शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

Oil massage important tips तेल मालिश कब और कैसे करें बहुत जरूरी जानकारी


कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर शिशु को बुखार हो या उसकी तबियत ठीक न हो, तो उसकी मालिश न करें। ज्योतिष विद्या के अनुसार शुक्रवार के दिन तेल लगाने से परहेज करना चहिए। बच्चे की मालिश करना बहुत जरूरी है क्योंकि मालिश से ही बच्चे की त्वचा को पोषण मिलता है. पर कई बार इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है कि बच्चे के लिए कौन सा तेल सबसे बेहतर होगा. इस बारे में हम पहले बात कर चुके हैं. आज मालिश का तरीका बताने जा रहे हैं.

यूँ तेल मालिश आप पूरे साल कर सकते हैं फिर भी बसंत और जाड़े का 3-4 माह का समय इसके लिए विशेष लाभकारी है। उगते सूरज की लालिमा में प्रातःकाल तेल मालिश करना सबसे अच्छा है। वैसे दिन में कभी भी खाली पेट तेल मालिश कर सकते हैं। तेल मालिश के समय शरीर पर कम से कम कपड़े रहने चाहिए; जैसे कि निक्कर, जांघिया, लंगोट आदि।

सामान्यतः मालिश खुले हवादार स्थान पर करनी चाहिए। शरीर निर्बल हो और तेज़ असह्य हवा चल रही हो तो बंद कमरे में भी मालिश कर सकते हैं। घर में यदि पति-पत्नी दोनों मौजूद हों तो परस्पर एक-दूसरे की मालिश कर सकते हैं। यह सुविधाजनक रहेगा, अन्यथा अपने शरीर की ख़ुद मालिश करें।

ज़मीन पर चटाई आदि बिछाकर बैठकर मालिश करें। जिस अंग की मालिश करें ध्यान उसी अंग पर एकाग्र रखें और मन में उमंग के भाव बनाएं। तेल मालिश नीचे के अंगों से शुरू करके ऊपर की ओर करनी चाहिए। अर्थात् पाँव के तलुओं से मालिश की शुरूआत करके क्रमशः पंजे, पिंडलियों, घुटनों, जाँघ, नितंब, कमर, पेट, सीना, पीठ, गर्दन, चेहरा और सिर तक पहुँचें। इसे यूँ कहें कि पहले दोनों पैरों की बारी-बारी से करें।

मालिश की दिशा हृदय की ओर होनी चाहिए। हाथ-पैर की मालिश पंजों से शुरू करें और कंधों व नितंब तक बढ़ें। पेट-कमर पर भी नीचे से ऊपर की ओर हृदय की दिशा में मालिश करें। पेट और सीने की मालिश गोलाकार हाथ घुमाते हुए भी करें। पीठ की मालिश रीढ़ स्थान से शुरू करके किंचित ऊपर दिशा में बाहर की ओर करें। गर्दन की मालिश अंदर से बाहर की ओर तथा चेहरे की मालिश गालों से कनपटी की ओर करें। सामान्य समझ इतनी रखें कि हृदय से निकली धमनियों की गति की विपरीत दिशा में मालिश विशेष लाभप्रद है।

अनावश्यक दबाव देने के बजाय हल्का दबाव देते हुए आहिस्ता-आहिस्ता मालिश करनी चाहिए। कम-से-कम 15-20 मिनट और ज़्यादा-से-ज़्यादा 45 मिनट तक मालिश करें। बच्चों की मालिश प्रातःकालीन सूर्य की रोशनी जहाँ पड़ती हो वहाँ करनी चाहिए। इससे उनके शरीर को विटामिन ‘डी’ आसानी से प्राप्त हो सकेगी। बच्चों की मालिश के लिए नारियल, सरसों, जैतून के तेल उत्तरोत्तर बेहतर हैं। गाय के घी या मक्खन से मालिश करें तो अति उत्तम। यह लेख राजीव जी की किताब से लिया गया है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Featured post

इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं

महिलाएँ ...इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं।   तो ये है इस फ़ार्मूले का राज... 👇 जन्म वर्ष के केवल आख़री दो अंकों क...