गुरुवार, 19 जुलाई 2012

एंजायटी कर रही है परेशान तो ऐसे करें आयुर्वेदिक इलाज


आप और हम अपने जीवन में भविष्य को ध्यान में रखकर काम करते हैं। इसके लिए हमारी एक व्यवस्थित सोच होती है, जैसे मान लीजिए कि हमें कहीं जाना है तो हम पूरी तैयारी के साथ अपना रिजर्वेशन,पैकिंग एवं रहने की अग्रिम बुकिंग आदि पहलुओं को ध्यान में रखकर सकारात्मक कार्यक्रम बनाते हैं। इसके लिए कोई अतिरिक्त तनाव लेने की आवश्यकता नहीं होती। मतलब समझ गए होंगे आप कि यह सामान्य तनाव में ही पूरी होनी वाली प्रक्रिया है।

लेकिन जब इसमें एक तनाव जैसे: घबराहट, यात्रा के दौरान एक्सीडेंट होने का भय या होटल में कुछ अनहोनी होने का भय या ट्रेन में लूटपाट होने का भय आदि सताने लगे तो इसे एंजायटी कहा जाता है।  इसे अनावश्यक रूप से क़ी गई भविष्य की नकारात्मक चिंता के रूप में आप समझ सकते हैं। कई बार यह चिंता एक फोबिया या भय का रूप ले सकता है।


अत: सामान्य रूप से एंजायटी से हम सभी थोड़ा बहुत जूझते हैं, लेकिन जब यह अति जैसी स्थिति को उत्पन्न करने लग जाए, जो डर का रूप ले ले और सोशल फोबिया या ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिसआर्डर (जुनूनी बाध्यकारी विकार) जैसे, बार-बार समय देखना,दरवाजे के खुले होने का बार-बार भ्रम जैसे लक्षण उत्पन्न करे तो स्थिति खतरनाक मानी जा सकती है। एंजायटी से जूझ रहा व्यक्ति कहीं न कहीं अवसाद का भी शिकार भी  होता है। ऐसी स्थिति में इसे पूरी तरह ठीक करना कठिन होता है। हाँ, रोगी को औषधि उपचार एवं बिहेवियर थेरेपी द्वारा सामान्य स्थिति में बनाए रखा जा सकता है।

आयुर्वेद में मानसिक स्वास्थ्य को पूर्ण स्वास्थ्य का स्तम्भ माना गया है और आत्मा, इन्द्रिय एवं मन की प्रसन्नता को स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक बताया गया है। आयुर्वेद के ग्रंथों में मनोरोगों की विस्तृत विवेचना की गई है। अगर आप में निम्न लक्षण उत्पन्न हो रहे हों जैसे :

-सुबह सुबह अचानक नींद खुल जाना।

-छोटी- छोटी बातों का याद न रहना।

-हाथ पैरों में कम्पन आना।

-हमेशा परेशान (रेस्टलेस) रहना। यदि ऐसा कुछ हो रहा है तो समझ लें आप एंजायटी की अवस्था से गुजर रहे हैं। ऐसी स्थिति में आयुर्वेद में नस्य चिकित्सा, औषधि उपचार एवं आहार-विहार पर विशेष ध्यान देने क़ी आवश्यकता होती है।

-सर्पगंधा, खस,जटामांशी, ब्राह्मी, तगर, आंवला, गुलाब आदि कुछ ऐसे नाम हैं जिनका चिकित्सक के निर्देशन में प्रयोग दुष्प्रभाव रहित लाभ देता है।

-अश्वगंधा एवं बला चूर्ण जैसी औषधियां भी मानसिक दुर्बलता को दूर करने में कारगर होती हैं।

-कुछ बहु औषधि युक्त चूर्ण जैसे: सारस्वतादि चूर्ण, तगरादि चूर्ण एवं अश्वगंधादि चूर्ण आदि का प्रयोग बड़ा ही फायदेमंद होता है।

-औषधिसिद्धित घृत में महापैशाचिक घृत, पंचगव्य घृत, पुराण घृत, ब्राह्मी घृत आदि का सेवन भी लाभ देता है।

-बलारिष्ट, सारस्वतारिष्ट आदि को समभाग जल से भोजन उपरांत लेना भी मनोविकृतियों में लाभ देता है ।

