बुधवार, 30 नवंबर 2011

शहद अमृत है लेकिन इन चीजों के साथ खाएंगे तो ये जहर बन जाएगा

शहद को आयुर्वेद में अमृत माना गया है। माना जाता है कि रोजाना सही ढंग से शहद लेना सेहत के लिए अच्छा होता है। लेकिन शहद का सेवन करने के फायदे ही नहीं नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए शहद का सेवन जब भी करें नीचे लिखी बातों को जरूर ध्यान रखें।



   - चाय, कॉफी में शहद का उपयोग नहीं करना चाहिए। शहद का इनके साथ सेवन विष के समान काम करता है।



   - अमरूद, गन्ना, अंगूर, खट्टे फलों के साथ शहद अमृत है।



   - शरीर के लिये आवश्यक, लौह, गन्धक, मैगनीज, पोटेशियम आदि खनिज द्रव शहद में होते हैं।



   - शहद के एक बड़ा चम्मच में 75 ग्राम कैलोरी शक्ति होती है।



   - किसी कारणवश आप को शहद सूट नहीं किया तो या खाकर किसी तरह की परेशानी महसूस हो रही हो तो  नींबू का सेवन करें।



   - इसे आग पर कमी न तपायें।



   - मांस, मछली के साथ शहद का सेवन जहर के समान है।



   - शहद में पानी या दूध बराबर मात्रा में हानिकारक है।



   - बाजरू चीनी के साथ शहद मिलाना अमृत में विष मिलाने के समान है।



   - शहद सर्दियों में गुनगुने दूध या पानी में लेना चाहिये।



   - एक साथ अधिक मात्रा में शहद न लें। ऐसा करना नुकसानदायक होता है। शहद दिन में दो या तीन बार एक चम्मच लें।



   -  घी, तेल, मक्खन में शहद विष के समान है।

बीमारियों को दूर भगाने के कुछ सस्ते और अच्छे नुस्खे

क्या आप बार-बार बीमार हो जाते हैं? जब भी मौसम बदलता है तब आपके पल्ले कोई नई बीमारी पड़ जाती है? विज्ञान के अनुसार इसका कारण कमजोर इम्युनिटी पॉवर है। इम्युनिटी पॉवर कम होने का बड़ा कारण अंसतुलित खान-पान और सही समय पर खाना न खाना है। इन कारणों से बीमारियों के जल्दी घेरने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इससे निजात पाने के लिए निम्न उपाय अपनाएं-

- सब्जियां ज्यादा खाएं।

- फल या ज्यूस रोज लें।

-ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। 

- खाने में मीठा कम करें बेसन से बनी चीजों का सेवन ज्यादा न करें।

- एक्सर्साइज और योगा करें। शारीरिक श्रम अधिक करें।

- मोटापा भी कई बीमारियों का कारण है वजन कम करने के लिए नियमित रूप से योगासन करें।

- तली-भुनी चीजों से परहेज करें।

- योगा से कम समय में ही शरीर को संतुलित किया जाता है अत: प्रतिदिन कुछ समय योगा अवश्य करें।

- अधिक कैलोरी वाले खाने का पूर्णत: त्याग करें। 

- समय पर सोएं।

- दिनचर्या नियमित रखें।

-मौसमी फलों का सेवन जरूर करें।

ऐसे बनाएं घर में आयुर्वेदिक फेसपैक, सारी स्कीन प्रॉब्लम्स खत्म हो जाएंगी

आजकल त्वचा को वातावरण के प्रदूषण, धूल-मिट्टी, धूप इत्यादि का सामना करना ही पड़ता है। ऐसे में त्वचा मुरझाई-सी दिखने लगती है। उम्र के साथ होने वाले हार्मोनल परिवर्तन से, प्रदूषण से व कई अन्य कारणों से स्कीन प्रॉब्लम्स सताने लगती हैं। अगर आपके साथ भी कोई स्कीन प्रॉब्लम हैं तो घर पर ही नीचे लिखी विधि से आयुर्वेदिक फेसपैक बनाकर उससे मुक्ति पा सकते हैं।

 - चेहरे पर चेचक, छोटी माता या बड़ी फुंसियों के दाग रह गए हैं तो दो पिसे हुए बादाम, दो चम्मच दूध और एक चम्मच सूखे संतरों के छिल्कों का पावडर मिलाकर आहिस्ता-आहिस्ता फेस पर मलें और छोड़ दें।

- हफ्ते में एक बार स्क्रब करें। घरेलु स्क्रब बनाने के लिए 1 चम्मच दरदरा चावल का आटा, 1 चम्मच दरदरी मसूर की दाल का पाउडर, 1/2 उड़द की दाल का दरदरा पाउडर, 1 चम्मच गुलाब जल और 1/2 चम्मच शहद मिलाकर गाढा पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं। हलका सूखने पर स्क्रब करते हुए हटाएं। रंग निखर जाएगा।

 - हल्दी को मलाई में डालकर चेहरे पर रगडऩे से त्वचा चमकीली बनती है। हल्दी को कच्चे दूध में डालकर मुंहांसों पर लगाने से मुंहासे दूर हो जाते हैं।

- आधा चम्मच संतरे का रस लेकर उसमें 4-5 बूंद नींबू का रस, आधा चम्मच मुल्तानी मिट्टी, आधा चम्मच चंदन पाउडर और कुछ बूंदें गुलाब जल की। इन सबको मिलाकर कर थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रख दें। इसे लगा कर 15-20 मिनट तक रखें। इसके बाद पानी से इसे धो दें। यह तैलीय त्वचा का सबसे अच्छा उपाय है।

 - अगर आपकी त्वचा ड्राई है, तो काजू को रात भर दूध में भिगो दें और सुबह बारीक पीसकर इसमें मुल्तानी मिट्टी और शहद की कुछ बूंदें मिलाकर स्क्रब करें। 

- धूप से हुई सांवली त्वचा में फिर से निखार लाने के लिए नारियल पानी, कच्चा दूध, खीरे का रस, नींबू का रस, बेसन और थोड़ा-सा चंदन का पावडर मिलाकर उबटन बनाएं, इसे नहाने के एक घंटे पहले लगा लें। सप्ताह में दो बार करें। सांवलापन खत्म हो जाएगा।

