शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

दुर्गा बीसा यंत्र : एक चमत्कारी यंत्र उसके महत्व और लाभ

 हिंदू धर्म शास्त्रों में बड़े पैमाने पर यंत्र विद्या का जिक्र मिलता है। ग्रंथों में तंत्र, मंत्र और यंत्र, इन तीनों मार्गों को जीवन सुखमय बनाने का मार्ग बताया गया है। इनमें से आम लोग तंत्र से दूर ही रहना पसंद करते हैं और मंत्र सिद्ध करना आसान नहीं है। ऐसे में तीसरा मार्ग बचता है यंत्र। यंत्र कुछ विशेष प्रकार की ज्यामितिय आकृतियों का संयोजन होता है, जिसे किसी देवी या देवता विशेष के लिए बनाया जाता है। शास्त्रों में यंत्रों को साक्षात देवी-देवता का स्वरूप कहा गया है। शास्त्रों में मंत्र को देवी-देवताओं की आत्मा कहा गया है तो यंत्र को उनका शरीर। यह बात इस मंत्र से सिद्ध हो जाती है 'यंत्र देवानां गृहम्" अर्थात यंत्र देवताओं का निवास स्थान है।

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दुर्गा बीसा यंत्र
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यंत्र की पूजा करने से समस्त प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में अनेक प्रकार के यंत्र बताए गए हैं, जो विभिन्न् कामनाओं की पूर्ति के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। उन्हीं में से एक यंत्र है दुर्गा बीसा यंत्र। यह एक ऐसा चमत्कारिक यंत्र है जिसमें स्वयं देवी दुर्गा निवास करती है। शास्त्रों का कथन है कि सिद्ध किया हुआ दुर्गा बीसा यंत्र अपने पास रखने या धारण करने से धन की हानि नहीं होती है। दुर्घटना से बचाव होता है। शत्रुओं का नाश होता है और समस्त प्रकार के बुरे दिनों से रक्षा होती है। नवरात्रि में इस यंत्र की पूजा का विशेष महत्व है। इसे सिद्ध करने के लिए नवरात्रि सबसे अच्छा समय माना गया है।
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क्या होता है दुर्गा बीसा यंत्र
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दुर्गा बीसा यंत्र एक त्रिकोण की तरह होता है जिसमें एक केंद्र और उसके आसपास नौ त्रिकोण खाने होते हैं। इनकी जमावट इस तरह होती है कि यह एक त्रिकोण की तरह नजर आता है। इससे अलग-अलग खानों में 1 से 9 तक के अंक लिखे होते हैं , मार्केट में यह तांबे, अष्टधातु, चांदी, सोना, क्रिस्टल आदि धातुओं से बना हुआ मिलता है। घर में इसे बनाने के लिए भोजपत्र पर अनार की कलम और अष्टगंध की स्याही से लिखा जाता है। इसके बाद इसका षोडशोपचार पूजन करके दुर्गा सप्तशती के श्लोकों से सिद्ध किया जाता है। 'ऊं दुं दुं दुं दुर्गायै नम:" मंत्र की एक माला से सिद्ध किया जाता है। सिद्ध होने के बाद इसे चांदी के ताबीज में भरकर अपनी दाहिनी भुजा में बांधें या गले में पहनें। इसे चांदी की डिबिया में रखकर तिजोरी में भी रखा जा सकता है।
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दुर्गा बीसा यंत्र के लाभ
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यह सिद्ध यंत्र जिसके पास होता है, स्वयं मां दुर्गा समस्त संकटों से उसकी रक्षा करती है। इस यंत्र के प्रभाव से कभी धन हानि नहीं होती। दुर्गा बीसा यंत्र को धन प्रदायक माना गया है। इससे लक्ष्मी की अनुकूलता प्राप्त होती है। दुर्गा बीसा यंत्र साथ में होने से शत्रु हावी नहीं हो पाते। शत्रु शांत होते हैं। उनसे रक्षा होती है। दुर्घटना में रक्षा होती है। दुर्गा बीसा यंत्र को अपने वाहन में लगाने से दुर्घटना में मृत्यु नहीं होती। बुरी नजर, जादूटोना, काला जादू आदि का प्रभाव शून्य हो जाता है। सभी नवग्रह दोष, कुंडली के अन्य दोषों का शमन होता है ।
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बीसा यंत्र कैसे प्राप्त करें ?
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बाजार में तांबे, चांदी अथवा सोने के भी यंत्र पूजा योग्य बनाये जाते हैं , जिसे आप अपने मंदिर में स्थापित करके लाभ ले सकते हैं अथवा ये गले के पेन्डेन्ट रूप में उपलब्ध है । इसकी सबसे खास बात ये है कि बहुत कम दाम में ये उपलब्ध है । आज बाजार में हज़ारों लाखों के रत्न या अन्य वस्तुएं लोग खरीदते हैं जबकि ये बेहद कम कीमत में उपलब्ध हो जाता है , और अन्य वस्तुओं से अति शीघ्र असर दिखाता है । मैंने खुद पर व अन्य लोगों पर इसके अभूत प्रयोग किये हैं , सभी ने सकारात्मक होना बताया है । हमारे द्वारा दुर्गा बीसा यंत्र संक्रांति, होली-दीवाली, ग्रहण, नवरात्रों में विशेष पूजा पद्वति से इस यंत्र को तैयार किया जाता है । इच्छुक व्यक्ति संपर्क कर सकते हैं ।

