शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

दक्षिण दिशा में प्रवेश द्वार कितना लाभ दे सकता है आपको जाने यहाँ....



किसी आवास का मुख्य प्रवेश द्वार सकारात्मक और नकारात्मक दोनो ऊर्जाओं को पार करने के लिए प्रवेश द्वार होता है । अधिकांश सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जाएँ यहाँ संचित हो जाती है और इसलिए आवास का यह हिस्सा अत्यंत सावधानी के साथ बनाए. घर का मुख वास्तु के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में हो। इन दोनों दिशाओं के बाद लोगों की तीसरी पसंद पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार वाला घर होता है लेकिन दक्षिण दिशा वाले मकान में लोग बसने से से पहले कई बार सोचते हैं.


यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले. सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें. 
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दक्षिण दिशा में प्रवेश द्वारों main gate एंट्रेंस की स्थिति एवं उनके प्रभाव

S1 घर में रहने वाले बच्चों (१४ वर्ष से कम आयु के लड़कों) के विकास पर बुरा प्रभाव. उनका व्यवहार माता-पिता की इच्छा के विपरीत रहता है.

S2 व्यापार के लिए अशुभ परन्तु बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले लोगों के लिए ठीक

types of energy fields develop in a building. If we divide 360 degree into 32 parts then energy field develops in each of that part of 11.25 degree, a devta is present in each of these 32 parts. What will be the effect of having an entrance door in each of these 32 parts has been described in Vāstu Shastra. We get the description of the effects and results a person will get with door located exactly at the place of each devta.

These energy fields are controlled by the five elements; their attributes change on the basis of 5-elements only. From E1 to E8 in the East, S1 to S8 in the South and similarly in West W1 to W8 and North (N1 to N8) directions, we get different locations of an entrance door.

No ❌ Vāstu remedies are required if entrance door is at the right ✔️ location but if it is wrongly located then there are 16 Vāstu Techniques with which we can get the good results.

S3 अत्यंत सफलता एवं समृद्धिदायक. भवन में रहने वाले साम, दाम, दंड, भेद द्वारा काम निकलवाने में दक्ष होते हैं.

S4 फक्ट्रियों एवं उद्द्योगों के लिए समृद्धिदायक. घर में लड़कों का जन्म अधिक होता है

S5 क़र्ज़कारक, कर्ज़ से मुक्ति में बाधाएँ. भवन निवासी अपनी समझ बुद्धि के सार्थक उपयोग में असमर्थ.

S6 अत्यधिक दरिद्रता का कारक. बिना वजह नुकसान पर नुकसान. भवनों के बिकने तक की नौबत.

S7 जीवन में उकताहट. सभी प्रयासों का फल निष्फल. हर श्रम गिरावट की ओर.

S8 सर्वाधिक गलत प्रवेश द्वार. वंश-खानदान से पूर्णतया कट जाना. धन एवंसंबंधों की हानि. जीवन के लिए खतरे का कारक.

गुरुवार, 16 अगस्त 2018

जब इन महोदय का ग्रह प्रवेश के बाद पड़ा पहला त्यौहार होली तो.......



यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले. सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें. 
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कब लिया ये मकान ?
- सर, जनवरी में
- शिफ्ट कब किया ?
- सर मार्च में होली से पहले
- किसी ने बताया नहीं कि गृहप्रवेश के बाद पहला त्यौहार होली नहीं पड़ना चाहिए. मैं मंगल ग्रह गया हुआ था क्या ? लेने से पहले मुझे क्यों नहीं दिखाया और न ही मुहूर्त निकलवाया ?
- भैया, मैंने इन्हें तीन बार कहा था, एक बार विश्वजीत जी को बुला कर उनकी नज़रों से निकलवा लो, इन्होनें आपको शायद फ़ोन भी किया था, पर आप शायद कहीं बिजी थे, तो respond नहीं कर पाये
- तो दोबारा कर लेता. अब भी तो किया ही....
- कितने का लिया?
- सर cost, ब्रोकर और रजिस्ट्री मिलाकर 70 के लगभग पड़ गया
- चोरी कब हुई?
- परसों. 85 हज़ार नक़द और 6 लाख का सामान गया.
- मतलब 77 का पड़ा ये आशियाना...6 लाख बच सकते थे अगर अपना दिमाग न लगाता. अब करना क्या है?
- सर, दोबारा चोरी-चकारी न हो. आप मकान को अपने तरीके से सेट कर दो. वैसे ही बहुत क्लेश हो गया है, क्या सोच के लिया था, क्या भुगतना पड़ गया !

