मंगलवार, 21 अगस्त 2018

RAHU and BACTERIAS राहू और बैक्टीरिया



Today we will discuss some interesting facts about Rahu. Though It is a shadowy planet but it is too much effective in the universe. He follows each and everyone like a shadow.

Rahu and Ketu has more control over night. Rahu is more attached to Venus and Ketu is more attached to Saturn. Rahu's role is to continue births on earth so to create new new desires in the mind whereas Ketu's role is to free the soul from birth chanel.

Venus and Rahu jointly rules night between Sunset to Mid night. Saturn and Ketu jointly rules night between Mid night to Sunrise. So sunset to 12.00 am is Rahu zone and 12.00 am to Sunrise is Ketu zone.

Rahu with the Help of Venus creates Illusion (माया ) in the world between Sunset to Mid night and make the world extrovert in Rahu zone

All Hotels, Restaurants, Pubs, Dance Bars, Sex workers, Betting, Gambling Clubs and all Glamours in the world comes under the control of Rahu.

Ketu with the help of Saturn creates Rest, Sleep, Peace, Silence and Religious atmosphere between Mid night to Sunrise and make the world Introvert in Ketu zone .


यह रिसर्च हमारे ज्योतिषी आश्विन रावल जी है. जो सशुल्क आपकी समस्या का समाधान कुंडली देखकर करते हैं. शादी, नौकरी, परिवारिक समस्या आदि परेशानियों का जबाब यह आपको दिन महीने और वर्ष के साथ समस्या का हल करके बताते हैं.  उनको ज्योतिष का ४० वर्षों से ज्यादा अनुभव हैं. आप उनसे ऊपर दिए गये नम्बर पर whatsApp करके सशुल्क परामर्श ले सकते हैं.  इस सेवा का लाभ जरुर लें.  यह मेटर कॉपीराइट है आश्विन रावल जी का.

Spirits, Spiritual world, Meditation, Worshiping, Mantras and Sadhana, Penance etc comes under the control of Ketu and Saturn between 12 am to Sunrise.
Also 14 January to 14 July is called Uttarayan which is controlled by Ketu and from 14 July to 14 January is called Daxinayan which is controlled by Rahu.

All the Virus, all the Bacterias and Mosquitoes are born and spread during this Rahu zone. I had seen One research episode on Discovery channel before couple of years. There was a study by Scientists on the growth of Mosquitoes, various Virus and Bacterias in Laboratory. It was found out that Growth of Bacterias was at higher level at Sunset time. Second research was maximum Bacterias and Virus were developed between July to November every year.

Note that this is a चातुर्मास period in India and more Worship and fasts are insisted by Rishis in these 4 months. Also this is Daxinayan Rahu Zone when Sun approaching Yama loka and going to Libra and getting debilitation there. This is the time when प्राण तत्त्व is at the lowest level in the Universe so Rahu is more active.

It was also found that maximum Bacteria growth was found in the end of June and end of October. ( Note that from 21 June to 3rd July Sun transits through Ardra Nakshatra, the star of Rahu and from 20 October to 2nd November Sun transits through Swati Nakshatra, the star of Rahu again.)

So all the Mosquitoes, Bacterias and Virus are controlled by Rahu alone. Ardra Swati and Shatabhisha are the seats of Virus and Bacterias.

Virus Bacterias and Mosquitoes are controlled when Sun is in Uttarayan, Ketu Zone between 14 January to 14 July. March April is the period when Sun transits Pisces and Aries towards Exaltation so प्राण तत्त्व remains at highest level in these 2 months which is also known as VASANT days in India.

यत पिंडे तत ब्रह्माण्डे । The same thing happens in our Body too. Maximum Bacteria and Virus develops in our body within above Rahu Zone period in चातुर्मास so various Flue, Malaria, Dengue, Typhoid, Cholera, Eye disease, Stomach upsets and Diarrhoea etc diseases are spread in the Society in this Rahu zone.

Rahu is the cause of Cancer and Cancer develops in Rahu mahadasha or Rahu antardasha which we will discuss in next post.

