शनिवार, 3 अगस्त 2024

Opens the blocked veins of the body from heel to head

 एडी से चोटी तक शरीर की ब्लाक नसों को खोले –

ज़रूरी सामान 

1gm दाल चीनी

10 gm काली मिर्च साबुत

10gm तेज पत्ता

10gm मगज

10 gm मिश्री डला

10 gm अखरोट गिरी

10gm अलसी

टोटल 61gm सभी सामान रसोई का ही है

बनाने की विधि 

सभी को मिक्सी में पीस के बिलकुल पाउडर बना ले और 6gm की 10 पुड़िया बन जायेगी

एक पुड़िया हर रोज सुबह खाली पेट नवाये पानी से लेनी है और एक घंटे तक कुछ भी नही खाना है चाय पी सकते हो ऐड़ी से ले कर चोटी तक की कोई भी नस बन्द हो खुल जाएगी हार्ट पेसेंट भी ध्यान दे ये खुराक लेते रहो पूरी जिंदगी हार्टअटैक या लकवा से नही मरेगा गारंटीड।

(Must Read चाहे 90% हार्ट ब्लॉकेज (Heart Blockage) ही क्यों ना हो, ये अद्भुत उपाय पुरे शरीर के सभी ब्लॉकेज को बाहर निकाल फेकेगा )

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शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

शारीरिक मानसिक समस्या से निजात दिलाता है यह पौधा

 लेखक - नजूमी जी

हालांकि आधुनिक दौर में इन बातों का कोई मूल्य नहीं है परंतु फिर भी कई बार जिनकी शरीर की और आभामंडल कमजोर होती है और जब भी वह कभी नकारात्मक जगह से गुजरते हैं तो ऐसे समय में कुछ लोगों में कुछ शारीरक तथा मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उनमें से एक समस्या यह है कि शरीर का रक्तचाप या तो अत्यधिक धीमा हो जाना या फिर शरीर का रक्तचाप अत्यधिक उच्च हो जाना और तथा आंखों में लाली शरीर में कंपन और अत्यधिक तेज बुखार हालांकि यह अचानक से ही आता है और फिर चला जाता है दवाइयां ली जाती हैं परंतु फिर भी जैसे ही अचानक किसी प्रकार की नकारात्मक विचारों का अनुभव हो इस समय तुरंत तेज बुखार उठना है और इसे देसी गांव की बोली में भूतिया बुखार भी कह देते हैं यानी की दवाई इत्यादि बहुत करने के बाद भी अचानक से तेज बुखार उठ जाना चेहरे पर लाल लाल रंग के धब्बे तथा बेवजह मुंह से कुछ ना कुछ बोलने लग जाना जो की शरीर की समस्या के साथ-साथ ही मानसिक समस्या भी प्रतीत होती है यह एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का ही प्रभाव होता है।

इस पौधे को अपा मार्ग या फिर चिरचिटामूल कहते हैं और यह उत्तर भारत में लगभग हर जगह पर सड़क के किनारे देखने को मिल जाता है आयुर्वेद में कम से कम 20 बीमारियों में जैसे की पेट की चर्बी अत्यधिक मोटापा लीवर की बीमारियां पित्त की पथरी तथा गुर्दे के रोग इत्यादिक मैं प्रयोग होता है और इसके साथ ही तंत्र में भी प्रयोग होता है तंत्र का मतलब यह नहीं है कि कि किसी प्रकार का सिर्फ कोई खास अनुष्ठान परंतु दर्द का अर्थ यकि किसी प्रकार का सिर्फ कोई खास अनुष्ठान परंतु तंत्र का अर्थ यह है कि जो यह संसार की प्रकृति है यह एक तंत्र है और प्रकृति द्वारा उपलब्ध चीजों को किस प्रकार से प्रयोग ला सके असल में यही तंत्र है और इस तंत्र के अंतर्गत संसार का वह प्रत्येक काम जो मनुष्य की भलाई के लिए है वह सभी के सभी तंत्र ही हैं जैसे की खेती किसानी आयुर्वेद या फिर प्रकृति द्वारा उत्पन्न खनिजों का प्रयोग करके उन्हें लोहा सोना पत्थर इत्यादि में दवाइयां में मनुष्य की भलाई में प्रयोग लाना असल में तंत्र की परिभाषा मूल रूप से यह है, लेकिन लेकिन हम तंत्र को कुछ अलग ही नाम से मानकर बैठे हैं मूल रूप से देखा जाए और एक अलग नजरिए से देखा जाए प्रकृति द्वारा प्राप्त लोहा एक प्रकार का तंत्र है और उसका प्रयोग करके जो चीज बनाई जाती हैं वह यंत्र है और उसे जिस प्रकार की ऊर्जा जैसे मनुष्य प्रयोग में लाता है मनुष्य की प्रयोग की शक्ति ही मंत्र है या अगर वह स्वचालित है तो वह सॉफ्टवेयर की ऊर्जा शक्ति ही मंत्र है यानी की तंत्र मंत्र यंत्र की यह एक सरल परिभाषा जो कि आम एक इंसान को समझ आ सके मैं पेश करने की कोशिश की है।

