गुरुवार, 25 जुलाई 2024

जीवन के क्लेश दूर करने वाला एक सुंदर उपाय


लेखक - पी. ए. बाला

ऐसा चित्र जिसमें गाय अपने बछड़े को दुलार कर रही हो, और बछड़ा गाय का दूध पी रहा हो, अपने घर की उत्तर या पूर्व दिशा में लगाएं, ऐसे चित्र को आप रसोई में , अपने ऑफिस की टेबल पर या अपने सीट या दुकान पर आपकी गद्दी के पीछे भी लगा सकते हैं , अपने पर्स में भी रख सकते हैं, विद्यार्थी अपने पढ़ने की मेज अथवा कमरे में भी इसे लगा सकते हैं । यह चित्र पोषकता और प्रेम के प्रतीक के रूप में देखी जाती है, आप कोई भी कार्य करें जैसे नौकरी या व्यापार उसमें लाभ यानी पोषकता बनी रहे अर्थात पोषण मिलता रहे, आप जो भी कार्य कर रहे हैं अगर उसमें आपको बचत नही है, शांति नही है, खर्चे पूरे नही हो रहे हैं, बरकत नही हो रही है तो ऐसे कार्य के प्रति उदासीनता आ जाती है , और व्यक्ति में नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाता है । इसी नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए , ऐसे खुशनुमा चित्र को लगाया जाता है, ताकि इसको देख कर मन प्रसन्न रहे , इसके साथ ही यह परिवारजनों में आपसी प्रेम को भी दर्शाता है, यह घर के व जीवन के क्लेश दूर करने में भी सहायक है । यह एक सुंदर उपाय है, कीजिये मन प्रसन्नचित रहेगा ।


* चित्र लगाने के साथ गाय की सेवा भी नित्य करें, सिर्फ चित्र लगाने से ही सफलता नही मिलेगी । चित्र प्रतीक के रूप में है, ताकि आपकी नजर उसपर पड़ती रहे तो आप प्रसन्न रहें जिससे आप पर ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक प्रभाव पड़ सके , यह मनोवैज्ञानिक पद्वति पर कार्य करता है ।

दुःख निवारण 7 रविवार करने वाला प्रयोग

 

लेखक - पी. ए. बाला
हर व्यक्ति के जीवन में सुखः दुःख लगे ही रहते हैं , जब सुख कम और दुख ज्यादा हो तो मन विचलित हो जाता है । व्यक्ति हर जतन करता है , कि उसके दुख खत्म हो जाये । ऐसे व्यक्ति के दुखों को पूछें तो वह अपने दुख भी गिना नही पाता कि कौनसे और कितने हैं , ऐसे ही सर्वदुःख निवारण यंत्र को आज आप के साथ साझा करता हूँ, जो बेहद सरल है और सात्विक भी है । यह 7 रविवार करने का प्रयोग है । हर रविवार आपको एक नया यंत्र बनाना है , और बताई विधि अनुसार कार्य करना है, सात रविवार तक आपको राहत मिलना निश्चित है और इसके बाद आपकी बाधा दूर होकर

, सुगमता के रास्ते खुल जाएंगे ।
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रविवार को सुबह नहाधोकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके , अपने पूजा स्थल पर आसन बिछा कर पूर्वाभिमुख होकर यंत्र का निर्माण करें, चित्र में दिए यन्त्र को हल्दी से कागज पर लिख कर नीचे की ओर अपना मनोरथ लिख देवें । फिर रूई के साथ यन्त्र को लपेट कर बत्ती बनाकर रविवार को दीपक में सरसों अथवा तिल के तेल में जलावें और हल्दी की माला से इस मन्त्र का ११ सौ जप करे । मन्त्र यह इस प्रकार है :
"ॐ ह्रीं हंसः"
Om hreem hansah
इस प्रकार 7 रविवार तक करने वाला व्यक्ति सर्वं दुःखों से मुक्त होकर अत्यन्त सुखों को भोगता है ।

पितृ दोष निवारण उपाय

 







