सोमवार, 1 नवंबर 2010

सरसों का तेल

करामाती तेल सरसों का तेल
अगर हम रसोई से जुड़ी किसी एक सामग्री को ढूंढ़ने बैठ जाएं, जो रसोई से निकलकर मंदिर तक पहुंच गई है, तो तेल का नाम ही सबसे पहले दिमाग में आएगा। खाने से लेकर घरेलू नुस्खे और खूबसूरती बढ़ाने तक में सरसों के तेल का इस्तेमाल होता है। हजारों सालों से भारत में तेल का इस्तेमाल न सिर्फ पर्सनल केयर के लिए बल्कि आयुर्वेद में भी हो रहा है। तेल संस्कृत के तैला शब्द से बना है, जिसकी हिंदी में अर्थ है स्नेह। स्नेह का अर्थ है- प्यार, दुलार, देखभाल।
सरसों का तेल बालों को पोषण देने का काम करता है। इससे बालों का नियमित मसाज करने पर बाल काले, घने और मजबूत होते हैं।
सरसों के तेल को मेहंदी के पत्ते के साथ उबालकर और उसे ठंडा और छानने के बाद नियमित रूप से बालों में लगाने से बालों का टूटना बंद होता है।
सरसों के तेल का इस्तेमाल उबटन में किया जाता है। नियमित उबटन का इस्तेमाल करने से त्वचा को पोषण मिलता है और उसमें चमक आती है।
उबटन बनाने के लिए सरसों के तेल में हल्दी पाउडर, केसर, चंदन पाउडर, चना दाल आदि मिलाकर पेस्ट तैयार करें। पूरे शरीर पर २०-३० मिनट तक लगाकर रखें। उसके बाद ठंडे पानी की मदद से उबटन उतार लें।
दांत के दर्द को दूर करने में भी सरसों का तेल उपयोगी होता है। कुछ बूंद सरसों के तेल में थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाएं और इससे मसूढ़े की मालिश करें। दर्द और दांत से जुड़ी अन्य परेशानी में राहत मिलेगी।
सरसों के तेल में कपूर मिलाकर अस्थमा से पीड़ित मरीज की छाती की मालिश करें। ऐसा करने से सांस से जुड़ी तकलीफ में आराम मिलता है।
सरसों के तेल से मालिश करने पर आर्थराइटिस और पीठ के दर्द में राहत मिलती है। सरसों के तेल में कपूर मिलाकर जोड़ों की मालिश करें। वहीं, पीठ का दर्द दूर करने के लिए ४ चम्मच सरसों के तेल में लहसुन की १०-१२ कलियों को डालकर तेल गर्म करें और उसके बाद पीठ की मालिश करें।

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