मंगलवार, 23 अगस्त 2011

एसीडिटी को जड़ से मिटा देगा ये देसी नुस्खा

अच्छा और स्वादिष्ट खाना मिले तो खाने वाले को ध्यान ही नहीं रहता कि वह कितना रहा है इसीलिए कभी-कभी ज्यादा खा लेने पर एसीडिटी हो जाती है। इसके विपरित ज्यादा समय तक भुखे रहने पर भी  एसीडिटी हो जाती है। ऐलोपेथिक दवाई लेने पर एसीडिटी से थोड़े समय के लिए निजात तो जरूर मिल जाती है लेकिन पूरी तरह छुटकारा नहीं मिलता है। इसीलिए एसीडिटी मिटाने के लिए आयुर्वेदिक देसी नुस्खे सबसे अधिक कारगर होते है।

आयुर्वेद और यूनानी पद्धति में तो शहद एक शक्तिवर्धक औषधी के रूप में लंबे समय से प्रयुक्त किया  जा रहा है। इसके विभिन्न गुण अब दुनिया भर में किए जा रहे शोधों से उजागर हो रहे हैं।

दालचीनी और शहद का योग पेट रोगों में भी लाभकारी है। पेट यदि गड़बड़ है तो इसके लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है और पेट के छाले भी खत्म हो जाते हैं। खाने से पहले दो चम्मच शहद पर थोड़ा-सा दालचीनी पावडर बुरककर चाटने से एसिडिटी में राहत मिलती है और खाना अच्छे से पचता है।

स्ट्रेचमार्क्‍स से क्या डरना

एक महिला के जीवन में प्रेग्नेंसी से खूबसूरत अहसास और कोई नहीं होता। मगर, इस खूबसूरत अहसास के साथ एक बदसूरत चीज भी जुड़ी रहती है, वो है-स्ट्रेचमार्क्स। स्ट्रेचमार्क्‍स का अर्थ प्रेग्नेंसी के बाद कमर और पेट की त्वचा मुर्झाना और ढीली-सी पड़ जाना होता है।

इससे आपका व्यक्तित्व प्रभावित होता है। यह जरूरी नहीं है कि स्ट्रेचमार्क्‍स की समस्या हर गर्भवती महिला को हो, मगर जिन महिलाओं को यह परेशानी होती है। उन्हें अपने कपड़े पहनने के तरीकों तक में बदलाव लाना पड़ता है। तो जानिए स्ट्रेचमार्क्‍स और उससे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में...

स्ट्रेचमार्क्स के कारण

- प्रेग्नेंसी के दौरान त्वचा जब ज्यादा खिंचती है तो स्ट्रेचमार्क्‍स बनने लगते हैं। ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था की तिमाही में स्ट्रेचमार्क्‍स होते हैं। स्ट्रेचमार्क्‍स होने का कारण है उन टिश्यू का फट जाना जो कि त्वचा को खिंचने में मदद करते हैं।

- स्ट्रेचमार्क्‍स होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपकी त्वचा में खिंचने की कितनी क्षमता है। अगर आप यह पता लगाना चाहती हैं कि आपको स्ट्रेचमार्क्‍स होंगे या नहीं तो अपनी मां से पूछें कि उन्हें हुए थे या नहीं। क्योंकि स्ट्रेचमार्क्‍स आनुवांशिक होते हैं।

- कई बार हार्मोनक इंबैलेंस की वजह से भी स्ट्रेचमार्क्‍स होने लगते हैं। तो कई महिलाओं को वातावरण में आए बदलावों के चलते रिएक्शन के रूप मे स्ट्रेचमाक्र्स होने लगते हैं।

- जिन महिलाओं की त्वचा रूखी व बेजान होती है, उन्हें स्ट्रेचमार्क्‍स होने के चांसेस ज्यादा होते हैं।

स्ट्रेचमार्क्‍स से बचाव

- ज्यादातर महिलाओं का मानना होता है कि क्रीम और लोशन का प्रयोग करके वे स्ट्रेचमार्क्‍स से बचाव कर सकती हैं। मगर इनके अलावा भी आजकल बाजार में कई ऐसे प्रोडक्ट्स मौजूद हैं, जिनसे आपकी त्वचा अच्छे से मॉश्चराइज होती है।

- जब आप स्ट्रेचमार्क्‍स क्रीम या लोशन अपने पेट पर लगा रही होती हैं तो उस समय आप अप्रत्यक्ष रूप से अपने बेबी को मसाज दे रही होती हैं।