लेखक - पी. ए. बाला


कुंडली के मुख्य दोष में एक दोष पितृ दोष की समस्या है । जिनके कुल के पितृ नाराज हैं, अतृप्त हैं उस कुल में सर्वाधिक समस्या देखने को मिलती है , यहाँ हम लक्षणों की बात नही करेंगे क्योंकि सभी लोग जानते हैं कि पितृ दोष के लक्षण क्या होते हैं । पितृ दोष कुंडली जनित होने के साथ आपके कुल के पूर्वजों का अंतिम क्रियाक्रम सही न होने से व पितरों की उपेक्षा से भी होता है । इसमें मुख्य समस्या यह है कि कई लोगों को पता भी नही होता कि उनको पितृ दोष की समस्या है, दूसरी बात अगर पता हो तो इसकी शांति बेहद महंगी और खर्चीली प्रक्रिया है । यह सब करने के बाद भी इस बात की गारंटी नही है कि यह सब करवाने के बाद भी पितृ तृप्त और संतुष्ट हुए भी हैं या नही ... ऐसी स्थिति में आपको पितरों को संतुष्ट करने और प्रसन्न करने के लिए एक दिव्य और अद्भुत मंत्र बता रहा हूँ (साथ दिए चित्र में संलग्न है) , जो करने में सरल है , इसे आप पितृ पक्ष में , अमावस्या तिथि में ज्यादा से ज्यादा जप करें व नित्य स्नानादि के बाद 21 बार जप करें व रात्रि को सोने से पहले भी इसका 21 बार जप कर सकते हैं । यह तीन मन्त्र का एक कॉम्बिनेशन है, जिसे आप एक साथ पूरे एक मंत्र की तरह जप करें । आप कुछ ही दिन में अद्भुत और चमत्कारी सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे ।

सफल और अनुभूत सिद्ध प्रयोग है, जो कभी खाली नही जाता

 लेखक - पी. ए. बाला

यह योगिनी प्रयोग है, इसमें आपकी समस्या का समाधान स्त्री अथवा पुरुष कोई भी किसी भी रूप में आकर कर जाएगा, अब इस प्रयोग के कई प्रारूप सोशल मीडिया पर अपने अपने तरीके से बताये जाते हैं, कोई अपनी तरफ से कुछ बोलता है कोई अपनी तरफ से कुछ..पर इसका सरल और प्रामाणिक प्रयोग इस प्रकार से है :


यह प्रयोग 4 पहर यानी सूर्योदय से सूर्यास्त तक का है , आपको शनिवार को सूर्योदय से पूर्व सवा सेर( 1200 ग्राम) आटा , गाय का घी 250 ग्राम, चीनी 250 ग्राम लेकर इन सबको कसार (भून) लेना है, जैसे पंजीरी बनती है वैसे , सूर्योदय से पूर्व ही घर से उक्त सामग्री तैयार की हुई लेकर निकल जाएं, यह प्रयोग पूरा दिन बिना खाये करना होगा, पानी की बोतल साथ ले जा सकते हैं । आप यह सामग्री किसी जंगल या निर्जन स्थान में ले जाइए, और कीड़ी नगरा कीजिये, यह सामग्री चींटियों के बिल में डालिये, थोड़ा थोड़ा करके बिलों पर डालते जाइये और निम्नलिखित मन्त्र बोलते जाइये , आप पूरे जंगल में घूम घूम कर इसे डालिये, जब सामग्री खत्म हो जाये, और दिन हो जाये और आप थक जाएं तो किसी पेड़ के नीचे सो जाएं , निद्रावस्था प्राप्त होने पर आपके सामने कोई स्त्री अथवा पुरुष आके खड़ा हो जाएगा, और आपको स्पष्ट शब्दों में सब बताएगा, जो आपको अच्छी तरह सुनाई देगा और याद रहेगा । यह प्रयोग में पहले ही दिन आपको प्रश्नों के उत्तर दे देगा , कई दिनों तक करने पर तो मनोवांछित फल की प्राप्ति हो जाती है । सूर्यास्त के बाद घर आकर भोजन ग्रहण करना है । इस प्रयोग को कुछ नियम के साथ किया जाता है , जो इस प्रकार है :
यह प्रयोग 4 पहर यानी सूर्योदय से सूर्यास्त तक का है, कुछ विद्वान इसे एक दिन पहले रात से जोड़ते हैं जो सही नही है ।
यह प्रयोग निराहार करना है, पर पानी की बोतल साथ ले जा सकते हैं, साथ ही विश्राम के लिए एक चादर भी ले जा सकते हैं । कुछ विद्वानों का मत है कि यह बिना खाये पिये किया जाता है, पर ऐसा नही है, पानी आप पी सकते हैं ।
ऐसा बिल्कुल न हो कि आप सारी सामग्री एक या दो बिलों पर ही गिरा देवें, आपको यह सामग्री थोड़ी थोड़ी करके बिलों पर गिरानी है, और पूरा जंगल घूमना है, ताकि आप दोपहर तक इतना थक जाएं कि नींद आ जाये । आपको सूर्यास्त तक जंगल में ही रहना है । ऐसा जंगल न चुनें जहाँ खतरनाक जीव जंतु हों, यह निर्जन स्थान पर किया जा सकता है ।
कई विद्वानों का मत है कि यह प्रयोग 40 दिन अथवा 40 शनिवार का है, पर ऐसा नही है आपको पहले दिन ही आपके प्रश्नों के उत्तर किसी भी हाल में मिल जाएंगे, आपकी मर्जी पर निर्भर है कि आप 40 दिन या 40 शनिवार करना चाहें तो, इसमें कोई बाध्यता नही है , पर यह बहुत मुश्किल और अव्यवहारिक लगता है ।
कीड़ी नगरा यानी चींटियों को भोजन डालते समय यह मन्त्र का जप करते रहना है , जो देसी भाषा मे है :
जोजनगंधा जोगिनी ।
रिद्धि सिद्धि में भरपूर ।
मैं आयो तोय जांचणे ।
करजो कारज जरूर ।
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यह बहुत सफल और अनुभूत सिद्ध प्रयोग है, जो कभी खाली नही जाता, बस इसे पूरी श्रद्धा, विश्वास और संयम के साथ करना चाहिए, यह आपको अपनी समस्याओं से मुक्त करने का रास्ता जरूर दिखायेगा ।

