मिरगी घरेलू उपचार
तिलों के साथ लहसन खिलाएं। इससे वात का मिरगी रोग धीरे-धीरे जाता रहता है।
दूध के साथ शतावरी खाने से साधारण पित्त का मिरगी रोग दूर होता है।
शहद में ब्राह्मी का रस मिला कर लेने से कफ का मिरगी रोग ठीक हो जाता है।
राई और सरसों को गो मूत्र में पीस कर शरीर पर लेप करें। इससे हर प्रकार की मिरगी में लाभ मिलता है।
मीठे अनार के रस में मिस्री मिला कर पिलाने से बेहोशी दूर होती है।
नींबू के साथ हींग चूसने से मिरगी का दौरा नहीं पड़ता।
अकरवारा को सिरके मे मिला कर शहद के साथ प्रतिदिन प्रातः काल चाटने से मिरगी दूर होती है।
लहसुन की कलियों को दूध में उबाल कर पीने से पुरानी मिरगी भी दूर हो जाती है।
लहसुन कूट कर सुंघाने से मिरगी के दौरे की बेहोशी दूर होती है।
वच को बारीक पीस कर ब्राह्मी अथवा शंखाहुली के रस, या पुराने गुड़ के साथ लें, तो मिरगी रोग में आराम मिलता है।
पीपल, चित्रक, पीपरामूल, त्रिफला, चव्य, सौंठ वायविडंग, सेंधा नमक, अजवायन, धनिया, सफेद जीरा, सभी को बराबर मात्रा में पीस कर चूर्ण बना लें और सुबह-शाम पानी के साथ लेने से मिरगी रोग में लाभ होता है।
सावधानियां
मिरगी के रोगी को प्रायः सभी प्रकार के नशों को त्याग देना चाहिए। उसे चाय-काफी, उत्तेजक द्रव्य, मांसाहारी भोजन से बिलकुल दूर रहना चाहिए और सोने से दो घंटे पूर्व भोजन कर लेना चाहिए। विवाहित स्त्री-पुरुषों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और अविवाहित स्त्री-पुरुष कृत्रिम मैथुन से बचें। उन्हें रोग पैदा करने वाले सभी मूल कारणों से बचना चाहिए, जैसे कब्ज, थकान, तनाव और मनोविकार।
सोमवार, 25 अक्टूबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Featured post
PCOD की समस्या
🌻 *मासिक की अनियमितता, मासिक में देरी, PCOD की समस्या* 🌻 ऐलोपैथी चिकित्सा पद्ध्यति में इस रोग के लिए कोई उपचार नही है, किन्तु आयुर्वेद की...
-
लेखक - पी. ए. बाला शत्रु बाधा मुक्ति के लिए कल मेरे द्वारा एक प्रयोग दिया गया था, जोकि सरल था..पर कई लोगों का कहना था कि शत्रु अगर दूर रहत...
-
लेखक - पी. ए. बाला जो भी व्यक्ति धन संबंधी , कर्ज़ संबंधी परेशानियों से गुज़र रहे हैं । वह व्यक्ति नित्य प्रातः 3:00-3:30 बजे उठ कर अपने पलंग ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें