गुरुवार, 25 जुलाई 2024

दुर्लभ त्रिवेणी वृक्ष प्रयोग



लेखक - पी. ए. बाला

आज आपको ऐसे दुर्लभ और अचूक प्रयोग के बारे में बताऊंगा जो कभी विफल नही होगा , यह प्रयोग उन सभी कार्यों को प्रतिपादित करने में सहयोग करेगा, जिसको करने में आपने कई प्रयास किये हैं, बार बार किये हैं । यहाँ कार्यों के प्रयास की बात हो रही है, न कि उपायों और प्रयोगों की ... जैसे आप नौकरी पाने का बहुत प्रयास किये, शादी का, रोग मुक्ति का, संतान होने के लिए इत्यादि बहुत से कार्य जो आप के अथक प्रयासों के बावजूद फलित नही हो रहे हैं । ऐसे कार्यों को फलित करने के लिए एक दुर्लभ दिव्य प्रयोग बता रहा हूँ , यह प्रयोग जितना सरल है उतना कठिन भी है, क्योंकि इस प्रयोग में आपको ऐसे पीपल, बरगद, नीम का पेड़ चाहिए होगा जो बिल्कुल आपस में जुड़े हुए हों, उनकी जड़ एक हो , आपस में तने, शाखाएं मिली हुई हों आपको बस एक पेड़ ऐसा ढूंढना है, एक बार ऐसा वृक्ष मिल जाये तो फिर बाकी प्रयोग सरल है , प्रयोग इस प्रकार से है :
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उपरोक्त बताया वृक्ष मिल जाने पर आप किसी भी दिन यह प्रयोग कर सकते हैं , इसमें आपको देसी गाय (गिर गाय) के घी का दिया इस वृक्ष के नीचे सात बार जलाना है , जलाने का तरीका इस प्रकार है कि पहले तीन दिन आपको दिया अनवरत जलाना है , इसके बाद सात दिन बाद एक बार फिर उसके भी सात दिन बाद एक बार, फिर उसके 15 दिन बाद एक बार और फिर उसके 15 दिन बाद एक बार और आखिरी बार जिस दिन दीपक जलावें उस दिन त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) तीनों को प्रणाम करके उनको निमंत्रण देना है कि आप तीनों की दिव्य शक्ति का मैं आह्वान करता हूँ, वह सदा मेरे साथ रहें , ऐसा कह कर घर आ जाएं । अब ऊपर बहुत आसान तरीके से प्रयोग को समझा दिया है फिर भी मुझे पता है कि कई लोगों को यह समझ नही आएगा , तो एक सरल तरीके से और समझा देता हूँ । मान लीजिए आपने कल यानी 16 जुलाई को पहला दीपक जलाया तो 17, 18 जुलाई को क्रमशः दूसरा और तीसरा दीपक जलाएंगे , फिर चौथा दीपक सातवें दिन यानी 25 जुलाई को जलाएंगे और फिर उसके सातवें दिन 1 अगस्त को जलाएंगे , फिर पंद्रहवें दिन 16 अगस्त को जलाएंगे और अंतिम दीपक उसके पंद्रहवें दिन यानी 31 अगस्त को जलाएंगे । आशा करता हूँ कि अब सबको समझ आ जायेगा, अगर अब भी समझ न आये तो फिर प्रयोग मत कीजियेगा । अब इस प्रयोग के कुछ नियम और निर्देश हैं , जो इस प्रकार हैं :
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यह प्रयोग किसी भी दिन शुरू किया जा सकता है ।
इस प्रयोग में केवल देसी गिर गाय के घी का प्रयोग करें
इस प्रयोग में बीच में कोई दिन रविवार को पड़ जाए तो यह नही सोचें कि रविवार को पीपल पर दीपक नही जलता है, दीपक जला सकते हैं, रविवार को पीपल का स्पर्श नही कर सकते ।
इस प्रयोग की अवधि में ही आपका कार्य सिद्ध हो जाएगा, ऐसा होने पर भी प्रयोग पूरा करें ।
महिलाएं अगर यह प्रयोग करती हैं, और बीच में महावारी के समय अपने परिवार के किसी भी सदस्य से उस दिन दीपक जलवा सकती हैं, फिर ठीक होने पर खुद अनवरत करें ।
यह प्रयोग बताये तीनों वृक्ष एक साथ मिले हुए हों उसी पर करें, कोई भी दो वृक्ष मिले उस पर यह प्रयोग न करें या अलग अलग तीनों वृक्षों पर न करें ।
अंतिम दिन त्रिदेवों को बताये अनुसार आह्वान करना न भूलें ।
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तीन पेड़ पीपल, बरगद, नीम का पेड़ परस्पर एक दूसरे से मिले हों , उसको वृक्ष की त्रिवेणी कहा जाता है, और माना जाता है ऐसी जगह पर ब्रह्म शक्ति का निवास माना जाता है । ऐसा स्थान बेहद पवित्र होता है । यह प्रयोग वर्तमान ब्रह्मलीन 116 वर्षीय दंडी स्वामी जी के श्रीमुख से निकल हुआ है, जो बहुत पहुंचे हुए निस्वार्थ सेवा संत थे । इसे हल्के में न लेवें और जैसा बताया है, वैसा ही करें, अपने हिसाब से उसमें कुछ भी घटाए या बढ़ाएं नही ।

