शनिवार, 11 अगस्त 2018

exact remedy for weight loss मोटापा दूर करने के इससे अचूक उपाय नहीं जानते होंगे आप


मोटापा दूर करने के लिए दरअसल आहार को कम करने के बजाय उसे संतुलित करने की ज़रूरत है। भोजन में ऐसी चीजें शामिल करनी चाहिए जो कम वसायुक्त हों और जिनका ऊर्जामान (कैलोरी) कम हो, परंतु वे शरीर के लिए ज़रूरी पोषकता की पूर्ति करने वाली हों।
आहार संतुलन के बाद विहार में भी संतुलन ज़रूरी है। अर्थात् पूरे दिन में से कुछ समय आपको शारीरिक श्रम के लिए अवश्य ही निकालना चाहिए। जितनी ऊर्जा शरीर को भोजन से मिलती है अगर उससे ज़्यादा श्रम में ख़र्च होती है तो समझिए कि मोटे लोगों के लिए सार्थक परिणाम निकल सकते हैं। आहार-विहार को संतुलित करते हुए मोटापा घटाने का फिलहाल एक कार्यक्रम दिया जा रहा है, मोटे लोग इसे अपनाएं और लाभ उठाएं-
1. 6-7 घण्टे की पर्याप्त नींद लेने के बाद सबेरे जल्दी उठने की आदत बनाएं। उठने के बाद सबसे पहले 1 गिलास गुनगुनेे गरम पानी में 2 चम्मच नींबू का रस और दो चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर गटागट पी जाएं। अब कुछ देर टहलने के बाद शौच के लिए जाएं।
2. शौचादि से निवृत्त होकर कम से कम 3-4 किलोमीटर तेज़ क़दमों से टहलने निकलें, हो सके तो थोड़ी दौड़ भी लगाएं। याद रखें धीरे-धीरे चहलक़दमी करने से मोटापे पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। टहलने के बाद समय हो तो कुछ योगासन व्यायाम करें। टहलने के बजाय चाहें तो केवल आसन व्यायाम से भी काम चला सकते हैं। आसनों में सूर्यनमस्कार, उत्तान पादासन, हलासन, धनुरासन, जानुशिरासन, वक्रासन, ताड़ासन, पश्चिमोत्तान आसन, भुजंगासन, पवनमुक्तासन में से पहले आसान आसनों से शुरूआत करके धीरे-धीरे जितने आसन कर सकें, करें। उड्डियान बंध तथा भस्त्रिका प्राणायाम भी करें। आसन-व्यायाम फ़़ुरसत हो तो सबेरे शाम दोनों समय खाली पेट कर सकते हैं; और बेहतर परिणाम मिलेगा। इतना अवश्य समझ लें कि आसन-व्यायाम योग्य व्यक्ति से सीख-समझकर ही शुरू करना चाहिए।
3. नाश्ता हल्का-फुल्का करें। कोई एक क़िस्म का एक पाव फल या फल का रस लें। 50 ग्राम मँूग में थोड़ा गेहूँ, थोड़ी मेथी मिलाकर अंकुरित करके सेंधा नमक और नींबू का रस मिलाकर भी नाश्ते के रूप में सेवन कर सकते हैं। दूध पीते हों तो मलाई उतारकर एक पाव दूध में आधा चम्मच सोंठ तथा 6-7 मुनक्का या थोड़ा अंजीर डालकर उबालें और गुनगुना रहने पर पिएं। चाय पीने का इरादा हो तो अदरक या सोंठ, तुलसी, काली मिर्च, लौंग, इलायची, मुलहठी आदि जड़ी-बूटियों की चाय इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह की आयुर्वेदिक चाय गुरुकुल कांगड़ी, दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट (स्वामी रामदेव), गायत्री परिवार, संत आसाराम बापू आश्रम आदि की बनी हुई मिलती है।
