शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

पपीता का असर....ऐसे करेगी ये पेट और स्कीन की सारी परेशानियों को बेअसर

पपीता एक ऐसा फ्रूट है। जो टेस्टी होने के साथ ही गुणों से भरपूर है। पपीते के नियमित सेवन से शरीर को विटामिन-ए और विटामिन सी की एक निश्चित मात्रा प्राप्त होती है, जो अंधेपन से बचाती है। पीले रंग के पपीते के मुकाबले लाल पपीते में कैरोटिन की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है। इस फल का चिकित्सकीय महत्व भी काफी है, यह सुपाच्य होता है। पेट में गैस बनने से रोकता है। कब्ज का दुश्मन है और स्वास्थ्य व सौंदर्यवर्धक है। पपीते में पाए जाने वाले पपाइन नामक एंजाइम से भोजन पचाने में मदद मिलती है। यह मोटापे का भी दुश्मन हैं।

पेट के रोगों को दूर करने के लिए पपीते का सेवन करना लाभकारी होता है। पपीते के सेवन से पाचनतंत्र ठीक होता है। पपीते का रस अरूचि, अनिद्रा (नींद का न आना), सिर दर्द, कब्ज व आंवदस्त आदि रोगों को ठीक करता है। पपीते का रस सेवन करने से खट्टी डकारें बंद हो जाती है। पपीता पेट रोग, हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को दूर करता है। पके या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।

पपीते के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन नियमित होती है। पपीते में विटामिन डी, प्रोटीन, कैल्शियम, लौह तत्व आदि सभी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।पपीता वीर्य को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है। इसके सेवन से जख्म भरता है और दस्त व पेशाब की रुकावट दूर होती है। कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए बहुत लाभ करता है। पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता, पेशाब अधिक लाता है, मूत्राशय के रोगों को नष्ट करता है, पथरी को लगाता है और मोटापे को दूर करता है। पपीता कफ  के साथ आने वाले खून को रोकता है एवं खूनी बवासीर को ठीक करता है। पपीता त्वचा को ठंडक पहुंचाता है। पपीते के कारण आंखो के नीचे के काले घेरे दूर होते हैं।कच्चे पपीते के गूदे को शहद में मिलाकर चेहरे पर लगाने से कील-मुंहांसो का अंत होता है।

इससे बॉडी हो जाएगी चुस्त-दुरुस्त और खून भी बढ़ जाएगा

स्वस्थ जीवन जीने के  लिए सही आहार और विहार दोनों ही जरूरी है। कई बार इन दोनों में ही अनियमितता के कारण जल्दी थकान और खून की कमी जैसी प्रॉब्लम्स सताने लगती है। ऐसे में इन परेशानियों को जल्दी से दूर करने के लिए और शरीर को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए आयुर्वेद में कई औषधीय

योग बताए गए है जिनके सेवन से इन प्रॉब्लम्स से छुटकारा पाया जा सकता है। हम बताने जा रहे हैं  आज आपको एक ऐसा ही घरेलू योग जो खून की कमी को दूर करने के साथ ही शरीर को शक्तिशाली भी बनाता है।

विधि- सितोपलादि चूर्ण 50 ग्राम, आमल की रसायन 50 ग्राम, अश्वगंधा सत्व 50 ग्राम, शतावर चूर्ण 10 ग्राम, सिद्धमकर ध्वज 5 ग्राम, लौहभस्म 100 पुटी 10 ग्राम, अष्ट वर्ग चूर्ण 25 ग्राम, शहद 300 ग्राम इस योग को 5 से 10 ग्राम सुबह- शाम चाटकर मीठा दूध पीएं। इसके सेवन से नए खून के निर्माण के साथ ही शक्ति का संचार हो जाता है। शरीर में कायाकल्प हेतु ये योग बहुत अच्छा माना जाता है।

बुधवार, 18 अप्रैल 2012

शादी के बाद भी फिगर मैंटेन रखने के लिए


शादी के बाद भी फिगर मैंटेन रखने के लिए

शादी के बंधन में बंधने के अधिकतर महिलाएं अपने ऊपर ध्यान नहीं दे पाती हैं। ध्यान नहीं देने के कारण वे कई बार अपनी बीमारियों को छिपाए रखती हैं। इस तरह अंदर ही अंदर वे कमजोर होती जाती हैं। श्वेत रक्त प्रदर, रक्त प्रदर , मासिक धर्म की अनियमितता, कमजोरी दुबलापन, सिरदर्द, कमरदर्द आदि। ये सभी बीमारियां शरीर को स्वस्थ और सुडौल नहीं रहने देती हैं।  इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसा आयुर्वेदिक नुस्खा जो महिलाओं की हर तरह की कमजोरी को दूर करता है।साथ ही शरीर को स्वस्थ और सुडौल बनाता है।



नुस्खा- स्वर्ण भस्म या वर्क दस ग्राम, मोती पिष्टी बीस ग्राम, शुद्ध हिंगुल तीस ग्राम, सफेद मिर्च चालीस ग्राम, शुद्ध खर्पर अस्सी ग्राम। गाय के दूध का मक्खन पच्चीस ग्राम थोड़ा सा नींबू का रस पहले स्वर्ण भस्म या वर्क और हिंगुल को मिला कर एक जान कर लें। फिर शेष द्रव्य मिलाकर मक्खन के साथ घुटाई करें। फिर नींबु का रस कपड़े की चार तह करके छान लें और इसमें मिलाकर चिकनापन दूर होने तक घुटाई करनी चाहिए।आठ-दस दिन तक घुटाई करनी होगी। फिर उसकी एक-एक रत्ती की गोलियंा बना लें।



सेवन की विधि-  1 या 2 गोली सुबह शाम एक चम्मच च्यवनप्राश के साथ सेवन करें। इस दवाई का सेवन करने से महिलाओं को प्रदर रोग, शारीरिक क्षीणता, और कमजोरी आदिसे मुक्ति मिलती है और शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है। यह दवाई स्वर्ण मालिनी वसंत के नाम से बाजार में भी मिलती है। इसके सेवन से शरीर बलशाली होता है। शरीर के सभी अंगों को ताकत मिलती है।

मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

इस तरीके से खाएं सौंफ तो आंखें कमजोरी नहीं होंगी, सुंदर हो जाएंगी

आंखें भगवान का दिया अनमोल तोहफा है। साथ ही आंखें हमारे शरीर का सबसे कोमल और संवेदनशील अंग भी हैं। जिसमें छोटी-सी परेशानी जिंदगी भर की तकलीफ बन सकती है। अधिकांश लोग आंखों की छोटी-छोटी प्रॉब्लम्स जैसे आंखों की कमजोरी जैसे आंखों में से पानी आना, आंखों में जलन, लाल होना,आंखों में जाले आना, आंख का चिपकना, आंख की पलकों पर सूजन आना आदि परेशानियों को अनदेखा करते हैं। 

आगे चलकर ये लापरवाही ज्यादा परेशानी देने वाली साबित हो सकती है। इसीलिए रोजाना सुबह-शाम मुंह में पानी भरकर आंखों पर खूब पानी छिड़के। पर्याप्त नींद लें व साथ ही नीचे लिखे आयुर्वेदिक नुस्खें को भी अपनाएं।



नुस्खा-बादाम गिरी और सौंफ 100-100 ग्राम लें। सौंफ  का महीन चूर्ण करें, इसमें बादाम गिरी को खूब महीन कतरकर तथा सौंफ  के उक्त चूर्ण के साथ खूब अच्छी तरह पीसकर रखें।  रोज रात इस मिश्रण को 10-10 ग्राम मात्रा में मुख में रखकर धीरे-धीरे खाकर सो जाएं, इसके ऊपर पानी या दूध नहीं पीना है।