धन संबंधी और कर्ज़ संबंधी परेशानी का सरल उपाय

लेखक - पी. ए. बाला

जो भी व्यक्ति धन संबंधी , कर्ज़ संबंधी परेशानियों से गुज़र रहे हैं । वह व्यक्ति नित्य प्रातः 3:00-3:30 बजे उठ कर अपने पलंग पर ही "वेंकटेश सुप्रभातम" सुनें । जो पढ़ सकते हैं वह पढ़ें , अन्यथा सुनें । एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी जी की आवाज़ में बेहद दिव्य है । इसके पश्चात आप वापिस सो सकते हैं । सुप्रभातम श्रीहरि को उठाने के लिये किया जाता है , कई विद्वान ये भी मत रखेंगे कि आप विष्णु जी को जगा कर खुद वापिस कैसे सो सकते हैं .. सच मानिये जब आप इस प्रयोग को करेंगे तो पाएंगे थोड़े दिन में आपकी दिनचर्या बदल गई है , आप स्वयं स्वेच्छा से ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाया करेंगे ।


मनोकामना इच्छापूर्ति के लिये हनुमान चालीसा राम बाण उपाय

लेखक - पी. ए. बाला 

आज के युग में हर इंसान किसी न किसी मनोकामना ,इच्छा को लेकर जी ही रह होता है । वो किसी भी प्रकार की हो सकती है , और हर इंसान उस इच्छापूर्ति के लिये भरसक प्रयास भी करता है । चाहे वो ज्योतिष के माध्यम से हो या अन्य फिर भी सफल नही हो पा रहा , ऐसी स्थिति इंसान के लिये बड़ी कष्टदायक होती है, कि चाह कर भी वो कुछ नही कर पाता । ऐसी स्थिति से उबरने के लिये आपको एक राम बाण प्रयोग बताता हूं, जो कि बड़ा तीव्र है तुरंत फायदा देने वाला है चूंकि मैं उसे राम बाण उपाय कह ही रह हूँ तो इसका तात्पर्य यही है कि ये उपाय कभी असफल नही होता । ये उपाय प्रायः सभी जानते हैं पर तरीका क्या है इसका उससे लोग अनभिज्ञ हैं , तो आज हम उसी तरीके के बारे में जानेंगे । उपाय बेहद आसान है परन्तु ये परिश्रम मांगता है , अगर आपने जान लगा कर ये कर लिया तो निश्चित मत है कि आपके कार्य को सफल होने से कोई नही रोक सकता । उपाय इस प्रकार है :-

