गुरुवार, 25 जुलाई 2024

जिनके बच्चे गलत संगत में हैं , कहना नही मानते

लेखक - पी. ए. बाला 

आज कल सभी माता-पिता अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए परेशान हैं । कुंडली जनित दोष, पूर्व जन्म के दोष इत्यादि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य में बाधक तो बनते ही हैं, इसके अलावा बच्चा किसी गलत संगत में पड़ जाए, तो माता-पिता के लिए दुविधा और हो जाती है । इसके लिए आपको एक सरल उपाय बताता हूँ, जिससे आपका बच्चा भगवान के रक्षा कवच में रहेगा, मैं यह नही कहता कि बच्चे के ऊपर संकट नही आएंगे या उसके जीवन में संघर्ष नही होगा, यह सब होगा पर किसी भी तरह किसी भी हाल में आपका बच्चा उन समस्याओं से निकल जायेगा, वह चाहे गंभीर बीमारी हो दुर्घटना हो या अन्य कोई भी समस्या से उसकी रक्षा होगी । भगवान वैसे तो हर तरह और तरीके से अपने बच्चों की रक्षा करता ही है, पर यह एक साधारण परन्तु असरकारी प्रक्रिया है, कुछ लोग कहेंगे कि भगवान को सच्चे मन श्रद्धा से मानो ऐसा वैसा ... अरे भाई मानते तो सभी हैं फिर भी एक प्रक्रिया अलग चीज़ होती है । उदाहरण के तौर पर आप खुले में कुल्ला कर रहे हैं , तो किसी दिशा किसी एंगल से वह जल सूर्य को दिखता ही है, पर इसका मतलब यह नही की आप सूर्य के ऊपर कुल्ला कर रहे हैं, क्योंकि जब तक आप दिशा और भाव से ऐसा नही करेंगे तब तक वह सूर्य को चढ़ाया हुआ नही मान सकते .... इसी तरह भाव से आप अपने बच्चे को भगवान को समर्पित कर दीजिए, आपके बच्चे के जीवन में कोई दुर्घटना नही होगी , कोई बड़ी बीमारी , कोई दुःख तकलीफ नही होगी , ग्रह और कुंडली जनित पीड़ा बिल्कुल ही सामान्य होगी । इसकी सरल प्रक्रिया ये है : 

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आप कभी भी किसी तीर्थ स्थान जहाँ आपकी मान्यता ज्यादा हो वहां जब भी जाएं तो एक मुट्ठी चावल या एक नारियल या कोई भी अनाज एक मुट्ठी ले जाएं और वहां जाकर उनसे प्रार्थना करें कि मेरे बच्चे को आपकी शरण आपकी गोद दे रही हूँ, अब आप ही इसके पालनहार हैं, इसकी समस्त जिम्मेदारी आपकी है , इसे अपनी शरण में रखियेगा । यह प्रक्रिया आप गोवर्धन, बिहारी जी, खाटूश्यामजी, तिरुपति, किसी भी शक्ति पीठ, ज्योतिर्लिंग, किसी भी धाम में कर सकते हैं, विशेष वहां जहां आपकी आस्था ज्यादा हो, यह ध्यान रखिये कि एक बार एक जगह गोद देने के पश्चात किसी दूसरी जगह गोद न देवें । यह एक बार एक ही जगह करें , और फिर यह भी ध्यान रखें कि जब जहाँ गोद दे दिया हो तो साल-छः महीने में एक बार वहाँ ढोक जरूर लगावें, शुभ कार्यों के पहले न्योतने जाएं, उसके बाद आशीर्वाद लेने जाएं, बच्चे के जन्म पर उसको भी लेके जाएं , ऐसा न हो कि एक बार गोद दे देवें तो बच्चा फिर कभी वहाँ जाए ही नही या कोई 5-10 साल में एक बार जाए, इससे उल्टा असर पड़ेगा , क्योंकि अब बच्चे के माता-पिता वही हैं, और बच्चा अपने माता-पिता को मिले नही पूछे नही तो माता-पिता नाराज़ तो होते ही हैं, इसीलिए गोद दी हुई जगह ढोक देते रहें , और प्रतिपल उनका स्मरण करते रहें । 


