मंगलवार, 15 जनवरी 2019

व्यापार में हो रहा है नुकसान तो करें यह उपाय


अपरिहार्य परिस्थितिवश यदि ऋण लेना ही है तो बुद्धवार को बुद्ध की होरा में ले सकते हैं. बहुत ही जल्दी उतर भी जायेगा.

किसी भी मंगलवार से मंगल की होरा में अपने कर्ज़े उतारने के शुरुआत कीजिये. आपको पता भी नहीं चलेगा कि कैसे और कब आप ऋणमुक्त हो भी गये.

गुरु अकेला द्वितीय, पंचम और सप्तम भावस्थ हो तो धन, पुत्र और स्त्री के लिए सर्वदा अनिष्टकारक होता है. जिस भाव का जो ग्रह माना गया है, यदि वह अकेला उस भाव में हो तो उस भाव को बिगाड़ता है.

निवासकर्ता की नाम राशि से गांव की राशि यदि 2, 5, 9, 10, 11वीं हो तो उत्तम तथा 1, 3, 4, 7वीं हो तो सम तथा 6, 8 व 12वीं हो तो निषिद्ध समझना चाहिए। इसी तरह काकिणी, नराकृति आदि विचारों के द्वारा भी शुभकारक गांव का चयन करना चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति का व्यापार न चल रहा हो, या घाटे-नुकसान में घिसट रहा हो, तो यह उपाय शुक्लपक्ष के किसी भी शुक्रवार को सूर्योदय से दो घन्टे चौबीस मिनट के भीतर कर सकते हैं. प्रातः स्नान से निवृत होकर अपने इष्ट्देव अथवा देवी माँ की विधिवत पूजा करे और खोये के पेड़ों का भोग लगाये. इसके पश्चात् खोये के पेड़ों का प्रसाद स्वयं न खाकर, अपने कर्मचारिओं को एक रूपए के सिक्के सहित बांटे. प्रसाद, व्यक्ति की धर्मपत्नी अथवा माता जी बांटे. इस दिन घर के अन्य सदस्य अपना आहार-विहार पूर्णतयः सात्विक रखें. कैसा और कितना जल्द काया-कल्प होगा।

लग्न में राहु और सप्तम भाव में केतु हो और अन्य ग्रह इन दोनों के मध्य भावस्थ हों तो इसके कारण व्यक्ति निरन्तर मानसिक रूप से अशान्त रहता है. जीवन में अस्थिरता, कपट-बुद्धि, प्रतिष्ठा-हानि, वैवाहिक जीवन का दुःखमय होना, इत्यादि प्रभाव देखने को मिलते हैं. व्यक्ति को कामयाबी हासिल करने के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ता है.
उपाय : गले में हमेशा चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने क्षेम नक्षत्रानुसार पूर्ण विधि-विधान एवं अनुकूल मुहूर्त में अपने दैवज्ञ ज्योतिषी के निर्देशानुसार धारण करें. समय तो लगेगा, लेकिन इन दुश्वारियों से छुटकारा निश्चित ही मिल जायेगा.

जान जोखिम में न डालें तो बेहतर

इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि नवमी और चतुर्दशी (कृष्ण और शुक्ल - दोनों पक्ष की) तिथि को, अमावस्या और पूर्णिमा को, सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण वाले दिन से एक दिन पूर्व और एक दिन बाद तक के तीन दिवस, मंगल जिस दिन राशि-परिवर्तन कर रहे हों, शनि जिस दिन वक्री हो रहे हों अथवा मार्गी हो रहे हों, जिस दिन मंगल-शनि की युति हो रही हो अथवा एक-दूजे को सप्तम दृष्टि से देख रहे हों, चन्द्र्मा अष्टम भावस्थ हो - इन दिनों को हमेशा के लिये किसी भी प्रकार की यात्रा हेतु ब्लैक-लिस्टेड कर दीजिये.



यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले. सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें. 
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कौन सा शहर आपको लाभ देगा या हानि जाने ऐसे

जिस गांव या नगर में हम बसने जा रहे हैं उसके पहले यह जान लेना आवश्यक है कि वह गांव या नगर वास्तु शास्त्र के अनुरूप प्रतिष्ठित है या नहीं। अर्थात उपयुक्त दिशा व उपयुक्त स्थानों में उस गांव में देव मंदिरों की स्थिति, विभिन्न जाति वर्णों के अनुसार वासव्यवस्था तथा जलाशय आदि की व्यवस्था वास्तु के अनुरूप है या नहीं। जो गांव वास्तुशास्त्र के अनुरूप है वहीं बसने के लिए भूमि का चयन करना चाहिए। इसके बाद वह गांव किसके लिए अनुकूल है और किसके लिए प्रतिकूल यह भी जान लेना चाहिए। निवासकर्ता की नाम राशि से गांव की राशि यदि 2, 5, 9, 10, 11वीं हो तो उत्तम तथा 1, 3, 4, 7वीं हो तो सम तथा 6, 8 व 12वीं हो तो निषिद्ध समझना चाहिए। इसी तरह काकिणी, नराकृति आदि विचारों के द्वारा भी शुभकारक गांव का चयन करना चाहिए।

जानिए धन-ऋण संबंधी कांकणी विचार---

इस सूत्र द्वारा भूमि चयन करने के लिए सर्वप्रथम उपर्युक्त द्वितीय विधि से अपने नाम और वांछित नगर के नाम का वर्ग जान लेना चाहिये।इसके बाद धन-ऋण का विचार करना चाहिये।
यथा- नागेश का नाम-वर्गांक हुआ- ५ एवं पटना का ग्राम वर्गांक हुआ- ६
अब इन दो अंकों से क्रमशः दो बार क्रिया करके धन-ऋण की जानकारी करेंगे।
यथा- १. (नाम × २ + ग्राम) ÷ ८ = नाम कांकणी
२. (ग्राम × २ + नाम) ÷ ८ = ग्राम कांकणी
अब, (नागेश- ५ × २ + पटना- ६) ÷ ८ = शेष 0 नाम कांकणी
(पटना- ६ × २ + नागेश- ५) ÷ ८ = शेष १ ग्राम कांकणी
यहाँ हम देखते हैं कि नाम की काकिणी कम है, ग्राम की कांकणी से।परिणाम यह होगा कि पटना नगर नागेश के लिये हमेशा आर्थिक दृष्टि से हानिकारक होगा। इसी सूत्र से विचार करने का एक और तरीका ऋषियों ने सुझाया है,जिसमें संख्यायें तो वे ही होंगी, किन्तु गणना भिन्न रीति से करना है।
अंकस्य वामागति - गणितीय सूत्रानुसार नाम-ग्राम,और ग्राम-नाम की स्थापना करे।पूर्व रीति से आठ का भाग देकर शेष का फल विचार करे।यथा-
नाम-ग्राम- ६५ ÷ ८ = शेष १ नाम काकिणी अथवा नाम ऋण
ग्राम-नाम- ५६ ÷ ८ = शेष ० ग्राम काकिणी अथवा नाम धन
इस तरह से धन-ऋण की अधिकता का विचार करेंगे।उपर के उदाहरण में नाम का धन ० है,और ऋण १ है।अतः नागेश के लिये पटना में रहना आर्थिक रूप से हानिकारक होगा।
उक्त दोनों उदाहरण मूलतः एक ही सूत्र की, अलग-अलग ऋषियों की व्याख्यायें हैं।अतः किसी संशय की बात नहीं।

जानिए की कैसे करे काकिणी विचार या प्रयोग ???

अवर्ग, कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग, यवर्ग व शवर्ग ये आठ वर्ग हैं। यहां अवर्ग आदि गणना क्रम से वासकर्ता के नाम की संख्या जो हो उसे दो गुना कर गांव वर्ग संख्या को उसमें जोड़ दें और उसमें आठ का भाग देने पर जो शेष बचता है वह गांव की काकिणी होती है। इसके बाद वासकर्ता और गांव के काकिणी का अंतर करने पर जिसकी काकिणी अधिक बचती है वह अर्थदायक होता है।
नराकृतिचक्र विचार: ---

यहां सर्वप्रथम एक नराकार ग्राम शुभाशुभ ज्ञानबोधक चक्र लिखना चाहिए। इसके पश्चात ग्राम नक्षत्र से व्यावहारिक नाम नक्षत्र तक गिने। अब नराकृति चक्र से मस्तक में पांच नक्षत्र लिखें। यहां यदि गृह स्वामी का नाम नक्षत्र हो तो वह ग्राम धनादि लाभकर होता है।

उसके बाद तीन नक्षत्र मुख में लिखें, मुख में नाम नक्षत्र के होने से वासकर्ता की धनहानि होती है। इसी तरह कुक्षि आदि में नक्षत्रों का न्यास कर फल का विचार करना चाहिए।

इस तरह वास्तुशास्त्रानुसार ग्राम का चयन कर उसमें किस दिशा में वास्तु का चयन करें, यह विचार करना चाहिए। जैसे गृहपति का नाम वर्गांक, ग्रामवर्गांक तथा दिशावर्गांक इन तीनों वर्गांकों का योग कर नौ से भाग देकर जो एक आदि शेष बचे उसका निम्प्रकार से उद्वेग आदि फल समझना चाहिए-

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

खेलना छोड़ किताबों से प्यार करने लगेगा आपका बच्चा जब करेगे यह उपाय

सारा ध्यान सिर्फ खेल में और पढाई से बेपरवाह है आपका बच्चा तो डब्लूएसडब्ल्यू में स्टडी टेबल को स्थानांतरित करें या डब्ल्यूएसडब्ल्यू में किताबें लगाएं और ईएनई में खिलौने रख दें
मकर का शनि, द्वादश भावस्थ हो, तब तो शुभ हो सकता है, नहीं तो घर-गृहस्थी वालों को तो खाने तक के लाले पड़ 'सकते' हैं.
आपके शुक्र से नवम में गुरु हो तो आपकी पत्नी की अपने मायके वालों से हमेशा अनबन रहेगी. न खुद जायेगी और न उनका ही आना पसंद करेगी.
अश्विनी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति को पिता से ज्यादा, अपने मामा से सहारा मिलता है. वैसे अन्य बाहरी लोग भी मददगार होते हैं.
सप्तमस्थ शनि मकर या कुंभ में हो और सूर्य लग्नस्थ हो, तो विवाह में अवश्य ही बाधा आएगी एवं विलम्ब भी अपेक्षित है, वो भी खासा.
मकर का शनि, द्वादश भावस्थ हो, तब तो शुभ हो सकता है, नहीं तो घर-गृहस्थी वालों को तो खाने तक के लाले पड़ 'सकते' हैं.
ईस्ट फेसिंग है तो क्या तोप हो गया! एंट्रेंस E6 हो तो फॅमिली और धंधे, दोनों की गुडविल की धज्जियाँ उड़ा देता है ये प्रवेश द्वार.
N7 का प्रवेश द्वार जवाँ हो रही लड़कियां परिवार की परंपरा और आदर्शों के दायरे से मुक्त हो स्वछंदता के लिये विद्रोही आचरण करती हैं.
कोर्ट केस के लिये वकील तो करें ही, साथ में NW में अशोक स्तम्भ स्थापित करें और एक तलवार टांगें. ये तो विनिंग बेस रेडी हो गया अब.
बुद्ध से द्वादश भाव में राहु का होना एक विलक्षण योग है. तेज बुद्धि और सॉलिड स्मरणशक्ति के साथ किसी भी सब्जेक्ट में टॉपर बन सकता है.
मृगशिरा पुत्री का विवाह पूर्वाफाल्गुनी लड़के से फ़िक्स करने से पहले अपने दैवज्ञ से मशविरा करें. विवाह होते ही वैधव्य योग संभावित है.
पुष्य नक्षत्र वाला अपने विवेक बुद्धि को ताक पर रखकर और बिना अपनी कमियां जाने, अपनी पत्नी पर शक़ करेगा. सो कुण्डली पहले ही मिलवा लो.
गुरु, एकादश भावस्थ हो तो एक ओर तो बड़े भाई का पोषण करना पड़ सकता है, दूसरी ओर, औलाद के दुराचारी निकलने की सम्भावना भी बहुत होती है.
ग्रह-गोचर सब अनुकूल, लेकिन गर्भाधान में दिक्कत आ रही है तो बेडरूम चेक कीजिये ना. SSW या ESE या WNW में है क्या.
वृश्चिक लग्न वाले पुत्र का यदि चन्द्र्मा और मंगल, दोनों सप्तमस्थ हैं, तो बालिग होते ही ब्याह कर दीजिये और व्यापार शुरू करवाइये.


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सोमवार, 17 दिसंबर 2018

कितनी लाभ देगा नौकरी में ट्रांसफर खुद से जाने


कई बार, जहाँ हम पैदा हुए और परवान चढ़े, उस अपने ही शहर में काम नहीं बन पाता और हम कहीं और ठिकाना बनाने की सोचने लगते हैं. लेकिन फिर लाख टके का सवाल सामने आ जाता है कि
जाएँ तो जाएँ कहाँ......
ज्योतिष में इसका बहुत सरल हल दिया हुआ है. अपनी नाम राशि से दूसरी, पांचवीं, नवीं, दसवीं और ग्यारहवीं नाम राशि हो उस शहर की, तो फिर वो स्थान बहुत फलता है अर्थात शुभफलदायक है आपका माइग्रेशन....
जैसे मेरा उदहारण लीजिये. मेरे नाम विश्वजीत से मेरी नाम राशि हुई वृषभ....
वृषभ को पहली राशि मानते हुये गिनना शुरू करें, तो नवीं राशि हुई मकर.
मकर राशि के अक्षर = भो, जा, जी, खो, खू, खे, खो, गा, गो
मैं अपने जन्म-स्थान मेरठ से जयपुर शिफ्ट हुआ और रिजल्ट आपके सामने है
यदि मैं मेरठ में ही रह जाता तो क्या मैं विश्वजीत बन पाता ?
कभी नहीं !
वृषभ से चौथी राशि है सिंह, जिसके नामाक्षर हैं - मा, मी, मू, मे, मो इत्यादि - यहाँ मैं कभी वो सफलता हासिल नहीं कर पाता जो मझे जयपुर ने दी....
इसके अलावा भी अनेकों फैक्टर्स होते हैं, लेकिन पहला स्टेप यदि सही पड़ जाये तो...पहला लाख कमाने में ज़माने भर की कठिनाई पेश आ सकती हैं, अगले लाख नहीं....
वो तो आप फिर उस ज़मीन पर धसक दे के पैदा करते हो सरकार..


पत्नीजी का बुद्ध अष्टम भाव में स्त्री राशि में है तो आपके घर का कोई राज़, राज़ नहीं रहेगा. दुनिया को आपके बेडरूम तक के किस्से पता है.

अशुभ वास्तु क्षेत्र में टॉयलेट हो, तो फ्लश के रास्ते मल ही नहीं, अपितु आपका कमाया हुआ माल भी ड्रेनआउट हो जाता है.

धनु लग्न हो और गुरु अष्टम भावस्थ हो तो एक सम्भावना तो अति प्रबल है. दरिद्रता या वंशक्षय.
सूर्य से छठे भाव में राहु हो, तो नौकरी का ही मन बनाये रखिये. व्यापार करेंगे, तो दुश्मनी बहुत होगी.

विवाह का दिन निश्चित करते समय सबसे महत्वपूर्ण कारज होता है, एक ऐसे शुभ लग्न का चयन करना जो दोनों संभावित वर-वधु को समान रूप से फलदायी हो. लग्न निश्चित करते समय, यदि षष्ठ, सप्तम और अष्टम भाव में कोई ग्रह न ही हो तब तो अति उत्तम. और यदि कोई ग्रह हो भी, तो वह शुभ ग्रह होना चाहिये, जैसे बुद्ध या गुरु या शुक्र, लेकिन उनका शुभुत्व वर-वधु के जन्मांग से मेल भी खाता हो. दैवयोग से यदि ऐसा लग्न निश्चित हो भी हो गया, तो फिर देखिये कि नवम भाव में शनि अथवा राहु तो नहीं है ! यदि हैं, तो फिर इस बात की सम्भावना भी बहुत बलवती होगी कि नवविवाहित को संतान का सुख नहीं मिलेगा अर्थात संतान नहीं होगी.



