दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका का पाठ हम सब ने सुना व किया भी होगा । अलग अलग समस्याओं के लिये अलग अलग साधना व उपाय वर्णित हैं , लेकिन सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को हम भली भांति जानते हैं , और सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की महत्ता इसलिये और बढ़ जाती है क्योंकि सप्तशती पाठ में वर्णित अन्य सभी जैसे स्वयं सप्तशती पाठ, कवच, अर्गला, कीलक इत्यादि के लिये एक पूरी नियमावली है , जो आम इंसान नही कर पाता या उसे पता नही होता । ऐसे में जाने अनजाने में कोई गलती न हो जाये इसके लिये भी सप्तशती में इसका भी उपाय है और वो है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र जिसके लिये किसी नियम की आवश्यकता नही है । इसके लिये विनियोग की भी आवश्यकता नही है । मैं समझता हूं कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का निर्माण ही शायद इसलिये हुआ था कि जो लोग नियम व तरीके नही जानते उनके लिये ये सुलभ हो सके । कहते हैं कि सिर्फ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को पढ़ने मात्र से सम्पूर्ण सप्तशती का फल मिल जाता है । हम सभी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को एक पाठ की तरह बेहद साधारण नियम से पढ़ते हैं आज आपको एक खास नियम के बारे में बताऊंगा जिसको करने से सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ का फल तो मिलेगा ही वरन ये जागृत होकर आपके लिये रक्षा कवच का कार्य भी करेगा । पाठ इस प्रकार करें :-
शुक्रवार, 26 जुलाई 2024
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की साधना व उपाय
सभी प्रकार के दोष इससे समाप्त होते हैं मंजुघोष मंत्र से
मंजुघोष का सामान्य रूप से प्रचार कम है इसीलिए इनकी साधना पद्वति गोपनीय रही है इसलिये इनका प्रचार प्रसार कम ही रहा है । इनका 6 अक्षरों का मंत्र है और इसके बहुत सारे प्रयोग हैं । आम इंसान व गृहस्थ व्यक्ति के लिये इस मंत्र के सात्विक व कर सकने लायक प्रयोग इस प्रकार हैं :-
पितृ दोष निवारण बेहद सरल हैं और प्रभावी उपाय
हर व्यक्ति अपने अनुसार या श्रद्धा के हिसाब से पितरों की संतुष्टि के लिये भोग लगता है दान-पुण्य करता है , ब्राह्मणों को भोजन करवाता है । जिसकी जैसी श्रद्धा और जेब होती है वो वैसा ही करता है । मुझे हैरानी होती है पितरों से संबंधित या अन्य ज्योतिषीय उपाय बताने पर लोग बोलते हैं कि कब तक करना है ? सोचने की बात तो ये है कि अगर इससे आपको लाभ मिलता है तो निरंतर करने में क्या हर्ज है ? क्यों लोगों को लगता है कि बस काम निकल गया अब करने की क्या जरूरत है ? इसी तय मानसिकता को लेकर जब लोग उपाय करते हैं तो उनको उपाय फलित नही होते उसका दोष भी लोग ज्योतिष व ज्योतिषी को देते हैं । ये सर्व विदित है कि हम अपनी परेशानियों से मुक्ति के लिये अपने स्वार्थ वश ही ये उपाय करते हैं .. देवताओं व पितरों को भोग लगाते हैं उनके निमित दान करते हैं अन्यथा तो हम ये सब करें नही न हम माने इन सब को ..फिर भी भगवान की व्यवस्था में इतनी छूट मनुष्य को दी है कि ये सब जानते हुए भी सब कुछ ग्रहण करते हैं और इच्छा स्वरूप फल देते हैं । बहराल ये तो इंसान की प्रकृति की बात हो गई अब बात करते हैं कि इन सब का उपाय क्या है ? हम कैसे जानें कि पितरों से संबंधित उपाय फलित हो रहे हैं या नही ? इसकी बहुत आसान पद्वति आपको बताता हूँ ।
इच्छापूर्ति हेतु पुष्पदंत देव का यंत्र
देखिये सबसे पहले हम जान लेते हैं कि पुष्पदंत जी कौन हैं , इनका कार्य क्या है ... क्योंकि कई लोग हो सकता है जैन मुनि पुष्पदंत महाराज जी से इसे जोड़ कर देखें , जबकि यह ऐसे नही है । पुष्पदंत देव शिव जी और विष्णु जी के सहायक हैं । शिव जी व विष्णु जी को कोई भी कार्य या इच्छा पूरी करवाना होता है तो वे इनको बोलते हैं । पुष्पदंत जी मुख्यतः इच्छापूर्ति के देवता हैं , यह आपकी इच्छाओं को जो भी हैं जैसी भी हैं को पूरा करने में सहायता करते हैं । चित्र में दिया यंत्र इनका यंत्र है । यह तीन रंगों के समावेश से बनता है सफेद, पीला व नीला ... इसमें एक 4 अंकों का इच्छापूर्ति कोड है जो नीले सियाही से लिखा जाता है । यह कोड आपकी इच्छा को संबंधित देवता तक पहुंचाने का कार्य करता है । सबसे पहले इस यंत्र को बनाने की विधि जान लेते हैं जो बेहद सरल है :-
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सबसे पहले आपको एक सफेद कागज पर स्केच पेन से चित्र में दिखाये अनुसार एक मोटी पट्टी द्वारा सर्कल बनाना है । चित्र में जहां संख्या 1176 लिखी हैं , वहां नीली स्याही /बॉल पेन/स्केच पेन की मदद से उसी जगह संख्या लिखनी है । अब पीले सर्कल के बाहरी एक्स्ट्रा सफेद आवरण को कैंची के माध्यम से हटा देना है , तत्पश्चात सर्कल के अंदर व लिखी हुई संख्या के ऊपर खाली स्थान पर नीली ही स्याही से अपनी इच्छा को लिखेंगे । ध्यान रहे आपको इच्छा मांगने के हिसाब से नही लिखनी है बल्कि इच्छा पूरी हो गयी है इस हिसाब से लिखनी है । उदाहरण के लिये जैसे आपको शादी की इच्छा है तो आप इसमें लिखेंगे की फलानी तारीख तक मेरी शादी हो गयी है । जैसे आपने लिखा कि 31/12/2022 तक मेरी शादी हो गयी है । तो आप देखेंगे कि उस तारीख तक आपका काम बन जायेगा । इसी तरह आप अपने अन्य कार्यों को भी इसी हिसाब से लिखेंगे । अब कुछ महानुभाव यह उपहास करेंगे कि हम कल की या दो दिन की बाद तारीख लिख देंगे तो क्या 2 दिन में कार्य हो जाएंगे ? देखिये ... इसमें बुद्धि और विवेक भी जरूरी है ।
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इस यंत्र को कहां लगाना है ?