शर्तिया नुस्खा: ग्लिसरीन बालों में ऐसे लगाएं,फिर देखें डेंड्रफ गायब हो जाएगी


आयुर्वेद के अनुसार वात,कफ, पित्त इन तीनों में से किसी एक भी तत्व के घटने या बढऩे पर शरीर में बीमारियां हो सकती है। वात संबंधी दोषों के कारण भी डेंड्रफ हो जाती है। इसकी वजह से सिर में खुजली रहती है और बाल गिरने लगते हैं। शैंपू, तेल आदि से डेंड्रफ  तब तक ही दूर रहती है जब तक कि उन उत्पादकों का उपयोग किया जाता है लेकिन इनका उपयोग बंद करने के बाद डेंड्रफ वापस हो जाती है। इससे निजात पाने की घरेलू टिप्स-



- ग्लिसरीन और गुलाब जल का एक तीन के अनुपात में मिश्रण बना कर एक शीशी में रख लें। नहाने के बाद रोज थोड़ा हथेली पर लेकर बालों की जड़ों में उंगलियों की मदद से लगाएं। इससे डेंड्रफ से राहत मिल जाती है।



- नारियल के तेल में कपूर मिलाएं और यह तेल अच्छी तरह बालों में तथा सिर पर लगाएं। कुछ ही दिनों डेंड्रफ की समस्या से राहत मिलेगी।
- नींबू के रस को बालों में लगाएं। कुछ समय बाद सिर धो लें।



- नींबू का रस नारियल के तेल में मिलाकर लगाएं।



- दही से सिर धोएं, इससे भी डेंड्रफ  से निजात मिलेगी।

योगा फंडा: गर्मियों में रहेंगे कूल, बीमारियां और लू रहेंगी कोसो दूर


गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है। बारिश और ठंड की बजाय गर्मियों का सीजन सभी के लिये ज्यादा कठिन होती है। गर्मी की तपन और चुभन व लू से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए योग सबसे अच्छा उपाय हैं। ऐसी ही एक योगिक क्रिया है शीतली प्राणायाम। शीतली एक ऐसी क्रिया है, जिसे करने में मात्र 5 से 7 मिनिट लगते हैं तथा इसके करने से गर्मी में भारी राहत मिलती है। यह क्रिया है-शीतली प्राणायाम। आइये देखें इस योगिक क्रिया को कैसे किया जाता है-

शीतली प्राणायाम: पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों से ज्ञान मुद्रा लगाएं। होठों को गोलाकार करते हुए जीभ को पाइप की आकृति में गोल बनाएं।

अब धीरे-धीरे गहरा लंबा सांस जीभ से खींचें। इसके बाद जीभ अंदर करके मुंह बंद करें और सांस को कुछ देर यथाशक्ति रोकें। फिर दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस क्रिया को 20 से 25 बार करें।

लाभ- शीतली प्राणायाम से लू लगना, एसिडिटी, आंखों और त्वचा के रोगों में तत्काल आराम मिलता है।

रविवार, 15 अप्रैल 2012

छोटा सा नुस्खा: मिर्च को ऐसे लगाने से फुंसी जल्दी से बैठ जाती है!

काली मिर्च एक ऐसा मसाला है जो स्वाद के साथ ही औषधिय गुणों से भी भरपूर है। इसे सलाद, कटे फल या दाल शाक पर बुरक कर उपयोग लिया जाता है। इसका उपयोग घरेलु इलाज में भी किया जा सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कालीमिर्च के कुछ ऐसे ही रामबाण प्रयोग।



- त्वचा पर कहीं भी फुंसी उठने पर, काली मिर्च पानी के साथ पत्थर पर घिस कर अनामिका अंगुली से सिर्फ फुंसी पर लगाने से फुंसी बैठ जाती है।



- काली मिर्च को सुई से छेद कर दीये की लौ से जलाएं। जब धुआं उठे तो इस धुएं को नाक से अंदर खीच लें। इस प्रयोग से सिर दर्द ठीक हो जाता है। हिचकी चलना भी बंद हो जाती है।



- काली मिर्च 20 ग्राम, जीरा 10 ग्राम और शक्कर या मिश्री 15 ग्राम कूट पीस कर मिला लें। इसे सुबह शाम पानी के साथ फंाक लें। बावासीर रोग में लाभ होता है।



- शहद में पिसी काली मिर्च मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से खांसी बंद हो जाती है।



- आधा चम्मच पिसी काली मिर्च थोड़े से घी के साथ मिला कर रोजाना सुबह-शाम नियमित खाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।



- काली मिर्च 20 ग्राम, सोंठ पीपल, जीरा व सेंधा नमक सब 10-10 ग्राम मात्रा में पीस कर मिला लें। भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से जल के साथ फांकने से मंदाग्रि दूर हो जाती है।



- चार-पांच दाने कालीमिर्च के साथ 15 दाने किशमिश चबाने से खांसी में लाभ होता है।



- कालीमिर्च सभी प्रकार के संक्रमण में लाभ देती है।



-  ब्लड प्रेशर लो रहता है, तो दिन में दो-तीन बार पांच दाने कालीमिर्च के साथ 21 दाने किशमिश का सेवन करें।



- बुखार में तुलसी, कालीमिर्च तथा गिलोय का काढ़ा लाभ करता है। 

गर्मियों में चीकू खाएं और बचें इन प्रॉब्लम्स से

गर्मियों में चीकू खाने से शरीर में विशेष प्रकार की ताजगी और फुर्ती आती है। इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है। यह खून में घुलकर ताजगी देती है। चीकू खाने से आंतों की शक्ति बढती है और आंतें अधिक मजबूत होती हैं। चीकू की छाल बुखार नाशक होती है। इस छाल में टैनिन होता है। चीकू के फल में थोड़ी सी मात्रा में संपोटिन नामक तत्व रहता है। चीकू के बीज मृदुरेचक और मूत्रकारक माने जाते हैं। चीकू के बीज में सापोनीन एवं संपोटिनीन नामक कड़वा पदार्थ होता है। 

चीकू के फल में 71 प्रतिशत पानी, 1.5 प्रतिशत प्रोटीन, 1.5 प्रतिशत चर्बी और साढ़े पच्चीस प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट है। इसमे विटामिन ए अच्छी मात्रा में तथा विटामिन सी कम मात्रा में है। चीकू के फल में 14 प्रतिशत शर्करा भी होती है। तथा इसमें फस्फोरस तथा लौह भी काफी मात्रा में होता है एवं क्षार का भी कुछ अंश होता है।

चीकू शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है। चीकू हमारे ह्रदय और रक्तवाहिकाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है। चीकू कब्ज और दस्त की बीमारी को ठीक करने बहुत सहायक होता है।चीकू खाने से के होने का खतरा कम होता है।

चीकू में होता है जो की फेफड़ो के कैंसर के होने के खतरे को कम करता है।चीकू एनिमिया होने से भी रोकता है।यह हृदय रोगों और गुर्दे के रोगों को भी होने से रोकता है।यह ऊर्जा का एक अच्छा स्त्रोत है, क्योंकि इसके गूदे में 14 प्रतिशत मात्रा शर्करा की होती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में कैरोटिन और अल्प मात्रा में आयरन व विटामिन भी पाया जाता है। डायबिटीज के रोगी इसे न सेवन करें तो ठीक है।

ज्यूस थेरेपी: करें इन बड़ी बीमारियों का टेस्टी-टेस्टी इलाज ठंडक के साथ

आयुर्वेद के अनुसार ज्यूस पीकर भी कई बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है। इसीलिए आयुर्वेद में ज्यूस को बहुत महत्व दिया गया है। प्राकृतिक चिकित्सा में भी रसाहार को विशेष स्थान प्राप्त है। इसमें अलग-अलग फलों और सब्जियों का रस दिया जाता है। करेला जामुन या लौकी के ज्यूस में स्वाद नहीं होता है लेकिन इनका ज्यूस पीने के बहुत फायदे हैं। आइए जानते हैं ज्यूस थेरेपी के कुछ स्पेशल राज जिनसे कर सकते हैं आप इन बीमारियों का इलाज....