-कृष्णचतुर्मुख रस, उन्मादगजकेसरीरस एवं स्मृतिसागररस जैसी औषधियों का प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में लेना एंजायटी की अवस्था में फायदेमंद होता है।

 -नींद न आने पर जटामांशी के काढ़े एवं मदनानन्दमोदक जैसी औषधियों का प्रयोग अच्छा प्रभाव दर्शाता है।

-यदि नियमित रूप से सिर पर  सोने से पूर्व ब्राह्मी सिद्धित तेल का प्रयोग किया जाए तो एंजायटी से बचा जा सकता है। अत: मानसिक तनाव को दूर रखकर एवं टेक इट इजी जैसे मन्त्र को फौलो कर हम रिलैक्स रह सकते हैं और एंजायटी का सामना कर सकते हैं।

मंगलवार, 17 जुलाई 2012

मसालों से बना फर्स्ट एड बॉक्स



प्रकृति ने हमें अनेक बहुमूल्य जड़ी-बूटियाँ एवं मसाले उत्तम स्वास्थ्य के लिए उपहार में दिए हैं। मसालों को सामान्यतया स्वास्थ्यवर्धक एवं पाचक माना जाता है। अतः मसालों एवं जड़ी-बूटियों का एक फर्स्ट एड बॉक्स बनाकर हम घरेलू उपचार में प्रयोग कर सकते हैं। ठीक वैसे हीजैसे हमारी दादी-नानी करती हैं।
मसालों से घरेलू उपचार
हल्दी आयुर्वेद के अनुसार हल्दी ऊष्णसौंदर्य बढ़ाने वालीरक्तशोधककफ वात नाशक आदि होती है। सर्दी-खाँसी में गरम पानी से हल्दी की फँकी देने से आराम मिलता है तथा बलगम भी निकल जाता है। हल्दी एंटीबायटिक का काम भी करती है। इसे फेस पैक के रूप मेंबेसन के साथ लगाने से त्वचा में निखार आता है।

अदरक यह पाचक है। पेट में कब्जगैस बननावमनखाँसीकफजुखाम आदि में इसे काम में लाया जाता है। अदरक का रस और शहद मिलाकर चाटते रहने से दमे में आराम मिलता हैसाथ ही भूख भी बढ़ती है। यह पाचन ठीक करता है। नीबू-नमक से बना सूखा अदरक आप यात्रा में साथ रख सकते हैं।
मैथीदाना : मैथीदाना खून को पतला करता हैमल को बाँधता है। मधुमेह रोगी के लिए मैथीदाना रामबाण औषधि है। नित्य खाली पेट एक टी स्पून मैथी दाने का चूर्ण या आखा मैथी दाना पानी के साथ लेने से कब्ज व घुटने के दर्द में आराम मिलता है। साथ ही यह शरीरकी अतिरिक्त चर्बी छाँटने में भी कारगर है। सर्दियों में यह बेहद फायदा करता है।

जीरा जीरा पाचक और सुगंधित है। खाने में अरुचिपेट फूलनाअपच आदि को दूर करता है। जीराअजवाइन पीसकर थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर भोजन के बाद लेने से पाचन ठीक रहता है। उल्टी की शिकायत भी बंद हो जाती है। जीरा कृमीनाशक एवं ज्वर निवारक भी है।

सौंफ सौंफ शीतल प्रकृति की औषधि है। भोजन के बाद मुखशुद्धि में इसका प्रयोग होता है। गर्मी में ठंडाई में डाली जाती है। भूनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर दो घंटे बाद ठंडे पानी के साथ फँकी लेने से मरोड़दार दस्तआँव और पेचिश में लाभ होता है। यह कब्ज को दूर करती है। बादामसौंफ और मिश्री तीनों बराबर भागों में लेकर पीसकर भर दें और रोज दोनों टाइम भोजन के बाद टी स्पून लें। इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है।

आँवला आँवला एक ऐसा फल है जिसे सुखाने से भी विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में बना रहता है। पौष्टिक है और शोधक रक्त विकार दूर करता हैनेत्र ज्योति बढ़ाता है। आँवले के रोज सेवन से बाल काले रहते हैं। आँवले का प्रयोग रोज सभी को किसी न किसी रूपमें करना चाहिए।