वैवाहिक जीवन की अशांति दूर करने वाला प्रयोग

 


लेखक - पी. ए. बाला

बृहस्पतिवार को दो चम्मच दही में एक चुटकी हल्दी मिला कर, सात सफेद फूलों को उसमें डुबाकर एक एक करके अपनी दोनों आँखों पर लगाएं, और वापिस कटोरी में छोड़ते जाएं, सातों फूलों से यह क्रिया करने के बाद यह कटोरी लेकर शिवलिंग पर ले जाकर पूरी सामग्री शिवलिंग पर चढ़ा देवें , फिर जल चढ़ाकर सारी सामग्री बहा देवें , वापिस घर लौटते समय शिव मंदिर की दहलीज की इक्कीस बार अपने हाथ से दाएं से बाएं और बाएं से दाएं साफ करें, मुट्ठी बन्द कर के घर आ जाएं और घर आकर मुट्ठी खोल कर अपने मस्तक पर लगा लेवें । पूरी प्रक्रिया में किसी से बात न करें, चुपचाप अपना काम करें । यह उपाय जीवनसाथी के चरित्र को भी ठीक करता है और किसी भी कारण आपके वैवाहिक जीवन में अशांति हो एक बार में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा।



हर समस्या खत्म होगी आक के दूध के इस चमत्कारी प्रयोग से

 

लेखक - पी. ए. बाला

1. आक के दूध में हल्दी मिला कर एक सफेद कागज़ पर किसी लकड़ी की कलम से पति,पत्नी दोनों का नाम लिख कर फोल्ड कर के , अलमारी में छुपा कर रख देवें, जीवन भर क्लेश नही होगा, दोनों एक दूसरे के लिए जीवनभर समर्पित रहेंगे ।



2. आक दूध में कुमकुम मिला कर किसी भी लकड़ी की कलम से सफेद कागज़ पर अपनी समस्या लिख कर एक छोटी शीशी में डाल कर, नदी या तालाब, झील में डाल देवें, हर समस्या खत्म होगी ।

3. आक दूध में काजल मिला कर किसी भी लकड़ी की कलम से सफेद कागज़ पर शत्रु का नाम लिख कर ,किसी भारी वस्तु के नीचे दबा देवें, शत्रु आपका अहित नही करेगा, और आपके सामने आकर खड़ा भी नही होगा । 

4. आक दूध में कस्तूरी इत्र (white musk) मिला कर एक सफेद कागज़ पर ,किसी भी लकड़ी की कलम से अपनी मनोकामना लिखें, उसको फोल्ड करके धूप देवें, और अपने पॉकेट में रखें , कैसी भी मनोकामना हो, शीघ्र पूर्ण होगी । 