खून की कमी- पालक के पत्तों का रस, मौसम्मी, अंगूर, सेब, टमाटर और गाजर का रस लिया जा सकता है। 

भूख की कमी- नींबू, टमाटर का रस लें।

फ्लू और बुखार- मौसम्मी, गाजर, संतरे का रस लेना चाहिए।

एसीडिटी- मौसम्मी, संतरा, नींबू, अनानास का रस लें।

कृमि रोगों में- लहसुन और मूली का रस पेट के कीड़ों को मार देता हैं।

 मुहांसों में- गाजर, तरबूज, और प्याज का रस लें।

पीलिया- गन्ने का रस, मौसम्मी और अंगूर का रस दिन में कई बार लेना चाहिए।

पथरी- खीरे का रस लें।

मधुमेह- इस रोग में गाजर, करेला, जामुन, टमाटर, पत्तागोभी  एवं पालक का रस लिया जा सकता है। 

अल्सर में- गाजर, अंगूर का रस ले सकते हैं। कच्चे नारियल का पानी भी अल्सर ठीक करता है। 

मासिकधर्म की पीड़ा में- अनानास का रस लें।

बदहजमी -अपच में नींबू का रस, अनानास का रस लें, आराम मिलेगा।

हाइब्लडप्रेशर- गाजर, संतरा, मौसम्मी का रस लें।

लो-ब्लडप्रेशर- अंगूर और सभी मीठे फलों का रस लिया जा सकता है।

इन पांच चीजों को ज्यादा खाएंगे तो कभी टॉनिक नहीं लेना पड़ेगा

 हमारी रोजाना कि खाने-पीने की चीजों में ऐसी कई चीजे होती हैं जो हमें ताकत देती हैं। लेकिन समस्या यह है कि अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होता की कौन सा भोजन अधिक ताकत देता है, तो आइए आज हम आपको ऐसी पांच चीजों की जानकारी देते हैं जिन्हें आप अपने भोजन में शामिल करके ताकतवर बन सकते हैं।



अमरुद-अमरुद को दिन का हीरा कहते हैं क्योंकि दिल की बीमारियों को दूर रखने और कब्ज जैसी सामान्य समस्या को खत्म करने में इसका कोई जोड़ नही है। शुगर यानि मधुमेह की रोकथाम के लिए भी इस फल को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता है।



हरी फूल गोभी- जन्म के साथ होने वाली बीमारियों से लडऩे में ये गोभी बेहद कारगर होती है। ये न सिर्फ  हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है बल्कि, हड्डियों को मजबूत करने की इसमें गजब की क्षमता होती है।

पालक- इसमें कई विटामिन एक साथ पाए जाते हैं। पालक में स्कीन और ब्रेस्ट कैंसर से लडऩे की सबसे ज्यादा ताकत होती है। मजे की बात है कि इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता।

गाजर- रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ाने में गाजर का कोई मुकाबला नही है। एक कप कतरे हुए गाजर में 52 कैलोरी होती है इसके बावजूद इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता। बच्चों के विकास में ये सबसे ज्यादा मददगार होता है। फेफड़े, स्कीन और मुंह के कैंसर से बचाने के लिए इसे रामबाण माना जाता है।

गोभी- शरीर में बनने वाले विषैलें पदार्थ को रोकने में इस गोभी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सब्जियों की किसी भी किस्म की तुलना में इसमें पौष्टिकता सबसे अधिक होती है।

गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

चलते-फिरते इन छोटे-छोटे उपायों को आजमाएं और खूबसूरत बन जाएं

कहते हैं फस्ट इम्प्रेशन इज द लास्ट इम्प्रेशन। किसी भी व्यक्ति पर फस्ट इम्प्रेशन तो चेहरे की रंगत तथा हाव-भाव का ही पड़ता है। पहली नजर में ही अपने व्यक्तित्व की अमिट छाप यदि किसी पर छोडऩा हो तो नीचे दिये उपायों को अपनाकर चेहरे पहले ज्यादा प्रभाशाली बनाया जा सकता है....नीचे दिये गए छोटे व सरल उपायों से त्वचा की चमक को बढ़ाया और लंबे समय तक टिका-कर रखा जा सकता है....



1. चेहरे पर कुदरती चमक लाने के लिये शुद्ध प्राकृतिक ग्वारपाठा यानी ऐलोविरा का ज्यूस हथेलियों पर लेकर चेहरे पर मसाज करते हुए लगाएं। और सूख जाने पर चेहरे को साफ गुनगुने पानी से धो लें। 7 दिनों के भीतर ही आप बदलाव देखकर दंग रह जाएंगे।



एक अन्य प्रयोग में दो चम्मच बेसन, हल्दी पावडर, गुलाब जल व शहद मिलाकर लेप बनाएं। इसे चेहरे व हाथ-पैरों और गर्दन पर लगाएं व 10 मिनट बाद  धो लें। इससे त्वचा निखर जाएगी।



2.  कच्चे दूध में हल्दी डालकर पेस्ट बनाएं। इसे चेहरे और हाथ-पैरों पर लगाएं। 10 मिनट बाद धो लें। त्वचा निखर उठेगी।



3.  होठों को सुंदर और मुलायम बनाए रखने के लिए रात को सोते समय दूध की मलाई लगाएं, सुबह ठंडे पानी से धो लें।



4.  आंखों में जलन व काले घेरों को कम करने के लिए रात को सोते समय आंखों पर ठंडे दूध में रुई भिगोकर रखें।



5.  8-10 दिन में एक बार चेहरे को भाप अवश्य दें। इस पानी में पुदीना, तुलसी की पत्ती, नीबू का रस व नमक डालें। भाप लेने के बाद इसी गुनगुने पानी में 5 मिनट के लिए हाथों को रखें। हाथ की त्वचा निखर जाएगी।

असरदार दवा: ऐसे बनाकर खाएं तो जल्द ही मिलेगा बच्चों का सुख

कई बार महंगा से महंगा इलाज करवाने  के बाद भी कुछ दंपति माता-पिता बनने का सुख नहीं उठा पाते। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा आजमाएं हुए सौ-प्रतिशत कारगर नुस्खे ही एक मात्र उम्मीद होते हैं। वाकई में ये नुस्खे काम भी करते हैं। इन्हें आयुर्वेद की भाषा में रासायन कहा जाता है। ऐसा ही एक योग है अमृत संजीवनी रासायन योग जिसे घर पर ही बनाया जा सकता है। इसे खाने से नि:संतान लोगों को संतान हो जाती है। साथ ही इसके सेवन से कई लाइलाज बीमारियों का इलाज भी संभव है।

बनाने की विधि और सामग्री - अमृता, खस, नीम की छाल, मछेली, अडूसा, गोबर मुदपर्णी, सेमल, मूसली, शतावर, सभी को अलग-अलग कर  एक किलो लेकर कुट करके आठ गुने पानी में पकाएं। जब पानी 4 भाग शेष रह जाएं। तब एक किलो गुड़ (बिना मसाले का) अडूसा, शतावरी, आंवला, मछेली का कल्क प्रत्येक 160-160 ग्राम-काली गाय के घी में धीमी आंच पर पकाएं।

घी मात्र जब शेष रह जाए तो छानकर खस, चंदन, त्रिजातक, त्रिकुटा, त्रिफला, त्रिकेशर ( नागकेशर, कमल केशर) वंश लोचन, चोरक, सफेद मुसली, असगंध, पाषाण भेद, धनिया, अडूसा, अनारदाना, खजूर, मुलैठी, दाख, निलोफर, कपूर, शीलाजीत, गंधक सभी दस-दस ग्राम लेकर कपड़छन करके  उपरोक्त घी में मिला दें।