हालांकि अपने मूल बात पर चलें जिसे मैं जिक्र किया था अगर किसी व्यक्ति को उपरोक्त प्रकार की शारीरिक मानसिक समस्या जिसमें की तेज बुखार और आंखों में लाली और मानसिक विकार जिसकी मैं चर्चा सबसे पहले की है, ऐसे में अपामार्ग
 इस पौधे के 7 पत्ते परमपिता परमात्मा प्रकृति को विनय पूर्वक आज्ञा लेकर पत्ते तोड़कर थोड़ा सा हल्का सा जैसे तंबाकू मसला जाता है ऐसे ही मसलते हुए जब हल्का सा रस निकल स्त्री की बाई कलाई पर और पुरुष हो तो दाईं कलाई पर सीधे हाथ की तरफ थोड़ा सा रगड़े अगर ऐसे किसी प्रकार की समस्या होगी तो नसों में बहुत ही तेज सी महसूस होती है, रगड़ना के पश्चात किसी भी सफेद रंग के रुमाल से रगदे हुए पत्तों को कलाई की नसों पर ही रखकर बांध देने से इस समस्या का समाधान हो जाता है यह प्रयोग दिन में तीन बार जब अत्यधिक समस्या हो और अगर समस्या कम है तो तीन दिन लगातार एक बार बांध देने से समस्या से निजात मिलती है। बढ़ने के लिए कोई तिथि या दिन समय मुहूर्त विचार करने की जरूरत नहीं है समस्या हो तो कभी भी कर सकते हैं।

अनचाहे बालों से हैं परेशान? इन आयुर्वेदिक उपायों की मदद से पाए निजात

लेखक - नजूमी जी

यह प्रयोग हमारे भारत में प्राचीन काल से है लेकिन हमें इसकी जानकारी नहीं है जानकारी के अभाव में जो भी महिलाएं या पुरुष अधिक रोम वाले स्थान को रोमरहित करना चाहते हैं इनका प्रयोग करते हैं और यह प्रयोग भी बहुत ही पीड़ा दायक तथा दर्दनाक भी होता है और बहुत महंगे भी हैं। लेकिन फिर भी आधुनिकता के चक्कर में दर्द सहने को भी तैयार हैं और पैसे खर्च करने को भी तैयार है। भारत के पुरातन समय में कुछ सन्यासी के संप्रदायों में पूरी तरह से सर के बल तथा दाढ़ी का मुंडन यानी की सर और दाढ़ी के बाल रखने की परंपरा नहीं है, किसके साथ ही जैन धर्म में भी सर और दाढ़ी के बाल को नोच कर निकाल देने की परंपरा है। आयुर्वेद में शरीर से स्थाई तौर पर रोम रहित स्थान पानी की कई विधियां हैं परंतु जानकारी का अभाव है।

पुराने समय में जो साधु संत पूरी तरह से सिर के बाल मुड़वा देते थे उनमें से कुछ जो स्थाई रूप से ही गंजा होना चाहते थे निम्नलिखित औषधीय प्रयोग करते थे। हालांकि यह विधियां बहुत ही कम आयुर्वेद जानकारी तक सीमित है जिन औषधीय का प्रयोग करते थे वह निम्नलिखित तौर पर है -: 

