खूबसूरती इंसान की स्वाभाविक प्यास है। इसीलिये हर व्यक्ति खुद भी सुन्दर दिखना चाहता है तथा दूसरों में भी खूबसूरती की ही तलाश करता है। व्यक्तित्व के दो स्तर होते हैं-एक बाहरी और एक अंदरूनी। बाहरी व्यक्तित्व यानी जो बाहर आंखों से नजर आता है। व्यक्ति का फस्र्ट इंप्रेशन इस बाहरी व्यक्तित्व का ही पड़ता है। वैसे तो शरीर का हर अंग महत्वपूर्ण होता है लेकिन चेहरा सबमें खाश होता है।
चेहरे की खूबसूरती के पीछे सिर के बालों की बड़ी अहम् भूमिका होती है। यहां हम बालों की खूबसूरती को बढ़ाने और लंबे समय तक कायम रखने के कुछ बहुत ही आसान और कारगर उपाय बता रहे हैं, जो प्रयोग करने पर यकीनन आपको बेहद पसंद आएंगे...
प्रयोग: 1
दो चम्मच त्रिफ ला पावडर 2 कप पानी में डालकर अच्छी तरह उबालें। फिर इसे छानकर ठंडा कर लें। इस पानी को 2-3 बार बालों में डालें तथा 5 मिनट बाद शैंपू कर लें। बाल चमकदार व मुलायम बनेंगे। डेंड्रफ होने पर त्रिफ ला के स्थान पर नीम की पत्तियों का पावडर लें इसी विधि से ही प्रयोग करें। डेंड्रफ की समस्या धीरे-धीरे कम होने लगेगी।
प्रयोग:2
आंवले का पेस्ट बालों में लगाकर 20 मिनट रखें फि र शैंपू कर दें। बालों में मजबूती आएगी। बालों में सोने के पहले तेल लगाएं। सुबह उठकर गर्म पानी में टॉवेल डुबाकर, निचोड़कर सर पर बांधें। 5 मिनट बाद शैंपू को पानी में घोलकर बाल धो लें। तेल के पश्चात दो बार शैंपू करें। इससे आपके बाल चमकीले तथा मुलायम हो जाएँगे।
प्रयोग:3
आधा कटोरी हरी मेहंदी पावडर लें। इसमें गर्म दूध (गाय का) डालकर पतला लेप बना लें। इसी लेप में एक बड़ा चम्मच आयुर्वेदिक हेयर ऑइल डालें। इसे अच्छी तरह से मिला लें। जब यह लेप ठंडा हो जाए तब बालों की जड़ों में लगाएं। 20 मिनट छोड़कर आयुर्वेदिक शैंपू पानी में घोलकर बालों को धो लें। इस डीप कंडीशनर द्वारा आपके बालों को पोषण भी मिलेगा एवं उसमें बाउंस (लोच) भी आ जाएगा।
रविवार, 17 जुलाई 2011
शनिवार, 16 जुलाई 2011
इन आयुर्वेदिक उपायों से पाएं गुणवान संतान...