Ashwin Rawal 17.08.2018

सोमवार, 20 अगस्त 2018

हाथों और पैरों की सुन्दरता बढ़ाने के लिए


धूप, ठंडा मौसम, सूखी हवा त्वचा को खराब करके उसे रूखा और बेजान बना देती है। अपनी रोज की दिनचर्या और रहन सहन के तरीकों में कुछ बदलाव करके आप त्वचा को रेशम सी मुलायम और चमकता हुआ बना सकती हैं। बेदाग, पिक्चर परफेक्ट स्किन हर लड़की का सपना होता है. सुंदर बेदाग त्वचा से ही आजकल सुन्दरता को परिभाषित करते है. अगर आपकी हेल्थी स्किन रहेगी तो आप खुदबखुद सुंदर लगेंगें.
एड़ियाँ फटती हों तो अरंडी का तेल, गुलाबजल तथा नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर एड़ियों पर दिन में दो-तीन बार मलें। मधुमक्खियों वाला मोम लेकर गर्म करें। पिघल जाए तो इसमें इसका आधा सरसों का तेल मिलाएं। अब किसी बरतन में पानी भरकर उसी में यह मिश्रण छान दें। जब यह पानी में नीचे बैठ जाए तो पानी फेंककर इसे किसी शीशी में रख लें। सोते समय रात में इस नुस्ख़े को एड़ियों में लगाने से एक सप्ताह में बिवाइयों में आराम मिल जाता है।
रात को सोने से पहले नारियल का तेल गुनगुना करके बिवाइयों में लगाएं तथा मोजे पहनकर सो जाएं। सबेरे गर्म पानी में पैरों को 15 मिनट तक डुबोएं तथा किसी ब्रश से हल्के-हल्के रगड़कर एड़ियाँ साफ़ करें। इसके उपरांत भीगे पैरों को कपड़े से सुखाकर कोई तैलीय चीज़ लगा लें।
एक चम्मच देशी मोम तथा एक चम्मच देशी घी गर्म करें। दोनों एकसार हो जाएं तो इस मिश्रण की गर्म-गर्म बूँदें बिवाइयों में टपकाएं। यह प्रयोग प्रतिदिन तब तक करें जब तक बिवाइयों से छुटकारा न मिल जाए। जैतून का तेल सहने योग्य गर्म करके नाख़ूनों को कुछ देर तक उसमें डुबाए रहिए। ऐसा कुछ दिनों तक करने से आपके नाख़ून मज़बूत होंगे। 100 ग्राम सरसों के तेल में 25 ग्राम मोम डालकर गर्म करें तथा एक उबाल आने के बाद उतारकर ठण्डा होने से पूर्व ही किसी चैड़े मुँह के पात्र में रख लें। इसे वैसलीन की तरह इस्तेमाल करें, त्वचा नहीं फटेगी। यदि फट रही हो तो ठीक हो जाएगी।
पैरों में गट्टे (गोखरू) हों तो पीड़ित स्थान पर मेंहदी का गाढ़ा लेप लगाकर पट्टी बाँध दें। दो-तीन घण्टे बाद इसे खोलकर धो दें। कुछ दिनों के अन्तराल पर कुछ ही बार यह प्रयोग करने से गट्टे समाप्त हो जाएंगे। सर्दी के मौसम में या पानी में काम करने से हाथ-पैरों की त्वचा फटती हो तो ग्लिसरीन में नींबू का रस मिलाकर मलना चाहिए। नींबू के छिलके नाख़ूनों पर मलने से नाख़ून चमकदार होते हैं। हथेलियों, कोहनी और एड़ियों का कालापन मिटाने और मैल हटाने के लिए नींबू के छिलकों को प्रभावित हिस्सों पर घिसकर गुनगुने पानी से धोना चाहिए। राजीव जी की किताब से लिए गए नुस्खें जो आपको लाभ देगें.

शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

Oil massage important tips तेल मालिश कब और कैसे करें बहुत जरूरी जानकारी


कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर शिशु को बुखार हो या उसकी तबियत ठीक न हो, तो उसकी मालिश न करें। ज्योतिष विद्या के अनुसार शुक्रवार के दिन तेल लगाने से परहेज करना चहिए। बच्चे की मालिश करना बहुत जरूरी है क्योंकि मालिश से ही बच्चे की त्वचा को पोषण मिलता है. पर कई बार इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है कि बच्चे के लिए कौन सा तेल सबसे बेहतर होगा. इस बारे में हम पहले बात कर चुके हैं. आज मालिश का तरीका बताने जा रहे हैं.

