शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

ड्रिंक करने के बाद तबीयत हो जाए नासाज तो ये करें

रोजाना शराब पीने वाले लोगों को सामान्यत: नशा अधिक नहीं चढ़ता है। लेकिन जब क ोई किसी कारण या शोक से पहली बार या ओकेजनली ड्रिंक करता है तो  नशा ज्यादा चढ़ता है तो ऐसे में संभलना मुश्किल हो जाता है। कई बार पार्टी में वाइन, वोदका और रम की काकटेल भी घातक साबित हो जाती है। ऐसे में तबीयत बिगडऩे लगे तो नीचे लिखें घरेलु उपायों को अपनाएं.......

-ब्लैक काफी शराब के नशे को उतारने में मदद करती है।

-लेमन जूस से भी शराब का नशा उतरता है

- एक नींबू एक कप पानी में निचोड़कर पिलाने से लाभ होता है।

- शराबी के सिर पर ठंडा पानी डालने और पिसा हुआ धनिया-शक्कर मिलाकर देने से भी नशा उतरता है।

- धतूरे का विष या नशा उतारने में भी इमली का पना कारगर है।

- नींबू चूसने व अचार खाने से भी नशा हल्का पड़ जाता है।

- संतरा खाने से भी नशा उतर जाता है।

-गन्ने का रस पीने से भी नशा उतर जाता है

- किसी भी शराब को गन्ने के जूस के साथ पीना घातक हो सकता है।

- दही और छाछ से नशा उतर जाता है।

हिच्च हिच्च....हिचकी न रूके तो....

कुछ लोगों के स्नायुओं में उत्तेजना से तो कुछ को अपच के कारण हिचकी चलती है। हिचकी चलने के या बंद न होने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार हिचकी चलने के कारण सांस लेने में भी दिक्कत होती है।  कहते हैं हिचकी रोगी का ध्यान केंद्रित करने पर या पानी पीने पर बंद हो जाती है। लेकिन कई बार यह समस्या बहुत गंभीर रूप भी धारण कर लेती है ऐसे में ये घरेलु उपाय जरूर आजमाकर देखें.....

-हिचकी अगर अपच से हो तो पानी में खाने का सोडा डालकर एक गिलास पीने से ठीक हो जाती है।

- नीबू का रस शहद ये दोनों एक-एक चम्मच काला नमक मिलाकर खाने से हिचकी बंद हो जाती है।

- प्याज काट कर नमक डालकर हर घंटे खाने से खांसी नहीं होती है।

- साबुत उड़द जलते हुए कोयले पर, आग पर डाले और धुएं को सूंघे।

- सेंधा नमक पानी में घोलकर नाक में टपकाने से हिचकी बंद हो जाती है।

- मूली के चार पत्ते खाने से हिचकी बंद हो जाती है।

- हिचकी बंद नहीं हो तो पौदीने के पत्ते या नीबू चुसे।

- थोड़ा सा गरम-गरम घी पी लेने से हिचकी बंद होती है।

- सेंधा नमक पीसकर मिलाकर सूंघने से हिचकी नहीं चलती है।

- प्याज के रस में शहद से हिचकी बन्द हो जाती है।

- हींग हिचकी अधिक आती हो तो बाजरे के बराबर हींग को गुड़ में मिलाकर केले के साथ खाए।

- गन्ने का रस पीने से हिचकी बंद हो जाती है।

चंद अनोखे फंडे ....बन जाएं दिलकश खूबसूरती के मालिक

गौरा रंग और चमकदार त्वचा सभी की चाहत होती है। ज्यादा सांवले रंग के कारण कई बार शादी में भी समस्या होती है। अगर आप भी गौरी-गौरी त्वचा चाहते हैं। तो कुछ आसान आयुर्वेद नुस्खे ऐसे हैं जिनसे आपका सांवलापन पूरी तरह नहीं मगर काफी हद तक दूर हो सकता है। साथ ही इन नुस्खों से स्कीन तो हेल्दी होती ही है और मिलती है दिलकश खूबसूरती।

- रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।
- एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं)।
- आंवला का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है।
- गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है। रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सांफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।
- प्रतिदिन खाने के बाद सौंफ का सेवन करे

बुधवार, 28 सितंबर 2011

कभी बीमार नहीं होना चाहते हैं? अपनाएं ये आसान नुस्खे

किसी सुविधा या साधन के बदले में कुछ खर्च करना पड़े तो फिर भी समझ में आता है, मगर तकलीफ और परेशानी के उठाने के साथ में धन भी खर्च करना पड़े तो अफसोस तथा दु:ख होना स्वाभाविक है। प्रदूषित हवा, पानी और भोजन के साथ जीवन बिताने की मजबूरी के चलते आज शायद ही ऐसा कोई बचा हो जो बगैर किसी दवा-दारू या डॉक्टरी सलाह के पूरी तरह से फिट हो।

लेकिन कुछ उपायों को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करके इंसान अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को इस सीमा तक बढ़ा सकता है कि उस पर किसी बीमारी का असर हो ही नहीं। तो आइये जानते हैं उन उपायों को-



- त्रिफला जो कि आंवला, हरड़ और बहेड़ा का संयुक्त रूप होता है, इसे प्रतिदिन सोते समय गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। यह एक दिव्य रसायन है जिससे आपके रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहद स्ट्रांग हो जाती है।



- प्रतिदिन 5 तुलसी के पत्ते तथा दो-चार नीम की नई कोंपले खाली पेट खाने से शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता काफी बढ़ जाती है।



- अंकुरित अन्न और सलाद का नियमित सेवन करें।



- सुबह की ताजी हवा में दो-चार किलोमीटर का मार्निग वॉक करें।



- चुनिंदा आसन और प्राणायाम को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें।

सोमवार, 26 सितंबर 2011

क्या आप गैस और एसीडिटी से परेशान हैं?

आयुर्वेद में पेट की गड़बडिय़ों को उदर रोगों के अंतर्गत वर्णित किया गया है और अधिकांश रोगों में इसे भी एक महत्वपूर्ण कारण माना गया है। आपको आज हम कुछ ऐसी ही गड़बडिय़ों को दूर करने का आयुर्वेदिक उपाय बताते हैं।आयुर्वेद में पेट की गड़बडिय़ों में ग्रहणी,अतिसार,अरुचि,प्रवाहिका आदि रोग आते हैं,इनमें अधिकांश उदर रोगों का कारण मन्दाग्नि होता है, कुछ सरल आयुर्वेदिक नुस्खे आपको इन गड़बडिय़ों से बचा सकते हैं।

- नियमित रूप से 1-2 चम्मच सोंफ  का प्रयोग अग्नि को दीप्त करता है।

-1-1.5 ग्राम त्रिकटु (सौंठ,मरीच एवं पिप्पली ) चूर्ण  का प्रयोग भी अरुचि एवं अग्निमांद को दूर करता है।

-भोजन भूख से थोड़ा कम एवं मितभुक हो कर ही करना चाहिए।

-कुटज चूर्ण, विडंग चूर्ण एवं अविपत्तिकर चूर्ण को सममात्रा में मिलाकर 1-1.5 ग्राम की मात्रा में लेना पेट की गड़बड़ी को दूर करता है।

-हिन्ग्वासटक चूर्ण एवं लवणभास्कर चूर्ण का प्रयोग 1.5 से तीन ग्राम की मात्रा में करना पेट में अफारा या गैस बनाने के समस्या को दूर करता है।

-पंचसकार चूर्ण की 2.5 से 5 ग्राम की एक-एक मात्रा मल को साफकर पेट को हल्का रखता है।

-केवल त्रिफला चूर्ण की  नियमित 2.5-से 5 ग्राम की मात्रा उदर विकारों में रामबाण औषधि है।

-एक हरड ,दो बहेड़ा  एवं चार आंवलें का प्रयोग सभी प्रकार की  पेट से सम्बन्धित विकृतियों  को दूर करता है।

-भोजन में नमक की मात्रा 24 घंटे में 2.5ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए ,साथ ही अत्यधिक चटपटे पदार्थों के सेवन भी बचना चाहिए।

-भोजन ग्रहण करने के तत्काल बाद शयन की प्रवृति से बचना चाहिए।

-भोजन के साथ जल पीने के प्रवृति से भी बचना चाहिए।

-भोजन बहुत जल्दी -जल्दी बिना चबाकर नहीं लेना चाहिए।

- पूरे दिन में पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ जल का  पान करना चाहिए।

-पथ्य (खाए जाने योग्य ) एवं अपथ्य ( न खाए जाने योग्य ) भोजन का ध्यान रखकर किया गया भोजन उदर रोगों को दूर रखता है।

ये हैं कुछ सामान्य पर उपयोगी बातें जिनका दैनिक जीवन में प्रयोग स्वस्थ एवं आराम से युक्त रोगमुक्त जीवन प्रदान करता है।

मोटापा घटाएं और बुखार भगाएं बस थोड़ा सा नींबू खाएं

आम तौर पर नीबू को गर्मी का राम-बाण कहा जाता है, लेकिन हर मौसम में नीबू के रस में बहुत शक्ति होती है। आपको ये बात हैरान करने वाली लगेगी कि नीबू के जूस में शक्ति आती है लेकिन ये मोटापा नहीं बढ़ाता है बल्कि इसका सही तरीके सेवन मोटापे को कम जरूर कर सकता है। साथ ही इसके सेवन से अन्य कई रोग भी दूर हो सकते हैं।

 - नीबू के छिलकों को कोहनियों, घुटनों और नाखूनों पर रगड़ें। त्वचा का कालापन दूर होता है।

- जोड़ों के दर्द के रोगियों को जिस स्थान पर दर्द होता है, वहां पर नीबू के रस की मालिश करें। इससे दर्द ठीक हो जाएगा।

-चर्म रोगों में नीबू अत्यंत लाभकारी है। नीबू का रस, पानी में डालकर स्नान करने से खाज-खुजली, दाद आदि रोग नहीं होते हैं।