.....ज़्यादातर ठोकर खाकर और मुहं के बल गिरकर दांत तुड़वा के ही आते हैं, जबकि हज़ार बार समझाया है ज्योतिष वास्तु का महातम्य !

मंगलवार, 14 अगस्त 2018

UNDERSTANDING IVF THRU ASTROLOGY



यह रिसर्च हमारे ज्योतिषी आश्विन रावल जी है. जो सशुल्क आपकी समस्या का समाधान कुंडली देखकर करते हैं. शादी, नौकरी, परिवारिक समस्या आदि परेशानियों का जबाब यह आपको दिन महीने और वर्ष के साथ समस्या का हल करके बताते हैं.  उनको ज्योतिष का ४० वर्षों से ज्यादा अनुभव हैं. आप उनसे ऊपर दिए गये नम्बर पर whatsApp करके सशुल्क परामर्श ले सकते हैं.  इस सेवा का लाभ जरुर लें.  यह मेटर कॉपीराइट है आश्विन रावल जी का.

Every female has the earnest desire to get motherhood or have a child in her laps after marriage. Every couple wants to enjoy 1 or 2 years without a child but after 2 years, parents are worried and they desire pregnancy. When 3 years passes without pregnancy then female herself is more worried about conception. Here starts medical check up and all treatments.

If scorpio or 8th house is afflicted with the malefic planets like Mars, Saturn, Rahu or Ketu then sperm count is low and motility is also weak in the male sperm report. If scorpio or 8th house is afflicted in the female chart then there is a problem with fallopian tubes or follicles problems in the ovaries. Remember only one malefic planet will not harm much but two malefics do affect. Ketu plays major role.

After some treatment if there is no result then Doctor advises for IVF or IN VITRO FERTILISATION.

What is IVF and how it is done ? Let us understand first.

Before IVF procedure the uterus is checked through Microscope to check the condition of ovaries and growth of follicles. Also the inside wall of the uterus. If follicles are not developed then hormones injection is given. If everything is ok then eggs are taken from follicles through catheter. The eggs and few drops of sperm are processed in a glass tube called Vitro. This is a micro process and done in special laboratory at a very low temperature.
After few days when embryo is ready it is planted in the Uterus again. Thats it.

The whole procedure is very costly. It costs One lac to 2 lac. If the fertilisation is not done in Vitro and fails then this huge money will be wasted and again new IVF date will be given by Doctors.

Here comes the Astrology. Every female has certain fertile days in a month. Now we have to take the help of astrological science and choose the most fertile day. For this we have to refer the rules and watch the transit of Moon. We will decide this from the female chart.

Note the Nakshatra of Lagna. Note the 7th, 14th and 21st Nakshatra also from this. So total 4 Nakshatras we have noted in the Lagna group.
Note the Nakshatra of Moon. Note the 14th Nakshatra from this Moon Nakshatra also. So total 2 Nakshatra in Moon group.
Now note the Nakshatra of Sun as per Sun's degree. Note the 14th Nakshatra from this. Total 2 Nakshatra in Sun group.

Total 8 Nakshatras are capable to create pregnancy. Sometime what happens that Some Nakshatras are common in all these 3 group so in that case there can be only 6 or 7 Nakshatras. Also remember that Common Nakshatra if any in the 2 or 3 group then that Nakshatra is most fertile for that lady.

Now as per menstruation cycle we have to note the date of MC. Leave 6 days after MC date. From 7th day to 23rd day we have to search the Nakshatra from the above list. The day on which one of the above listed Nakshatras is found we have to select that date for IVF.

