।।राम।।
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लेखक: पी. ए. बाला
तो आइये आपको ऐसे उपाय के बारे में बताता हूँ जो अपने आप में ही सर्वश्रेष्ठ है ।
लेखक - पी. ए. बाला
दिव्य तांत्रिक उपाय : बहुत वर्ष पूर्व मैं एक बहुत सघन समस्या में घिर गया, उससे निकलने के लिए मैंने एक साधनागत उपाय प्राप्त किया, अब चूंकि यह साधनागत उपाय था तो सफल होने की गारंटी तो थी, पर इतनी जल्दी असर करेगा, यह मैंने नही सोचा था, वह इस प्रकार है : एक मुट्ठी गेहूं लेकर एक कटोरी में रख कर रात भर सिरहाने रख कर सोएं, सुबह उठते ही पलंग से उतरें नही और इस कटोरी को दोनों हाथों से पकड़ कर एकटक दृष्टि से उसे देखते रहें, और अपनी पूरी नकारात्मक ऊर्जा यानी अपनी समस्या उसमें उड़ेल देवें अर्थात ऐसा देखते हुए सोचें कि इसमें मैं अपनी सारी समस्या भर रहा हूँ, और फिर स्नानादि करके, बिना कुछ खाये अपने शहर के किसी भी बड़े मुख्य मंदिर के मुख्य दरवाजे के सामने सड़क पर यह गेहूं फेंक कर चले आएं । उस समय मैं जयपुर रहता था तो यह प्रयोग मैंने जयपुर के गोविंददेवजी जी जो कि जयपुर का मुख्य मंदिर है के मुख्य द्वार के सामने सड़क पर किया था, यह प्रयोग मैंने सांय 4 बजे किया था, और सात बजे वह समस्या हल भी हो गयी थी । इसमें यह ध्यान रखें कि इस प्रयोग को जिस मन्दिर के सामने करें , उस मंदिर के दर्शन उस दिन प्रयोग करने से पहले और बाद में न करें ।
लेखक - पी. ए. बाला
हर व्यक्ति और उसका जीवन अपने आप में प्रभु का वरदान है, भले नरक सी जिंदगी भी अगर हम भोग रहे हैं तब भी भगवान ने हमें वह क्षमता और सहूलियत दी है, जिससे हम अपने कष्टों को न्यून या खत्म कर सकते हैं । प्रारब्ध, पूर्व और इस जन्म के कर्म इत्यादि का फल तो मिलता है , और मिलता रहेगा ..पर फिर भी भगवान की कृपा से अगर हम संयमित जीवन जिएं तो निश्चित ही दुःख और तकलीफों से रक्षा होगी । कुंडली और ग्रह-विज्ञान व्यक्ति के जीवन का खाका है, जो हमें बताता है कि हमारा जीवन कैसे गुजरेगा, कब कौनसा समय हमारे लिए अच्छा है, कौनसा बुरा और कौनसा सबसे बुरा है । हमें करना सिर्फ इतना होता है कि बुरे समय का पता लगा कर या महसूस करके अपने आपको संयमित कर लें , पर अधिकतर हम ऐसा नही करते , और हम अपनी आदतों से , कर्मों से और निर्णयों से बुरे समय में और बुरा कर रहे होते हैं , जिससे अच्छे समय का फल भी हम नही भोग पाते, यहाँ स्थिति नीम चढ़े करेले के जैसी हो जाती है । अब प्रश्न उठता है कि आखिर करें तो क्या करें ? तो जैसा ऊपर मैंने बताया कि हर व्यक्ति खुद अपने आप में एक दिव्य पुंज है, हर व्यक्ति के अंदर अपनी एक खुद की दिव्य अलौकिक शक्ति मौजूद होती है, जरूरत है हमें उसे सिर्फ जागृत करने की , हम नकारात्मक विचार, क्रियाओं से अपनी उस ऊर्जा को कमजोर कर चुके होते हैं, गंदी कर चुके होते हैं , एक दम से तो हम इसे जागृत नही कर सकते पर निम्नलिखित विधि द्वारा कुछ दिनों व महीनों में हम इस ऊर्जा से फिर से जुड़ सकते हैं , एक बार जुड़ने के पश्चात हम देखेंगे कि जिन समस्याओं के निवारण के लिए हम भटक रहे थे, वह खुद ब खुद हल होती जा रहीं हैं , शुरुआती दौर में छोटी छोटी समस्याओं का निवारण होगा, उसके बाद जैसे जैसे आप इस क्रिया में आगे बढ़ेंगे, आप देखेंगे कि बड़ी समस्याओं से भी आपको मुक्ति प्राप्त हो रही है , यह क्रिया बिना किसी पर प्रपंच और आडम्बर के है , बस इस क्रिया में आपको नित्य सिर्फ 10 मिनट का समय देना है , चित्र में दिया गया मन्त्र अपनी दिव्य अलौकिक ऊर्जा को जागृत करने का अति प्रभावशाली मन्त्र है, जिसकी विधि इस प्रकार है :
एक ऐसा उपाय जो कार्य सिद्धि के लिए श्रेष्ठ ही नही बल्कि सर्वश्रेष्ठ है, आपकी कोई भी समस्या हो तंत्र का यह सात्विक और बेहद चमत्कारी प्रयोग आपके कार्य और मनोकामना में सिद्धि दिलवाएगा । प्रयोग इस प्रकार है:
महिलाएँ ...इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं। तो ये है इस फ़ार्मूले का राज... 👇 जन्म वर्ष के केवल आख़री दो अंकों क...