मात्रा-सुबह खाली पेट 10 ग्राम घी गौ- दूध में डालकर सेवन करें और एक घंटे तक कुछ भी ना खाएं।

गुण-सभी प्रकार के कैंसर में प्रथम व द्वितीय अवस्था तक के अलग-अलग अनुपान से, पुराना गठिया, घुटनो में सुजन व दर्द, साइटिका, अमाशय में पितरोग, नामर्दी, शुक्राणु का अभाव, शीघ्र पतन, पागलपन, अवसाद, बिगड़ी हुई खांसी, गलगंड, पीलिया, वात रोग, रक्तरोग, रसायन, वाजीकरण, श्वास रोग, गले के रोग, हृदय रोग, पिताशय की पथरी में लाभकारी। जो स्त्री रजोदोष से पीडि़त हो, जिस स्त्री के रजनोप्रवृति प्रारंभ ही न हुई हो, जो कष्ट पीडि़त हो तथा जिन स्त्रियों को बार-बार संतान होकर मर जाती हो, उन सभी को राहत मिलेगी। मासिक धर्म शुरू होकर बीच में ही बंद हो गया हो और अनेकों औषधी व मंत्रों के प्रयोग से संतान उत्पन्न न हुई हो उन्हें निश्चित ही संतान होगी।

मोटापा घटाने के लिए इसे खाएं इस तरह

अंगूर में ग्लूकोज और डेक्स्ट्रोज पाए जाते है, जो शरीर के अंदर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। शरीर को अच्छी मात्रा में फाइबर उपलब्ध कराते हैं और सुपाच्य होते हैं। कुछ नए शोधों से पता चला है कि अंगूर, विशेषकर काले अंगूर दिल से संबंधित रोगों को रोकने में सहायक होता है। 

अंगूर में ऐसा पदार्थ भी पाया जाता है जो कि शरीर के विषाक्त द्रव्यों को शरीर से बाहर वमन और मूत्र के रूप में निकाल देता है। इसके लिए कई लोग अंगूर कल्प या फलाहार में सिर्फ अंगूर कल्प या फलाहार में अंगूर का सेवन करते हैं, जिससे शरीर की शुद्धि होती है। अंगूर कल्प 100 ग्राम अंगूर से शुरू करें। जब भी भूख लगे, सिर्फ अंगूर का ही सेवन करें। हर तीसरे दिन 100+100 = 200 ग्राम मात्रा बढ़ा लें। जब-जब भूख हो, 100-100 ग्राम की मात्रा में इसे खाएं। 

फिर तीसरे दिन 200-200 ग्राम फिर 3 दिन तीन-तीन सौ ग्राम, फिर एक माह तक 500 ग्राम तक आ जाएं। फिर इसी क्रम में 100-100 ग्राम मात्रा में घटाते जाएं। बीच में अन्न न लें।यह क्रिया मोटापा भी घटाती है और शरीर की विषाक्तता को नष्ट कर मूत्र के रूप में बाहर निकलती है। यदि शरीर पर बुखार या पित्त का असर हो तो घबराएं नहीं इस क्रिया को 2-3 दिन रोककर जब आराम आ जाए तो दोबारा शुरू कर लें। इस बीच आप अन्य फल या हल्का आहार लें।

मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

अमरबेल के खास नुस्खे: दांत और चेहरा दोनों हो जाएंगे चिकने और चमकदार

अमरबेल में कई ऐसे दिव्य गुण पाए जाते हैं जिनसे रोगों का आसानी से घरेलू उपचार किया जा सकता है। ग्रामीण अंचलो में सरलता से पाए जाने वाले इस पौधे की कई विशेषताए हैं। साथ ही कई रोगों के उपचार में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

कैसे पहचाने- अमरबेल बिना जड़ का पीले रंग का परजीवी पौधा है। यह पेड़ों के ऊपर अपने आप उग आती है। बिना जड़ के पौधों पर ऊपर की ओर चढ़ता है। इसमें गुच्छों में सफेद फूल लगे होते हैं।

उपयोग-  कैसी भी खुजली हो, अमरबेल पीसकर उस पर लेप करने से खुजली खत्म हो जाती है। 

- पेट फूलने एवं आफरा होने पर इसके बीज जल में उबालकर पीस लें। इसका गाढ़ा लेप पेट पर लगाने से आफरा और उदर की पीड़ा खत्म होती है।

- खून की खराबी होने पर कोमल ताजी फलियों के साथ तुलसी की चार-पांच पत्तियां चबा-चबाकर चूसना चाहिए।

- इसके पत्तों का रस पीने से मूत्र संबंधी विकार दूर होते हैं। 

- अमरबेल के फूलों का गुलकंद बनाकर खाने से याददाश्त में वृद्धि होती है।

- अमरबेल को पानी में उबालकर उससे सूजन वाली जगह की सिकाई करें। कुछ दिनों तक इसका इस्तेमाल करने पर सूजन कम हो जाती है।

- इसके पत्तों का रस में सादा नमक मिलाकर दांतों पर मलने से दांत चमकीले होते हैं।

- अमरबेल की टहनी का दूध चेहरे पर लगाने से गजब का निखार आता है।

- यह प्रयोग करने से महावारी नियमित होती है। 

- अमरबेल के चूर्ण को सोंठ और घी मिलाकर लेप करने से पुराना घाव भरता है या इसके बीजो को पीसकर पुराने घाव पर लेप करें, इससे घाव ठीक हो जाता है।

तेज तर्रार याददाश्त चाहिए??..तो गर्मी में बनाकर खाएं ये स्पेशल टॉनिक

वीक मेमोरी या कमजोर याददाश्त एक ऐसी बीमारी है। जिसमें इंसान कही हुई बात या याद हुई चीज को तुरंत भूल जाता है। भूलने वाले लोगों के लिए यह बहुत अधिक परेशानियों का कारण है, इसके लिए एक आयुर्वेदिक नुस्खा यहां दिया जा रहा है, जो स्मरण शक्ति बढ़ाता है।

- सामग्री- ब्राह्मी, मुलहठी, गिलोय, शंखाहूली सभी 50-50 ग्राम लें।

 निर्माण विधि- सभी द्रव्यों को कूट पीसकर कपड़े से छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें सोने का अर्क या भस्म 3 ग्राम मिलाकर खरल में घोटाई करें। जिससे स्वर्णभस्म अच्छी तरह मिल जाए, उसके बाद एक बोतल में सुरक्षित रख लें।

सेवन विधि - उम्र के अनुसार इस चूर्ण को आधा ग्राम से दो ग्राम की मात्रा में लेकर घी और शहद (विषम मात्रा में) मिलाकर खाएं, घी कम और शहद ज्यादा मात्रा में लेना चाहिए। कुछ दिनों तक इसके सेवन से स्मरणशक्ति और बुद्धि तीव्र होती है तथा भूलने की आदत से छुटकारा मिल जाता है।

सोमवार, 9 अप्रैल 2012

आसान तरीका: बिना दवा के करें पेट से जुड़ी हर बीमारी का इलाज

 भागदौड़ से भरी जिंदगी के कारण सही समय पर न खाना या असंयमित भोजन से यह समस्या कई लोगों के साथ होती है। इससे निपटने के लिए प्रतिदिन उदर शयनासन करना श्रेष्ठ उपाय है क्योंकि ये आसन पेट से जुड़ी लगभग हर समस्या का बिना दवा के इलाज कर देता है।

उदर शयनासन की विधि

सामान्यत: इस आसन की दो विधियां हैं। किसी सुविधाजनक स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर पेट के बल लेट जाएं। पांवों के पंजों को परस्पर मिलाकर रखें। हाथों को कोहनियों से मोड़कर, सिर के पिछले हिस्से में इधर-उधर लगा लें। दो-दो मिनिट तक इस क्रिया को 4-5 बार अवश्य करें। दूसरी स्थिति में पहले की तरह पेट के बल लेट जाएं। पंजों को साथ-साथ मिला लें और दोनों हाथों को भी सिर के इधर-उधर से निकाल कर, पैरों की तरह सीधे तान लें। पैरों के पंजों और हाथों की हथेलियों को जमीन पर स्पर्श कराएं।