5. आक दूध में , रोगी के पसीने को मिला कर किसी भी लकड़ी की कलम से सफेद कागज़ पर रोगी का नाम लिख कर एक छोटी शीशी में डाल कर , आक के पौधे के नीचे दबा देवें , कैसा भी सामान्य रोग हो ठीक हो जाएगा, बड़े जानलेवा रोग की शुरुआती स्टेज हो, वह भी ठीक हो जाएगा ।

शत्रु बाधा निवारण प्रयोग - 2

 लेखक : पी. ए. बाला

आज पोस्ट में आपको शत्रु को शांत और आपकी तरफ से ध्यान हटा लेने के एक अति तीव्र और तुरंत प्रभावकारी उपाय के बारे में बताता हूँ । यह प्रयोग तब ही करें जब आप पूरी तरह से निर्दोष हों और शत्रु बहुत कुकर्मी, दुष्ट हो..कभी कभी कुछ लोग होते हैं , जो बेवजह आपको परेशान करते हैं, आपके जीवन में बार बार रोड़े अटकाते हैं, वह आपके कार्यस्थल पर हो सकते हैं, वह आपके पड़ोसी, रिश्तेदार, दोस्त भी हो सकते हैं , ससुराल में भी ऐसे लोग हो सकते हैं , जिनका ध्येय और जीवन का एक मात्र लक्ष्य ही यह है कि आपको खुश नही देख सकते , ऐसे में व्यक्ति बहुत हताश हो जाता है कि करे तो क्या करे ? वह किसी का बुरा नही करना चाहता पर बात जब अपने परिवार और भविष्य की रक्षा के लिए हो तो फिर उसको लगता है कि कुछ भी करके दुश्मन को शांत कर दिया जाए । यह प्रयोग दुश्मन को परेशानी देने का है कि जिसमें वह खुद अपनी समस्याओं में इतना घिर जाएगा कि वह आपकी तरफ से सोचना और आपको परेशान करना बंद कर देगा । यह प्रयोग बेहद सरल है, जो इस प्रकार से है । 


यह प्रयोग उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में किया जाने वाला है, इसकी जानकारी आप पंचांग से ले सकते हैं (सुविधा के लिए 2024 में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र कब रहेगा, उसका चार्ट कमेंट बॉक्स में डाल दूंगा ) आपको बरगद पेड़ की लकड़ी का 2.5 इंच लकड़ी का टुकड़ा हाथ में लेना है, आसन बिछा कर बैठ जाएं, और निम्नलिखित मन्त्र को 7 बार पढ़ कर उस लकड़ी पर 3 फूंक मारें, यह मन्त्र स्वयं सिद्ध है इसीलिए इसे सिद्ध करने की आवश्यकता नही है, इस अभिमंत्रित लकड़ी को शत्रु के घर फेंक दीजिये या छुपा दीजिये, शत्रु अपनी ही परेशानियों में घिर जाएगा और आपका अहित करने की सोचेगा भी नही ... यह प्रयोग गलत नियति से करने पर फलित नही होगा, आप वास्तविक पीड़ित होंगे तब ही यह फलित होगा । मन्त्र इस प्रकार है : 

ॐ जलयं जुल ठ: ठ: स्वाहा ।।

Om jalayam jula thah thah swaha ।।

शत्रु बाधा मुक्ति प्रयोग

 लेखक - पी. ए. बाला

शत्रु बाधा मुक्ति के लिए कल मेरे द्वारा एक प्रयोग दिया गया था, जोकि सरल था..पर कई लोगों का कहना था कि शत्रु अगर दूर रहता हो, घर में ही हो, या हम उसके घर नही जा सकते, क्योंकि उस प्रयोग में अभिमंत्रित बरगद की लकड़ी शत्रु के घर फेंकनी थी, तो इस समस्या निवारण के लिए आज एक अलग प्रयोग दे रहा हूँ, जिसमें आप घर बैठे बैठे शत्रु को परेशान व अपने लिए शांत कर सकते हैं । प्रयोग इस प्रकार है : 