जिनके बच्चे गलत संगत में हैं , कहना नही मानते, विद्रोही स्वभाव के हैं उनके लिए आप विशेष यह प्रक्रिया कर सकते हैं । आप बच्चे के अनुरूप उसके पसंद और आस्था के देवस्थान पर भी यह कार्य कर सकते हैं ।

बहुत चमत्कारी और तीव्र सिद्धि कर्ता प्रयोग

 लेखक - पी. ए. बाला

जीवन मे बहुत से कार्य हैं जो नही होते कुछ देर सवेर हो ही जाते हैं, पर कभी कभी हम ऐसी स्थिति में आ जाते हैं जहां हमको कार्य सिद्धि त्वरित चाहिए होती है, बाकी कार्यों के लिए तो हम कुछ न कुछ उपाय कर ही रहे होते हैं पर कई ऐसे कार्य होते हैं जो अति आवश्यक करने होते हैं, वो चाहे कोई अच्छा रिश्ता पक्का करना हो, कोई जॉब इंटरव्यू हो, कोई कोर्ट का फैसला हो, कोई डील कोई सौदा तय करना हो ऐसे बहुत से कार्य होते हैं , जिसके लिए हमें अर्जेंट कोई उपाय ऐसा चाहिए होता है कि तुरंत कार्य सिद्धि हो ही जाए । ऐसा ही एक सरल उपाय है जो बेहद तीव्र तरीके से कार्य करता है, वैसे यह कार्य बेहद सरल है, पर आजकल के समय में थोड़ा मुश्किल यूँ हो जाता है कि इस उपाय में आपको गौरैया (देसी चिड़िया) की जरूरत होती है, जो आजकल बहुत मुश्किल से मिलती है, शहरों में तो लगभग गायब ही हो गयी है , फिर भी अगर आपके आस पास हो तो आप यह प्रयोग कर सकते हैं , प्रयोग इस प्रकार है 


यह प्रयोग आपको शनिवार या सोमवार को करना है, आप जिस भी दिन यह प्रयोग करें उसके एक रात्रि पहले एक कटोरी में एक मुट्ठी किणकी (टूटा हुआ चावल) ले लेवें , रात को सिरहाने रख कर सो जाएं, अगले दिन सुबह जल्दी नहा कर बिना कुछ खाये यह चावल गोरैया को खिलावें , ध्यान रहे कि जब आप गोरैया को चावल खिला रहे हों तो कोई दूसरा पक्षी इसे नही खाये, खिलाते हुए गोरैया को देखते हुए अपने कार्य को मन ही मन बोलिये जो आपको करवाना हो, फिर पलट कर आ जाइये, बाद में कोई और पक्षी भी आकर खा ले तो कोई बात नही है । अब यह है तो बहुत सरल पर फिर भी कुछ ध्यान देने योग्य बातें हैं : 

आप पहले जगह तय कर लीजिए कि गोरैया कहाँ मिलेगी तभी आप यह प्रयोग करें 

अगर आपके आस पास गोरैया नही है तो यह प्रयोग न करें, किसी और पक्षी पर यह प्रयोग न करें ।

कई बार ऐसा होता है कि आप जगह तय कर लिए कि यहाँ गोरैया मिल जाती है, पर आप जिस दिन प्रयोग करने निकले उस दिन उस जगह आपको गोरैया नही मिली , बहुत ढूंढने पर भी नही मिली तब आप अन्य पक्षी को चावल डाल कर आ जाएं । यह प्रयोग गोरैया पर ही सिद्ध है, इसीलिए यह न समझें कि किसी और पक्षी को खिला दिए तो कार्य सिद्ध होगा, हाँ वैसे ही आपका भाग्य प्रबल हो और कार्य सिद्ध हो जाये तो अलग बात है ।