आयुर्वेद एक संपूर्ण जीवन दर्शन है धर्मं, अर्थ, काम एवं मोक्ष के उद्देश्य से पूर्ण इस विज्ञान में गर्भधारण से लेकर मृत्युपर्यंत गुणों की वृद्धि के लिए संस्कारों का विधान है। गर्भधारण से पूर्व अच्छी गुणवान संतति प्राप्त करने हेतु "पुंसवन संस्कार" का वर्णन आयुर्वेद में मिलता है।
पुंसवन संस्कार का उद्देश्य विकृति रहित, गुणवान संतान की प्राप्ति से है। इस सम्बन्ध में बताये गए कुछ सरल उपाय संतान प्राप्ति में मददगार हो सकते हैं। आयुर्वेद के मनीषियों ने गर्भधारण से सम्बंधित विषयों को बड़ी सहजता से शास्त्रों में उल्लेखित किया है, इसके कुछ गूढ़ पहलु आपके सम्मुख प्रस्तुत हैं :-
- एक महीने तक ब्रह्मचर्य का पालन (अर्थात मन, वचन एवं कर्म से यौन विषयों से एक माह तक दूर रहना) करने वाले पुरुष को उड़द की दाल से बनाई गयी खिचडी के साथ दूध खाने का निर्देश है, साथ ही मासिक स्राव रुकने से अंतिम दिन (ऋतुकाल) के बाद जोड़े वाले दिनों में जैसे छठी, आठवीं एवं दसंवीं रात को यौन सम्बन्ध बनाने का निर्देश है, परन्तु ऐसा नहीं है क़ि अयुग्म दिनों में अर्थात पांचवीं, सातवीं एवं नौवीं रात्रि को यौन सम्बन्ध बनाने से संतान क़ी प्राप्ति नहीं होगी।
- ऋतुकाल के बाद की चौथी रात्रि की अपेक्षा,छठी रात्रि एवं छठी की अपेक्षा आठंवी रात्रि को यौन सम्बन्ध बनाना संतान प्राप्ति की दृष्टीकोण से अच्छा माना गया है।
- ऋतुकाल के सोलहवें से तीसवें दिन यौन सम्बन्ध बनाना संतान प्राप्ति क़ी दृष्टि से अच्छा नहीं माना गया है।
- आयुर्वेद मतानुसार ऋतुकाल के सामान्य चार दिनों में से पहले दिन स्त्री से यौन सम्बन्ध बनाना आयु को नष्ट करनेवाला बताया गया है तथा चौथे दिन के बाद यौन सम्बन्ध बनाना संतानोत्पत्ति क़ी दृष्टी से उत्तम माना गया है अर्थात मासिक स्राव के दिनों को छोड़कर ही यौन सम्बन्ध बनाने का निर्देश दिया गया है।
- उत्तम संतान के लिए लक्ष्मणा, वट के नए कोपल, सहदेवा एवं विश्वदेवा में से किसी एक को दूध के साथ पीस कर स्त्री के दाहिने एवं बाएं नासिका क्षिद्र में डालना चाहिए।
- इस प्रकार गर्भधारण संस्कार में बताये गए नियमों से उत्पन्न संतान बलवान, ओजस्वी, आरोग्ययुक्त एवं दीर्घायु होना उल्लेखित है।
पुंसवन संस्कार का उद्देश्य विकृति रहित, गुणवान संतान की प्राप्ति से है। इस सम्बन्ध में बताये गए कुछ सरल उपाय संतान प्राप्ति में मददगार हो सकते हैं। आयुर्वेद के मनीषियों ने गर्भधारण से सम्बंधित विषयों को बड़ी सहजता से शास्त्रों में उल्लेखित किया है, इसके कुछ गूढ़ पहलु आपके सम्मुख प्रस्तुत हैं :-
- एक महीने तक ब्रह्मचर्य का पालन (अर्थात मन, वचन एवं कर्म से यौन विषयों से एक माह तक दूर रहना) करने वाले पुरुष को उड़द की दाल से बनाई गयी खिचडी के साथ दूध खाने का निर्देश है, साथ ही मासिक स्राव रुकने से अंतिम दिन (ऋतुकाल) के बाद जोड़े वाले दिनों में जैसे छठी, आठवीं एवं दसंवीं रात को यौन सम्बन्ध बनाने का निर्देश है, परन्तु ऐसा नहीं है क़ि अयुग्म दिनों में अर्थात पांचवीं, सातवीं एवं नौवीं रात्रि को यौन सम्बन्ध बनाने से संतान क़ी प्राप्ति नहीं होगी।
- ऋतुकाल के बाद की चौथी रात्रि की अपेक्षा,छठी रात्रि एवं छठी की अपेक्षा आठंवी रात्रि को यौन सम्बन्ध बनाना संतान प्राप्ति की दृष्टीकोण से अच्छा माना गया है।
- ऋतुकाल के सोलहवें से तीसवें दिन यौन सम्बन्ध बनाना संतान प्राप्ति क़ी दृष्टि से अच्छा नहीं माना गया है।
- आयुर्वेद मतानुसार ऋतुकाल के सामान्य चार दिनों में से पहले दिन स्त्री से यौन सम्बन्ध बनाना आयु को नष्ट करनेवाला बताया गया है तथा चौथे दिन के बाद यौन सम्बन्ध बनाना संतानोत्पत्ति क़ी दृष्टी से उत्तम माना गया है अर्थात मासिक स्राव के दिनों को छोड़कर ही यौन सम्बन्ध बनाने का निर्देश दिया गया है।
- उत्तम संतान के लिए लक्ष्मणा, वट के नए कोपल, सहदेवा एवं विश्वदेवा में से किसी एक को दूध के साथ पीस कर स्त्री के दाहिने एवं बाएं नासिका क्षिद्र में डालना चाहिए।
- इस प्रकार गर्भधारण संस्कार में बताये गए नियमों से उत्पन्न संतान बलवान, ओजस्वी, आरोग्ययुक्त एवं दीर्घायु होना उल्लेखित है।
गुरुवार, 14 जुलाई 2011
हल्दी में छुपा है टॉन्सिल्स का सबसे सरल उपाय
हमारे यहां घर-परिवारों में बहुत पुराने समय से ही छोटी-बड़ी सभी बीमारियों में घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल होता रहा है। ऐसे नुस्खों की संख्या बहुत अधिक है, जिनमें से कुछ वाकई आज भी बेहद कारगर और कीमती हैं। यहां हम कुछ ऐसे ही आजमाए हुए और बेहद कारगर नुस्खों को बता रहें हैं, जो प्रयोग करने पर आपको भी अपना मुरीद बना लेंगे। आइये देखते हैं टॉंन्सिल्स से छुटकारा पाने के लिये कौन से नुस्खे काम आएंगे...