(1) ढाक के पत्ते की राख, हरताल वर्किया को केले के जड़ की रस में घोट जिस स्थान पर लगाया जाए वह स्थान सदा के लिए रोम रहित हो जाता है।

(2) हरताल एक भाग, जवाखार 1 भाग , पोस्त छिलका की राख एक भाग, चूना 1 भाग पानी में घोट कर जिस स्थान पर लगाया जाए वह स्थान सदा के लिए रोम रहित हो जाता है।

(3) चुना तथा हरताल सेब का सिरका या फिर गुड़ के सिरके में घोट कर जिस स्थान पर लगाया जाए वह स्थान सदा के लिए रोम रहित हो जाता है।

(4) 70 ग्राम चूना व 10 ग्राम हरताल वर्किया अच्छी तरह से मिलाकर अगर सिर पर लेप किया जाए या जिस स्थान पर रोम हो रोम स्थायी तौर गिर जाते है।

हालांकि ब्यूटी पार्लर या फिर त्वचा से संबंधित संस्थानों में केमिकल युक्त प्लास्टिक के दाने को गर्म करके जो हॉट वैक्सिंग की जाती है उस दर्दनाक पीड़ा भी होती है और रोम क्षिद्र को हानि होती है जिसकी वजह से गर्मी में पसीना ना आने की वजह से शरीर में त्वचा में अनेकों प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं या त्वचा में लाल लाल दाने हो जाते हैं और जो बाद में की काले रंग के पड़ जाते हैं त्वचा को नुकसान होता है प्रकृति ने हमें रोम छिद्र तथा रोम हमारी त्वचा की सुरक्षा के लिए दिए हैं।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की साधना व उपाय

 दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका का पाठ हम सब ने सुना व किया भी होगा । अलग अलग समस्याओं के लिये अलग अलग साधना व उपाय वर्णित हैं , लेकिन सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को हम भली भांति जानते हैं , और सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की महत्ता इसलिये और बढ़ जाती है क्योंकि सप्तशती पाठ में वर्णित अन्य सभी जैसे स्वयं सप्तशती पाठ, कवच, अर्गला, कीलक इत्यादि के लिये एक पूरी नियमावली है , जो आम इंसान नही कर पाता या उसे पता नही होता । ऐसे में जाने अनजाने में कोई गलती न हो जाये इसके लिये भी सप्तशती में इसका भी उपाय है और वो है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र जिसके लिये किसी नियम की आवश्यकता नही है । इसके लिये विनियोग की भी आवश्यकता नही है । मैं समझता हूं कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का निर्माण ही शायद इसलिये हुआ था कि जो लोग नियम व तरीके नही जानते उनके लिये ये सुलभ हो सके । कहते हैं कि सिर्फ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को पढ़ने मात्र से सम्पूर्ण सप्तशती का फल मिल जाता है । हम सभी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को एक पाठ की तरह बेहद साधारण नियम से पढ़ते हैं आज आपको एक खास नियम के बारे में बताऊंगा जिसको करने से सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ का फल तो मिलेगा ही वरन ये जागृत होकर आपके लिये रक्षा कवच का कार्य भी करेगा । पाठ इस प्रकार करें :-

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यह 9 दिन का साधना है । आपको पहले दिन 1 पाठ दूसरे दिन 2 पाठ तीसरे दिन 4 पाठ व इसी तरह से 9 दिन तक पाठ करने हैं । हर दिन आपको पिछले दिन से दुगुना पाठ करना है । इस तरह आप नौवें दिन 256 पाठ करेंगे । फिर 10 वें दिन से आपको नित्य 3 या 7 पाठ करने हैं । नौवें दिन ही आप स्तोत्र की शक्ति को महसूस कर पाएंगे ।
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इस तरह से पाठ के लाभ :-
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1. माता की कृपा आप पर बनी रहेगी ।
2. जिन को विवाह के बाद समस्या है वो दूर होगी ।
3. जिन के पति या पत्नी कुसंगति में हैं , मन-मुटाव है या मतभेद हैं उसमें लाभ मिलेगा ।
4. जो अपने लिये अच्छा वर या वधु व ससुराल चाहते हैं वह भी इसे कर सकते हैं ।
5. संतान प्राप्ति में सहायक है व अगर संतान कुसंगति में है उसमें भी लाभप्रद है।
6. कर्ज, बीमारी, विवाद, कुंडली दोष, ग्रह दोष इत्यादि में बेहद लाभकारी है ।
7. जिनको विवाह होने में समस्या आ रही है वो भी कर सकते हैं ।
8. सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से आपकी रक्षा होती है ।
9. सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है ।