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यह प्रयोग बहुत चमत्कारी और तीव्र सिद्धि कर्ता है, पहले गोरैया बहुत थी हर सुबह हर घर पर आ जाती थीं, पर अब यह प्रजाति धीरे-धीरे गायब हो रही है , इसीलिए आज के समय यह प्रयोग थोड़ा मुश्किल हो जाता है, पर जहाँ गोरैया सर्व सुलभ है, वहाँ यह प्रयोग कीजिये , कोई दूसरा प्रश्न ही नही उठता कि आपके कार्य की सिद्धि न हो ... करके देखिए और लाभ प्राप्त कीजिये ।

सिद्ध लक्ष्मी प्रयोग जो नहीं होता कभी विफल

लेखक - पी. ए. बाला

परिस्थिति ऐसी नही कि वह यह उपाय कर सकें, क्योंकि इसमें थोड़ा धन खर्च होगा ही होगा, पर जब बात आपके धन आगमन में बाधा की हो और परेशानी चारों तरफ से आ रही हों, हर उपाय विफल हो गया हो, तब यह उपाय ब्रह्मास्त्र है, अब कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो होता ही है, भूख लगने पर रोटी चाहिए पर उसके लिए भी धन की आवश्यकता तो होती ही है । देखिये कोई दवाई भी तब असर करती है जब मन में विश्वास हो श्रद्धा हो उपाय भी तभी कार्य करते हैं जब उनपर श्रद्धा विश्वास हो ...अगर प्रारब्ध का रोना लेकर चलेंगे तो कुछ हासिल नही होगा, और अगर मानते हैं कि भगवान में वह ऊर्जा है जो भाग्य बदल सकती है तो उपाय बता देता हूँ निराशा हाथ नही लगेगी, इससे आप नगरसेठ बन जाएंगे ऐसा नही कहता हूं पर अगर बेरोजगार हैं तो रोजगार लग जायेगा, अगर धन की कमी है तो धन आगमन के रास्ते खुल जाएंगे और सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत हो जाएगा, कर्ज़ होगा तो उतर जाएगा , उपाय इस प्रकार है :  

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भारत के तीन मन्दिर एक ही यात्रा में संपन्न कर लीजिए यह मंदिर हैं - कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर, मुंबई का महालक्ष्मी मंदिर, आंध्र प्रदेश के तिरुपति नगर में चिंतानूर तिरुचानूर पद्मावती का मंदिर .... जिस दिन भी यात्रा शुरू करें उससे एक रात पहले तीन बिल्व की लकड़ी और 5 सिक्के सिरहाने रख कर सोएं, अगले दिन यात्रा शुरू करें और घर से निकलें तब घर से निकलते ही जो पहला चौराहा आये उस पर एक सिक्का डाल दीजिएगा, बाकी चार सिक्के में तीन सिक्के और तीन बिल्व लकड़ी तीनों मन्दिर के दर्शन करके वहीं छोड़ देनी है । अंतिम मन्दिर दर्शन के लिए पद्मावती अम्मा तिरुपति का रखें , चाहे तो तिरुपति के भी दर्शन कर सकते हैं , नही तो अम्मा को बोल आइयेगा कि मेरी धन की समस्या समाप्त कीजिये अगले वर्ष फिर दर्शन को आऊंगा और आपके साथ तिरुपति के दर्शन फिर करूँगा । यात्रा करके जब लौट रहे हों घर आने से पहले आखिरी सिक्का अपने घर के अंतिम चौराहे पर डाल कर फिर गृह प्रवेश कीजियेगा । ज़िन्दगी में धन की कमी नही होगी । 