हल्दी का अचूक प्रयोग:
टान्सिल्स के उपचार के लिए हल्दी सर्वश्रेष्ठ औषधि है। इसका ताजा चूर्ण टॉन्सिल्स पर लगाएं, गरम पानी से कुल्ले करवायें और गले के बाहरी भाग पर इसका लेप करें तथा इसका आधा-आधा ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर बार-बार चटाते रहें।
अन्य कारगर प्रयोग:
1. दालचीनी के आधे ग्राम से 2 ग्राम महीन पाऊडर को 20 से 30 ग्राम शहद में मिलाकर चटाएं।
2. टॉन्सिल्स के रोगी को अगर कब्ज हो तो उसे हरड़ दे। मुलहठी चबाने को दें।
3. कांचनार गूगल का 1 से 2 ग्राम चूर्ण शहद के साथ चटाएं।
4. आधे से 2 चम्मच अदरक का रस शहद में मिलाकर दें।
5. त्रिफला या रीठा या नमक या फि टकरी के पानी से बार-बार कुल्ले करवाएं।
इन चीजों से दूर रहें:
जिन बच्चों के टॉन्सिल्स बढ़े हों ऐसे उन्हें बर्फ का गोला, कुल्फी, आइसक्रीम, बर्फ का पानी, फ्रिज का पानी,
चीनी, गुड़, दही, केला, टमाटर, उड़द, ठंडा पानी, खट्टे-मीठे पदार्थ, फ ल, मिठाई, पिपरमिंट, बिस्कुट, चॉकलेट ये सब चीजें खाने को न दें। जो आहार ठंडा, चिकना, भारी, मीठा, खट्टा और बासी हो, वह उन्हें न दें। पानी उबला हुआ पिलायें।
सावधानी:
गले में मफलर या पट्टी लपेटकर रखना सुविधाजनक रहता है।
हल्दी का अचूक प्रयोग:
टान्सिल्स के उपचार के लिए हल्दी सर्वश्रेष्ठ औषधि है। इसका ताजा चूर्ण टॉन्सिल्स पर लगाएं, गरम पानी से कुल्ले करवायें और गले के बाहरी भाग पर इसका लेप करें तथा इसका आधा-आधा ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर बार-बार चटाते रहें।
अन्य कारगर प्रयोग:
1. दालचीनी के आधे ग्राम से 2 ग्राम महीन पाऊडर को 20 से 30 ग्राम शहद में मिलाकर चटाएं।
2. टॉन्सिल्स के रोगी को अगर कब्ज हो तो उसे हरड़ दे। मुलहठी चबाने को दें।
3. कांचनार गूगल का 1 से 2 ग्राम चूर्ण शहद के साथ चटाएं।
4. आधे से 2 चम्मच अदरक का रस शहद में मिलाकर दें।
5. त्रिफला या रीठा या नमक या फि टकरी के पानी से बार-बार कुल्ले करवाएं।
इन चीजों से दूर रहें:
जिन बच्चों के टॉन्सिल्स बढ़े हों ऐसे उन्हें बर्फ का गोला, कुल्फी, आइसक्रीम, बर्फ का पानी, फ्रिज का पानी,
चीनी, गुड़, दही, केला, टमाटर, उड़द, ठंडा पानी, खट्टे-मीठे पदार्थ, फ ल, मिठाई, पिपरमिंट, बिस्कुट, चॉकलेट ये सब चीजें खाने को न दें। जो आहार ठंडा, चिकना, भारी, मीठा, खट्टा और बासी हो, वह उन्हें न दें। पानी उबला हुआ पिलायें।
सावधानी:
गले में मफलर या पट्टी लपेटकर रखना सुविधाजनक रहता है।
बुधवार, 13 जुलाई 2011
ये है चारोली का कमाल... दादी मां के 3 शानदार नुस्खे!!