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शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018

रामबाण उपाय सूर्य ग्रह की दुर्बलता दूर करने के लिए


यदि किसी की जन्म-कुण्डली में सूर्य, चित्रा नक्षत्र के चतुर्थ अंश में तथा स्वाति नक्षत्र के प्रथम अंश (परिक्रमा कक्षा की 183.20 डिग्री से 190.00 डिग्री) के बीच स्थित हो तो...रामबाण उपाय- मुख में मीठा रखकर पानी पियें. ऐसा नित्य प्रातःकाल निराहार अवस्था में करें और आजीवन प्रत्येक माह सूर्य संक्रांति के दिन, निर्धनों में गेहूं और गुड़ वितरित करें. इस दान के कारण पेट तथा हृदय की समस्याओं का निवारण होता है और व्यक्ति के ऊपर सूर्य की दुर्बलता के कारण पड़ने वाले दुष्प्रभाव हट जाते हैं.

कारकांश कुण्डली में पंचमस्थ राहु और मंगल यदि चन्द्र्मा से दृष्टिगत हों तब टीबी रोग होने की सम्भावना है. चेकअप करवा लेना बेहतर होगा।

स्त्री-योनि वर्ग में - भरणी, कृतिका, रोहिणी, आर्द्रा, अश्लेष, माघ, पूर्वफाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्व-आषाढ़, उत्तर-आषाढ़ धनिष्ठा तथा रेवती नक्षत्र में जन्मे जातक आते हैं.
इस योनि में उत्पन्न नर-जातक अमूमन हर स्तर पर पराधीन होते हैं. देखा गया है कि वे घर में अथवा कर्म-क्षेत्र में भी, स्त्रियों से आदेश प्राप्त करते हैं. वे स्वतन्त्र विचार के नहीं होते, वरन वे घोड़े जैसे होते हैं, जिन्हें सवार की आवश्यकता होती हैं, अर्थात उन्हें मार्गदर्शन कराने वाला होना चाहिए.
इस योनि में उत्पन्न स्त्री-जातक सामान्यतः अपने पति के साथ दास तुल्य व्यवहार करती हैं। प्रायः मामलों में देखा गया है कि उनके प्रति नकारात्मक व्यवहार के कारण उनके पति या तो शराब के व्यसनी हो जाते हैं अथवा दूसरी स्त्रियों की तरफ आर्कषित हो जाते हैं.
दशमेश यदि दशमस्थ ही हो, तो क्रिस्टल क्लियर फ़लादेश हेतु विंशोत्तरी दशा का नहीं, अपितु चतुर्शितीसमा दशा पद्धति का प्रयोग करना चाहिये।
द्वादश भावस्थ शुक्र - मेष, सिंह या धनु राशिगत हो तो झगड़ालू पत्नी से ही नहीं, वरन अपने नाजायज़ सम्बन्ध तक निभाने की कोशिश करते हैं.



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शनिवार, 8 दिसंबर 2018

आत्मबल बढ़ाना है तो पढ़े हनुमान चालीसा


SSE में कट होना या ब्लैक-ब्लू कलर होना काफी है क्षीण आत्मबल के लिए. बिना गुर्दे के क्या तीर मार लोगे. आत्मबल श्रीहनुमानचालीसा।

27 को जन्मे लोगों का सबसे बड़ा दुश्मन, उनका क्रोध और आवेशित स्वभाव है. वाणी और व्यवहार में नियंत्रण रख लिया, तो ही कामयाबी मिलेगी.

ESE में सोने से, योग करने से, प्रार्थना करने से या मैडिटेशन करने से क्या हासिल होता है ?
घबराहट, बेसिरपैर की चिंताएं और डिप्रेशन

स्वाति नक्षत्र में जन्मे पुरुषों का वैवाहिक जीवन बहुत अनुकूल नहीं होता. वैसे परिवार से बाहर वालों को वे संतुलित व्यवस्थित दिखते है.
ज्येष्ठ और शतभिषा नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों का परस्पर विवाह संबंध, दोनों के ही परिवारों के लिए बहुत अनिष्टकारी होता है.

इस वर्ष दूसरी छिमाही में अपने कुछ क्लाइंट्स के घर में, जिन्हें अपने परिजनों के सपोर्ट की दरकार थी और साथ ही साथ, बैंकों आदि से धन्धा चलाने के लिए रुप्पैया भी चाहिये था, मैंने एक प्रयोग किया. प्रयोग का आईडिया तो #ज्योतिष से आया, लेकिन वास्तु में इसके अद्भुत रिजल्ट्स मिले. नार्थ-वेस्ट में #चंद्र्देव का चित्र अथवा मूर्ति पूर्ण श्रद्धा, विनय और आस्था के साथ अनुकूल मुहूर्त में प्रतिष्ठित करें और प्रतिदिन #श्रीअन्नपूर्णा स्त्रोतम का जप करें. आपकी अपेक्षाओं से भी #जल्दी परिणाम मिलेंगे. जो परिजन साथ नहीं दे रहे या बैंकों वाले चक्कर पे चक्कर लगवा रहे हैं. सब लाइन हाज़िर हो जायेंगे.

१ को जन्मे व्यक्ति का व्यापारिक साझेदार यदि ९ को जन्मा व्यक्ति है तो ये साझेदारी ३ पीढ़ी तक चलती है. दोनों पल-पल कमाते ही जाते हैं.
२८ वालों को जीवन में आगे बढ़ने व अपने आप को विकसित करने हेतु अत्यधिक परिश्रम की ज़रूरत होगी. मूलांक २-३-५ वालां सूं कोई आस मते राखजो।

घर का SW कटा / बढ़ा हुआ है या वहां रसोई / शौचालय बना हुआ है या हरे / लाल रंग हों तो ये नाकामयाबी की प्रमुख वजह है जिसे यू-टर्न दें.

लग्न कोई भी हो...

सूर्य #द्वितीय भावस्थ और बृहस्पति #तृतीय भावस्थ हो अथवा सूर्य #पञ्चम भावस्थ और बृहस्पति #षष्ठ भावस्थ हो अथवा सूर्य #सप्तम भावस्थ और बृहस्पति #अष्टम भावस्थ हो अथवा सूर्य #एकादश भावस्थ और बृहस्पति #द्वादश भावस्थ हो तो, #अतिअशुभयोग बनता है.

इनको असीम धैर्य धारण करके वैदिक उपायों के सहारे इस #दारिद्रयायोग से मुक्ति पाने का प्रयास करना चाहिये.

लेकिन, यदि सूर्य #नवमस्थ हैं और बृहस्पतिदेव #दशमस्थ, तो फिर बल्ले-बल्ले . संतान-सुख, संपत्ति, मान-सम्मान-अधिकार सब #सौख्य प्राप्त होते हैं


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शनिवार, 3 नवंबर 2018

स्वयं जाने आपका काम होगा या नहीं


यदि क्लाइंट आपसे अचानक आ कर अथवा बिना अपॉइंटमेंट लिये कॉल करे और यह पूछे कि हमारा काम (कोई भी) कब तक होगा, तो उस समय को बिलकुल सही-सही सेकंड्स में भी नोट कर लें. फिर प्रश्न कुण्डली बनायें. उस समय की तिथि संख्या, वार संख्या और नक्षत्र संख्या का योग कर, योगफल को 3 से गुणा कर 6 और जोड़ दें. इस योगफल में 9 का भाग देने से यदि;

1 शेष रहे, तो एक पक्ष में काम हो जायेगा.
2 शेष रहे, तो एक मास में काम बन जायेगा.
3 शेष रहे, तो एक ऋतु में काम बन जायेगा.
4 शेष रहे, तो एक अयन अर्थात ६ मास में काम बन जायेगा.
5 शेष रहे, तो एक दिन में काम बन जायेगा.
6 शेष रहे, तो एक रात में काम बन जायेगा.
7 शेष रहे, तो एक प्रहर में काम बन जायेगा.
8 शेष रहे, तो एक घटी में काम बन जायेगा.
9 शेष रहे, तो एक मिनट में काम हुआ समझो.

जैसे, शीतल भाई पटेल पूछने आये कि मेरा कार्य कितने समय में होगा?

जिस दिन आये, उस दिन षष्ठी तिथि, गुरुवार और मघा नक्षत्र था. इन तीनों की संख्या का योग 6 + 5 + 10 = 21 x 3 = 63 + 6 = 69 / 9 = लब्ध 6 अर्थात एक रात भर में काम हो जायेगा.


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