सभी प्रकार के दोष इससे समाप्त होते हैं मंजुघोष मंत्र से

 मंजुघोष का सामान्य रूप से प्रचार कम है इसीलिए इनकी साधना पद्वति गोपनीय रही है इसलिये इनका प्रचार प्रसार कम ही रहा है । इनका 6 अक्षरों का मंत्र है और इसके बहुत सारे प्रयोग हैं । आम इंसान व गृहस्थ व्यक्ति के लिये इस मंत्र के सात्विक व कर सकने लायक प्रयोग इस प्रकार हैं :-

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आपको बताई गई छवि को मन में उतार लेना है व इस मंत्र को प्रतिदिन 1 माला जाप करनी है । यह मंत्र सबसे पहले आप शरीर के आलस्य को दूर करेगा । आप सभी दिन का भोजन तो करते हीं हैं , आपको भोजन करते समय इस मंत्र को मन ही मन जपते जाना है । जब आप भोजन कर लेवें उसके पश्चात आपकी जो झूठी थाली या लंच बॉक्स है उसमें अपनी उंगली की सहायता से एक डमरू की आकृति बनाइये और इस मंत्र को लिख दीजिये , और थाली ऐसे ही छोड़ दीजिये , और हाथ मुँह धो लीजिये । आप ऐसा करते हैं तो आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपको आकस्मिक धन की प्राप्ति होगी या धन प्राप्ति के रास्ते खुलेंगे । आप स्नान करते हैं किसी नदी , तालाब या घर में भी किसी बाल्टी में उंगली की सहायता से डमरू की आकृति बनाएं व इस मंत्र को लिखें व फिर स्नान कर लेवें तो कोई कोर्ट कचहरी की समस्या है या कोई बंधन है तो उसमें अप्रत्याशित लाभ होगा । अगर आप इन सब बंधनों में नही पड़ना चाहते हैं कि आपको लगे कि भोजन की थाली में या स्नान के जल में मंत्र लिखना मुश्किल है तो आप दिन के भोजन के समय भोजन करते हुए इस मंत्र का मानसिक जप कर सकते हैं , ध्यान रखें कि रात्रि के भोजन के समय इस मंत्र का जप नही करना है । इस मंत्र का कहीं कोई साइड इफ़ेक्ट नही है । आप अगर कुछ नही करना चाहते तो आप अपनी नित्य पूजा के समय इस मंत्र का 108 बार जप कर सकते हैं । इस मंत्र के कई लाभ हैं .. शत्रु बाधा, आलस्य, धन, नौकरी, व्यापार, बीमारी,कोर्ट-कचहरी, मुकद्दमा , ग्रह दोष, कुंडली दोष अन्य सभी प्रकार के दोष इससे समाप्त होते हैं । मंत्र मैं आपको बता देता हूं , मंत्र इस प्रकार है :-

मंजुघोष मंत्र

" अ र व च ल धीं "
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इस मंत्र को आपको एक सांस में पढ़ना है ।
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दीपावली के इस शुभ अवसर पर आप इस मंत्र को करें व इस बार दीपावली के अगले दिन ग्रहण काल भी है , इसीलिये इस मंत्र की जप सिद्धि और अच्छे से हो जायेगी । कोई लंबा चौड़ा विधान नही है , जैसा बताया कि इसे आप भोजन करते हुए व स्नान करते हुए भी कर सकते हैं । यह बेहद चमत्कारी व शीघ्र फल देने वाला मंत्र है , करके देखिये आपको निश्चित ही लाभ की अनुभूति होगी।

