरेलू उपचार से दूर करें‍ शिशु में पीलिया

इन तरीको से दूर करें पीलिया- 

1. ब्रेस्‍टफीडिंग- शिशु के शरीर से बिलीरुबिन को मल या फिर पेशाब दा्रारा निकाला जाता है। शिशु का लीवर उस वक्‍त कमजोर होता है, जिस कारण वह अपने शरीर से बिलीरुबिन को नहीं निकाल पाता। पर शिशु को अच्‍छे से ब्रेस्‍टफीडिंग करवा कर इसे पेशाब या मल दा्रा निकलवाया जाता है। पीलिया होने से बच्‍चे को बहुत नींद आती है इसलिए उसे 2-3 घंटे के अंतराल पर जगा कर या तो दूध पिलाना चाहिये या तो डॉक्‍टर दा्रा फॉर्मुला। 

2. सूरज की रौशनी- पीलिया को जड़ से मिटाने के लिए यह एक प्राकृति उपचार है। सूरज की किरणों से बिलीरुबिन का स्‍तर कम होने लगता है। बच्‍चे को धूप में 1-2 घंटे तक बाहर धूप में लिटाएं और ध्‍यान रखें की उसके शरीर पर केवल डायपर ही हो। इसके अलावा सूरज की सीधी रौशनी शरीर पर न ही पड़े वरना उसकी त्‍वचा टैन हो जाएगी। 

3. फारमूला- अगर आपके बच्‍चे को स्‍तन से दूध पीने में परेशानी होती है, तो उसके लिए लैक्‍टेशन स्‍पेशलिस्‍ट से संपर्क कर के मां के दूध का इंतजाम करें। आप चाहें तो अपना दूध निकाल कर बच्‍चे को चम्‍मच से पिला सकती हैं।

घर पर ही बनाइये ये ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट


1. टाइटनिंग-टोनिंग लेमन मास्‍क
सामग्री- 1/2 नींबू रस और 1 अंडा (सफेद भाग)
विधि- नींबू का रस और अंडे के सफेद भाग को लेकर 3 मिनट तक के‍ लिये अच्‍छे से फेंट लें। आंख बचा कर इस पेस्‍ट को डायरेक्‍ट चेहरे पर लगा लें। 30 मिनट तक चेहरे पर पेस्‍ट ऐसे ही लगा रहने दें और फिर हल्‍के गरम पानी से धो लें।
2. हनी लिप बाल्‍म
सामग्री- 2 चम्‍मच ऑलिव ऑयल, 1/2 चम्‍मच शहद, 3/4 चम्‍मच बीवैक्‍स, 1/2 चम्‍मच कोकोआ बटर, अपनी पसंद का फ्लेवर तेल (पिपरमिंट), 1 विटामिन इ कैप्‍सूल।
विधि- एक छोटे पैन में तेल, शहद, वैक्‍स और बटर गरम करें और पिघला लें। इसको आंच से उतारने के बाद 2-3 मिनट तक के लिये ठंडा होने के लिये रखें। इसको चलाते हुए विटामिन इ की गोली को पीस कर डालें। यह तैयार हो चुका है, अब इसे किसी हवा बंद डिब्‍बी में स्‍टोर कर लें।
3. सी साल्‍ट बॉडी स्‍क्रब
सामग्री- 1 कप दरदरा सेंधा नमक, 1/2 कप बेबी ऑयल
विधि- एक कटोरे में सारी सामग्रियों को आपस में मिला लें और जार में बंद कर के 24 घंटे के लिये रख दें। अब यह इस्‍तमाल करने के लिये बिल्‍कुल तैयार है, इसे अपने शरीर पर किसी भी भाग पर लगा कर स्‍क्रब कीजिये। इसको लगाने के बाद नहाइये।
4. फेस मास्‍क
सामग्री- 1/2 कप घिसा खीरा, 1/2 कप घिसा ऐवकाडो, 1 अंडे का सफेद भाग, 2 चम्‍मच मिल्‍क पाउडर।
विधि- सभी सामग्रियों को एक साथ मिक्‍सर में पीस लें और पेस्‍ट तैयार कर लें। इस मास्‍क को अपने चेहरे और गर्दन पर गोलाई में ऊपर की ओर लगाएं। इस मास्‍का को 30 मिनट तक के लिये लगाए रखें और इसके बाद गरम पानी से धो लें।
5. ब्राउन शुगर हैंड सॉफ्टनर
सामग्री- 1/4 कप ब्राउन शुगर, 1 चम्‍मच बेबी ऑयल।
विधि- इन सामग्रियों को एक साथ मिला कर पेस्‍ट बनाएं। फिर जिस तरह से आप हाथ धोती हैं, उसी मोशन में इस पेस्‍ट को अपने हाथों पर लाइये और थोड़ी देर के लिये मालिश कीजिये। कुछ देर बाद अपने हाथों को गरम पानी से धो कर सुखा लीजिये।

एसीडिटी के कारण जलन कर रही हो परेशान तो ये है एक आसान निदान

एसीडिटी के कारण पेट में कई बार असहनीय जलन भी परेशान करती है। अगर आपके साथ भी ऐसी ही समस्या है तो जरूर आजमाएं ये आयुर्वेदिक उपाय, पेट की जलन तुरंत दूर हो जाएगी।

आयुर्वेदिक उपाय- पुष्कर मूल, एरण्ड की जड़, जौ और धमासा- चारों को मोटा-मोटा कूट कर बोतल में भर लें। एक गिलास पानी में दो चम्मच चूर्ण डाल कर उबालें। जब पानी आधा कप बचे तब उतार कर आधा सुबह व आधा शाम को पी लिया करें। पेट की जलन दूर हो जाएगी। यह प्रयोग आठ दिनों तक करके बंद कर दें।

क्या ध्यान रखें- इस प्रयोग के साथ उचित आहार का सेवन करें यानी गरिष्ट भोजन से बचें। सुबह एक कप कच्चा दूध और एक कप पानी मिलाकर इसमें एक छोटी चम्मच मिश्री या चीनी डालकर फेंट लगाएं और खाली पेट चाय व दूध की जगह पीएं। भोजन के अंत में आगरे का पेठा या केला खाएं। सुबह -शाम आवंलें का मुरब्बा चबा-चबाकर खाएं।

सोमवार, 18 जून 2012

क्या आप पाइल्स की पीड़ा से परेशान हैं?