आपको किसी भी मंगलवार या शनिवार को 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना है । इस विधि से :--- जिस भी दिन आप ये करें कोशिश करें उस दिन प्याज-लहसुन का प्रयोग न करें , अगर करते भी हैं तो इस साधना से 2 घंटे पहले खाना खायें और साधना से पहले नमक के पानी से कुल्ला करके अच्छे से हाथ मुँह धो कर , नहा सके तो और बेहतर है ।लाल आसन लेकर उत्तर या पूर्व की तरफ मुख करके बैठें । साथ में 108 दाने एक कटोरी में चने की दाल ले कर बैठे , एक खाली कटोरी ले कर बैठें । एक चने की दाल हाथ में लेकर सबसे पहले 108 बार श्रीराम नाम का जप करें, फिर हनुमान चालीसा का पाठ करें और ऐसे 108 बार चालीसा का पाठ करें । श्रीराम नाम आपको शुरू में एक बार और अंत में 108 चालीसा पाठ के बाद करना है । साधना के नियम इस प्रकार हैं :-
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1. यह साधना बेहद श्रद्धा और विश्वास की है , इसमें किसी प्रकार की वैसे तो भौतिक चीजों जैसे तस्वीर, चौकी, दीया-बत्ती , प्रसाद, माला की आवश्यकता नही है । फिर भी आप इन सब के साथ करना चाहें तो कर सकते हैं । इसके लिये जरूरी है कि पूरे साधना के समय दीया जलता रहना चाहिये ।
2. उपरोक्त भौतिक चीजों के अलावा करने पर सिर्फ आपको आसन और दिशा का ध्यान रखना है । चने की दाल भी सम्भव न हो तो उंगलियों पर भी गिनती कर सकते हैं ।
3. इस साधना को करने में 3-4 घंटे या उससे ज्यादा का वक़्त भी लग सकता है । इस पूरे साधना काल में आपको आसन नही छोड़ना है बाकी आप हाथ पैर हिला डुला सकते हैं ।
4. इस साधना को ऐसे समय करें जब रात को बीच में 12 अवश्य बजें ।
5. साधना के बाद प्रयोग की गई चने की दाल को लाल कपड़े में छोटी पोटली बना कर या तो अपने जेब में रखें या तिजोरी में रखें ।
6. साधना के दौरान आपका शरीर कई बार आपका साथ छोड़ने लगेगा । आपकी हिम्मत जवाब देने लगेगी, शरीर के कई हिस्सों से दर्द निकलेगा पर आपको हिम्मत रख कर एक बार ये पूरा साधना करनी है । दरअसल वो पीड़ा आपके शरीर को होती है वो आपकी नकारात्मक ऊर्जा आपके शरीर से निकल रही होती है ।
7. जब आप साधना पूरी कर लें तो "जयश्रीराम" बोल के आसन छोड़ देवें व आसन को लपेट के रख देवें और लघुशंका वगैरह कर के सीधा बिना कुछ बोले या किसी से बात किये हुए साधना स्थल पर जमीन पर ही सो जाएं अगर ऐसा संभव न हो तो बिस्तर में जा कर लेट जाएं ।
8. साफ सफाई और पवित्रता का ध्यान रखें ।
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यह साधना विशेष फलदायी है और आजमाई हुई है , इसके कई सफल प्रयोग मैंने स्वयं के जीवन में किये हैं, और जिनको भी यह साधना बताई गई है उनके सभी के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं । यह साधना मैंने कई ऐसे परिवारों को बताई है जिनके परिजन जेल में थे , जो बिना किसी गुनाह के जेल में सज़ा भुगत रहे थे , जिनको बाहर निकलने का कोई अवसर नही मिल रहा था , उन्होंने जेल में रहकर ये साधना सिर्फ श्रद्धा और विश्वास से पूरी की और बाहर निकलने के बाद उनके द्वारा बताया गया कि जेल में बिना किसी सामग्री, सामान , आसन के रात को ये साधना की और परिणामस्वरूप हम बाहर हैं और निश्चित ही कोर्ट केस भी जीतेंगे और वे जीते भी ...कहने का तात्पर्य यह है कि अगर आपकी इच्छा, मनोकामना सही है, आप सही हैं । बस आपको समर्पण भाव से श्रद्धा और विश्वास से ये साधना करनी है , भले आपके पास कोई भौतिक सुविधा न हो तब भी .... प्रभु आपकी जरूर सुनेंगे और आपके कष्टों को हर लेंगे ।
धन्यवाद
।।जय श्री राम।।