पितृ दोष निवारण बेहद सरल हैं और प्रभावी उपाय

 हर व्यक्ति अपने अनुसार या श्रद्धा के हिसाब से पितरों की संतुष्टि के लिये भोग लगता है दान-पुण्य करता है , ब्राह्मणों को भोजन करवाता है । जिसकी जैसी श्रद्धा और जेब होती है वो वैसा ही करता है । मुझे हैरानी होती है पितरों से संबंधित या अन्य ज्योतिषीय उपाय बताने पर लोग बोलते हैं कि कब तक करना है ? सोचने की बात तो ये है कि अगर इससे आपको लाभ मिलता है तो निरंतर करने में क्या हर्ज है ? क्यों लोगों को लगता है कि बस काम निकल गया अब करने की क्या जरूरत है ? इसी तय मानसिकता को लेकर जब लोग उपाय करते हैं तो उनको उपाय फलित नही होते उसका दोष भी लोग ज्योतिष व ज्योतिषी को देते हैं । ये सर्व विदित है कि हम अपनी परेशानियों से मुक्ति के लिये अपने स्वार्थ वश ही ये उपाय करते हैं .. देवताओं व पितरों को भोग लगाते हैं उनके निमित दान करते हैं अन्यथा तो हम ये सब करें नही न हम माने इन सब को ..फिर भी भगवान की व्यवस्था में इतनी छूट मनुष्य को दी है कि ये सब जानते हुए भी सब कुछ ग्रहण करते हैं और इच्छा स्वरूप फल देते हैं । बहराल ये तो इंसान की प्रकृति की बात हो गई अब बात करते हैं कि इन सब का उपाय क्या है ? हम कैसे जानें कि पितरों से संबंधित उपाय फलित हो रहे हैं या नही ? इसकी बहुत आसान पद्वति आपको बताता हूँ ।

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ये आप किसी भी दिन आजमा के देख सकते हैं विशेष अमावस्या के दिन ... आपको सफेद बर्फी या कोई भी फल इत्यादि या हरा चारा या एक पालक की गड्डी जो भी उपलब्ध हो आसानी से उसे लेकर किसी पत्तल पर रख कर गाय को ये बोलकर खिलाइये कि अपने पितरों के निमित भोग अर्पण कर रहे हैं भोग ग्रहण कीजिये और देखिये कि अगर गाय पहली बार में खा लेती है भले ही एक ग्रास खाये तो समझ लीजिये आपके पितृ आपसे खुश हैं और आपसे भोग ले रहे हैं , और फिर तुरंत वहां से हट जाइये । अगर गाय सूंघ कर छोड़ दे तो समझिये की नाराज़ हैं भोग नही ले रहे । कोई अन्य जानवर आकर मुँह मार दे तो समझ लीजिये आपके पितरों का भोग कोई और ले रहा है । अगर कोई अन्य गाय आकर भी उसमें मुँह मार देवे तो समझिये कोई अन्य अतृप्त आत्मा आपके परिवार की भोग छह रही है तब पूर्ण शांति करवाइये । ये भोग आवारा खुली घूमती गायों को ही लगाएं न कि बंधी हुई गायों को और कोशिश कीजिये कि अकेली कोई गाय इस तरह से दिख जाये उसको ही इस तरह भोग अर्पण करें । ध्यान रखें जिस दिन आप इस मंशा से भोग देंगे या तो आपको गाय उस दिन मिलेगी नही या अकेली नही मिलेगी .. यह भी एक परीक्षा होती है । अगर गाय भोग नही लेती या अन्य जानवर आकर मुँह लगा देता है तब मानिये वो हफ्ता या महीना थोड़ा कष्टप्रद बीतेगा ।
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एक उपाय है जो बेहद सरल हैं और प्रभावी हैं जो आप अपने पितरों की शांति के लिये उनके आशीर्वाद पाने के लिये कर सकते हैं ।
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अमावस्या पर एक स्टील अथवा मिट्टी के लोटे में जौ, काले तिल, सफेद तिल मिश्रित दूध पीपल की जड़ में चढ़ाएं और चढ़ाते हुए मन में प्रार्थना करें कि मेरे सभी पूर्वजों व मेरे कुल की सभी तृप्त व अतृप्त पितृ भोग ग्रहण करें , इसके साथ एक दोने में 2 पीस सफेद बर्फी 4-5 सिक्के उस दोने में डाल कर पीपल की जड़ में रखें , तिल या घी का दिया प्रज्वलित कर पितृ स्तोत्र का पाठ करें । व उसके बाद "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का 7 बार उच्चारण करके त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश से प्रार्थना करें कि कुल के सभी पितरों व मृत आत्माओं को मुक्ति प्रदान कर श्रीचरणों में स्थान देवें । यह हर अमावस्या करें । अब कई लोगों के मन में शंका उठेगी कि कोई अमावस्या रविवार को पड़ जाये तब क्या करें ? क्योंकि रविवार को पीपल पूजा व स्पर्श निषेध है .. तो वह जान लेवें की स्पर्श आपको करना नही है और ये आप पूजा नही कर रहे हो सिर्फ भोग अर्पण कर रहे हो अतः बिना आशंका के रविवार अमावस्या पर भी इस उपाय को करें कोई टोके या ज्ञान दे तब भी आपको शांत मन से करना है । निश्चित तौर पर आपको पितरों का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होगी ।