आपको यह प्रयोग शनिवार को करना है, पर इसमें प्रयुक्त होने वाले लोहे के चौकोर टुकड़े को आप शनिवार को न खरीदें, आपको एक पतला लोहे का चौकोर टुकड़ा लेना है, उस पर चित्र में दिखाए अनुसार यंत्र, काले मार्कर पेन से बना लेना है । इस यंत्र के नीचे आप शत्रु का नाम भी लिख सकते हैं, इस यंत्र को अग्नि में चिमटे की मदद से तपाना है, जिससे यह बिल्कुल लाल हो जाये, तपाते हुए आपको अपने शत्रु को याद करते रहना है, उसका नाम लेते रहें , जब यह पूरी तरह से लाल हो जाये तो आप इसे घर के बाहर फेंक देवें, घर से बाहर फेंकते हुए ध्यान रहे इससे किसी जानवर या व्यक्ति का नुकसान न हो , यह एक ही बार करने का प्रयोग है । इससे दुश्मन को असहनीय पीड़ा होगी, और अपनी तकलीफों में घिरा रहेगा, उसके द्वारा अगर आप पर कोई तंत्र क्रिया करवाई है तो वह उसी पर लगेगी , वह आपकी तरफ से ध्यान हटा लेगा ।

इस यंत्र को शनिवार को अशुभ काल जैसे राहु काल, यमघण्ट काल, गुलिकाल में ही तैयार करें , इसकी जानकारी आप अपने स्थानीय पंचांग से पता कर सकते हैं।


शुक्रवार, 28 जून 2024

किस तिथि को जन्में है आप

 प्रतिपदा तिथि के जातक कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं से जूझते हैं और अपनी सफलता का फल भोगना भूल जाते हैं।

द्वितीया तिथि में जन्मे लोग अपने परिवार से जुड़े होते हैं और परिवार के प्रत्येक सदस्य से पुष्टि करने के बाद ही निर्णय लेते हैं।

तृतीया के जातक बहुत जल्दी प्रतिक्रिया करते हैं और हर जगह अपना साहस दिखाना चाहते हैं।

चतुर्थी तिथि के जातकों को संचार संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और अपने ही भाई-बहनों से ईर्ष्या का सामना करना पड़ता है।

पंचमी तिथि के जातकों को अपनी डिग्री प्राप्त करने में संघर्ष का सामना करना पड़ता है। 

षष्ठी तिथि के जातक शरारती होते हैं और उनमें लड़ाई-झगड़े की ऊर्जा होती है।

सप्तमी तिथि के जातकों को पैरों और संपत्तियों से जुड़ी समस्याएँ होती हैं। उन्हें उन चीज़ों को छोड़ना सीखना पड़ता है जिनसे वे प्यार करते हैं। 

नवमी तिथि में, आप अपनी छवि को लेकर बेहद संवेदनशील होते हैं और परिवार के खिलाफ़ नहीं जाते। 

दशमी तिथि को लोग कई प्रतिभाओं/शौक के साथ व्यस्त रहते हैं और पेशे/जुनून/कर्म/शिक्षा आदि के शीर्ष बिंदु/उच्चतम ग्रेड को प्राप्त करना चाहते हैं।

एकादशी तिथि में जन्मे लोगों को रचनात्मक करियर अपनाना चाहिए, 9-5 की ज़िंदगी उनके लिए नहीं है। 

त्रयोदशी में, व्यक्ति अपने काम से जुड़ा नहीं होता है और बिना दुखी हुए बिना किसी परेशानी के नौकरी छोड़ सकता है। 

चतुर्दशी के जातक अपने प्रियजनों को खोने के दर्द को जानते हैं और उन लड़ाइयों से लड़ने की कोशिश करते हैं जो दूसरे नहीं लड़ रहे हैं। 