But some important points we have to remember while choosing the Nakshatra.

Ketu should not be in that Nakshatra at the time of IVF. It may create miscarriage sometime.
If Rahu is in that Nakshatra at the time of IVF, then chances are there, that a soul of ex family member may enter the embryo later when foetus stage is developed. Rahu opens the door for the souls who are willing to enter the foetus due to their strong desire to take birth in the same family.
Saturn on that Nakshatra should also be avoided. Because when Moon touches that Nakshatra, Vish Yoga or Punarphoo dosha will be there so development of Embryos will be slow and child will be weak.
If Jupiter is aspecting Moon that day then be rest assured that IVF will be successful and healthy child will be born.

So this way we have to consider so many things to decide the date of natural conception and also IVF.

Also before deciding the IVF month we have to check the position of the planets after 9 months in the chart of husband and wife and confirm whether hereditary planets are repeated in the child or not. Because a child is born with the support of parents chart so certain combinations will be common in the child.

I have guided so many couples in past who had no child even after 6 7 years marriage and got result through natural conception and also through IVF by just following perfect time schedule as per both charts and applying above rules. ( But before doing all the calculations I always check KP horary that whether child birth is confirmed or not especially in much delayed cases. )

Astrology is a great science like medical science but no research work is done on progeny matters.

Ashwin Rawal 12.08.2018

शादी और मकान का समाधान है यहाँ.....



यह लेख आपकी उस समस्या की और इंगित करता है जिसकी वजह से आपकी जिन्दगी नरक बन सकती हैं. एक शादीशुदा जिन्दगी खुशहाल हो तो जीवन में आनद आता हैं. इसमें किसी भी प्रकार की परेशानी आपको कई समस्या लेकर आती हैं. इस समस्या पर यह आलेख है विश्वजीत जी का. जिन्होंने अपना अनुभव शेयर किया है.

पति महोदय ने तीन बरस पहले मुझसे दो मसलों पे राय ली थी - शादी और खुद का मकान. शादी का बताया कि जिस लड़की से ब्रेकअप-सा हुआ है, उसी से होगी, २०१६ में होगी और उसके बाद अपने मकान में शिफ्ट होगा. मकान कभी भी ख़रीद सकता था, लेकिन तथाकथित स्वयंभू महान पण्डितों के अनुसार, उसे कभी भी अपने खरीदे हुए मकान में नहीं रहना चाहिए था. खैर... मैं जनवरी २०१६ में हुई इस शादी को अटेंड नहीं का सका और न ही उसके बाद हुए गृहप्रवेश पर जा सका. साक्षात् महालक्ष्मी स्वरूपा भाग्याशालनी से विवाह हुआ.

अब बच्चा नहीं हो रहा है...

देश की सेकंड बेस्ट महंगी IVF स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने 7-8 लाख लगवा दिये, जिसकी कतई ज़रूरत ही नहीं थी. दोनों की कुण्डली में निसंतान्ता-योग ही नहीं है, बीज-स्फुट भी पर्याप्त हैं. दिक्कत सिर्फ प्रॉपर टाइमिंग की थी, घर के बेतरह पटरी से उतरे वास्तु दोष् की थी. ज़ोन बलेंसिंग की थी. म्यूच्यूअल अंडरस्टैंडिंग की थी. ये वो मसले थे, जिनको थोड़ी सी मेहनत से ही संभाला जा सकता था.

दोनों को पहले साथ-साथ, फिर अलग-अलग अक्ल दी. अब उनके घर जाकर बेबी कन्सीव करने योग्य वास्तु सम्मत परिवेश बनाना है, एक वैदिक कैलेन्डर भी बना कर देना है, कब-कब संतान-सुख हेतु अग्रसर होना है, जिसमें एक स्वस्थ दीर्घायु कुलदीपक किलकारियां मारने पधारे. अगर इसी महीने मैंने वो घर संभाल लिया, तो दिसम्बर तक #खुशखबरी पक्की !!

