शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

मुलतानी मिट्टी का पैक लगाइए, दमकती त्वचा पाइये

आज महिलाएं अपने सौंदर्य के प्रति अत्यधिक जागरूक हैं। आज का युग है ही सौंदर्य प्रधान युग। फिर हम में से कौन अपने आपको ब्यूटी क्वीन कहलाना पसंद नहीं करेगा। नारी की इसी आवश्यकता को मध्य नजर रखते हुए सौंदर्य प्रसाधनों की कई छोटी बड़ी कम्पनियां खुल गई हैं मगर ये सौंदर्य प्रसाधन इतने महंगे होते हैं कि हम सब इन्हें खरीद नहीं पाते। निराश न होइए। आपके लिए सस्ते, आसानी से उपलब्ध और पाकृतिक प्रसाधन मौजूद हैं। मुलतानी मिट्टी की सहायता से आप अपने रूप को निखार कर आकर्षक बना सकती हैं।
१ मुलतानी मिट्टी का पैक प्राकृतिक एन्टीसेप्टिक है। इसके प्रयोग से आप अपने चेहरे को मुंहासों, दाग, धब्बों व झाइयों से दूर रख सकते हैं। इसका उपयोग त्वचा में कसाव लाता है।
२ मुलतानी मिट्टी में दही मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगाए रखें। सूखने पर ठंडे पानी से धो लें। त्वचा साफ स्निग्ध दोनों हो जाएगी।
३ एक चम्मच पिसी हुई मुलतानी मिट्टी में एक चम्मच नींबू का रस, एक छोटा चम्मच बेसन, जरा सी हल्दी मिलाकर पैक तैयार करें। इस पैक के इस्तेमाल से आप मुंहासों से छुटकारा पा सकेंगी।
४ काली त्वचा को निखारने के लिए दो चम्मच मुलतानी मिट्टी में एक चम्मच सरसों का तेल, एक चम्मच मलाई व चुटकी भर हल्दी मिलाएं। इस पेस्ट को नहाने से पूर्व पूरी त्वचा पर लगाएं। हफ्ते में एक दो बार इस पेस्ट का इस्तेमाल करें।
५ मुलतानी मिट्टी का प्रयोग दही, दूध के अतिरिक्त फलों व सब्जियों के रस के साथ भी किया जा सकता है। फलों के रस के साथ इसका प्रयोग करने से त्वचा के बंद रोम कूप खुल जाते हैं।
६ टमाटर के रस में मुलतानी मिट्टी का पेस्ट बनाकर प्रतिदिन चेहरे पर लगाना आपकी त्वचा को गोरा व साफ करता है।
७ यदि आपकी त्वचा तैलीय है तो मुलतानी मिट्टी में गुलाब जल मिला कर लगाएं।
८ चेहरे की झुर्रियों को दूर करने के लिए दो चम्मच मुलतानी मिट्टी, छोटे चम्मच खीरे का रस, दो बादाम की पिसी गिरियां मिलाकर पैक बना लें। इसे चेहरे पर हफ्ते में एक बार अवश्य लगाएं ताकि झुर्रियां दूर होकर त्वचा मुलायम व साफ हो जाए।
९ शुष्क त्वचा के लिए दो चम्मच मुलतानी मिट्टी में बादाम का तेल या शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएं। सूखने के पश्चात गुनगुने पानी से धो लें।
१० चेहरे के साथ-साथ आप मुलतानी मिट्टी का प्रयोग अपने बालों के लिए भी कर सकती हैं। इसका प्रयोग बालों को चमकदार, मुलायम व काला बनाता है। दो चम्मच मुलतानी मिट्टी में दही व नींबू की कुछ बूंदें मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं।
११ पैक हमेशा ब्रश या उंगलियों के पोरों से धीरे-धीरे लगाएं। यदि आप पैक का प्रयोग महीने में तीन चार बार करेंगी तो आपकी त्वचा कांतिमय व मुलायम बनी रहेगी।

नींबू : खट्टा स्वाद-मीठे गुण

नींबू आमतौर पर नींबू, निम्बू, निम्बूक, लेम्ब, तिलम्बूक, लिबू तथा लिमेने जैसे नामों से विभिन्न क्षेत्रों में जाना जाता है। चमकीले कवच वाला यह फल तीव्र गंध वाला, द्विशाखी, ससीमाक्ष पृथकदली तथा कपाटीय मस्पुटक वैज्ञानिक विशेषताएं लिए हुए होता है। यह उष्ण कटिबंधीय तथा शीतोष्ण भागों में पाया जाता है। वैज्ञानिक अनुमनों के अनुसार विश्व भर में इसकी लगभग 1300-1400 प्रजातियां पायी जाती हैं। भारत में पायी जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हैं- साइट्रस एसीडा, साइट्रस डिकुमाना, साइट्रस मेडिका (लिमोनिया) साइट्रस लिमिट्टा।
प्रत्येक घर में उपयोग किया जाने वाला यह फल वातनाशक, पाचक तथा पित्त-कफ, संतुलक होता है। घरों में आमतौर पर सिरका, अचार एवं इसका रस उपयोग में लाया जाता है। औषधीय गुण रखने वाला यह फल निम्न उपयोग में आता है-
– दाद में खुजला कर यदि नींबू रस का लेपन करें तो दाद अतिशीघ्र ठीक हो जायेगी।
– बिजौर का जड़ का रस एवं सेंधानमक का मिश्रण का लगभग माह भर सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है।
– दांत दर्द में नींबू रस एवं लौंग के चूर्ण का मंजन अच्छा फायदा पहुंचाता है।
– चेहरे पर नींबू रस के साथ शक्कर या मलाई के लेपन करने से चेहरे पर चमक आती है एवं दाग मिटते हैं।
– पेचिश की शिकायत के दिनों में नींबू रस का पानी के साथ सेवन लाभप्रद होता है।
– जिन्हें सर्दी होने का डर बना रहता है वे नींबू का रस कुनकुने पानी में ग्रहण कर लाभ उठा सकते हैं।
– उल्टी होने पर नींबू का रस, इलायची तता पानी का सेवन करना फायदे मंद होता है।
– नींबू रस हृदय रोगियों को लाभप्रद औषधि है। नींबू के छिलके का चूर्ण एवं सेंधानमक का मंजन दांत की तमाम बीमारियों में लाभप्रद है। पायरिया रोगियों को नींबू का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
– जुकाम होने पर कुनकुने पानी में नींबू का रस व हल्का नमक मिलाकर सेवन करने से जुकाम शीघ्र ठीक हो जाता है।
– कुचला चूर्ण एवं नींबू के सिरके के लेप से दाद पर अतिशीघ्र लाभ होता है।
– दांत साफ करने के लिए नींबू का रस व हींग की मालिश करने से दांत साफ व चमकदार बनते हैं।
– नकसीर होने की दशा में नाक में नींबू का रस टपकाने से निकलता खून तुरन्त बन्द हो जाता है।
– नींबू रस की सहायता से फाड़े गये दूध के सेवन से कैसे भी भी दस्त हों बन्द हो जाते हैं। स्वाद के लिए शक्कर मिला सकते हैं।
– नींबू रस व पानी का सेवन सिर चकराने में अच्छा लाभ पहुंचाता है।

गौमूत्र-स्वास्थ्य के लिए वरदान


गौमूत्र के बारे में कहा जाता है यह कई रोगों की दवा है। दो रोग अन्य चिकित्सा पध्दति से नियंत्रित नहीं होते वह गौमूत्र के सेवन से नियंत्रित हो जाते हैं। मातृ दुग्ध की तरह ही गौमूत्र भी मानव जाति के लिए वरदान हैं।
क्या-क्या होता है गौमूत्र में- गौमूत्र में मानव शरीर के लिए सभी पोषक तत्व पाये जाते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर शरीर को स्वस्थ रखते हैं तथा शरीर के विभिन्न अंगों को नयी ऊर्जा व ताकत प्रदान करते हैं।
क्या लाभ है सेवनं से- बुध्दि, मुख, आंख, श्वसन तंत्र, कर्ण रोग, त्वचीय रोग, किडनी व मूत्र प्रणाली, हार्मोन्स, विकृति पाचन तंत्र के रोग, आसानी से दूर हो जाते हैं। इसके अलावा

1. गौमूत्र शरीर में व्याप्त विष को निष्कासित करता है।

2. कैंसर, डायविटीज, पथरी जैसे कष्टदायी रोगों का शमन करता है।

3. रक्त में डब्लू.बी.सी. की वृध्दि कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, यदि कोई रोग है तो उससे लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

4. शरीर के लिए नियमित आवश्यक तत्व चांदी, केल्शियम, लोहा, मैगनीज, सोडियम, तांबा, एंजाईज्म, एसिड प्रचुर मात्रआ में प्रदान करता है।

5. गुस्सैल व्यक्तियों द्वारा इसका सेवन करने से मन-मस्तिष्क नियंत्रण में रहता है।

6. इन दिनों मोटापा घटाने के तरह-तरह की रासायनिक दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं जिनसे नुकसान के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता। गौमूत्र का सेवन कीजिए तथा बिना किसी अन्य प्रभाव के फायदा उठाइए।

7. दंत रोग में विशेष लाभदायी।

8. हृदय रोगों को यह आसानी से ठीक करता है।

9. कब्ज में इसे अवश्यय लें।
गौमूत्र आजकल बाजारों में गौक्षरण, गौमूत्र, गौ अमृत के नाम से उपलब्ध है। जिसे आप खरीदकर भी सेवन कर सकते हैं।


गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

चमत्कारी याददाश्त पाने का सरलतम उपाय

आजकल अच्छा खान-पान न होने की वजह से याददाश्त का कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है।हर आदमी अपनी भूलने की आदत से परेशान है, लेकिन अब आपको परेशान हो की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आयुर्वेद में इस बीमारी को दूर करने के सरलतम उपाय बताए हैं।

1. सात दाने बादाम के रात को भिगोकर सुबह छिलका उतार कर बारीक पीस लें । इस पेस्ट को करीब 250 ग्राम दूध में डालकर तीन उबाल लगाऐं। इसके बाद इसे नीचे उतार कर एक चम्मच घी और दो चम्मच शक्कर मिलाकर ठंडाकर पीऐं। 15 से 20 दिन तक इस विधि को करने से याददाश्त तेज होती है।

2. भीगे हुए बादाम को काली मिर्च के साथ पीस लें या ऐसे ही खूब चबाचबाकर खाऐं और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें।

3. एक चाय का चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण दूध या मिश्री के साथ रोजाना तीन से चार हफ्ते तक लें ।

विशेष: सिर का दर्द, आंखों की कमजोरी, आंखों से पानी आना, आंखों में दर्द होने जैसे कई रोगों में यह विधि लाभदायक है। आजकल अच्छा खान पान न होने की वजह से याददाश्त का कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है।हर आदमी अपनी भूलने की आदत से परेशान है लेकिन अब आपको परेशान हो की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आयुर्वेद में इस बीमारी को दूर करने के सरलतम उपाय बताए हैं।

1. सात दाने बादाम के रात को भिगोकर सुबह छिलका उतार कर बारीक पीस लें । इस पेस्ट को करीब 250 ग्राम दूध में डालकर तीन उबाल लगाऐं। इसके बाद इसे नीचे उतार कर एक चम्मच घी और दो चम्मच शक्कर मिलाकर ठंडाकर पीऐं। 15 से 20 दिन तक इस विधि को करने से याददाश्त तेज होती है।

2. भीगे हुए बादाम को काली मिर्च के साथ पीस लें या ऐसे ही खूब चबाचबाकर खाऐं और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें।

3. एक चाय का चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण दूध या मिश्री के साथ रोजाना तीन से चार हफ्ते तक लें ।

विशेष: सिर का दर्द, आंखों की कमजोरी, आंखों से पानी आना, आंखों में दर्द होने जैसे कई रोगों में यह विधि लाभदायक है

बुधवार, 27 अप्रैल 2011

लो बीपी का अचूक इलाज है- तालीयोग

ब्लड-प्रेशर की समस्या आज सबसे ज्यादा तेजी से बढऩे वाली समस्या है। कोई लो बीपी से परेशान है तो किसी को हाई बीपी ने अपने चंगुल में जकड़ रखा है। पूरी तरह से फिट व्यक्ति को ढूंढ पाना आज बेहद चुनौती का काम है। हर किसी को किसी न किसी बीमारी ने जकड़ रखा है।

अच्छी सेहत का मालिक होना करोडों की दौलत से ज्यादा मूल्यवान होता है। तभी तो इंसान बेहतर स्वास्थ्य पाने के लिये तमात तरह की कोशिशें करता है। आप इतना कुछ कर ही रहे हैं तो क्यों न आजमाएं इस बेहद कारगर तालीयोग को, जो पूरी तरह से सुरक्षित और बेहद आसान भी है।

गैस, कब्ज, अपच, मानसिक तनाव, एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ापन से पीडि़त हैं तो दायें हाथ की चार अंगुलियों को बाएं हाथ की हथेलियों पर जोर-से मारना चाहिए और इस अभ्यास को सुबह-शाम कम-से-कम 5 मिनट करना चाहिए। धीरे-धीरे हम इन रोगों से मुक्त हो जाएंगे।

निम्न रक्तचाप यानी लो बीपी के रोगियों को खड़े होकर दोनों हाथों को सामने लाकर ताली बजाते हुए नीचे से ऊपर की ओर गोलाकार घुमाएं और दिशा नीचे से ऊपर की ओर होनी चाहिए। यह निम्न रक्तचाप को सामान्य करने में बहुत ही लाभदायक तरीका है। ताली योग के द्वारा हृदय रोग, कमर दर्द, सरवाइकल जैसे रोग भी दूर होते हैं।

कैसे करें ताली योग दोनों हाथों की दसों अंगुलियों और हथेली को जोर-जोर से मारते हुए एक साथ एक ही जैसी आवाज में ताली योग का अभ्यास करें।

शुरू-शुरू में इसका अभ्यास कम-से-कम 2 मिनट अवश्य करना चाहिए और फि र इसको बढ़ाते हुए लगभग रोज 10 मिनट तक अभ्यास करना चाहिए।

सांवलापन जाएगा गर पूरे 30 दिन करें ये 5 काम

प्रकाश, उजाला और निखार हमेशा से ही तारीफ की नजरों से देखे जाते हैं। अक्सर कुछ लोग अपने सांवले रंग से परेशान रहते हैं। सांवला रंग कभी किसी के करियर में रुकावट बनता है तो कभी शादी ब्याह में। ज्यादातर लड़के लड़कियां भी अपने लिए गोरे रंग के हमसफर को प्रीफर करते है। अगर आप अपने सांवले रंग से परेशान हैं तो घबराइये नहीं कुछ आसान आयुर्वेद नुस्खे ऐसे हैं जिनसे आपका सांवलापन दूर हो सकता है।

1. एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने

लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं)।

2. आंवला का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है।

3. गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है। रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सांफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है। आपकी राय

4. प्रतिदिन खाने के बाद सोंफ का सेवन करें।

5. रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें

मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

10 दिनो में पाएं नैचुरल ग्‍लो

गर्मी के दिनों में चेहरे की ताजगी छिन जाती है। कुछ विशेष उपाय कर त्‍वचा की चमक को कायम रखा जा सकता है।




दो चम्मच बेसन, हल्दी पावडर, गुलाब जल व शहद मिलाकर लेप बनाएँ। इसे चेहरे व हाथ-पैरों और गर्दन पर लगाएँ व 10 मिनट बाद धो लें। इससे त्वचा निखर जाएगी।



कच्चे दूध में हल्दी डालकर पेस्ट बनाएँ। इसे चेहरे और हाथ-पैरों पर लगाएँ। 10 मिनट बाद धो लें। त्वचा निखर उठेगी।



होठों को सुंदर और मुलायम बनाए रखने के लिए रात को सोते समय दूध की मलाई लगाएं, सुबह ठंडे पानी से धो लें।



आँखों में जलन व काले घेरों को कम करने के लिए रात को सोते समय आँखों पर ठंडे दूध में रुई भिगोकर रखें।



8-10 दिन में एक बार चेहरे को भाप अवश्य दें। इस पानी में पुदीना, तुलसी की पत्ती, नीबू का रस व नमक डालें। भाप लेने के बाद इसी गुनगुने पानी में 5 मिनट के लिए हाथों को रखें। हाथ की त्‍वचा निखर जाएगी।

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

तरबूज बनाता है मजबूत शरीर और दिमाग को


गर्मी आते ही मन कुछ ठंडा खाने को करता है जो मन और दिमाग दोनों को गर्मी से दूर रखे। ऐसे में ठंडा तरबूत या खरबूज मिल जाय तो क्या कहने?
तरबूज अधिकतर देश के सभी भागों में उगाया जाता है। पहले तो उत्तरी भारत में बस गर्मी में ही तरबूज मिलता था। अब तो सारा साल भारत के किसी न किसी कोने से आया हुआ तरबूज खाने को मिलता है। इसका आकार बहुत बड़ा होता है। गूदा लाल और बीज काले या भरे रंग के होते हैं। तरबूज स्वाद में मीठा, ठंडा, प्यास बुझाने वाला शक्ति देने वाला तथा पेशाब की जलन कम करने वाला होता है। तरबूज फल के रूप में अच्छा तो है ही, इसके बीज भी शक्तिवर्ध्दक तथा तासीर में शीतल होते हैं। तरबूज में 90 प्रतिशत जल होता है। तरबूज हमारे दिमाग को मजबूत बनता है।

**आइये देखें इसके और क्या ला हैं :-

* नियमित तरबूज सेवन से कब्ज दूर होती है।
* तरबूज और उसके बीजों की गिरीशरीर को पुष्ट बनाती है। तरबूज खाने के बाद उसके बीजों को धो सुखा कर रख लें जिन्हें बाद में भी खाया जा सकता है।
* तरबूज खाने से प्यास बुझ जाती है।
* नियमित तरबूज खाने से पेशाब खुलकर आता है। पेशाब की जलन भी दूर होती है।
* प्रात: काल तरबूज के गूदे का रस निकालकर उसमें मिश्री मिलाकर पीने से सिरदर्द दूर हो जाता है।
* पुराने सिरदर्द को दूर करने के लिये तरबूज के बीजों की गिरी को पानी के साथ पीसकर लेप तैयार कर नियमित माथे पर लगायें।
* सूखी खांसी में तरबूज खाना लाभप्रद होता है।
* टखने और गुर्दे के पास की सूजन होने पर तरबूज खाना लाभदायक होता है।
* तरबूज के बीज खाने से बढ़े हुए रक्तचाप पर नियंत्रण होता है।
* गर्मी में हम बाहर निकलते रहते हैं। ऐसे में शरीर को गर्मी लग जाती है। नियमित तरबूज या तरबूज का रस पीने से गर्मी में राहत मिलती है।
* तरबूज खाने या उसका रस पीने से दिमाग को ताकत मिलती है।
* तरबूज के बीजों की गिरी की ठंडाई बनाकर प्रात: नियमित पीने के स्मरण शक्ति बढ़ती है।
* तरबूज का सेवन शरीर में ताकत बढ़ाता है।
* तरबूज खाते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसे खाने के बाद 1 घंटे तक पानी न पियें अन्यथा लाभ वेस्थान पर शरीर को हानि पहुंचा सकता है। तरबूज ताजा काट कर खायें। बहुत पहले का कटा तरबूज भी नुकसान पहुंचाता है।