पूर्णिमा में जन्मे जातकों को कोई भी उन्हें नियंत्रित करना पसंद नहीं होता है और उनके काम करने के तरीके बेहद खास होते हैं जो दूसरों को परेशान करते हैं।

अमावस्या - कोई भी दग्धा राशि सभी प्रकार की ऊर्जाओं के साथ इतनी अनुकूल नहीं होती है क्योंकि उन्हें परिवार के सदस्यों की तुलना में दूसरों से सहायता और समर्थन की आवश्यकता होती है। परिवार के किसी सदस्य/रिश्तेदार के भावनात्मक अधिकार के तहत रहना जो उन्हें हर समय परेशान करता है और स्वतंत्रता चाहता है।


ब्लैक पर्ल जिसका भारतीय ज्योतिष में उपयोग नहीं, लेकिन फिर भी......

Najoomi ji Article

यह ब्लैक पर्ल है भारतीय ज्योतिष में उपयोग नहीं किया जाता है तथा भारतीय ज्योतिष में कहीं भी इसका उल्लेख भी नहीं है, परंतु पर्शियन ज्योतिष में थोड़ा बहुत उल्लेख जरूर है तथा अधिकतर यूरोपियन और पश्चिम में महिलाएं गले में नेकलेस के जैसे इसका प्रयोग करती हैं।

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इसके जो प्रयोग मेरे हिसाब से थे जिनका भी जन्म अमावस के दिन हुआ हो चंद्र राहु,चंद्र केतू, चंद्र शनि, सूर्य राहु, सूर्य केतु का योग हो दृष्टि हो, चंद्रमा किसी भी रूप में पीड़ित हो चंद्रमा तृतीय में हो,अष्टम में हो , दशम हो द्वादश भाव में हो किसी भी प्रकार की मानसिक डिप्रेशन हो, स्त्रियों को चेहरे की कोई समस्या हो, स्किन से सबन्धित परेशानी हो अत्यंत लाभ देने वाला है।
हालांकि मेरे से सीधे डायरेक्ट संबंध बहुत कम है परंतु जिन्हें मैने स्वंय ज्योतिष की शिक्षा दी उनके द्वारा कम से कम 2000 यह स्टोन लोगों को दिए जा चुके हैं मेरे हाथ से भी कई लोगों को दिए गए आखिर में लुधियाना में रहने वाले लगभग जितने भी जेम्स स्टोन सप्लायर को मैं जानता हूं उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए कि अब मेरे पास भी नहीं है , यानी कि स्टॉक खत्म हो चुका है।
हालांकि प्राकृतिक ताहितियन मिलना थोड़ा असंभव है लेकिन जो कल्चरल ब्लैक पर्ल उपलब्ध है वह भी उतने ही उपयोगी हैं ₹20 से ₹40/60 रत्ती में होलसेल मार्केट में उपलब्ध है वैसे तो मोतियों को पहनने की इंडेक्स फिंगर या फिर लिटिल फिंगर में मानता है पर मेरा सुझाव हमेशा ही रिंग फिंगर में पहनने का है किसी सोना या फिर प्लैटिनम जैसे महंगे धातु की जगह चांदी में पहनना ज्यादा उपयोगी है।
वजन में लगभग 2 ग्राम या 10 रत्ती तक पहना जा सकता है जिन्हें भी अपने आसपास उपलब्ध हो और जो सबसे ऊपर बातें निम्नलिखित लिखकर बताई गई है पहन सकते हैं, "मुहूर्त का कोई कोई खास विधान नहीं है बनवाने के बाद किसी भी धर्मस्थल के पानी से धोकर विग्रह के आगे रखकर परमात्मा से हाथ जोड़कर प्रार्थना करने के बाद धारण किया जा सकता है यह मुहूर्त सिर्फ इसके लिए ही नहीं हर प्रकार के रत्न धारण करने के लिए सबसे सरल मुहूर्त यही है यही विधान है" ।

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