-एक चम्मच मलाई में नीबू निचोड़कर चेहरे पर लगाने से कील-मुंहासे साफ  होते हैं।

- रोज रात में सोने से पहले आंखों में एक-एक बूँद गुलाबजल डालने से आंखें स्वस्थ और सुंदर बनी रहती हैं।

-एक गिलास पानी में एक चाय का चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन बिना मुंह धोए पीने से पेट साफ  होता है और चेहरे पर निखार आता है।

- तैलीय त्वचा से मुक्ति के लिए एक बड़ा चम्मच बेसन, एक छोटा चम्मच गुलाबजल, और चुटकी भर हल्दी में आधा नीबू मिलाकर बनाए गए लेप को चेहरे पर बीस मिनट तक लगाएँ और सादे पानी से धो दें।

- नीबू के रस में पिसा हुआ आंवला मिलाकर नहाने से पूर्व बालों में खूब मल लिया करें तो बाल सफेद होने से रुक जाएंगे व झडऩा भी बंद हो जाएंगे।

- मलेरिया के रोगी को काला नमक व काली मिर्च बारीक पीसकर नीबू में भरकर गर्म कर चूसने को दें। थोड़ी देर में बुखार कम होने लगेगा।

- एक नीबू, थोड़ा नमक व 250 ग्राम हल्का गर्म पानी मिलाकर सुबह उठकर पीने से मोटापा कम होता है।

-ब्लड प्रेशर के रोगियों को दिन में 2-3 बार नीबू का रस पानी में घोलकर पीना चाहिए। इससे उच्च रक्तचाप में राहत मिलती है।

- बालों से रूसी दूर करने और उन्हें चमकदार बनाने के लिए 1 एक नीबू का रस बालों में लगाए और दस मिनट बाद धो दें।

रविवार, 25 सितंबर 2011

खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए चंद आयुर्वेदिक नुस्खे

चरक  संहिता में वर्णित है गुणवान संतान और कामसुख की कामना से वाजीकरण हेतु प्रयुक्त आयुर्वेदिक नुस्खे का प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में किया जाना चाहिए। वात्स्ययान के कामसूत्र में कहा गया है ' काम का उद्देश्य कामसुख और संतानोत्पत्ति है। इसी प्रकार वाजीकरण (अश्वशक्ति) का उद्देश्य गुणवान संतान तथा कामसुख की प्राप्ति है। आयुर्वेद में धर्मयुक्त काम को पुरषार्थ को बढाने तथा मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है। व्यवहारिक तौर पर भी यह देखा जाता है कि वाजीकरण (शरीर को अश्वशक्ति प्रदान करने वाली )औषधियां शरीर में मेधा ,ओज ,बल एवं तनाव को कम करती हैं।

काम की प्रबल और सम्मोहक शक्ति को देखकर इसे देवता कहा गया है तथा वसंतपंचमी के रूप में त्यौहार के रूप में मनाने का प्रचलन आज भी है। आज की व्यस्ततम जीवनशैली ,तनावभरी दिनचर्या और भौतिक सुख सुविधायें जुटाने की लालसा ने इस पवित्र कर्म के मूल में निहित भाव एवं उद्देश्य को समाप्त कर दिया है। काम आज दाम्पत्य जीवन की औपचारिकता भर रह गया है ,इन्ही कारणों से यौन संबंधों को लेकर असंतुष्ट  युगलों  की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है, ऐसी स्थिति में आयुर्वेद एवं आयुर्वेदिक औषधियां मददगार हो सकती है जिनका प्रयोग वैद्यकीय निरीक्षण में होना चाहिए-

-असगंध ,विधारा,शतावर ,सफ़ेद मूसली ,तालमखाना के बीज ,कौंच बीज प्रत्येक 50-50 ग्राम की  मात्रा में लेकर दरदरा कर कपडे से छान लें तथा 350 ग्राम मिश्री मिला लें, इस नुस्खे को 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम ठन्डे दूध से लें ,लगातार एक माह तक लेने से यौन सामथ्र्य में वृद्धि  अवश्य होगी।

-दालचीनी ,अकरकरा ,मुनक्का और श्वेतगुंजा को एक साथ पीसकर इन्द्रिय पर लेप करें तथा सम्भोग के समय कपडे से पोछ डालें ,यह योग इन्द्रियों में रक्त  के संचरण को बढाता है।

-शुद्ध शिलाजीत 500 मिलीग्राम की मात्रा में ठन्डे  दूध में घोलकर सुबह शाम पीने से भी लाभ मिलता है।

-शीघ्रपतन की शिकायत हो तो धाय के फूल ,मुलेठी ,नागकेशर ,बबूलफली इनको बराबर मात्रा में लेकर इसमें आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर ,इस योग को 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन लगातार एक माह तक करें ,इससे शीघ्रपतन में लाभ मिलता है।

-कामोत्तेजना का बढाने के लिए कौंचबीज चूर्ण ,सफ़ेद मूसली ,तालमखाना ,अस्वगंधा चूर्ण को बराबर मात्रा में तैयार कर 10-10 ग्राम की मात्रा में ठन्डे दूध से सेवन  करें निश्चित लाभ मिलेगा।

ये चंद नुस्खें हैं, जिनका प्रयोग यौनशक्ति,यौनऊर्जा एवं पुरुषार्थ को बढाने में मददगार है।

जब बदलते मौसम में ना सहा जा रहा हो फटे होठों का दर्द तो....

गुलाबी होंठ किसी के भी व्यक्तित्व को और अधिक निखार देते हैं। लेकिन बदलते मौसम के कारण होंठ फटना एक आम समस्या है। ऐसे में कई बार सिर्फ वैसलीन और लिप बाम से होंठों का फटना नहीं रूक पाता है।होठों को विशेष देखभाल की जरूरत होती हैं। अगर होंठों की सही तरीके से देखभाल की जाएं तो होंठ गुलाब की पंखुडिय़ों की तरह गुलाबी रहते हैं। नीचे लिखी कुछ घरेलु टिप्स अपनाकर आप भी अपने होठों की सुंदरता बनाएं रख सकते हैं।

  - नहाने से पहले हथेली में चौथाई मुंगफली का तेल लेकर अंगुली से हथेली पर रगड़ें और फिर होंठों पर इस तेल की मालिश करें।

  - सोने से पहले सरसों का तेल नाभि पर लगाने से होंठ नहीं फटते।

  - घी में जरा-सा नमक मिलाकर होठों और नाभि पर लगाने से लाभ होता है।

  - इलायची पीस कर उसमें मक्खन मिलाकर कम से कम सात दिनों तक लगाएं।

  - गुलाब के एक फूल को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई या दूध जमने वाली मलाई मिलाकर होंठो पर लेप कर दें।

  - थोड़ा-सा शहद लेकर होंठों पर उंगली से धीरे-धीरे मलें।

  - जैतून का तेल और वैसलीन मिलाकर दिन में तीन या चार बार फटे होंठों पर लगाएं।

  - थोड़ा-सा शहद लेकर होंठों पर उंगली से धीरे-धीरे मलें।

शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

पांच चीजें ऐसी जिन्हें खाकर आप बन सकते हैं ताकतवर

कहते हैं अगर संतुलित भोजन लिया जाए तो कभी बीमारियां पास नहीं आती हैं। लेकिन अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होता की कौन सा भोजन अधिक ताकत देता है तो आइए आज हम आपको ऐसी पांच चीजों की जानकारी देते हैं जिन्हें आप अपने भोजन में शामिल करके ताकतवर बन सकते हैं।

अमरुद-अमरुद को दिन का हीरा कहते हैं क्योंकि दिल की बीमारियों को दूर रखने और कब्ज जैसी सामान्य समस्या को खत्म करने में इसका कोई जोड़ नही है। शुगर यानि मधुमेह की रोकथाम के लिए भी इस फल को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता है।

हरी फूल गोभी- जन्म के साथ होने वाली बीमारियों से लडऩे में ये गोभी बेहद कारगर होती है। ये न सिर्फ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है बल्कि, हड्डियों को मजबूत करने की इसमें गजब की क्षमता होती है।

पालक- इसमें कई विटामिन एक साथ पाए जाते हैं। पालक में स्कीन और ब्रेस्ट कैंसर से लडऩे की सबसे ज्यादा ताकत होती है। मजे की बात है कि इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता।

गाजर- रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ाने में गाजर का कोई मुकाबला नही है। एक कप कतरे हुए गाजर में 52 कैलोरी होती है इसके बावजूद इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता। बच्चों के विकास में ये सबसे ज्यादा मददगार होता है। फेफड़े, स्कीन और मुंह के कैंसर से बचाने के लिए इसे रामबाण माना जाता है।

गोभी : शरीर में बनने वाले विषैलें पदार्थ को रोकने में इस गोभी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सब्जियों की किसी भी किस्म की तुलना में इसमें पौष्टिकता सबसे अधिक होती है।

ये हैं सिगरेट छुड़वाने के देसी उपाय

धुम्रपान हर तरह से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। सिगरेट-बीड़ी का हर कश इंसान को मौत के करीब ले जाता है। एक अध्ययन में पता चला है कि उच्चरक्तचाप से पीडि़त व्यक्ति के धुम्रपान करने पर नपुंसक होने का खतरा 27 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यहां तक कि धुम्रपान छोड़ चुके ऐसे पुरुषों के धुम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में नपुसंक होने की संभावना 11 प्रतिशत अधिक होती है। अगर आप भी स्मोकिंग की आदत से परेशान हैं तो अपनाएं ये आसान उपाय....