तुलसी तुलसी ज्वरनाशक है तथा शीत प्रधान रोग में यह विशेष रूप से काम में ली जाती है। इसका काढ़ा बनाकर पिलाते हैं। यह कृमिनाशक व वायुनाशक है।
· अजवाइन कफवातनाशक एवं पित्तवर्धक है। अजवाइन के तेल की मालिश से सूजन और दर्द में आराम मिलता है। खाँसी एवं श्वास रोग में इसका चूर्ण या नमकीन सूखा अजवाइन मुँह में रखने से आराम मिलता है। यह भूख बढ़ाता है। अजीर्णअपच एवं उदरशूल मिटाता है। जीवाणु वृद्धि को भी रोककर एंटीबायोटिक की भूमिका निभाता है।

धनिया धनिया का गुण ठंडक पहुँचाना है। यह नेत्र ज्योति बढ़ाता है। इसकी पंजेरी बनाकर गर्मी में रोज खाना चाहिए।

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छोटी हरड़ भोजन के बाद लेने से गैस नहीं बनतीपाचन ठीक रहता है व भोजन ठीक से हजम होता हैखाना खाने के बाद एक छोटी हरड़ चूसना चाहिए।
लेंडीपीपल यह पौष्टिक और पाचक है। प्रातः दूध और शहद के साथ लें तो बलवर्धक है। बच्चों की पसली चलने पर भूनी पीपल का जरा सा चूर्ण शहद में मिलाकर खिलाने से आराम मिलता है। जिगर बढ़ना,तिल्ली बढ़नाअफराअपचवमनअजीर्ण तथा श्वास खाँसी में लाभदायक है।
हींग आयुर्वेद के अनुसार हींग पेट की अग्नि बढ़ाने वालीपित्तवर्धक,मल बाँधने वालीखाँसीकफअफरा मिटाने वाली एवं हृदय से संबंधित छाती के दर्दपेट दर्द को मिटाने वाली औषधि है। भोजन में रोज इसका प्रयोग होता है। बच्चों के पेट में कृमि हो जाए तो हींग पानी में घोलकर पिलाते हैं। बहुत छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर एकदम थोड़ी-सी हींगपानी में घोलकर पेट पर हल्के से मालिश करने से लाभ होता है।
पुदीना इसका गुण शीतल है। इसे लू लगने परसिरदर्द होने पर पीसकर ठंडाई की तरह पिलाया जाता है। छाले व मसूड़ों के दर्द में इसके पानी के कुल्ले करने से आराम मिलता है। मुँह दुर्गंधनाशक भी है।
यही आपके स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक घरेलू दवाइयाँ हैं। इनका एक फर्स्ट एड बॉक्स बनाकर साथ रखा जा सकता है। लेकिन किसी भी प्रयोग के पूर्व सही मात्रा में सामग्री और प्रयोग संबंधित जानकारी की पुष्टि अवश्य करें।

शुक्रवार, 29 जून 2012

आंखों से जुड़ी हर बीमारी का ये है रामबाण इलाज

 आंखें अनमोल है आंखो से सबंधित किसी भी समस्या को जड़ से केवल योग ही मिटा सकता है। हस्तमुद्रा में प्राण मुद्रा करने से भी आंखों से जुड़ी कई परेशानियां दूर होती हैं।

कैसे बनाएं मुद्रा- अंगूठे से तीसरी अनामिका तथा चौथी कनिष्ठिका अंगुलियों के पोरों को एकसाथ अंगूठे के पोर के साथ मिलाकर शेष दोनों अंगुलियों को अपने सीध में खड़ा रखने से जो मुद्रा बनती है उसे प्राण मुद्रा कहते है।

लाभ - दिल के रोग में रामबाण तथा आंखो की ज्योति बढाने में यह मुद्रा बहुत सहायक है। इससे आंखों से जुड़ी कई परेशानियां दूर होती है। साथ ही यह प्राण शक्ति बढ़ाने वाला भी होता है।प्राण शक्ति प्रबल होने पर मनुष्य के लिए किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्यवान रहना अत्यंत सहज हो जाता है। वस्तुत: दृढ प्राण शक्ति ही जीवन को सुखद बनाती है।इस मुद्रा की विशेषता यह है कि इसके लिए अवधि की कोई बाध्यता नहीं। इसे कुछ मिनट भी किया जा सकता है। दृढ प्राण शक्ति ही जीवन को सुखद बनाती है। इस मुद्रा की विशेषता यह है कि इसके लिए अवधि की कोई बाध्यता नहीं। इसे कुछ मिनट भी किया जा सकता है।  