नींद लाने के सरल उपाय


जिन्हें नींद न आने की शिकायत रहती है, उनके मन से ऐसे निराशाजनक विचार निकल जाने चाहिए। तभी नींद लाने के उपाय भी कारगर सिध्द होंगे।
१. छह से सात घंटे की प्रतिदिन नींद पर्याप्त रहती है।
२. आधी रात से पूर्व की दो घंटों की नींद, आधी रात के बाद के चार घंटों नींद के समान समझें।
३. रात साढ़े नौ बजे तक सो जाना एक अच्छी आदत है।
४. अच्छी नींद सोना है तो रात हल्का भोजन करें।
५. सोने से तीन घंटे पूर्व भोजन कर लेना अच्छी बात है।
६. भोजन के बाद तथा सोने से पूर्व 100-200 गज जरूर चलें जिससे भोजन पच जाए।
७. सोने से पूर्व प्राकृतिक क्रियाएं निपटा लें ताकि रात को न उठना पड़े।
८. सोने के समय चिंतामुक्त रहें। मन में कोई फिक्र लेकर बिस्तर पर मत जाएं। चिंता सोने नहीं देगी।
९. आपका कमरा तथा बिस्तर साफ हो। खिड़कियां खुली रखें। तेज रोशनी तथा शोर अपने शयन कक्ष में मत आने दें। इसके लिए सचेत रहें।
१०. रात सोने से पूर्व कोई अश्लील साहित्य मत पढ़े।
११ टीवी पर घटिया, उत्तेजक, भयानक सीरियल न देखें।
१२ सोते समय मन तथा भावनाओं को शुध्द रखें।
१३ भयमुक्त रह कर सोना ही अच्छी नींद लाता है।
१४ सोने से पूर्व हाथ, पांव, मुंह दांत, साफ कर लिया करें।
१५ पांव के तलवों पर तेल की मालिश करना अच्छा रहेगा।
१६ यदि नींद न आने की शिकायत बनी रहती है तो गर्म पानी में नमक डालकर पांव तथा पिंडलियां भिगोकर रखें। फिर हल्की मालिश करें। थकान नहीं रहेगी।
१७ रात को सोने का समय कम मिले तो कुछ कमी दिन में सो कर पूरी करें. गांधी जी ऐसा ही करते थे। चौबीस घंटों में 6 से 7 घंटे तो सोना ही है।
१८ नेपोलियन बोनापार्ट घोड़े की पीठ पर सवारी करते करते नींद ले लेते थे। नींद की कमी पूरी कर लेते थे। अपने अपने कायक्षेत्र को ध्यान में रख नींद पूरी कर लें।
१९ नींद न आने या नींद न लेने का सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इन साधारण उपायों को अपना कर अपनी नींद पूरी करने का प्रयास करें।

गर्मी के मौसम में आपका खान-पान


शीत ऋतु (सर्दी) की अपेक्षा गर्मी के मौसम में पाचक आग्न मंद पड़ जाती है। खान-पान में जरा सी असावधानी होने पर कई भयंकर व्याधियों (बीमारियों) से इंसान घिर जाता है। यदि आहार-विहार मौसम के अनुसार करें तो अपने शरीर और स्वास्थ्य की रक्षा कर सकता है। प्रस्तुत है ग्रीष्म ऋतु में खान-पान कैसा हो इस संबंध में विस्तृत जानकारी।
१. गर्मी के मौसम में खान-पान हल्का व सादा होना चाहिये। भोजन में मौसमी सब्जियों, दूध, दही व मट्ठे को भी सम्मिलित करना चाहिये। ये सभी स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी फायदेमंद होते हैं। पुदीना, प्याज व धनिया की चटनी बनाकर खायें। इससे खाना जहां जल्दी पचेगा, वहीं भूख भी बढ़ेगी।
२. इन दिनों सड़ा-गला, बासी व खुला पदार्थ बिल्कुल नहीं खाना चाहिये। क्योंकि इससे हैजा होने की संभावना अधिक रहती है। तले और मिर्च मसाले युक्त पदार्थों का सेवन अधिक न करें। खाने-पीने की वस्तुएं ढंक कर रखना चाहिये।
३. भूख से अधिक खाकर पेट को भारी न करें बल्कि भूख से एक और कम ही खाये, अन्यथा अधिक भोजन करने से अपच, उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है। दूसरी बात लंबे समय तक भूखा भी न रहे। भोजन के अभाव में शरीर में कमजोरी ही नहीं आती बल्कि वायु प्रकोप भी होती है।
४. इन दिनों बाजारों में अनेक बोतल बंद पेय मिलते हैं, जिसमें अप्राकृतिक सुगंध और केमिकल्स तथा साखरीन का प्रयोग होता है, जो शरीर के लिए हानिकारक होता है। सबसे अच्छा उपाय यही करे कि घर में ही थंडई बनाये। थंडई में दही की लस्सी, कोकम का तेल, शरबत, नींबू, शरबत या शिकंजी बनाकर लें। बलवर्धन के लिये सुगंधित, शर्करा मिश्रित थंड पेय लें। ये सभी गर्मी की परेशानियों से राहत दिलाते हैं।
५. इस मौसम में प्यास बुझाने के लिये मौसमी फल जैसे अंगूर, अन्नस, अनार, आम व नारियल का रस पिये। इसके अतिरिक्त पके तरबूज, इमली, खरबूज, आम व ककड़ी का सेवन करें। आम का पना पीना लाभदायक होता है। लू भी नहीं लगती तथा गर्मी दूर भागती है।
६. भोजन निश्चित समय पर करें। आदत न हो तो डाले। बेसमय किया गया भोजन का शरीर पर (सेहत पर) बुरा प्रभाव पड़ता है।
७. इस मौसम में सत्तु का सेवन करना भी लाभप्रद होता है। प्रतिदिन दोपहर में सत्तु में चीनी व दुध मिलाकर खाये।
८. बर्फ व आइसीम का प्रयोग ज्यादा न करें। बर्फ का पानी ज्यादा पीने से हाजमा ही नहीं बिगड़ता है बल्कि गले में खराश भी होती है। बेहतर तो यही कि घड़े का ठंडा पानी ही पिये। ग्रीष्मऋतु में आइसाीम खाने का सबसे अच्छा समय शाम का है।
९. रात्रि में सोने के पूर्व एक गिलास मीठे दूध में दो चम्मच शुध्द घी मिलाकर अवशय पिये। यह संभव न हो तो एक गिलास ठंडा पानी ही पीये। घर से बाहर जायें तो भी दिन में पानी पीकर ही निकले, लू नहीं लगती।
१०. प्रतिदिन सुबह शौच जाने के पूर्व एक गिलास पानी पिये। इससे कब्ज नहीं होता। नींबू नीचोड़कर भी पी सकते हैं।
११. इन दिनों किसी भी विषय पर ज्यादा न सोचे, गंभीरता से न लें और न ही किसी से झगड़ा करें, अन्यथा मानसिक संतुलन बिगड़ जायेगा, जिसका असर पाचन प्रणाली पर पड़ता है।
१२. सुबह जल्दी उठे, पैदल चलें, हल्का व्यायाम करें। यह स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है। रात में अधिक देर तक न जागें।
१३. सदा प्रसन्न रहें, चिंता न करें, और आशावादी बने।
१४. इन दिनों चाय, काफी का सेवन कम करें।

रविवार, 24 अप्रैल 2011

बड़े रोग अब चुटकियों में होगें छूमंतर

अगर कोई कहे कि ताली बजाओ और तमात बीमारियों ससुरक्षित हो जाओ, तो शायद किसी को यकीन न हो, लेकिन यह कोई सुखद कल्पना नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक सत्य है।

खुखी का इजहार करने के लिये इंसान के पास कई तरीके होते हैं। हंसना, नाच-कूद करना, मुस्कुराना या हिप-हिप हुर्रे जैसी कोई आवाज निकालना। लेकिन एक तरीका ऐसा भी है, जो आपकी खुशी को बढ़ाने के साथ-साथ आपको सेहत को भी दुरुस्त करता है। यह तरीका है- ताली बजाने का।

हम जब खुश होते हैं तो ताली बजाते हैं लेकिन ताली मात्र खुशी का इजहार करने के लिए नहीं बजायी जाती बल्कि यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाता है। इस तरह से आपका शरीर एक प्रकार के सुरक्षा कवच में आ जाता है, जिस कारण बीमारियां आप तक पहुंच ही नहीं पातीं।



जब आप अपनी दोनों हथेलियों को जोर-से एक-दूसरे पर मारते हैं। इस दौरान हाथों के सारे बिंदु दब जाते हैं और धीरे-धीरे शरीर में व्याप्त रोगों का सुधार होता है। लगातार ताली बजाने से शरीर के श्वेत रक्त कण मजबूत होते है, जिसके परिणामस्वरूप मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि होती है

चाहिए एवर ग्रीन ब्‍यूटी

एवर ग्रीन ब्‍यूटी के नाम से बॉलीवुड में मशहूर रेखा के ब्‍यूटी का राज कोई नहीं जानता। इस उम्र में भी रेखा की त्‍वचा पर झुर्रियों का नामो निशान नहीं है जानते हैं। क्‍योंकि वह स्किन क्लींजिंग के लिए रोज नीबू का रस पीती हैं। इससे उनकी त्‍वचा टैन नहीं होती है और शायद यही रेखा की इंनर ब्‍यूटी का राज है।


अगर इस मौसम में त्‍वचा को खूबसूरत बनाना चाहते हैं तो इसकी क्लींजिंग के लिए पार्लर जाने की जरूरत नहीं है। बल्कि कुछ फूड ऐसे हैं जो नैचुरल तरीके से स्किन की सफाई करते हैं।


नीबू का इस्तेमाल बाहर से करने पर त्वचा को क्रिस्टल जैसी चमक तो मिलती है, पर उसका असर अपेक्षाकृत कम वक्त तक ही रहता है। मगर जब हम नीबू को अपनी खुराक का हिस्सा बनाते हैं तो यह हमारे शरीर में खून की सफाई करता है और त्वचा में हमेशा के लिए एक चमक रहती है।


अगर आपको दाग-धब्बा रहित पारदर्शी स्किन चाहिए तो विटामिन सी युक्त फलों जैसे आंवला, संतरा, मोसम्‍मी का रस पिएं। आंवला हमारी त्वचा के लिए अंदरूनी ब्लीच का काम करता है। ये हमारे शरीर से विषैले तत्त्वों को कम करता है, जिससे चेहरे पर झाईं या कालिमा नहीं आती।


नारियल पानी या जीरे का पानी भी यही काम करता है। इसी तरह से अगर आपको त्वचा पर चमक चाहिए तो अपनी डाइट में बादाम, अखरोट, मूंगफली और मछली को शामिल करें। इसमें मौजूद ओमेगा 3 शरीर की कोशिकाओं के अंदर जाकर उन्हें पोषण देता है और उसका असर चेहरे पर दिखता है।


अखरोट खाने से चेहरे पर ब्लैकहेड्स नहीं आते। शायद इसीलिए बाजार में मौजूद हर स्क्रब में अखरोट का इस्तेमाल जरूर किया जाता है। पहले अपनी त्‍वचा की समस्‍या को समझने की कोशिश करें फिर उसके अनुसार फूड का चयन करें

इस नुस्खे से 3 महीने में कम होगा 7 किलो वजन!

अगर आप मुफ्त में वजन कम करना चाहती हैं तो इस मौसम में पानी की मात्र बढ़ा दीजिए। आप जितना ज्यादा पानी पिएंगी, आपका वजन उतना ही कम होगा।


हाल ही में आए एक सर्वे के अनुसार, आपके बढ़ते वजन का कारण सिर्फ एक्‍सरसाइज की कमी नहीं बल्कि आपकी अनहेल्दी डाइट भी है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओबेसिटी में छपे रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 20 सालों में तकनीकों में आए बदलाव के बावजूद हमारी शरीरिक गतिविधियों में कुछ खास बदलाव नहीं आया है। ऐसे में बढ़ते मोटापे का मुख्य कारण जरूरत से ज्यादा डाइट लेना है।


वर्जीनिया पॉलिटेक्निक इंस्टीटय़ूट और स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, वजन घटाने के लिए हमेशा खाना खाने से पहले दो गिलास पानी पिएं। यह फॉर्मूला तीन माह के भीतर आपका कम-से-कम सात किलो तक वजन कम कर सकती हैं

चेहरे पर स्थाई चमक लाने के घरेलू फंडे

इंसान के शरीर में उसका चेहरा ही सबसे ज्यादा प्रभावशाली होता है, क्योंकि व्यक्तित्व के दूसरे गुणों की पहचान तो बाद में होती है। फस्ट इम्प्रेशन तो चेहरे के हाव-भाव का ही पड़ता है। पहली नजर में ही अपने व्यक्तित्व की अमिट छाप यदि किसी पर छोडऩा हो तो नीचे दिये उपायों को अपनाकर चेहरे पहले ज्यादा प्रभाशाली बनाया जा सकता है.....

- गर्मी के दिनों में चेहरे की ताजगी छिन जाती है। कुछ विशेष उपाय कर त्वचा की चमक को कायम रखा जा सकता है।

- दो चम्मच बेसन, हल्दी पावडर, गुलाब जल व शहद मिलाकर लेप बनाएँ। इसे चेहरे व हाथ-पैरों और गर्दन पर लगाएँ व 10 मिनट बाद धो लें। इससे त्वचा निखर जाएगी।

- कच्चे दूध में हल्दी डालकर पेस्ट बनाएँ। इसे चेहरे और हाथ-पैरों पर लगाएँ। 10 मिनट बाद धो लें। त्वचा निखर उठेगी।

- होठों को सुंदर और मुलायम बनाए रखने के लिए रात को सोते समय दूध की मलाई लगाएं, सुबह ठंडे पानी से धो लें।

- आँखों में जलन व काले घेरों को कम करने के लिए रात को सोते समय आँखों पर ठंडे दूध में रुई भिगोकर रखें।

- 8-10 दिन में एक बार चेहरे को भाप अवश्य दें। इस पानी में पुदीना, तुलसी की पत्ती, नीबू का रस व नमक डालें। भाप लेने के बाद इसी गुनगुने पानी में 5 मिनट के लिए हाथों को रखें। हाथ की त्?वचा निखर जाएगी।


हैल्दी रहने का आसान और दिलचस्प तरीका!

अच्छी सेहत का मालिक होना करोडों की दौलत से ज्यादा मूल्यवान होता है। तभी तो इंसान बेहतर स्वास्थ्य पाने के लिये तमात तरह की कोशिशें करता है। आप इतना कुछ कर ही रहे हैं तो क्यों आजमाएं इस बेहद कारगर तालीयोग को, जो पूरी तरह से सुरक्षित और बेहद आसान भी है।



गैस, कब्ज, अपच, मानसिक तनाव, एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ापन से पीडि़त हैं तो दायें हाथ की चार अंगुलियों को बाएं हाथ की हथेलियों पर जोर-से मारना चाहिए और इस अभ्यास को सुबह-शाम कम-से-कम 5 मिनट करना चाहिए। धीरे-धीरे हम इन रोगों से मुक्त हो जाएंगे।



निम्न रक्तचाप के रोगियों को खड़े होकर दोनों हाथों को सामने लाकर ताली बजाते हुए नीचे से ऊपर की ओर गोलाकार घुमाएं और दिशा नीचे से ऊपर की ओर होनी चाहिए। यह निम्न रक्तचाप को सामान्य करने में बहुत ही लाभदायक तरीका है। ताली योग के द्वारा हृदय रोग, कमर दर्द, सरवाइकल जैसे रोग भी दूर होते हैं।



कैसे करें ताली योग- दोनों हाथों की दसों अंगुलियों और हथेली को जोर-जोर से मारते हुए एक साथ एक ही जैसी आवाज में ताली योग का अभ्यास करें।शुरू-शुरू में इसका अभ्यास कम-से-कम 2 मिनट अवश्य करना चाहिए और फि र इसको बढ़ाते हुए लगभग रोज 10 मिनट तक अभ्यास करना चाहिए।

10 मिनट में रहो 24 घंटे ताजगी व कॉन्फीडेंस से भरपूर

काम का तनाव और गहरी नींद की कमी के कारण आज अधिकांश लोगों की एक आम समस्या होती है-कमजोरी भरी थकान। ऐसी ही एक समस्या है- सुबह उठने पर ताजगी और उत्साव की बजाय थकान और कमजोरी का अहसास होना।

अकसर सुबह नींद खुलने पर थोड़ी सुस्ती और आलस्य महसूस होता हैं, मन करता है कि बस थोड़ी देर और सो लें, कुछ देर यूं ही आंखें मूंदें पड़े रहें। श्वास संबंधी व्यायाम आपकी सुस्ती को दूर भगाने में मदद करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय में सुस्ती दूर करने के लिए फेफड़ों को ज्यादा से ज्यादा शुद्ध आक्सीजन का मिलना बेहद जरूरी होता है।

प्राकृतिक चिकित्सकों और आहार-विहार विशेषज्ञों के अनुसार फेफड़ों को पूरी तरह खोलने के लिए और भरपूर ऑक्सीजन ग्रहण करने के लिए कुछ देर गहरी सांसें लें। फर्श पर चटाई बिछाकर या तो बिलकुल सीधी खड़ी हो जाएं या फिर पालथी मारकर बैठ जाएं। गहरी सांसें लें, ताकि आपके फेफड़ों में शुद्ध वायु प्रवेश कर सके। अपनी पसलियों को फैलाएं, सांस को भीतर फेफड़ों तक खींचें, थोड़ी देर ऐसे ही रहें। अब धीरे-धीरे अपनी नाक से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को रोज सुबह पांच-दस मिनट तक दोहराएं।

सुबह उठकर तरोताजा महसूस करने के लिए हलका-फु लका व्यायाम भी नियमित रूप से करना चाहिए, ताकि पूरे दिन शारीरिक, मानसिक रूप से ऊर्जावान रहा जा सकें।


गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

5 मिनिट में पाएं ऑइली फेस की चिपचिप से छुटकारा

हर चीज के दो पहलू होते हैं। यही कारण है कि खाशियत भी कभी-कभी खामी यानी कमी बन जाती है। ऐसा ही कुछ ऑइली फेस वालों के साथ भी है, क्योंकि जिस तैलीय त्वचा की यह खाशियत है कि इससे लम्बी उम्र तक चेहरे पर झुर्रिया या झाइयां नहीं पड़तीं। साथ ही चेहरे की चमक भी लंबे समय तक कायम रहती है।

लेकिन तैलीय त्वचा की अगर सही देखभाल न की जाए तो अच्छे भले चेहरे पर कील-मुहासों या फुंसियों का हमला शुरू हो जाता है। ऐसी त्वचा पर जल्दी कोई मेकअप भी सूट नहीं करता है। ऐसे में प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक नुस्खों की मदद बेहद कारगर होती है। तो आइये जाने कि प्राकृतिक तरीकों से कैसे अपने चेहरे की खूबसूरती को बरकरार रखा जाए....