यूँ तेल मालिश आप पूरे साल कर सकते हैं फिर भी बसंत और जाड़े का 3-4 माह का समय इसके लिए विशेष लाभकारी है। उगते सूरज की लालिमा में प्रातःकाल तेल मालिश करना सबसे अच्छा है। वैसे दिन में कभी भी खाली पेट तेल मालिश कर सकते हैं। तेल मालिश के समय शरीर पर कम से कम कपड़े रहने चाहिए; जैसे कि निक्कर, जांघिया, लंगोट आदि।

सामान्यतः मालिश खुले हवादार स्थान पर करनी चाहिए। शरीर निर्बल हो और तेज़ असह्य हवा चल रही हो तो बंद कमरे में भी मालिश कर सकते हैं। घर में यदि पति-पत्नी दोनों मौजूद हों तो परस्पर एक-दूसरे की मालिश कर सकते हैं। यह सुविधाजनक रहेगा, अन्यथा अपने शरीर की ख़ुद मालिश करें।

ज़मीन पर चटाई आदि बिछाकर बैठकर मालिश करें। जिस अंग की मालिश करें ध्यान उसी अंग पर एकाग्र रखें और मन में उमंग के भाव बनाएं। तेल मालिश नीचे के अंगों से शुरू करके ऊपर की ओर करनी चाहिए। अर्थात् पाँव के तलुओं से मालिश की शुरूआत करके क्रमशः पंजे, पिंडलियों, घुटनों, जाँघ, नितंब, कमर, पेट, सीना, पीठ, गर्दन, चेहरा और सिर तक पहुँचें। इसे यूँ कहें कि पहले दोनों पैरों की बारी-बारी से करें।

मालिश की दिशा हृदय की ओर होनी चाहिए। हाथ-पैर की मालिश पंजों से शुरू करें और कंधों व नितंब तक बढ़ें। पेट-कमर पर भी नीचे से ऊपर की ओर हृदय की दिशा में मालिश करें। पेट और सीने की मालिश गोलाकार हाथ घुमाते हुए भी करें। पीठ की मालिश रीढ़ स्थान से शुरू करके किंचित ऊपर दिशा में बाहर की ओर करें। गर्दन की मालिश अंदर से बाहर की ओर तथा चेहरे की मालिश गालों से कनपटी की ओर करें। सामान्य समझ इतनी रखें कि हृदय से निकली धमनियों की गति की विपरीत दिशा में मालिश विशेष लाभप्रद है।

अनावश्यक दबाव देने के बजाय हल्का दबाव देते हुए आहिस्ता-आहिस्ता मालिश करनी चाहिए। कम-से-कम 15-20 मिनट और ज़्यादा-से-ज़्यादा 45 मिनट तक मालिश करें। बच्चों की मालिश प्रातःकालीन सूर्य की रोशनी जहाँ पड़ती हो वहाँ करनी चाहिए। इससे उनके शरीर को विटामिन ‘डी’ आसानी से प्राप्त हो सकेगी। बच्चों की मालिश के लिए नारियल, सरसों, जैतून के तेल उत्तरोत्तर बेहतर हैं। गाय के घी या मक्खन से मालिश करें तो अति उत्तम। यह लेख राजीव जी की किताब से लिया गया है.

दक्षिण दिशा में प्रवेश द्वार कितना लाभ दे सकता है आपको जाने यहाँ....



किसी आवास का मुख्य प्रवेश द्वार सकारात्मक और नकारात्मक दोनो ऊर्जाओं को पार करने के लिए प्रवेश द्वार होता है । अधिकांश सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जाएँ यहाँ संचित हो जाती है और इसलिए आवास का यह हिस्सा अत्यंत सावधानी के साथ बनाए. घर का मुख वास्तु के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में हो। इन दोनों दिशाओं के बाद लोगों की तीसरी पसंद पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार वाला घर होता है लेकिन दक्षिण दिशा वाले मकान में लोग बसने से से पहले कई बार सोचते हैं.


यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले. सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें. 
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दक्षिण दिशा में प्रवेश द्वारों main gate एंट्रेंस की स्थिति एवं उनके प्रभाव

S1 घर में रहने वाले बच्चों (१४ वर्ष से कम आयु के लड़कों) के विकास पर बुरा प्रभाव. उनका व्यवहार माता-पिता की इच्छा के विपरीत रहता है.

S2 व्यापार के लिए अशुभ परन्तु बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले लोगों के लिए ठीक

types of energy fields develop in a building. If we divide 360 degree into 32 parts then energy field develops in each of that part of 11.25 degree, a devta is present in each of these 32 parts. What will be the effect of having an entrance door in each of these 32 parts has been described in Vāstu Shastra. We get the description of the effects and results a person will get with door located exactly at the place of each devta.