दस फंडे ...उनके लिए जिन्हें भूख नहीं लगती


अनियमित दिनचर्या व खान-पान के कारण कब्ज व एसीडिटी की समस्या हो जाती है। ऐसे में इन प्रॉब्लम्स के कारण धीरे-धीरे भूख कम होने लगती है। अगर आपके साथ भी यह समस्या है भूख नहीं लगती तो नीचे लिखे दस फंडे आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

1. भोजन के एक घंटा पहले पंचसकार चूर्ण को एक चम्मच गर्म पानी के साथ लेने से भूख खुलकर लगती है।



2. रात में सोते समय आँवला 3 भाग, हरड़ 2 भाग तथा बहेड़ा 1 भाग-को बारीक चूर्ण करके एक चम्मच गुनगुने पानी के लेने से सुबह दस्त साफ आता है एवं भूख खुलकर लगती है।



3. एक समय हल्का भोजन करें।



4. खाना खाने के बाद अजवाइन का चूर्ण थोड़े से गुड़ के साथ खाकर गुनगुना पानी पीने से खाया हुआ पचेगा, भूख लगेगी और खाने में रुचि पैदा होती है।



5. भोजन के बाद एक चम्मच हिंग्वष्टक चूर्ण खाने से पाचन-क्रिया ठीक होती है।



6. हरे धनिए में हरी मिर्च, टमाटर, अदरक, हरा पुदीना, जीरा, हींग, नमक, काला नमक डालकर बनाई गई चटनी खाने से भी तेज भूख लगती है।



7. भोजन करने के बाद थोड़ा सा अनारदाना या उसके बीज के चूर्ण में काला नमक एवं थोड़ी सी मिश्री पीसकर मिलाने के बाद पानी के साथ एक चम्मच खाने से भूख बढ़ती है।



8. एक गिलास छाछ में काला नमक, सादा नमक, पिसा जीरा मिलाकर पीने से पाचन-क्रिया तेज होकर अरूचि दूर होती है।



9. भोजन के बाद 5-10 मिनिट घूमना पाचन में सहायक होता है।



10. भोजन करने के बाद वज्रासन में कुछ देर बैठना भी बेहद लाभदायक होता है।

सोमवार, 25 जून 2012

महिलाओं के उन दर्द भरे दिनों को सहज बनाने के लिए कुछ घरेलू उपाय



मासिक धर्म में अनियमितता होने पर किसी भी महिला के लिए महीने के वो दिन बहुत ही दर्द भरे होते हैं। ऐसे में अनियमितता के चलते यह कभी दो बार या एक-डेढ़ माह में एक बार तक हो सकता है, यानी नियमित नहीं रहता, कभी ज्यादा गरम वस्तु खा ली तो भी मासिक शुरू हो जाता है। ऐसे में मासिक धर्म के दिनों में होने वाली परेशानी व दर्द से मुक्ति के लिए घरेलू इलाज भी असरदार होते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही असरदार घरेलू इलाज.....

- मीठे नीम के पत्तों (करी पत्ता)  को सुखाकर इनका बारीक पाउडर तैयार कर लें। इस पाउडर का एक चाय चम्मच भर मात्रा में गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। दिन में दो बार सवेरे और शाम यह प्रयोग दोहराएं। इस प्रयोग से अनियमितता दूर हो जाएगी। कढ़ी, दाल, पुलाव आदि के साथ करी पत्ते का नियमित सेवन बेहद फायदेमंद है।

- अमलतास का गूदा 4 ग्राम, नीम की छाल तथा सोंठ 3-3 ग्राम लेकर कुचल लें। 250 ग्राम पानी में 10 ग्राम गुड़ सहित तीनों सामग्री डाल दें व पानी चौथाई रहने तक उबालें। मासिक की तारीख शुरू होते ही इस काढ़े को सिर्फ एक बार पिएं। इससे मासिक खुलकर आएगा तथा पीड़ा यदि हो तो दूर होगी। 