कहते हैं कि हम बीमार नहीं होते अपितु एक रोग को स्वयं निमंत्रण देते है। शरीर और मन बीमारी को बुलाते हैं। गलत खान-पान, दिनचर्या, जीवन शैली, रहन-सहन हमें रुग्णता की तरफ ले जाते हैं। हमारी 80 प्रतिशत बीमारियां स्वयं की पैदा की हुई होती है।
आजकल फास्ट फूड, जंक फूड व मांसाहारी भोजन कब्ज के जनक हैं और कब्ज बवासीर (पाइल्स) की जन्मदात्री है। वैसे कब्ज सब बीमारियों की जड़ है। कब्ज की पहली बेटी बवासीर दूसरी संतान सिरदर्द, सुस्ती, अपाच्य, गैस, अफारा, भूख न लगना है।
पाइल्स क्या है- कब्ज के कारण कड़े मल के कारण रैक्टम में जख्म हो जाते हैं। वे रिसते हैं तथा मलद्वार में से रक्तस्राव होता है। बैठने में असुविधा होती है। अनियमित खान-पान और जो मिला, वही खा लिया, सलाद, रेशेदार भोजन की कमी, कब्ज और अर्श की जन्मदात्री है।
अर्श का गुदा-दर्द आदमी को अर्श से फर्श पर ले आता है। बैठना लेटना दूभर हो जाता है। वसायुक्त, तले पदार्थ ज्यादा नानवेज उदर विकार करते है। गुदा की रक्तवाहिनियां एक गुच्छा बना लेती है। इसे मस्सा भी कहते हैं। शौच की हाजत को रोकने से ज्यादा देर तक सख्त आसन पर बैठने से भी बवासीर रोग हो जाता है। इसका दर्द रोगी ही जानता है। असहनीय दर्द से रोगी कराहता है।
पाइल्स, अर्श, बवासीर सभी एक रोग के नाम है। यह एक कष्टदाई दुखदाई रोग है। हम भोजन खान पान की परवाह किये बिना दुकानों, खोमचों पर जो मिला खा लेते हैं जिससे पाचन शक्ति प्रभावित होती है और हम कब्ज से पीड़ित हो जाते हैं।
कुछ सावधानी, पथापथ्य, खानपान व दिनचर्या में परिवर्तन एवं जागरुकता द्वारा हम रोग मुक्त हो सकते हैं।
* मल त्याग की भावना को कभी रोके नहीं। पूर्ण समय लगाकर पूर्ण सफाई रखें। पानी ज्यादा पिएं। भोजन को चबा-चबा कर खाएं।
* भोजन से पहले ज्यादा सलाद खाएं। सलाद में मूली गाजर, प्याज, फल प्रयोग करें।
* लस्सी मट्ठा नमक, कालीमिर्च डालकर पिएं। दही ज्यादा खाएं।
* पालक, साग, मेथी, मूली, शलगम की सब्जी प्रयोग करें।
* पपीता, आम, अमरूद कब्ज बवासीर के लिए घातक है।
* मल वेग के आवेग से तुरन्त मुक्त हों। बथुआ, चौलाई, मौसमी फल, सब्जी खाएं। हरी सब्जियां आतड़ियों में फंसा अन्न निकाल फेंकती है।
* आहार का दमन रोगों का शमन करने में सहायक रहता है। रोग को शुरू से ही पकड़ ले नहीं तो यह आपको पकड़ लेगा जिससे छूटना मुश्किल होगा।
* गर्म दूध के साथ च्यवनप्राश, ईसबगोल या त्रिफला नित्य लेकर चिरंजीवी बने।
* खान-पान का ध्यान रोगमुक्ति सूत्र है। मिठाई, नानवैज, तले पदार्थ, फास्टफूड गरिष्ठ भोजन वर्जित है। इलाज से परहेज बेहतर है।
* चिकित्सक की राय से क्षारसूत्र चिकित्सा, कांटरी चिकित्सा, जैली प्रयोग बर्फ सेंकन, कटिस्ान, औषधि सेवन लाभदायक हो सकते हैं परन्तु परम उपयोगी साधन है सौ बीमारी और एक परहेज जिन्दगी को स्वस्थ रखता है। परहेज सचमुच इलाज से बेहतर है क्योंकि निमंत्रण तो रोगों को हम स्वयं ही देते हैं।
* ईसबगोल का छिलका प्रात: खाएं दूध, शर्बत या पानी से लगातार दो मास तक लें। कब्ज के दुश्मन बन जाएं क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य का दुश्मन है।
* हाट वाटर टब में कटि स्नान करें अर्थात मल द्वार डुबोएं रखें, इससे रैक्टम के जख्मों को राहत मिलती है और दर्द भाग जाता है।

Featured post

इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं

महिलाएँ ...इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं।   तो ये है इस फ़ार्मूले का राज... 👇 जन्म वर्ष के केवल आख़री दो अंकों क...