दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका का पाठ हम सब ने सुना व किया भी होगा । अलग अलग समस्याओं के लिये अलग अलग साधना व उपाय वर्णित हैं , लेकिन सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को हम भली भांति जानते हैं , और सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की महत्ता इसलिये और बढ़ जाती है क्योंकि सप्तशती पाठ में वर्णित अन्य सभी जैसे स्वयं सप्तशती पाठ, कवच, अर्गला, कीलक इत्यादि के लिये एक पूरी नियमावली है , जो आम इंसान नही कर पाता या उसे पता नही होता । ऐसे में जाने अनजाने में कोई गलती न हो जाये इसके लिये भी सप्तशती में इसका भी उपाय है और वो है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र जिसके लिये किसी नियम की आवश्यकता नही है । इसके लिये विनियोग की भी आवश्यकता नही है । मैं समझता हूं कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का निर्माण ही शायद इसलिये हुआ था कि जो लोग नियम व तरीके नही जानते उनके लिये ये सुलभ हो सके । कहते हैं कि सिर्फ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को पढ़ने मात्र से सम्पूर्ण सप्तशती का फल मिल जाता है । हम सभी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को एक पाठ की तरह बेहद साधारण नियम से पढ़ते हैं आज आपको एक खास नियम के बारे में बताऊंगा जिसको करने से सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ का फल तो मिलेगा ही वरन ये जागृत होकर आपके लिये रक्षा कवच का कार्य भी करेगा । पाठ इस प्रकार करें :-
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यह 9 दिन का साधना है । आपको पहले दिन 1 पाठ दूसरे दिन 2 पाठ तीसरे दिन 4 पाठ व इसी तरह से 9 दिन तक पाठ करने हैं । हर दिन आपको पिछले दिन से दुगुना पाठ करना है । इस तरह आप नौवें दिन 256 पाठ करेंगे । फिर 10 वें दिन से आपको नित्य 3 या 7 पाठ करने हैं । नौवें दिन ही आप स्तोत्र की शक्ति को महसूस कर पाएंगे ।
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इस तरह से पाठ के लाभ :-
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1. माता की कृपा आप पर बनी रहेगी ।
2. जिन को विवाह के बाद समस्या है वो दूर होगी ।
3. जिन के पति या पत्नी कुसंगति में हैं , मन-मुटाव है या मतभेद हैं उसमें लाभ मिलेगा ।
4. जो अपने लिये अच्छा वर या वधु व ससुराल चाहते हैं वह भी इसे कर सकते हैं ।
5. संतान प्राप्ति में सहायक है व अगर संतान कुसंगति में है उसमें भी लाभप्रद है।
6. कर्ज, बीमारी, विवाद, कुंडली दोष, ग्रह दोष इत्यादि में बेहद लाभकारी है ।
7. जिनको विवाह होने में समस्या आ रही है वो भी कर सकते हैं ।
8. सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से आपकी रक्षा होती है ।
9. सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है ।