*जो उपाय यह है यह भीषण आस्था को मांगता है, इसको कर लिया फिर कभी धन के प्रश्न के लिए परेशान नही होंगे , और यह प्रयोग कभी विफ़ल नही होता है । 

*कामना पूर्ण होने पर महिला/पुरुष तिरुपति में अपने बाल दान करें तो और भी सर्वश्रेष्ठ रहेगा , यह नियम नही है पर अगर करते हैं तो अच्छा रहेगा ।

दुर्भाग्य दूर करने और इच्छाओं को पूरा करने में मदद करता है यह प्रयोग

 


लेखक - पी. ए. बाला

इस पोस्ट में मैं आपको, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने और मन की शांति, खुशी और सभी प्रकार की भौतिक और आध्यात्मिक संपदा प्राप्त करने और अपनी इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम होने के लिए एक बहुत ही फायदेमंद जीवन परिवर्तन मंत्र के बारे में बता रहा हूँ । जब मन शांत, संयमित होता है, तो यह शक्तिशाली सकारात्मक तरंगों को आकर्षित करना शुरू कर देता है, जो हर चीज को संभव और अभ्यासकर्ता की पहुंच के भीतर बना देता है। यदि मंत्र का जाप विश्वास और भक्ति के साथ किया जाये तो ब्रह्मांड साधक को उसके घर से दुर्भाग्य दूर करने और उसकी इच्छाओं को पूरा करने में मदद करना शुरू कर देता है।

इस मंत्र में भगवान शिव और श्री गणेश के मंत्र और कुछ आध्यात्मिक मंत्र शामिल हैं, यह दिव्य मंत्रों का कॉम्बिनेशन है, जो एक पूरा मन्त्र बनाते हैं, और इसका जाप करने का सबसे अच्छा तरीका इसे ब्रह्मांड को समर्पित करना है।

इस मंत्र के जाप के लाभ: 

1] अभ्यासकर्ता तुरंत अपने मन, शरीर और घर में शक्तिशाली सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करना शुरू कर देता है। यह बुरी नज़र, अभिशाप, काला जादू मंत्र और अदृश्य दुष्ट प्राणियों सहित हर प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है, और नष्ट कर देता है।

2] सकारात्मक ऊर्जा घर में समृद्धि, शांति, खुशी, संतुष्टि और प्रचुरता लाती है और घर के निवासियों के जीवन को बदल देती है।

3] यह सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाता है, और धन और संपत्ति को आकर्षित करता है और अभ्यासकर्ता को अपनी इच्छाओं को पूरा करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

इस मंत्र का जाप करने की सर्वोत्तम विधि: 

साधक मंत्र को ब्रह्मांड को समर्पित कर सकता है और प्रतिदिन सुबह या रात को सोने से पहले या दोनों समय कम से कम सात बार इसका जाप कर सकता है। मन्त्र इस प्रकार है : 