आसन के लाभ

इस आसन के नियमित अभ्यास से पेट संबंधी कई छोटी-छोटी बीमारियां तो हमेशा दूर रहती हैं साथ ही कब्ज, एसीडिटी की समस्या कभी नहीं होती। इस आसन से अत्यधिक कार्य के बाद महसूस होने वाली थकान भी समाप्त हो जाती है। यह आसन सभी स्त्री और पुरुषों के लिए लाभदायक है। इससे सिर, छाती और पेट संबंधी विकार नष्ट हो जाते हैं।

चुटकीभर हल्दी का देसी नुस्खा: ये हर तरह के जाइंट पेन को ठीक कर देगा


खान-पान और प्रदूषण के दुष्प्रभाव के कारण आजकल किसी भी उम्र में जोड़ों का दर्द होना एक आम समस्या है। असल में हमारा शरीर इस प्रकृति का ही एक हिस्सा है। इसलिये शरीर से जुड़ी समस्याओं का समाधान भी हमें प्रकृति की गोद में ही मिल सकता है। आइये हम बताते हैं कि आप कैसे नेचुरल देसी तरीकों से जोड़ों के दर्द  से छुटकारा पा सकते हैं....
- सरसों के तेल में चुटकीभर हल्दी मिलाकर धीमी आंच पर गर्म कर लें। इस तेल के ठंडा होने पर शरीर के सभी जोड़ों पर  इसकी हल्की मसाज करें। सुबह की नर्म धूप में यह प्रयोग करने पर सीघ्र लाभ मिलता है। मसाज के बाद शरीर को तत्काल ढक लें हवा न लगने दें अन्यथा लाभ की बजाय हानि भी हो सकती है।
- अजवाइन को तवे के ऊपर थोड़ी धीमी आंच पर सेंक लें तथा ठंडा होने पर धीरे-धीरे चबाते हुए निगल जाएं। लगातार 7 दिनों तक यह प्रयोग किया जाए तो आठवे दिन से  ही जोड़ों के दर्द या कमर दर्द में 100 फीसदी लाभ होता है।
- जहां दर्द होता होता है हो वहां 5 मिनट तक गरम सेंक करें और दो मिनट ठंडा सेंक देने से तत्काल लाभ पहुंचता है।

सिरदर्द को समझे... ये बन सकता है कारण इन जानलेवा बीमारियों का

रिलेक्सेशन न मिलने के कारण या अन्य कई वजहों से अक्सर सिरदर्द हो जाया करता है। ऐसे में ज्यादा पेन किलर खाने पर रिएक्शन का डर बना रहता है। साथ ही सिरदर्द का इस तरह से इलाज करना कई बार बड़ी जानलेवा बीमारियों का कारण बन जाता है। सिर दर्द कई जानलेवा बीमारियों का एक प्रमुख लक्षण है, दर्द होना यह प्रदर्शित करता है कि शरीर में कहीं कोई गड़बड़ी अवश्य है, सिर दर्द में थकान होना भी बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है।

किस रोग की संभावना- सिर में अक्सर दर्द रहना हाई ब्लडप्रेशर, ब्रेन ट्यूमर,साइनस या फिर ब्रेन हेमरेज का सूचक भी हो सकता है।

 क्या करें- अगर आपके सिर में अक्सर दर्द रहता है, कि पेनकिलर्स लेने पर ठीक भी हो जाता है, तो इसे नजरअंदाज न करें। अगर दर्द के साथ-साथ उल्टियां भी होती हों तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। इसके अलावा दर्द के साथ आंखों की रोशनी कम होती जाए या चक्कर भी आएं तो यह ब्रेन ट्यूमर होने का इशार हो सकता है।

रविवार, 8 अप्रैल 2012

कमर पतली हो जाएगी और स्कीन चमकने लगेगी इस आसन से

कई बार ज्यादा मोटापा या स्कीन प्राब्लम्स खूबसूरती को छूपा देते हैं। ऐसे में स्कीन पर बहुत अधिक कास्मेटिक यूज करने या वजन घटाने की हानिकारक गोलियां खाने से अच्छा है, रोजाना कुछ देर योगा किया जाए। माना जाता है रोजाना दस मिनट मृगासन करने से कमर पतली और आकर्षक होती है साथ ही चेहरा भी चमकने लगता है।

मृगासन की विधि

किसी स्वच्छ स्थान पर कंबल या अन्य कोई आसन बिछाकर बैठ जाएं। अब घुटनों को मोड़कर पैरों को पीछे करके बैठ जाएं। पेट और छाती को जानुओ पर जमा कर रखें। अब दोनों हाथों को पीछे ले जाएं और कमर के पीछे तानकर सीधे उठाएं। चेहरा जमीन पर नहीं लगना चाहिए। सांस रोककर नितंबों को उठाएं। पूरे शरीर का भार घुटनों पर आना चाहिए। अब नितंबों को टांगों पर रख दें, हाथों को आगे कर सीधे हो जाएं और सांस छोड़कर सामान्य अवस्था में आ जाएं।

मृगासन के लाभ

इस आसन से मधुमेह में लाभ मिलता है साथ ही इससे शरीर की फालतू चर्बी भी कम हो जाती है। इस आसन से पाचन-क्रिया ठीक होती है। गठिया के दर्द में भी लाभ मिलता है। इससे घुटनों को मजबूती मिलती है। जब तक इस आसन का अभ्यास करेंगे कमर दर्द की शिकायत नहीं होती। इससे शरीर में हल्कापन, सुंदरता और त्वचा में चमक आती है।

संतरे के छिलके को ऐसे लगाएं तो मुहांसे मिटेंगे, चेहरा एकदम क्लीन हो जाएगा

युवाअवस्था में कदम रखते ही हार्मोनल चेंजेस के कारण अधिकतर युवक और युवतियों को ब्लेकहेड्स, व्हाइट हेड्स  और पिंपल्स जैसी समस्याएं सताने लगती हैं। मुंहासों की समस्या से निजात पाने के लिए बाजार में कई तरह की दवाईयां और क्रीम उपलब्ध हैं लेकिन बिना चिकित्सकीय निर्देशन के इनके इस्तेमाल से बचना चाहिए। ऐसे में जब चेहरे पर थोड़े बहुत मुहांसे हों तो घरेलू उपाय अपनाना ज्यादा बेहतर होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं नारंगी के छिलकों का ऐसा प्रयोग जिससे आपकी स्कीन क्लीन एंड क्लियर हो जाएगी।

मुहांसों से मुक्ति- नारंगी और चारोली के छिलकों को दूध के साथ पीस कर इसका लेप तैयार कर लें और चेहरे पर लगाए। इसे अच्छी तरह सूखने दें और फिर खूब मसल कर चेहरे को धो लें। इससे चेहरे के मुहांसे गायब हो जाएंगे। अगर एक हफ्ते तक प्रयोग के बाद भी असर न दिखाई दे तो लाभ होने तक इसका प्रयोग जारी रखें।

चमकता चेहरा- चारोली को गुलाब जल के साथ सिलबट्टे पर या मिक्सर में बारीक पीस कर लेप तैयार कर चेहरे पर लगाएं। लेप जब सूखने लगे तब उसे अच्छी तरह मसलें और बाद में चेहरा धो लें। इससे आपका चेहरा चिकना, सुंदर और चमकदार हो जाएगा। इसे एक सप्ताह तक हर रोज प्रयोग में लाए। बाद में सप्ताह में दो बार लगाते रहें। इससे आपका चेहरा लगेगा हमेशा चमकदार व खिला-खिला और हरदम ताजातरीन भी।