सबकुछ नया और फटाफट की चाहत में हम कई बार खर्चे के साथ-साथ मुसीबत भी मोल ले लेते हैं। चेहरे की खूबसूरती के लिये आधुनिक कोस्मेटिक्स का प्रयोग करना खुद समस्याओं को न्योता देने के समान जोखिम भरा होता है।
इसीलिये अनुभवियों और जानकारों की सीख होती है कि किसी को सिर्फ इसलिये गले मत लगाओ कि वह नया है, और पुराना सोचकर ही किसी को ठुकरा देना भी जायज नहीं है।
हमारे यहां घर-परिवारों में परंपरागत रूप से कई कार्य होते रहें हैं जिनमें से कुछ वाकई आज भी बेहद कारगर और कीमती होते हैं। यहां हम दादी-नानी के कुछ ऐसे ही बहुत काम के नुस्खों को बता रहें हैं, जो प्रयोग करने पर आपको भी यकीनन पसंद आएंगे...
चेहरे पर लेप:
चारोली को गुलाब जल के साथ सिलबट्टे पर या मिक्सर में बारीक पीस कर लेप तैयार कर चेहरे पर लगाएं। लेप जब सूखने लगे तब उसे अच्छी तरह मसलें और बाद में चेहरा धो लें। इससे आपका चेहरा चिकना, सुंदर और चमकदार हो जाएगा। इसे एक सप्ताह तक हर रोज प्रयोग में लाए। बाद में सप्ताह में दो बार लगाते रहें। इससे आपका चेहरा लगेगा हमेशा चमकदार व खिला-खिला और हरदम ताजातरीन भी।
मुहांसों से मुक्ति:
नारंगी और चारोली के छिलकों को दूध के साथ पीस कर इसका लेप तैयार कर लें और चेहरे पर लगाए। इसे अच्छी तरह सूखने दें और फिर खूब मसल कर चेहरे को धो लें। इससे चेहरे के मुहंासे गायब हो जाएंगे। अगर एक हफ्ते तक प्रयोग के बाद भी असर न दिखाई दे तो लाभ होने तक इसका प्रयोग जारी रखें।
खुजली का खात्मा:
अगर आप गीली खुजली की बीमारी से पीडि़त हैं तो 10 ग्राम सुहागा पिसा हुआ, 100 ग्राम चारोली, 10 ग्राम गुलाब जल इन तीनों को साथ में पीसकर इसका पतला लेप तैयार करें और खुजली वाले सभी स्थानों पर लगाते रहें। ऐसा करीबन 4-5 दिन करें। इससे खुजली में काफी आराम मिलेगा व आप ठीक हो जाएंगे।
इसीलिये अनुभवियों और जानकारों की सीख होती है कि किसी को सिर्फ इसलिये गले मत लगाओ कि वह नया है, और पुराना सोचकर ही किसी को ठुकरा देना भी जायज नहीं है।
हमारे यहां घर-परिवारों में परंपरागत रूप से कई कार्य होते रहें हैं जिनमें से कुछ वाकई आज भी बेहद कारगर और कीमती होते हैं। यहां हम दादी-नानी के कुछ ऐसे ही बहुत काम के नुस्खों को बता रहें हैं, जो प्रयोग करने पर आपको भी यकीनन पसंद आएंगे...