-त्वचा को प्राकृतिक रूप से खूबसूरत बनाना हो तो प्रतिदिन 8-10 लीटर तरल पदार्थ लें। इससे त्वचा में कुदरती नमी

बनी रहेगी और त्वचा चिपचिपी नजर नहीं आएगी।

- त्वचा का पीएच स्तर बरकरार रखने के लिए चेहरे पर खीरे का रस लगाएं और हो सके तो थोडा रस नियमित रूप से पीएं। इसके अलावा टमाटर का गूदा हलके हाथों से चेहरे पर मलें।

- बारीक पिसा हुआ बेसन, आटा, संतरे के सूखे हुए छिलकों का पाउडर तथा एक चम्मच मलाई मिलाकर उबटन बनाएं। नहाने से पहले इस उबटन को चेहरे पर लगाकर 5 से 7 मिनिट तक रखने से तैलीय त्वचा की समस्या से तत्काल छुटकारा मिलता है।

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

गर्मियों में लाभदायक हैं घरेलू शीतल पेय

शरीर को ठंडा रखने हेतु घरेलू शीतल पेयों का ही सेवन करें : गर्मियों में सूर्य का तापमान बढ़ते ही पेय पदार्थों की बिक्री धड़ल्ले से होने लगती है। शीतर पेय की बोतलों से लगभग सभी दुकानें सज जाती हैं लेकिन यह खबर पढ़कर शायद आपको आश्चर्य होगा कि ज्यादातर डिब्बाबंद पेय पदार्त हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होते हैं। तरल आहार के रूप में मौजूद बाजारों में उपलब्ध शीतल पेयों को पीना एक तरह से जान-बूझकर रोगों को आमंत्रण देने के समान है।
इसके सेवन करने से जहां भूख खत्म हो जाती है, वहीं दूसरी तरफ मोटापा बढ़ने का तरा भी मंडराने लगता है। इसीलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह है कि गर्मियों में यदि आप सेहतमंद बने रहना चाहते हैं तो शरीर की आंतरिक शीतलता कायम रखने हेतु घर में खुद के द्वारा तैयार किए गए शीतल पेयों का सेवन करना ही श्रेयस्कर होगा क्योंकि बाजार में मौजूद अधिकांश शीतल पेय प्रदूषित तथा कृत्रिम रसायनयुक्त होते हैं। ये पेय निस्संदेह सम्पूर्ण सेहत का नाश करके शरीर को गंभीर नुकसान ही पहुंचाते हैं। लाभ की बात सोचना तो कोरी बेवकूफी होगी।
ग्रीष्म ऋतु के दौरान सेवन योग्य शीतल पेयों में नारियल पानी, बेल का रस, पुदीने का रस और अप्रैल से लेकर नवंबर तक नींबू के रस की मांग सबसे ज्यादा होती है। इन सभी उपरोक्त शीतल पेयों का निर्माण आप स्वयं घर बैठे सफाईयुक्त तरीके से कर सकते हैं जो खास तौर पर इस ऋतु में स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। वैसे भी, कृत्रिम रूप से बनाए गए शीतल पेयों से शरीर को वह फायदा नहीं होता है जो घर में तैयार किए हुए शीतल पेयों से पहुंचता है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ घरेलू शीतल पेयों के बारे में जिसके सेवन मात्र से शरीर को तृप्ति प्रदान होती है।
नींबू का रस- गर्मियों के आने मात्र से नींबू की शिकंजी लगभग हरेक घरों में बनी नजर आती है। शिकंजी का सेवन करके मेहमान जहां खुश हो जाते हैं वहीं मलेरिया ज्वर आदि परेशानियों में भी लाभ मिलता है। बार-बार जी मिचलाने की विकृति और अजीर्ण रोग में नींबू का रस रामबाण औषधि के रूप में काम करता है जबकि शरीर में जल की कमी प्यास आदि शांत करने में अव्वल नजर आता है।
गर्मियों के दिनों में नींबू के रस यानी शिकंजी की मांग लोगों में अधिकाधिक देखी जाती है जिसका निर्माण घरों में कोई भी व्यक्ति बड़ी सरलतापूर्वक कर सकता है। अधिक स्वादिष्ट व गुणकारी बनाने हेतु गृहणियां इसमें हींग, अदरक का रस, काला नमक और सेंघा नमक का मिश्रण आवश्यकतानुसार प्रयोग कर सकती हैं।
बेल का रस- गर्मियों में दूसरे नंबर पर बेलगिरी का रस अर्थात् शरबत बनाने का आता है। यह उस बेलगिरी के गूदे से तैयार किया जाता है। अतिसार, पेचिश और रक्तातिसार रोगियों के लिए यह काफी फायदेमंद रहता है। यातायात में फंसे लोगों को हुए डिप्रेशन और मानसिक तनाव में यह कई लाभ पहुंचाता है जबकि अल्सर से पीड़ित रोगियों के लिए यह रस अत्यंत गुणकारी साबित होता है। यह मोटापा घटाने में भी अपनी अहम् भूमिका निभाता है।
पुदीने का रस- अक्सर हॉट गर्मी में पुदीना काफी लाभदायक होता है। इसमें प्राकृतिक रूप से पिपरमेंट होता है। यह कोशिकाओं में सूचना तंत्र को सुचारू करने के साथ ही लू, बुखार, जलन व गैस की परेशानियों से दो-चार हो रहे लोगों को काफी लाभ पहुंचाता है। इसको भी नींबू के रस की भांति बहुत ही आसानी से तैयार किया जा सकता है। इसको पीने के उपरांत उल्टी आने जैसी शिकायत भी स्वत: दूर हो जाती है।
नारियल का रस- यूं तो नारियल पानी को ही नारियल का रस कहा जाता है कि किन्तु यह बात बहुत कम लोग ही जानते होंगे। प्राय: इस उमस भरी गर्मी में शीतलता का मंद-मंद अहसा कराने वाला यह प्राकृतिक रूप से तैयार शीतल पेय बनाने के लिए किसी को कुछ करने की जरूरत नहीं होती।
पेय रूप में स्वयं ही तैयार हुआ नारियल रस न सिर्फ हमें टेस्टी ही लगता है अपितु अत्यधिक पसीने के कारणवश शरीर से निकले मिनरल्स की भी भरपाई कर देता है। इसलिए यदि आप कठिन परिश्रम करते हैं तो नारियल पानी रूपी रस का सेवन जरूर करें। यह आपके लिए काफी लाभदायक होगा।
गुलाब का रस- ‘रूह अफजा’ नामक बाजार में मिलने वाले इस शीतल पेय पदार्थ को यदि घर में ही तैयार कर लें तो यह सेहत की दृष्टि से काफी लाभप्रद होगा। इसके लिए गुलाब के फूलों का रस निकालकर चीनी की चाशनी में मिलाकर तैयार किया जा सकता है इस तरह गुलाब का रस पीते समय व्यक्ति को गुलाब की सुगंध भी आती है।
यह शर्बत रूपी रस पेशाब की जलन को कम करके शरीर की थकावट और प्यास की तीव्रता को शांत करता है। यही नहीं, इसके रोजाना सेवन से नेत्रों की जलन और लालिमा नष्ट होती है। इसलिए नियमित रूप से गुलाब और ताजगी के लिए नितांत आवश्यक है

मठा- एक शीतल पेय

‘ताहि अहीर की छोकरिया, छछिया अरि छाछ पे नाच नचावे।’ की याद ताजा हो जाती है जब छाछ (मठा) की बात उठती है। श्रीकृष्ण भगवान दही-बेचने के लिये जा रही गोपिकाओं से छाछ मांगते हैं। गोपिकाएं कहती हैं, ‘पहले अपना नाच दिखाओ, फिर छाछ मिलेगा।’ बुरे फंसे श्रीकृष्ण पर वे करें क्या…? दही न सही मठा ही सही, कुछ तो मिले। नंद-नंदन राजपुत्र हैं और इन गोपिकाओं से दही मांग रहे हैं। कैसी विडम्बना है…।
दही की बात तो कहीं और है। यहां तो छाछ भर के लिये इन्हें नाचना पड़ता है। आइए देखें, इस छाछ में आखिर क्या विशेषताएं हैं…?
गर्मी के आते ही क्या गांव, क्या शहर हर जगह शीतल पेयों की बाढ़ सी आ जाती है। लिम्का, माजा, पैप्सी कोला, कोका कोला और प्रूटी आदि अमीरों के पेट को ठंडा करते हैं, वहीं सौंफ का शीतल पेय, शर्बत, नींबू का ठंडा रस और मठा (छाछ) गरीबों के लिये प्रयुक्त होते हैं। इन शीतल पेयों में मठा का महत्वपूर्ण स्थान है।
* दही में बिना पानी डाले मथें। ऐसा मलाई सहित करें। जो मठा तैयार होता है इसमें गुड़ या चीनी डालकर सेवन करने से पके आम सदृश गुणकारी होता है।
* ऊपर की मलाई हटा लीजिए। अब दही मथकर मठा तैयार कीजिए। इस मठे का प्रयोग वात, कफ और पित्त के रोगों में लाभप्रद होता है।
* दही की मात्रा का चौथाई भाग जल डालकर मथने से जो मठा बनता है वह उष्णवीर्य, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला, वात के रोगों में लाभदायक तथा गृहिणी को स्वास्थ्यप्रद बनाता है।
* दही में आधा पानी डालकर मथने से तैयार छाछ कफवृध्दि तो करता है, मगर आंव पड़ने (पेचिश) में आराम पहुंचाता है।
* मक्खन निकाल कर दही की मात्रा से अधिक पानी डाल कर मथने से जो छाछ (मठा) तैयार होता है वह प्यास को हरने वाला, वात नाशक तथा कफप्रद होता है। थोड़ा नमक डाल पीने से अत्यन्त पाचक होता है।
* मठे में पिसी सोंठ और सेंधा नमक मिलाकर पीने से वात के रोगों में आराम होता है।
* मठे में शक्कर मिलाकर पीने से पित्त के रोग ठीक होते हैं।
* सोंठ, पीतल और काली मिर्च पीसकर मठे में मिलाकर पीने से वात, बवासीर, अतिसार तथा वस्तिक्षेत्र के रोगों में आराम होता है।
* मठे में गुड़ डालकर पीने से पेशाब संबंधी रोगों में आराम पहुंचाता है।
* पिसा जीरा व नमक के साथ मठे का सेवन करने से शरीर को आराम होता है। गर्मी में यह पेय सेवन करने से शरीर… शीतल और प्रसन्नचित्त बना रहता है।
* मठे का उपयोग खाने में भी किया जा सकता है। चपाती या भात से मठा खाते हमने अक्सर लोगों को देखा है। गरीब ही क्या, अमीर भी दाल या सब्जी के स्थान पर मठा (छाछ) का उपयोग शौक से करते देखे जाते हैं। मठा से आज कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। जहां यह एक शालीन और स्वास्थ्यप्रद पेय है, वही इसे सर्वप्रिय खाद्य भी माना जा सकता है।

हल्दी के औषधीय गुण

हल्दी के औषधीय गुणों से प्राय: सभी लोग परिचित होते हैं। हल्दी शरीर में रक्त को शुध्द करने के साथ-साथ तीनों दोषों यानी वात्त-पित्त-कफ का भी शमन करती है।
यह शरीर की काया और रंग को सुधारने में एक महत्वपूर्ण देशी औषधि के रूप में कारगर भूमिका अदा करती है। इसे फेस पैक के रूप में बेसन के साथ लगाने से त्वचा में निखार आता है जबकि खांसी होने पर गरम पानी से उपयोग निम्नवत तरीके से रोगोपचार के लिए कर सकते हैं।

* मधुमेह से राहत : आयुर्वेद के अनुसार मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को हल्दी की गांठों को पीसकर तथा देसी घी में भूनकर और थोड़ी चीनी मिलाकर कुछ दिनों तक रोजाना देने से रोगी को काफी राहत मिलती है।
* पथरी से निजात : यदि शरीर में पथरी हो गई है तो हल्दी और पुराना गुड़ छाछ में मिलाकर सेवन करने से निजात मिल जाती है।
* बुखार की समाप्ति : ठंडी देकर आने वाले बुखार में दूध को गर्म कर हल्दी और कालीमिर्च मिलाकर पीने से बुखार जल्दी ही शरीर से छूमंतर हो जाता है।
* चेचक के घावों हेतु लाभदायक : देखने में आया है कि चेचक के घाव अक्सर व्यक्ति को रुलाकर रख देते हैं। इसलिए इस दौरान हल्दी और कत्थे को महीन पीसकर चेचक के घावों पर छिड़कें, निस्संदेह काफी लाभ पहुंचेगा।
* जुकाम का अंत : हल्दी और दूध को गर्म कर उसमें थोड़ा गुड़ और नमक मिलाकर बच्चों को पिलाने से कफ और जुकाम का अंत हो जाता है।
* रूप निखार के लिए सर्वोत्तम : अक्सर शादी-विवाह के दौरान दुल्हन की काया, सौंदर्य और रूप निखार के लिए हल्दी का उबटन, लेप और मालिश किया जाता है। इससे शरीर की काया और रंग में काफी सुधार होता है।
* सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाने में उपयोगी : आज की तारीख में अधिकांश बड़ी-बड़ी कम्पनियां प्रसाधन सामग्री का निर्माण करने हेतु हल्दी को मुख्य अवयव के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं जिससे चेहरे की क्रीम और शरीर के लोशन का निर्माण किया जाता है। इस प्रकार हल्दी का उपयोग प्राकृतिक सौंदर्य रूपी प्रसाधन की डिमांड बन गई है जिसकी लोगों को सदा तलाश रहती है।

भूलने की आदत से पाएं छुटकारा, इस छोटे से उपाय से

भागदौड़ और बेहद व्यस्तताओं से भरी हुई आधुनिक जीवनशैली ने इंसान को शारीरिक रूप से ही नहीं, मन-मस्तिष्क के स्तर पर भी अस्त-व्यस्त कर दिया है। वैसे भी मशीनी युग में इंसान के अधिकांश शारीरिक और मानसिक कामों को आधुनिक मशीनों द्वारा किया जाने लगा है। इस अति मशीनीकरण ने जिंदगी को ज्यादा सुविधाजनक तो बना दिया है, पर साथ ही इसका सबसे बुरा असर यह हुआ है कि इससे मनुष्य की शारीरिक और मानसिक क्षमता में काफी गिरावट भी आ गई है।

कमजोर स्मरण शक्ति यानी यादाश्त की कमी की समस्या आज लगभग आम हो चुकी है। कमजोर स्मरण शक्ति के कारण व्यक्ति भूलने की आदत का शिकार हो जाता है। इस समस्या का प्रमुख कारण काम का तनाव, अधिक व्यस्तता और अनियमित दिनचर्या का होना है।

सभी चिकित्सा पद्धतियों में स्मरण शक्ति बढ़ाने के कई उपाय और औषधियां बताई गईं हैं, लेकिन ये दवाइयां कुछ समय के लिये असर दिखाकर फिर से निष्क्रीय हो जाती हैं। इसलिये यदि कोई भूलने की इस जटिल समस्या का स्थाई समाधान चाहता हो तो उसे योग में बताए गए इस उपाय को अवश्य आजमाना चाहिये..

- उगते हुए सूरज की ओर मुखातिब होकर आंखें बंद करके ध्यान मुद्रा में बैठें। अब मन में लगातार उठते हुए विचारों को आते हुए देेखें। योग में इसे ही साक्षी साधना भी कहा जाता है। इस अभ्यास को लगातार 15 दिनों तक करने से आपका मन एकाग्र होने लगेगा। और यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि इंसान को वही बात या घटना लंबे समय तक याद रहती है जिसमें उसका मन अधिक से अधिक एकाग्र होता है। अत: जो भी करें उस समय दूसरा कुछ भी नहीं सोचें हर समय पूरी तरह से वर्तमान में जीना सीखें। काम करते समय पिछली घटनाओं और भविष्य की चिंता से बिल्कुल दूर रहें। जो करें बस पूरी तरह से मन-मस्तिष्क से वहीं उपस्थित रहें। आप देखेंगे कि कुछ ही समय में आपकी भूलने की आदत बगैर किस दवाई के ही हमेशा के लिये मिट चुकी है।

मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

फल जो मुँहासे से बचाते हैं

मुँहासे से त्‍वचा की खूबसूरती सबसे ज्‍यादा प्रभावित होती है। ये उम्र के उस पड़ाव पर चेहरे पर निकल आते हैं जब खूबसूरती सबसे ज्‍यादा मायने रखती है। इसका कोई स्‍थाई इलाज नहीं है क्‍योंकि यह हार्मोंस के असंतुलन के कारण होता है। लेकिन खान पान में बदलाव करके इससे बचा जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ फलों का सेवन नियमित रूप से किया जाए तो त्‍वचा को मुँहासे से बचाया जा सकता है।


अंगूर

यदि आपको अंगूर पसंद है तो यह आपके लिए अच्‍छी खबर है। यह आपकी त्‍वचा को मुँहासे से मुक्‍त रखता है। साथ ही यह त्‍वचा पर पड़ी मुँहासे के निशान को भी मिटाता है।


खुबानी

खुबानी में विटामिन सी और ए प्रचुर मात्रा में पाया जा‍ता है। यह आपकी निश्‍तेज त्‍वचा में जान डाल देता है। यह संवेदनशील त्‍वचा के लिए किसी दवा से कम नहीं है।


केला

केला फाइबर और विटामिन युक्‍त होता है। यह त्‍वचा को चमक प्रदान करता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह त्‍वचा को मुँहासे से बचाता है।


पपीता

आमतौर पर लोग पपीता पसंद नहीं करते हैं। लेकिन अपनी त्‍वचा से प्‍यार करते हैं तो पपीता को अपना दोस्‍त बनाएं। इसमें पाए जाने वाले एंजाइम डेड स्‍कीन को बाहर करता है और चेहरे पर चमक लाता है। इसमें विटामिन ए और सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो त्‍वचा के लिए कवच का काम करता है। इसका फेस पैक लगाने से त्‍वचा की पोर खुल जाती हैं। और ब्‍लैक हेड्स नहीं होते हैं। इससे रंग भी गोरा होता है

ताली योग बनाता है अंदर से मजबूत

हम जब खुश होते हैं तो ताली बजाते हैं लेकिन ताली मात्र खुशी का इजहार करने के लिए नहीं बजाया जाता बल्कि यह आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाता है।




जब आप अपनी दोनों हथेलियों को जोर-से एक-दूसरे पर मारते हैं। इस दौरान हाथों के सारे बिंदु दब जाते हैं और धीरे-धीरे शरीर में व्याप्त रोगों का सुधार होता है। लगातार ताली बजाने से शरीर के श्‍वेत रक्‍त कण मजबूत होते है, जिसके परिणामस्वरूप मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि होती है।




गैस, कब्ज, अपच, मानसिक तनाव, एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ापन से पीड़ित हैं तो दायें हाथ की चार अंगुलियों को बाएं हाथ की हथेलियों पर जोर-से मारना चाहिए और इस अभ्यास को सुबह-शाम कम-से-कम 5 मिनट करना चाहिए। धीरे-धीरे हम इन रोगों से मुक्त हो जाएंगे।



निम्न रक्तचाप के रोगियों को खड़े होकर दोनों हाथों को सामने लाकर ताली बजाते हुए नीचे से ऊपर की ओर गोलाकार घुमाएं और दिशा नीचे से ऊपर की ओर होनी चाहिए। यह निम्न रक्तचाप को सामान्य करने में बहुत ही लाभदायक तरीका है। ताली योग के द्वारा हृदय रोग, कमर दर्द, सरवाइकल जैसे रोग भी दूर होते हैं।



कैसे करें ताली योग दोनों हाथों की दसों अंगुलियों और हथेली को जोर-जोर से मारते हुए एक साथ एक ही जैसी आवाज में ताली योग का अभ्यास करें।



शुरू-शुरू में इसका अभ्यास कम-से-कम 2 मिनट अवश्य करना चाहिए और फिर इसको बढ़ाते हुए लगभग रोज 10 मिनट तक अभ्यास करना चाहिए

गैस, कब्ज और मुंह के छाले, अब नहीं होंगे

पेट की किसी न किसी समस्या से आज हर कोई पीडि़त है। शायद इसीलिये यह कहा जाने लगा है कि पेट में हर बीमारी की जड़े छुपी होती हैं। इतना ही नहीं रोग का समाधान भी अगर खोजना हो तो अंत में पेट की शरण में ही जाना पडता है। मस्तिष्क अगर जीवन का केन्द है, तो पेट भी स्वास्थ्य का केन्द्र ही है।

अनियमित खानपान और अनिश्चित दिनचर्या के कारण पेट की कोई न कोई समस्या होना आज आम बात हो गई है। पेट में गैस का बनना, कब्जियत रहना और मुंह के छाले होना कहीं न कहीं आपस में जुड़ी हुई समस्याएं हैं। पेट में गैस बनने की छोटी सी समस्या कई बार जानलेवा भी हो सकती है। तो चलिये कुछ घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खों से पेट की इन तीनों समस्याओं से छुटकारा पाएं हमेशा के लिये....

