किसी आवास का मुख्य प्रवेश द्वार सकारात्मक और नकारात्मक दोनो ऊर्जाओं को पार करने के लिए प्रवेश द्वार होता है । अधिकांश सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जाएँ यहाँ संचित हो जाती है और इसलिए आवास का यह हिस्सा अत्यंत सावधानी के साथ बनाए. घर का मुख वास्तु के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में हो। इन दोनों दिशाओं के बाद लोगों की तीसरी पसंद पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार वाला घर होता है लेकिन दक्षिण दिशा वाले मकान में लोग बसने से से पहले कई बार सोचते हैं.
यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले. सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें.
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दक्षिण दिशा में प्रवेश द्वारों main gate एंट्रेंस की स्थिति एवं उनके प्रभाव
S1 घर में रहने वाले बच्चों (१४ वर्ष से कम आयु के लड़कों) के विकास पर बुरा प्रभाव. उनका व्यवहार माता-पिता की इच्छा के विपरीत रहता है.
S2 व्यापार के लिए अशुभ परन्तु बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले लोगों के लिए ठीक
types of energy fields develop in a building. If we divide 360 degree into 32 parts then energy field develops in each of that part of 11.25 degree, a devta is present in each of these 32 parts. What will be the effect of having an entrance door in each of these 32 parts has been described in Vāstu Shastra. We get the description of the effects and results a person will get with door located exactly at the place of each devta.
These energy fields are controlled by the five elements; their attributes change on the basis of 5-elements only. From E1 to E8 in the East, S1 to S8 in the South and similarly in West W1 to W8 and North (N1 to N8) directions, we get different locations of an entrance door.
No ❌ Vāstu remedies are required if entrance door is at the right ✔️ location but if it is wrongly located then there are 16 Vāstu Techniques with which we can get the good results.
S3 अत्यंत सफलता एवं समृद्धिदायक. भवन में रहने वाले साम, दाम, दंड, भेद द्वारा काम निकलवाने में दक्ष होते हैं.
S4 फक्ट्रियों एवं उद्द्योगों के लिए समृद्धिदायक. घर में लड़कों का जन्म अधिक होता है
S5 क़र्ज़कारक, कर्ज़ से मुक्ति में बाधाएँ. भवन निवासी अपनी समझ बुद्धि के सार्थक उपयोग में असमर्थ.
S6 अत्यधिक दरिद्रता का कारक. बिना वजह नुकसान पर नुकसान. भवनों के बिकने तक की नौबत.
S7 जीवन में उकताहट. सभी प्रयासों का फल निष्फल. हर श्रम गिरावट की ओर.
S8 सर्वाधिक गलत प्रवेश द्वार. वंश-खानदान से पूर्णतया कट जाना. धन एवंसंबंधों की हानि. जीवन के लिए खतरे का कारक.
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