नींबु- बीड़, सिगरेट, जर्दे का सेवन की आदत हो तो इनका सेवन करना बंद कर दें और जब इनके सेवन की इच्छा हो तो नींबू चुसें। कुछ बूंदे नींबु के रस की जीभ पर डालकरी स्वाद खट्टा कर लें। इससे उसके सेवन की इच्छा तुरंत समाप्त हो जाएगी। इस तरह जब-जब भी सेवन करने की इच्छा हो तो नींबू का सेवन करें।

 सौंफ- सौंफ को घी में सुखाकर तवे पर सुखा लें। जब भी सिगरेट पीने की इच्छा हो आधा-आधा चम्मच चबाते रहें।  इससे सिगरेट पीने की इच्छा समाप्त हो जाएगी।

अजवाइन- 50 ग्राम अजवाइन और 50 ग्राम मोटी सौंफ को घी में सेंककर डिब्बी में भरकर रख लें। जब भी सिगरेट पीने की इच्छा हो, इस मिश्रण को आधा चम्मच लेकर चबाएं।

अनोखा तरीका: बिना दवाई छू मंतर होंगे पेट और गले के रोग

शंख को भारतीय परंपरा में मांगलिक वस्तु माना गया है। शंख का प्रयोग देव पूजा में होता है। शंख शब्द का अर्थ होता है कल्याण को उत्पन्न करने वाले। इसीलिए शंख बजाकर ही मंदिर में भगवान को उठाया जाता है।

विधि- बाएं हाथ के अंगुठे को दाएं हाथ की हथेली में स्थापित करें और मुठ्ठी को बंद करें। अंगुलियों को दाहिने हाथ के अंगूठे से स्पर्श कराएं। इस तरह चारों अंगुलियों से अग्रि तत्व का संयोग होता है। इस मुद्रा से हाथों की आकृति शंख के सामान हो जाती है। उसे शंख मुद्रा कहा जाता है। ऊपर के भाग में अंगुलियों और अंगूठे के बीच जो खुला भाग रहता है। उसका आकार शंख जैसा होता है। मुंह लगाकर जैसे शंख बजाते हैं वैसे ही बजाने की कोशिश करेंगे तो शंख के समान आवाज आएगी। आरंभ में इसे 16 मिनट किया जाए। फिर उसे 48 मिनट तक किया जा सकता है।

लाभ- वाणी के दोष दूर होते हैं।

- टान्सिल और गले की बीमारियां भी दूर होती है।

- नाभि केन्द्र व्यवस्थित हो जाता है।

- पेट के सारे रोग दूर होते हैं। पाचन तंत्र सुधरता है।

सावधानियां- अंगूठे को दबाने से एक्युप्रेशर के अनुसार थाइराइड प्रभावित होता है। इसलिए अगर इस मुद्रा को करने के बाद अगर आप दुबले या मोटे हो रहें है तो इस मुद्रा को बंद कर देना चाहिए।

देखें पपीता का जादूई असर पाएं कमाल की खूबसूरती और फिगर

पपीता एक ऐसा फल है जो सिर्फ  स्वादिष्ट ही नहीं होता बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। पपीता आसानी से हजम होने वाला फल है। पपीता भूख व शक्ति को बढ़ाता है। यह प्लीहा , लीवर,  पीलिया आदि रोग को समाप्त करता है।

पेट के रोगों को दूर करने के लिए पपीते का सेवन करना लाभकारी होता है। पपीते के सेवन से पाचनतंत्र ठीक होता है। पपीते का रस अरूचि, अनिद्रा (नींद का न आना), सिर दर्द, कब्ज व आंवदस्त आदि रोगों को ठीक करता है। पपीते का रस सेवन करने से खट्टी डकारें बंद हो जाती है। पपीता पेट रोग, हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को दूर करता है। पके या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।

पपीते के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन नियमित होती है। पपीता में विटामिन ए, बी, डी, प्रोटिन, कैल्सियम, लौह तत्व आदि सभी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।पपीता वीर्य को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है। इसके सेवन से जख्म भरता है और दस्त व पेशाब की रुकावट दूर होती है। कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए बहुत लाभ करता है। पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता, पेशाब अधिक लाता है, मूत्राशय के रोगों को नष्ट करता है, पथरी को लगाता है और मोटापे को दूर करता है। पपीता कफ के साथ आने वाले खून को रोकता है एवं खूनी बवासीर को ठीक करता है।

इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता हैं। जो भोजन को पचाने में मदद करता है। पपीता का सेवन रोज करने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। चूंकि सारे रोगों का कारण पेट के सही ना होने के कारण होता है इसलिए पपीते का सेवन रोज करना चाहिए।  पपीता खाने से वजन कम हो जाता है।पपीते का प्रयोग लोग फेस पैक में करते हैं। पपीता त्वचा को ठंडक पहुंचाता है। पपीते के कारण आंखो के नीचे के काले घेरे दूर होते हैं।कच्चे पपीते के गूदे को शहद में मिलाकर चेहरे पर लगाने से कील-मुंहांसो का अंत होता है।

कच्चे पपीते की सब्जी खाने से याददाश्त बढ़ती है। जबकि पपीते का जूस पीने से मनुष्य में यौन शक्ति की वृद्धि हो जाती है। पपीता ऐसा फल है जो ना तो काफी महंगा होता है और ना ही मुश्किल से मिलता है इसलिए पपीते का सेवन हर व्यक्ति को रोज करना चाहिए। सिर्फ एक महीने नियमित रूप से आप पपीता खाइये फर्क आप खुद ही महसूस करेगें और सबसे कहेगें कि पपीता खाओ और काम पर जाओ।  समय से पूर्व चेहरे पर झुर्रियां आना बुढ़ापे की निशानी है। अच्छे पके हुए पपीते के गूदे को उबटन की तरह चेहरे पर लगायें। आधा घंटा लगा रहने दें। जब वह सूख जाये तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें तथा मूंगफली के तेल से हल्के हाथ से चेहरे पर मालिश करें। ऐसा कम से कम एक माह तक नियमित करें। हृदय रोगियों के लिए भी पपीता काफी लाभदायक होता है। 

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

दाद- खाज हो जाएगा जड़ से साफ आजमाएं ये घरेलु उपाय

स्कीन से जुड़ी बीमारियां भी कई बार गंभीर समस्या बन जाती है। ऐसी ही एक समस्या है एक्जीमा या दाद  पर होने वाली खुजली और जलन दाद से पीडि़त व्यक्ति का जीना मुश्किल कर देती है। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही है तो अपनाएं ये आयुर्वेदिक टिप्स

- दाद पर अनार के पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ होता है।

- दाद को खुजला कर दिन में चार बार नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जाते हैं।

- केले के गुदे में नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जाता है।

- चर्म रोग में रोज बथुआ उबालकर निचोड़कर इसका रस पीएं और सब्जी खाएं।

- गाजर का बुरादा बारीक टुकड़े कर लें। इसमें सेंधा नमक डालकर सेंके और फिर गर्म-गर्म दाद पर डाल दें।

 - कच्चे आलू का रस पीएं इससे दाद ठीक हो जाते हैं।

- नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को घिस कर लगाएं। पहले तो कुछ जलन होगी फिर ठंडक मिल जाएगी, कुछ दिन बाद इसे लगाने से दाद ठीक हो जाता है।

- हल्दी तीन बार दिन में एक बार रात को सोते समय हल्दी का लेप करते रहने से दाद ठीक हो जाता है।

- दाद होने पर गर्म पानी में अजवाइन पीसकर लेप करें। एक सप्ताह में ठीक हो जाएगा।

- अजवाइन को पानी में मिलाकर दाद धोएं।

 - दाद में नीम के पत्तों का १२ ग्राम रोज पीना चाहिए।

- दाद होने पर गुलकंद और दूध पीने से फायदा होगा।

- नीम के पत्ती को दही के साथ पीसकर लगाने से दाद जड़ से साफ हो जाते है।

मुंह के छाले कर रहें हो बेहाल तो चलाएं ये रामबाण

खाने-पीने में अनियमितता के कारण अपच होना एक आम बात है। अपच और कब्ज के कारण मुंह में छाले हो जाते है। मुंह के छालों से खाना-पीना भी दूभर हो जाता है। ऐसे में मुंह के छालों को मिटाने का सबसे अच्छा तरीका है घरेलु उपाय। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ रामबाण उपाय जो मुंह के छालों को साफ कर देंगे।

- शहतूत का शर्बत एक चम्मच एक कप पानी में मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है।

 - मुंह में छालों पर ग्लिसरीन लगाने से लाभ होता है।

- तुलसी और चमेली के पत्ते चबाने से छाले ठीक हो जाता है।

 - टमाटर अधिक खाने चाहिए क्योंकि टमाटर औषधी का काम करता है।

- मुंह में छाले होने पर करेले के रस से कुल्ला करना चाहिए।

- चमेली के पत्तों को चबाकर थूक दें, फिर पानी से कुल्ला कर लें। छालों में लाभ होगा।

- नींबु को गर्म पानी में निचोड़कर कुल्ले करें।

- रोजाना खाने के बाद एक चम्मच सौंफ खाएं।

-  देशी कपूर को घी में मिलाकर रोज चार बार लगाए और लार गिराते रहें, फिर कुल्ला करें।

खर्च करें दस मिनट और पाएं गजब की वर्किंग पॉवर

अनुशासन के बिना जीवन सफल नहीं हो सकता। हर व्यक्ति अपने विवेक से अनुशासित रहता है। जब तक विवेक प्रबुद्ध और जागरूक नहीं हो जाता है। ऐसे में सफल होने के लिए विवेक का जागृत होना जरूरी है। इसके लिए नीचे लिखी योगमुद्रा सबसे अच्छा उपाय है।



विधि- अनुशासन मुद्रा के लिए तर्जनी यानी इंडैक्स फिंगर अंगुली को सीधा रखें। शेष तीन अंगुलियों-कनिष्ठा छोटी अंगुली अनामिका   (रिंग फिंगर) और मध्यमा (मिडिल फिंगर) को अंगुठे के साथ मिलाएं। इस तरह बनने वाली मुद्रा को अनुशासन मुद्रा कहा गया है।

 आसन- पद्मासन व सुखासन में इस मुद्रा का प्रयोग किया जा सकता है।

 समय- रोज आठ मिनट से प्रारंभ करें। एक महिने तक रोज एक-एक मिनट बढ़ाएं।

 लाभ- इस मुद्रा को करने से व्यक्ति अनुशासित होने लगता है। नेतृत्व क्षमताऔर कार्य क्षमता बढ़ती है। अपने आप में पौरुष का अनुभव होता है।