- रोमछिद्र ज्यादा बड़े हो गए हों तो उन पर टमाटर का रस, नींबू का रस और कच्चा दूध तीनों का पैक बनाकर लगाएं।

एक ऐसा प्रयोग जो 40 दिन में आंखों की सारी कमजोरी दूर कर देगा

आंखें हर इंसान को भगवान का दिया एक अनमोल तोहफा है।अगर इनका ख्याल न रखा जाए तो छोटी-सी परेशानी जिंदगी भर की तकलीफ बन सकती है। अधिकांश लोग आंखों की कमजोरी जैसे आंखों में से पानी आना, आंखों में जलन, लाल होना , आंखों में जाले आना, आंख का चिपकना, आंख की पलकों पर सूजन आना आदि परेशानियों को अनदेखा करते हैं। 

आगे चलकर ये लापरवाही ज्यादा परेशानी देने वाली साबित हो सकती है। इसीलिए रोजाना सुबह-शाम मुंह में पानी भरकर आंखों पर खूब पानी छिड़के। पर्याप्त नींद लें व साथ ही नीचे लिखे आयुर्वेदिक नुस्खें को भी अपनाएं।



नुस्खा-बादाम गिरी तथा साफ की हुई बढिय़ा सौंफ 100-100 ग्राम ले  सौंफ का महीन चूर्ण करें, इसमें बादाम गिरी को खूब महीन कतरकर तथा सौंफ के उक्त चूर्ण के साथ खूब अच्छी तरह पीसकर रखें।  रोज रात इस मिश्रण को 10-10 ग्राम मात्रा में मुख में रखकर धीरे-धीरे खाकर सो जाएं, इसके ऊपर पानी या दूध नहीं पीना है।

सोमवार, 28 नवंबर 2011

अचूक उपाय: बस दस मिनट... बढ़ जाएगी आपकी हाइट

माना जाता है कि लंबाई अमूमन 18 से 20 साल की उम्र तक बढ़ती है। लेकिन बाकी वजहों की तुलना में लंबाई आनुवांशिक कारणों पर ज्यादा निर्भर करती है। ऐसे में जरूरी नहीं कि आपको वर्कआउट करने से कोई खास फायदा हो लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपकी हाइट बढ़ जाए तो इसमें योग आपकी निश्चित रूप से सहायता कर सकता है। माना जाता है कि प्रोटिन युक्त भोजन करने से व नियमित रूप से दस मिनट ताड़ासन करने से हाइट बढ़ती है। 

कैसे करें ताड़ासन - समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर सीधे खड़े हो जाएं और प्रयास करें कि आपके पैर मिले रहें। साथ ही हथेलियों को अपने बगल में रखें। पूरे शरीर को स्थिर रखें और ये ध्यान रहे कि पूरे शरीर का वजन दोनों पैरों पर बराबर रूप से आए। दोनो हथेलियों की अंगुलियों को मिलाकर सिर के ऊपर रखें। हथेलियों का रुख ऊपर की ओर होना चाहिए। सांस भरते हुए अपने हाथों को ऊपर की ओर खींचिए, आपके कंधों और छाती में भी खिंचाव आएगा। साथ ही साथ पैरों की एड़ी को भी ऊपर उठाएं तथा पैरों की अंगुलियों पर शरीर का संतुलन बनाए रखिए। 

इस स्थिति में कुछ देर रहें। कुछ पल रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए हाथों को वापस सिर के ऊपर ले आएं। इस आसन को एक बार में कम से कम 5-10 बार कर सकते हैं। ताड़ासन से हम अपनी छाती और पीठ की मांसपेशियों में कम-कम खिंचाव ला पाते हैं लेकिन ताड़ासन करने से छाती, कंधे और पीठ की मांसपेशियों में भी खिंचाव आता है और वे एक्टिव हो जाती हैं। नियमित रूप से इस आसन को करने से हाइट आश्चर्यजनक रूप से बढऩे लगती है।

आयुर्वेदिक नाश्ता- ठंड में बनाएं इस टेस्टी आसान नुस्खे से अपनी सेहत

ठंड में सेहत बनाने के लिए ड्रायफ्रूट्स खाने पर विशेष जोर दिया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार अगर पूरी ठंड खाने में ड्रायफ्रूट्स का प्रयोग औषधिय रूप में किया जाए तो वर्ष भर कई बीमारीयां दूर रहती है। ठंड में सेहत बनाने के लिए बादाम और छुहारों का प्रयोग विशेष रूप से लाभदायक है। हम आज आपको बताने जा रहे हैं। ऐसा ही एक आयुर्वेदिक नाश्ता जिसका ठंड में सेवन करके आप अपनी हेल्थ बना सकते हैं। 

बनाने की विधि- बादाम की गिरी सात नग, एक छुहारा (अच्छी किस्म का हो), रात को मिट्टी की हांडी या कांच के पात्र में पानी में भिगोकर रखें। सुबह बादाम गिरी को छील लें। छुहारे की गुठली निकाल दें। अब गिरी और छुहारे के साथ थोड़ी छोटी इलाइची मिलाकर तीनों को सम्मिलित रूप में खूब महीन पीस लें। उसमें गाय का घी और मिश्री 20-20 ग्राम मिलाकर नाश्ते के रूप में सुबह के समय सेवन करें। 

फायदे- यह प्रयोग 21 दिन तक नित्य करने से चक्कर आना, दिल की कमजोरी दूर होने के साथ-साथ कमजोरी के कारण होने वाली थकान दूर होती है। मस्तिष्क को बहुत बल मिलता है।

सावधानी-  ध्यान दें, इस प्रयोग को सुबह ही करना चाहिए तथा इसके पच जाने के बाद दोपहर में सात्विक भोजन करें। कमजोर पाचन शक्ति वाले इसकी मात्रा कम रखें। जबकि प्रबल पाचन शक्ति वाले इसके सेवन के बाद दूध भी पी सकते हैं। इससे और जल्दी लाभ होगा।