- पके हुए बेल फल का उचित रीति से सेवन करें।

- हिंगास्टक चूर्ण, जो कि बाजार में बना बनाया मिलता है, खाने के बाद उचित मात्रा में सेवन करें।

- भोजन में हरी शब्जियों और सलाद का सेवन अवश्य करें। चाय, मिर्च-मसाले, पचने में भारी चीजों से बचें।

- भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठें। रात्रि में बाईं करवट से ही सोएं।

- प्रतिदिन सुबह 2 से 3 कि. मी. मार्निग वॉक करें

डाक्टर और दवा से गर पाना हो निजात तो करें ये 5 काम ! !

बच्चों की फीस, टेलीफोन-बिजली का बिल, दूध वाले का हिसाब....महीने के इन सब खर्चो के साथ ही अब एक नया खर्चा और जुड़ता जा रहा है। समस्या यह है कि यह खर्चा दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। किसी सुविधा या साधन के बदले में कुछ खर्च करना पड़े तो फिर भी समझ में आता है, मगर तकलीफ और परेशानी के उठाने के साथ में धन भी खर्च करना पड़े तो अफसोस तथा दु:ख होना स्वाभाविक है।

प्रदूषित हवा, पानी और भोजन के साथ जीवन बिताने की मजबूरी के चलते आज शायद ही ऐसा कोई बचा हो जो बगैर किसी दवा-दारू या डॉक्टरी सलाह के पूरी तरह से फिट हो।

लेकिन कुछ उपायों को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करके इंसान अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को इस सीमा तक बढ़ा सकता है कि उस पर किसी बीमारी का असर हो ही नहीं। तो आइये जानते हैं उन उपायों को-

- त्रिफला जो कि आंवला, हरड़ और बहेड़ा का संयुक्त रूप होता है, इसे प्रतिदिन सोते समय गुनगुने पानी के साथ सेवन

करें। यह एक दिव्य रसायन है जिससे आपके रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहद स्ट्रांग हो जाती है।

- प्रतिदिन 5 तुलसी के पत्ते तथा दो-चार नीम की नई कोंपले खाली पेट खाने से शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता काफी

बढ़ जाती है।

- अंकुरित अन्न और सलाद का नियमित सेवन करें।

- सुबह की ताजी हवा में दो-चार किलोमीटर का मार्निग वॉक करें।

- चुनिंदा आसन और प्राणायाम को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें

आंखों के सामने अंधेरा क्यों? पाना हो छुटकारा तो करें.

आंखों के आगे अंधेरा होना, चक्कर आना, बाहरी दृश्य हिलते हुए, घूमते हुए या उल्टे सीधे नजर आना.....इसी तरह की जाने कि तनी ही समस्याएं हैं जिनका सीधा संबंध हमारी आंखों से होता है। एकाएक खड़े होने, झुकने या तेजी से घूम जाने पर अचानक आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। प्रकाश होते हुए भी अंधेरा लगना या चक्कर आने के कई शारीरिक और मानसिक कारण होते हैं।



शरीर का किसी बिमारी से ग्रसित होना, कमजोरी और थकावट होना, क्षमता से अधिक शरीर से काम लेना, नींद का पूरा न होना, आंखों के लिये आवश्यक प्राटीन्स औ विटामिन्स की कमी हो जाना आदि प्रमुख कारण हैं जिनके कारण यह समस्या पैदा होती है। नीचे दिये जा रहे कुछ कारगर उपायों को करने से इस रोग में तत्काल लाभ होता है-

-हरी पत्तेदार शब्जियों और सलाद का सेवन करें।

-प्रतिदिन 1 गिलास दूध में एक चम्मच घी डाल कर पीएं।

-रात को पानी में गलाकर रखी हुई दो बदाम सुबह खूब चबा-चबाकर खाएं।

-अंकुरित अन्न का प्रतिदिन नाश्ता करें।

-जितना संभव हो जल्दी सोएं और जल्दी उठें।


ऐसे बनें सुन्दर, गहरी और सम्मोहक आंखों के धनी! !

आखिर क्यों होता है किसी की आंखों में आकर्षण और सम्मोहन? क्या किन्हीं उपायों से ऐसा कर पाना संभव है? हर कोई चाहता है कि सभी उसे पंसद करें, उसकी तरफ ध्यान दें। लेकिन चाहना अलग बात है और हकीकत में वैसा ही हो पाना बड़ा दुर्लभ होता है। अच्छा और सम्पूर्ण व्यक्तित्व पाकर सभी के आकर्षण का केन्द्र बनना कौन नहीं चाहेगा। ऐसे कई कारण हैं जो इंसान के व्यक्तित्व को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। आंखें और चेहरा दोनों ही व्यक्तित्व के सर्वाधिक संवेदनशील केन्द्र होते हैं। सामान्य कद-काठी वाले व्यक्ति में भी कई बार गजब का आकर्षण होता है। यह अद्भुत आकर्षण उनमें उनकी खास आखों के कारण ही होता है।



नीचे दिये जा रहे इन आयुर्वेदिक और यौगिक उपायों को अपनाकर कोई भी अपनी आंखों में एक अनोखी चमक और प्रभाव पैदा कर सकता है-

- किसी योग विशेषज्ञ से सीखकर या मार्गदर्शन में प्रतिदिन रात्रि के प्रथम और अंतिम पहर में 25 से 30 मिनिट तक बिन्दु

त्राटक या दीप त्राटक का अभ्यास करें।

- किसी मार्गदर्शक के सहयोग से शीर्षासन या सर्वांगासन का नियमित अभ्यास करें।

- ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं, दिन में कई बार आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारें।

- शुद्ध और प्राकृतिक आहार-विहार करें। बाजारू खाने से यथा संभव बचें

सोमवार, 18 अप्रैल 2011

करवटें बदलना छोड़ें, इन उपायों से मिलेगी गहरी नींद!

दुनिया में भी बड़ा अजीब विरोधाभास देखने को मिलता है। किसी को भूख नहीं लगती तो कोई ज्यादा भूख लगने से परेशान है। ऐसे भी उदाहरण हैं कि लोगों को काम के समय में ही नींद आने लगती है। नींद के झोके व्यक्ति को काम करने के काबिल नहीं छोड़ते।



लेकिन यह तो विपरीत स्थिति की बात है, यह तो फिर भी उतनी चिंताजनक बात नहीं है। पर बदलते माहोल और लाइफ स्टाइल में ठीक इसका उल्टा हो रहा है। मतलब यह कि आज अधिक नींद आने की समस्या कोई समस्या नहीं मानी जाती। जबकि अनिद्रा यानी नींद न आने की बीमारी आज गंभीर महामारी का रूप ले चुकीहै। नींद की गोलियां लेकर सोने वालों की संख्या दिनों-दिन बढती ही जा रही है।



किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि इस बेहद गंभीर समस्या का स्थाई हल इतना आसान भी हो सकता है। यहां कुछ ऐसे ही सरल नुश्खे दिये जा रहे हैं, जो निश्चित रूप से अनिद्रा का रामबाण उपाय हैं-



- सोने से 3 घंटे पहले ही भोजन कर लें।



- भोजन के बाद एवं सोने से 1 घंटे पहले एक गिलास दूध में एक चम्मच शहद डालकर पीएं।



- सोने से पहले एक बाल्टी में गुन-गुना पानी लेकर , जिसमें दो चम्मच नमक डला हो उसमें 10 से 15 मिनिट



तक पैर डुबो कर रखें। इससे दिनभर की सारी निगेटिव एनर्जी पानी में डिस्ट्राय हो जाएगी।



- सुबह सूर्योदय के समय हर हाल में बिस्तर छोड़ दे, तथा दो-तीन किलोमीटर मोर्निंग वॉक पर निकल जाएं।

मोटापे का अंत चाहें तो पीएं एक गिलास रोज .......

कितने ही लोगों को धन, बल, ज्ञान आदि सभी क्षेत्रों में सक्षम होने पर भी किसी न किसी शारीरिक कमी के कारण मन मसोसकर रह जाना पड़ता है। दुबलापन भी एक ऐसी ही शारीरिक कमी है जिसके कारण व्यक्ति को सब कुछ होते हुए भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।

असंभव को संभव करने के सारे तरीके खोजते-खोजते अंत में मनुष्य को अपनी बड़ी से बड़ी समस्या का हल मिल ही जाता है। आश्चर्यजनक रूप से मोटापे का इलाज एक गिलास छाछ में पाया गया है। आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और योग के सम्मिलित प्रयासों से मोटापे की समस्या का 100-प्रतिशत कारगर उपाय खोज निकाला गया है। ये बेहद सरल उपाय ये हैं-



-प्रतिदिन सुबह खाली पेट एक गिलास घर पर बनी शुद्ध छाछ पीएं, स्वाद के अनुसार थोड़ा सा काला नमक व हींग-जीरा भी मिलाया जा सकता है।

-प्रतिदिन सोते समय गुनगुने पानी से एक से दो चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।

-किसी जानकार के मार्गदर्शन में प्रतिदिन सुबह खुले प्राकृतिक स्थान पर जाकर आसन और प्राणायाम का अभ्यास करें

छोटे कद से परेशान हैं तो अपनाएं ये नुस्खे...

धन की कमी हो तो समझो बात अपने हाथ में ही है। धन-सम्पत्ति को कड़ी मेहनत करके किसी न किसी तरह से हांसिल किया जा सकता है लेकिन कुछ कमियां ऐसी होती हैं, जिन्हें दूर करना इंसान के लिये लगभग असंभव या कहें कि बेहद चुनौतीपूर्ण होता है।

किसी प्रकार की कोई शारीरिक अपंगता या कमी होना इंसान को जीवन भर कुरेदता और कचोटता रहता है।



लेकिन सभी शारीरिक कमियों को असाध्य मान लेना या दुर्भाग्य मानकर हार मान लेना भी कोई समझदारी नहीं कही जा सकती। साहस और जीवट के धनी लोग तो हर मुश्किल और कमी को दूर करने के लिये आखरी सांस तक कोशिश करते हैं।

ऐसी ही एक कमी है हाइट कम होना यानी शरीर का कद कम रह जाना।



शरीर विज्ञान में हाइट की पीछे आनुवांशिक कारणों को जिम्मेदार बताया गया है। इस तरह से चिकित्सा विज्ञान ने कम हाइट में सुधार करना लगभग असंभव मान रखा है, लेकिन बात यदि योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा की हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। जिन उपायों से हाइट को बढ़ाया जा सकता है, उनमें से सर्वाधिक कारगर और चुनिंदा उपाय इस प्रकार हैं-



- ब्रह्ममुहूर्त में जागकर किसी प्राकृतिक स्थान पर जाकर प्राणायाम और इन अचूक आसनों का अभ्यास करें: भुजंगासन, ताड़ासन, पर्वतासन, सूर्यनमस्कार और पादपश्चिमोत्तासन। इसका अभ्यास किसी योग्य मार्गदर्शक के साथ ही करें।



- भौजन में अंकुरिक अन्न, सलाद, फल आदि को नियमित रूप से शामिल करें।



-अश्वगंधा और शतावर का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर रोज दूध के साथ सेवन करें।



-ध्यान का अभ्यास करें जिसमें अपने कद को लगातार बढ़ता हुआ देखें।



-मन की शक्ति अजैय है, मन में स्वयं की जैसी क्षवि अंकिर करोगे वह देर-सवेर वास्तविक होकर रहेगी

कब्ज 1

1 : त्रिफला (छोटी हरड़, बहेड़ा तथा आंवला)
त्रिफला (छोटी हरड़, बहेड़ा तथा आंवला)
त्रिफला का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में लेकर हल्के गर्म पानी के साथ रात को सोते समय लेने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) समाप्त होती है।
त्रिफला का चूर्ण 6 ग्राम को शहद में मिलाकर रात में खा लें, फिर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
त्रिफला 25 ग्राम, काली हरड़ 25 ग्राम, सनाय 25 ग्राम, गुलाब के फूल 25 ग्राम, बीज रहित मुनक्का 25 ग्राम, बादाम की गिरी 25 ग्राम, काला दाना 25 ग्राम और वनफ्शा 25 ग्राम को आदि लेकर अच्छी तरह पीस लें। इस मिश्रण को गर्म दूध के साथ पीने से कब्ज के रोग को समाप्त करता है।
त्रिफला (छोटी हरड़, बहेड़ा तथा आंवला) तीनों को एक समान मात्रा में लेकर इसका चूर्ण तैयार कर लेते हैं। फिर रोजाना रात में सोते समय 2 चम्मच चूर्ण गर्म दूध या गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर हो जाती है।
1 चम्मच त्रिफला के चूर्ण को गर्म पानी के साथ सोने से पहले सेवन करने से कब्ज में आराम मिलता है।
50 ग्राम त्रिफला, 50 ग्राम बादाम की गिरी, 50 ग्राम सौंफ, 10 ग्राम सोंठ और 30 ग्राम मिश्री आदि को अलग-अलग जगह कूट लें। इन सबको मिलाकर 6 ग्राम को खुराक के रूप में रात को सोने पहले पी लें।
त्रिफला गुग्गुल की 2-2 गोलिया दिन में 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) गर्म पानी के साथ देने से पुरानी कब्ज़ मिट जाती है।
त्रिफला के चूर्ण को कुछ घण्टे तक पानी में भिगोकर, छानकर उसका पानी पीने से भी गैस की शिकायत नहीं रहती है।


2 : मुनक्का
मुनक्का
15 से 20 मुनक्का को 250 ग्राम दूध और 250 ग्राम पानी में डालकर उबाल लें और जब केवल दूध बच जाये, तब इसे उतार दे। मुनक्के को खाकर ऊपर से दूध को पीने से कब्ज की शिकायत में लाभ होता है।
रोजाना प्रति 10 मुनक्का को गर्म दूध में उबालकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
3 पीस मुनक्का, 20 ग्राम किशमिश और एक अंजीर को शाम के दौरान 250 पानी में भिगो दें। सुबह उठकर इन सभी को मसलकर उसमें थोड़ा पानी मिलाकर छान लें। बाद में इसमें एक नींबू का रस निचोंड़ दें और 2 चम्मच शहद को मिलाकर पीने से कुछ ही दिनों कब्ज़ में लाभ मिलता है।
मुनक्का का ताजा रस 28 मिलीलीटर से 56 मिलीलीटर को चीनी या सेंधानमक मिलाकर पीने से कब्ज दूर हो जाती है।
मुनक्का को रात को सोने से पहले गर्म दूध के साथ पीने से लाभ होता है।



सेब
सेब, अंगूर या पपीता खाने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में राहत मिलती है।
सेब का रस पाचन अंगों पर एक पतली तह चढ़ाता है जिससे वे संक्रमण और बदबू से बचे रहते हैं और वायु पैदा होना रुक जाता है। मलाशय और निचली आंतों में बदबू और संक्रमण नहीं होता है। सेब का रस पीने के बाद गर्म पानी पीना चाहिए।
खाली पेट या खाना खाने के बाद सेब खाने से कब्ज होती है। सेब का छिलका दस्तावर या पेट को साफ करने वाला होता है इसलिए रोगियों को सेब छिलके सहित ही खाना चाहिए।
खाली पेट सेब छिलके सहित खाने से कब्ज ठीक हो जाती है।


टमाटर
कच्चा टमाटर सुबह-शाम खाने से कब्ज दूर होती है।
टमाटर खाने से कब्ज मिटती है और आमाशय व आंतों में जमा मल, पदार्थ निकालने में और अंगों को कार्य करने में मदद करता हैं।
टमाटर के रस में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर रोजाना खाने से गैस नहीं बनती है।
पके टमाटर का रस एक कप पीने से पुरानी से पुरानी कब्ज दूर होती है और आंतों को ताकत भी मिलती है।
कब्ज की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन लगभग 50 ग्राम टमाटर खाने चाहिए।
पके टमाटर के रस का सूप 1 कप प्रतिदिन पीने से आंतों में जमा हुआ सूखा मल मुक्त होता है और पुराना कब्ज खत्म हो जाता है।


आंवला
सूखे आंवले का चूर्ण रोजाना 1 चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद लेने से लाभ होता हैं।
1 चम्मच आंवले का चूर्ण शहद के साथ रात में लें।
आंवले के फल का चूर्ण यकृत बढ़ने, सिर दर्द, कब्ज, बवासीर व बदहजमी रोग में त्रिफला चूर्ण के रूप में प्रयोग किया जाता है। मात्रा 3 से 6 ग्राम जल के साथ दिन में 3 बार 3 से 6 ग्राम की मात्रा में त्रिफला चूर्ण फंकी गर्म पानी के साथ रात में सोते समय लेने से कब्ज मिटता है।
रात को एक चम्मच पिसा हुआ आंवला पानी या दूध से लेने से सुबह दस्त साफ आता है, कब्ज नहीं रहती। इससे आंत तथा पेट साफ हो जाता है।
आंवले का मुरब्बा खाकर ऊपर से दूध पीने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
आंवला, हरड़ और बहेड़ा का चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ लें।
ताजे आंवले का रस शहद के साथ लेने से पेट खाली होता है।
आंवला की चटनी खायें।