These energy fields are controlled by the five elements; their attributes change on the basis of 5-elements only. From E1 to E8 in the East, S1 to S8 in the South and similarly in West W1 to W8 and North (N1 to N8) directions, we get different locations of an entrance door.

No ❌ Vāstu remedies are required if entrance door is at the right ✔️ location but if it is wrongly located then there are 16 Vāstu Techniques with which we can get the good results.

S3 अत्यंत सफलता एवं समृद्धिदायक. भवन में रहने वाले साम, दाम, दंड, भेद द्वारा काम निकलवाने में दक्ष होते हैं.

S4 फक्ट्रियों एवं उद्द्योगों के लिए समृद्धिदायक. घर में लड़कों का जन्म अधिक होता है

S5 क़र्ज़कारक, कर्ज़ से मुक्ति में बाधाएँ. भवन निवासी अपनी समझ बुद्धि के सार्थक उपयोग में असमर्थ.

S6 अत्यधिक दरिद्रता का कारक. बिना वजह नुकसान पर नुकसान. भवनों के बिकने तक की नौबत.

S7 जीवन में उकताहट. सभी प्रयासों का फल निष्फल. हर श्रम गिरावट की ओर.

S8 सर्वाधिक गलत प्रवेश द्वार. वंश-खानदान से पूर्णतया कट जाना. धन एवंसंबंधों की हानि. जीवन के लिए खतरे का कारक.

गुरुवार, 16 अगस्त 2018

जब इन महोदय का ग्रह प्रवेश के बाद पड़ा पहला त्यौहार होली तो.......



यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले. सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें. 
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कब लिया ये मकान ?
- सर, जनवरी में
- शिफ्ट कब किया ?
- सर मार्च में होली से पहले
- किसी ने बताया नहीं कि गृहप्रवेश के बाद पहला त्यौहार होली नहीं पड़ना चाहिए. मैं मंगल ग्रह गया हुआ था क्या ? लेने से पहले मुझे क्यों नहीं दिखाया और न ही मुहूर्त निकलवाया ?
- भैया, मैंने इन्हें तीन बार कहा था, एक बार विश्वजीत जी को बुला कर उनकी नज़रों से निकलवा लो, इन्होनें आपको शायद फ़ोन भी किया था, पर आप शायद कहीं बिजी थे, तो respond नहीं कर पाये
- तो दोबारा कर लेता. अब भी तो किया ही....
- कितने का लिया?
- सर cost, ब्रोकर और रजिस्ट्री मिलाकर 70 के लगभग पड़ गया
- चोरी कब हुई?
- परसों. 85 हज़ार नक़द और 6 लाख का सामान गया.
- मतलब 77 का पड़ा ये आशियाना...6 लाख बच सकते थे अगर अपना दिमाग न लगाता. अब करना क्या है?
- सर, दोबारा चोरी-चकारी न हो. आप मकान को अपने तरीके से सेट कर दो. वैसे ही बहुत क्लेश हो गया है, क्या सोच के लिया था, क्या भुगतना पड़ गया !

.....ज़्यादातर ठोकर खाकर और मुहं के बल गिरकर दांत तुड़वा के ही आते हैं, जबकि हज़ार बार समझाया है ज्योतिष वास्तु का महातम्य !

मंगलवार, 14 अगस्त 2018

UNDERSTANDING IVF THRU ASTROLOGY



यह रिसर्च हमारे ज्योतिषी आश्विन रावल जी है. जो सशुल्क आपकी समस्या का समाधान कुंडली देखकर करते हैं. शादी, नौकरी, परिवारिक समस्या आदि परेशानियों का जबाब यह आपको दिन महीने और वर्ष के साथ समस्या का हल करके बताते हैं.  उनको ज्योतिष का ४० वर्षों से ज्यादा अनुभव हैं. आप उनसे ऊपर दिए गये नम्बर पर whatsApp करके सशुल्क परामर्श ले सकते हैं.  इस सेवा का लाभ जरुर लें.  यह मेटर कॉपीराइट है आश्विन रावल जी का.

Every female has the earnest desire to get motherhood or have a child in her laps after marriage. Every couple wants to enjoy 1 or 2 years without a child but after 2 years, parents are worried and they desire pregnancy. When 3 years passes without pregnancy then female herself is more worried about conception. Here starts medical check up and all treatments.

If scorpio or 8th house is afflicted with the malefic planets like Mars, Saturn, Rahu or Ketu then sperm count is low and motility is also weak in the male sperm report. If scorpio or 8th house is afflicted in the female chart then there is a problem with fallopian tubes or follicles problems in the ovaries. Remember only one malefic planet will not harm much but two malefics do affect. Ketu plays major role.

After some treatment if there is no result then Doctor advises for IVF or IN VITRO FERTILISATION.

What is IVF and how it is done ? Let us understand first.

Before IVF procedure the uterus is checked through Microscope to check the condition of ovaries and growth of follicles. Also the inside wall of the uterus. If follicles are not developed then hormones injection is given. If everything is ok then eggs are taken from follicles through catheter. The eggs and few drops of sperm are processed in a glass tube called Vitro. This is a micro process and done in special laboratory at a very low temperature.
After few days when embryo is ready it is planted in the Uterus again. Thats it.

The whole procedure is very costly. It costs One lac to 2 lac. If the fertilisation is not done in Vitro and fails then this huge money will be wasted and again new IVF date will be given by Doctors.

Here comes the Astrology. Every female has certain fertile days in a month. Now we have to take the help of astrological science and choose the most fertile day. For this we have to refer the rules and watch the transit of Moon. We will decide this from the female chart.

Note the Nakshatra of Lagna. Note the 7th, 14th and 21st Nakshatra also from this. So total 4 Nakshatras we have noted in the Lagna group.
Note the Nakshatra of Moon. Note the 14th Nakshatra from this Moon Nakshatra also. So total 2 Nakshatra in Moon group.
Now note the Nakshatra of Sun as per Sun's degree. Note the 14th Nakshatra from this. Total 2 Nakshatra in Sun group.

Total 8 Nakshatras are capable to create pregnancy. Sometime what happens that Some Nakshatras are common in all these 3 group so in that case there can be only 6 or 7 Nakshatras. Also remember that Common Nakshatra if any in the 2 or 3 group then that Nakshatra is most fertile for that lady.

Now as per menstruation cycle we have to note the date of MC. Leave 6 days after MC date. From 7th day to 23rd day we have to search the Nakshatra from the above list. The day on which one of the above listed Nakshatras is found we have to select that date for IVF.

But some important points we have to remember while choosing the Nakshatra.

Ketu should not be in that Nakshatra at the time of IVF. It may create miscarriage sometime.
If Rahu is in that Nakshatra at the time of IVF, then chances are there, that a soul of ex family member may enter the embryo later when foetus stage is developed. Rahu opens the door for the souls who are willing to enter the foetus due to their strong desire to take birth in the same family.
Saturn on that Nakshatra should also be avoided. Because when Moon touches that Nakshatra, Vish Yoga or Punarphoo dosha will be there so development of Embryos will be slow and child will be weak.
If Jupiter is aspecting Moon that day then be rest assured that IVF will be successful and healthy child will be born.

So this way we have to consider so many things to decide the date of natural conception and also IVF.

Also before deciding the IVF month we have to check the position of the planets after 9 months in the chart of husband and wife and confirm whether hereditary planets are repeated in the child or not. Because a child is born with the support of parents chart so certain combinations will be common in the child.

I have guided so many couples in past who had no child even after 6 7 years marriage and got result through natural conception and also through IVF by just following perfect time schedule as per both charts and applying above rules. ( But before doing all the calculations I always check KP horary that whether child birth is confirmed or not especially in much delayed cases. )

Astrology is a great science like medical science but no research work is done on progeny matters.

Ashwin Rawal 12.08.2018

शादी और मकान का समाधान है यहाँ.....



यह लेख आपकी उस समस्या की और इंगित करता है जिसकी वजह से आपकी जिन्दगी नरक बन सकती हैं. एक शादीशुदा जिन्दगी खुशहाल हो तो जीवन में आनद आता हैं. इसमें किसी भी प्रकार की परेशानी आपको कई समस्या लेकर आती हैं. इस समस्या पर यह आलेख है विश्वजीत जी का. जिन्होंने अपना अनुभव शेयर किया है.

पति महोदय ने तीन बरस पहले मुझसे दो मसलों पे राय ली थी - शादी और खुद का मकान. शादी का बताया कि जिस लड़की से ब्रेकअप-सा हुआ है, उसी से होगी, २०१६ में होगी और उसके बाद अपने मकान में शिफ्ट होगा. मकान कभी भी ख़रीद सकता था, लेकिन तथाकथित स्वयंभू महान पण्डितों के अनुसार, उसे कभी भी अपने खरीदे हुए मकान में नहीं रहना चाहिए था. खैर... मैं जनवरी २०१६ में हुई इस शादी को अटेंड नहीं का सका और न ही उसके बाद हुए गृहप्रवेश पर जा सका. साक्षात् महालक्ष्मी स्वरूपा भाग्याशालनी से विवाह हुआ.

अब बच्चा नहीं हो रहा है...

देश की सेकंड बेस्ट महंगी IVF स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने 7-8 लाख लगवा दिये, जिसकी कतई ज़रूरत ही नहीं थी. दोनों की कुण्डली में निसंतान्ता-योग ही नहीं है, बीज-स्फुट भी पर्याप्त हैं. दिक्कत सिर्फ प्रॉपर टाइमिंग की थी, घर के बेतरह पटरी से उतरे वास्तु दोष् की थी. ज़ोन बलेंसिंग की थी. म्यूच्यूअल अंडरस्टैंडिंग की थी. ये वो मसले थे, जिनको थोड़ी सी मेहनत से ही संभाला जा सकता था.

दोनों को पहले साथ-साथ, फिर अलग-अलग अक्ल दी. अब उनके घर जाकर बेबी कन्सीव करने योग्य वास्तु सम्मत परिवेश बनाना है, एक वैदिक कैलेन्डर भी बना कर देना है, कब-कब संतान-सुख हेतु अग्रसर होना है, जिसमें एक स्वस्थ दीर्घायु कुलदीपक किलकारियां मारने पधारे. अगर इसी महीने मैंने वो घर संभाल लिया, तो दिसम्बर तक #खुशखबरी पक्की !!

इनके साले जी की पिछले बरस १८ अप्रैल को टिपिकल पंजाबी-मुल्तानी स्टाइल में शादी हुई. रोके से शादी वाले दिन तक ये रिश्ता तीन बार टूटते-टूटते बचा. क़ुदरत तो हमेशा की तरह अपना काम कर ही रही थी, लेकिन कोई समझदार वहां नहीं था, जो उसका इशारा समझता....आखिरकार, शादी हो ही गई !

अब लड़की के घरवाले लड़के पर माँ-बाप से अलग रहने का दबाव बनाने लगे. लड़का पुष्य नक्षत्र प्रथम पद का जन्म. मैं बता नहीं सकता कि ऐसा गऊ समान लड़का मैंने आखरी बार कब देखा होगा. मुझसे बात करते हुए उसकी आवाज़ में एक रुआँसा कम्पन था जो तब बंद हुआ जब मैंने उसकी डायमंड रिंग उतरवा कर उसकी बहन को संभलवा दी. ऐसी तंत्रित करवाई हुई थी वो सवा लाख टकी अंगूठी. लड़की भाग्यहीना, घर की दुश्मन, अवगुणों की खान, अमावस्या की पैदाइश, घर का कामकाज़ तो छोड़ो, पति को एक ग्लास पानी भी न पूछे. फ़ुल नौटंकीबाज़, दो बार में सब कुछ समेट के मायके जाकर बैठी हुई है अब २५ दिनों से....ये सब बेहाल-परेशां, अब आगे क्या करें ! लड़के का खानदान निहायत शरीफ़ और इज्ज़तदार.

शराफ़त का अंदाज़ा सिर्फ़ इसी बात से लगा सकते हैं, कि बावजूद मेरे ये बताने के, कि इस केस में कोई होप नहीं है, डाइवोर्स ही एकमात्र उपाय है, अगले 6 बरस तक उस लड़की के ग्रह-नक्षत्र भयानक विपरीत हैं, तुम सबका जीना मुहाल कर देगी, सब कुछ हड़प भी सकती है, वो बार-बार मुझसे सिर्फ़ यही पूछता रहा, हुकुम - मैं छ साल भुगत लूँगा, फिर तो ठीक हो जायेगा ना !

उसकी इस करुण याचना के सामने मैं बेबस था. उस लड़की की मंशा ये सीधे-सादे बन्दे समझ नहीं पा रहे थे. और खुद कबूतर बनकर सामने झपटने को तैयार बैठी बिल्ली को देख कर आंख मूँदे बैठे थे कि बिल्ली चली गई....ऐसे खुर्राट बिल्लियाँ भागी हैं कभी !

इन्हें मार-भगाया जाता है....

अब इसके घर को आने वाले कोरट-कचहरी के लिए सक्षम करना है. इस लड़के को इसके हाल पे छोड़ दिया तो ये कहीं का नहीं रहेगा.

किसना की गाय है ये....
यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले. सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें. 
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