ठंड में आजमाएं ये तीन देसी नुस्खे....दिमाग चलने नहीं दौड़ेने लगेगा

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अत्याधिक काम के दबाव के कारण बार-बार भूलना, एकाग्रता से काम न कर पाना या जल्दी दिमागी थकान हो जाना आदि समस्याएं आम हैं। ऐसे में कई बार जरूरी काम भी याद नहीं रह पाते हैं। भूलने की इस आदत के कारण कई बार नुकसान भी उठाना पड़ता है। अगर आप भी कमजोर याददाश्त यानी भूलने की आदत से तंग आ चूके हैं, तो इस ठंड में अपनाइए ये आयुर्वेदिक नुस्खे जो आपको इस परेशानी से जल्द ही निजात दिलवा देंगे।

-  बादाम 7 नग रात को पानी में गलाएं। सुबह छिलके उतारकर बारीक पीस कर पेस्ट बनालें। अब एक गिलास दूध गरम करें और उसमें बादाम का पेस्ट घोलें।  इसमें 3 चम्मच शहद भी डालें और ग्रहण करें। यह मिश्रण पीने के बाद दो घंटे तक कुछ न लें। 

- अखरोट जिसे अंग्रेजी में वालनट कहते हैं स्मरण शक्ति बढाने में सहायक है। नियमित उपयोग हितकर है। 20 ग्राम वालनट और साथ में 10 ग्राम किशमिश लेना चाहिये।

- ब्राह्मी दिमागी शक्ति बढाने की मशहूर जडी-बूटी है। इसका एक चम्मच रस नित्य पीना हितकर है। इसके 7 पत्ते चबाकर खाने से भी वही लाभ मिलता है। ब्राह्मी मे एन्टी ओक्सीडेंट तत्व होते हैं जिससे दिमाग की शक्ति बढऩे लगती है।

- दालचीनी के पाउडर को 10 ग्राम पावडर शहद में मिलाकर चाट लें। कमजोर दिमाग की अच्छी दवा है।अदरक ,जीरा और मिश्री तीनों को पीसकर लेने से कम याददाश्त की स्थिति में लाभ होता है।

रविवार, 27 नवंबर 2011

मोटापे को कहें टा-टा


हाल के बरसों में मोटापा लोगों की एक बड़ीसमस्या बन चुका है। जो लोग फिट हैं , वे वजनबढ़ने नहीं देना चाहते और जो मोटे हैं , वे इसेघटाना चाहते हैं। एक्सर्पट्स की सलाह से यहां हमफिट रहने के तरीके बता रहे हैं :

जानें अपना BMI 
यह जानना बेहद जरूरी है कि असल में फिट किसेकहें। इसका सीधा - सा फंडा है बीएमआई यानीबॉडी मास इंडेक्स। स्वस्थ व्यक्ति के लिएडब्ल्यूएचओ ने 25 और भारत सरकार ने 23बीएमआई तय किया है क्योंकि भारतीयों के शरीरमें पश्चिमी देशों के लोगों के मुकाबले 5 फीसदी फैट ज्यादा होता है।


कैसे निकालें BMI 
बॉडी मॉस इंडेक्स = वजन ( किलो में ) लंबाई ( मीटर में ) 

अगर आपका वजन 60 किलो है और लंबाई 160 सेंटीमीटर यानी 1.6 मीटर है।
BMI= 60 / 1.6 x 1.6 = 60 / 2.56 = 23.4(यानि आप फिट हैं)
1 . 23 या इससे कम - फिट
2 . 24 से 25- ओवरवेट
3 . 26 से 30- मोटे
4. 30 से ज्यादा - बेहद मोटे
5 . 19 से नीचे - अंडरवेट

कमर की चौड़ाई से पता लगाएं रिस्क 
आप ओवरवेट हैं या नहीं , यह पता लगाने का बीएमआई अच्छा तरीका है। अगर आपकाबीएमआई तय सीमा से ज्यादा है तो इसका मतलब है कि आपका वजन ज्यादा है , लेकिन क्याआपको पता है कि अगर शरीर के कुछ खास एरिया में यह एक्स्ट्रा फैट हुआ तो यह और भीज्यादा नुकसानदायक हो सकता है। अब्डॉमेन के पास मौजूद फैट बाकी जगहों पर मौजूद फैट केमुकाबले कहीं ज्यादा खतरनाक है। अगर किसी के दूसरे अंगों के मुकाबले टमी पर फैट ज्यादा हैतो इससे टाइप टू डायबीटीज और दिल की बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है। कहींअब्डॉमेन पर ज्यादा वेट तो नहीं है , यह जानने के लिए वेस्ट साइज देखा जा सकता है , जोइस तरह है :

महिलाओं के लिए 
सामान्य : 32 इंच से कम
ज्यादा : 32 से 35 इंच
बहुत ज्यादा : 35 इंच से ज्यादा

पुरुषों के लिए 
सामान्य : 37 इंच से कम
ज्यादा : 37 इंच से 40 इंच
बहुत ज्यादा : 40 इंच से ज्यादा

वजन घटाने के तरीके 
योग 
वजन कम करने का सबसे सटीक और सरल तरीका है योग। ये आसन वजन कम करने मेंमददगार हैं :
कपालभाति सांस को तेजी से नाक से बाहर फेंकें , जिससे पेट अंदर - बाहर जाएगा। 5-10मिनट करें। हाई बीपी वाले धीरे - धीरे करें और कमर दर्द वाले कुर्सी पर बैठकर करें।

अग्निसार खड़े होकर पैरों को थोड़ा खोलकर हाथों को जंघाओं पर रखें। सांस को बाहर रोक दें।फिर पेट की पंपिंग करें यानी पेट अंदर खींचें , फिर छोड़ें। स्लिप डिस्क , हाई बीपी या पेट काऑपरेशन करा चुके लोग इसे न करें।

उर्ध्व हस्तोत्तानासन खड़े होकर पैरों को थोड़ा खोलें। हाथों की उंगलियों को फंसाकर सिर केऊपर उठा लें। सांस निकालें और कमर को लेफ्ट साइड में झुका लें। दूसरी ओर भी करें।

दुत उत्तानपादासन कमर के बल लेटकर हाथों को जंघाओं के नीचे जमीन पर रखें। दोनों पैरोंको 90 डिग्री तक ऊपर उठाएं। इस प्रकार जमीन पर बिना टिकाए बार - बार पैरों को ऊपर -नीचे करते रहें। कमर दर्द वाले इसे न करें।

हृदय स्तंभासन कमर के बल लेटकर हाथों को जंघाओं के ऊपर रखें। सांस भरकर पैरों कोउठाएं। सिर और कमर को उठाएं। इस दौरान शरीर का भार हिप्स पर रहेगा।

द्विपाद साइकलिंग कमर के बल लेटे - लेटे ही दोनों पैरों को मिलाकर एक साथ साइकलिंगकी तरह घुमाएं। थकान होने तक लगातार घुमाते रहें। हाथों को कमर के नीचे रखें।

भुजंगासन पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को हिप्स के नीचे रखें। सांस भरते हुए आगे से सिरऔर छाती को ऊपर उठाकर पीछे की ओर मोड़ लें।

उज्जायी प्राणायाम थायरॉइड के मरीजों के लिए यह काफी फायदेमंद है। सीधे बैठकर सांसबाहर निकालें। अब सांस भरते हुए गले की मांसपेशियों को टाइट करें और सांस भरते जाएं। गलेसे घर्षण की आवाज करते जाएं। फिर नाक से सांस धीरे - से बाहर निकाल दें।

इन सभी प्राणायाम - आसनों को 8-10 बार दोहराएं। अगर सुबह नियमित रूप से ये आसन किएजाएं तो एक महीने में 5 किलो तक वजन कम हो सकता है।

नेचरोपैथी 
नेचरोपैथी में वजन कम करने के लिए नेचरल तरीका अपनाया जाता हैं। इसमें तीन स्टेप होते हैं:
1. मसाज व स्टीम मसाज के लिए शीशम , ओलिव या सरसों का तेल और जड़ी - बूटियोंवाला पाउडर इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद स्टीम दी जाती है।

2. कटि स्नान इसके लिए व्यक्ति को अलग - अलग तापमान के पानी में बिठाया जाता है।इससे कब्ज से छुटकारा मिलता है।

3. स्पेशल पैक बॉडी पर स्पेशल पैक लगाए जाते हैं। जमीन से दो फुट नीचे से निकाली गईमिट्टी से मड पैक तैयार किया जाता है , जो शरीर से जहरीले पदार्थों को निकालता है। इसमें12-15 सिटिंग में 5 किलो तक वजन घट सकता है। इसके लिए 2-5 हजार रुपए चार्ज किए जातेहैं।

आयुर्वेद 
आयुर्वेद में इलाज मुख्यत : जड़ी - बूटियों पर आधारित होता है। यह करीब - करीब नेचरोपैथीजैसा ही है। इसमें भी मसाज और स्टीम बेस्ड तकनीक होती है। मसाज के लिए अदरक , कुलष्ठाव दूसरी बूटियों मिला तेल या पाउडर इस्तेमाल किया जाता है। फिर स्टीम दी जाती है। खास पैकभी लगाया जाता है। इन सब तरीकों से फैट पिघल जाता है। आयुर्वेद में आमतौर पर 10-15सीटिंग में पांच किलो तक वजन घट सकता है। 5 हजार से 20 हजार रुपये तक चार्ज किए जातेहैं। इसका फायदा यह है कि शरीर ढीला नहीं पड़ता और वजन अचानक वापस नहीं आता। डॉक्टरकी सलाह से त्रिफला , आयोग्यवर्धिनी , घृतकुमारी आदि दवाएं भी ले सकते हैं।

होम्योपैथी 
खाना खाने के बाद दिन में तीन बार 10-15 बूंदें फायटोलका डिकंड्रा क्यू (Phytolaca Decandra Q) या फ्यूकस वेस क्यू (Fuccus Ves Q) चौथाई कप पानी में लें। कैल्केरिया कार्ब (Calc. Carb.) की 4-5 गोलियां भी दिन में तीन बार ले सकते हैं। ये दवाएं फैट कम करती हैं औरनियमित लेने पर दो - तीन महीने में असर दिखने लगता है। इन दवाओं का कोई साइड इफेक्टनहीं है , फिर भी होम्योपैथ की सलाह से लेना बेहतर है।

मशीनों का सहारा 
साइंटिफिक तकनीक में मशीनों द्वारा मसल एक्टिविटी , ब्लड सर्कुलेशन और शरीर की लचकबढ़ाई जाती है।

मॉर्निंग वॉकर मशीन वजन कम करने और हाई बीपी , डायबीटीज जैसी तमाम बीमारियों कोदूर करने में मॉर्निंग वॉकर मशीन को काफी मददगार माना जाता है। रोजाना कुछ देर के लिएइसका इस्तेमाल कर दिन की शुरुआत की जा सकती है।

वाइब्रेशन मशीन के जरिए शरीर पर वाइब्रेशंस दी जाती हैं। इससे मांसपेशियों की एक्टिविटीबढ़ती है , जिससे फैट बर्न होता है।

हीट थेरपी शरीर पर पैड लपेटकर हीट दी जाती है। इससे शरीर का ताप बढ़ जाता है , जोबेसिक मेटाबॉलिज्म रेट में इजाफा करता है।

सिर्फ इन्हीं दोनों तरीकों से वजन कम करने से स्किन ढीली होने का खतरा होता है। उसके लिएमसाज की सलाह दी जाती है। मशीनी तरीकों से वजन कम करने के लिए दो से तीन हजार रुपयेचार्ज किए जाते हैं।

लाइपो आर यह थेरपी किसी एक हिस्से से फैट घटाने में मददगार होती है। मसलन अगरपेट पर ज्यादा चर्बी है तो फौरन एक - दो इंच तक पेट कम हो जाता है। महीने भर में कुलतीन इंच तक का फर्क हो सकता है। इसमें किसी तरह का कट या सर्जरी नहीं होती। इसमें 10 से15 हजार रुपए खर्च आता है।

सर्जरी 
बेहद मोटे लोगों यानी जिन्हें 35-40 किलो वजन घटाना होता है , वे सर्जरी करा सकते हैं।

लाइपोसक्शन इसमें शरीर से फालतू फैट को निकाला जाता है।

बैरिएट्रिक सर्जरी इस सर्जरी को करने के कई तरीके हैं। इनमें जो सबसे पॉप्युलर है , उसमेंपेट के साइज को कम कर दिया जाता है , जिससे कम खाने के बाद ही इंसान की संतुष्टि होजाती है। यह सर्जरी उन लोगों के लिए है जो बहुत ज्यादा मोटे हैं और जिन्हें मोटापे की वजह सेडायबीटीज और हाई बीपी जैसे समस्याओं ने घेर रखा है। कुछ समय पहले बीजेपी अध्यक्ष नितिनगडकरी ने इसी सर्जरी को कराया था।