बैंगन
बैंगन व पालक का सूप पीने से कब्ज मिटती है और पाचन-शक्ति बढ़ती है।


शहद
2 चम्मच शुद्ध शहद को दूध के साथ सोने से पहले सेवन करने से सुबह शौच आती है।


आम
आम को खाने के बाद दूध पीने से शौच खुलकर आती है और पेट साफ हो जाता है।



चना
1 या 2 मुट्ठी चने को धोकर रात को भिगो दें। प्रात:काल जीरा और सोंठ को पीसकर चनों पर डालकर खाएं। घंटे भर बाद चने भिगोये हुए पानी को भी पी लें। इससे कब्ज दूर होगी।
अंकुरित चना, अंजीर और शहद को मिलाकर या गेहू के आटे में चने का मिश्रण कर रोटी खाने से कब्ज मिटती है।
रात को लगभग 50 ग्राम चने भिगो दें। सुबह इन चनों को जीरा तथा नमक के साथ खा लें।



नमक
रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रख दें। उसमें 1 चुटकी की मात्रा में डालकर सुबह के समय सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
50 ग्राम नमक या कालानमक, लाहौरी नमक 10 ग्राम, अजवायन 5 ग्राम, भुनी हींग 10 ग्राम, 5 ग्राम सौंफ, त्रिफला व सौंफ 50-50 ग्राम को पीसकर छान लें। इस चूर्ण को खाना खाने के बाद 5 ग्राम गर्म पानी से लें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
काला नमक, अजवाइन, छोटी हर्र और सौंठ को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर रख लें। रात को खाने से 1 घण्टे बाद 1 चम्मच गर्म पानी से फंकी लेने से कब्ज दूर होती है और आराम मिलता है।
1 से 2 ग्राम नमक को गुनगुने पानी में रोज रात को पीने से कब्ज की शिकायत नहीं रहती हैं, क्योंकि इसको पीने से आंते साफ रहती हैं।
शौच खुलकर आती है और पुरानी से पुरानी कब्ज चली जाती है।
कालानमक और छोटी हरड़ को पीसकर गर्म पानी के साथ खाना खाने के पहले 1 से 2 चम्मच की मात्रा में लेने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
नमक, 4 कालीमिर्च के पीस, 4 लौंग के पीस आधी कटोरी पानी में उबालकर पीने से कब्ज में राहत प्राप्त होती है।



गिलोय
गिलोय का मिश्रण या चूर्ण 1 चम्मच गुड़ के साथ खाने से कब्ज दूर होती है।
गिलोय का बारीक चूर्ण को गुड़ के साथ बराबर की मात्रा में मिलाकर 2 चम्मच सोते समय सेवन करने से कब्ज का रोग दूर हो जाता है।


लहसुन
साग-सब्जियों में लहसुन को मिलाकर खाने से कब्ज नहीं रहती है।
पेट में गैस बनने पर सुबह 4 कली लहसुन की खाये इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और गैस दूर होती है।
1 पुतिया लहसुन की कुली 250 ग्राम और सोंठ 250 ग्राम अलग-अलग पीसकर आधा किलो शहद में मिलाकर रख लें। 10-10 ग्राम की मात्रा में यह मिश्रण खाने से वायु की पीड़ा मिटती है।



गाजर
गाजर, मूली, प्याज, टमाटर, खीरा व चुंकदर का सलाद बनाकर, नींबू का रस और सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में लाभ होता है।
गाजर के रस का रोजाना सेवन करने से कोष्ठबद्धता (कब्ज) ठीक हो जाती है। ऐसे व्यक्ति अर्श (बवासीर) रोग से सुरक्षित रहते हैं।
गाजर या संतरे का 200 ग्राम रस को दिन में 2-3 बार पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) मिटती है।
कच्ची गाजर 250 ग्राम को रोजाना खाली पेट खाने से कब्ज नहीं होती है, भूख अच्छी तरह लगती है।
गाजर व हरड़ का मुरब्बा खाने से पेट में गैस नहीं रुक पाती है।


पालक
पालक, मेथी, बथुआ या चौलाई की सब्ज़ी खाने से कब्ज़ (कोष्ठबद्धता) से राहत मिल जाती हैं।



बड़ी इलायची
बड़ी इलायची के दाने 250 ग्राम, इन्द्रायण की गिरी बिना बीजों का 10 ग्राम की मात्रा में पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सुबह-शाम देने से पेट की गैस कम हो जाती है।



फूलगोभी
रात को सोते समय गोभी का रस पीने से कब्ज के रोग में लाभ होता है।
आधा गिलास फूल की गोभी के रस को सोने से पहले पीने से कब्ज में लाभ होता है।


पत्ता गोभी (करम कल्ला)
पत्तागोभी को रोजाना पीने से पुरानी कब्ज दूर हो जाती है। शरीर में मौजूद दोषों (कमियों) को मल के द्वारा बाहर निकाल देता है।
पत्तागोभी (करमकल्ले) के कच्चे पत्ते रोजाना खाने से पुराना कब्ज दूर हो जाता है। शरीर में मौजूद विजातीय पदार्थ और दोष-पूर्ण पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
पत्तागोभी को कच्चा खाने से आंतों की कमजोरी के साथ गैस की शिकायत भी दूर होती है।


खरबूजा
कब्ज में पका हुआ खरबूजा खाने से कब्ज मिटती है।


बथुआ
बथुआ की साग-सब्जी बनाकर रोजाना खाते रहने से कब्ज की शिकायत कभी नहीं होती है। यह आमाशय को ताकत देता है। इससे शरीर में ताकत व स्फूर्ति आती है।
बथुआ को उबालकर इच्छानुसार चीनी मिलाकर एक गिलास सुबह-शाम पीने से कब्ज में आराम मिलता है।
बथुआ आमाशय को ताकत देता है और कब्ज दूर करता है। यह पेट को साफ करता है। अत: कब्ज वालों को बथुए का साग रोज खाना चाहिए। कुछ हफ्ते लगातार बथुआ का साग खाते रहने से हमेशा होने वाला कब्ज दूर हो जाता है।
बथुआ और चौलाई की भुजी को मिलाकर सेवन करने से कब्ज नष्ट होती है।


घी
घी के साथ काकजंघा को मिलाकर पीने से वायु के रोगों में लाभ होता है।
घी में कालीमिर्च मिलाकर गर्म दूध में घी के साथ पीने से आंतों में रुका मल नरम और ढीला हो करके बाहर निकल जाता है।



चौलाई
चौलाई की सब्जी खाने से कब्ज में लाभ मिलता है।


मसूर की दाल
मसूर की दाल खाने से कब्ज में लाभ होता है।


मूंग
चावल और मूंग के दाल की खिचड़ी खाने से कब्ज़ में आराम होता है।
चावल और मूंग की खिचड़ी खाने से कब्ज दूर होती है। 20 ग्राम मूंग की दाल और 10 ग्राम चावल की खिचड़ी बनाएं। फिर इसमें नमक मिलाकर और घी डालकर खाने से कब्ज दूर होकर दस्त साफ आता है।



तरबूज
तरबूज कुछ दिनों तक सेवन करने से पेट की कब्ज दूर हो जाती है।


तिल
60 ग्राम तिल को कूटकर रख लें, फिर इसमें समान मात्रा में गुड़ मिलाकर खाने से कब्ज समाप्त होती है।
लगभग 6 ग्राम तिल को पीसकर रख लें, फिर इसमें मीठा मिलाकर खाने से कब्ज मिटता है। तिल, चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी भी कब्ज को दूर करती है।
तिल का छिलका उतारकर, मक्खन और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर सुबह-सुबह खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
तिल, चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी को खाने से पेट में गैस नहीं रहती है।



सज्जीखार
सज्जीखार 3 ग्राम, 3 ग्राम पुराना गुड़ दोनों को मिलाकर रगड़कर छोटी गोलियां बना लें। रोजाना सुबह 1 गोली खुराक के रूप में सेवन करने से कब्ज की बीमारी समाप्त हो जाती है।


आक (मदार)
आक की जड़ को छाया में सुखाकर पीस लें। फिर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग आधा ग्राम तक खुराक के रूप में खाकर, ऊपर से दूध को पीने से पेट में मौजूद वायु के गोले नष्ट होते हैं।
आक के पत्ते को बांधने से पेट साफ हो जाता है।


दाख
दाख, हरड़ और चीनी या सेंधानमक मिलाकर पीने से लाभ होता है।



कोयली का बीज
कोयली के बीज 4 से 6 ग्राम, नमक और सोंठ के साथ पीसकर खाने से पेट साफ हो जाता है।



पीपल
पीपल के 5-10 फल को रोजाना खाने से कब्ज का रोग मिट जाता है।
पीपल के पत्ते और कोमल कोपलों का 40 मिलीलीटर काढ़ा पिलाने से विरेचन (पेट साफ करने वाला) लगता है।
पीपल के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर बस्ति (नली द्वारा शरीर के भीतर या बाहर जल की धारा देने वाला यंत्र) देने से मल आसानी से बाहर निकल जाती है।
पीपल के पेड़ का फल और नई कोपलें खाने से पेट मल का रुकना दूर हो जाता है।


अंकोल
अंकोल की जड़ का चूर्ण खाने से पेट की कब्ज में आराम मिलता है।



ढाक
ढाक के 20 पत्तों को ताजे पानी में पीसकर मरीज को दें, यदि दर्द हल्का हो जाये तो एक बार फिर इसी मात्रा में देने से वायु (गैस) के रोग में राहत देता है।



नागदोन
नागदोन और हरड़ का चूर्ण खाने से लाभ होता है।



बड़ी पीलू
बड़ी पीलू के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पेट साफ हो जाता है।


दही
दही का तोड़ (खट्टा पानी) पीने से कब्ज दूर हो जाती है।



दूध
250 ग्राम गाय का दूध, 250 ग्राम पानी और 5 कालीमिर्च साबुत लेकर आग पर चढ़ा दें और जब पानी जल जाये, तब उतारकर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से वायुगोला का दर्द मिट जाता है।
गर्म दूध के साथ ईसबगोल की भूसी या गुलकंद लेने से शौच खुलकर आता है। बवासीर रोग से ग्रस्त रोगियों को भी इसका सेवन करना चाहिए। गाय का ताजा दूध तलुवों पर रगड़ने से बवासीर में राहत मिलती है।
गर्म दूध के साथ 2 चम्मच गुलाब का गुलकंद या ईसबगोल की भूसी रात को लेने से शौच खुलकर आता है।
कब्ज होने पर दूध और घी का सेवन भी कर सकते हैं।
दूध में घी या मुनक्का डालकर सेवन करने से कब्ज नहीं होता है।
2 चम्मच गुलकंद को गर्म दूध में डालकर सोने से पहले पीने से सुबह शौच खुलकर आती है।
250 ग्राम दूध में 4 चम्मच ईसबगोल की भूसी डालकर पीने से मल ढीला होकर निकल जाता है।
ईसबगोल 20 ग्राम को दूध के साथ रात में सोने से 30 मिनट पहले सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) समाप्त हो जाती है।
ईसबगोल के बीज की भूसी 1 से 2 चम्मच रात को पानी में भिगो दें सुबह उठकर मिश्री में मिलाकर शर्बत बना लें। फिर इसे पीने से पेट की आंते फूल जाती हैं जिससे मल आसानी से बिना किसी रुकावट के बाहर निकल जाता है। ध्यान रहे कि भूसी को बिना भिगोये सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह कभी-कभी कष्ट को बढ़ा देता है।


सत्यानाशी
सत्यानाशी की जड़ की छाल 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 पीस लेकर पानी में पीस लेने से पेट के दर्द दूर हो जाता है।
1 ग्राम से 3 ग्राम तक सत्यानाशी के तेल को पानी में डालकर पीने से पेट साफ हो जाता है।
सत्यानाशी की जड़ की छाल 6 से 10 ग्राम तक पानी के साथ खाने से शौच साफ आती है।
पीले धतूरे के बीजों से प्राप्त तेल की 30 बूंदों को दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज दूर होती है।



चाकसू
चाकसू के बीजों को पीसकर चूर्ण बनाकर खाने से पुरानी कब्ज मिट जाती है।


मिट्टी
कपड़े को पानी से गीला कर लें, उस पर गीली मिट्टी का लेप करके दोबारा इस पर फिर कपड़ा बांधें। रात भर इस तरह पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी को पेट पर रखने से कब्ज दूर हो जाती है तथा पेट साफ हो जाता है।
पेट पर गीला कपड़ा बिछायें। फिर उस पर गीली मिट्टी का लेप करके मिट्टी बिछाकर कपड़ा बांधे। रातभर इस तरह पेट पर गीली मिट्टी रखने से कब्ज दूर होगी। मल बंधा हुआ तथा साफ आयेगा।



मुलहठी
मुलहठी 5 ग्राम को गुनगुने गर्म दूध के साथ सोने से पहले पीने से सुबह शौच साफ आती है।
पिसी मुलहठी 125 ग्राम, पिसी सोंठ 3 चम्मच, पिसे गुलाब के सुखे फूल 2 चम्मच, 1 गिलास पानी में उबालकर ठण्डा होने पर छानकर सोते समय रोजाना पीने से पेट में जमा कब्ज और आंव (एक तरह का चिकना सफेद मल) निकल जायेगा।


नीम
नीम के सूखे फल को रात में गर्म पानी के साथ खाने से शौच खुलकर आती है।
नीम के फूलों को सुखाकर पीसकर रख लें। इस चूर्ण को रोजाना एक चुटकी रात को गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज में लाभ होता है।
नीम की 20 पत्तियों को पीसकर 1 गिलास पानी में मिला लें, सुबह-सुबह इससे एक कुल्ला करके यह सारा पानी पीने से कब्ज नहीं रहती है।


ईसबगोल
ईसबगोल 2 चम्मच, हरड़ 2 चम्मच, बेलक का गूदा 3 चम्मच आदि को पीसकर चटनी बना लें। सुबह-शाम इसमें से 1-1 चम्मच गर्म दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
रात को सोने से पहले ईसबगोल की भूसी को दूध के साथ लेने से सुबह शौच खुलकर आती है।
ईसबगोल 6 ग्राम को 250 ग्राम गुनगुने दूध के साथ सोने से पहले पी लें। कभी-कभी ईसबगोल की भूसी लेने से पेट फूल जाता है। ऐसा बड़ी आंतों में ईसबगोल पर बैक्टीरिया के प्रभाव से पैदा होने वाली गैस से होता है। इसलिए ध्यान रखें कि ईसबगोल की मात्रा कम से कम ही लें, क्योंकि ईसबगोल आंतों में पानी को सोखती है, जिससे मल की मात्रा बढ़ती है और मल की मात्रा बढ़ने से आंतों की कार्यशीलता बढ़ जाती है, जिससे मल ठीक से बाहर निकल आता है। ईसबगोल लेने के बाद दो-तीन बार पानी पीना चाहिए। इससे ईसबगोल अच्छी तरह फूल जाता है। इसलिए ईसबगोल रात को ही लेना चाहिए और खाने के तुरंत बाद लें।
पुरानी आंव या आंतों की सूजन में 100-100 ग्राम बेल का गूदा, सौंफ, ईसबगोल की भूसी और छोटी इलायची को एक साथ पीसकर पाउडर बना लें। अब इसमें 300 ग्राम देशी खांड या बूरा मिलाकर कांच की शीशी में भरकर रख दें। इस चूर्ण की 2 चम्मच मात्रा सुबह नाश्ता करने के पहले ताजे पानी के साथ लें और 2 चम्मच शाम को खाना खाने के बाद गुनगुने पानी या गर्म दूध के साथ 7 दिनों तक सेवन करने से लाभ मिल जाता है। लगभग 45 दिनों तक यह प्रयोग करने के बाद बंद कर देते हैं। इससे कब्ज, पुरानी आंव या आंतों की सूजन के रोग दूर हो जाते हैं।
कोष्ठबद्धता (कब्ज) होने पर ईसबगोल को जल में घोलकर उसका लुबाव बनाकर उसमें बादाम का तेल मिलाकर पीने से बहुत लाभ मिलता है। कोष्ठबद्धता (कब्ज) दूर होने से पेट का दर्द भी नष्ट हो जाता है।
ईसबगोल भूसी के रूप में काम में आता है। यह कब्ज को दूर करता है। ईसबगोल के रेशे आंतों में पचते नहीं हैं तथा तरल पदार्थ सूखकर फूल जाते हैं और मल की निकासी शीघ्र करते हैं। इसका लुबाव आंतड़ियों को शीघ्र चलने में सहायता करता है जिससे मलत्याग में सहायता मिलती है। तीन चम्मच ईसबगोल गर्म पानी या गर्म दूध से रात को सेवन करने से कब्ज में लाभ मिलता है।
ईसबगोल के बीज की भूसी 1 से 2 चम्मच रात को पानी में भिगो दें सुबह उठकर मिश्री में मिलाकर शर्बत बना लें। इसे पीने से पेट की आंते फूल जाती हैं जिससे मल आसानी से बिना किसी रुकावट के बाहर निकल जाता है। ध्यान रहें कि भूसी को बिना भिगोये सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह कभी-कभी कष्ट को बढ़ा देता है।
गर्मी के दिनों में सुबह-शाम 3-3 चम्मच ईसबगोल की भूसी को मिश्री के मिले हुए जल में कुछ दिनों तक भिगोकर सेवन करने से कब्ज दूर हो जाता है।


करेला
करेला का रस 1 चम्मच, जीरा आधा चम्मच, सेंधानमक 2 चुटकी को पीसकर चटनी बनाकर कब्ज की शिकायत में खा सकते हैं।



कच्ची पालक
कच्ची पालक का रस रोज सुबह पीते रहने से कब्ज दूर होती है। पालक और बथुआ की सब्जी खाने से भी पेट की गैस कम हो जाती है।



अंगूर
खाना खाने के बाद लगभग 200 ग्राम अंगूर खाने से कब्ज नष्ट होती है।
कब्ज में अंगूर खाने से लाभ होता है।


शलगम
कच्चे शलगम को खाने से पेट साफ हो जाता है।


धनिया
धनिया 20 ग्राम और 20 ग्राम सनाय को रात में 250 ग्राम पानी में भिगो दें। सुबह इसे छानकर, मिश्री मिलाकर पीने से कब्ज (पेट में गैस) को कम कर देता है।
हरे धनिये की चटनी में कालानमक मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
धनिया कब्ज तोड़ने में भी सहायता करता है। धनिये के चूर्ण से पुराना से पुराना कब्ज भी दूर हो जाता है। इसके लिए 50 ग्राम धनिया, 10 ग्राम सोंठ, 2 चुटकी कालानमक तथा 3 ग्राम हरड़ लेकर सभी चीजों को कूट पीसकर कपड़े से छानकर रख लेना चाहिए। इस चूर्ण को थोड़ी सी मात्रा में भोजन करने के बाद गुनगुने पानी से लें। इससे कब्ज नष्ट होता है और मल भी खुलकर आने लगता है। इससे पेट का दर्द भी कम हो जाता है और आंतों की खुश्की भी दूर हो जाती है। इससे भूख खुलकर आती है। मलावरोध समाप्त हो जाता है। यदि पुराना कब्ज हो तो इस चूर्ण को लगातार 40 दिनों तक लेना चाहिए। कब्ज न रहने पर भी यह चूर्ण लिया जा सकता है। इससे किसी भी प्रकार की हानि की संभावना नहीं होती है।