विवाह में देरी व बाधा, सुखी गृहस्थ जीवन का शुद्ध सात्विक उपाय

 लेखक- पी. ए. बाला

आज के समय में विवाह में देरी होने भी एक विकट समस्या है। कई जातक स्वयं की शादी न होने के कारण परेशान रहते हैं । कई के माता-पिता अपने बच्चों की शादी को लेकर चिंतित रहते हैं ।इसके कई कारण है जैसे मांगलिक दोष या अन्य दोष.. इसके अतिरिक्त एक समस्या ये भी है कि शादी होने के बाद परिवार अच्छा मिले, जीवनसाथी अच्छा हो .. दाम्पत्य जीवन सुख से बीते व जिनकी शादी तो हो गई है पर दाम्पत्य जीवन में सुख नही है , पति-पत्नी में अनबन व क्लेश रहता है .. लड़ाई झगड़े बहुत रहते हैं । इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिये एक सुंदर सात्विक प्रयोग बता रहा हूँ , करके देखिये लाभ होगा । ये उपाय श्रद्धा के ऊपर हैं आप श्रद्धा रखते हैं और मानते हैं तो सब कुछ है अन्यथा तो कुछ नही है । जिनको लगता है बहुत कुछ करके देख लिया कुछ फायदा नही है तो उनसे कहना है बहुत कुछ में एक ये भी करके देख लीजिये , इसमें खर्चा भी कुछ खास नही है .. करके देखिये प्रार्थना कभी व्यर्थ नही जाती । उपाय इस प्रकार है :-


शुक्ल पक्ष के किसी भी बृहस्पतिवार को अपने नजदीक के किसी मंदिर में जहां लक्ष्मीनारायण जी का विग्रह हो उनको पीले फूलों का युगल हार पहनावें । युगल हार का मतलब है कि एक ही माला जो लक्ष्मीनारायण भगवान को एक साथ पहनाई जाये । इसके साथ ही आपको सवा किलो केले व पंडित जी को श्रद्धानुसार दक्षिणा देनी है । मंदिर और विग्रह ऐसा हो जहां आप पंडित जी की मदद से प्रभु को हार अपने हाथों से पहना सकें । जहां ऐसी व्यवस्था न हो तो फिर पंडित जी को कहकर अपने सामने ही पहनवाईये । प्रभु से प्रार्थना कीजिये निश्चित ही पूरी होगी । जो लोग प्रेम विवाह करना चाहते हैं वह भी यह प्रयोग कर सकते हैं । इस प्रयोग से गुरु और शुक्र दोनों के शुभ फल प्राप्त होंगे ।
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ध्यान देने योग्य बातें :-
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1. हार एक ही धागे में बना हो , क्योंकि अक्सर माला तैयार करने वाले लोग दो माला या तीन माला को तोड़कर गांठ बांधकर दे देते हैं अतः उनसे कहियेगा की एक ही माला बनायें ।
2. जिनका यह प्रश्न हो कि घर में तस्वीर पर यह उपाय कर सकते हैं क्योंकि आस पास कोई लक्ष्मीनारायण जी का मंदिर नही या मंदिर में विग्रह नही है । उनसे कहना है कि ऐसा मंदिर ढूँढिये जरूर मिलेगा । घर पर करना चाहें तो कर सकते हैं क्योंकि श्रद्धा ही सब कुछ है , पर मंदिर में करें तो श्रेष्ठ है ।
3. जिस भी मंदिर में आप ये करें उससे एक दिन पहले पुजारी जी से बात कर लेवें व माला का माप आदि ले लेवें , क्योंकि कई बार माला छोटी पड़ जाती है या बड़ी पड़ जाती है । व आपको भटकना न पड़े इसके लिये पहले से तैयारी कर लीजियेगा ।