स्टमक बाइपास पेट में एक पाउच बनाकर सीधे इंटेस्टाइन से जोड़ दिया जाता है। इससेज्यादा कैलरी एब्जॉर्ब नहीं होती।

सिलिकॉन बैंड पेट में सिलिकॉन बैंड फिट कर दिया जाता है। इससे पेट भरा लगता है औरभूख कम लगती है।

उम्र और मोटापा 
50 साल के आसपास का समय महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। इस उम्र मेंअकसर मोटापा आने लगता है। दरअसल , महिलाओं में इस उम्र में मासिक धर्म बंद होने वालाहोता है और उनकी हॉर्मोंस प्रक्रिया में बदलाव आने लगता है। इस उम्र में थकावट आदि रहने सेमहिलाएं आरामपरस्त हो जाती हैं और उनके शरीर का वजन धीरे धीरे बढ़ने लगता है।

दूसरी तरफ पुरुषों को इस उम्र में दमा , खांसी , गठिया , जोड़ों का दर्द आदि हो जाते हैं ,जिससे उनकी जिंदगी घर के दायरे में ही सिमटकर रह जाती है। यह स्थिति उनके मोटापे काकारण बन जाती है। ऐसे लोगों को महिलाएं हों या पुरुष घर के अंदर ही थोड़ी बहुत एक्सरसाइज, योगासन , प्राणायाम करते रहना चाहिए , जिससे वजन पर कंट्रोल रखा जा सके।

किसे कितनी कैलरी की जरूरत 
उम्र
रोजाना जरूरी कैलरी
एक साल तक
100 कैलरी प्रति किग्रा शरीर के वजन के मुताबिक
1-3 साल
1200
4-6 साल
1500
7-9 साल
1800
10-12 साल
2100
13-15 साल (लड़के)
2500
13-15 साल (लड़की)
2200
16-18 साल (लड़के)
3000
16-18 साल (लड़की)
2200
पुरुष (हल्की मेहनत करने वाले)
2200
पुरुष (भारी मेहनत करने वाले)
3400
महिलाएं (हल्की मेहनत करने वाली)
1900
महिलाएं (भारी मेहनत करने वाली)
2800



















किसके बजाय क्या खाएं 
-वाइट ब्रेड सैंडविच के बदले होल वीट या ब्राउन ब्रेड

-भरवां परांठा के बदले भरवां रोटी

-पुलाव / बिरयानी / वाइट राइस के बदले ब्राउन राइस ( मांड निकला )

-समोसे / पकौड़े के बदले इडली / उपमा / पोहा

-मिठाई के बदले गुड़ / सूखे मेवे

-कोल्ड ड्रिंक के बदले नारियल पानी / नीबू - पानी

-दूध वाली चाय के बदले हर्बल टी / लेमन टी

-फुल क्रीम दूध के बदले डबल टोंड दूध

-जूस के बदले संतरा / मौसमी

-मीठी लस्सी के बदले छाछ

-पनीर के बदले पनीर ( टोंड मिल्क से बना )/ टोफू

-अंडा ( फुल ) के बदले अंडे का सफेद हिस्सा

टॉप गलतियां जो बढ़ाती हैं वजन 

1- कम बार खाना पर खूब खाना 
कुछ लोगों को लगता है कि बार - बार खाने से बेहतर है , दिन में सिर्फ तीन बार खाना। ऐसे मेंज्यादा भूख लगती है और लोग ज्यादा कैलरी ले जाते हैं। मसलन अगर ब्रेकफास्ट सुबह 9 बजेऔर लंच दोपहर 2 बजे लेंगे तो भूख ज्यादा लगेगी और लंच में ज्यादा खाना खाएंगे। बीच में 11या 11:30 बजे अगर फल या ड्राइफ्रूटस या कोई और हेल्दी चीज खा लेंगे तो लंच में खाना कमखाएंगे। हेवी डिनर भी वजन बढ़ने की अहम वजहों में से है। रात में हल्का खाना खाएं।

2- वीकएंड पर दावत 
कई लोग हफ्ते में पांच - छह दिन डाइटिंग करते हैं , मसलन लिक्विड डाइट पर रहते हैं , फलसब्जी खाते हैं पर वीकएंड पर जमकर खाते हैं। उन्हें लगता है कि एक दिन खुलकर खाने से क्याफर्क पड़ता है। यह सही नहीं है। इससे पूरे हफ्ते का संयम बेकार जाता है और एक ही दिन मेंहफ्ते भर में की कैलरी शरीर में लौट आती हैं।

3- खाने के बाद मीठा 
ज्यादातर लोगों के घर में खाने के बाद मीठे का चलन है। यह कॉम्बिनेशन और कैलरी , दोनोंलिहाज से गलत है। गलत कॉम्बिनेशन इसलिए कि भारी कार्बोहाइड्रेट या फैट के बाद शुगर नहींखाना चाहिए। साथ ही मिठाई में मौजूद कैलरी सेहत के लिए नुकसानदेह हैं। खाने के बाद मीठेका मन है तो गुड़ ले लें , लेकिन कम। गुड़ में मौजूद आयरन सेहत के लिए अच्छा है। सौंफऔर किशमिश ले सकते हैं। सौंफ खाना पचाने में मदद करती है और किशमिश सीधे ग्लूकोज मेंनहीं बदलती।

4- शुगर फ्री चीजें 
आजकल शुगर - फ्री या डाइट आइटम फैशन में हैं। कई लोग नेचरल शुगर न लेकर शुगर - फ्रीलेते हैं। इससे वे चीनी के जरिए मिलनेवाली कैलरी से तो दूर रहते हैं पर लंबे वक्त तक शुगर -फ्री लेना अच्छा नहीं है। शुगर - फ्री आइटम्स में आर्टिफिशल चीजें होती हैं , जिन्हें लंबे समयतक नहीं खाना चाहिए।