त्रिकुटा
त्रिकुटा (सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल) 30 ग्राम, त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला), 50 ग्राम पांचों नमक, 10 ग्राम अनारदाना, 10 ग्राम बड़ी हरड़ को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। रात को ठण्डे पानी में 6 ग्राम की खुराक के रूप में सेवन करने से कब्ज में रोगी को लाभ होगा।


बालू
बालू रेत की एक चुटकी को फांककर 1 गिलास पानी के साथ पीने से कब्ज कम हो जाती है।


अजवायन
अजवायन 10 ग्राम, त्रिफला 10 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना 3 से 5 ग्राम इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी कब्ज समाप्त हो जाती है।
5 ग्राम अजवायन, 10 कालीमिर्च और 2 ग्राम पीपल को रात में पानी में डाल दें। सुबह उठकर शहद में मिलाकर 250 ग्राम पानी के साथ पीने से वायु गोला के दर्द को नष्ट करता है।
अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम को पुदीना के लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग रस में कूट लें, फिर इसे छानकर 5-5 ग्राम सुबह-शाम खाना खाने के बाद गर्म पानी के साथ सेवन करने से आराम मिलता है।
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अजवायन के बारीक चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ पीने से कब्ज (गैस) समाप्त होती जाती है।
अजवायन और कालानमक को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को पानी के साथ पीने से पेट के दर्द में आराम देता है।
6 ग्राम अजवाइन में लगभग 2 ग्राम कालानमक को मिलाकर फंकी देकर गरम पानी पिलाने से गैस मिटती है। अजवाइन पेट की वायु को बाहर निकालती है। भोजन में किसी भी रूप से अजवाइन का सेवन करना चाहिए। अजवाइन और कालानमक समान मात्रा में पीसकर 4-4 ग्राम की फंकी छाछ से लेने से पेट की गैस दूर होती है।


सौंफ
सौंफ 50 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 ग्राम को कूटकर छान लें। सुबह-शाम इसे 5-5 ग्राम खाना खाने के बाद गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
सौंफ का चूर्ण रात को खाकर ऊपर से पानी पीने से कब्ज दूर होती है।
सौंफ आधा चम्मच, हरड़ आधा चम्मच और चीनी आधा चम्मच की मात्रा में बारीक पीसकर रख लें। फिर रात को खाना खाने के बाद 1 घण्टे बाद सेवन करने से लाभ होता है।
सौंफ 3 ग्राम, बनफ्शा 3 ग्राम, बादाम 3 ग्राम और 10 ग्राम चीनी को लेकर पीस लें। इसकी 3 खुराक सुबह, दोपहर और शाम लेने से कब्ज में लाभ होगा।
सौंफ 50 ग्राम, बहेड़ा 100 ग्राम और गूदा कंवर गंदल 150 ग्राम को बारीक पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों को सुबह और शाम को पानी के साथ पीने से लाभ होता है।
सौंफ 50 ग्राम, गूदा घी ग्वार 100 ग्राम, सोंठ 100 ग्राम, जीरा 50 ग्राम को मिलाकर पीसकर मिश्रण बना लें। फिर इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम पानी के साथ लेने से कब्ज में लाभ मिलता है।
सौंफ, सनाय, हरड़ का छिलका, सोंठ और सेंधानमक बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। 3 ग्राम की मात्रा में 14 से 18 साल तक के बच्चों को होने वाली कब्ज में पानी के साथ पिलाने से कब्ज से छुटकारा मिलता है।
सौंफ 4 ग्राम, सनाय 4 ग्राम, द्राक्षा (मुनक्का) 4 ग्राम को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े को पिलाने से कब्ज नहीं रहती है।
सौंफ की जड़ दो ग्राम सुबह-शाम पीसकर लेने से शौच खुलकर आती है।
4 चम्मच सौंफ 1 गिलास पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाये तो छानकर पीने से कब्ज दूर हो जायेगा।
सोते समय आधा चम्मच पिसी हुई सौंफ की फंकी गरम पानी से लेने से कब्ज दूर होती है। सौंफ, हरड़, चीनी रोज आधा चम्मच मिलाकर पीसकर गरम पानी से फंकी लें।


सौंठ
सौंठ 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम में 3 ग्राम कालानमक मिलाकर मिश्रण बना लें। रोज 2-2 ग्राम की मात्रा में थोड़े-से पानी के साथ सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।



लौंग
लौंग 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, लाहौरी नमक 50 ग्राम और मिश्री 50 ग्राम को पीस-छानकर नींबू का रस डाल दें। सूखने पर 5-5 ग्राम गर्म पानी से खाना खाने के बाद खुराक के रूप में लाभ होता है।



अदरक
अदरक का रस 10 ग्राम को थोड़े-से शहद में मिलाकर सुबह पीने से शौच खुलकर आती है।
1 कप पानी में 1 चम्मच भर अदरक को कूटकर पानी में 5 मिनट तक उबाल लें। फिर इसे छानकर पीने से कब्ज दूर होती है।
अदरक, फूला हुआ चना और सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।



गुलकंद
गुलकंद 30 ग्राम को दूध के साथ रोजाना पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) समाप्त होती है। गुलकंद को खाकर ऊपर से दूध पी जायें। ऐसा 7 दिनों तक करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
गुलकंद (गुलाब की पंखड़ियों से प्राप्त रस) 10 से 20 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से शौच साफ आती है। भूख बढ़ती है और शरीर में ताकत आती है।
2 चम्मच गुलकंद को 250 ग्राम हल्के गर्म दूध के साथ सोने से पहले लेने से पेट की गैस में लाभ होता है।
गुलकंद 2 बड़ा चम्मच, मुनक्का 4 पीस, सौंफ आधा चम्मच को मिलाकर एक कप पानी में उबालकर सेवन करें।
गुलाब की सूखी कली 20 ग्राम और तालमिश्री 40 ग्राम को मिलाकर 250 ग्राम गर्म दूध के साथ पीने से लाभ होता है।
गुलकंद, आंवला, हरड़ का मुरब्बा, बहेड़ा का मुरब्बा आदि में से बीजों को बाहर निकालकर पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) 1-1 गोली गर्म दूध या पानी के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से कब्ज मिटती है।



नींबू
नींबू का रस, 5 ग्राम अदरक का रस और 10 ग्राम शहद मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) नष्ट होती है।
5 ग्राम नींबू के रस को 10 ग्राम मिश्री में घोलकर पानी के साथ पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) दूर होती है।
नींबू के रस को पीने से वायु (गैस) का गोला समाप्त हो जाता है।
गन्ने का रस गर्म करके और नींबू का रस थोड़ी-सी मात्रा में लेकर सुबह के समय एक साथ लेने से लाभ होता है।
1 नींबू का रस गर्म पानी के साथ रात को सोने से पहले पी लें। इससे सुबह शौच खुलकर आती है।
नींबू का रस 2 चम्मच और चीनी 5 ग्राम को मिलाकर शर्बत बना लें। 4-5 दिन तक लगातार पीने से कब्ज में लाभ होता है।
नींबू के रस में थोड़ी-सी पिसी हुई कालीमिर्च को डालकर सेवन करने से कब्ज नष्ट हो जाती है।
नींबू के 10 ग्राम रस को 250 ग्राम पानी में मिलाकर सुबह के समय सेवन करने से कोष्ठबद्धता तुरंत समाप्त होती है।
1 नींबू का रस 1 गिलास गर्म पानी के साथ रात में सोते समय लेने से पेट साफ हो जाता है। नींबू का रस 15 ग्राम और शक्कर (चीनी) 15 ग्राम लेकर 1 गिलास पानी में मिलाकर रात को पीने से पुराना कब्ज कम हो जाता है।
नींबू के रस में सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से पेट की बीमारी और गैस बाहर निकल जाती है।
1 गिलास गुनगुने पानी में 1 नींबू का रस व एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है और शरीर का वजन घटने लगता है।


अमरूद
अमरूद को खाने के बाद ऊपर से दूध पी लेने से पेट में कब्ज नहीं होती है।
अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है और कब्ज दूर हो जाती है। इसे खाना खाने से पहले ही खाना चाहिए, क्योंकि खाना खाने के बाद खाने से कब्ज बनती है। कब्ज वालों को नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह-शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे पेट साफ हो जाता है।
अमरूद खाने से या अमरूद के साथ किशमिश खाने से कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।
नाश्ते में अमरूद का सेवन करें। सख्त कब्ज में सुबह-शाम अमरूद खाएं। अमरूद को कालीमिर्च, कालानमक और अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस अफारा की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जाएगी।
अच्छी किस्म के तरोताजा बड़े-बड़े अमरूद लेकर उसके छिलकों को निकालकर टुकड़े कर लें और धीमी आग पर पानी में उबालें। जब अमरूद आधे पककर नरम हो जाए, तब नीचे उतारकर कपड़े में डालकर पानी निकाल लें। उसके बाद उससे तीन गुना शक्कर लेकर उसकी चासनी बनायें और अमरूद के टुकड़े उसमें डाल दें। फिर उसमें इलायची दानों का चूर्ण और केसर इच्छानुसार डालकर मुरब्बा बनायें। ठण्डा होने पर इस मुरब्बे को चीनी-मिट्टी के बर्तन में भरकर, उसका मुंह बंद करके थोड़े दिन तक रख छोड़े। यह मुरब्बा 20-25 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से कोष्ठबद्धता (कब्जियत) दूर होती है।
अमरूद का कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से 3-4 दिनों में ही मलशुद्धि होने लग जाती है। कोष्ठबद्धता मिटती है एवं कब्जियत के कारण होने वाला आंखों की जलन और सिर दर्द भी दूर होता है।
250 ग्राम अमरूद खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज दूर होती है।
अमरूद को नाश्ते के समय कालीमिर्च, कालानमक और अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस, अफारा और कब्ज की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जायेगी।
अमरूद के कोमल पत्तों के 10 ग्राम रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर प्रतिदिन केवल एक खुराक सुबह सेवन करने से सात दिनों में ही अजीर्ण (पुरानी कब्ज) में लाभ होता है।



शलजम
शलजम को कच्चा खाने से कब्ज़ दूर हो जाता है।



दालचीनी
दालचीनी के तेल की 4 बूंदों को चीनी में मिलाकर पीने से कब्ज में लाभ मिलता है।
दालचीनी, सोंठ, जीरा और इलायची को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर खाना खाने के बाद इसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम लें।
दालचीनी के तेल की 4 बूंदों को चीनी में मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
दालचीनी, सोंठ, जीरा और इलायची को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर रख लें। फिर खाना खाने के बाद इसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम लेने से कब्ज दूर हो जाती है।
दालचीनी 1 ग्राम और छोटी हरड़ 5 ग्राम का चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 100 ग्राम गर्म पानी में मिलाकर रात को पीने से प्रात: साफ दस्त होता है और कब्ज दूर होती है।
दालचीनी, सोंठ, जीरा और इलायची थोड़ी-सी मात्रा में मिलाकर खाते रहने से कब्ज और अजीर्ण में लाभ होता है।



पानी
10 ग्राम पानी को गर्म करके उसमें शहद मिलाकर रात को सोने से 30-40 मिनट पहले पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) की शिकायत दूर होती है।
कब्ज से पीड़ित व्यक्ति को दिन में 25-30 गिलास पानी पीना चाहिए।
एक गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच नमक मिलाकर पीने से उल्टी आकर मेदा अर्थात आमाशय साफ हो जाता है जिससे कब्ज दूर हो जाती है।
पानी को पीने से पेट में कब्ज नहीं बनती है, क्योंकि पानी पीने से मल ढीला रहता है और आसानी से शौच के दौरान आ जाता है। यदि कब्ज की शिकायत हो तो सुबह पानी में नींबू को निचोड़कर पीने से कब्ज ठीक हो जाती है।
सुबह सोकर उठते ही 1 गिलास पानी पीने तथा भोजन करते समय घूंट-घूंट करके पानी पीने से कब्ज के रोग में लाभ मिलता है।
ध्यान देने योग्य बातें : ठण्डी के दिनों में रोजाना डेढ़ से 2 किलो और गर्मी में लगभग 3 किलो पानी अवश्य पीना चाहिए। भोजन के 1 घंटे पहले और लगभग 2 घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए।


61 : काबुली हरड़
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काबुली हरड़
काबुली हरड़ को रात में पानी में डालकर भिगो दें। सुबह इसी हरड़ को पानी में रगड़कर नमक मिलाकर 1 महीने तक लगातार पीने से पुरानी से पुरानी कब्ज मिट जाती है।


62 : एरण्ड
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एरण्ड
एरण्ड का तेल 30 ग्राम को गर्म दूध में मिश्री के साथ पीने से कब्ज में लाभ होता है।
1 कप दूध में 2 चम्मच एरण्ड के तेल को मिलाकर सोते समय पिलाने से पेट की कब्ज नष्ट हो जाती है।
सोते समय 2 चम्मच एरण्ड का तेल पीने से कब्ज दूर होती है, दस्त साफ आता है। इसे गर्म दूध या गर्म पानी में मिलाकर पी सकते हैं।
एरण्ड के तेल की 10 बूंदों को रात को सोते समय पानी में मिलाकर सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) की बीमारी में लाभ होता है।
एरण्डी के तेल की 2 से 4 बूंदों को माता के दूध में मिलाकर देना चाहिए।
अरण्डी के तेल की पेट पर मालिश करने से पेट साफ हो जाता है।
6 ग्राम अरण्डी के तेल में 6 ग्राम दही मिलाकर आधे-आधे घण्टे के अन्तर के बाद पिलाने से वायु गोला हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।
एरण्डी का तेल 20 ग्राम और अदरक का रस 20 ग्राम मिलाकर पी लें, फिर ऊपर से थोड़ा-सा गर्म पानी पीने से वायु गोला में तुरंत होता है।
एरण्ड का तेल और उसकी 2 से 3 कलियां खाने से पेट साफ हो जाता है।
एरण्ड के पत्ते और हरड़ की छाल को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से बंद पेट खुल जाता है और शौच खुलकर आ जाती है।
एरण्डी का तेल 3 चम्मच, बादाम रोगन 1 चम्मच को 250 ग्राम दूध में गर्म कर सोने से पहले लेने से कब्ज दूर हो जाती है।
1 चम्मच एरण्ड का तेल दूध में मिलाकर सोने से पहले पीने से लाभ होता है।
एरण्ड के तेल की 30 बूंदों को 250 ग्राम दूध में मिलाकर सेवन करने से सामान्य पेट की गैस दूर हो जाती है। नवजात शिशुओं को छोटी चम्मच में दी जा सकती है।


63 : बड़ी हरड़
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बड़ी हरड़
बड़ी हरड़ को पीसकर रख लें। फिर 5 ग्राम चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) दूर हो जाती है।
बड़ी पीली हरड़ का छिलका 6 ग्राम कालानमक या लाहौरी आधा ग्राम मिलाकर कूटकर रख लें। इसे सोने से पहले पानी के साथ लेने से पेट साफ होता है।


64 : हरड़
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हरड़
हरड़ का चूर्ण गुड़ में मिलाकर सेवन करने से वात-रक्त (खूनी वात) के कारण होने वाला पेट का दर्द दूर होता है।
छोटी हरड़ का आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम भोजन के बाद और सोते समय 1 चम्मच की मात्रा में जल के साथ सेवन से पेट साफ होगा।
छोटी हरड़ 1-1 की मात्रा में दिन में 3 बार चूसने से गैस की बीमारी खत्म हो जाती है।
हरड़, बहेड़े और आंवले को बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण को त्रिफला चूर्ण कहते हैं। रात्रि को 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण गर्म जल या दूध के साथ सेवन करने से कोष्ठबद्धता नष्ट होती है।
हरड़ सुबह-शाम 3 ग्राम गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज में फायदा मिलता है। इससे बवासीर रोग में भी लाभ होता है।
हरड़, सनाय और गुलाब के गुलकंद की गोलियां बनाकर खाने से मल बंद (कब्ज) को खुलकर लाता है।
10 ग्राम हरड़, 20 ग्राम बहेड़ा और 40 भाग आंवला आदि को मिलाकर चूर्ण बना लें। रात को सोते 1 चम्मच चूर्ण दूध या पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
हरड़ की छाल 10 ग्राम, बहेड़ा 20 ग्राम, आंवला 30 ग्राम, सोनामक्खी 10 ग्राम, मजीठ 10 ग्राम और मिश्री 80 ग्राम को एक साथ पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। फिर 10 ग्राम मिश्रण को शाम को सोने से पहले सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
छोटी हरड़ और 1 ग्राम दालचीनी मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें, इसमें 3 ग्राम चूर्ण हल्के गर्म पानी के साथ रात में सोने से पहले लेने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) दूर होती है।
छोटी हरड़ 2 से 3 रोजाना चूसने से कब्ज मिटती है।
छोटी हरड़ को घी में भून लें। फिर पीसकर चूर्ण बना लें। 2 हरड़ों का चूर्ण रात को सोते समय पानी के सेवन करने से शौच खुलकर आती है।
छोटी हरड़, सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण रात को सोते समय पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।


65 : बच
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बच
बच और सोनामक्खी खाने से पेट की गैस में लाभ होता है।