- 20 ग्राम गन्ने का सिरका रोज रात को सोने से पहले पीने से खुलकर व साफ माहवारी आती है। 

- नारियल खाने से भी मासिक धर्म खुलकर आता है।

- तुलसी की जड़ को छाया में सुखाकर पीस लें। इस पाउडर को चुटकीभर पान में रखकर खा लेने से अनियमित रक्तस्त्राव बंद हो जाता है।

गुरुवार, 21 जून 2012

थायरायड कैंसर के लक्षण और इलाज


क्षण -
  • बोलने में परेशानी महसूस होना और आवाज का बदल जाना।
  • गला सूज कर बड़ा हो जाता है, निचले हिस्‍से को छूने पर दर्द महसूस होता है। ।
  • गले में गांठ का होना भी थायरायड कैंसर का लक्षण है।
  • शारीरिक कार्य करने पर ज्‍यादा थकान महसूस होना।
  • शरीर या जोड़ो में दर्द होना और कमजोरी लगना।
इलाज -
अल्ट्रासाउंड और थायरायड स्कैन के जरिए थायरायड कैंसर का पता तुरंत चल जाता है। प्रभावित ग्रंथि को चेक कर के देखा जाता है कि कहीं यह प्राणघातक तो नहीं है। अगर ऐसी कोई संभावना दिखती है तो इसकी सर्जरी की जाती है और पूरी ग्रंथि को निकाल दिया जाता है। फिर 4-6 हफ्तों के बाद पेशंट को रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी दी जाती है। आयोडीन ट्रीटमेंट के बाद पेशंट को थायरायड हार्मोन दवा लेने की सलाह दी जाती है। पेंशट को यह दवा पूरी जिंदगी के लिये भी लेनी पड़ सकती है। इसके बाद 6-12 महीनों के बाद पेशंट को दुबारा डॉक्‍टर के पास जाना ही पड़ता है, यह देखने के लिये कि कहीं बीमारी दुबारा ना शुरु हो गई हो।

बुधवार, 20 जून 2012

शहद की उपयोगिता



शहद प्रकृति की ओर से मनुष्य को प्रदान किया गया एक बहुमूल्य उपहार है। मधुमक्खी के माध्यम से प्राप्त शहद जिसे मधु भी कहा जाता है, यह मधु स्वस्थ्य की दृष्टि से बहुत उपयोगी और लाभप्रद होता है।
यह तो सभी जानते हैं कि मधुमक्खी फलों का रस चूस कर जो लुआब बनाती है उसी लुआब से हमें शुध्द शहद प्राप्त होता है। शहद स्वाद में मीठा और तासीर में गरम होता है। इस लेख में हम शहद से होने वाले लाभों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
शहद से होने वाले लाभ-
* शहद का सेवन शरीर और मस्तिष्क को दृढ़ता प्रदान करता है। शहद का नियमित सेवन शरीर में शुध्द रक्त उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
* शहद का प्रयोग मूत्र कम आने की समस्या का भी समाधान करता है। प्रात: एक गिलास गुनगुने पानी में शहद मिला कर नियमित रूप से पीने से शरीर की व्यर्थ चर्बी को नष्ट करके शरीर को आकर्षक रूप प्रदान करता है।
* शहद का लेप त्वचा को आकर्षक आभा प्रदान करता है।
* शहद का चाटना कुत्ते के काटे में बहुत लाभप्रद होता है।
* शहद को फूले मसूड़ों में मलने से बच्चों के दांत सरलता से निकल आते हैं।
* शहद का बालों में प्रयोग जुएं और लीखों की समस्या का समाधान नहीं करता बल्कि बालों को पोषणता भी प्रदान करता है।
* प्यास कम लगने की समस्या हो तो शहद का सेवन करें इसके प्रयोग से प्यास खुलकर लगती है।
* फोड़े-फूंसी पर भी शहद का लेप बहुत लाभप्रद होता है।
* तीन लौंग पत्थर पर घिस कर शहद में मिक्स करके प्रात: और सोने से पूर्व लगभग एक सप्ताह तक खायें, इसके प्रयोग से कब्ज व पेट के कीड़ों की समस्या का समाधान होता है।

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