5- बिंज ईटिंग की आदत 
एक टॉफी या चॉकलेट से क्या होता है , यह बात अक्सर लोग बोलते हैं , लेकिन यही छोटी चीजेंमोटापे की वजह बनती हैं। हाई कैलरी स्नैकिंग ( पकौड़े , समोसे , नमकीन , बिस्कुट आदि )और बिंज ईटिंग ( बीच - बीच में छुटपुट खाना ) की आदत वजन बढ़ने की बड़ी वजहों में सेहैं। जो लोग चॉकलेट के शौकीन हैं , वे डार्क चॉकलेट की बजाय वेफर वाली चॉकलेट खाएं।स्नैक्स में मुरमुरे , रोस्टेड ( भुने हुए ) स्नैक्स या नॉर्मल पॉपकॉर्न ले सकते हैं।

कैसी हो आपकी डाइट 
वजन घटाने के लिए सही वक्त पर सही खाना बेहद जरूरी है।

तीनों वक्त खाना खाएं 
अगर वजन घटाना चाहते हैं तो सबसे पहले जरूरी है कि कोई भी खाना छोड़ें नहीं। तीन प्रॉपरमील और बीच में दो स्नैक्स जरूर लें। कोई खाना छोड़ेंगे तो अगली बार ज्यादा खाएंगे , जो सहीनहीं है।

दिन की शुरुआत 
दिन की शुरुआत कॉफी या चाय से न करें। नीबू पानी , नारियल पानी , जूस लिया जा सकताहै।

ब्रेकफास्ट पर फोकस 
दिन भर के खाने में सबसे ज्यादा फोकस ब्रेकफास्ट पर होना चाहिए। अक्सर लोग वजन कमकरने की धुन में ब्रेकफास्ट नहीं लेते लेकिन रिसर्च कहती हैं कि अगर नियमित रूप से ब्रेकफास्टलिया जाए तो लंबी अवधि में वजन कम होता है। नाश्ते में हमेशा एक जैसी चीजें न खाएं ,बल्कि बदलते रहें।

जल्दी करें डिनर 
दिन का खाना पूरा होना चाहिए , जबकि डिनर सबसे हल्का। डिनर रात में 8 बजे तक कर लेनाचाहिए। ऐसा संभव नहीं है तो भी सोने से दो घंटे पहले खाना जरूर खा लें। राजमा , चावल जैसीचीजें रात में नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये आसानी से पचती नहीं हैं। अगर देर रात तक जागते हैंऔर भूख लगती है तो फ्रूट्स या सलाद खाने चाहिए।

चीनी और जंक फूड से तौबा 
शुगर , जंक फूड , फास्ट फूड , मिठाइयां खाने की लिस्ट से निकाल दें। कैंडी , जेली , शहद ,मिठाई और सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूर रहें। इसी तरह बिस्कुट , केक , पेस्ट्री में काफी फैट औररिफाइंड कार्बोहाइड्रेट होता है , जो मोटापा बढ़ाता है। चीनी ज्यादा नहीं खानी चाहिए। 5 ग्राम (1चम्मच ) चीनी में 20 कैलरी होती हैं।

नमक में कटौती 
खाने में ऊपर से नमक न मिलाएं। नमक शरीर में पानी को रोकता है , इसलिए ज्यादा नमक सेबचना चाहिए। दिन भर में पांच ग्राम ( करीब एक चम्मच ) नमक काफी होता है। इसमें सब्जीआदि में डाला गया नमक भी शामिल है। दो चम्मच नमक से ज्यादा बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।कोशिश करें कि रात में 10 बजे के बाद नमक न लें। सलाद , रायता , ड्राई - फ्रूट्स , नीबू -पानी आदि में नमक से परहेज करें और टेबल सॉल्ट से दूर रहें। हेल्दी खाने का मतलब फीकेखाने से नहीं है।

मसाले 
परंपरागत मसाले न सिर्फ स्वाद बढ़ाते हैं , बल्कि उनमें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स , एंटी - ऑक्सिडेंटऔर फाइबर भी होते हैं। बस इन्हें भूनने के लिए ज्यादा तेल का इस्तेमाल न किया जाए।

साबुत व छिलके वाली चीजें 
बिना छना आटा खाएं। गेहूं के साथ चने का आटा मिलाने से पाचन अच्छा होता है। गेहूं या जौका आटा ( बिना छना ), ब्राउन ब्रेड , दलिया , कॉर्न या वीट फ्लैक्स , ब्राउन राइस व छिलकेवाली दालें आदि खाएं। अंकुरित अनाज व दालें विटामिन , मिनरल , प्रोटीन से भरपूर होती हैं।

छुटपुट खाने को बाय 
दो घंटे के बीच में कुछ न खाएं। छुटपुट खाना ही सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन है। बीच - बीच मेंबिस्कुट , नमकीन , ड्राई - फ्रूट्स , कोल्ड ड्रिंक , चाय - कॉफी पीते रहना काफी कैलरी जमा करदेता है।

मौसमी फल 
मौसमी फल खाएं। जूस के बजाय साबुत फल बेहतर है। सेब , बेरी लें। सेब में पेक्टिन केमिकलहोता है। सेब के साथ - साथ ज्यादातर सभी फलों के छिलकों में पेक्टिन पाया जाता है। यह फैटको अब्जॉर्ब करता है।

सोयाबीन और ड्राई फ्रूट्स 
सोयाबीन में मौजूद लेसिथिन केमिकल सेल्स पर फैट जमा होने से रोकता है। हफ्ते में कम - से- कम तीन बार सोयाबीन खाने से शरीर में फैट से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। सोयाबीन कोअंकुरित करके रोज सुबह लिया जा सकता है। इसके अलावा लहसुन का रस शरीर में मौजूद फैट्सको कम करने में मददगार है। लहसुन कच्चा खाएं और चबाकर खाएं तो बेहतर है। साथ हीमुट्ठी भर नट्स रोज खाने चाहिए। इनमें बादाम , किशमिश , अखरोट और पिस्ता ले सकते हैं।लेकिन ये फ्राइड न हों और इनमें नमक भी नहीं होना चाहिए।

सफेद से परहेज रंगीन से प्यार 
वजन कम करना चाहते हैं तो ज्यादातर सफेद चीजें ( आलू , मैदा , चीनी , चावल आदि ) कमकरें और मल्टिग्रेन या मल्टिकलर खाने ( दालें , गेहूं , चना , जौ , गाजर , पालक , सेब ,पपीता आदि ) पर जोर दें।