 सावधानी- एक साथ लंबे समय तक न करें।

उ हू...उहू से तंग आ गए है तो आजमाएं दादी के फंडे

खांसी कोई रोग नहीं है। यह अन्य रोगों का लक्षण मात्र है। खांसी अगर बनी रहे तो यह अन्य बीमारियों को जन्म दे सकती है। खांसी के कारण कमजोरी के अलावा गले, सांस के नलियों, फेफड़ें व दिल की बीमारियां होती है। टी.बी. दमा में भी खांसी के प्रमुख लक्षण है। जब तक खांसी के मूल कारण वाली बीमारी का पूरा इलाज न किया जाए। तब तक केवल खांसी की दवा पीने से भी कुछ ही देर का लाभ होता है।जुकाम खांसी होने का सबसे मुख्य कारण है। घरेलु उपचार से खांसी ठीक की जा सकती है।

 खांसी में गर्मी के ठंडे पानी के साथ और सर्दी में गरम पानी से नारंगी का रस  लाभ होता है।

पिसे हुआ अंावला एक चम्मच शहद में मिलाकर रोज दो बार चांटे।

 - पालक के रस को हल्का सा गर्म करके कुल्ला करें।

 - चाय चम्मच मेथीदाना एक गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर गर्म-गर्म पिलाएं।

 - अंजीर का दूध पीएं।

 - चार चम्मच तिल और उसमें इतनी ही मिश्री मिलाकर एक गिलास पानी में उबालें, जब आध पानी रह जाए तो पी जाएं।

 - दालचीनी चुसते रहने पर खांसी नहीं चलती। 

- दस काली मिर्च पानी में उबाल कर पिएं।

- काली मिर्च पीसकर उसमें शहद मिलाकर सेवन करें।

- खांसी बार-बार चलती है तो मिश्री का एक टुकड़ा मुंह में रखें।

 - ब्लैक कॉफी पीने से भी खांसी में राहत मिलती है। 

 - खांसी में छोटी इलायची खाने से भी लाभ होता है।

बुधवार, 21 सितंबर 2011

रामबाण इलाज: नहीं भूलेंगे कुछ भी.....बढ़ेगी याददाश्त

बढ़ते पढ़ाई व काम के बोझ के कारण आजकल भूलने की बीमारी आम हो चली है। उम्र कोई भी हो यह समस्या किसी के भी साथ हो सकती है। इसी कारण लोग अपने कार्यक्षेत्र में अपना सौ-प्रतिशत नहीं दे पाते हैं। इसलिए याददाश्त बढ़ाने के लिए लोग कई तरह की दवाईयां भी खाते हैं। अगर आपके साथ भी बार-बार भूल जाने की समस्या है तो नीचे लिखी यौगिक क्रिया से आप इससे  छुटकारा पा सकते हैं।



 विधि- सीधे खड़े होकर इसमें पैर के दोनों पंजे मिलाकर खड़े हो जाएं, सामने देखते हुए एक सीधे रखें हाथ को जंघाओं से सटे हुए हों। ध्यान को मस्तिष्क पर केंद्रित करें। दस बार तेजी से सांस ले और छोड़े।

- दूसरी क्रिया इसमें ध्यान मस्तिष्क पर केंद्रित करें। ठीक उसी प्रकार सांस लें और छोड़े। फिर सांस भरें और ऊपर की तरफ देखें। ललाट, कनपटी, और मस्तिष्क को शिथिल छोड़ें।

लाभ- इस क्रिया सोचने की शक्ति बढ़ जाती है। मन शांत रहता है। आंखों के व्यायाम भी हो जाता है। मस्तिष्क की शक्ति का विकास होता है। सिरदर्द में ठीक हो जाता है। आंखों की रोशनी तेज होती है। यादादश्त बढ़ती है।

पेट में गड़बड, खाना नहीं पचता तो ऐसे खाएं फल-सब्जी फिर देखें जादू

अपच या खाना न पचने पर भारीपन, जी -मचलाना, बैचेनी, वमन आदि सभी समस्याएं पेट गड़बड़ होने पर होती ही हंै। ऐसे में हमारे खाने-पीने की कुछ चीजों का सेवन सही ढ़ंग से करके इसका उपचार कर सकते हैं।

नींबू- अपच होने पर नींबु की फंाक पर नमक डालकर गर्म करके चुसने से भोजन सरलता से पच जाता है।

अमरूद- अपच या आफरा होने पर खाने के बाद 250 ग्राम अमरूद खाना चाहिए।

जीरा- जीरा, सौंठ, सेंधा नमक, पीपल, काली मिर्च,  समान मात्रा में मिलाकर

पीसकर उसमें एक चम्मच रोज दिन में तीन बार गर्म पानी से फांकी लें। 

अनन्नास- अनन्नास की फांक  पर नमक और काली मिर्च डालकर खाएं तो अजीर्ण दूर होता है।

पपीता- खाना न पचने पर पपीता खाना अच्छा है। लगातार पीपता के सेवन से यह समस्या दूर होती हैं।

गाजर- गाजर के रस में पालक का रस मिलाकर पीने से अपच दूर होती है।

टमाटर- टमाटर पर काला नमक और काली मिर्च डालकर खाने से अजीर्ण दूर होती है।

 मूली- अपच होने पर भोजन के साथ मूली नमक, काली मिर्च डालकर दो माह तक खाएं।

उड़ रहें हैं बाल... 25 की उम्र में दिखने लगे 50 के तो ये करें

कई लोगों के बाल बहुत तेजी से झडऩे लगते हैं। झड़े हुए बालों की जगह नए बाल नहीं आते हैं। इसका मुख्यकारण रोमकुप का बंद होकर सिर की त्वचा सपाट हो जाना है।  इस बीमारी का कोई विशेष कारण नहीं होते हैं। इस रोग होने के कोई विशेष कारण नहीं होते हैं। फि र भी रक्त विकार, किसी विष का सेवन कर लेने, उपदंश, दाद, एक्जिमा आदि  के हो जाने के कारण ऐसा होना संभव हो जाता है।

 - नमक का अधिक सेवन करने से गंजापन आ जाता है। पिसा हुआ नमक, काली मिर्च एक-एक चम्मच नारियल का तेल पांच चम्मच मिलाकर बाल उड़ें, गिरे स्थान पर लगाने से बाल आ जाते हैं।



 -अगर बालों का गुच्छा किसी स्थान से उड़ जाए तो  गंजे के स्थान पर नींबु रगड़ते रहने से बाल दुबारा आने लगती है।

 - जहां से बाल उड़ जाएं तो प्याज का रस रगड़ते रहने से बाल आने लगते हैं।

- बालों में नीम का तेल लगाने से भी राहत मिलती है।

- लहसुन का खाने में अधिक प्रयोग करें।

- उड़द की दाल उबाल कर पीस लें। इसका सोते समय सिर पर गंजेपन की जगह लेप करें।

- हरे धनिए का लेप करने से भी बाल आने लगते हैं।

- केले के गूदे को नींबू के रस में पीस लें और लगाएं, इससे लाभ होता है।

- अनार के पत्ते पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।

मंगलवार, 20 सितंबर 2011

अचूक उपाय: कोलेस्ट्रोल रहेगा हमेशा कंट्रोल

कोलेस्ट्रोल, एक ऐसी समस्या है जो अब आम बनती जा रही है। कोलेस्ट्रोल कम करने का अर्थ है हृदय रोग का सही उपचार। आईये, कोलेस्ट्रोल को कम करने के कुछ घरेलू नुस्खो पर एक नजर डालते है।

- कच्ची लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है।

- रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से खून में कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है।

- अंकुरित दालें भी खानी आरंभ करें।

- सोयाबीन का तेल अवश्य प्रयोग करें यह भी उपचार है।

- लहसुन, प्याज, इसके रस उपयोगी हैं।

- नींबू, आंवला जैसे भी ठीक लगे, प्रतिदिन लें।

- शराब या कोई नशा मत करें, बचें।

- इसबगोल के बीजों का तेल आधा चम्मच दिन में दो बार।

- दूध पीते हैं तो उसमे जरा सी दालचीनी) डाल दो, कोलेस्ट्रोल कण्ट्रोल होगा।

- रात के समय धनिया के दो चम्मच एक गिलास पानी में भिगो दें। प्रात: हिलाकर पानी पी लें। धनिया भी चबाकर निगल जाएं।

- 30 पत्ते तुलसी के, उसका रस निकाल दिया, नहीं तो 30 पत्ते तुलसी के और 1 नींबू निचोड़ लिया। तुलसी के पत्तों का रस मिले ऐसे चबाते गए और नींबू का पानी (1गिलास) पीते गए।

रविवार, 18 सितंबर 2011

बिस्तर ऐसे छोड़े तो कभी नहीं होगी कब्ज

स्वस्थ रहने के नियमों में सबसे पहला स्थान नींद का रहा है। इंसानी शरीर की यही खासियत है कि दिनभर की शारीरिक थकान की भरपाई रातभर की नींद में पूरी हो जाती है। जो लोग रात में नहीं सोते उन्हें किसी न किसी तरह दिन में इसकी भरपाई करना जरूरी होता है। लेकिन सिर्फ नींद लेने के बाद ही नहीं बल्कि उठने से पहले भी कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो शरीर लंबी उम्र तक स्वस्थ बना रहता है।

नींद पूरी होने के बाद बिस्तर छोडऩे से पूर्व सभी को सीधे बिस्तर नहीं छोडऩा चाहिए। बिस्तर छोडऩे से पहले सभी को अपने शरीर को पूरी तरह फैलाकर कुछ समय लेटे रहें। उसके बाद सारे शरीर पर धीरे-धीरे दोनों हाथ मालिश करने के ढंग से घुमाने चाहिए। इससे रक्तसंचार बढऩे में सहायता मिलती है। उठने से पहले कुछ देर व्यक्ति को बिस्तर पर पेट के बल लेटना चाहिए क्योंकि रात्रि के समय व्यक्ति दायीं या बायीं करवट सोता है। पेट के बल लेटने से पेट खुलकर साफ होता है। शरीर को भी आराम मिलता है। रीढ़ की हड्डी भी सीधी रहती है।