इनके साले जी की पिछले बरस १८ अप्रैल को टिपिकल पंजाबी-मुल्तानी स्टाइल में शादी हुई. रोके से शादी वाले दिन तक ये रिश्ता तीन बार टूटते-टूटते बचा. क़ुदरत तो हमेशा की तरह अपना काम कर ही रही थी, लेकिन कोई समझदार वहां नहीं था, जो उसका इशारा समझता....आखिरकार, शादी हो ही गई !

अब लड़की के घरवाले लड़के पर माँ-बाप से अलग रहने का दबाव बनाने लगे. लड़का पुष्य नक्षत्र प्रथम पद का जन्म. मैं बता नहीं सकता कि ऐसा गऊ समान लड़का मैंने आखरी बार कब देखा होगा. मुझसे बात करते हुए उसकी आवाज़ में एक रुआँसा कम्पन था जो तब बंद हुआ जब मैंने उसकी डायमंड रिंग उतरवा कर उसकी बहन को संभलवा दी. ऐसी तंत्रित करवाई हुई थी वो सवा लाख टकी अंगूठी. लड़की भाग्यहीना, घर की दुश्मन, अवगुणों की खान, अमावस्या की पैदाइश, घर का कामकाज़ तो छोड़ो, पति को एक ग्लास पानी भी न पूछे. फ़ुल नौटंकीबाज़, दो बार में सब कुछ समेट के मायके जाकर बैठी हुई है अब २५ दिनों से....ये सब बेहाल-परेशां, अब आगे क्या करें ! लड़के का खानदान निहायत शरीफ़ और इज्ज़तदार.

शराफ़त का अंदाज़ा सिर्फ़ इसी बात से लगा सकते हैं, कि बावजूद मेरे ये बताने के, कि इस केस में कोई होप नहीं है, डाइवोर्स ही एकमात्र उपाय है, अगले 6 बरस तक उस लड़की के ग्रह-नक्षत्र भयानक विपरीत हैं, तुम सबका जीना मुहाल कर देगी, सब कुछ हड़प भी सकती है, वो बार-बार मुझसे सिर्फ़ यही पूछता रहा, हुकुम - मैं छ साल भुगत लूँगा, फिर तो ठीक हो जायेगा ना !

उसकी इस करुण याचना के सामने मैं बेबस था. उस लड़की की मंशा ये सीधे-सादे बन्दे समझ नहीं पा रहे थे. और खुद कबूतर बनकर सामने झपटने को तैयार बैठी बिल्ली को देख कर आंख मूँदे बैठे थे कि बिल्ली चली गई....ऐसे खुर्राट बिल्लियाँ भागी हैं कभी !

इन्हें मार-भगाया जाता है....

अब इसके घर को आने वाले कोरट-कचहरी के लिए सक्षम करना है. इस लड़के को इसके हाल पे छोड़ दिया तो ये कहीं का नहीं रहेगा.

किसना की गाय है ये....
यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले. सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें. 
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शनिवार, 11 अगस्त 2018

exact remedy for weight loss मोटापा दूर करने के इससे अचूक उपाय नहीं जानते होंगे आप