66 : अमलतास
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अमलतास
50 ग्राम अमलतास के गूदे को 150 ग्राम पानी में रोज भिगोकर रात को सोने से पहले पीस लें। फिर उसमें चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे कब्ज में लाभ होता है।
10 ग्राम अमलतास का गूदा और 10 ग्राम मुनक्का मिलाकर खाने से शौच साफ आती है और कब्ज समाप्त हो जाती है।
अमलतास और इमली के गूदे को पीसकर रात को सोने से पहले पीयें। इससे सुबह शौच अच्छी तरह से आती है।
4 ग्राम अमलतास के फूल को घी में भूनकर खाना खाने के बाद प्रयोग करने से गैस दूर होती है।
अमलतास 40 से 80 ग्राम को सनायपत्ती के साथ मिश्रण के रूप में रोजाना सोने से पहले सेवन करने से शौच खुलकर आती है। पुराने कब्ज के रोगी को कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से लीवर को ताकत भी प्राप्त होती है।
40 से 80 ग्राम तक अमलतास की जड़ का चूर्ण सुबह-शाम पानी में पीसकर पीने से शौच खुलकर आती है। यदि यह खुराक सुबह लेनी हो तो रात को खिचड़ी में अधिक घी डालकर खाने से आंतों में चिकनाई आ जाती है।
गुलाब के सूखे फूल, सौंफ और अमलतास की गिरी बराबर लेकर पीस लें। 1 कप पानी में 2 चम्मच चूर्ण घोलकर शाम को रख दें। रात में सोने से पहले छानकर पीने से अगली सुबह कब्ज में राहत मिलेगी।
कब्ज पर अमलतास का चमत्कारी प्रभाव होता है। अमलतास की सूखी फली का 4 इंच लंबा टुकड़ा कूटकर 1 गिलास पानी में डाल दें। इसमें गुलाबी रंग वाले गुलाब के तीन फूल (सूखे या गीले ताजा कोई भी) तथा 2 चम्मच मसाले में काम ली जाने वाली मोटी सौंफ लें। सबको पानी में एक घंटा भिगोने के बाद इतना उबालें कि पानी आधा रह जाये। फिर इसे छानकर रात को समय गर्म ही पियें। नयी, पुरानी, गांठदार, सूखा मल, कैसी भी हो, लाभ होगा। जब तक कब्ज रहे, इसे रोजाना पियें। लाभ होने पर बंद कर दें। जब कभी कब्ज पुन: प्रतीत हो, फिर से इसी प्रकार लें। बच्चों को आधी मात्रा में तथा शिशुओं को चौथाई मात्रा में दें। बच्चे से बूढ़े, गर्भवती स्त्री भी कब्ज दूर करने के लिए इसे ले सकती हैं। कब्ज में यह अच्छा लाभ करती है।
सप्ताह में एक बार रात को सौंफ 3 ग्राम, अमलतास 3 ग्राम, छोटी हरड़ का मोटा चूरा 2 ग्राम, अनारदाना 5 ग्राम, 2 कप पानी में उबालें। एक कप रहने पर छानकर पीने से कब्ज दूर हो जाती है तथा वर्षा ऋतु में पेट सम्बंधी रोग नहीं होते हैं।
गर्मी के मौसम में अमलतास के पेड़ के गहरे पीले रंग के गुच्छेदार फूल दूर से ही दिखाई देते हैं। अमलतास के फूलों का गुलकंद बनाकर खाने से कब्ज दूर होती है, गुलकंद अधिक मात्रा में खाने से दस्त लग जाते हैं, जी मिचलाता है और पेट में ऐंठन होने लगती है।
अमलतास के फूलों का गुलकंद, आंत्र रोग, सूक्ष्मज्वर एवं कोष्ठबद्धता में लाभदायक है। कोमलांगी स्त्री को इसका सेवन 25 ग्राम तक रात्रि के समय कोष्ठबद्धता में करना चाहिए।


67 : किशमिश
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किशमिश
किशमिश 25 ग्राम, मुनक्का 4 पीस, अंजीर 2 पीस और सनाय का चूर्ण चौथाई चम्मच को 1 गिलास पानी में भिगो दें। थोड़ी देर बाद सभी को पानी में मसलकर फिर इसको छान लें। इसमें 1 कागजी नींबू का रस और शुद्ध शहद 2 चम्मच मिलाकर सुबह इसे खुराक के रूप में खाली पेट सेवन करने से शौच अच्छी तरह आती है और पेट साफ हो जाता है।


68 : माजून अंजीर
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माजून अंजीर
माजून अंजीर 10 ग्राम को सोने से पहले लेने से कब्ज में लाभ होता है।


69 : अखरोट
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अखरोट
अखरोट के छिलकों को उबालकर पीने से दस्त में राहत मिलती है।


70 : चिकनी सुपारी
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चिकनी सुपारी
चिकनी सुपारी, छोटी हरड़ और कालानमक को बराबर लेकर कूट लें। रोज 5-6 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।


71 : छाछ
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छाछ
छाछ में पिसी हुई अजवाइन को पीने से कब्ज दूर होती है।
छाछ पीने से कब्ज, दस्त, पेचिश, खुजली, चौथे दिन आने वाला मलेरिया बुखार, तिल्ली, जलोदर, रक्तचाप की कमी या अधिकता, दमा, गठिया, अर्धांगवात, गर्भाशय के रोग, मलेरियाजनित यकृत के रोग और मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है।
छाछ में अजवायन और नमक मिलाकर पीने से मलावरोध मिट जाता है।


72 : कालानमक
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कालानमक
6 ग्राम काला नमक को देशी घी में भूनकर गर्म पानी के साथ खाने से 3-4 बार ट्टटी आने से पेट हल्का हो जाता है।


73 : गुलाब
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गुलाब
गुलाब के फूल 10 ग्राम, सनाय 10 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम और मुनक्का 20 ग्राम को 250 ग्राम पानी में डालकर रख लें। सुबह उठकर सबको उसी पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। जब पानी 50 ग्राम शेष रह जाये, तब इस काढ़े को छानकर पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) पूरी तरह से समाप्त हो जाती है।
गुलाब के फूल में बहुत सारे रेशे होते हैं अत: यह कब्ज दूर करता है। यह आंतों में छिपे हुए मल को बाहर निकाल देता है। 2-2 चम्मच गुलकंद सुबह-शाम को सोते समय गुनगुने दूध या पानी से लेने से कब्ज का नाश हो जाता है। इससे पेट व आंतों की गर्मी शांत होती है। यह दिमाग को ठंडक प्रदान करती है।
2-2 चम्मच गुलकंद सुबह या सोते समय गुनगुने दूध अथवा पानी से लेने से कब्ज पूरी तरह से खत्म हो जाती है।
गुलकंद को बराबर मात्रा में अमलतास के गूदे के साथ 1-1 चम्मच या गुलकंद को सनाय की पत्ती के साथ सेवन करने से कब्ज का रोग ठीक हो जाता है।
गुलाब की पत्ती, सनाय तथा तीनों हर्रों को 3 : 2 : 1 के अनुपात में 50 ग्राम लेकर उबाल लें। उबलने पर चौथाई हिस्सा पानी बाकी रहने पर रात में गुनगुना करके पी जाना चाहिए। कब्ज को दूर करने के लिए यह बहुत ही उपयोगी औषधि है।
पुराने कब्ज में 2 बड़े चम्मच गुलकंद, 4 मुनक्का व आधा चम्मच सौंफ को साथ-साथ उबालना चाहिए। जब आधा पानी बच जाये तो रात में सोते समय, सर्दी में गर्म तथा गर्मी में ठण्डा पी जाए। करीब 2 गिलास पानी उबालने के लिए रखना चाहिए ताकि 1 गिलास बचे।
गुलाब की पत्तियां 10 ग्राम, सनाय का 1 चम्मच पिसा हुआ चूर्ण के रूप में, 2 छोटी हरड़ लेकर 2 कप पानी में तीनों को उबाल लें। पानी जब एक कप बच जायें, तब इस बने काढ़े का प्रयोग करने से कब्ज की बीमारी में लाभ होता है।
गुलाब 10 ग्राम, मजीठ 10 ग्राम, निसोत की छाल 10 ग्राम, हरड़ 10 ग्राम और सोनामाखी 10 ग्राम आदि को 80 ग्राम चीनी में मिलाकर चूर्ण बना लें। लगभग 4 ग्राम चूर्ण को ठण्डे पानी के साथ पीने से लाभ होता है।


74 : सनाय
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सनाय
सनाय की 50 ग्राम पत्ती, 100 ग्राम सौंफ और 20 ग्राम मिश्री का चूर्ण बनाकर रख लें। 10 ग्राम चूर्ण गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज के रोग में राहत मिलती है।
सनाय 15 ग्राम, सौंठ 15 ग्राम, सौंफ 15 ग्राम और सेंधानमक 15 ग्राम आदि को कूटकर छान लें। रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ मसलकर छान लें। फिर इसमें चीनी मिलाकर पीने से कब्ज में लाभ होता है।
सनाय की पत्ती का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौंग और मुलहठी के साथ रात में देने से सुबह शौच खुलकर आती है। ध्यान रहें कि अवेष्टग सुक्त विबन्ध (स्पेटिक कांसटेंसिप) या प्रक्षोभयुक्त वृहादंत्र (इरीटेबल कोलोन) के कष्टों में देना नहीं चाहिए।
सनाय के पत्ते 20 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में बीज रहित 30 ग्राम मुनक्के को घोट लें। इसमें पानी न डालें, इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। 2 गोलियां रात में दूध या पानी के साथ खाने से कब्ज मिटती है।
सनाय 6 ग्राम, जागी हरड़ 6 ग्राम, निशोत 6 ग्राम और मुनक्का 6 ग्राम लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम लेकर मिश्री और दूध के साथ पीने से दस्त आने शुरू हो जाते हैं और पेट साफ हो जाता है। नोट : शाम को केवल चावल और दही का ही सेवन करना चाहिए।


75 : तुलसी
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तुलसी
तुलसी के पत्ते 25 ग्राम को पीसकर 5 ग्राम मीठे दही में मिलाकर सेवन करें, बच्चों को आधा ग्राम खुराक के रूप में शहद के साथ सुबह लेने से लाभ होता है।
तुलसी की 4 पत्तियां, दालचीनी, सोंठ, जीरा, सनाय की पत्तियां और लौंग को बराबर लेकर पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी को एक कप पानी में उबाल लें। पानी जब आधा कप रह जाए तो उसे 2 खुराक के रूप में लेकर सेवन करने से लाभ होगा।


76 : ग्वारपाठा
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ग्वारपाठा
ग्वारपाठा लेकर उसका गूदा 10 ग्राम ले लें। उसमें 4 पत्तियां तुलसी और थोड़ी-सी सनाय की पत्तियां मिलाकर लुगदी बना लें। इस लुगदी का सेवन खाना खाने के बाद करने से कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
ग्वारपाठा 20 ग्राम में, थोड़ी-सी मात्रा में कालानमक मिलाकर सुबह-शाम खाली पेट खाने से कब्ज मिटती है।


77 : बिजड़ी
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बिजड़ी
चना, गेहूं और जौ को बराबर की मात्रा में लेकर रोटी का सेवन करने से कब्ज दूर होती है।


78 : पपीता
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पपीता
कच्चा पपीता या पका पपीता खाने से कब्ज की शिकायत मिट जाती है।
पपीता पीसकर खिलाने से भी शिशुओं को देने से कब्ज ठीक हो जाती है।
सुबह के समय पपीते का दूध पीने से कब्ज दूर होती है।
कब्ज में पका हुआ पपीता सोने से पहले खाने से लाभ होता है।
खाना खाने के बाद पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।


79 : प्याज
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प्याज
1 कच्चा प्याज रोजाना खाने के साथ खाने से कब्ज दूर होती है।
प्याज के काढ़े को 40 ग्राम दिन में 2-3 बार सेवन करने से लाभ होता है।
कच्चा प्याज रोजाना भोजन के साथ खाने से कब्ज का रोग ठीक होता है।


80 : मूली
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मूली
मूली पर नमक, कालीमिर्च डालकर खाना खाते समय रोजाना 2 महीने तक खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
मूली के पत्तों का रस 20 से 40 ग्राम तक खुराक के रूप में सुबह-शाम सेवन करने से दस्त और पेशाब खुलकर आता है।
मूली के बीजों का चूर्ण 1-3 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
मूली व उसके पत्तों को काटकर, उसमें प्याज, खीरा या ककड़ी, टमाटर आदि को काटकर मिला लें। इस प्रकार तैयार हुए सलाद में 5-10 बूंद सरसों का तेल भी मिला सकते हैं। भोजन के साथ रोजाना इस प्रकार तैयार किया हुआ सलाद जो पूरे भोजन का एक तिहाई है खाने से कब्ज़ दूर होता है।
मूली का साग या ताजी मुलायम मूलियां पत्तों सहित खाने या मूली का अचार खाने से कब्ज़ मिटता है।


81 : काला दाना
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काला दाना
काला दाना 9 ग्राम को देशी घी में भूनकर चूर्ण बना लें। इसमें लगभग आधा ग्राम सोंठ को खाने से लगातार 5 से 6 दिनों तक दस्त आकर कब्ज की शिकायत मिट जाती है।
कालादाना (कृष्णजीरक) 2-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पेट की गैस निकल जाती है और पेट हल्का हो जाता है।


82 : कसूम्बे
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कसूम्बे
कसूम्बे के बीजों को अधिक मात्रा में खाने से कब्ज कम हो जाती है।


83 : मकोय
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मकोय
मकोय का रस पीने से शौच खुलकर आती है।


84 : कैर
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कैर
कैर की छाल का चूर्ण खाने से बंध पेट साफ हो जाता है।


85 : आडू
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आडू
आडू के फलों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से पेट खाली हो जाता है।


86 : सफेद निशोथ
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सफेद निशोथ
सफेद निशोथ की डण्ठल निकालकर पीस लें। इसमें पीपल और सेंधानमक मिलाकर रख लें। लगभग 6 ग्राम चूर्ण को रोजाना खाने से पेट की कब्ज मिट जाती है।


87 : चम्पा
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चम्पा
चम्पा की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से दस्त आकर कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।


88 : अंजीर
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अंजीर
अंजीर 5 से 6 पीस को 250 ग्राम पानी में उबाल लें, पानी को छानकर पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में राहत मिलती है।
स्थायी रूप से रहने वाली कब्ज में अंजीर खाते रहने से कब्ज दूर हो जाती है।
2 अंजीर को रात को पानी में भिगोकर सुबह चबाकर पानी पीने से पेट साफ हो जाता है।
अंजीर के 2 से 4 फल खाने से दस्त आते हैं। खाते समय ध्यान रहे कि इसमें से निकलने वाला दूध त्वचा पर न लग पाये क्योंकि यह दूध जलन और चेचक पैदा कर सकता है।
खाना खाते समय अंजीर के साथ शहद का प्रयोग करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।


89 : रेवंदचीनी
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रेवंदचीनी
रेवंदचीनी को पीसकर 1 ग्राम की खुराक में शहद मिलाकर सेवन करें।
रेवंदचीनी 1 से 2 ग्राम की मात्रा में सोने से पहले लेने से सुबह शौच साफ आती है। हल्के दस्त के लिए (मृदु विरेचन के) लिए इसका प्रयोग किया जाता है। ध्यान रहे कि पुरानी कब्ज में न दें।


90 : केसर
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केसर
केसर आधा ग्राम को घी में पीसकर खाने से 1 साल पुरानी कब्ज दूर हो जाती है।


91 : अलसी
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अलसी
अलसी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से पेट की गैस मिटती है।
रात में सोते समय 1 से 2 चम्मच अलसी के बीज ताजा पानी से निगल लें। आंतों की खुश्की दूर होकर मल साफ होगा। अलसी का तेल एक चम्मच की मात्रा में सोते समय पीने से यही लाभ मिलेगा।


92 : सिरस
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सिरस
सिरस के बीजों का चूर्ण 10 ग्राम, हरड़ का चूर्ण 5 ग्राम, सेंधानमक 2 चुटकी को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण रोजाना खाना खाने के बाद रात को सेवन करें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।


93 : गाय का पेशाब
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गाय का पेशाब
2 चम्मच गाय का पेशाब रोजाना पीने से कब्ज में लाभ होता है।


94 : जीरा
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जीरा
भुना जीरा 120 ग्राम, धनिया भुना हुआ 80 ग्राम, कालीमिर्च 40 ग्राम, नमक 100 ग्राम, दालचीनी 15 ग्राम, नींबू का रस 15 ग्राम, देशी खांड 200 ग्राम आदि को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें इसमें से 2 ग्राम की खुराक बनाकर सुबह के समय सेवन करने से कब्ज दूर होती है और भूख बढ़ती है।
25 ग्राम काला और सफेद भुना हुआ जीरा, पीपल 25 ग्राम, सौंठ 25 ग्राम, कालीमिर्च 25 ग्राम और कालानमक 25 ग्राम को मिलाकर पीसकर रख लें, बाद में 10 ग्राम भुनी हुई हींग को पीसकर मिला दें। फिर इस चूर्ण में नींबू का रस मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। खाना खाने के बाद दो गोलियां रोजाना खुराक के रूप में सेवन करने कब्ज में अवश्य आराम होगा।


95 : संतरा
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संतरा
सुबह नाश्ते में नारंगी का रस कुछ दिनों तक पीते रहने से मल प्राकृतिक रूप से आने लगता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाती है।
खाना खाने के बाद सोने से पहले संतरा खाने से लाभ होता है।
नारंगी के सेवन से लीवर रोग ठीक होते हैं। गैस या किसी भी कारण से जिनका पेट फूलता हो, भारी रहता है, अपच हो, उनके लिए यह लाभकारी है, सुबह नारंगी का रस एक गिलास पी लिया जाये तो आंते साफ हो जाती हैं जिससे कब्ज नहीं रहता है।
संतरा (नारंगी) का रस कई दिनों तक पीते रहने से पाचनशक्ति मजबूत बनती है और पेट साफ हो जाता है।


96 : मेथी
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मेथी
मेथी के पत्तों की सब्जी खाने से कब्ज दूर होती है।
2 चम्मच दाना मेथी को खाना खाने के बाद फंकी के द्वारा लेने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है और भूख लगने लगती है।
भोजन में मेथी की सब्जी सुबह-शाम खाने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
सोते समय 1 चम्मच साबुत मेथी दाने को पानी के साथ पीने से कब्ज दूर होगी।
पेट में जब कब्ज हो जाए तो मेथी के पत्तों की सब्जी खाना लाभप्रद होगा।
1-1 चम्मच मोटा (दरदरी) दानामेथी, ईसबगोल और चीनी मिलाकर रात को गर्म दूध से फंकी लेने से कब्ज दूर हो जाती है।
मेथी की नरम पत्तियों का साग बनाकर खाने से कब्ज में राहत मिलती है, रक्त शुद्ध होता है, शक्ति बढ़ती है और बवासीर रोग में लाभ मिलता है।
मेथी के 3-3 ग्राम की मात्रा में पीसे हुए चूर्ण को सुबह-शाम गुड़ या पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से कब्ज मिटता है और लीवर (यकृत) को मजबूत बनता है। पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति यदि मेथी दानों का साग खाएं तो दस्त साफ आता है।
100 ग्राम दाना मेथी दरदरी (मोटी) कूटकर 50 ग्राम भूनी हुई छोटी हरड़ पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह तथा एक चम्मच शाम को पानी के साथ सेवन करने से कब्ज और पेट दर्द में लाभ होगा।
यदि आंतों की कमजोरी से कब्ज हो तो सुबह-शाम 1-1 चम्मच मेथी दाने का चूर्ण पानी के साथ कुछ दिनों तक लेने से आंतों तथा यकृत को ताकत मिलती है और कब्ज दूर होती है।
2 चम्मच दाना मेथी को पानी के साथ लेने पर यह पेट की आंतों को अंदर से गीला करके, मुलायम बनाकर, रगड़कर जमे हुए मल को निकालेगी और मल की गुठलियों को बनने से रोककर पेट को साफ करके कब्ज को दूर करती है।
आंतों की कमजोरी से पेट में कब्ज बनती है, इसलिए आंतों को मजबूत बनाने और रोगमुक्त करने के लिए 1-1 चम्मच मेथी पाउडर पानी के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करें। इससे कब्ज में राहत मिलती है।
कब्ज, पेट में अल्सर हो तो एक कप मेथी के पत्तों को उबालकर, शहद में घोलकर सुबह-शाम पीना चाहिए।


97 : गेहूं
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गेहूं
गेहू के पौधे का रस पीने से कब्ज दूर होती है।


98 : गुड़
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गुड़
2 से 4 ग्राम गुड़ के साथ हरीतकी का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।


99 : हींग
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हींग
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम देशी घी में भुनी हुई हींग को अजवायन और काले नमक के चूर्ण के साथ पानी में घोलकर रोजाना दिन और रात को सेवन करने से पेट की गैस से छुटकारा मिलता है।
भुनी हुई हींग को सब्जी में डालकर सेवन करने से पेट की गैस दूर हो जाती है।