कोर्ट केस व वाद-विवाद में विजय प्राप्ति हेतु अचूक उपाय

 लेखक - पी. ए. बाला

आज के माहौल में बहुत सारी समस्याओं में एक समस्या कोर्ट-कचहरी, वाद-विवाद इत्यादि की भी है । बहुत लोग मासूम व निर्दोष होते हुए भी कानून व कोर्ट के चक्करों में फंस जाते हैं , और चाह कर भी इससे निकल नही पाते । न्यायालय में किसी का मामला सालों से चल रहा है पर सुलझ नही रहा । कोर्ट और वकीलों के चक्कर लगाते हुए आम इंसान की माली हालत भी खराब हो जाती है । उनको समझ नही आता कि करें भी तो क्या करें । कई लोग छोटी सी गलती या गलत संगत की वजह से जेल भुगत रहे हैं । ये केस किसी भी प्रकार के हो सकते हैं चाहे वो तलाक का भरण पोषण का हो , जमीन व मकान का हो , पैसों के लेन देन इत्यादि का हो , लड़ाई झगड़े या अन्य इत्यादि भी हो सकते हैं । इनसे बचने या निकलने के लिये कई लोग ज्योतिष तंत्र मंत्र का सहारा लेते हैं । ज्योतिष और तंत्र में कई उपाय हैं जो आपकी रक्षा करते हैं । इनमें एक अति प्रभावशाली उपाय एक स्तोत्र या पाठ के रूप में आपको बताने जा रहा हूँ , जो कि माँ बगलामुखी से संबंधित है और अत्यंत सरल और प्रभावी है । इस उपाय को वही करें जो जानते हैं कि सही में निर्दोष हैं या इतनी बड़ी गलती नही है जिसकी वो सजा भुगत रहे हैं । क्योंकि जिससे भी पूछा जायेगा वो अपने को सही सामने वाले को गलत ही बतायेगा । यह तो आपका अंतर्मन जानता है कि आप दोषी हैं अथवा निर्दोष क्योंकि आप खुद से समाज से कानून से झूठ बोल सकते हो , उनको धोखा दे सकते हो पर माता को धोखा नही दे सकते, वो सब जानती है कि कौन क्या है अतः पूरा भरोसा रख कर पूरे विश्वास के साथ उपाय करें , निश्चित आपको सफलता मिलेगी । सारा खेल ही श्रध्दा और विश्वास का है ..मानो तो बहुत कुछ है न मानो तो कुछ नही है ।

श्रीबगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्

यह पाठ आप स्वयं भी कर सकते हैं अथवा किसी के लिये कर भी सकते हैं । पाठ अत्यंत सरल है , इसमें आसन और दिशा का ध्यान रखें पूर्व या उत्तर की तरफ मुख करके बैठें साथ में एक कटोरी में थोड़ा सा जल बिल्कुल नाम मात्र लेकर बैठें । तस्वीर या यंत्र इनकी जरूरत नही है पर आप रखना चाहें तो रख सकते हैं ।

ध्यान देने योग्य बात :- पाठ के शुरुआत में विनियोग है जिसमें आपको अपने हाथ में जल लेना है व विनियोग पूरा होते ही जहां "जपे विनियोग" आता है वहां जल को भूमि पर उंगलियों की तरफ से छोड़ना है । फिर आगे का पाठ आप कर सकते हैं ।

सर्व मनोकामना सिद्धि के लिये त्रिधातु का अचूक रामबाण प्रयोग

 लेखक: पी. ए. बाला

आज किसी भी प्रकार का ज्ञान न देते हुए आप सभी को ऐसे उपाय या प्रयोग के बारे में बताता हूँ जो कि सिद्ध है, आजमाया हुआ है । मैंने पेज पर कई लोगों को परेशान होते देखा है , कई प्रकार की परेशानियों से त्रस्त हैं । किसी न किसी पोस्ट पर अधिकतर अपने किसी ग्रह के कारण पूछताछ करते मिल जाते हैं। आज के समय में हर व्यक्ति किसी न किसी परेशानी से दुखी है .. चाहे वो कर्ज़ , बीमारी, ग्रह दशा, कुंडली के बहुत सारे बुरे योग, पित्र दोष, संतान प्राप्ति, विवाह, तलाक, लड़ाई झगड़े, नौकरी, तरक्की, ज़मीन जायदाद, कोर्ट कचहरी इत्यादि समस्याओं से जूझ रहा है । अब ऐसे में किस किस ग्रह का या क्या क्या उपाय करें कि सब सुचारू रूप से चल सके , वो भी तब जब आजकल के समय न तो किसी के पास पैसा है बार बार लगातार उपाय करने का , न समय है । हर किसी व्यक्ति को किसी न किसी रूप में त्वरित सुकून चाहिये ही ,ऐसे में आपको ऐसे सिद्ध उपाय के बारे में बताने जा रहा हूँ जो हल्का खर्चीला तो है परंतु अगर एक बार दुख सुख पाकर ये उपाय कर लिया तो फिर आपको वापिस पीछे मुड़ कर देखने की जरूरत नही पड़ेगी । उपाय इस प्रकार है :-