100% सफल होने वाला प्रयोग

लेखक - पी. ए. बाला

पांच मोगरे के फूलों को दही में डूबा कर निकाल लेवें और धूप में पूर्ण तरीके से सुखा लेवें, जब यह पूरी तरह सूख जाए तब आप इसका चूरा कर लें व एक रुई की लंबी बत्ती बना लेवें , उसमें यह चूरा थोड़ा लपेट लेवें, सफेद मक्खन में उसी रुई की बत्ती से दीपक जलावें, बाकी चूरा उसी दीपक में डाल देवें । आसन बिछा कर सामने यह दीपक प्रज्ज्वलित करके एक टक लौ को देखते हुए अपने इष्ट के मन्त्र जिसमें आपकी रुचि हो बोलते जाएं, पूरी एकाग्रता के साथ लौ को देखते हुए जप करते जाएं, जब दीपक बुझ जाए तो अपने इष्ट को आज्ञा देकर कि यह अमुक कार्य पूरा करो, फिर तीन ताली ठोक कर आसन को थोड़ा फोल्ड कर के उठ जाएं (आसन को उठाना नही है) पूरे घर का चक्कर लगाएं, आकर आसन उठा लेवें और अपने कार्य में लग जाएं, कैसा भी साफ नीयत का कार्य होगा 100% सफल होगा ।



सर्वकष्ट और सर्वबन्धनहारी एक विलक्षण उपाय

लेखक - पी. ए. बाला

 सर्वकष्ट और सर्वबन्धनहारी उपाय जिसको करते समय ही आपको लगेगा कि आप कुछ बेहतर कर रहे हैं, उसका फल तो बेहतर होना ही है । आप यह उपाय कभी भी कर सकते हैं , पर आपके जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ पर विशेष कर सकते हैं । आपको कहीं से भी कोई पक्षी खरीदना है, जो पक्षियों को बांधते हैं , उसमें किसी भी पक्षी (कबूतर, चिड़िया, तोता इत्यादि) को मूल्य देकर खरीदें और आज़ाद कर देवें , और उसको उड़ता हुआ देखें, पक्षी का जो भी मूल्य तय हुआ हो, उसमें अपनी उम्र के हिसाब से अतिरिक्त धन दे देवें, जैसे अगर आपकी उम्र 25 है तो 25 रुपये, 40 है तो 40 रुपये, 65 है तो 65 रुपये अतिरिक्त दे देवें । कुछ ही दिनों में आपकी समस्या आपके संकट चमत्कारी रूप से दूर हो जाएंगे । यह अनुभूत उपाय है ।

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*ध्यान देने योग्य बातें :
1. आजकल कई सजावटी पक्षी मिलते हैं , उन्हें आज़ाद न करें क्योंकि वह पालतू ही होते हैं, बाहर के वातावरण में थोड़े दिन में मर जाते हैं ।
2. पक्षी को खरीदने से पहले अच्छी तरह देख लेवें व तय कर लेवें कि पक्षी के पंख सही हैं, वह उड़ने लायक है..क्योंकि कई बारी उनके पंख कतरे हुए होते हैं, जिससे वह उड़ नही पाते और कोई कुत्ता बिल्ली उनका भक्षण कर लेते हैं , तो यह पहले जांच लेवें ।
3. जिन्होंने अपने घर में सजावटी पक्षियों के अलावा तोता, कबूतर या चिड़िया पाल रखी है, वह यह प्रयोग पहले अपने घर से करें ।

जिनके बच्चे गलत संगत में हैं , कहना नही मानते

लेखक - पी. ए. बाला 

आज कल सभी माता-पिता अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए परेशान हैं । कुंडली जनित दोष, पूर्व जन्म के दोष इत्यादि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य में बाधक तो बनते ही हैं, इसके अलावा बच्चा किसी गलत संगत में पड़ जाए, तो माता-पिता के लिए दुविधा और हो जाती है । इसके लिए आपको एक सरल उपाय बताता हूँ, जिससे आपका बच्चा भगवान के रक्षा कवच में रहेगा, मैं यह नही कहता कि बच्चे के ऊपर संकट नही आएंगे या उसके जीवन में संघर्ष नही होगा, यह सब होगा पर किसी भी तरह किसी भी हाल में आपका बच्चा उन समस्याओं से निकल जायेगा, वह चाहे गंभीर बीमारी हो दुर्घटना हो या अन्य कोई भी समस्या से उसकी रक्षा होगी । भगवान वैसे तो हर तरह और तरीके से अपने बच्चों की रक्षा करता ही है, पर यह एक साधारण परन्तु असरकारी प्रक्रिया है, कुछ लोग कहेंगे कि भगवान को सच्चे मन श्रद्धा से मानो ऐसा वैसा ... अरे भाई मानते तो सभी हैं फिर भी एक प्रक्रिया अलग चीज़ होती है । उदाहरण के तौर पर आप खुले में कुल्ला कर रहे हैं , तो किसी दिशा किसी एंगल से वह जल सूर्य को दिखता ही है, पर इसका मतलब यह नही की आप सूर्य के ऊपर कुल्ला कर रहे हैं, क्योंकि जब तक आप दिशा और भाव से ऐसा नही करेंगे तब तक वह सूर्य को चढ़ाया हुआ नही मान सकते .... इसी तरह भाव से आप अपने बच्चे को भगवान को समर्पित कर दीजिए, आपके बच्चे के जीवन में कोई दुर्घटना नही होगी , कोई बड़ी बीमारी , कोई दुःख तकलीफ नही होगी , ग्रह और कुंडली जनित पीड़ा बिल्कुल ही सामान्य होगी । इसकी सरल प्रक्रिया ये है : 

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आप कभी भी किसी तीर्थ स्थान जहाँ आपकी मान्यता ज्यादा हो वहां जब भी जाएं तो एक मुट्ठी चावल या एक नारियल या कोई भी अनाज एक मुट्ठी ले जाएं और वहां जाकर उनसे प्रार्थना करें कि मेरे बच्चे को आपकी शरण आपकी गोद दे रही हूँ, अब आप ही इसके पालनहार हैं, इसकी समस्त जिम्मेदारी आपकी है , इसे अपनी शरण में रखियेगा । यह प्रक्रिया आप गोवर्धन, बिहारी जी, खाटूश्यामजी, तिरुपति, किसी भी शक्ति पीठ, ज्योतिर्लिंग, किसी भी धाम में कर सकते हैं, विशेष वहां जहां आपकी आस्था ज्यादा हो, यह ध्यान रखिये कि एक बार एक जगह गोद देने के पश्चात किसी दूसरी जगह गोद न देवें । यह एक बार एक ही जगह करें , और फिर यह भी ध्यान रखें कि जब जहाँ गोद दे दिया हो तो साल-छः महीने में एक बार वहाँ ढोक जरूर लगावें, शुभ कार्यों के पहले न्योतने जाएं, उसके बाद आशीर्वाद लेने जाएं, बच्चे के जन्म पर उसको भी लेके जाएं , ऐसा न हो कि एक बार गोद दे देवें तो बच्चा फिर कभी वहाँ जाए ही नही या कोई 5-10 साल में एक बार जाए, इससे उल्टा असर पड़ेगा , क्योंकि अब बच्चे के माता-पिता वही हैं, और बच्चा अपने माता-पिता को मिले नही पूछे नही तो माता-पिता नाराज़ तो होते ही हैं, इसीलिए गोद दी हुई जगह ढोक देते रहें , और प्रतिपल उनका स्मरण करते रहें । 


जिनके बच्चे गलत संगत में हैं , कहना नही मानते, विद्रोही स्वभाव के हैं उनके लिए आप विशेष यह प्रक्रिया कर सकते हैं । आप बच्चे के अनुरूप उसके पसंद और आस्था के देवस्थान पर भी यह कार्य कर सकते हैं ।

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