मोटापा दूर करने के लिए दरअसल आहार को कम करने के बजाय उसे संतुलित करने की ज़रूरत है। भोजन में ऐसी चीजें शामिल करनी चाहिए जो कम वसायुक्त हों और जिनका ऊर्जामान (कैलोरी) कम हो, परंतु वे शरीर के लिए ज़रूरी पोषकता की पूर्ति करने वाली हों।
आहार संतुलन के बाद विहार में भी संतुलन ज़रूरी है। अर्थात् पूरे दिन में से कुछ समय आपको शारीरिक श्रम के लिए अवश्य ही निकालना चाहिए। जितनी ऊर्जा शरीर को भोजन से मिलती है अगर उससे ज़्यादा श्रम में ख़र्च होती है तो समझिए कि मोटे लोगों के लिए सार्थक परिणाम निकल सकते हैं। आहार-विहार को संतुलित करते हुए मोटापा घटाने का फिलहाल एक कार्यक्रम दिया जा रहा है, मोटे लोग इसे अपनाएं और लाभ उठाएं-
1. 6-7 घण्टे की पर्याप्त नींद लेने के बाद सबेरे जल्दी उठने की आदत बनाएं। उठने के बाद सबसे पहले 1 गिलास गुनगुनेे गरम पानी में 2 चम्मच नींबू का रस और दो चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर गटागट पी जाएं। अब कुछ देर टहलने के बाद शौच के लिए जाएं।
2. शौचादि से निवृत्त होकर कम से कम 3-4 किलोमीटर तेज़ क़दमों से टहलने निकलें, हो सके तो थोड़ी दौड़ भी लगाएं। याद रखें धीरे-धीरे चहलक़दमी करने से मोटापे पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। टहलने के बाद समय हो तो कुछ योगासन व्यायाम करें। टहलने के बजाय चाहें तो केवल आसन व्यायाम से भी काम चला सकते हैं। आसनों में सूर्यनमस्कार, उत्तान पादासन, हलासन, धनुरासन, जानुशिरासन, वक्रासन, ताड़ासन, पश्चिमोत्तान आसन, भुजंगासन, पवनमुक्तासन में से पहले आसान आसनों से शुरूआत करके धीरे-धीरे जितने आसन कर सकें, करें। उड्डियान बंध तथा भस्त्रिका प्राणायाम भी करें। आसन-व्यायाम फ़़ुरसत हो तो सबेरे शाम दोनों समय खाली पेट कर सकते हैं; और बेहतर परिणाम मिलेगा। इतना अवश्य समझ लें कि आसन-व्यायाम योग्य व्यक्ति से सीख-समझकर ही शुरू करना चाहिए।
3. नाश्ता हल्का-फुल्का करें। कोई एक क़िस्म का एक पाव फल या फल का रस लें। 50 ग्राम मँूग में थोड़ा गेहूँ, थोड़ी मेथी मिलाकर अंकुरित करके सेंधा नमक और नींबू का रस मिलाकर भी नाश्ते के रूप में सेवन कर सकते हैं। दूध पीते हों तो मलाई उतारकर एक पाव दूध में आधा चम्मच सोंठ तथा 6-7 मुनक्का या थोड़ा अंजीर डालकर उबालें और गुनगुना रहने पर पिएं। चाय पीने का इरादा हो तो अदरक या सोंठ, तुलसी, काली मिर्च, लौंग, इलायची, मुलहठी आदि जड़ी-बूटियों की चाय इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह की आयुर्वेदिक चाय गुरुकुल कांगड़ी, दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट (स्वामी रामदेव), गायत्री परिवार, संत आसाराम बापू आश्रम आदि की बनी हुई मिलती है।