हेल्दी रहने के लिए क्या खाएं क्या न खाएं

कोई भी मौसम हो हमारा स्वास्थ्य तभी ठीक रहता है। जब हमारा आचरण भोजन और दिनचर्या मौसम के अनुसार हो। आयुर्वेद में भी गर्मी में स्वस्थ रहने के लिए भोजन कैसा हो और क्या खाएं क्या न खाएं जैसी बातों को सपष्ट किया गया है। आइए जानते हैं हम गर्मियों के लिए कुछ स्पेशल टिप्स जिन्हें अपनाकर झुलसाने वाली गर्मी में भी हम अपने स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते हैं। 

अधिक गर्मी के कारण पित्त के विदग्ध होने से जठराग्रि मंद हो जाती है। दस्त, उल्टी, अर्जीण आदि रोग होते हैं, ऐसी स्थिति में कम आहार ग्रहण करना गर्मी में ज्यादा ठीक रहता है। ज्यादा चाय, काफी पीना, धुम्रपान और अन्य तरीके से तम्बाकू आदि का सेवन गर्मी को बढ़ाते हैं इसलिए इनके सेवन से बचना चाहिए। इससे शरीर में पित्त और गर्मी बढ़ती है। गर्मी में ठंडा पानी और पेय पदार्थ अधिक पीने चाहिए, क्योंकि गर्मी के मौसम में शरीर से अधिक पसीना निकलने के कारण पानी की कमी हो जाती है।

खस चंदन आदि का शर्बत और फलों का रस आदि पेय पदार्थों का सेवन इस ऋतु में अधिक करना चाहिए। गर्मी के मौसम में रोजाना नित्यकर्म के बाद एक ग्लास ठंडाई दूध, लस्सी और जौ या चने का सतू पानी में घोलकर पीना चाहिए। जौ को भून-पीसकर बनाया गया सतू अग्रि को तेज करने वाला, कफ-पित्तनाशक गुणयुक्त होता है। अगर सत्तू को जल में घोलकर पीया जाए तो वह बलदायक, कब्ज दूर करने वाला, मधुर होता है। दोपहर के भोजन में ऐसे हल्के आहार होने चाहिए जो शीघ्र पच सकें। भूख से थोड़ा कम खाना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। गर्मी में मांस खाना भी आयुर्वेद के अनुसार नुकसानदायक होता है। 

दोपहर में सोकर उठने के बाद भुने हुए चने या जौ चबाकर ठंडा पानी पीना चाहिए। गर्मी की मौसम में पके-मीठे आम, आमरस, कच्चे आम को भूनकर बनाया गया जीरा रस का सेवन अति लाभदायक होता है। इसका रस हाजमा को बढ़ाता है। शरीर को पुष्ट भी करता है। फूलों में ककड़ी, अंगूर, खरबूजा, तरबूज आदि फल का अधिक सेवन करना चाहिए। इस मौसम में टमाटर, बधुआ, आदि के साथ-साथ नींबू, हरी धनिया, पुदीना का भी नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

हरड़ का थोड़ा सा पाउडर ऐसे उपयोग करें तो... बाल और दांत दोनों चमकने लगेंगे

हरड़ को आयुर्वेद में बहुत उपयोगी माना गया है। यह त्रिफला के तीन फलों में सबसे गुणकारी माना गया है। बाजार में दो प्रकार की हरड़ मिलती है। बड़ी हरड़ और छोटी हरड़। हरड़ पेड़ के वे फल हैं जो गुठली पैदा होने से पहले ही गिर पड़ते हैं।  हरड़ में एस्ट्रिन्जेन्ट, टैनिक अम्लए गैलिक अम्ल, चेबूलीनिक अम्ल और म्यूसीलेज । रेजक पदार्थ हैं एन्थ्राक्वीनिन जाति के ग्लाइको साइड्स। इसके अलावा हरड़ में दस प्रतिशत जल, 13.9 से 16.4 प्रतिशत नॉन टैनिन्स और शेष अघुलनशील पदार्थ होते हैं।इसके अलावा इसमें वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लूकोज, सार्बिटाल, फ्रक्टोस, सुकोस, माल्टोस एवं अरेबिनोज हरड़ के प्रमुख कार्बोहाइड्रेट हैं। इसमें 18 प्रकार के अमीनो अम्ल पाए जाते हैं। हरड़ इतने गुणों से भरपूर है लेकिन अधिकांश लोग इसके प्रयोग नहीं जानते तो अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं तो आइए हम बताते हैं आपको हरड़ के कुछ अचूक प्रयोग। 

- कब्ज के इलाज के लिए हरड़ को पीसकर पाउडर बनाकर या घी में सेकी हुई हरड़ की डेढ़ से तीन ग्राम मात्रा में शहद या सैंधा नमक में मिलाकर लेना चाहिए।

 - अतिसार होने पर हरड़ गर्म पानी में उबालकर प्रयोग की जाती है। 

- हरड़ का चूर्ण, गोमूत्र तथा गुड़ मिलाकर रात भर रखने और सुबह यह मिश्रण रोगी को पीने के लिए दें,इससे बवासीर तथा खूनी पेचिश आदि बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। 

- लीवर, स्पलीन बढऩे की या पेट में कीड़ों की समस्या हो तो दो सप्ताह तक लगभग तीन ग्राम हरड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहिए।

-हरड़ का चूर्ण दुखते दांत पर लगाने से भी तकलीफ कम होती है।

- एलर्जी से परेशान लोग हरड़ फल और हल्दी से तैयार लेप लगाएं।जब तक  एलर्जी खत्म न हो जाए तब तक लेप जारी रखें।

- हरड़ के फल को नारियल तेल में उबालकर लेप बनाएं और बालों में लगाएं। हरड़ के उपयोग से बाल काले और चमकीले बनते हैं।

-हरड़ का लेप पतले छाछ के साथ बनाकर गरारे करने से मसूढ़ों की सूजन में भी आराम मिलता है।

सफेद बालों को फिर से काला बनाने वाले कुछ सिम्पल घरेलू नुस्खे


वर्तमान समय में भाग दौड़ भरी जिंदगी में, बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारण बाल सफेद हो जाते है। बाल डाई करना या कलर करना इस समस्या का एकमात्र विकल्प नहीं। कुछ घरेलू उपचार आजमा कर भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है। हम आपको बताने जा रहे हैं, कुछ ऐसे ही सिंपल घरेलू फंडे जिनसे आप अपने सफेद बालों को फिर काला बना पाएंगे।
-दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ  भी नहीं होगी।



- बेसन और  दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा।



- आंवले के पावडर में नींबु मिलाकर नियमित रूप से लगाएं सफेद बाल काले हो जाते हैं।



- रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।



- तिल खाएं। इसका तेल भी बालों को काला करने में कारगर है।



- आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाएं।



- रोज घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

इन बातों को जानकर आप भी कह उठेंगे तरबूज का जवाब नहीं!