पेट के बल लेटने के बाद व्यक्ति पुन: बिस्तर पर लेटकर अपने दोनों पांव सिकोड़कर घुटने छाती तक ले जाने चाहिए। दोनों हाथों से घुटने पकड़कर धीरे-धीरे नीचे के दबाने चाहिए। इससे भी पेट साफ रहता है। बिस्तर छोडऩे से पहले यह जरूरी है कि हम अपने हाथ पैर हवा में घुमाते हुए हल्का व्यायाम करें। पैरों को इस प्रकार चलाये जैसे साइकिल चला रहे हों। इन उपायों से शरीर में और अधिक स्फूर्ति और चेतना का संचार होगा साथ ही स्वस्थ रहने में विशेष सहायता मिलेगी।

चश्में के नंबर बढ़ रहे हैं, तो ये करों फिर देखो कमाल

कम्प्यूटर वर्किंग के दौरान जो लोग अपनी आंखों का ध्यान नहीं रखते उन्हें बहुत जल्द चश्मा लग जाता है और जिन लोगों को चश्मा लगा होता है उनके नंबर बढ़ जाते हैं या आंखों संबंधी और कई अन्य समस्याएं उन्हें घेर लेती हैं। ऐसे में आंखों की सुरक्षा के लिए सभी को सावधानी बरतनी चाहिए। यहां हम कुछ टिप्स बता रहे हैं जिनसे आपकी आंखों की रोशनी तेज रहेगी और आंखे थकेगी नहीं।



- सबसे पहले यह ध्यान रखें कि लगातार स्क्रीन की ओर ना देखे। ज्यादा से ज्यादा 10 मिनिट में कुछ क्षण के लिए आंखें स्क्रीन से हटा लें।



- हर दस मिनिट में कुछ पल आंखों को बंद रखें।



- दिन में कम से कम 5-10 बार आंखों को ठंडे साफ पानी से अवश्य धोएं।



- हर दस मिनिट में स्क्रीन से नजर हटाकर दस फीट दूर तक दस सेकंड तक देखें।



- प्रतिदिन सुबह आंखों की एक्सरसाइज करें।



- प्रतिदिन सुबह आंखें बंद करके ध्यान लगाएं।



- हरी पत्तेवाली सब्जियां अधिक से अधिक खाएं।



- प्रतिदिन सुबह नंगे पैर घास पर चलें इससे आपकी आंखों की रोशनी बहुत तेज होगी।



- स्क्रीन और आंखों के मध्य कम से कम दो ट की दूरी अवश्य रखें। स्क्रीन आंखों से एकदम करीब भी ना हो ता ज्यादा दूर भी न रखें।

केले में होती हैं इतनी सारी खुबियां की आप सोच भी नहीं सकते!

केला विश्च के लोकप्रिय फलों में से एक है। केले का नियमित सेवन कई रोगों से बचाकर रखता है। केले में मैग्नीशियम की काफी मात्रा होती है जिससे शरीर की धमनियों में खून पतला रहने के कारण खून का बहाव सही रहता है। इसके अलावा पूर्ण मात्रा में मैग्नीशियम लेने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है।दिमागी ताकत तथा कामशक्ति बढ़ती है, स्त्रियों का प्रदर रोग ठीक होता है। यदि दो केले दो चम्मच शहद के साथ रोज सुबह खाए तो दिल को ताकत मिलती है, हाई ब्लड प्रेशर में सुधार होता है। मूत्र समस्या हो तो ठीक होती है।केले में विटामिन बी पाया जाता है जो की शरीर की नसों को स्वस्थ रखता है। केले में लौह तत्व की प्रचुर मात्रा होती है जो रक्त निर्माण में सहायक होती हैं। जिन लोगों के शरीर में रक्त की कमी होती है उन्हें केला नियमित रूप से खाना चाहिए।

- दस्त लग जाने पर दही में एक केला मिलाकर खाये, लाभ होगा।

-पीलिया में भी केला लाभदायक है। पीलिया पीडि़त मरीज को दो पके हुए केलों में एक चम्मच शहद मिला कर अच्छी तरह फेंट कर दें।

- अल्सर के रोगियों के लिए तो केला बहुत ही अच्छा होता है।

- केले को खाने से शरीर का तनाव कम होता है।

- एक पका केला छिलके सहित सेंकें। इसके बाद इसका छिलका हटा दें व केले के टुकड़े कर लें। इस पर 15 काली मिर्च पीसकर बुरक दें व गरम-गरम ही दमा रोगी को खिलाए।

-  एक पके केले में आठ साबुत काली मिर्च भर दें, वापस छिलका लगाकर खुले स्थान पर रख दें। शौच जाने के पूर्व प्रातः काली मिर्च निकालकर खा जाएँ , फिर ऊपर से केला भी खा जाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने से हर तरह की खाँसी ठीक हो जाती है।

फीट रहने का आसान फंडा जैसी बीमारी हो बजाएं वैसी ताली

अच्छी सेहत का मालिक होना करोडों की दौलत से ज्यादा मूल्यवान होता है। तभी तो इंसान बेहतर स्वास्थ्य पाने के लिये तमात तरह की कोशिशें करता है। आप इतना कुछ कर ही रहे हैं तो क्यों न आजमाएं इस बेहद कारगर तालीयोग को, जो पूरी तरह से सुरक्षित और बेहद आसान भी है।

गैस, कब्ज, अपच, मानसिक तनाव, एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ापन से पीडि़त हैं तो दायें हाथ की चार अंगुलियों को बाएं हाथ की हथेलियों पर जोर-से मारना चाहिए और इस अभ्यास को सुबह-शाम कम-से-कम 5 मिनट करना चाहिए। धीरे-धीरे हम इन रोगों से मुक्त हो जाएंगे।



निम्न रक्तचाप यानी लो बीपी के रोगियों को खड़े होकर दोनों हाथों को सामने लाकर ताली बजाते हुए नीचे से ऊपर की ओर गोलाकार घुमाएं और दिशा नीचे से ऊपर की ओर होनी चाहिए। यह निम्न रक्तचाप को सामान्य करने में बहुत ही लाभदायक तरीका है। ताली योग के द्वारा हृदय रोग, कमर दर्द, सरवाइकल जैसे रोग भी दूर होते हैं।कैसे करें ताली योग दोनों हाथों की दसों अंगुलियों और हथेली को जोर-जोर से मारते हुए एक साथ एक ही जैसी आवाज में ताली योग का अभ्यास करें।शुरू-शुरू में इसका अभ्यास कम-से-कम 2 मिनट अवश्य करना चाहिए और फि र इसको बढ़ाते हुए लगभग रोज 10 मिनट तक अभ्यास करना चाहिए।

ठंडा-ठंडा बर्फ है हर मर्ज का इलाज

अक्सर हम बर्फ का उपयोग गर्मी से राहत पाने के लिए करते हैं। लेकिन बर्फ के कई औषधीय गुण भी हैं। आइए जानते हैं इन्हीं गुणों के बारे में

- फांस चुभने पर बर्फ  लगाकर उतना हिस्सा सुन्न कर ले फांस आसानी से निकल जाएगी।

- अधिक खाने की वजह से अजीर्ण हो रहा हो तो बर्फ खाएं, खाना शीघ्र पच जाएगा।

- तेज बुखार में बर्फ का उपयोग शीघ्र राहत देता है।

- शरीर के घमौरियों से प्रभावित भाग पर बर्फ मलने से शीघ्र आराम मिलता है।

- लू लग जाने पर बर्फ के टुकड़े हाथ-पैरों पर मलने से तुरन्त लाभ मिलता है।

- रोजाना चेहरे पर बर्फ मलने से झुर्रिंयों का आगमन रुकता है और त्वचा भी कान्तिमय बनी रहती है।

-  पेट की गड़बड़ यानी जलन, उबकाई आदि परेशानी होने पर पेट पर बर्फ की पट्टी रखने से लाभ मिलता है।

- नवजात शिशु न रोए और न सांस लेता लगे तो उसके गुदाद्वार पर 10-20 सेकण्ड के लिए बर्फ का टुकड़ा रखने पर स्थिति बदल जाती है।

- बर्फ लगाने से बहता खून भी शीघ्र ही रूक जाता है।

- नाक से खून बहने की स्थिति में नाक के पास बर्फ र खकर सांस लेने या सूंघने से खून बहना बन्द हो जाता है।

- हैजा होने पर बर्फ का टुकड़ा चूसने से बार-बार उल्टी होना रुक जाता है।

- सूजन और दर्द की रोकथाम के लिए बर्फ फायदेमंद होता है।

जिद्दी डेंड्रफ शर्मिंदा कर रही है तो आजमाएं ये टिप्स

डेंड्रफ हमारे सिर की त्वचा में स्थित मृत कोशिकाओं से पैदा होती है। साथ ही वात संबंधी दोषों के कारण भी डेंड्रफ हो जाती है। इसकी वजह से सिर में खुजली रहती है और बाल गिरने लगते हैं। शैंपू, तेल आदि से डेंड्रफ तब तक ही दूर रहती है जब तक कि उन उत्पादकों का उपयोग किया जाता है लेकिन इनका उपयोग बंद करने के बाद डेंड्रफ  वापस हो जाती है। इससे निजात पाने की घरेलू टिप्स-

- ग्लिसरीन और गुलाब जल का एक तीन के अनुपात में मिश्रण बना कर एक शीशी में रख लें। नहाने के बाद रोज थोड़ा हथेली पर लेकर बालों की जड़ों में उंगलियों की मदद से लगाएं। इससे भी डेंड्रफ चली जाती है।

- नारियल के तेल में कपूर मिलाएं और यह तेल अच्छी तरह बालों में तथा सिर पर लगाएं। कुछ ही दिनों डेंड्रफ की समस्या से राहत मिलेगी।