4. मोटापे से ग्रस्त लोगों को दोपहर और शाम के भोजन में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। तेल, घी से बनी वसायुक्त और ज़्यादा प्रोटीन व कार्बाेज युक्त चीज़ों का सेवन हर हाल में सीमित कर देना चाहिए। भोजन से पहले पर्याप्त मात्रा में सलाद खाएं। हरी सब्ज़ियों की मात्रा भरपूर रखें और गेहूँ की रोटी कम खाएं। अगर मोटापे की समस्या ज़्यादा हो तो कम से कम एक माह के लिए गेहूँ की रोटी खाना एकदम बंद कर दें। इस दौरान जौ के आटे से बनी रोटी भोजन में लें या साबुत चने में जौ मिलाकर पिसवा लें। इस आटे की रोटी स्वादिष्ट भी लगेगी। 10 किलो चना हो तो दो किलो जौ मिलाएं तो अच्छा लाभ मिलेगा। दालों में छिलकायुक्त मूँग, मसूर का सेवन बेहतर रहेगा।
चिकित्सा के शुरू में यदि एकाध हफ़्ते तक सिर्फ़ मौसमी फल, फलों के रस, सलाद और हरी सब्ज़ियों व दाल पर ही निर्वाह करें तो अच्छा है। इसके बाद धीरे-धीरे जौ की रोटी सेवन करना शुरू करें। एक डेढ़ माह बाद गेहूँ की रोटी खाना शुरू कर सकते हैं। दोनों समय का भोजन इसी तरह का करें। शाम को सोने से दो-तीन घण्टे पूर्व भोजन कर लेना हितकर है। क़ब्ज़ियत दूर करने के लिए एनिमा ले सकते हंै या सोने से पूर्व एक गिलास गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच त्रिफला में दो चम्मच ईसबगोल मिलाकर सेवन करें। त्रिफला के स्थान पर आँवले का चूर्ण भी ले सकते हैं। वैसे भी भोजन आदि के साथ ताज़ा या सूखे आँवले का चूर्ण, जो भी मिले, अवश्य सेवन करें।
दोपहर के भोजन के साथ मलाई रहित दूध से जमाई दही या छाछ भी ले सकते हैं। इससे मोटापा घटाने में मदद मिलेगी। भोजन में यह पूरा सुधार अपनाते हुए इतना याद रखें कि शुरू में एक हफ़्ते तक फल-सब्ज़ियों पर निर्वाह करने के बाद अचानक ही ढेर सारी रोटियाँ न खाना शुरू कर दें। एक-दो रोटी से शुरू करके धीरे-धीरे रोटियों की संख्या यथोचित मात्रा तक बढ़ाएं।
मोटापा, ख़ासतौर से पेट और कमर का, घटाने के लिए एक अच्छा प्रयोग यह है कि दोनों समय भोजन करने के तुंरत बाद आधा गिलास उबला हुआ गर्म पानी चाय की तरह जितना गर्म पी सकें पी जाएं। यह प्रयोग डेढ़-दो माह तक कर सकते हैं। इसे बहुत लंबे समय तक नहीं चलाना चाहिए। यह प्रयोग प्रसव के बाद महिलाओं के पेट बढ़ने की समस्या में विशेष लाभप्रद है। गठिया, क़ब्ज़, गैस, यकृत रोग, मासिक धर्म की अनियमितता, आँखों के नीचे के कालेपन आदि में भी गर्म पानी का प्रयोग काफ़ी हितकर है।
दोपहर और शाम के भोजन में 8-9 घण्टे का अंतराल हो तो बीच में 3 या 4 बजे तक कोई हल्का पेय या फल लें। थोड़े भुने चनों के साथ आयुर्वेदिक चाय लेकर भी काम चला सकते हैं।
इतने उपायों पर अमल करते हुए आप कुछ दिनों में मोटापे की समस्या पर तो विजय पा ही जाएंगे, आपके पोर-पोर में स्फूर्ति का भी संचार होगा। इन उपायों के साथ चाहें तो बायोकैमी की कल्केरिया फास 3x या 6गx, काली फास 3x, काली म्यूर 6x, नेट्रम म्यूर 3x तथा साइलीशिया 12x नामक दवाओं की एक-एक टिकिया मिलाकर एक घूँट गरम पानी के साथ दिन में तीन-चार बार जब तक मोटापा न कम हो जाए तब तक सेवन कर सकते हैं। याद रखें कि बायोकैमिक दवा की टिकिया निगलने के बजाय जीभ पर रखकर चूसनी होती है। यह उपाय सोने पर सुहागा का काम करेगा। इसके अलावा चरित्रगत विशेषताओं के आधार पर चुनी गई कई होम्योपैथी औषधियाँ भी मोटापा घटाने में अच्छा प्रभाव दिखा सकती हैं। राजीव दीक्षित जी के किताब से लिए गए यह उपाय बहुत ही कारगर 

शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

The body fat will melt like butter This home remedies शरीर की चर्बी को मक्खन की तरह पिघला देगें यह घरेलु नुस्खें



आज हम आपको राजिव दीक्षित जी की किताब के कुछ अंश लेकर आये हैं जो आपको मोटापा दूर करने में मदद करेगे, आपके बेडोल शरीर को शेप में लेकर आयेगे. 


1 गिलास पानी में 4 बड़े चम्मच भर सिरका खाली पेट सेवन करते रहने से कमर का मोटापा दूर होता है। कुलथों को पकाकर खाने से शरीर की चर्बी छँटती है। सायंकाल के समय 6 माशा त्रिफला कोरे मिट्टी के पात्रा में लगभग छटाँक भर जल में भिगो दें। प्रातः मसल-छानकर तथा एक तोला शहद मिलाकर नियमित पिएं।

पेट, कमर व कूल्हों की चर्बी कम करने के लिए भाप सेंक करना चाहिए। यदि प्राकृतिक चिकित्सालय आदि में व्यवस्था न हो तो यह उपाय आप घर में भी कर सकते हैं। इसके लिए एक बड़े भगोने या पतीली में एक चम्मच नमक तथा तीन-चार चम्मच अजवायन डालकर पानी भर दें। बरतन पर जाली या चलनी आदि रखकर पानी को उबालें। जब भाप उठने लगे तो दो छोटे तौलिए ठण्डे पानी में भिगोकर निचोड़ लें तथा बारी-बारी से जाली पर रखकर भाप से गर्म करके पेट, कमर तथा कूल्हों की सेंक करें। इस उपाय से धीेरे-धीरे चर्बी छँटने लगेगी।

प्रातः शौच जाने से पूर्व एक गिलास ठण्डे पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर नियमित कुछ दिनों तक पीने से चर्बी कम होने लगती है। तुलसी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर नियमित चाटते रहने से चर्बी कम होती है। 1 तोला मूली चूर्ण इतने ही शहद में मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से चर्बी छँटती है। बड़ी हरड़, आँवला तथा बहेड़े का छिलका (त्रिफला) समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर इसमें से 1 तोला चूर्ण शहद मिले पानी के साथ सेवन करने से 40 दिनों में मोटापा कम होने लगता है।

त्रिफला व गिलोय के काढ़े में 250 मि.ग्रा. लौह भस्म मिलाकर पीने से मोटापा बढ़ना रुक जाता है। 12 ग्राम शहद में 3 ग्राम चित्रकमूल का चूर्ण मिलाकर चाटने से पेट बढ़ना रुक जाता है। 1 तोला गिलोय, 3 तोला बायबिडंग, 2 तोला छोटी इलायची, 4 तोला इन्द्रजौ, ढाई तोला बहेड़ा, 5 तोला बड़ी हरड़, 7 तोला आँवला तथा 8 तोला शुद्ध गुग्गुल लें। गुग्गुल के अलावा पहले शेष सभी चीज़ों का चूर्ण बनाएं, इसके बाद गुग्गुल में मिलाकर अच्छी तरह कूटकर रख लें। आधा से 1 तोला यह चूर्ण शहद में मिलाकर सबेरे शाम पानी के  साथ सेवन करना चाहिए.

बुधवार, 8 अगस्त 2018

Road Hit or T-Junction Property: Good or Bad a per Vastu



यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले. सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें. 
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T-point or T-Junction houses are those houses which are built at the end of a road. According to vastu shastra, such houses are called Marg Vedhit (मार्ग वेधित) / road-hit houses. In simple language, it could be said these houses are at T-Junction.

This is a general belief that T-Junction houses are not auspicious for living in and working in. this is also a reason why T-Junction houses are easily available for buyers. However, the truth, in that certain houses, located at T-points, are very lucky for some people---they help them in their growth and success.

For example, a T-Junction at the North zone, North-East zone or East zone proves highly profitable. In the rest 13 vastu zones, it is not beneficial and proves harmful. Due to residing in such houses, people could face severe losses throughout life.

In addition to this, there are other surprising facts about houses located at T-Points. For example, a house located at a South-East T-junction is highly fruitful for doctors. A building is particularly beneficial for business consultants if a road, from South-West direction hits a building which is located on the Western side of their building. Get proper analysis for your residential and working space.

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