 गर्मी में प्यास बुझाने में तरबूज का जबाब नहीं। इसे गर्मी में खाने से गर्मी से तो राहत मिलती ही है। साथ ही इसे खाने के अनेकों फायदे हैं। आइए जानते हैं तरबूज के बारे में कुछ ऐसी ही बातें जिन्हें जानकर आप कह उठेंगे तरबूज का जवाब नहीं। तरबूज का 70 से 80 प्रतिशत भाग खाया जाता है। लाल रंग के गूदे वाले तरबूज मेँ सबसे अधिक लाइकोपिन पाया जाता है । लाइकोपिन एंटीआक्सीडेंट की तरह काम करता है। 

तरबूज में बीटा केरोटिन भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । इसके छिलके मेँ सिट्रलिन रसायन पाया जाता है जो शरीर में एर्जीमिन अमिनो एसिड बनाता है । यह एसिड शरीर से अमोनिया व अन्य विषैले पदार्थोँ को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है। तरबूज विटामिन सी और ए का खजाना है।साथ ही मर्दो में प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को भी कम कर देता है। गर्मी के मौसम में इसका जमकर सेवन करें, क्योंकि यह विटामिन बी, बी6, बी1 का अच्छा स्रोत है। अगर हम कहे कि यह पानी से भरा होता है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसमें 98 प्रतिशत तक जल होता है। अमीनो अम्ल भी प्रचुरता से पाया जाता है, यह अर्जीनाइन शरीर में चलने वाले यूरिया चक्र को प्रोत्साहित करता है। 

थाइमिन और मैग्नेशियम जैसे तत्व जो शरीर में उर्जा का उत्पादन और मांसपेशियों के क्षरण को रोकने का काम करते हैं, इसमें पाये जाते हैं। इसके सेवन से गुर्दे की पथरी, दमा, दिल संबंधी बीमारी और ऑथराइटिस का खतरा कम होता है। अगर आपके शरीर पर अतिरिक्त चर्बी है, तरबूज का सेवन करें। खाना खाने के उपरांत तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है। इसके रस से लू लगने का अंदेशा भी नहीं रहता। पोलियो रोगियों को तरबूज का सेवन करना बहुत लाभकारी रहता है, क्योंकि यह खून को बढ़ाता है और उसे साफ भी करता है। त्वचा रोगों के लिए यह फायदेमंद है। तपती गर्मी में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के आधा गिलास रस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए। पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर सुबह शकर मिलाकर पीने से लाभ होता है।

गर्मी में नित्य तरबूज का ठंडा-ठंडा शरबत पीने से शरीर को शीतलता तो मिलती ही है । साथ ही चेहरे पर एक चमक भी आ जाती है। इसके लाल गूदेदार छिलकों को हाथ-पैर, गर्दन व चेहरे पर रगडऩे से सौंदर्य निखरता है। सूखी खांसी में तरबूज खाने से खांसी का बार-बार चलना बंद होता है। तरबूज का गूदा लें और इसे ब्लैक हैडस के प्रभावित जगह पर धीरे- धीरे रगड़ें। एक ही मिनट उपरांत चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें।

आलू से हो सकती है आपकी कायापलट....ये पढ़ेंगें तो जान जाएंगें

वैसे तो आलू का चरबी बढ़ाने वाला वाला माना जाता है,लेकिन आलू के फायदे बहुत कम लोग जानते हैं। हम बताते हैं आपको आलू के कुछ ऐसे ही गुण जो शायद आप नहीं जानते होंगे। आलू में विटामिन सी, बी कॉम्पलेक्स तथा आयरन , कैल्शियम, मैंगनीज, फास्फोरस तत्त्व होते हैं। आलू के प्रति 100 ग्राम में 1.6 प्रतिशत प्रोटीन, 22.6 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 0.1 प्रतिशत वसा, 0.4 प्रतिशत खनिज और 97 प्रतिशत कैलोरी ऊर्जा पाई जाती है।

- आलू उबालने के बाद बचे पानी में एक आलू मसलकर बाल धोने से आश्चर्यजनक रूप से बाल चमकीले, मुलायम और जड़ों से मजबूत होंगे। सिर में खाज, सफेद होना व गंजापन तत्काल रुक जाता है। 

- जलने पर कच्चा आलू कुचलकर जले भाग पर तुरंत लगा देने से आराम मिल जाता है। - आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा। 

- आलू के रस में नींबू रस की कुछ बूंदें मिलाकर लगाने से धब्बे हल्के हो जाते हैं।

- आलू के टुकड़ों को गर्दन, कुहनियों आदि सख्त स्थानों पर रगडऩे से वहां की त्वचा साफ एवं कोमल हो जाती है।

- आलू भूनकर नमक के साथ खाने से चर्बी की मात्रा में कमी होती है।

- झाइयों तथा झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए आलू के रस में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर झाइयों और झुर्रियों पर लगाएं। बीस मिनट बाद चेहरा पानी से साफ कर लें।

-  भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।

-  चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर खाएँ। इससे गठिया ठीक हो जाता है।

-  उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है।

-  कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से 5 से 6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का फूला 3 मास में साफ हो जाता है।

इससे हो जाएगा एसीडिटी का परमानेंट इलाज

कभी-कभी ज्यादा खा लेने पर एसीडिटी हो जाती है। इसके विपरित ज्यादा समय तक भुखे रहने पर भी एसीडिटी हो जाती है। ऐलोपेथिक दवाई लेने पर एसीडिटी से थोड़े समय के लिए निजात तो जरूर मिल जाती है लेकिन पूरी तरह छुटकारा नहीं मिलता है। इसीलिए एसीडिटी मिटाने के लिए आयुर्वेदिक देसी नुस्खे सबसे अधिक कारगर होते है।



आयुर्वेद और यूनानी पद्धति में तो शहद एक शक्तिवर्धक औषधी के रूप में लंबे समय से प्रयुक्त किया  जा रहा है। इसके विभिन्न गुण अब दुनिया भर में किए जा रहे शोधों से उजागर हो रहे हैं। दालचीनी और शहद का योग पेट रोगों में भी लाभकारी है। पेट यदि गड़बड़ है तो इसके लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है और पेट के छाले भी खत्म हो जाते हैं। खाने से पहले दो चम्मच शहद पर थोड़ा-सा दालचीनी पावडर बुरककर चाटने से एसिडिटी में राहत मिलती है और खाना अच्छे से पचता है।

आम नहीं बहुत खास है ''आम '' इसमें छुपे इन गुणों को जानेंगे तो मानेंगे

आम को फलों का राजा माना जाता है। खाने में तो ये फल खट्टा-मीठा और स्वाद से भरा होता है। लेकिन आम के अंदर छुपे असली गुणों को बहुत कम लोग जानते हैं आम पर कही गई कहावत आम तो आम और गुठलियों के दाम एकदम सही है क्योंकि इस फल का छिलका और गुठलिया भी बहुत उपयोगी होते है आइए जानते हैं आम के कुछ ऐसे ही गुणों के बारे में....

100 ग्राम आम में पोषकता

पोषण     पका आम             हरा आम

ऊर्जा        74  किलोकैलोरी     44 किलोकैलोरी

रेशा        0.7   ग्राम             1.2 ग्राम

कैल्शियम   14   मि.ग्रा            10 मि.ग्रा

लौह         1.3   मि.ग्रा           5.4 मि.ग्रा

कैरोटीन     2743  माइक्रोग्राम    90 माइक्रोग्राम

विटामिन सी   16   मि.ग्रा          3 मि.ग्रा

- गर्मियों के मौसम में पका हुआ फल खाने से थकान और प्यास का अनुभव नहीं होता।

- ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट, फ्रक्टोज, सुक्रोज विटामिन सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

- आम की छाल का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से पुराना से पुराना घाव भी भर जाता है।

- आम के ताजे पत्ते चबाने से मजबूत होते हैं और दांत के बहुत सारे रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं।

-  पका आम आलस्य को दूर करता है तथा मूत्र संबंधी रोगों का सफाया करता है।

- आम के छिलके को ताजे पानी में पीसकर पिलाने से हैजा ठीक हो जाता है।

-  प्राकृतिक रूप से पका हुआ आम क्षयरोग यानी टीबी को मिटाता है।

-  जिन लोगों को शुक्रप्रमेह शारीरिक विकारों और वातादि यानी वायु संबंधी दोषों के कारण संतानोत्पत्ति न होती हो उनके लिए पका आम किसी      वरदान से कम नहीं है। मतलब कि संतान सुख से वंचित दंपत्ती के लिये आम बेहद लाभदायक  होता है। 

-  प्राकृतिक रूप से पके हुए ताजे आम के सेवन से पुरूषों में शुक्राणुओं की कमी,  नपुंसकता, दिमागी कमजोरी आदि रोग दूर होते हैं।

गिरते बालों का हर्बल इलाज: आसानी से मिलने वाली इस जड़ीबूटी से ऐसे करें शैम्पू

भृंगराज आस्टेरेसी कुल का पौधा है। यह प्राय: नम स्थानों में उगता है। यह लगभग पूरे संसार में पाया जाता है। आयुर्वेद में इसका तेल बालों के लिये बहुत उपयोगी माना जाता है। बालों को घने, काले और सुंदर बनाने के लिए भृंगराज का उपयोग कई तरह से किया जाता है। हम बताने जा रहे हैं आपको भृंगराज के कुछ ऐसे ही उपयोगी प्रयोग....  