- स्ट्रेचमार्क्‍स से बचने का सबसे आसान तरीका है डॉक्टर द्वारा सुझाया गया वजन बढ़ाना। आमतौर पर डॉक्टर्स महिलाओं को 10-12 किलो वजन बढ़ाने के लिए सलाह देते हैं। मगर, कई महिलाएं ज्यादा वजन बढ़ा लेती हैं, जिससे स्ट्रेचमार्क्‍स बनते हैं।

कैसे हटाएं स्ट्रेचमार्क्‍स 

- स्ट्रेचमार्क्‍स होने पर ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि समय के साथ स्ट्रेचमार्क्‍स फेड होने लगते हैं। डिलेवरी के 12-14 महीनों के बाद ये कम हो जाते हैं।

- अगर आपके स्ट्रेचमार्क्‍स हद से ज्यादा बदसूरत लगते हैं, तो आपको डर्मेटोलॉजिस्ट से कंसल्ट करना चाहिए। आप डिलेवरी के तुरंत बाद ही डॉक्टर से कंसल्ट करें अन्यथा ये स्ट्रेचमार्क्‍स को साफ नहीं कर पाते।

- कई महिलाओं को स्तनपान करवाने से स्तन पर स्ट्रेचमार्क्‍स होने लगते हैं और वे इनसे निजात पाने के लिए किसी भी क्रीम का इस्तेमाल करने लगती हैं। यह गलत है, इससे फीडिंग पर प्रभाव पड़ सकता है।

- अगर कई लोशन और इलाज के बाद भी आपके स्ट्रेचमार्क्‍स ठीक नहीं हो रहे हों तो आप लेजर ट्रीटमेंट करवाएं। मगर, इससे पहले डॉक्टर्स से कंसल्ट जरूर करें।

घरेलू उपचार

- स्ट्रेचमार्क्स से छुटकारा पाने के लिए अगर आप घरेलू उपचार अपनाना चाहती हैं तो हर रोज एक्सरसाइज करें। खासकर बैली (पेट) एक्सरसाइज, ताकि पेट और कमर के आसपास की मांसपेशियां फिट रहें।

- ऐसे आहार का सेवन करें जिसमें विटामिन ई और विटामिन सी भरपूर मात्रा में हों क्योंकि ये टिश्यू और कोशिका निर्माण की प्रक्रिया को तेज करते हैं।

- स्ट्रेचमार्क्‍स वाले हिस्से में हर रोज विटामिन ई युक्त तेल से अच्छी तरह मसाज करें।

आपको हमेशा हेल्दी रखेंगे ये दो फंडें

पहला सुख निरोगी काया इस बात से तो इंकार नहीं किया जा सकता कि बिना स्वस्थ शरीर के इन दुनिया के सारे सुख किसी काम के नहीं है। इसीलिए स्वस्थ शरीर के महत्व को सदियों पूर्व हमारे पूर्वजों ने भी समझा था। यही कारण था कि उन्होंने योगा की खोज की थी। साथ रोज सुबह घुमना व जल्दी उठना स्वास्थय के लिए लाभदायक माने गए हैं। एक ताजा रिसर्च के नतीजे कहते हैं यदि कोई भी व्यक्ति जीवन भर सिर्फ इन दो उपायों को करता रहे तो उसके शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार या कमजोर पडऩे की संभावना लगभग न के बराबर रह जाती है ये सूर्य से जुड़े ये उपाय हमारे इम्यून सिस्टम को बेहद मजबूत बना देते हैं...

- उगते हुए सूरज की किरणों का शरीर से ज्यादा से ज्यादा स्पर्श होने दें। ऐसा करते हुए मार्निग वॉक, आसन, ध्यान या प्राणायाम करने से लाभ और भी अधिक बढ़ जाता है।

- सप्ताह में कम से कम 2 दिन धूप स्नान करें यानी सुबह की सूर्य किरणों के साथ नहाएं इससे आपके शरीर और मन की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।

सिर्फ दस मिनट और कहें आंखों से जुड़ी हर प्रॉब्लम को बाय-बाय!