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गुरुपुष्य नक्षत्र के दिन अपने किसी जानकार सुनार से अपने सामने बैठ कर एक त्रिधातु का छल्ला जिसमें तांबा 65% सोना 20% चांदी 15% हो , आप चाहे तो तीनों धातु के तारों को समान रूप से मुड़वा कर भी छल्ला तैयार कर सकते हैं , परन्तु मैं ठोस छल्ले को श्रेष्ठ मानता हूं । ये आपकी सीधे हाथ की रिंग फिंगर के नाप से बनेगा । ये आपके ऊपर है कि आप कितने वजन का बनवा रहे हो ... आप जितना भी वजन का बनवाएं पर ध्यान रखें कि उसमें मात्रा ऊपर बतायी मात्रा के अनुसार हो, इसको अपने सामने बैठ के बनवाएं । छल्ले को आप को उसी दिन किसी भी मंदिर के अंदर पीपल के पेड़ पर तने पर छुपा देना है अथवा बांध देना है, ध्यान रहे कि छल्ला तने से स्पर्श करता हुआ हो । उसको इस तरह से छुपाएं की न वो किसी को नज़र नही आये, ताकि कोई निकाल न सके । ठीक 5 दिन बाद उस छल्ले को त्रिदेवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश व पीपल की आज्ञा लेकर अपने साथ ले आएं और शिवलिंग के ऊपर रख कर गंगाजल व दूध से अभिषेक करें, ध्यान रहे अभिषेक करते समय छल्ला शिवलिंग पर स्पर्श करता रहे । शिवजी की आज्ञा लेकर छल्ले को हाथ में रख कर 108 बार "ॐ नमः शिवाय" का जप करें और घर ले आएं । एक कटोरी में गंगाजल लेकर उसमें छल्ले को डुबोकर सूर्यदेव के सामने 15 मिनट रखें और उसके बाद उसको ले आएं और पूर्व या उत्तर मुखी होकर अपने सामने एक पाटे अथवा चौकी पर पीला रुमाल बिछा कर छल्ले को उसमें रख देवें , छल्ले को केसर का इत्र लगावें । एक दिया प्रज्ज्वलित करें उसकी तिलक, फूल , धूप-दीप आदि देकर पूजा करें , उसमें एक हल्दी की साबुत गांठ , निम्बू व 11 लौंग रखें । उसके पश्चात 3 माला "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करें । इसके पश्चात 108 साबुत गुलाब की पंखुरी एक प्लेट में रखें और निम्न मंत्र का जप करते हुए एक-एक पंखुरी उस छल्ले रुमाल में चढ़ाते जायें , इस तरह आपको 108 बार मंत्र बोलना है और 108 गुलाब की पंखुरी उसपर चढ़ानी है ।
मंत्र इस प्रकार है :-
"देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥"
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इसके बाद इस रुमाल को समस्त सामग्री समेत बांध कर अपने पूजा घर में अगले शुक्लपक्ष के पहले बृहस्पतिवार तक रोज धूप दीप दिखाते हुए रखना है । अगले शुक्लपक्ष के पहले बृहस्पतिवार को सूर्योदय के समय इस रुमाल को खोल कर छल्ला अपनी रिंग फिंगर में "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करते हुए धारण कर लेवें । उसी दिन छल्ले के निमित यथाशक्ति दान करें, बाकी सामग्री को उसी रुमाल में बांध कर नदी, तालाब, कुएं में डाल देवें ध्यान रहे आपको सामग्री पीपल पर नही चढ़ानी । उसके बाद आप अपने जीवन में होने वाले चमत्कार और बदलाव को महसूस करें । आप पाएंगे कि कुछ ही दिनों में आपकी समस्त परेशानियां दूर होती जा रहीं हैं , बहुत सुकून आपके जीवन में होगा जिसे आप खुद महसूस कर पाएंगे ।
*नोट :- रोज स्नान के बाद उस छल्ले पर केसर का इत्र जरूर लगाएं इससे उसकी ऊर्जा जागृत रहेगी ।
हर पूर्णिमा पर छल्ले को गंगाजल में एक कटोरी में डूबा कर सूर्यदेव के सामने 15 मिनट रख कर फिर निकाल कर वापिस धारण कर लेवें , इससे छल्ला एक्टिवेट रहता है ।*