इच्छापूर्ति हेतु पुष्पदंत देव का यंत्र

 देखिये सबसे पहले हम जान लेते हैं कि पुष्पदंत जी कौन हैं , इनका कार्य क्या है ... क्योंकि कई लोग हो सकता है जैन मुनि पुष्पदंत महाराज जी से इसे जोड़ कर देखें , जबकि यह ऐसे नही है । पुष्पदंत देव शिव जी और विष्णु जी के सहायक हैं । शिव जी व विष्णु जी को कोई भी कार्य या इच्छा पूरी करवाना होता है तो वे इनको बोलते हैं । पुष्पदंत जी मुख्यतः इच्छापूर्ति के देवता हैं , यह आपकी इच्छाओं को जो भी हैं जैसी भी हैं को पूरा करने में सहायता करते हैं । चित्र में दिया यंत्र इनका यंत्र है । यह तीन रंगों के समावेश से बनता है सफेद, पीला व नीला ... इसमें एक 4 अंकों का इच्छापूर्ति कोड है जो नीले सियाही से लिखा जाता है । यह कोड आपकी इच्छा को संबंधित देवता तक पहुंचाने का कार्य करता है । सबसे पहले इस यंत्र को बनाने की विधि जान लेते हैं जो बेहद सरल है :- 

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सबसे पहले आपको एक सफेद कागज पर स्केच पेन से चित्र में दिखाये अनुसार एक मोटी पट्टी द्वारा सर्कल बनाना है । चित्र में जहां संख्या 1176 लिखी हैं , वहां नीली स्याही /बॉल पेन/स्केच पेन की मदद से उसी जगह संख्या लिखनी है । अब पीले सर्कल के बाहरी एक्स्ट्रा सफेद आवरण को कैंची के माध्यम से हटा देना है , तत्पश्चात सर्कल के अंदर व लिखी हुई संख्या के ऊपर खाली स्थान पर नीली ही स्याही से अपनी इच्छा को लिखेंगे । ध्यान रहे आपको इच्छा मांगने के हिसाब से नही लिखनी है बल्कि इच्छा पूरी हो गयी है इस हिसाब से लिखनी है । उदाहरण के लिये जैसे आपको शादी की इच्छा है तो आप इसमें लिखेंगे की फलानी तारीख तक मेरी शादी हो गयी है । जैसे आपने लिखा कि 31/12/2022 तक मेरी शादी हो गयी है । तो आप देखेंगे कि उस तारीख तक आपका काम बन जायेगा । इसी तरह आप अपने अन्य कार्यों को भी इसी हिसाब से लिखेंगे ।  अब कुछ महानुभाव यह उपहास करेंगे कि हम कल की या दो दिन की बाद तारीख लिख देंगे तो क्या 2 दिन में कार्य हो जाएंगे ? देखिये ... इसमें बुद्धि और विवेक भी जरूरी है । 

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इस यंत्र को कहां लगाना है ? 

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पुष्पदंत देव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं , उसमें भी विशेष 260° से 270° का स्थान .... आपके घर की पश्चिम दिशा की दीवार पर कंपास की मदद से 260° से 270° का स्थान ढूँढिये , मिलने पर इस यंत्र को उस स्थान पर लगा देना है । यह बेहद असरदार व आजमाया उपाय है । करके देखिये निश्चित रूप से आपको शीघ्र सफलता मिलेगी ।


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