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ॐ श्री शंकराय नमः ||

ॐ श्री कैलाश पतये नमः ||

ॐ श्री पार्वतीपतये नमः ||

ॐ श्री शांति सागराय नमः ||

ॐ श्री सुदाताय नमः ||

ॐ श्री विघ्नहर्ताय नमः ||

ॐ शांति शांति शांति ||

दुर्लभ त्रिवेणी वृक्ष प्रयोग



लेखक - पी. ए. बाला

आज आपको ऐसे दुर्लभ और अचूक प्रयोग के बारे में बताऊंगा जो कभी विफल नही होगा , यह प्रयोग उन सभी कार्यों को प्रतिपादित करने में सहयोग करेगा, जिसको करने में आपने कई प्रयास किये हैं, बार बार किये हैं । यहाँ कार्यों के प्रयास की बात हो रही है, न कि उपायों और प्रयोगों की ... जैसे आप नौकरी पाने का बहुत प्रयास किये, शादी का, रोग मुक्ति का, संतान होने के लिए इत्यादि बहुत से कार्य जो आप के अथक प्रयासों के बावजूद फलित नही हो रहे हैं । ऐसे कार्यों को फलित करने के लिए एक दुर्लभ दिव्य प्रयोग बता रहा हूँ , यह प्रयोग जितना सरल है उतना कठिन भी है, क्योंकि इस प्रयोग में आपको ऐसे पीपल, बरगद, नीम का पेड़ चाहिए होगा जो बिल्कुल आपस में जुड़े हुए हों, उनकी जड़ एक हो , आपस में तने, शाखाएं मिली हुई हों आपको बस एक पेड़ ऐसा ढूंढना है, एक बार ऐसा वृक्ष मिल जाये तो फिर बाकी प्रयोग सरल है , प्रयोग इस प्रकार से है :
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उपरोक्त बताया वृक्ष मिल जाने पर आप किसी भी दिन यह प्रयोग कर सकते हैं , इसमें आपको देसी गाय (गिर गाय) के घी का दिया इस वृक्ष के नीचे सात बार जलाना है , जलाने का तरीका इस प्रकार है कि पहले तीन दिन आपको दिया अनवरत जलाना है , इसके बाद सात दिन बाद एक बार फिर उसके भी सात दिन बाद एक बार, फिर उसके 15 दिन बाद एक बार और फिर उसके 15 दिन बाद एक बार और आखिरी बार जिस दिन दीपक जलावें उस दिन त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) तीनों को प्रणाम करके उनको निमंत्रण देना है कि आप तीनों की दिव्य शक्ति का मैं आह्वान करता हूँ, वह सदा मेरे साथ रहें , ऐसा कह कर घर आ जाएं । अब ऊपर बहुत आसान तरीके से प्रयोग को समझा दिया है फिर भी मुझे पता है कि कई लोगों को यह समझ नही आएगा , तो एक सरल तरीके से और समझा देता हूँ । मान लीजिए आपने कल यानी 16 जुलाई को पहला दीपक जलाया तो 17, 18 जुलाई को क्रमशः दूसरा और तीसरा दीपक जलाएंगे , फिर चौथा दीपक सातवें दिन यानी 25 जुलाई को जलाएंगे और फिर उसके सातवें दिन 1 अगस्त को जलाएंगे , फिर पंद्रहवें दिन 16 अगस्त को जलाएंगे और अंतिम दीपक उसके पंद्रहवें दिन यानी 31 अगस्त को जलाएंगे । आशा करता हूँ कि अब सबको समझ आ जायेगा, अगर अब भी समझ न आये तो फिर प्रयोग मत कीजियेगा । अब इस प्रयोग के कुछ नियम और निर्देश हैं , जो इस प्रकार हैं :
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यह प्रयोग किसी भी दिन शुरू किया जा सकता है ।
इस प्रयोग में केवल देसी गिर गाय के घी का प्रयोग करें
इस प्रयोग में बीच में कोई दिन रविवार को पड़ जाए तो यह नही सोचें कि रविवार को पीपल पर दीपक नही जलता है, दीपक जला सकते हैं, रविवार को पीपल का स्पर्श नही कर सकते ।
इस प्रयोग की अवधि में ही आपका कार्य सिद्ध हो जाएगा, ऐसा होने पर भी प्रयोग पूरा करें ।
महिलाएं अगर यह प्रयोग करती हैं, और बीच में महावारी के समय अपने परिवार के किसी भी सदस्य से उस दिन दीपक जलवा सकती हैं, फिर ठीक होने पर खुद अनवरत करें ।
यह प्रयोग बताये तीनों वृक्ष एक साथ मिले हुए हों उसी पर करें, कोई भी दो वृक्ष मिले उस पर यह प्रयोग न करें या अलग अलग तीनों वृक्षों पर न करें ।
अंतिम दिन त्रिदेवों को बताये अनुसार आह्वान करना न भूलें ।
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तीन पेड़ पीपल, बरगद, नीम का पेड़ परस्पर एक दूसरे से मिले हों , उसको वृक्ष की त्रिवेणी कहा जाता है, और माना जाता है ऐसी जगह पर ब्रह्म शक्ति का निवास माना जाता है । ऐसा स्थान बेहद पवित्र होता है । यह प्रयोग वर्तमान ब्रह्मलीन 116 वर्षीय दंडी स्वामी जी के श्रीमुख से निकल हुआ है, जो बहुत पहुंचे हुए निस्वार्थ सेवा संत थे । इसे हल्के में न लेवें और जैसा बताया है, वैसा ही करें, अपने हिसाब से उसमें कुछ भी घटाए या बढ़ाएं नही ।