आंखे भगवान के दिए सबसे अनमोल तोहफों में से एक है। इसीलिए आंखों का हर व्यक्ति को विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए। लेकिन बढ़ती तकनीकी के कारण आज बिना कंप्यूटर व टी.वी. के हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।





इसीलिए लगातार कई घंटों तक कंप्यूटर पर काम करने, टी.वी. देखने या पढ़ाई करने से आजकल अधिकतर लोगों को आंखों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। योग से हर बीमारी का उपचार संभव है। कई हस्तमुद्राएं ऐसी है जिनका नियमित रूप से अभ्यास कर इंसान कई तरह की शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पा सकता है। आंखों से जुड़ी परेशानियों के लिए प्राणमुद्रा को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।




प्राणमुद्रा- अंगूठे से तीसरी अनामिका यानी रिंग फिंगर तथा चौथी कनिष्ठिका यानी लिटिल फिंगर दोनों अँगुलियों के पोरों को एकसाथ अंगूठे के पोर के साथ मिलाकर शेष दोनों अँगुलियों को अपने सीध में खडा रखने से जो मुद्रा बनती है उसे प्राण मुद्रा कहते है। ह्रदय रोग में रामबाण तथा नेत्रज्योति बढाने में यह मुद्रा बहुत सहायक है।





अंगूठे से तीसरी अनामिका तथा चौथी कनिष्ठिका अँगुलियों के पोरों को एकसाथ अंगूठे के पोर के साथ मिलाकर बाकि दोनों अँगुलियों को अपने सीध में खडा रखने से जो मुद्रा बनती है उसे प्राण मुद्रा कहते हैं। ह्रदय रोग में रामबाण तथा नेत्रज्योति बढाने में यह मुद्रा बहुत सहायक है। साथ ही यह प्राण शक्ति बढ़ाने वाला भी होता है। प्राण शक्ति प्रबल होने पर मनुष्य के लिए किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्यवान रहना अत्यंत सहज हो जाता है.वस्तुत: दृढ प्राण शक्ति ही जीवन को सुखद बनाती है। साथ ही यह प्राण शक्ति बढ़ाने वाला भी होता है।




प्राण शक्ति प्रबल होने पर मनुष्य के लिए किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्यवान रहना अत्यंत सहज हो जाता है। वस्तुत: दृढ प्राण शक्ति ही जीवन को सुखद बनाती है। इसीलिए यह मुद्रा रोज करने से इम्युनिटी पावर तो बढ़ता ही है साथ ही दिल से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना भी कम हो जाती है। कहते हैं अगर यह मुद्रा के लिए सिर्फ दस मिनट देकर आप आंखों से जुड़ी हर परेशानी को मुक्ति पा सकते हैं। इस मुद्रा से आंखों के थकान तो मिटती ही है आंखों की ज्योति भी बढ़ती है।

झंझटो से बचें, अपनाएं खूबसूरती के लिए नानी के ये नुस्खे

हर लड़की चाहती है कि वह खूबसूरत दिखे। उसकी त्वचा स्वस्थ और दमकती हुई हो। इसीलिए वे अपनी सुंदरता को बढ़ाने के लिए नए प्रयोग करने से भी पीछे नहीं हटती हैं। लेकिन त्वचा विशेषज्ञ व हमारी दादी व नानी भी यही सलाह देती हैं कि कास्मेटिक व सिथेंटिक्स प्रोडक्टस का उपयोग कम से कम करना चाहिए। कहते है घरेलु नुस्खे अपनाने से स्किन में नेचुरल शाइनिंग आ जाती है। इसीलिए ज्यादा कास्मेटिक्स के झंझटो से बचे व इन घरेलु उपाय को अपनाकर पाएं नेचुरल ग्लो।

- शहद में नींबू मिलाकर लगाएं

- मुलतानी मिट्टी को पानी में घोलकर लगाएं।

- बेसन का उबटन लगाएं।

- कच्चे दूध से फेस पर मसाज करें।

-नारियल पानी खूब पीएं।

- मौसमी का, ज्वार का रस पीएं।

- नीबू डालकर नहाएं या शरीर पर काली-चिकनी मिट्टी का लेप करे।

- अनावश्यक साबुन, शैंपू, केमिकल युक्त चीजें काम में नहीं लें।

- सिंथेटिक वस्तुएं इस्तेमाल नहीं करें।

- लंबे समय तक ए.सी. का प्रयोग नहीं करें।

रविवार, 21 अगस्त 2011

एक कप इलायची की चाय कर देगी जादू!

भारत प्राचीन काल से ही विश्वभर में मसालों के लिए जाना जाता है। हमारे यहां पाई जाने वाली केसर के बाद इलायची ही सबसे कीमती मसाला है। इन मसालों का उपयोग सिर्फ खाने-पीने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि रोगों के उपचार के लिए भी उपयोग में लाए जाते हैं।स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के गुणों का कारण इलायची में जाने वाला एंटीऑक्सिडेंट है।