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पुष्पदंत देव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं , उसमें भी विशेष 260° से 270° का स्थान .... आपके घर की पश्चिम दिशा की दीवार पर कंपास की मदद से 260° से 270° का स्थान ढूँढिये , मिलने पर इस यंत्र को उस स्थान पर लगा देना है । यह बेहद असरदार व आजमाया उपाय है । करके देखिये निश्चित रूप से आपको शीघ्र सफलता मिलेगी ।
धन व शीघ्र विवाह और सुखी वैवाहिक जीवन के लिये अनुभूत उपाय
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुक्र की होरा में अपनी अनामिका उंगली की नाप का छल्ला खरीद कर लायें । इसे गंगाजल, दूध , शहद से पवित्र करके...केले के पेड़ में चाकू से चीरा लगा कर अंदर फंसा देवें, छल्ले को तने में इतना फंसा देवें की बाहर से दिखाई न देवे । इस कटे भाग पर हल्दी से स्वास्तिक बना कर केले के पेड़ में जल देवें और धूप दीप जला कर केले के पेड़ की पूजा करें । यह पूजा नित्य पूर्णिमा तक करें व केले के पेड़ को जल नित्य देवें । पूर्णिमा को पूजा करने के बाद छल्ले को तने से निकाल कर घर ले आयें और विधिवत पूजा करके चन्द्र की होरा में उंगली में धारण कर लेवें ।
बहुत कठिन सघन विपत्ति आ गयी हो
बहुत कठिन सघन विपत्ति आ गयी हो , बात एक दम गले तक आ गई हो , जान पर बन आयी हो तब यह उपाय करें , आप निश्चित ही उस समस्या से निकल जाएंगे । यह प्रयोग उनके लिये खास है जो सघन बीमारी झेल रहे हों , अचानक कोई दुर्घटना हो गयी हो, पुलिस कोर्ट-कचहरी का मामला हो गया हो । किसी का विवाह या अन्य कोई शुभ कार्य होना है उसमें धन या अन्य वजह से रुकावट आ रही हो , कर्ज से गला घुट रहा हो , कर्जदार बहुत परेशान कर रहें हो, शत्रु परेशान कर रहा हो..नौकरी नही लग रही हो या कोई भी मनोकामना सिद्धि के लिए यह एक उपाय विधि कीजिये तुरंत समाधान व राहत मिल जायेगी । यह प्रयोग विधि 3 दिन मंगलवार-शनिवार-मंगलवार की है । विधि इस प्रकार है :-
कालसर्प योग/दोष व इसका सटीक उपाय
ये उपाय आप वैसे तो किसी भी दिन कर सकते हैं पर सोमवार हो या मास शिवरात्रि हो या मुख्य शिवरात्रि हो या नागपंचमी को करें तो सबसे बढ़िया है । इसके लिये आपको चाहिये बालू मिट्टी ... मिट्टी कहीं खुदाई में नीचे के मिल जाये तो अति उत्तम वरना सही जगह से ज़मीन खोद के मिट्टी लेवें , नदी किनारे की हो या समुद्र किनारे की हो तो भी कोई हर्ज नही । उस मिट्टी को छान कर घर ले आएं जो लोग किसी पोखर, तालाब, नदी या समंदर के किनारे पूजा करना चाहते हैं तो कोई नही बल्कि सर्वश्रेष्ठ है । इस मिट्टी में थोड़ा दूध, गंगाजल, गौमूत्र का छांटा दे देवें और एक शिवलिंग का निर्माण करें ।सभी धातुओं, पदार्थों में मिट्टी का शिवलिंग सर्वश्रेष्ठ होता है । स्वयं श्रीराम जी ने मिट्टी की शिवलिंग की स्थापना की थी जो अब रामेश्वरम के नाम से प्रसिद्ध है । ऐसी शिवलिंग की विधिवत पूजा करें । बिल्कुल थोड़ा दूध या जल ही चढ़ाएं । पूजा करने के बाद जब शाम को या अगले दिन वह शिवलिंग की मिट्टी सूख कर मिट्टी के ढेर में बदल जायेगी , अब आप चाहें तो इस मिट्टी को एक गमले में डाल कर कोई भी पौधा लगा सकते हैं या तुलसी के पौधे को छोड़कर अन्य पौधों में डाल सकते हैं ।
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