चेहरे पर लेप:
चारोली को गुलाब जल के साथ सिलबट्टे पर या मिक्सर में बारीक पीस कर लेप तैयार कर चेहरे पर लगाएं। लेप जब सूखने लगे तब उसे अच्छी तरह मसलें और बाद में चेहरा धो लें। इससे आपका चेहरा चिकना, सुंदर और चमकदार हो जाएगा। इसे एक सप्ताह तक हर रोज प्रयोग में लाए। बाद में सप्ताह में दो बार लगाते रहें। इससे आपका चेहरा लगेगा हमेशा चमकदार व खिला-खिला और हरदम ताजातरीन भी।
मुहांसों से मुक्ति:
नारंगी और चारोली के छिलकों को दूध के साथ पीस कर इसका लेप तैयार कर लें और चेहरे पर लगाए। इसे अच्छी तरह सूखने दें और फिर खूब मसल कर चेहरे को धो लें। इससे चेहरे के मुहंासे गायब हो जाएंगे। अगर एक हफ्ते तक प्रयोग के बाद भी असर न दिखाई दे तो लाभ होने तक इसका प्रयोग जारी रखें।
खुजली का खात्मा:
अगर आप गीली खुजली की बीमारी से पीडि़त हैं तो 10 ग्राम सुहागा पिसा हुआ, 100 ग्राम चारोली, 10 ग्राम गुलाब जल इन तीनों को साथ में पीसकर इसका पतला लेप तैयार करें और खुजली वाले सभी स्थानों पर लगाते रहें। ऐसा करीबन 4-5 दिन करें। इससे खुजली में काफी आराम मिलेगा व आप ठीक हो जाएंगे।
मंगलवार, 12 जुलाई 2011
ऐसे बचें जवानी में गंजेपन से...
प्रदूषित हवा, पानी और भोजन के साथ जीना आधुनिक मानव की नियति है जिसे वह चाहकर भी बदल नहीं सकता। इस प्रदूषित वातावरण ने कई शरीर को कई बीमारिया उपाहार में दी हैं। ऐसा ही एक रोग है बालों झडऩा या असमय सफेद होना।
बालों को झडऩे से बचाने के लिये व्यक्ति तरह-तरह क तैलों का इस्तेमाल करता है। तैल से सिर की त्वचा तैलीय हो जाती है। तैलीय त्वचा न सिर्फ चेहरे की खूबसूरती को प्रभावित करते हैं बल्कि बाल भी ज्यादा टूटते हैं। बालों को स्वस्थ बनाना है तो बार-बार तेल बदलने की बजाय नीचे दिये कुछ आसान उपायों को अपनाकर टेंशन फ्री हो जाएं...
आयुर्वेदिक उपचार:
1. कम से कम सप्ताह में एक दिन आंवला, रीठा और शंखपुष्पी से बना हुआ असली और शुद्ध चूर्ण थोड़े से पानी में मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं। इस आयुर्वेदिक ट्रिटमेंट से आपके बाल प्राकृतिक रूप से स्वस्थ एवं मजबूत बनेंगे।
2. शैम्पू करने से पहले बालों को हल्का गर्म ऑलीव ऑयल या कोकोनट ऑयल से मसाज करें।
3. बालों को प्रतिदिन गुनगुना पानी से धोएं।
4. बालों को धोने के लिए हल्के शैम्पू का इस्तेमाल करें।
5. यदि आपके बाल तैलीय हैं तो कंडीशनर का इस्तेमाल न करें।
6. बहुत कम अंतराल पर बालों में कंघी न करें इससे बाल ज्यादा तैलीय हो जाते हैं।
योगिक उपचार:
1. सूर्योदय के समय शुद्ध ताजी हवा में आसन बिछाकर प्राणायाम और शीर्षाशन व सर्वांगासन का नियमित अभ्यास करें।
2. बालों का सीधा संबंध पेट से होता है। यदि पाचन तंत्र और हाजमा ठीक नहीं है तो बालों की जड़ें कमजोर होंगी और वे टूटने झडऩे लगेंगे। इसलिये अपने खान-पान और हाजमे को हमेशा ठीक रखें।
3.यदि संभव हो तो चाय, कॉफी, पान-तंबाकू, मिर्च-मसाले आदि नशीले पदार्थों से दूर ही रहें।
बालों को झडऩे से बचाने के लिये व्यक्ति तरह-तरह क तैलों का इस्तेमाल करता है। तैल से सिर की त्वचा तैलीय हो जाती है। तैलीय त्वचा न सिर्फ चेहरे की खूबसूरती को प्रभावित करते हैं बल्कि बाल भी ज्यादा टूटते हैं। बालों को स्वस्थ बनाना है तो बार-बार तेल बदलने की बजाय नीचे दिये कुछ आसान उपायों को अपनाकर टेंशन फ्री हो जाएं...