- नींबू के रस को बालों में लगाएं। कुछ समय बाद सिर धो लें।

- नींबू का रस नारियल के तेल में मिलाकर लगाएं।

- दही से सिर धोएं, इससे भी डेंड्रफ  से निजात मिलेगी।

- डेंड्रफ  होने पर त्रिफला के स्थान पर नीम की पत्तियों का पावडर लें एवं उपरोक्त विधि से ही प्रयोग करें।

-आंवले का पेस्ट बालों में लगाकर 20 मिनट रखें फिर शैंपू कर दें। बालों में मजबूती आएगी।

- बालों में सोने के पहले तेल लगाएं।

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

सिरदर्द बन गया हो परेशानी का सबब तो आजमाएं नानी के नुस्खे

भागदौड़ भरी जिंदगी में सिरदर्द की आमतौर पर कोई गंभीर वजह नहीं होती। लाइफस्टाइल में बदलाव और रिलेक्सेशन न करने के कारण या अन्य कई वजहों से अक्सर सिरदर्द हो जाया करता है। ऐसे में ज्यादा पेन किलर खाने पर रिएक्शन का डर बना रहता है। इसीलिए अगर सिरदर्द दूर भगाने के लिए अपनाएं ये घरेलु टिप्स।

- सिरदर्द में नींबू, आलूबुखारा या इमली से बना शरबत पिलाने से काफी आराम मिलता है। सिर में ठंडे पानी की धार गिराने से भी दर्द में आराम मिलता है।

-नौशादर और बुझा चूना बराबर मात्रा में लेकर एक शीशी में भरकर रख लें। दर्द होने पर शीशी को हिलाकर सूघें। इससे दर्द में आराम मिलता है।

-सुबह खाली पेट प्रतिदिन एक सेब खाने से सिरदर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है।

-अदरक एक दर्द निवारक दवा के रूप में भी काम करती है। यदि सिरदर्द हो रहा हो तो सूखी अदरक को पानी के साथ पीसकर उसका पेस्ट बना लें और इसे अपने माथे पर लगाएं। इसे लगाने पर हल्की जलन जरूर होगी लेकीन यह सिरदर्द दूर करने में मददगार होती है।

- एक चम्मच मेथी दाना में चुटकी भर पिसी हुई हींग मिलाकर पानी के साथ फांखने से पेटदर्द में आराम मिलता है। मेथी डायबिटीज में भी लाभदायक होती है। मेथी के लड्डू खाने से सिरदर्द में लाभ मिलता है।

- दालचीनी को पानी के साथ महीन पीसकर ललाट पर पतला-पतला लेप करना चाहिए। लेप - सूख जाए तो उसे हटाकर पुन: नया लेप तैयार कर ललाट पर लगाना चाहिए।

- पुष्कर मूल को चंदन की तरह घिसकर लेप को कपाल पर लगाने से सिर दर्द ठीक होता है।

बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम से पीछा छुड़ाएं अपनाएं ये रामबाण


बदलते मौसम में सर्दी-जकाम की समस्या होना एक आम बात है। इस मौसम में ये समस्या होना इस बात को दर्शाता है कि आपके शरीर का इम्यून सिस्टम सही ढंग से काम कर रहा है। इसीलिए सर्दी-जुकाम को रोकना तो मुश्किल होता है, सभी को हर मौसम में यह समस्या कभी न कभी जरूर होती है। अगर आप भी बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम के शिकार हो गए हैं तो ये घरेलु नुस्खे अजमाएं।

- सर्दी-जुकाम होने पर गर्म-गर्म चनों को सूंघने से भी दूर हो जाता है।

- काली मिर्च के साथ में थोड़े से बताशा डालकर गर्म-गर्म पीने से जुकाम दूर हो जाता है और मस्तक भी हल्का हो जाता है।

- शहद में अदरक का रस मिलाकर सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है।

- खांसी, जुकाम, सर्दी और सामान्य ज्वर में तुलसी व अदरक की चाय पीने से लाभ होता है।

- जुकाम होने पर गर्म दूध में छुहारा उबालकर इसमें थोड़ी सी इलायची एवं केशर मिलाकर सेवन करने से जुकाम के रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।

- गर्म देसी घी में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर रोटी के साथ सेवन करने से जुकाम ठीक हो जाता है।

- गुड़ और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर, उबालकर चाय की तरह पीने से भी जुकाम दूर हो जाता है।

- सरसों के तेल को गुनगना करके छाती, पैर के दोनों तलवों और नाक के चारों तरफ  लगाने से भी जुकाम दूर हो जाता है।

- सौंफ  डेढ़ चम्मच की मात्रा में पानी के साथ खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से भी जुकाम होने की संभावना कम रहती है।

अमरूद हो सकता है आपके लिए अमृत जानिए कैसे?

अमरूद बहुत स्वादभरा फल है। अमरूद सिर्फ स्वाद का खजाना ही नहीं है बल्कि गुणों का भी खजाना है। लेकिन अक्सर ये देखा जाता है कि लोग अमरूद की बजाए अन्य फलों के सेवन को अधिक महत्व देते हैं जबकि अमरूद भी अनेक गुणों से भरपुर है। अमरूद में विटामिन ए, बी और सी के साथ पोटैशियम की भी मात्र पायी जाती है, इसलिये ये स्किन के लिये फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन सी भरपुर मात्रा में होता है।

- अमरूद स्किन पर निखार लाता है और स्किन के दाग- धब्बे दूर करता है। न केवल खाने से, बल्कि अगर अमरूद को चेहरे पर लगाया जाये तो भी त्वचा निखरती है।

- अमरूद के कोमल पत्तों का काढ़ा बनाकर काली मिर्च डालकर उसे पीते रहने से बुखार दूर हो जाता है।

- इसके ताजे पत्तों का रस 10 ग्राम तथा पिसी मिश्री 10 ग्राम मिलाकर 21 दिन प्रात: खाली पेट सेवन करने से भूख खुलकर लगती है और शरीर सौंदर्य में भी वृद्धि होती है।अमरूद खाने या अमरूद के पत्तों का रस पिलाने से भाँग का नशा कम हो जाता है।

- ताजे अमरूद के 100 ग्राम बीजरहित टुकड़े लेकर उसे ठंडे पानी में 4 घंटे भीगने दीजिए। इसके बाद अमरूद के टुकड़े निकालकर फेंक दें। इस पानी को मधुमेह के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।

- अमरूद के ताजा पत्ते में एक छोटा-सा टुकड़ा कत्था लपेटकर पान की तरह चबाने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं।

- सर्दी या पुराना जुकाम होने पर पके हुए अमरूद को इच्छानुसार भरपेट खा कर बिना पानी पीये रात भर बिता देने पर सुबह होते-होते काफी राहत मिलता है।

- कब्ज के रोगी कुछ दिनों तक सलाद में सिर्फ पका अमरूद, मूली, गाजर एवं पुदीने की पत्तियों का ही इस्तेमाल करें तो कब्ज की शिकायत प्राय: दूर हो जाती है।

- अमरूद को चबाकर खाने या भरपूर मात्रा में रस पीने से बहुत लाभ होता है।

बुधवार, 14 सितंबर 2011

ऐसे करें केले का उपयोग यह स्कीन को जवां बनाए रखेगा

त्वचा को खूबसूरत बनाने और झुर्रियों से बचाव के लिए लोग कॉस्मेटिक सर्जरी तक करवाते हैं, लेकिन अब ऐसा प्राकृतिक उपचार भी उपलब्ध है जिससे आप आसानी से झुर्रियों से निजात पा सकते हैं।त्वचा पर झुर्रियां पडऩा आज एक आम समस्या हो गई है, लेकिन चेहरे पर पडऩे वाली झुर्रियों को रोकना इतना मुश्किल भी नहीं।

अब ऐसे तरीके खोज लिए गए हैं, जिनसे झुर्रियां नहीं पड़ती। कैल्शियम और दूसरे खनिज तत्वों के इस्तेमाल से आप झुर्रियों को दूर करने के साथ-साथ अन्य रोगों को भी दूर कर सकते हैं और  अपनी स्कीन को हमेशा जवां बनाए रख सकते हैं। आजकल ब्युटी पार्लर में फ्रुट फेशियल देने का प्रचलन बढ़ गया है। इसमें मुख्य रूप से केला और पपीता उपयोग किया जाता है। लेकिन आप घर में भी नीचे लिखे तरीके से केले का उपयोग करके अपनी त्वचा को झुर्रियों से बचा सकते हैं।

केले का पेस्ट बनाने के लिए एक पका केला लें। उसमें एक चम्मच शहद मिला लें। मसलकर चेहरे और गर्दन पर तकरीबन 15 मिनट के लिए लगा लें। फिर टिश्यू पेपर से पोंछकर फ्रेश वाटर से धो लें। यही नहीं , केले के गूदे में कुछ बूंदें जैतून के तेल की मिलाकर लगाने से रिंकल्स कम होते हैं।पके केले का गूदा व नारियल का तेल मिलाकर हाथों के स्किन पर मलें तो हाथों पर रिंकल्स नहीं आएंगे। साथ ही केले को खाने में भी उपयोग लाएं क्योंकि केले में काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जिससे यह पाचन क्रिया में मदद करता है। साथ ही केला तनाव को कम करने में भी मदद करता है। केले में ट्राइप्टोफान नामक एमिनो एसिड होता है, जो मूड को रिलैक्स करता है। 

सौन्दर्य निखारने के सबसे असरदार आयुर्वेदिक नुस्खे

अगर आप महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट, शैम्पू, ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करते हुए थक चुकी हैं, फिर भी आपको कोई फायदा नहीं हुआ है तो एक बार मुल्तानी मिट्टी जरूर इस्तेमाल करके देखें। कहा जाता है कि मुल्तानी मिट्टी सौन्दर्य का खजाना है। ये नेचुरल कंडीशनर भी है और ब्लीच भी। ये सौन्दर्य निखारने का सबसे सस्ता और आयुर्वेदिक नुस्खा है।