दूध दही और पनीर 
बिना फैट वाला दूध या दही खाएं। दूध में फैट कम करने के लिए उसमें पानी मिलाने से बेहतरहै कि मलाई उतार लें। पानी मिलाने से दूध में पोषक तत्व कम होते हैं। सोया से बना पनीर ,दूध और दही खा सकते हैं। जिन्हें दूध या सोया प्रॉडक्ट से एलर्जी है , वे राजमा , नीबू , टमाटर, मेथी , पालक , बादाम , काजू जैसी चीजें खाकर कैल्शियम की कमी पूरी कर सकते हैं।

पानी व तरल पदार्थ 
दिन में 2-3 लीटर पानी व तरल पदार्थ लें। पानी न सिर्फ फैट कम करता है , बल्कि शरीर सेजहरीले तत्वों को भी निकालता है। यह भूख कम करता है और कब्ज रोकता है। खाने के 15मिनट बाद घूंट - घूंट कर गर्म पानी पीना चाहिए। जब भी पानी पिएं , ठंडे या सादे की बजायगुनगुने पानी को तरजीह दें।

सबसे जरूरी है स्पेशलिस्ट से सलाह करके योजना बनाना और उस पर लगातार अमल करना।आमतौर पर लोग वजन घटाने के लिए डाइटिंग को ही एक तरीका मानते हैं और भूखे रहनेलगते हैं , जो सही नहीं है। डाइटिंग का मतलब भूखे रहना नहीं है , बल्कि सही वक्त पर उचितमात्रा में कम कैलरी और लो फैट वाली फाइबर युक्त चीजें खाना है।

असल में जब हम कम खाते हैं तो बॉडी का मेटाबॉलिज्म कम हो जाता है और मिनरल वविटामिन की कमी हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि आप भरपूर , लेकिन सही खाना खाएं।

वजन घटाने के लिए हमें थ्री - डाइमेंशनल ( तीन पहलुओं पर ) कोशिश करनी होगी :

1. कैलरी कम लें। शरीर को कम कैलरी मिलेगी तो वह पहले से जमा कैलरी का इस्तेमाल करेगा।

2 . ज्यादा कैलरी बर्न करें। एक्सरसाइज और शारीरिक मेहनत करने पर शरीर में जमा फालतूकैलरी बर्न होगी।

3. स्ट्रेस कम करें। इससे आपको भूख ज्यादा लगती है और आप इमोशनल ईटिंग करते हैं।

मसलन , अगर आपने 4 किलो वजन कम करने का टारगेट है तो सबसे पहले खाने में से 1000कैलरी की कटौती करें। फिर कैलरी खर्च करें। आधे घंटे तेज सैर से 80 कैलरी तक बर्न हो जातीहैं। बाकी के लिए एरोबिक्स , जॉगिंग , स्विमिंग या दूसरी एक्सरसाइज की जा सकती हैं।

तीसरी जरूरी चीज है , लाइफस्टाइल में बदलाव। लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें ,नौकर से पानी मांगने के बजाय खुद उठकर जाएं , आसपास रिक्शे या दूसरे वीइकल के बजायपैदल जाएं। इन छोटी - छोटी चीजों से काफी कैलरी काफी खर्च होती हैं। एक महीने में 3-4किलो वजन घटाना सही रहता है।

डाइट और एक्सरसाइज के अलावा वजन घटाने के कुछ और भी तरीके हैं। इनमें से कुछ घर मेंअपनाए जा सकते हैं तो कुछ के लिए एक्सपर्ट या जिम का सहारा लेना होगा।

न दवाई का झंझट न परहेज की परेशानी ये है मोटापे का आसान इलाज

अनकंट्रोल डाइट और बिगड़ती दिनचर्या के कारण दिनो-दिन बढ़ता मोटापा कम करना बहुत मुश्किल काम है। इसे कम करने के लिए या तो परहेज और दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है या फिर कसरत करना पड़ती है। अगर आपको पता चले कि रोज सुबह सिर्फ 15 मिनट बैठकर इसे कम किया जा सकता है तो आपको यकीन नहीं होगा लेकिन ये सच है।

रोज सुबह 15 मिनट बैठकर अपनी सांस को कंट्रोल करें तो सुबह-सुबह कीप्राणवायु आपका मोटापा कम कर देगी। समझिए क्या और कैसे करना है आपको इसके लिए किसी शांत एवं शुद्ध वातावरण वाले स्थान का चयन करें। किसी भी सुविधाजनक आसन में बैठ जाएं। 

अब धीरे-धीरे सांस लें। सांस लेने की गति धीमी रखें। फिर सांस छोड़ें सांस, छोडऩे की गति तेज रखें। इस क्रिया में सामान्य गति से सांस लें और ताकत के साथ सांस बाहर निकालें। रोज सुबह ये काम करें और इस क्रिया को कम से कम 15 मिनट तक करें। इस क्रिया को कपाल भाति प्राणायाम भी कहा जाता है।



क्या-क्या फायदे हैं इसके

इस क्रिया से चेहरे पर हमेशा ताजगी, प्रसन्नता और शांति दिखाई देगी। कब्ज और डाइबिटिज की बीमारी से परेशान लोगों के लिए यह काफी फायदेमंद है। दिमाग से संबंधित रोगों में लाभदायक है। वजन को कंट्रोल करता है, जो लोग ज्यादा वजन से परेशान है वे इस क्रिया से बहुत कम समय में ही फायदा प्राप्त कर सकते हैं। इससे वजन संतुलित रहता है।



सावधानी

जो लोग आंखों और कान के रोग से पीडि़त हैं, वे इस क्रिया को किसी योग प्रशिक्षण से सलाह लेकर ही करें साथ ही ब्लड प्रेशर की समस्या हो तो भी इस क्रिया को न करें।

काली मिर्च के अनूठे प्रयोग: हो जाएंगी ये सारी बीमारियां रफूचक्कर

किचन में जब चटपटा खाना बनाने की बात हो या सलाद को जायकेदार बनाना हो तो कालीमिर्च का प्रयोग किया जाता है। पिसी काली मिर्च सलाद, कटे फल या दाल शाक पर बुरक कर उपयोग में ली जाती है। इसका उपयोग घरेलु इलाज में भी किया जा सकता है।आज हम आपको बताने जा रहे हैं कालीमिर्च के कुछ ऐसे ही रामबाण प्रयोग।

