गुरुवार, 25 जुलाई 2024
जीवन के क्लेश दूर करने वाला एक सुंदर उपाय
दुःख निवारण 7 रविवार करने वाला प्रयोग
, सुगमता के रास्ते खुल जाएंगे ।
पितृ दोष निवारण उपाय
लेखक - पी. ए. बाला
कुंडली के मुख्य दोष में एक दोष पितृ दोष की समस्या है । जिनके कुल के पितृ नाराज हैं, अतृप्त हैं उस कुल में सर्वाधिक समस्या देखने को मिलती है , यहाँ हम लक्षणों की बात नही करेंगे क्योंकि सभी लोग जानते हैं कि पितृ दोष के लक्षण क्या होते हैं । पितृ दोष कुंडली जनित होने के साथ आपके कुल के पूर्वजों का अंतिम क्रियाक्रम सही न होने से व पितरों की उपेक्षा से भी होता है । इसमें मुख्य समस्या यह है कि कई लोगों को पता भी नही होता कि उनको पितृ दोष की समस्या है, दूसरी बात अगर पता हो तो इसकी शांति बेहद महंगी और खर्चीली प्रक्रिया है । यह सब करने के बाद भी इस बात की गारंटी नही है कि यह सब करवाने के बाद भी पितृ तृप्त और संतुष्ट हुए भी हैं या नही ... ऐसी स्थिति में आपको पितरों को संतुष्ट करने और प्रसन्न करने के लिए एक दिव्य और अद्भुत मंत्र बता रहा हूँ (साथ दिए चित्र में संलग्न है) , जो करने में सरल है , इसे आप पितृ पक्ष में , अमावस्या तिथि में ज्यादा से ज्यादा जप करें व नित्य स्नानादि के बाद 21 बार जप करें व रात्रि को सोने से पहले भी इसका 21 बार जप कर सकते हैं । यह तीन मन्त्र का एक कॉम्बिनेशन है, जिसे आप एक साथ पूरे एक मंत्र की तरह जप करें । आप कुछ ही दिन में अद्भुत और चमत्कारी सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे ।
सफल और अनुभूत सिद्ध प्रयोग है, जो कभी खाली नही जाता
लेखक - पी. ए. बाला
यह योगिनी प्रयोग है, इसमें आपकी समस्या का समाधान स्त्री अथवा पुरुष कोई भी किसी भी रूप में आकर कर जाएगा, अब इस प्रयोग के कई प्रारूप सोशल मीडिया पर अपने अपने तरीके से बताये जाते हैं, कोई अपनी तरफ से कुछ बोलता है कोई अपनी तरफ से कुछ..पर इसका सरल और प्रामाणिक प्रयोग इस प्रकार से है :
100% सफल होने वाला प्रयोग
लेखक - पी. ए. बाला
सर्वकष्ट और सर्वबन्धनहारी एक विलक्षण उपाय
लेखक - पी. ए. बाला
सर्वकष्ट और सर्वबन्धनहारी उपाय जिसको करते समय ही आपको लगेगा कि आप कुछ बेहतर कर रहे हैं, उसका फल तो बेहतर होना ही है । आप यह उपाय कभी भी कर सकते हैं , पर आपके जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ पर विशेष कर सकते हैं । आपको कहीं से भी कोई पक्षी खरीदना है, जो पक्षियों को बांधते हैं , उसमें किसी भी पक्षी (कबूतर, चिड़िया, तोता इत्यादि) को मूल्य देकर खरीदें और आज़ाद कर देवें , और उसको उड़ता हुआ देखें, पक्षी का जो भी मूल्य तय हुआ हो, उसमें अपनी उम्र के हिसाब से अतिरिक्त धन दे देवें, जैसे अगर आपकी उम्र 25 है तो 25 रुपये, 40 है तो 40 रुपये, 65 है तो 65 रुपये अतिरिक्त दे देवें । कुछ ही दिनों में आपकी समस्या आपके संकट चमत्कारी रूप से दूर हो जाएंगे । यह अनुभूत उपाय है ।
जिनके बच्चे गलत संगत में हैं , कहना नही मानते
लेखक - पी. ए. बाला
आज कल सभी माता-पिता अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए परेशान हैं । कुंडली जनित दोष, पूर्व जन्म के दोष इत्यादि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य में बाधक तो बनते ही हैं, इसके अलावा बच्चा किसी गलत संगत में पड़ जाए, तो माता-पिता के लिए दुविधा और हो जाती है । इसके लिए आपको एक सरल उपाय बताता हूँ, जिससे आपका बच्चा भगवान के रक्षा कवच में रहेगा, मैं यह नही कहता कि बच्चे के ऊपर संकट नही आएंगे या उसके जीवन में संघर्ष नही होगा, यह सब होगा पर किसी भी तरह किसी भी हाल में आपका बच्चा उन समस्याओं से निकल जायेगा, वह चाहे गंभीर बीमारी हो दुर्घटना हो या अन्य कोई भी समस्या से उसकी रक्षा होगी । भगवान वैसे तो हर तरह और तरीके से अपने बच्चों की रक्षा करता ही है, पर यह एक साधारण परन्तु असरकारी प्रक्रिया है, कुछ लोग कहेंगे कि भगवान को सच्चे मन श्रद्धा से मानो ऐसा वैसा ... अरे भाई मानते तो सभी हैं फिर भी एक प्रक्रिया अलग चीज़ होती है । उदाहरण के तौर पर आप खुले में कुल्ला कर रहे हैं , तो किसी दिशा किसी एंगल से वह जल सूर्य को दिखता ही है, पर इसका मतलब यह नही की आप सूर्य के ऊपर कुल्ला कर रहे हैं, क्योंकि जब तक आप दिशा और भाव से ऐसा नही करेंगे तब तक वह सूर्य को चढ़ाया हुआ नही मान सकते .... इसी तरह भाव से आप अपने बच्चे को भगवान को समर्पित कर दीजिए, आपके बच्चे के जीवन में कोई दुर्घटना नही होगी , कोई बड़ी बीमारी , कोई दुःख तकलीफ नही होगी , ग्रह और कुंडली जनित पीड़ा बिल्कुल ही सामान्य होगी । इसकी सरल प्रक्रिया ये है :

आप कभी भी किसी तीर्थ स्थान जहाँ आपकी मान्यता ज्यादा हो वहां जब भी जाएं तो एक मुट्ठी चावल या एक नारियल या कोई भी अनाज एक मुट्ठी ले जाएं और वहां जाकर उनसे प्रार्थना करें कि मेरे बच्चे को आपकी शरण आपकी गोद दे रही हूँ, अब आप ही इसके पालनहार हैं, इसकी समस्त जिम्मेदारी आपकी है , इसे अपनी शरण में रखियेगा । यह प्रक्रिया आप गोवर्धन, बिहारी जी, खाटूश्यामजी, तिरुपति, किसी भी शक्ति पीठ, ज्योतिर्लिंग, किसी भी धाम में कर सकते हैं, विशेष वहां जहां आपकी आस्था ज्यादा हो, यह ध्यान रखिये कि एक बार एक जगह गोद देने के पश्चात किसी दूसरी जगह गोद न देवें । यह एक बार एक ही जगह करें , और फिर यह भी ध्यान रखें कि जब जहाँ गोद दे दिया हो तो साल-छः महीने में एक बार वहाँ ढोक जरूर लगावें, शुभ कार्यों के पहले न्योतने जाएं, उसके बाद आशीर्वाद लेने जाएं, बच्चे के जन्म पर उसको भी लेके जाएं , ऐसा न हो कि एक बार गोद दे देवें तो बच्चा फिर कभी वहाँ जाए ही नही या कोई 5-10 साल में एक बार जाए, इससे उल्टा असर पड़ेगा , क्योंकि अब बच्चे के माता-पिता वही हैं, और बच्चा अपने माता-पिता को मिले नही पूछे नही तो माता-पिता नाराज़ तो होते ही हैं, इसीलिए गोद दी हुई जगह ढोक देते रहें , और प्रतिपल उनका स्मरण करते रहें ।
जिनके बच्चे गलत संगत में हैं , कहना नही मानते, विद्रोही स्वभाव के हैं उनके लिए आप विशेष यह प्रक्रिया कर सकते हैं । आप बच्चे के अनुरूप उसके पसंद और आस्था के देवस्थान पर भी यह कार्य कर सकते हैं ।
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