3 प्रयोग जो दिलाएंगे आपको विशेष परेशानियों में मुक्ति

लेखक - पी. ए. बाला

 वैदिक ज्योतिष व तंत्र-मंत्र के उपाय कुछ समय लेते हैं अपना असर दिखाने में, परन्तु कभी कभी ऐसी परेशानी या मुसीबत में इंसान फंस जाता है कि उसे कुछ त्वरित फायदा मिल जाये जिससे उसको थोड़ी राहत की सांस मिले, उसे थोड़ा समय मिल जाये जिससे उसको परेशानी से मुक्ति पाने के लिये कोई ठोस कदम उठाये । ऐसे ही 3 प्रयोग हैं जो आप करेंगे तो आपको विशेष परेशानियों में मुक्ति मिल जायेगी । उपाय इस प्रकार हैं :-

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1. आपके शहर के बाहर हाइवे पर सड़क के दोनों ओर या आस पास कोई पहाड़ हो तो उसमें आप ऐसे सूखे पेड़ देखेंगे जो गर्मियों में पूरी तरह सूख जाते हैं , सिर्फ बारिश के मौसम में उसमें पत्तियां आती हैं । ऐसे पेड़ में रविवार को एक मिट्टी के मटके से पानी डाल देवें । पानी रविवार को डालें , आपातकाल में कभी भी डाल सकते हैं । कोई समय नही बस मिट्टी के मटके से पानी देवें । पानी सिर्फ एक बार ही चढ़ाना है ।
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2. थोड़े बादाम, पिस्ता, काजू गर्म पानी में भिगो कर थोड़ा पानी डाल कर उसका पेस्ट बना लेवें । इलायची, काली मिर्च , सूखी अदरक व ताज़ी हल्दी को कूट लेवें । गाय के दूध में एक दालचीनी का टुकड़ा व लौंग डाल कर उबालें , दूध उबलने के बाद उसमें इलायची , काली मिर्च, सूखी अदरक, ताज़ी हल्दी कुटी हुई दूध में डालें व थोड़ी देर में काजू, बादाम, पिस्ता का पेस्ट डालें व केसर चीनी या गुड़ डाल कर उबालें जब दूध आधा रह जाये तब उतार कर हल्का गुनगुना हनुमानजी को भोग लगावें । सर्दियों में विशेष लाभ होता है । कहा जाता है कि माता अंजनी बाल हनुमान जी को यही दूध पिलाया करतीं थीं । हनुमान जी इस दूध से बहुत प्रसन्न होते हैं जैसे वो माता अंजनी से रहते थे । सारे तर्क वितर्क को छोड़ कर इस उपाय को श्रद्धा व विश्वास करें । हो सकता है कुछ लोगों को यह विचित्र लगे इसका प्रमाण मांगे तो उनसे मेरा यही कहना है कि मैंने भी दक्षिण भारत में सुना है , लोगों की आस्था है मैं बस उनकी आस्था और विश्वास को मानता हूं । जो लोग इतना ताम झाम नही कर सकते वो साधारण दूध भी चढ़ा सकते हैं , पर यहाँ जो मैंने सुना और किया उसका विवरण दिया गया है ।
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3. कच्चे सूत को हल्दी में रंग कर बृहस्पतिवार को पीपल वृक्ष पर लपेटें व 7 हल्दी गांठें उसमें तने को छूती हुई थोड़ी थोड़ी गैप में फंसा देवें ।
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यह उपाय सिर्फ एक बार करने के हैं । कोई विशेष परेशानी हो तो इनमें से किसी भी एक उपाय को प्रयोग में ले सकते हैं । यह उपाय ऐसे है जैसे हम जब बीमार और दर्द में होते हैं तो डॉक्टर को कहते हैं कि बीमारी तो जाती रहेगी बस ऐसी कोई दवाई दो जिससे दर्द में तो आराम मिले .... बस यह उपाय भी ऐसे ही हैं कि परेशानी तो जाती रहेगी बस जो गला घुंट रहा है , कोई ऐसा काम अटका हुआ है जिसके होने से परेशानी दूर हो जाये तो यह उपाय उसको ठीक कर देंगे ।

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