4. मोटापे से ग्रस्त लोगों को दोपहर और शाम के भोजन में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। तेल, घी से बनी वसायुक्त और ज़्यादा प्रोटीन व कार्बाेज युक्त चीज़ों का सेवन हर हाल में सीमित कर देना चाहिए। भोजन से पहले पर्याप्त मात्रा में सलाद खाएं। हरी सब्ज़ियों की मात्रा भरपूर रखें और गेहूँ की रोटी कम खाएं। अगर मोटापे की समस्या ज़्यादा हो तो कम से कम एक माह के लिए गेहूँ की रोटी खाना एकदम बंद कर दें। इस दौरान जौ के आटे से बनी रोटी भोजन में लें या साबुत चने में जौ मिलाकर पिसवा लें। इस आटे की रोटी स्वादिष्ट भी लगेगी। 10 किलो चना हो तो दो किलो जौ मिलाएं तो अच्छा लाभ मिलेगा। दालों में छिलकायुक्त मूँग, मसूर का सेवन बेहतर रहेगा।
चिकित्सा के शुरू में यदि एकाध हफ़्ते तक सिर्फ़ मौसमी फल, फलों के रस, सलाद और हरी सब्ज़ियों व दाल पर ही निर्वाह करें तो अच्छा है। इसके बाद धीरे-धीरे जौ की रोटी सेवन करना शुरू करें। एक डेढ़ माह बाद गेहूँ की रोटी खाना शुरू कर सकते हैं। दोनों समय का भोजन इसी तरह का करें। शाम को सोने से दो-तीन घण्टे पूर्व भोजन कर लेना हितकर है। क़ब्ज़ियत दूर करने के लिए एनिमा ले सकते हंै या सोने से पूर्व एक गिलास गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच त्रिफला में दो चम्मच ईसबगोल मिलाकर सेवन करें। त्रिफला के स्थान पर आँवले का चूर्ण भी ले सकते हैं। वैसे भी भोजन आदि के साथ ताज़ा या सूखे आँवले का चूर्ण, जो भी मिले, अवश्य सेवन करें।
दोपहर के भोजन के साथ मलाई रहित दूध से जमाई दही या छाछ भी ले सकते हैं। इससे मोटापा घटाने में मदद मिलेगी। भोजन में यह पूरा सुधार अपनाते हुए इतना याद रखें कि शुरू में एक हफ़्ते तक फल-सब्ज़ियों पर निर्वाह करने के बाद अचानक ही ढेर सारी रोटियाँ न खाना शुरू कर दें। एक-दो रोटी से शुरू करके धीरे-धीरे रोटियों की संख्या यथोचित मात्रा तक बढ़ाएं।
मोटापा, ख़ासतौर से पेट और कमर का, घटाने के लिए एक अच्छा प्रयोग यह है कि दोनों समय भोजन करने के तुंरत बाद आधा गिलास उबला हुआ गर्म पानी चाय की तरह जितना गर्म पी सकें पी जाएं। यह प्रयोग डेढ़-दो माह तक कर सकते हैं। इसे बहुत लंबे समय तक नहीं चलाना चाहिए। यह प्रयोग प्रसव के बाद महिलाओं के पेट बढ़ने की समस्या में विशेष लाभप्रद है। गठिया, क़ब्ज़, गैस, यकृत रोग, मासिक धर्म की अनियमितता, आँखों के नीचे के कालेपन आदि में भी गर्म पानी का प्रयोग काफ़ी हितकर है।
दोपहर और शाम के भोजन में 8-9 घण्टे का अंतराल हो तो बीच में 3 या 4 बजे तक कोई हल्का पेय या फल लें। थोड़े भुने चनों के साथ आयुर्वेदिक चाय लेकर भी काम चला सकते हैं।
इतने उपायों पर अमल करते हुए आप कुछ दिनों में मोटापे की समस्या पर तो विजय पा ही जाएंगे, आपके पोर-पोर में स्फूर्ति का भी संचार होगा। इन उपायों के साथ चाहें तो बायोकैमी की कल्केरिया फास 3x या 6गx, काली फास 3x, काली म्यूर 6x, नेट्रम म्यूर 3x तथा साइलीशिया 12x नामक दवाओं की एक-एक टिकिया मिलाकर एक घूँट गरम पानी के साथ दिन में तीन-चार बार जब तक मोटापा न कम हो जाए तब तक सेवन कर सकते हैं। याद रखें कि बायोकैमिक दवा की टिकिया निगलने के बजाय जीभ पर रखकर चूसनी होती है। यह उपाय सोने पर सुहागा का काम करेगा। इसके अलावा चरित्रगत विशेषताओं के आधार पर चुनी गई कई होम्योपैथी औषधियाँ भी मोटापा घटाने में अच्छा प्रभाव दिखा सकती हैं। राजीव दीक्षित जी के किताब से लिए गए यह उपाय बहुत ही कारगर 

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