- आधा चम्मच संतरे का रस लेकर उसमें 4-5 बूंद निंबू का रस, आधा चम्मच मुल्तानी मिट्टी, आधा चम्मच चंदन पाउडर और कुछ बूंदें गुलाब जल की। इन सबको मिलाकर कर थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रख दें। इसे लगा कर 15-20 मिनट तक रखें। इसके बाद पानी से इसे धो दें। यह तैलीय त्वचा का सबसे अच्छा उपाय है।

- अगर आपकी त्वचा ड्राई है, तो काजू को रात भर दूध में भिगो दें और सुबह बारीक पीसकर इसमें मुल्तानी मिट्टी और शहद की कुछ बूंदें मिलाकर स्क्रब करें।

- मुहांसों की समस्या से परेशान लोगों के लिए तो मुल्तानी मिट्टी सबसे कारगर इलाज है, क्योंकि मुल्तानी मिट्टी चेहरे का तेल सोख लेती है, जिससे मुहांसे सूख जाते हैं।

- तैलीय त्वचा के लिए मुल्तानी मिप्ती में दही और पुदीने की पत्तियों का पाउडर मिला कर उसे आधे घंटे तक रखा रहने दें, फिर अच्छे से मिलाकर चेहरे और गर्दन पर लगाएं। सूखने पर हल्के गर्म पानी से धो दें। ये तैलीय त्वचा को चिकनाई रहित रखने का कारगर नुस्खा है

- मुल्तानी मिट्टी को एक कटोरे पानी में भिगो दें। दो घन्टे बाद जब मुल्तानी मिट्टी पूरी तरह घुल जाए तो इस घोल को सूखे बालों में लगा कर हल्के हाथ से बालों को रगड़े। पाँच मिनट तक ऐसा ही करें। अगर सर्दियां हैं तो गुनगुने पानी में और अगर गर्मियाँ हैं तो ठन्डे पानी से सिर को धो लें। अगर बालों मे ज्यादा गंदगी मौजूद है इसलिए यह काम दोबारा न करें। 

सांसों की बदबू हमेशा के लिए हो जाएगी छू-मंतर ऐसे

बदबूदार सांसें दिल की बीमारियों तक की वजह बन सकते हैं। लेकिन थोड़ी देखभाल से आप चमकीले दांत और महकती सांसें पा सकते हैं।अगर मसूड़ों से खून आता है। ज्यादा खून आने पर मुंह से दुर्गंध आने लगती है। मसूड़ों में इन्फेक्शन होना,जब यह बिमारी मसूड़ों के साथ-साथ उसके आस पास की हड्डी तक पहुंचती है तो इसे पायरिया कहते हैं। धीरे-धीरे दांत हिलने लगते हैं और जल्दी ही गिरने लगतें हैं। अगर आप भी किसी ऐसी ही समस्या से परेशान हैं तो नीचे लिखे टिप्स जरूर आजमाएं।

- जामुन की लकड़ी की राख को मलने से दांतों से खून निकलना बंद होता है।

 - बेल के 5 तोला शरबत में 5 तोला दूध मिलाकर पीने से मसूड़ों के रोगों में आराम मिलता है।

 - शहद या सरसों के तेल के कुल्ले करने से भी लाभ मिलता है।

 - परवल,नीम,जामुन,आम और चमेली ले पत्तों का काढ़ा बनाकर मुंह में रखने से लाभ मिलता है।

 - दारु हल्दी को पानी में पकाएं जब यह पकते-पकते गाढ़ी हो जाये तब इसमें शहद मिलाकर मुंह में रखने से यदा होता है।

- अगर दर्द मसूड़ों में सूजन की वजह से है तो भी गुनगुने पानी में नमक या डिस्प्रिन डालकर कुल्ला करने से राहत मिल सकती है।

गुरुवार, 8 सितंबर 2011

टांसिल्स से परेशान हैं तो आजमा कर देखें ये देसी तरीके

बढ़ते-घटते टेम्प्रेचर के कारण लोगों को बहुत सी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। अधिकतर मौसम बदलने पर लोगों में टांसिल्स की समस्या देखने में आती है। इसीलिए मौसम के परिवर्तन पर या दिन के समय घर से बाहर रहने वाले या किसी भी कारणवश तेज धूप और गर्मी में रहने के बाद लोग एकदम ठंडा पानी पी लेने पर टांसिल्स की समस्या हो जाती है। यही कारण है कि तापमान में बार-बार होने वाले बदलाव के कारण लोगों को खानपान का खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा ये कुछ घरेलु उपाय हैं जिन्हें अपनाकर भी टांसिल्स की समस्या में राहत मिलती है।



- एक प्याला दूध में आधा छोटा चम्मच पिसी हल्दी मिलाकर उबालें। छानकर चीनी मिलाकर पीने को दें। विशेषरूप से सोते समय पीने पर तीन चार दिन में आराम मिल जाता है।

- कच्चे पपीते को दूध में मिलाकर गरारे करें। हफ्ता भर करने से यह समस्या दूर हो जायेगी।



-जब खांसी,जुखाम,टांसिल्स एवं, सांस की तकलीफ  हो तब दही का सेवन न करें तो अच्छा।



- टांसिल्स में भी गाजर का रस पीने की सलाह दी जाती है। आराम मिलता है।



- मेथी के चूर्ण तथा काढ़े से स्नायु रोग,बहु-मूत्र ,पथरी,टांसिल्स,में लाभ होता है।



- गुनगुने पानी में नमक मिलाकर गरारे करें।

दांतों के दर्द को उखाड़ फेकेंगे नानी के ये अचूक उपाय

दांत में जीवाणुओं का संक्रमण हो जाने पर अधिकतर लोग दांत के दर्द से परेशान हो जाते हैं। दांतों पर इनके संक्रमण से सिर्फ दांतों में ही दर्द नहीं होता बल्कि मसुड़ों में भी घाव हो जाते हैं। दांतों में केवेटी हो जाने पर कई बार सिर्फ जितनी देर पेन किलर का असर रहता है बस उतनी ही देर दांतों के दर्द में आराम महसूस होता है और फिर दांतों का दर्द सताने लगता है। नीचे लिखे ये कुछ उपाय हैं जिनका उपयोग करके आप दांतों के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं।



- पुदीने की सूखी पत्तियां पीडा वाले दांत के चारों ओर  रखें। 10-15 मिनिट की अवधि तक रखें।

- दो ग्राम हींग नींबू के रस में पीसकर पेस्ट जैसा बना ले। इस पेस्ट मंजन करने से दांत का दर्द दूर होता है।

-  नींबू, आंवला, टमाटर ,नारंगी का नियमित उपयोग लाभकारी है।

- मसूढों से अत्यधिक मात्रा में खून जाता हो तो नींबू का ताजा रस पीना  लाभकारी है।

- हरी सब्जियां और  भोजन में अधिक शामिल करें।

- दांत की केविटी में थोडी सी हींग भरदें।

- बर्फ का टुकडा दुखने वाले दांत के ऊपर या पास में रखें। बर्फ उस जगह को सुन्न करके लाभ पहुंचाता है।

- एक छोटा प्याज रोज चबाकर खाने की सलाह दी जाती है। इससे दांत में निवास करने वाले जीवाणु नष्ट होंगे।

- लौंग के तैल में रूई भिगोकर दांत की केविटी में रखने से लाभ होता है।

-नमक मिले गरम पानी के कुल्ले करने से दंतशूल नियंत्रित होता है। दिन में तीन बार कुल्ले करना उचित है।

बुधवार, 7 सितंबर 2011

ये हैं तेज और धारदार याददाश्त पाने का घरेलू नुस्खा


आजकल अच्छा खान पान न होने की वजह से याददाश्त का कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है। हर आदमी अपनी भूलने की आदत से परेशान है लेकिन अब आपको परेशान हो की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आयुर्वेद में इस बीमारी को दूर करने के सरलतम उपाय बताए हैं।

- भोजन में कम शर्करा वाले पदार्थ उपयोगी होते हैं। पेय पदार्थों में भी कम चीनी का प्रयोग करना चाहिये। इन्सुलिन  हमारे दिमाग को तेज और धारदार बनाये रखने में महती भूमिका रखता है। इसके लिये मछली बहुत अच्छा भोजन है।

- दालचीनी का पावडर बनालें। 10 ग्राम पावडर शहद में मिलाकर चाटलें। कमजोर दिमाग की अच्छी दवा है।

- धनिये का पावडर दो चम्मच शहद में मिलाकर लेने से स्मरण शक्ति बढतीहै।

- सात दाने बादाम के रात को भिगोकर सुबह छिलका उतार कर बारीक पीस लें । इस पेस्ट को करीब 250 ग्राम दूध में डालकर तीन उबाल लगाऐं। इसके बाद इसे नीचे उतार कर एक चम्मच घी और दो चम्मच शक्कर मिलाकर ठंडाकर पीऐं। 15 से 20 दिन तक इस विधि को करने से याददाश्त तेज होती है।

- भीगे हुए बादाम को काली मिर्च के साथ पीस लें या ऐसे ही खूब चबा-चबाकर खाऐं और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें।

- एक चाय का चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण दूध या मिश्री के साथ रोजाना तीन से चार हफ्ते तक लें।

-  अखरोट  जिसे अंग्रेजी में वालनट कहते हैं स्मरण शक्ति बढाने में सहायक है। नियमित उपयोग हितकर है। 20 ग्राम वालनट और साथ में 10 ग्राम किशमिस लेना चाहिये।

- रोज एक सेवफल खाएं।

मंगलवार, 6 सितंबर 2011

तन की दुर्गंध अब नहीं करेगी परेशान अपनाएं ये तरीका

हमारे शरीर यानी बाहरी व्यक्तित्व को कमजोर बनाने या बुरा प्रभाव डालने में कुछ बातों का अहम् स्थान होता है। पसीने की बदबू भी एक ऐसी ही समस्या है जो आपके दूसरे तमाम गुणों पर पानी फेर कर लोगों की नजरों में आपकी गलत छबि प्रस्तुत करती है। यदि आप या आपका कोई अपना पसीने दुर्गंध की समस्या से परेशान है तो उसे नीचे दिये जा रहे कुछ बेहद आसान उपायों को एक बार ही सही पर अवश्य ही आजमाना चाहिये...