इसके अलावा इलायची में फली नियासिन और विटामिन सी सहित कई महत्वपूर्ण विटामिन पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं अमीर हैं इलायची एक बहुत ही आकर्षक गंध है जो तंत्रिकाओं को शांत करना कर सकते है। जब एक व्यक्ति को उदास है, उस में इलायची डाल द्वारा बनाई गई चाय लगभग चमत्कारी प्रभाव हो सकता है।इलायची में एंटीआक्सीडेंट होता है। इसीलिए इससे रोगप्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है। साथ ही चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़ती व चेहरे की चमक भी बढ़ती है। इलायची डालने से एक कप चाय का गुण कई गुना बढ़ जाता है। इलायची के कुछ अन्य उपयोग भी इस प्रकार है।

- इलायची को मोटे तौर पर दांतों में संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

- यह गैस में राहत पहुंचाने के साथ कलेजे की जलन को कम करती है।

-   इलायची का पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं। सिरदर्द में तुरंत आराम मिलेगा।

-  धूप में जाते समय मुंह में इलायची जरूर डालें।

-  मुंह से दुर्गन्ध आती हो, इसका इस्तेमाल करें।

- सफर में मुंह में इलायची रखें। उल्टी नहीं आएगी।

-  सांस लेने में तकलीफ हो तो, मुंह में एक इलायची डालें, आराम मिलेगा।

- अस्थमा और कफ  के रोगी इलायची के पाउडर को शहद के साथ चाटें। फायदा मिलेगा।

कई बीमारियों की एक दवा है यह, आजमा कर तो देखो!


हमारा शरीर एक मशीन क़ी तरह जन्म से लेकर मृत्यु तक कार्य करता है। हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली मशीनरीयों की तो हम समय- समय पर सर्विसिंग करवाते रहते हैं, साथ ही उसका बीमा लेने से भी नहीं चूकते।



लेकिन जब शरीर क़ी बात आती है तो हमने कभी उसकी सर्विसिंग के बारे में शायद ही सोचा हो। बात छोटी लगती हो, पर है बड़ी गंभीर। जिस प्रकार मशीनी यन्त्र को सही ढंग से लम्बी अवधि तक चलाने के लिए तेल,पानी एवं ग्रीसिंग कि आवश्यकता पड़ती है, ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर रूपी कलपुर्जों को बगैर घिसे लम्बी अवधि तक चलाने के लिए चिकनाई क़ी आवश्यकता होती है।


चिकनाई को लेकर हमारे मन में कई शंकाएं होती है, जैसे कहीं कोलेस्ट्रोल न बढ़ जाय। पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए क़ी बिना चिकनाई के हमारे जोड़ों क़ी गति कैसे होगी? वात नाडिय़ों को पोषण कैसे मिलेगा? क्या गठिया जैसे रोग हमें अपना शिकार नहीं बना लेंगे? इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, हमें अपने शरीर का खय़ाल रखते हुए सम्यक मात्रा में घी एवं तेलों का प्रयोग करना चाहिए।




शरीर क़ी मालिश हेतु पंचकर्म चिकित्सक अभ्यंग का प्रयोग पूर्वकर्म के रूप में कराते हैं ,जो अपने आप में रोगों की चिकित्सा है। तेलों में तिल के तेल को सबसे अच्छा माना गया है, यह शरीर में शीघ्रता से फैलता है। तेलों का सबसे अच्छा गुण, इनका स्निग्ध होते हुए भी शरीर में कफ  दोष को नहीं बढ़ाना है ,तेल मे एक  विशेष  गुण होता है - यह दुबले व्यक्ति का दुबलापन दूर करता है ,साथ ही मोटे का मोटापा भी है न खासबात।





तेल अपने गुणों से संकुचित स्रोतों को खोलता है, रूखी त्वचा तेल से कोमल बन जाती है। तेल का सबसे अच्छा गुण इसका अन्य दवाओं से संस्कारित करने पर उनके गुणों को भी अपने अन्दर लेकर रोगों में लाभ पहुंचाना है। रोजाना बालों क़ी जड़ों में तेल क़ी मालिश करने पर सिरदर्द,गंजापन एवं समय से पूर्व बाल सफ़ेद होने जैसे लक्षणों छुटकारा पाया जा सकता है। तेल पका हो या कच्चा,जितना पुराना हो उतना ही गुणकारी होता है।





बाजार में उपलब्ध कुछ ऐसे तेल जिनका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक रोगों क़ी चिकित्सा में करते हैं निम्न हैं: तिल का तेल ,जैतून का तेल ,अलसी का तेल ,भृंगराज तेल ,बादाम तेल,चन्दन का तेल,लौंग का तेल,एरंड का तेल,सरसों का तेल आदि। अत: हम यह कह सकते हैं तेल का प्रयोग अनेक रोगों में एक रामबाण चिकित्सा है।

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