- भृंगराज के पत्तों का रस निकालकर बराबर का नारियल तेल लें और धीमी आंच पर रखें। जब केवल तेल रह जाए, तो बन जाता है भृंगराज केश तेल। अगर धीमी आंच पर रखने से पहले आंवले का रस मिला लिया जाए तो और भी अच्छा तेल बनेगा। बालों में रूसी हो या फिर बाल झड़ते हों, तो इसके पत्तों का रस 15-20 ग्राम लें। 

- थोडा सुहागे की खील, भृंगराज और दही मिलाकर बालों की जड़ में लगाकर एक घंटे के लिए छोड़ दें। बाद में धो लें  नियमित रूप से ऐसा करने पर बाल सुंदर घने और मजबूत हो जाते हैं। 

- एसिडिटी होने पर भृंगराज के पौधे को सुखाकर चूर्ण बना लिया जाए और हर्रा के फलों के चूर्ण के साथ समान मात्रा में लेकर गुड के साथ सेवन कर लिया जाए तो एसिडिटी की समस्या से निजात मिल सकती है।

- त्रिफला, नील और भृंगराज तीनों एक एक चम्मच लेकर 50 मिली पानी में मिलाकर रात को लोहे की कड़ाही में रख देते है। प्रात: इसे बालों में लगाकर, इसके सूख जाने के बाद नहाना चाहिए। बाल नेचुरली काले हो जाएंगे।

- माईग्रेन या आधा सीसी दर्द होने पर भृंगराज की पत्तियों को बकरी के दूध में उबाला जाए व इस दूध की कुछ बूँदें नाक में डाली जाए तो आराम मिलता है। हाथी पाँव हो गया हो तो इसके पत्ते पीसकर सरसों का तेल मिलाकर लगाएं। 

-भृंगराज एवं आंवले लें के ताजे पत्तों को पीस कर बालों की जड़ों में लगायें ,साथ ही नीम,शिकाकाई ,आंवला, कालातिल, रीठा इन सब को साथ मिलाकर एक पेस्ट बना लें, यह आपके लिए एक हर्बल शैम्पू का काम करेगा जो बालों को कंडिशनिंग के साथ ही जड़ों को मजबूत बनाएगा। पेट साफ  रखने के लिए केवल त्रिफला के चूर्ण का प्रयोग करें ,यह आपके बालों के जड़ों को भी मजबूती प्रदान करेगा।

कुछ नेचुरल फेसपेक: इन्हें आजमा कर देखें, चेहरा एकदम चिकना हो जाएगा

चेहरे को चिकना और दाग-धब्बे रहित बनाने के लिए लोग कई तरह के कास्मेटिक्स का प्रयोग करते हैं। लेकिन कास्मेटिक्स के अधिक उपयोग से चेहरा अपनी नेचुरल शाइन खो देता है। इसीलिए अपनी स्कीन को हमेशा जवां बनाएं रखने के लिए घरेलू फेसपेक व स्क्रब से अच्छा कोई दूसरा उपाय नहीं है। मुल्तानी मिट्टी वाले फेसपेक को सबसे असरदार माना जाता है। कहा जाता है कि मुल्तानी मिट्टी सौन्दर्य का खजाना है। ये नेचुरल कंडीशनर भी है और ब्लीच भी। ये सौन्दर्य निखारने का सबसे सस्ता और आयुर्वेदिक नुस्खा है।



- आधा चम्मच संतरे का रस लेकर उसमें 4-5 बूंद नींबू का रस, आधा चम्मच मुल्तानी मिट्टी, आधा चम्मच चंदन पाउडर और कुछ बूंदें गुलाब जल की। इन सबको मिलाकर कर थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रख दें। इसे लगा कर 15-20 मिनट तक रखें। इसके बाद पानी से इसे धो दें। यह तैलीय त्वचा का सबसे अच्छा उपाय है।

- तैलीय त्वचा के लिए मुल्तानी मिट्टी में दही और पुदीने की पत्तियों का पाउडर मिला कर उसे आधे घंटे तक रखा रहने दें, फिर अच्छे से मिलाकर चेहरे और गर्दन पर लगाएं। सूखने पर हल्के गर्म पानी से धो दें। ये तैलीय त्वचा को चिकनाई रहित रखने का कारगर नुस्खा है



- अगर आपकी त्वचा ड्राई है, तो काजू को रात भर दूध में भिगो दें और सुबह बारीक पीसकर इसमें मुल्तानी मिट्टी और शहद की कुछ बूंदें मिलाकर स्क्रब करें।



- मुहांसों की समस्या से परेशान लोगों के लिए तो मुल्तानी मिट्टी सबसे कारगर इलाज है, क्योंकि मुल्तानी मिट्टी चेहरे का तेल सोख लेती है, जिससे मुहांसे सूख जाते हैं।



- मुल्तानी मिट्टी को एक कटोरे पानी में भिगो दें। दो घन्टे बाद जब मुल्तानी मिट्टी पूरी तरह घुल जाए तो इस घोल को सूखे बालों में लगा कर हल्के हाथ से बालों को रगड़े। पाँच मिनट तक ऐसा ही करें। गुनगुने पानी से सिर को धो लें। अगर बालों मे ज्यादा गंदगी मौजूद है इसलिए यह काम दोबारा न करें।

मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

कुछ ऐसी बातें जो हर पुरुष को मालूम होनी चाहिए

कहते हैं सुखद वैवाहिक जीवन के लिए पति व पत्नी का हर तरह से स्वस्थ होना जरूरी है। स्वप्न दोष भी पुरुषों में होने वाली एक ऐसी समस्या है जो चेतन मन का नियंत्रण खो देने पर होती है तथा इस समस्या के कारण शरीर मन के किसी कोने में दबी पड़ी वासना के अनुसार प्रतिक्रिया करने लगता है। स्पप्नदोष की स्थिति के पीछे कई बार गलत खान-पान भी अहम् कारण होता है। आइये जाने उन प्रमुख कारणों को जिसके कारण किसी को स्पप्नदोष की स्थिति का सामना करना पड़ता है...



- गलत आहार-विहार करना यानी कि गलत समय पर, गलत चीजें, गलत तरीके से गलत मात्रा खाना और गलत व  अप्राकृतिक तरीके से अपनी दिनचर्या रखना।



- मन में भोग-विलास के वासनात्मक खयाल लाना या मन में काम-वासना के विचार करना।



- अधिक घी-दूध, मेवे-मिठाई, पौष्टिक चीजें... आदि का सेवन करना।



- खाने के तुरंत बाद सो जाना।



- सोने के बिल्कुल पहले गर्म दूध पीना।



- शरीर की आवश्यकता से अधिक भोजन करना।



- सोने से पहले कोई अश्लील साहित्य पढऩा, फिल्म देखना, या कामुकता के विचार करते हुए सोना।



- चंचल स्वभाव की स्त्रियों के साथ समय बिताना।



ये प्रमुख कारण हैं जिनके कारण किसी को स्पप्नदोष जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। इनके अतिरिक्त भी कुछ बायोलॉजिकल कारण हो सकते हैं लेकिन प्रमुख कारण यही हैं। इसीलिए सुखद वैवाहिक जीवन और स्वप्न दोष से बचने का ये सबसे अच्छा तरीका है।

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