- त्वचा पर कहीं भी फुंसी उठने पर, काली मिर्च पानी के साथ पत्थर पर घिस कर अनामिका अंगुली से सिर्फ फुंसी पर लगाने से फुंसी बैठ जाती है। 

- काली मिर्च को सुई से छेद कर दीये की लौ से जलाएं। जब धुआं उठे तो इस धुएं को नाक से अंदर खीच लें। इस प्रयोग से सिर दर्द ठीक हो जाता है। हिचकी चलना भी बंद हो जाती है। 

- काली मिर्च 20 ग्राम, जीरा 10 ग्राम और शक्कर या मिश्री 15 ग्राम कूट पीस कर मिला लें। इसे सुबह शाम पानी के साथ फांक लें। बावासीर रोग में लाभ होता है। 

- शहद में पिसी काली मिर्च मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से खांसी बंद हो जाती है। 

- आधा चम्मच पिसी काली मिर्च थोड़े से घी के साथ मिला कर रोजाना सुबह-शाम नियमित खाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है। 

- काली मिर्च 20 ग्राम, सोंठ पीपल, जीरा व सेंधा नमक सब 10-10 ग्राम मात्रा में पीस कर मिला लें। भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से जल के साथ फांकने से मंदाग्रि दूर हो जाती है। 

- चार-पांच दाने कालीमिर्च के साथ 15 दाने किशमिश चबाने से खांसी में लाभ होता है।

- कालीमिर्च सभी प्रकार के संक्रमण में लाभ देती है। 

- यदि आपका ब्लड प्रेशर लो रहता है, तो दिन में दो-तीन बार पांच दाने कालीमिर्च के साथ 21 दाने किशमिश का सेवन करे। 

- बुखार में तुलसी, कालीमिर्च तथा गिलोय का काढ़ा लाभ करता है। 

 - कालीमिर्च, हींग, कपूर का (सभी पांच-पांच ग्राम) मिश्रण बनायें। फिर इसकी राई के बराबर गोलियां बना लें। हर तीन घंटे बाद एक गोली देने से उल्टी, दस्त बंद होते है।

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

कभी नहीं होंगे बीमार अगर डेली लाइफ में ले आएंगे ये छोटे-छोटे सुधार

कहते हैं अगर किसी व्यक्ति की दिनचर्या नियमित हो और वह आयुर्वेद में बताए गए कुछ नियमों का पालन अपनी डेली लाइफ में करे तो कोई भी सुखपूर्वक निरोगी जीवन व्यतीत कर सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे ही कुछ टिप्स जिन्हें अपनाएंगे तो आप कभी बीमार नहीं होंगे।

- प्रात:काल 4 से 6 बजे के मध्य अर्थात सूरज उगने से पूर्व बिस्तर छोड़ दें।

- सुबह ब्रश व शौचादि से पहले ताम्बे के लोटे में रात्रि को रखा पानी पीयें।

- नाश्ता या भोजन हमेशा भूख से थोड़ा कम करें तथा योग्य आहार का ही सेवन करें ।

 -  भोजन के साथ -साथ पानी पीने की प्रवृति से बचें।

- रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाने के लिए आंवले  का सेवन नित्य करें।

- आहार में रेशेदार फल सब्जियों के अलावा दालों का सेवन, शरीर में किसी भी प्रकार के क्षय (टूट- फूट ) को ठीक करने में मददगार होता है।

- आहार में स्नेह अर्थात घी का नियंत्रित मात्रा में प्रयोग करें।

-  भोजन में लाल मिर्च का सेवन कम करें। 

- दिनचर्या में जानबूझकर,अनजाने में या असयंमित होकर किये गए आचरण को प्रज्ञापराध की श्रेणी में रखा जाता है,इससे से बचें।

- आहार स्वयं एक औषधी है,अत:ज्ञानेन्द्रिय को वश में करते हुए ही भोजन सहित अन्य आचरण करना स्वस्थ रहने में मददगार होता है।

- शुद्ध जल एवं वायु का सेवन आयुर्वेद अनुसार रोगों से मुक्ति का मार्ग है।

- गाय के दूध का नियमित रूप से सेवन करें।

- साल में एक बार पंचकर्म चिकित्सक के निर्देश में अवश्य करवाएं।

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

घरेलु संजीवनी बूटी- ये है इन सारी बीमारियों की एक दवा

ज्यादा वर्कलोड के कारण थकान होना, कमजोरी महसूस होना, ये सब अच्छे लक्षण नहीं  है। ऐसे लोगों को अक्सर बुखार और सर्दी, खांसी  व स्नायुतंत्र जैसी समस्याएं जल्दी घेर लेती हैं। ऐसे में बार-बार कई तरह की ऐलोपैथिक दवाई लेना भी शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए बार-बार  क्लिनिक के चक्कर लगाने से अच्छा है कि आप एक बार इन समस्याओं को जड़ से मिटाने के लिए नीचे लिखा नुस्खा जरुर आजमाएं। 

सामग्री- गुलाब के फूल, तुलसी के पत्ते, ब्राह्मी बूटी, खसखस, और शंखपुष्पी 300-300ग्राम। बनफशा, मुलहठी, सौंफ, तेजपान, 100-100ग्राम। लाल चंदन, बड़ी इलाइची, दालचीनी, लौंग, सौंठ, बदयान, काली मिर्च और असली केसर 10-10 ग्राम सबको अच्छी तरह पीसकर, छानकर बारीक चूर्ण कर लें।

 सेवन विधि- एक चम्मच चूर्ण एक लीटर पानी में डाल कर उबालें। उचित मात्रा में चीनी और दूध डालकर सुबह खाली पेट एक गिलास  पीएं। यह मात्रा चार व्यक्ति के लिए है। 

लाभ- इसके सेवन से शरीर के आंतरिक दोष दूर होते हैं। मानसिक  व शारीरिक थकावट  व निर्बलता दूर होती है। सिरदर्द, खांसी, गैस ज्वर, और उदर रोगों से छुटकारा मिलता है। स्मरण शक्ति और दिमागी ताकत बढ़ती हैं। स्नायुदौर्बल्य दूर होता है। दरअसल यह संजीवनी बूटी की तरह लाभकारी है।

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