आयुर्वेदिक उपचार:
1. कम से कम सप्ताह में एक दिन आंवला, रीठा और शंखपुष्पी से बना हुआ असली और शुद्ध चूर्ण थोड़े से पानी में मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं। इस आयुर्वेदिक ट्रिटमेंट से आपके बाल प्राकृतिक रूप से स्वस्थ एवं मजबूत बनेंगे।
2. शैम्पू करने से पहले बालों को हल्का गर्म ऑलीव ऑयल या कोकोनट ऑयल से मसाज करें।
3. बालों को प्रतिदिन गुनगुना पानी से धोएं।
4. बालों को धोने के लिए हल्के शैम्पू का इस्तेमाल करें।
5. यदि आपके बाल तैलीय हैं तो कंडीशनर का इस्तेमाल न करें।
6. बहुत कम अंतराल पर बालों में कंघी न करें इससे बाल ज्यादा तैलीय हो जाते हैं।
योगिक उपचार:
1. सूर्योदय के समय शुद्ध ताजी हवा में आसन बिछाकर प्राणायाम और शीर्षाशन व सर्वांगासन का नियमित अभ्यास करें।
2. बालों का सीधा संबंध पेट से होता है। यदि पाचन तंत्र और हाजमा ठीक नहीं है तो बालों की जड़ें कमजोर होंगी और वे टूटने झडऩे लगेंगे। इसलिये अपने खान-पान और हाजमे को हमेशा ठीक रखें।
3.यदि संभव हो तो चाय, कॉफी, पान-तंबाकू, मिर्च-मसाले आदि नशीले पदार्थों से दूर ही रहें।
सोमवार, 11 जुलाई 2011
आंखों के सामने अचानक अंधेरा हो जाए तो समझें...
आंखों के आगे अंधेरा होना, चक्कर आना, बाहरी दृश्य हिलते हुए, घूमते हुए या उल्टे सीधे नजर आना.....इसी तरह की जाने कितनी ही समस्याएं हैं जिनका सीधा संबंध हमारी आंखों से होता है। एकाएक खड़े होने, झुकने या तेजी से घूम जाने पर अचानक आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। प्रकाश होते हुए भी अंधेरा लगना या चक्कर आने के कई शारीरिक और मानसिक कारण होते हैं।
शरीर का किसी बिमारी से ग्रसित होना, कमजोरी और थकावट होना, क्षमता से अधिक शरीर से काम लेना,
नींद का पूरा न होना, आंखों के लिये आवश्यक प्राटीन्स औ विटामिन्स की कमी हो जाना आदि प्रमुख कारण हैं जिनके कारण यह समस्या पैदा होती है। नीचे दिये जा रहे कुछ कारगर उपायों को करने से इस रोग में तत्काल लाभ होता है-
-हरी पत्तेदार शब्जियों और सलाद का सेवन करें।
-प्रतिदिन 1 गिलास दूध में एक चम्मच घी डाल कर पीएं।
-रात को पानी में गलाकर रखी हुई दो बदाम सुबह खूब चबा-चबाकर खाएं।
-अंकुरित अन्न का प्रतिदिन नाश्ता करें।
-जितना संभव हो जल्दी सोएं और जल्दी उठें।
इन आसान घरेलु उपायों को तो अपनाना ही चाहिये पर साथ ही तुरंत ही चिकित्सक की सहाल भी अवश्य लेना चाहिये।
शरीर का किसी बिमारी से ग्रसित होना, कमजोरी और थकावट होना, क्षमता से अधिक शरीर से काम लेना,
नींद का पूरा न होना, आंखों के लिये आवश्यक प्राटीन्स औ विटामिन्स की कमी हो जाना आदि प्रमुख कारण हैं जिनके कारण यह समस्या पैदा होती है। नीचे दिये जा रहे कुछ कारगर उपायों को करने से इस रोग में तत्काल लाभ होता है-
-हरी पत्तेदार शब्जियों और सलाद का सेवन करें।
-प्रतिदिन 1 गिलास दूध में एक चम्मच घी डाल कर पीएं।
-रात को पानी में गलाकर रखी हुई दो बदाम सुबह खूब चबा-चबाकर खाएं।
-अंकुरित अन्न का प्रतिदिन नाश्ता करें।