100 : कुटकी
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कुटकी
कुटकी का चूर्ण 3 से 4 ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम लेने से पेट साफ होता है।


101 : करू
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करू
करू (कुटकी का एक भेद) 3 से 4 ग्राम सुबह-शाम लेने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।


102 : रास्ना (रचना)
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रास्ना (रचना)
रास्ना के पत्तों को पीसकर पीने से कब्ज में राहत मिलती है।


103 : ईश्वरमूल
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ईश्वरमूल
रूद्रजता की लता के पत्तों को पीसकर पेट पर लेप करने से लाभ होता है।


104 : कुसुम
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कुसुम
कुसुम के बीजों की मांड(लई) देने से पेट की गैस ठीक हो जाती है।


105 : सुगंधबाला
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सुगंधबाला
सुगंधबाला की फांट या घोल को सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज में राहत मिलती है।


106 : बेल
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बेल
बेल का शर्बत पानी में बनाकर कुछ दिनों तक लगातार पीने से लम्बी कब्ज की शिकायत से छुटकारा मिलता है।
बेल का गूदा और गुड़ मिलाकर रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से मल का रुकना (अवरोध) ठीक हो जाता है।
बेल के पत्तों के 7 मिलीलीटर रस में कालीमिर्च को मिलाकर सुबह-शाम पीने से पेट की गैस में राहत मिलती है।
बेल के 20 से 40 ग्राम शर्बत में इच्छानुसार पानी मिलाकर रोजाना 2-3 बार देने से पुरानी से पुरानी कब्ज में लाभ होता है। यह अतिसार और खूनी अतिसार में भी फायदेमंद है।


107 : थूहर (मुठिया सीज)
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थूहर (मुठिया सीज)
थूहर के दूध में कालीमिर्च, लौंग या पीपल भिगोकर सुखा लें। कब्ज से परेशान व्यक्ति को कालीमिर्च या लौंग खिला देने से पेट बिल्कुल साफ हो जाता है।


108 : अंगुलिया थूहर
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अंगुलिया थूहर
अंगुलिया थूहर (अंगुलियों जैसी पतली शाखावाली पसीज) की 2 बूंद, दूध, बेसन और शहद के साथ छोटी गोली बनाकर लेने से मल आसानी से बाहर निकल जाता है।


109 : सहजन
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सहजन
सहजन (मुनगा) के कोमल पतों का साग खाने से शौच खुलकर आती है।


110 : कचनार
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कचनार
कचनार के फूलों को चीनी के साथ घोंटकर शर्बत की तरह सुबह-शाम पीने से शौच साफ आती है।
कचनार के फूलों का गुलकंद रात में सोने से पहले 2 चम्मच की मात्रा में कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।


111 : जमालगोटा
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जमालगोटा
जमालगोटा के बीज की लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग या तेल आधा से एक बूंद मक्खन में मिलाकर खाने से शौच पतली आती है। ध्यान रहे कि जब शौच रुक नहीं रहा हो तो ऐसी हालत में पानी में कत्था (खैर) को घिसकर नींबू का रस मिलाकर अच्छी तरह घोंटकर पिलाते रहें।


112 : भाकुरा
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भाकुरा
भाकुरा (इन्द्रायण का ही एक भेद) की जड़ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम सोंठ और गुड़ के साथ खाने से कब्ज दूर होता है। ध्यान रहे कि मात्रा अधिक न हो पाये, क्योंकि वह जहर बन जाता है। जहर हो जाने पर पेट साफ करके दूध पिलायें।


विधारा
विधारा की जड़ 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सेवन कराने से कब्ज मिटती है।

घी कुआंर
घी कुआंर (ग्वारपाठा) का रस 10 से 20 ग्राम की मात्रा में हरड़ के साथ खाने से मलावरोध की परेशानी दूर होती है। गर्भस्त्री और स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को इसका सेवन न करायें।



श्वेत गदपुरैना
श्वेत गदपुरैना (श्वेत पुनर्नवा) की जड़ का चूर्ण 5 से 10 ग्राम को सोंठ के साथ मिलाकर दिन में 2 से 3 बार देने से शौच खुलकर आती है।


गन्धप्रसारिणी
गन्धप्रसारिणी के पत्तों को पीसकर मिश्रण बनाकर रख लें। इस मिश्रण या चूर्ण को गुनगुने पानी से लेने से कब्ज दूर हो जाती है।



आकाशबेल
आकाशबेल का रस 10 ग्राम सुबह-शाम लेने से लीवर की कमजोरी और कब्ज दूर होती है।


विष्णुकान्ता
विष्णुकान्ता (नीलशंखपुष्पी) की जड़ 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से दस्त साफ आता है।



शंखपुष्पी
शंखपुष्पी का रस 10 से 20 ग्राम की मात्रा में देने से शौच साफ आती है।
शंखपुष्पी की जड़ 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम लें। इससे कब्ज नष्ट हो जाती है।


तिलका
तिलका (एक प्रकार की मशहूर लकड़ी) की छाल का 5 से 10 ग्राम पीसकर पीने से कब्ज लाभ मिलता है।



पाकर
पाकर (पाखर) के पेड़ की ताजी छाल का काढ़ा बस्ति (नली द्वारा शरीर के भीतर या बाहर जल की धारा देने वाला यंत्र) देने से मलाशय साफ हो जाता है और अंदर सभी तरह के जख्म भी ठीक हो जाते हैं।


हिंगोट
हिंगोट (हिंगन) के फल का गूदा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक लेने से पेट साफ हो जाता है। कच्चा फल खाने से अच्छा पेट साफ होता है।


तमाल
तमाल पेड़ से प्राप्त गोंद और गैम्बों लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लेने से कब्ज ठीक हो जाती है। नोट : अधिक मात्रा में न दें, क्योंकि यह जहर की तरह है यह रोगी की जान भी ले सकता हैं। इस प्रयोग के समय दालचीनी या लौंग का इस्तमाल करें।


124 : कालामूका
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कालामूका
कालामूका (रतनगरूर) की पत्तियों के रस को नाक के द्वारा सूंघने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।


जारूल
जारूल की छाल का काढ़ा बनाकर 20 से 40 ग्राम तक या पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम तक सेवन करने से पेट साफ होकर कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।


बड़हल
बड़हल (बरहर) के 1 से 2 बीजों को पीसकर और घोंटकर पीने से या थोड़े से बड़हड़ का दूध बताशे में डालकर पानी के साथ सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।


शहतूत
शहतूत के छिलके का काढ़ा 50 से 100 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से पेट के अंदर मौजूद कीड़े समाप्त जाते हैं।
शहतूत की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पेट साफ हो जाता है।



लघुपीलु
लघुपीलु के पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम तक सेवन करने से पेट के अंदर रुका हुआ मल आसानी से बाहर आ जाता है और पेट साफ हो जाता है।


129 : इमली
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इमली
1 किलो इमली को 2 किलो पानी में 12 घंटे तक गलायें, इसके बाद उसे गर्म करें, जब आधा पानी जल जाये तो उसमें 2 किलो चीनी मिला दें। इसे शर्बत की तरह बनाकर रोजाना 20 से 50 ग्राम तक कब्ज वाले रोगी को रात में और पित्त वाले को सुबह उठते ही पीने से लाभ होता है।
इमली का मज्जा (बीच) का हिस्सा 1 से 3 ग्राम की मात्रा में थोड़ी-सी सनाय या हर्रे के साथ सेवन करने से गैस में राहत मिलती है।
इमली का शर्बत पीने से 15-20 सालों से पुरानी कब्ज से छुटकारा मिल जाता है।
इमली का गूदा पानी में भिगो दें उसी पानी में घोटकर छान लें। फिर उसमें थोड़ा-सा गुड़ और थोड़ी-सी सोंठ डालकर खाना खाने के बाद खाने से कब्ज में लाभ होता है।



आलूबुखारा
आलू बुखारा खाने से कब्ज नही होता है।


केला
केला, केले का फूल, गूलर, कच्चू और ओल को खाने से कब्ज मिटती है।
पका केला खाने से आंतों में तरावट होती है और शौच खुलकर आती है।


खजूर
रोजाना 50 ग्राम खजूर खाने से कब्ज नहीं रहती है, ध्यान रहे कि बच्चों को केवल 25 ग्राम ही दें।
खजूर को गर्म पानी के साथ सोते समय लेने से कब्ज व बवासीर में लाभ होता है।
खजूर को रात में पानी में डाल रख दें। सुबह बासी पेट (बिना कुछ खाये) मसलकर, छानकर पीने से दस्त आने से पेट साफ हो जाता है।


खीरा
खीरा रोजाना खाने से पेट की गैस नहीं बनती है। खीरा, ककड़ी, गाजर, टमाटर, पालक या पत्तागोभी को कच्चा खाने से भी लाभ होता है।



बादाम
15 ग्राम बादाम के तेल को निकालकर 1 गिलास दूध में मिलाकर कुछ दिनों तक लगातार पीने से पेट की गैस में आराम मिलता हैं।

तीसी का तेल
तीसी का तेल 7 से 14 मिलीलीटर तक गुनगुने दूध में डालकर पिलाने से मल (ट्टटी) आसानी से उतर जाता है और कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।


पटुआ शाक
पटुआ शाक के बीजों का पिसा हुआ बारीक चूर्ण 3 से 6 ग्राम सेवन करने से पेट साफ हो जाता है।



कसौंदी
कसौंदी के पंचांग (जड़, पत्ती, तना, फल और फूल) का काढ़ा बनाकर पीने से पेट की गैस में राहत मिलती है।
मानकन्द
मानकन्द (मानकचू) के फल का साग लगातार खाने से पुरानी कब्ज की शिकायत दूर होती है।
अनानास
अनानास के कच्चे फल का रस 40 से 80 ग्राम तक सेवन करने से मल आसानी से निकल जाता है।
आरूक
आरूक (आडू) के फूलों का फांट या घोल 40 से 80 ग्राम तक सुबह-शाम देने से पेट साफ हो जाता है।
कॉसकरॉ
कॉसकरॉ की छाल का चूर्ण 1 से 3 ग्राम सेवन करने से पेट साफ हो जाता है।
कुंगकु
कुंगकु की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम देने से दस्त साफ आता है।
गुलब्वास
गुलब्वास की गांठदार जड़ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग या लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम सेवन करने से हल्के दस्त आकर पेट साफ हो जाता है।
गुलबनफ्शा
गुलबनफ्शा के गुलकंद का सेवन करने से मलावरोध दूर होता है।
चाल्ता
चाल्ता (भव्य) के फलों को पीसकर शर्बत बनाकर पीने से शौच साफ आती है।
कुप्पी
कुप्पी (आमाभाजी) के पंचांग (जड़, पत्ती, फल, फूल और तना) का काढ़ा 40 से 60 ग्राम तक खुराक के रूप में लेने से पेट साफ हो जाता है।

शरीफा
शरीफा की जड़ 10 से 20 ग्राम पीसकर सेवन करने से पेट आसानी से साफ हो जाता है।

दुग्धफिनी
दुग्धफिनी की जड़ 4 से 12 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज मिट जाती है।
जलापा
जलापा की जड़ का बारीक चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से दस्त आकर पेट साफ हो जाता है।

हरीतकी
हरीतकी का चूर्ण और गुड़ सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज़ मिटती है।

चुकन्दर
चुकन्दर को खाने से पेट की गैस दूर होती है।

कुटू
कुटू के आटे की रोटी बनाकर खाने से कब्ज ठीक हो जाती है।

बैंगन
बैंगन को धीमी आग पर पकाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
हल्दी
पेट में जब गैस भर जाती है तो बड़ा दर्द होता है। ऐसी स्थिति में पिसी हुई हल्दी और नमक 5-5 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से कब्ज में आराम होगा।

आकड़ा
पेट में वायु भरकर गोला-सा बनकर दर्द करता है। गर्म दूध में 1 चम्मच अदरक का रस डालकर पीने से लाभ होता है।


रस
सेब, अमरूद, संतरे, पालक व गाजर का जूस पीने से कब्ज में लाभ होता है या अंजीर, बेल, आंवले का रस अथवा ईसबगोल भी फायदेमंद रहता है।

मटर
कच्ची मटर खाने से पेट की कब्ज में लाभ होता है।
मौलसिरी
बच्चों का कब्ज दूर करने के लिए इसके बीजों की मींगी की बत्ती, पुराने घी के साथ बनाकर, बत्ती को गुदा में रखने से 15 मिनट में मल की कठोर गांठे दस्त के साथ निकल जाती हैं।

चावल
10 ग्राम चावल और 20 ग्राम मूंग की दाल की खिचड़ी में घी मिलाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
जायफल
नींबू के रस में जायफल घिसकर 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से गैस और कब्ज की तकलीफ दूर होगी।
छुहारा
4 से 5 छुहारे को दूध में उबालकर सेवन करने से रुका हुआ मल आसानी से निकल जाता है।
2 छुहारा रोजाना पानी में भिगोकर रात में इन्हें खा लें। खाना कम खायें। रात को 2 छुहारे दूध में उबालकर लेने से भी कब्ज दूर होती है।
सुबह-शाम 3 छुहारे खाकर गर्म पानी पियें। छुहारे सख्त होने से खाना सम्भव न हो तो दूध में उबालकर ले सकते हैं। छुहारे प्रतिदिन खाते रहने से बवासीर, स्नायुविक दुर्बलता तथा रक्तसंचरण ठीक होता है। सुबह के समय 2 छुहारे पानी में भिगोकर रख दें, फिर इन्हें रात को चबा-चबाकर खाएं। भोजन कम मात्रा में करें या रात को 2 छुहारे उबालकर भी ले सकते हैं। इससे कब्ज दूर होती है।

काजू
द्राक्ष या हरी द्राक्ष के साथ 30 ग्राम काजू खाने से अजीर्ण या गर्मी के कारण होने वाली कब्ज दूर हो जाती है।
काजू और मुनक्का सुबह खाली पेट खाने से 14 से 18 साल तक के बच्चों को कब्ज़ नहीं होती है।


कालीमिर्च
10 पिसी हुई कालीमिर्च को फांककर, ऊपर से गर्म पानी में नीबू निचोड़कर सुबह-शाम पीते रहने से गैस बनना बंद हो जाती है।

शहद
शहद के साथ स्वर्जिका क्षार का सेवन करें।
अमृतासत्व, प्रवालपिष्टी और जहरमोहरा-सबको एक-एक चुटकी लेकर शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करें।
शहद के साथ संजीवनी वटी का चूर्ण लेने से भी काफी लाभ होता है।
सौंफ, धनिया तथा अजवायन- इन तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर आधा चम्मच चूर्ण को शहद के साथ सुबह, दोपहर और शाम को इसका सेवन करना चाहिए।


घी
रात को सोते समय एक कप गर्म दूध में 5 मिलीमीटर घी मिलाकर मिश्री के साथ सेवन करने से कब्ज में लाभ मिलता है।

कलौंजी
गुड़िया शक्कर 5 ग्राम, सोनामुखी 4 ग्राम, 1 गिलास हल्का गर्म दूध, आधा चम्मच कलौंजी का तेल लेकर, सबको मिलाकर रात को सोते समय सेवन करने से गैस में आराम होगा।

गोभी
रात को सोते समय गोभी का रस पीना कब्ज के रोगी के लिए बहुत ही अच्छा होता है।

पान
पान के डंठल पर तेल चुपड़कर बच्चों की गुदा में रखने से बच्चों की कब्ज और वादी के रोग मिट जाते हैं।


इन्द्रायण
इन्द्रायण के फलों को घिसकर नाभि पर लगाएं और इसकी जड़ का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सोते समय सेवन करें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण 1-3 ग्राम सुबह-शाम सोंठ और गुड़ के साथ देने से कब्ज दूर होती है और पेट साफ हो जाता है। ध्यान रहे कि मात्रा अधिक न हो जाये क्योंकि ऐसा होने पर वह जहर बन जाता है।


गूलर
गर्मी के मौसम में गूलर के पके फलों का शर्बत, मन को प्रसन्न करने वाला, बलकारक, कब्ज तथा खांसी और सांस के रोगों को ठीक करता है।



सरसों का तेल
पेट की नाभि पर सरसों के तेल से चारों ओर दायें से बायीं ओर मालिश करने से लाभ होता है।
सरसों के तेल से सुबह-शाम रोजाना मालिश करने से लाभ होता है।
सरसों के तेल से पेट की मालिश करने से कब्ज दूर हो जाती है।

निर्मली
निर्मली के बीजों को खाने से कब्ज और वात-पित्त-कफ में लाभ होता है।

पिपरमिन्ट
पान में पिपरमिन्ट डालकर खाना भी कब्ज के रोग में लाभकारी है।
पिपरमिन्ट के 2 छोटे-छोटे टुकड़े करके पानी से निगलने से गैस और कब्ज का रोग ठीक हो जाता है।

लीची
लीची रोज खाने से कब्ज दूर होती है।

अनार
अनार में शर्करा (शुगर) और सिट्रिक अम्ल काफी मात्रा में होता है। यह अत्यंत पौष्टिक, स्वादिष्ट और लौह-तत्व से भरपूर होता है। कब्ज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बीज समेत अनार का सेवन करना अच्छा रहता है और इसके रस के सेवन से उल्टी आना बंद हो जाती है।


तुलसी
तुलसी के 50 पत्ते, थोड़ा सा टुकड़ा अदरक, स्वादानुसार काला नमक लेकर, सबको पीसकर चाटें। इससे कब्ज दूर हो जाती है तथा मल साफ आने लगता है।
तुलसी के सौ पत्ते और एक चम्मच गुलाबी फिटकरी पीसकर, चने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें तथा खाने के बाद एक-एक गोली लें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।



अन्य उपचार
कब्ज़ से पीड़ित रोगी को किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक की देख-रेख में ही कार्य क्षमता के अनुसार ही दो से तीन तक उपवास रखना चाहिए और ध्यान रखे की इलाज के दौरान केवल छाछ का ही सेवन करें।
उपवास के बाद केला, पपीता, शरीफा और चीकू जैसे- नरम फल ही खाएं।
मरीज को खाने में सुबह और शाम दही-चावल और पके हुए केला ही देने चाहिए।
शिशु को माता द्वारा फल-सब्जि़यों आदि का रस पिलाने से ही कब्ज आसानी से समाप्त हो जाती है। गुलकंद खिलाने से भी इससे निजात पाई जा सकती है।
गुनगुने पानी में शहद की कुछ बूंदे मिलाकर पिलाने से शिशु को कब्ज (गैस) से छुटकारा मिलता है।
माता का दूध पीने से भी शिशु कब्ज की पकड़ में नहीं आते हैं।
हींग को पानी में घिसकर नाभि के आस-पास के भाग पर लेप करने से शिशुओं की कब्ज ठीक हो जाती है।
सावां (सामा, एक प्रकार का अनाज) है जिसे उबाल या भूनकर खाया जा सकता है। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
गर्भवती स्त्री के कब्ज में और बच्चों की कब्ज में पोय (पोरो, पोई) साग, आहार में लेने से लाभ होता है।


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