कुछ व्यक्तियों के पसीने में बदबू होती है।



-  पेट हर हाल में साफ  रखें यानी कब्जियत या दूसरी पेट संबंधी कोई समस्यान होने दें।



-  लहसुन, प्याज जैसी तीव्र गंध वाली चीजों से यथा संभव दूरी बनाकर रखें या अधिक सेवन न करें।



-  नियमित व्यायाम अवश्य ही करें, इससे शरीर में बनने वाला दूषित जल पहले ही निकल जाएगा। इसके बाद ही नहाएं ताकि दिनभर अधिक पसीना निकलने की संभावना ही न रहे।





-  पानी ज्यादा से ज्यादा पीयें, दिन भर में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी एक वयस्क व्यक्ति को अवश्य ही पीना चाहिये।



- बगल के बाल साफ  रखें, शरीर की त्वचा को अधिक से अधिक साफ-सुथरा रखें, हो सके तो नहाते समय मुल्तानी मिट्टी या उससे बने साबुन का ही इस्तेमाल करें।



- अपने शरीर की प्रकृति और मौसम की अनुसार कपड़े पहनें, भारतीय मौसम में कॉटन के कपड़े ही ज्यादा अनुकूल रहते हैं। कपड़े ऐसे हों जो आपके शरीर को प्राकृतिक वायु से जोड़े रखें।

पथरी के दर्द से तुरंत निजात दिलाएगा यह रामबाण नुस्खा


आमतौर पर हम जो भी खातें या पीतें हैं उससे काम के तत्व  शरीर में अवशोषित  हो जाते हैं तथा बेकार के तत्व मळ या मूत्र के रूप में बाहर उत्सर्जित होते हैं I ऐसे ही हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है गुर्दा (किडनी) , यह दिन -रात खून को छानने में  लगा रहता है और बेकार के तत्व  को मूत्र के रूप में बाहर निकालता रहता  है जबकि  यह काम के तत्व को अवशोषित कर लेता है I

अब आप ज़रा सोचिये की जैसे चाय को छानते -छानते छन्नी में कई बार अवरोध आता है और कई बार छन्नी बेकार भी हो जाती है, ठीक इसी प्रकार हमारे शरीर के  रक्त की छन्नी 'किडनी या गुर्दा' है क्या निरंतर कार्य करने से  खराब नहीं होती होगी? ऐसा नहीं है, सयंमित खान- पान करने पर किडनी रूपी रक्त छन्नी आजीवन निर्बाध रूप से काम करती रहती है ,हाँ यदि खान -पान में कैलशियम,पोटाशियम  के आक्स़लेट,यूरेट आदि अधिक  मात्रा में खून के माध्यम से गुर्दे में छनने  को जा रहे हों तो इनका जमा होना तो तय है और इसके लगातार जमा होने से एक टूकडे का निर्माण होता है।


जिसे बोलचाल की भाषा में 'पथरी' या 'स्टोन' कहते हैं। जिन क्षेत्रों के  पानी में चूने आदि तत्व मात्रा  से अधिक पाए जाते हैं वहां 'पथरी या केलकुलस' के रोगी अधिक मिलते हैं।  ऐसे रोगियों में छोटी पथरी का तो पता ही नहीं चलता,जब पथरी बड़ी या संख्या में अधिक हो जाती है तब रोगी को पेट के नीचे  एंठन लिए असहनीय दर्द बताता है, कई बार तो रोगी दर्द से बैचैन हो उठाता है, इस दशा में चिकित्सक अल्ट्रासाउंड द्वारा पथरी के आकार को मापते हैं और आगे की सलाह देते हैं।

आयुर्वेद में पथरी के लिए 'अश्मरी' शब्द का प्रयोग हुआ है I छोटी गुर्दे की 'पथरी' को मूत्र मार्ग से बाहर  निकालने में आयुर्वेदिक नुस्खे बड़े कामयाब हैं I ऐसे ही कुछ नुस्खे निम्न हैं ,हाँ इनका प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से ही करें तो बेहतर होगा I

-गोक्षुर चूर्ण :1.5 ग्राम,खीरा बीज चूर्ण-1.5 ग्राम,ककडीबीज चूर्ण- ग्राम एवं कुलथीबीज चूर्ण -1.5ग्राम का प्रयोग रोगी की आयु के अनुसार कराने से पथरी में काफी  लाभ मिलता है।-पथरी के रोगियों में रात में कुल्थी की दाल को भिगों कर छोड़कर प्रातः उसका पानी पीने से भी लाभ मिलता है।-लगभग दो किलो नींबू का रस निकालकर,इसे एक लीटर की मात्रा  में छानकर बोतल में भर कर रख लें,अब  इसमें एक मुट्ठी कौडियाँ डाल दें,तथा बोतल को थोड़ा हिला लें, यह थोड़ा दूधिया हो जाएगा,अब इसे रोज आधा कप तबतक पीयें जबतक रस समाप्त न हो जाय,यह पथरी को निकालने का अनुभूत नुस्खा है।-कुछ आयुर्वेदिक योग भी पथरी की चिकित्सा में कारगर होते हैं जैसे  : चन्द्रप्रभावटी,श्वेतपर्पटी, चन्दनासव,गोक्षुरादीगुगुल्लू ,वरुणादीक्वाथ,त्रंणपंचमूलक्वाथ आदि, इनका प्रयोग एवं मात्रा का निर्धारण चिकित्सकीय परामर्श से ही होना चाहिए।पथ्य एवं अपथ्य : पथरी  के रोगीयों को टमाटर,पालक आदि के सेवन में संयम बरतना चाहिए। हाँ अगर पथरी काफी बड़ी हो तो फ़ौरन आधुनिक चिकित्सा  में सर्जरी या लीथोट्रीप्सी बेहतर विकल्प हो सकता है।

बिना कॉस्मेटिक्स के गुलाब सी स्कीन पाएं बस कुछ मिनट देकर....

सुंदर दिखने की पहली शर्त है स्वस्थ-सुंदर त्वचा। चाहे आप कामकाजी हों या घरेलू, आप की त्वचा को वातावरण के प्रदूषण, धूल-मिट्टी इत्यादि का सामना करना ही पड़ता है। उनके कारण त्वचा मुरझाई-सी दिखने लगती है।  अगर आप भी अपनी त्वचा को गुलाब के फूल की तरह तरोताजा रखना चाहती हैं तो योग से अच्छा कोई उपाय नहीं है। वरूण मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जिसे रोज सिर्फ पंद्रह मिनट कर कोई भी अपनी स्किन कोमल और मृदु बना सकता है।

कैसे बनाएं वरूण मुद्रा- सबसे छोटी अंगुली तथा अंगूठे के पोर को मिलाकर शेष अंगुलियों को यदि अपनी सीध में राखी जाय तो वरुण मुद्रा बनती है। लाभ - यह मुद्रा रक्त संचार संतुलित करने,चर्मरोग से मुक्ति दिलाने, रक्त की न्यूनता (एनीमिया) दूर करने में परम सहायक है। वरुण मुद्रा के नियमित अभ्यास से शरीर में जल तत्व की कमी से होने वाले अनेक विकार समाप्त हो जाते हैं। जल की कमी से ही शरीर में रक्त विकार होते हैं।यह मुद्रा त्वचा को स्निग्ध तथा सुन्दर बनता है।

रविवार, 4 सितंबर 2011

बालों से जुड़ी हर प्रॉब्लम को धो डालेंगे नानी के ये नुस्खे

वर्तमान समय में बढ़ती प्रदूषण, तनाव और अनियमित आहार के चलते बालों की समस्या सताने लगती हैं। इसके कारण बाल रूखे और बेजान हो जाते है। ऐसे में अगर आप अपने बालों को लेकर चिन्तित है तो आप ये उपाय आजमा कर देखिए

- बालों में चमक प्रदान करने के लिए एक अंडे को खूब अच्छी तरह फेंट लें, इसमें एक चम्मच नारियल का तेल, एक चम्मच अरंडी का तेल, एक चम्मच ग्लिसरीन, एक चम्मच सिरका तथा थोड़ा सा शहद मिलाकर बालों को अच्छी तरह लगा लें, दो घंटे बाद कुनकुने पानी से धो लें। बाल इतने चमदार हो जाएंगे जितने किसी भी कंडीशनर से नहीं हो सकते।

- दही में बेसन घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद सिर धो लें। इससे बालों की चमक लौट आएगी और बालों की रूसी की समस्या से भी आपको निजात मिलेगी।

- रूसी की शिकायत वाले बालों के लिए दही में कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सिर धोए। यह हफ्ते में दो बार अवश्य करें। इससे जहाँ बालों की रूसी खत्म होगी, वहीं बाल मुलायम, काले, लंबे व घने होंगे जो आपकी सुंदरता में चार चाँद लगाएँगे।

- पिसी हुई मेहंदी एक कप, थोड़ा सा कॉफी पाउडर, 1 चम्मचए दही, 1 चम्मचए नीबू का रस, 1 चम्मचए पिसा कत्था, 1 चम्मच आंवला चूर्ण, 1 चम्मच सूखे पुदीने का चूर्ण। फिर इन सभी को मिलाकर करीब दो घंटे रखें। बालों पर घंटा भर लगाकर धो लें। इसे बाल मुलायम व काले होंगे।

-  काली मिट्टी बालों के बहुत अच्छी मानी जाती है, काली मिट्टी को दो घंटे पहले भिगोकर इससे सिर धोएं, इससे बाल मुलायम होते हैं।

-  नारियल के तेल में नीबू का रस मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से बालों का असमय पकना और झडऩा रुक जाता है।

- आंवले का चूर्ण व पिसी मेहंदी मिलाकर लगाने से बाल काले व घने रहते हैं।

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