-जितना संभव हो जल्दी सोएं और जल्दी उठें।
इन आसान घरेलु उपायों को तो अपनाना ही चाहिये पर साथ ही तुरंत ही चिकित्सक की सहाल भी अवश्य लेना चाहिये।
रविवार, 10 जुलाई 2011
पानी पीने से पहले इन बातों का रखें हमेशा ध्यान
सिर्फ तीन बातों का ही यदि कोई पूरी तरह से ध्यान रख ले, तो उसके बीमार होने की संभावना 90 फीसदी तक कम हो जाती है। वो तीन चीजें हैं- हवा, पानी और भोजन। यदि इन तीनों को हम सही समय पर, सही तरीके से तथा शुद्ध रूप में ग्रहण करने लगें तो निश्चित रुप से हमारा स्वास्थ हमेशा दुरुस्त बना रहेगा।चलिये पहली कड़ी में आज हम पानी पीने के उचित समय, तरीके और शुद्धता पर ध्यान दें-
- सुबह उठकर खाली पेट अपनी क्षमता अनुसार 1-2 गिलास पानी पीना स्वास्थ्य के लिये बेहद फायदेमंद रहता है।
- कभी खड़े होकर न पीएं।
- बाहर का पानी पीने से यथा संभव बचें।
- जल से जहां हमारे शरीर के दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं वहीं यह हमारे चेहरे की कांति बनाए रखता है।
- अशुद्ध पानी से लीवर और गुर्दों का रोग हो जाता है इन दोनों में इंफेक्शन हुआ तो इसका असर दिल पर भी पड़ता है।
- लगभग 70 प्रतिशत रोग जल की अशुद्धता से ही होते हैं। तो जल को जीवन में महत्व दें।
- पानी पीते वक्त सावधानी रखेंगे तो भोजन और प्राण में इसका भरपूर लाभ मिलेगा।
- भोजन से पहले और तत्काल बाद में 1-2 घूंट से अधिक पानी न पीएं, क्योंकि ऐसा करने से भोजन के पचने में कठिनाई पैदा होती है।
- ध्यान रखें कि आपका आधा पेट भोजन से एक चोथाई भाग पानी से और शेष 25 फीसदी भाग हवा के लिये छोडऩा
- सुबह उठकर खाली पेट अपनी क्षमता अनुसार 1-2 गिलास पानी पीना स्वास्थ्य के लिये बेहद फायदेमंद रहता है।
- कभी खड़े होकर न पीएं।
- बाहर का पानी पीने से यथा संभव बचें।
- जल से जहां हमारे शरीर के दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं वहीं यह हमारे चेहरे की कांति बनाए रखता है।
- अशुद्ध पानी से लीवर और गुर्दों का रोग हो जाता है इन दोनों में इंफेक्शन हुआ तो इसका असर दिल पर भी पड़ता है।
- लगभग 70 प्रतिशत रोग जल की अशुद्धता से ही होते हैं। तो जल को जीवन में महत्व दें।
- पानी पीते वक्त सावधानी रखेंगे तो भोजन और प्राण में इसका भरपूर लाभ मिलेगा।
- भोजन से पहले और तत्काल बाद में 1-2 घूंट से अधिक पानी न पीएं, क्योंकि ऐसा करने से भोजन के पचने में कठिनाई पैदा होती है।
- ध्यान रखें कि आपका आधा पेट भोजन से एक चोथाई भाग पानी से और शेष 25 फीसदी भाग हवा के लिये छोडऩा
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लेखक - पी. ए. बाला पांच मोगरे के फूलों को दही में डूबा कर निकाल लेवें और धूप में पूर्ण तरीके से सुखा लेवें, जब यह पूरी तरह सूख जाए तब आप इसक...
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लेखक - पी. ए. बाला यह योगिनी प्रयोग है, इसमें आपकी समस्या का समाधान स्त्री अथवा पुरुष कोई भी किसी भी रूप में आकर कर जाएगा, अब इस प्रयोग के...