वैवाहिक जीवन की अशांति दूर करने वाला प्रयोग

 


लेखक - पी. ए. बाला

बृहस्पतिवार को दो चम्मच दही में एक चुटकी हल्दी मिला कर, सात सफेद फूलों को उसमें डुबाकर एक एक करके अपनी दोनों आँखों पर लगाएं, और वापिस कटोरी में छोड़ते जाएं, सातों फूलों से यह क्रिया करने के बाद यह कटोरी लेकर शिवलिंग पर ले जाकर पूरी सामग्री शिवलिंग पर चढ़ा देवें , फिर जल चढ़ाकर सारी सामग्री बहा देवें , वापिस घर लौटते समय शिव मंदिर की दहलीज की इक्कीस बार अपने हाथ से दाएं से बाएं और बाएं से दाएं साफ करें, मुट्ठी बन्द कर के घर आ जाएं और घर आकर मुट्ठी खोल कर अपने मस्तक पर लगा लेवें । पूरी प्रक्रिया में किसी से बात न करें, चुपचाप अपना काम करें । यह उपाय जीवनसाथी के चरित्र को भी ठीक करता है और किसी भी कारण आपके वैवाहिक जीवन में अशांति हो एक बार में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा।



हर समस्या खत्म होगी आक के दूध के इस चमत्कारी प्रयोग से

 

लेखक - पी. ए. बाला

1. आक के दूध में हल्दी मिला कर एक सफेद कागज़ पर किसी लकड़ी की कलम से पति,पत्नी दोनों का नाम लिख कर फोल्ड कर के , अलमारी में छुपा कर रख देवें, जीवन भर क्लेश नही होगा, दोनों एक दूसरे के लिए जीवनभर समर्पित रहेंगे ।



2. आक दूध में कुमकुम मिला कर किसी भी लकड़ी की कलम से सफेद कागज़ पर अपनी समस्या लिख कर एक छोटी शीशी में डाल कर, नदी या तालाब, झील में डाल देवें, हर समस्या खत्म होगी ।

3. आक दूध में काजल मिला कर किसी भी लकड़ी की कलम से सफेद कागज़ पर शत्रु का नाम लिख कर ,किसी भारी वस्तु के नीचे दबा देवें, शत्रु आपका अहित नही करेगा, और आपके सामने आकर खड़ा भी नही होगा । 

4. आक दूध में कस्तूरी इत्र (white musk) मिला कर एक सफेद कागज़ पर ,किसी भी लकड़ी की कलम से अपनी मनोकामना लिखें, उसको फोल्ड करके धूप देवें, और अपने पॉकेट में रखें , कैसी भी मनोकामना हो, शीघ्र पूर्ण होगी । 

5. आक दूध में , रोगी के पसीने को मिला कर किसी भी लकड़ी की कलम से सफेद कागज़ पर रोगी का नाम लिख कर एक छोटी शीशी में डाल कर , आक के पौधे के नीचे दबा देवें , कैसा भी सामान्य रोग हो ठीक हो जाएगा, बड़े जानलेवा रोग की शुरुआती स्टेज हो, वह भी ठीक हो जाएगा ।

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